Philippians11 पौलुस आ तिमुथियुस, जे मसीह यीशुक दास सभ छथि, तिनका सभक दिस सँ फिलिप्पी नगर मे रहऽ वला परमेश्वरक सभ पवित्र लोक जे मसीह यीशु मे छथि, मण्डलीक जिम्मेवार लोकनि और मण्डली-सेवक सभ सेहो, तिनका सभक नाम मे ई पत्र। 2 अपना सभक पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि और अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 3 जखन कखनो हम अहाँ सभक स्मरण करैत छी तँ हम अपना परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छियनि। 4 जखन अहाँ सभ गोटेक लेल प्रार्थना करैत छी तँ हरदम आनन्देक संग करैत छी, 5 किएक तँ अहाँ सभ पहिलुके दिन सँ लऽ कऽ एखन धरि शुभ समाचारक काज मे हमरा संग सहभागी छी। 6 हमरा एहि बातक निश्चयता अछि जे, जे परमेश्वर अहाँ सभ मे नीक काज शुरू कयने छथि, से मसीह यीशुक अयबाक दिन धरि ओकरा पूरा सेहो करताह। 7 अहाँ सभक प्रति हमर ई भावना ठीको अछि—अहाँ सभ तँ हमरा हृदय मे बसि गेल छी, किएक तँ हम चाहे जहलक भीतर मे छी वा बाहर शुभ समाचारक सत्यताक साक्षी दऽ रहल छी आ ओकर पुष्टि कऽ रहल छी, अहाँ सभ गोटे हमरा संग परमेश्वरक कृपा मे सहभागी छी। 8 परमेश्वर हमर गवाह छथि जे हमर हृदय अहाँ सभक प्रति मसीह यीशुक प्रेम सँ भरल अछि और अहाँ सभ गोटे केँ देखबाक लेल हमर मोन कतेक लागल रहैत अछि। 9 परमेश्वर सँ हमर प्रार्थना यैह अछि जे अहाँ सभक प्रेम सत्य-ज्ञान आ पूर्ण बुद्धि-विवेकक संग निरन्तर बढ़ैत जाय, 10 जाहि सँ अहाँ लोकनि सभ सँ उत्तम बात सभ चिन्हि ली आ मसीहक अयबाक दिन धरि निर्दोष आ शुद्ध मोनक रही 11 आ अहाँ सभक जीवन यीशु मसीह द्वारा उत्पन्न होमऽ वला धार्मिकता सँ भरल होअय, जाहि सँ परमेश्वरक सम्मान आ प्रशंसा होनि। 12 यौ भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ केँ एहि बातक जानकारी दऽ देबऽ चाहैत छी जे हमरा पर जे बितल अछि ताहि सँ शुभ समाचारक प्रचार मे उन्नतिए भेल अछि, 13 एतऽ तक जे राज-महलक सम्पूर्ण सुरक्षा दल और आरो सभ लोकक बीच सेहो ई बात पसरि गेल अछि जे हम मसीहक प्रचार करबाक कारणेँ बन्दी बनाओल गेल छी। 14 हमरा बन्दी होयबाक कारणेँ अधिकांश मसीही भाय सभक मोन मे प्रभु पर भरोसा बढ़ि गेल छनि जाहि सँ ओ सभ आब पहिने सँ बेसी साहसक संग निडर भऽ कऽ परमेश्वरक वचन सुनबैत छथि। 15 किछु लोक हमरा सँ डाह कऽ कऽ विरोधक भावना सँ मसीहक प्रचार करैत छथि, से बुझैत छी, मुदा किछु लोक नीक भावना सँ। 16 ई लोक प्रेम सँ प्रचार करैत छथि, ई जानि जे हम शुभ समाचारक रक्षाक लेल एतऽ राखल गेल छी। 