Markus11 यीशु मसीहक वंशावली एहि तरहेँ अछि। ओ दाऊदक वंशज छलाह, आ दाऊद अब्राहमक वंशज । 2 अब्राहम सँ इसहाकक जन्म भेलनि। इसहाक सँ याकूबक, आ याकूब सँ यहूदा और हुनकर भाय सभक जन्म भेलनि। 3 यहूदा सँ पेरस और जेरहक जन्म भेलनि, जिनकर सभक मायक नाम तामार छलनि। पेरस सँ हेस्रोनक आ हेस्रोन सँ अरामक जन्म भेलनि। 4 अराम सँ अमीनादाबक, अमीनादाब सँ नहशोनक आ नहशोन सँ सलमोनक जन्म भेलनि। 5 सलमोन सँ बोअजक जन्म भेलनि, जिनकर माय राहाब छलीह। बोअज सँ ओबेदक जन्म भेलनि, जिनकर माय रूथ छलीह। ओबेद सँ यिशयक जन्म भेलनि। 6 यिशय सँ राजा दाऊदक जन्म भेलनि। दाऊद सँ सुलेमानक जन्म भेलनि। सुलेमानक माय पहिने उरियाहक स्त्री भेल छलीह। 7 सुलेमान सँ रेहोबामक, रेहोबाम सँ अबियाहक, और अबियाह सँ आसाक जन्म भेलनि। 8 आसा सँ यहोशाफातक, यहोशाफात सँ योरामक, आ योराम सँ उजियाहक जन्म भेलनि। 9 उजियाह सँ योतामक, योताम सँ आहाजक, और आहाज सँ हिजकियाहक जन्म भेलनि। 10 हिजकियाह सँ मनश्शेक, मनश्शे सँ आमोनक, और आमोन सँ योशियाहक जन्म भेलनि। 11 जाहि समय मे इस्राएली सभ बन्दीक रूप मे बेबिलोन देश लऽ जायल गेलाह, ताहि समय मे योशियाह सँ यकोन्याह आ हुनकर भाय सभक जन्म भेलनि। 12 इस्राएली सभ केँ बेबिलोन मे लऽ जायल गेलाक बाद यकोन्याह सँ शालतिएलक, आ शालतिएल सँ जरुब्बाबेलक जन्म भेलनि। 13 जरुब्बाबेल सँ अबीहूदक, अबीहूद सँ एलयाकीमक, और एलयाकीम सँ अजोरक जन्म भेलनि। 14 अजोर सँ सदोकक, सदोक सँ अखीमक, और अखीम सँ एलिहूदक जन्म भेलनि। 15 एलिहूद सँ एलिआजरक, एलिआजर सँ मत्तानक, और मत्तान सँ याकूबक जन्म भेलनि। 16 याकूब सँ यूसुफक जन्म भेलनि, जे मरियमक पति भेलाह, आ मरियम सँ यीशुक जन्म भेलनि जे “मसीह” कहबैत छथि। 17 एहि तरहेँ गनला सँ अब्राहम सँ दाऊद धरि चौदह पीढ़ी, दाऊद सँ बेबिलोनक बन्दी जीवन धरि चौदह पीढ़ी आ बेबिलोनक बन्दी जीवन सँ उद्धारकर्ता-मसीह धरि चौदह पीढ़ी होइत अछि। 18 यीशु मसीहक जन्मक वृत्तान्त एना अछि—हुनकर माय मरियमक विवाह यूसुफ सँ होयब निश्चित भेल रहनि। मुदा हुनका सभक वैवाहिक जीवनक सम्पर्क होयबा सँ पहिनहि मरियम परमेश्वरक पवित्र आत्मा द्वारा गर्भवती भऽ गेलीह। 19 हुनकर वर यूसुफ धार्मिक विचारक लोक होयबाक कारणेँ, मरियमक कोनो तरहक बदनामी नहि होनि, से सोचि, हुनका चुप-चाप त्यागि देबाक विचार कयलनि। 20 ओ ई बात मोने-मोन सोचिए रहल छलाह कि परमेश्वरक एकटा स्वर्गदूत सपना मे दर्शन दऽ कऽ हुनका कहलथिन जे, “हौ दाऊदक वंशज यूसुफ, तोँ मरियम केँ अपन स्त्री मानि अपना लग आनऽ सँ नहि डेराह! कारण, जे हुनका गर्भ मे छनि से परमेश्वरक पवित्र आत्माक दिस सँ छनि। 