17 मुदा दोसर सभ शुद्ध मोन सँ नहि, स्वार्थ सँ मसीहक शुभ समाचार सुनबैत अछि, ई सोचि जे एहि तरहेँ हमरा लेल जहल मे कष्ट बढ़ा रहल अछि। 18 मुदा ताहि सँ की? कपट सँ होअय वा सदभाव सँ, मसीहक प्रचार सभ तरहेँ भऽ रहल अछि। हम एहि बात सँ आनन्दित छी। आ हम आनन्द मनबिते रहब, 19 किएक तँ हम जनैत छी जे अहाँ सभक प्रार्थना सभक द्वारा आ यीशु मसीहक आत्माक सहायता द्वारा एहि सभ बातक परिणाम ई होयत जे हमर छुटकारा भऽ जायत। 20 ई हमर एहि हार्दिक आशा आ अभिलाषाक अनुसार सेहो अछि जे हम कोनो बात मे लज्जित होयबाक जोगरक नहि बनी, बल्कि हमरा पूरा साहस रहय जाहि सँ जहिना हमरा जीवन सँ मसीहक आदर सदा होइत रहल अछि तहिना आब सेहो होइत रहओ, चाहे हम जीवित रही वा मरि जाइ। 21 हमरा लेल जीवित रहबाक अर्थ अछि मसीहक लेल जीनाइ, आ मरनाइ अछि लाभ। 22 मुदा जँ हम जीवित रही तँ फलदायक परिश्रम कऽ सकब। तखन हम कोन चुनी—जीनाइ वा मरनाइ, से नहि जनैत छी। 23 हम बड़का दुबिधा मे छी। मोन तँ होइत अछि जे एहि संसार केँ छोड़ि कऽ मसीह लग जा कऽ रही, जे शरीर मे जीवित रहनाइ सँ बहुत नीक अछि। 24 मुदा अहाँ सभक लेल बेसी आवश्यक ई अछि जे हम शरीर मे जीवित रही। 25 एहि बातक हमरा पूरा विश्वास अछि, आ तेँ हम जनैत छी जे हम जीवित रहब और अहाँ सभक संग रहब, जाहि सँ विश्वास मे अहाँ सभक आनन्द बढ़य और प्रगति होअय। 26 एहि तरहेँ जखन हम फेर अहाँ सभक ओतऽ आयब तँ मसीह यीशु हमरा लेल की सभ कयलनि, ताहि पर अहाँ सभ केँ आरो गर्व करबाक आधार भेटत। 27 मुदा जे किछु होअय, अहाँ सभ एक बातक ध्यान राखू—अहाँ सभक आचरण-व्यवहार मसीहक शुभ समाचारक योग्य होअय। एहि तरहेँ हम चाहे आबि कऽ अहाँ सभ सँ भेँट करी वा दूर रहि कऽ अहाँ सभक विषय मे सुनी, हमरा यैह पता चलय जे अहाँ सभ एक आत्मा मे स्थिर छी और एक मोनक भऽ कऽ एक संग मिलि कऽ ओहि विश्वासक लेल संघर्ष करैत छी जे शुभ समाचार पर आधारित अछि 28 आ अपन विरोधी सभ सँ कनेको डेरायल नहि छी। ई ओकरा सभक विनाशक, मुदा अहाँ सभक उद्धारक स्पष्ट प्रमाण अछि। और ई सभ बात परमेश्वरक दिस सँ अछि। 29 कारण, अहाँ सभ केँ ई वरदान देल गेल अछि जे अहाँ सभ मात्र मसीह पर विश्वासे नहि करी, बल्कि हुनका लेल कष्ट सेहो सही। 30 अर्थात्, अहूँ सभ ओहने संघर्ष मे लागल छी जेहन अहाँ सभ हमरा करैत देखलहुँ आ सुनैत होयब जे एखनो कऽ रहल छी।
1 एहि लेल, जखन मसीह सँ संयुक्त रहला सँ अहाँ सभ केँ प्रोत्साहन भेटैत अछि, जखन हुनका प्रेम सँ सान्त्वना भेटैत अछि, जखन पवित्र आत्माक संग संगति अछि, जखन स्नेहक भावना आ सहानुभूति अछि, 2 तँ अहाँ सभ एक-दोसर सँ सहमत रहू, एक-दोसर सँ प्रेम करू, एकचित्त रहि एके लक्ष्य राखू और एहि तरहेँ हमर आनन्द पूर्ण करू। 3 स्वार्थपूर्ण अभिलाषा सँ वा अपना केँ किछु बनयबाक लेल कोनो काज नहि करू, बल्कि नम्र भऽ कऽ दोसर केँ अपना सँ श्रेष्ठ मानू। 4 अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक लोक अपनेटा नहि, बल्कि दोसरो लोकक हितक ध्यान राखू। 5 अहाँ सभ वैह भावना राखू जे मसीह यीशु मे छलनि— 6 ओ वास्तव मे परमेश्वर छलाह, 2 मुदा तैयो ओ परमेश्वरक तुल्य रहबाक अधिकार केँ पकड़ने रहऽ वला वस्तु नहि बुझलनि। 7 तकरा बदला मे ओ अपन सभ किछु त्यागि देलनि 2 आ दासक स्वरूप धारण कऽ मनुष्य बनि गेलाह। 8 एहि तरहेँ मनुष्यक रूप मे रहि कऽ 2 ओ अपना केँ विनम्र बनौलनि 2 आ एतऽ तक आज्ञाकारी बनलाह जे मृत्यु, हँ, क्रूस परक मृत्यु सेहो, स्वीकार कयलनि। 9 एहि कारणेँ परमेश्वर हुनका सभ सँ ऊँच स्थान पर राखि अति महान् कयलनि 2 आ हुनका ओ नाम प्रदान कयलनि जे सभ नाम सँ श्रेष्ठ अछि, 10 जाहि सँ यीशुक नाम सुनैत प्रत्येक प्राणी ठेहुनिया देअय, 2 चाहे ओ स्वर्ग मे वा पृथ्वी पर वा पृथ्वीक नीचाँ रहऽ वला होअय, 11 और पिता परमेश्वरक गुणगान मे 2 प्रत्येक प्राणी अपना मुँह सँ स्वीकार करय जे यीशु मसीह प्रभु छथि। 12 एहि लेल, यौ हमर प्रिय मित्र लोकनि, जाहि तरहेँ अहाँ सभ हरदम आज्ञा पालन करैत आयल छी, तहिना आब सेहो हमर उपस्थिति सँ बेसी हमर अनुपस्थिति मे पालन करैत रहू। डेराइत-कँपैत ओहन काज करैत रहू जे परमेश्वर सँ पाओल अपन उद्धार सँ उत्पन्न होअय। 13 किएक तँ परमेश्वर अपने अहाँ सभ मे काज करैत अपन प्रसन्नताक अनुसार चलबाक इच्छा आ क्षमता दूनू प्रदान करैत छथि। 14 अहाँ सभ जे किछु करब से बिनु कुड़बुड़ा कऽ आ बिना विवाद मे पड़ि कऽ करू, 15 जाहि सँ अहाँ सभ निर्दोष आ निष्कपट होइ और जीवन देबऽ वला सुसमाचार पर अटल रहि कऽ एहि बेइमान आ भ्रष्ट पीढ़ीक बीच परमेश्वरक निष्कलंक सन्तान भऽ संसार मे इजोत बनि कऽ चमकी। एहि तरहेँ हम मसीहक अयबाक दिन मे एहि बात पर गौरव कऽ सकब जे हमर भाग-दौड़ आ परिश्रम कयनाइ व्यर्थ नहि भेल। 17 अहाँ सभ विश्वास सँ प्रेरित भऽ कऽ परमेश्वरक जे सेवा कऽ रहल छी, से हुनका अर्पित कयल एक बलि अछि। आब जँ हमरो जीवन ताहि पर ढारल जा कऽ अर्पित कयल जा रहल अछि तँ हम तैयो खुश छी आ अहाँ सभ गोटेक संग आनन्द मनबैत छी। 