21 ओ एकटा पुत्र केँ जन्म देतीह, आ तोँ हुनकर नाम यीशु रखिहह, किएक तँ ओ अपन लोक सभ केँ ओकरा सभक पाप सँ मुक्ति देथिन।” 22 ई सभ एहि लेल भेल जे, परमेश्वरक बात पूरा होअय जे ओ अपन प्रवक्ताक माध्यम सँ कहने छलाह— 23 “देखह, एक कुमारि कन्या गर्भवती होयतीह, ओ एक पुत्र केँ जन्म देतीह आ हुनकर नाम ‘इम्मानुएल’ राखल जयतनि,” जकर अर्थ अछि, “परमेश्वर हमरा सभक संग छथि।” 24 तखन यूसुफ निन्द सँ जागि गेलाह आ परमेश्वरक स्वर्गदूतक आज्ञानुसार मरियम केँ अपना पत्नीक रूप मे अपना ओहिठाम लऽ अनलथिन। 25 ओ मरियमक संग वैवाहिक जीवनक सम्बन्ध ताबत धरि स्थापित नहि कयलनि जाबत धरि मरियम पुत्र केँ जन्म नहि दऽ देलथिन। पुत्रक जन्म भेला पर यूसुफ हुनकर नाम यीशु रखलथिन।
1 राजा हेरोदक समय मे जहिया यहूदिया प्रदेशक बेतलेहम गाम मे यीशुक जन्म भेलनि, तहिया पूब देशक ज्योतिषी सभ यरूशलेम नगर मे अयलाह। 2 ओ सभ लोक सभ सँ पुछलथिन जे, “यहूदी सभक नवजन्मल राजा कतऽ छथि? कारण, हम सभ पूब मे हुनकर तारा देखलहुँ आ हुनकर दर्शन करबाक लेल आयल छी।” 3 जखन राजा हेरोद ई समाचार सुनलनि तँ ओ अपने, आ यरूशलेमक सभ निवासी सेहो, घबड़ा गेलाह। 4 राजा हेरोद यहूदी सभक मुख्यपुरोहित लोकनि आ धर्मशिक्षक सभ केँ जमा कऽ कऽ पुछलथिन जे, “आबऽ वला उद्धारकर्ता-मसीहक जन्म कतऽ होयबाक चाहियनि?” 5 एहि पर ओ सभ कहलथिन जे, “यहूदिया प्रदेशक बेतलेहम गाम मे, कारण, धर्मशास्त्र मे परमेश्वरक प्रवक्ता ई लिखने छथि जे, 6 ‘हे बेतलेहम, यहूदिया प्रदेशक गाम! तोँ यहूदिया प्रदेशक मुख्य नगर सभ मे सँ ककरो सँ कम नहि छह। कारण, तोरा मे सँ एक शासन करऽ वलाक जन्म होयतनि, जे हमर प्रजा इस्राएलक रखबार आ बाट देखौनिहार होयताह।’” 7 तखन राजा हेरोद ज्योतिषी सभ केँ बजा कऽ एकान्त मे पूछ-ताछ कऽ एहि बातक पता लगा लेलनि जे तारा हुनका सभ केँ ठीक कोन समय मे देखाइ देने छलनि। 8 ओ हुनका सभ केँ ई कहि कऽ बेतलेहम पठौलथिन जे, “जाउ आ बालकक सम्बन्ध मे ठीक-ठीक पता लगाउ, और जखन ओ भेटि जाथि तँ हमरा खबरि करू, जाहि सँ हमहूँ जा कऽ हुनकर दर्शन करियनि।” 9 राजाक बात सुनि ओ सभ विदा भऽ गेलाह। जे तारा हुनका सभ केँ पूब मे देखाइ देने छलनि से हुनका सभक आगाँ-आगाँ बढ़ैत जाइत फेर देखाइ देलक, और जाहि घर मे ओ बालक छलाह ताहि सँ उपर पहुँचि रूकि गेल। 10 ओ सभ तारा केँ देखि अति आनन्दित भेलाह। 11 घर मे प्रवेश कऽ ओ सभ बालक केँ हुनकर माय मरियमक संग देखलथिन। ओ सभ निहुड़ि कऽ बालक केँ प्रणाम कयलथिन और अपन-अपन बाकस खोलि सोन, धूप आ सुगन्धित तेलक चढ़ौना सभ बालक केँ चढ़ौलथिन। 