18 तेँ अहूँ सभ आनन्दित होउ आ हमरा संग आनन्द मनाउ। 19 हमरा आशा अछि जे हम प्रभु यीशुक सहायता सँ किछुए दिन मे तिमुथियुस केँ अहाँ सभक ओतऽ पठा सकब, जाहि सँ अहाँ सभक हाल-समाचार जानि कऽ हमरो मोन खुश भऽ जाय। 20 हमरा लग हुनका जकाँ आओर केओ नहि अछि जे शुद्ध मोन सँ अहाँ सभक कुशलताक चिन्ता करैत होअय। 21 सभ अपन-अपन काज मे लागल अछि, यीशु मसीहक काज पर ध्यान नहि दैत अछि। 22 मुदा अहाँ सभ जनैत छी जे तिमुथियुस अपन योग्यता स्पष्ट रूप सँ प्रमाणित कयने छथि, कारण जेना कोनो बाप-बेटा संग-संग काज करैत अछि, तहिना शुभ समाचार सुनयबाक सेवा-काज मे ओ बेटा जकाँ हमरा संग परिश्रम कयने छथि। 23 एहि लेल हम आशा करैत छी जे जखने हमरा किछु बुझऽ मे आबि जायत जे हमरा संग की होमऽ वला अछि, तँ हम हुनका अहाँ सभक ओतऽ पठा देबनि। 24 और हमरा पूरा भरोसा अछि जे प्रभुक सहायता सँ हमहूँ स्वयं जल्दी अहाँ सभ लग आयब। 25 मुदा हमरा ई आवश्यक बुझाइत अछि जे हम अपन भाय एपाफ्रुदितुस केँ अहाँ सभ लग वापस पठा दी। ओ हमरा संग-संग काज करऽ वला आ एहि काजक संघर्ष मे हमरा संग-संग लड़ऽ वला छथि। ओ अहाँ सभक दूत छथि जिनका अहाँ सभ हमर आवश्यकता पूरा करबाक लेल एतऽ पठौने छलहुँ। 26 अहाँ सभ केँ फेर देखबाक लेल हुनका मोन लागल छनि आ एहि बात सँ चिन्तित छथि जे अहाँ सभ हुनका बिमारीक सम्बन्ध मे सुनि लेने छलहुँ। 27 वास्तव मे ओ बहुत बिमार छलाहो आ मरैत-मरैत बँचलाह। मुदा परमेश्वर केँ हुनका पर दया भेलनि आ मात्र हुनके पर नहि, बल्कि हमरो पर जाहि सँ हुनकर मृत्युक कारणेँ हमरा दुःख पर दुःख नहि सहऽ पड़य। 28 एहि कारणेँ, हम हुनका पठयबाक लेल आओर उत्सुक छी, जाहि सँ हुनका फेर देखि कऽ अहाँ सभ आनन्दित होइ आ हमरो मोन हल्लुक भऽ जाय। 29 तेँ प्रभु मे खुशी-आनन्दक संग हुनकर स्वागत करू। एहन लोक सभक आदर करबाक चाही, 30 किएक तँ मसीहक काजक लेल ओ अपना प्राण केँ दाँव पर लगा देलनि आ मृत्युक मुँह धरि पहुँचि गेलाह जाहि सँ ओ हमरा लेल ओ सेवा पूरा करथि जे अहाँ सभ नहि कऽ सकलहुँ।
1 आब, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ प्रभु मे आनन्दित रहू। अहाँ सभ केँ ई बात सभ दोहरा कऽ लिखऽ मे हमरा कोनो कष्ट नहि बुझाइत अछि, किएक तँ ई अहाँ सभक सुरक्षाक लेल हितकर अछि। 2 अहाँ सभ ओहि कुकुर सभ सँ होसियार रहू, हँ, ओहि अधलाह काज कयनिहार सभ सँ, ओहि अंग काट-कूट कयनिहार सभ सँ ⌞जे सभ सिखबैत अछि जे उद्धार पयबाक लेल खतना करौनाइ आवश्यक अछि।