12 तकरबाद सपना मे परमेश्वरक ई आदेश पाबि जे, राजा हेरोद लग घूमि कऽ नहि जाउ, ओ सभ दोसर रस्ता सँ अपन देश घूमि गेलाह। 13 ज्योतिषी सभक चल गेलाक बाद परमेश्वरक एक स्वर्गदूत सपना मे यूसुफ केँ दर्शन देलथिन आ कहलथिन, “उठह, बालक आ हुनकर माय केँ लऽ कऽ एतऽ सँ भागह आ मिस्र देश मे चल जाह। जाबत तक हम घूमि अयबाक लेल नहि कहिअह ताबत ओतहि रहिहह। कारण, हेरोद एहि बालकक हत्या करबाक लेल हिनकर खोज कराबऽ वला अछि।” 14 यूसुफ उठलाह और रातिए मे बालक आ हुनकर माय केँ लऽ कऽ मिस्र देशक लेल विदा भऽ गेलाह। 15 ओ राजा हेरोदक मृत्यु तक ओतहि रहलाह। एहि तरहेँ परमेश्वर जे बात अपन प्रवक्ताक माध्यम सँ कहने छलाह से पूरा भेल जे, “हम मिस्र देश सँ अपना पुत्र केँ बजौलहुँ।” 16 जखन राजा हेरोद देखलनि जे ज्योतिषी सभ हुनका धोखा दऽ देलकनि तखन ओ क्रोध सँ भरि गेलाह। ओ ज्योतिषी सभक देल गेल सूचनाक आधार पर हिसाब लगौलनि जे बालक दू वर्षक वा ओहि सँ छोट होयबाक चाही, तेँ ओ अपना सैनिक सभ केँ पठा कऽ बेतलेहम आ ओकर लग-पास वला गाम सभक ओहि सभ बालक केँ मरबा देलनि जे सभ दू वर्षक और ओहि सँ छोट छल। 17 एहि तरहेँ परमेश्वरक प्रवक्ता यर्मियाहक माध्यम सँ कहल ई बात पूरा भेल जे, 18 “रामाह मे एक चीत्कार उठल, कन्ना-रोहटि और बड़का विलाप, राहेल अपन बालक सभक लेल कानि रहल अछि। ओ सान्त्वनाक बोल नहि सुनऽ चाहैत अछि, किएक तँ आब ओकर बेटा सभ जीवित नहि रहलैक।” 19 राजा हेरोदक मृत्युक बाद परमेश्वरक एकटा स्वर्गदूत मिस्र देश मे यूसुफ केँ सपना मे दर्शन दऽ कहलथिन, 20 “उठह, बालक आ हुनकर माय केँ लऽ कऽ इस्राएल देश चल जाह, किएक तँ जे सभ बालक केँ जान सँ मारऽ चाहैत छल से सभ आब मरि गेल अछि।” 21 यूसुफ उठलाह और बालक आ हुनकर माय केँ लऽ कऽ इस्राएल देश चल अयलाह। 22 मुदा जखन ओ सुनलनि जे अरखिलाउस अपन पिता हेरोदक मृत्युक बाद यहूदिया प्रदेश मे राज्य कऽ रहल छथि तखन ओ ओतऽ जयबा सँ डेरयलाह। ओ फेर सपना मे परमेश्वरक आदेश पाबि गलील प्रदेश चल गेलाह। 23 ओतऽ ओ नासरत नामक नगर मे रहऽ लगलाह। एहि तरहेँ परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक माध्यम सँ कहल ई बात पूरा भेल जे, “ओ नासरी कहौताह।”
1 ओहि समय मे बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना यहूदिया प्रदेशक निर्जन क्षेत्र मे आबि प्रचार करऽ लगलाह जे, 2 “अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू, कारण, स्वर्गक राज्य लग आबि गेल अछि।” 3 यूहन्ना वैह व्यक्ति छथि जिनका सम्बन्ध मे परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाह कहने छलाह, “निर्जन क्षेत्र मे केओ जोर सँ आवाज दऽ रहल अछि— ‘प्रभुक लेल मार्ग तैयार करू, हुनका लेल सोझ बाट बनाउ।’” 4 यूहन्ना ऊँटक रोंइयाँ सँ बनल वस्त्र पहिरैत छलाह। ओ डाँड़ मे चमड़ाक पट्टी बन्हने रहैत छलाह। फनिगा आ वन वला मधु हुनकर भोजन छलनि। 5 यरूशलेम, सम्पूर्ण यहूदिया प्रदेश, आ यरदन नदीक लग-पास मे पड़ऽ वला सम्पूर्ण क्षेत्रक लोक सभ हुनका लग आयल, 6 और अपन पाप स्वीकार करैत यरदन नदी मे हुनका सँ बपतिस्मा लेलक। 7 मुदा जखन यूहन्ना बहुतो फरिसी आ सदुकी पंथक लोक सभ केँ बपतिस्मा लेबाक लेल अपना लग अबैत देखलनि तँ ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हे साँपक सन्तान सभ, तोरा सभ केँ परमेश्वरक आबऽ वला क्रोध सँ बचबाक लेल के सिखौलकह? 8 तोँ सभ जँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयने छह, तँ तकर प्रमाण अपना व्यवहार द्वारा देखाबह। 9 और अपना मोन मे एना सोचि निश्चिन्त नहि रहह जे, हमर सभक कुल-पिता अब्राहम छथि, कारण, हम तोरा सभ केँ कहि दैत छिअह जे, परमेश्वर एहि पाथर सभ मे सँ अब्राहमक लेल सन्तान उत्पन्न कऽ सकैत छथि। 10 गाछक जड़ि पर कुड़हरि रखा गेल अछि। प्रत्येक गाछ जे नीक फल नहि दैत अछि से काटल आ आगि मे फेकल जायत। 11 “तोँ सभ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयने छह, तकर चिन्ह स्वरूप हम तोरा सभ केँ पानि सँ बपतिस्मा दैत छिअह, मुदा हमरा बाद मे एक गोटे आबि रहल छथि जे हमरा सँ शक्तिशाली छथि। हम हुनकर जुत्तो उठाबऽ जोगरक नहि छियनि। ओ तोरा सभ केँ पवित्र आत्मा और आगि सँ बपतिस्मा देथुन। 12 हुनका हाथ मे सूप छनि। ओ अपन खरिहानक अन्न साफ करताह और गहुम केँ बखारी मे जमा करताह, मुदा भुस्सा केँ ओ ओहि आगि मे जरौताह जे कहियो नहि मिझायत।” 13 तखन यीशु यूहन्ना सँ बपतिस्मा लेबाक लेल गलील सँ यरदन नदी लग अयलाह। 14 मुदा यूहन्ना ई कहि कऽ हुनका रोकलथिन जे, “हमरा अहीं सँ बपतिस्मा लेबाक आवश्यकता अछि, और की, अहाँ हमरा सँ लेबाक लेल आयल छी?” 15 यीशु उत्तर देलथिन, “एखन एहिना होमऽ दिअ, कारण, अपना सभक लेल यैह उचित अछि जे एही तरहेँ धार्मिकताक सभ माँग केँ पूरा करी।” तखन यूहन्ना हुनकर बात मानि लेलथिन। 16 बपतिस्मा लेलाक बाद यीशु तुरत पानि सँ बाहर अयलाह। ओही क्षण मे आकाश खुजल और ओ परमेश्वरक आत्मा केँ परबाक रूप मे अपना पर उतरैत देखलनि। 17 तखने स्वर्ग सँ ई आवाज सुनाइ पड़ल, “ई हमर प्रिय पुत्र छथि, हिनका सँ हम बहुत प्रसन्न छी।”