⌟ 3 किएक तँ वास्तविक “खतना कयल लोक” तँ अपना सभ छी जे परमेश्वरक आत्मा द्वारा हुनकर आराधना करैत छी आ अपन मानवीय योग्यता पर भरोसा नहि रखैत छी, बल्कि मसीह यीशु पर गौरव करैत छी, 4 ओना तँ हम मानवीय योग्यता पर भरोसा राखि सकैत छलहुँ। जँ ककरो अपन मानवीय योग्यता पर भरोसा रखबाक आधार बुझाइत होइक तँ हमरा ओकरो सँ बेसी भऽ सकैत अछि— 5 जन्मक आठम दिन हमर खतना भेल। हम इस्राएलिए जातिक, बिन्यामीन कुलक, इब्रानी सँ जन्मल इब्रानी छी। धर्म-नियमक पालन करबाक दृष्टिकोण सँ हम एक फरिसी छलहुँ। 6 धर्मक प्रति हमर उत्साह एतेक छल जे हम मसीहक मण्डली पर अत्याचार करैत छलहुँ। आ धर्म-नियम पर आधारित धार्मिकताक दृष्टि सँ हमरा मे कोनो त्रुटी नहि छल। 7 मुदा जाहि बात सभ केँ हम लाभ बुझैत छलहुँ तकरा आब मसीहक कारणेँ हानि बुझैत छी। 8 एतबे नहि, बल्कि हम अपन प्रभु, मसीह यीशु केँ जानि लेनाइ सर्वश्रेष्ठ लाभ मानैत छी जकरा तुलना मे अन्य सभ बात केँ हानि बुझैत छी। हम हुनके लेल सभ किछु त्यागि देने छी, हँ, सभ केँ घृणाक वस्तु बुझैत छी, जाहि सँ हम ई लाभ उठाबी जे मसीह हमर बनि जाथि 9 आ हम हुनका मे पाओल जाइ। ई हमरा ओहि धार्मिकता सँ नहि होइत अछि जे धर्म-नियमक पालन कयला सँ मानल जाइत अछि, बल्कि ओहि धार्मिकता सँ जे मसीह पर विश्वास कयला सँ भेटैत अछि, अर्थात् ओहि धार्मिकता सँ जे मात्र विश्वासक आधार पर परमेश्वर सँ प्राप्त होइत अछि। 10 हँ, हम एही लेल सभ किछु त्यागि देने छी जाहि सँ हम मसीह केँ जानि ली, आ ओहि सामर्थ्यक अनुभव करी जकरा द्वारा ओ फेर जिआओल गेलाह, आ हुनकर दुःख भोगनाइ मे सहभागी बनि जाइ, और एहि तरहेँ जेहन ओ मृत्युक समय मे रहलाह तेहने हमहूँ बनी 11 जाहि सँ चाहे किछुओ होअय हमहूँ मृत्यु सँ जिआओल जा सकी। 12 हम ई नहि कहैत छी जे एखन तक हमरा एहि लक्ष्यक प्राप्ति भऽ गेल अछि वा हमरा सिद्धी भऽ चुकल अछि। मुदा हम आगाँ बढ़ैत जाइत रहैत छी जाहि सँ हम ओहि लक्ष्य केँ प्राप्त करी जाहि लक्ष्यक लेल मसीह यीशु हमरा अपन बना लेने छथि। 13 यौ भाइ लोकनि, हम नहि मानैत छी जे एखन तक हम ओहि लक्ष्य धरि पहुँचि गेल छी। मुदा हम एकटा काज करैत छी—जे पाछाँ अछि तकरा बिसरि कऽ आगाँ वला बातक लेल प्रयत्नशील रहैत छी। 14 हम ओहि लक्ष्यक दिस बढ़ैत जा रहल छी जाहि सँ हम ओ पुरस्कार प्राप्त कऽ सकी जकरा लेल परमेश्वर मसीह यीशु द्वारा हमरा स्वर्ग दिस बजौने छथि। 