1 तकरबाद पवित्र आत्मा यीशु केँ निर्जन क्षेत्र मे लऽ गेलथिन जाहि सँ शैतान द्वारा हुनका सँ पाप करयबाक कोशिश कयल जानि। 2 ओहिठाम चालिस दिन आ चालिस राति उपास कयलाक बाद यीशु भुखायल छलाह। 3 जाँचऽ वला शैतान हुनका लग अयलनि आ कहलकनि, “जँ तोँ परमेश्वरक पुत्र छह तँ एहि पाथर सभ केँ रोटी बनि जयबाक आज्ञा दहक।” 4 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, ‘मनुष्य मात्र रोटी सँ नहि, बल्कि परमेश्वरक मुँह सँ निकलल प्रत्येक वचन सँ जीवित रहत।’” 5 तखन शैतान यीशु केँ पवित्र नगर मे लऽ गेलनि और मन्दिरक सभ सँ ऊँच स्थान पर ठाढ़ कऽ कऽ कहलकनि, 6 “जँ तोँ परमेश्वरक पुत्र छह तँ एतऽ सँ नीचाँ कुदि जाह। कारण, धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, ‘परमेश्वर तोरा लेल स्वर्गदूत सभ केँ आज्ञा देथिन और ओ सभ अपना कोरा मे तोरा लोकि लेथुन, जाहि सँ पयर मे पाथर सँ चोट नहि लगतह।’” 7 यीशु ओकरा कहलथिन, “इहो लिखल अछि जे, ‘अपन प्रभु-परमेश्वरक जाँच नहि करहुन।’” 8 तखन शैतान हुनका बहुत ऊँच पहाड़ पर लऽ गेलनि और ओतऽ सँ संसारक सभ राज्य आ ओकर वैभव देखबैत 9 हुनका कहलकनि, “जँ तोँ हमरा सामने निहुरबह आ हमर उपासना करबह तँ हम ई सभ तोरा दऽ देबह।” 10 यीशु ओकरा कहलथिन, “हे शैतान, हमरा सोझाँ सँ दूर हो! कारण, धर्मशास्त्र मे ई लिखल अछि जे, ‘अपना प्रभु-परमेश्वरक उपासना करहुन, और मात्र हुनके सेवा करहुन।’” 11 तकरबाद शैतान यीशु लग सँ चल गेल, और स्वर्गदूत सभ आबि कऽ हुनकर सेवा करऽ लगलथिन। 12 जखन यीशु सुनलनि जे बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना जहल मे बन्दी बना लेल गेल छथि तखन ओ गलील प्रदेश मे घूमि कऽ चल अयलाह। 13 ओ नासरत नगर केँ छोड़ि कऽ कफरनहूम नगर मे रहऽ लगलाह। ई नगर जबूलून आ नप्ताली कुलक भूमि-क्षेत्र मे झीलक कछेर पर अछि। 14 एहि तरहेँ परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाहक ई वचन पूरा भेल जे, 15 “हे जबूलून आ नप्ताली कुलक भूमि-क्षेत्र! 2 समुद्र दिस जाय वला रस्ता मे पड़ऽ वला यरदन नदीक ओहि पारक क्षेत्र, 2 गैर-यहूदी जाति सभक गलील प्रदेश! 16 जे सभ अन्हार मे बसल छल, 2 से सभ पैघ प्रकाश केँ देखलक अछि। जकरा सभ केँ मृत्युक अन्हार झँपने छलैक, 2 तकरा सभ पर इजोत चमकल अछि।” 17 ओही समय सँ यीशु प्रचार करऽ लगलाह जे, “अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू, कारण, स्वर्गक राज्य लग मे आबि गेल अछि।” 18 जखन यीशु गलील झीलक कछेर पर टहलैत छलाह तखन ओ दू भाइ केँ झील मे माछ पकड़बाक लेल जाल फेकैत देखलनि। ओ सभ मछबार छल। एकटाक नाम सिमोन, जकर दोसर नाम पत्रुस छलैक आ ओकर भायक नाम अन्द्रेयास छल। 