15 आब अपना सभ जे बुझऽ वला लोक छी, सभ केँ यैह मनोभावना होयबाक चाही आ जँ कोनो बात मे अहाँ सभ केँ दोसर विचार होअय तँ परमेश्वर तकरो अहाँ सभक लेल स्पष्ट करताह। 16 जे किछु होअय, अपना सभ जाहि स्तर धरि पहुँचि गेल छी ताहि अनुरूप आचरण करी। 17 यौ भाइ लोकनि, हम जेना करैत छी, तेना करऽ मे एक-दोसर केँ संग दिअ। हम अहाँ सभ केँ एक नमूना देलहुँ; ताहि अनुसार चलऽ वला लोक सभ पर ध्यान देने रहू, 18 किएक तँ हम अहाँ सभ केँ पहिने बेर-बेर कहि चुकल छी आ एखनो कानि-कानि कऽ कहैत छी जे एहन बहुत लोक सभ अछि जे सभ अपन आचरण द्वारा मसीहक क्रूसक दुश्मन बनैत अछि। 19 ओकरा सभक सर्वनाश निश्चित अछि। ओ सभ पेट केँ अपन ईश्वर बना लेने अछि आ एहन बात सभ पर गर्व करैत अछि जाहि पर लाज होयबाक चाहिऐक। ओ सभ सांसारिक वस्तु सभ पर मोन लगौने अछि। 20 मुदा अपना सभक नागरिकता तँ स्वर्गक अछि आ अपना सभ स्वर्ग सँ आबऽ वला मुक्तिदाताक बाट उत्सुकतापूर्बक तकैत रहैत छी, अर्थात्, प्रभु यीशु मसीहक। 21 हुनका सभ किछु केँ अपना अधीन कऽ लेबाक जे सामर्थ्य छनि, ताहि सामर्थ्य द्वारा ओ अपना सभक कमजोर मरणशील शरीर केँ बदलि कऽ अपन महिमामय शरीर जकाँ बना देताह।
1 एहि लेल, यौ हमर भाइ लोकनि, हमर प्रिय लोक सभ, हँ, अहाँ सभ जिनका सभ पर हमर मोन लागल रहैत अछि, जे सभ हमर आनन्द, हमर मुकुट, हमर प्रिय मित्र सभ छी, जहिना हम अहाँ सभ केँ कहने छी, तहिना प्रभु मे स्थिर रहू! 2 हम यूओदिया आ सुन्तुखे, अहाँ दूनू सँ आग्रहपूर्बक विनती करैत छी जे अहाँ सभ प्रभु मे एक मोनक भऽ कऽ रहू। 3 हँ, यौ हमर विश्वस्त सहकर्मी, हम अहूँ सँ निवेदन करैत छी जे अहाँ एहि दूनू स्त्रीगणक सहायता करू, किएक तँ ई सभ क्लेमेन्स आ हमर अन्य सहयोगी सभक संग, जिनका सभक नाम जीवनक पुस्तक मे लिखल अछि, शुभ समाचार सम्बन्धी संघर्ष मे हमरा संग कठिन परिश्रम कयलनि अछि। 4 प्रभु मे सदिखन आनन्दित रहू। हम फेर कहैत छी, आनन्दित रहू! 5 सभ लोक ई देखि सकय जे अहाँ सभ नम्र लोक छी। प्रभु लगे मे छथि। 6 कोनो बातक चिन्ता-फिकिर नहि करू, बल्कि प्रत्येक परिस्थिति मे परमेश्वर सँ प्रार्थना आ निवेदन करू; अपन विनती धन्यवादक संग हुनका सम्मुख प्रस्तुत करू। 7 तखन परमेश्वरक शान्ति, जकरा मनुष्य केँ बुझि पौनाइ असम्भव अछि, से अहाँ सभक हृदय आ अहाँ सभक बुद्धि केँ मसीह यीशु मे सुरक्षित राखत। 8 अन्त मे, यौ भाइ लोकनि, जे बात सभ सत्य अछि, जे बात सभ प्रतिष्ठित अछि, जे बात सभ न्यायसंगत अछि, जे बात सभ पवित्र अछि, जे बात सभ प्रेम करबाक योग्य अछि, जे बात सभ आदरयोग्य अछि, अर्थात्, जे कोनो बात उत्तम वा प्रशंसनीय अछि ताही पर ध्यान लगौने रहू। 9 अहाँ सभ जे बात सभ हमरा सँ सिखलहुँ, पौलहुँ, सुनलहुँ आ हमरा मे देखलहुँ, तकरे अनुरूप आचरण करू। आ परमेश्वर जे शान्तिक स्रोत छथि, से अहाँ सभक संग रहताह। 10 हम प्रभु मे बहुत आनन्दित छी जे एतेक दिनक बाद अहाँ सभ फेर हमर चिन्ता कयलहुँ। पहिनहुँ अहाँ सभ केँ हमर चिन्ता अवश्य रहैत छल मुदा तकरा प्रगट करबाक कोनो मौका नहि भेटि रहल छल। 11 हम ई एहि लेल नहि कहि रहल छी जे हमरा कोनो बातक कमी अछि, किएक तँ हम प्रत्येक परिस्थिति मे सन्तुष्ट रहनाइ सिखि लेने छी। 12 हम विपन्नता मे रहनाइ आ सम्पन्नता मे रहनाइ, दूनू सँ परिचित छी। चाहे तृप्त होइ वा भूखल होइ, सम्पन्न होइ वा अभाव मे होइ, हम कोनो परिस्थिति मे सन्तुष्ट रहनाइ सिखि लेने छी। 13 जे हमरा बल दैत छथि हम तिनका द्वारा सभ किछु कऽ सकैत छी। 14 तैयो अहाँ सभ नीके कयलहुँ जे संकटक समय मे हमरा कष्ट मे सहभागी बनलहुँ। 15 यौ फिलिप्पी वासी सभ, अहाँ सभ अपने जनैत छी जे जखन अहाँ सभ शुरू मे शुभ समाचार सँ परिचित भेलहुँ आ जखन हम मकिदुनिया प्रदेश सँ विदा भेलहुँ, तँ अहाँ सभ केँ छोड़ि कोनो दोसर मण्डली लेन-देनक विषय मे हमरा संग सहभागी नहि भेल। 16 जखन हम थिसलुनिका मे छलहुँ तहियो अहाँ सभ हमर आवश्यकता पूरा करबाक लेल बेर-बेर सहायता पठौलहुँ। 17 ई बात नहि जे हम अहाँ सभ सँ दानक आशा रखैत छी, बल्कि हम ई आशा रखैत छी जे अहाँ सभक दान देबाक परिणामस्वरूप अहीं सभ केँ फल भेटय, जे अहाँ सभक खाता मे जमा होइत जाय। 18 हमरा सभ किछु भेटल आ ओ बहुत प्रशस्त अछि। अहाँ सभ एपाफ्रुदितुसक हाथेँ जे दान पठौलहुँ तकरा पाबि हमरा कोनो बातक कमी नहि रहि गेल। अहाँ सभक ई दान एक बढ़ियाँ सुगन्ध, एक ग्रहणयोग्य बलिदान अछि, जे परमेश्वर पसन्द करैत छथि। 19 हमर परमेश्वर सेहो अपन ओहि असीम महिमाक भण्डार सँ जे मसीह यीशु मे रहैत अछि, अहाँ सभक प्रत्येक आवश्यकता पूरा करताह। 20 अपना सभक पिता परमेश्वरक स्तुति युगानुयुग होइत रहनि। आमीन। 21 परमेश्वरक सभ लोक केँ जे मसीह यीशु मे छथि, हमर नमस्कार अछि। जे भाय सभ हमरा संग छथि से सभ अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि। 22 प्रभुक सभ लोकक दिस सँ जे एतऽ छथि, विशेष रूप सँ तिनका सभक दिस सँ जे सभ सम्राटक राजभवन मे काज करैत छथि, अहाँ सभ केँ नमस्कार अछि। 23 प्रभु यीशु मसीहक कृपा अहाँ सभक आत्मा मे बनल रहय।
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