19 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ। हम अहाँ सभ केँ मनुष्य केँ पकड़ऽ वला मछबार बना देब।” 20 ओ सभ तुरत अपन जाल छोड़ि कऽ हुनका संग भऽ गेलनि। 21 ओतऽ सँ कनेक आगाँ बढ़लाक बाद यीशु अन्य दू भाय केँ देखलनि—याकूब आ यूहन्ना। ओ सभ जबदी नामक व्यक्तिक बेटा छल आ अपना बाबूक संग नाव मे जाल सरिअबैत छल। यीशु ओकरा सभ केँ अपना संग अयबाक लेल कहलथिन। 22 ओहो सभ तुरत नाव आ अपन बाबू केँ छोड़ि कऽ यीशुक संग भऽ गेलनि। 23 यीशु सम्पूर्ण गलील प्रदेश मे घूमि-घूमि कऽ यहूदी सभक सभाघर सभ मे शिक्षा देबऽ लगलाह, परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनाबऽ लगलाह, आ लोक सभ केँ सभ तरहक बिमारी सँ छुटकारा देबऽ लगलाह। 24 एहि तरहेँ हुनकर यश सम्पूर्ण सीरिया प्रदेश मे पसरि गेलनि। लोक बिमार सभ केँ जे विभिन्न प्रकारक रोग वा कष्ट सँ पीड़ित छल, वा जकरा सभ मे दुष्टात्मा छलैक, मिर्गी सँ पीड़ित छल वा लकवा मारल छल—सभ केँ यीशु लग अनैत छल, और यीशु ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ दैत छलथिन। 25 गलील प्रदेश, “दस नगर” क्षेत्र, यरूशलेम नगर, यहूदिया प्रदेश और यरदन नदीक ओहि पारक क्षेत्र सँ लोकक विशाल भीड़ हुनका पाछाँ चलऽ लगलनि।
1 लोकक भीड़ केँ देखि कऽ यीशु पहाड़ पर चढ़ि गेलाह। ओ जखन बैसलाह तँ शिष्य सभ हुनका लग अयलथिन। 2 यीशु एहि तरहेँ हुनका सभ केँ उपदेश देबऽ लगलथिन— 3 “धन्य अछि ओ सभ जे अपना केँ आत्मिक रूप सँ असहाय बुझैत अछि, 2 किएक तँ स्वर्गक राज्य ओकरे सभक छैक। 4 धन्य अछि ओ सभ जे शोक करैत अछि, 2 किएक तँ ओ सभ सान्त्वना पाओत। 5 धन्य अछि ओ सभ जे नम्र अछि, 2 किएक तँ ओ सभ पृथ्वीक उत्तराधिकारी होयत। 6 धन्य अछि ओ सभ जे धार्मिकताक भूखल-पियासल अछि, 2 किएक तँ ओ सभ तृप्त कयल जायत। 7 धन्य अछि ओ सभ जे दयावान अछि, 2 किएक तँ ओकरा सभ पर दया कयल जयतैक। 8 धन्य अछि ओ सभ जकर हृदय शुद्ध छैक, 2 किएक तँ ओ सभ परमेश्वर केँ देखत। 9 धन्य अछि ओ सभ जे मेल-मिलाप करबैत अछि, 2 किएक तँ ओ सभ परमेश्वरक पुत्र कहाओत। 10 धन्य अछि ओ सभ जे धार्मिक रहबाक कारणेँ सताओल जाइत अछि, 2 किएक तँ स्वर्गक राज्य ओकरे सभक छैक। 11 “धन्य छी अहाँ सभ, जखन लोक सभ हमरा कारणेँ अहाँ सभ केँ अपमानित करत, सताओत और झूठ बाजि-बाजि कऽ अहाँ सभक विरोध मे लोक केँ सभ तरहक अधलाह बात कहतैक। 12 तखन खुशी होउ और आनन्द मनाउ, किएक तँ अहाँ सभक लेल स्वर्ग मे बड़का इनाम राखल अछि। एही तरहेँ लोक परमेश्वरक ओहि प्रवक्ता सभ केँ सेहो सतौने छलनि, जे सभ अहाँ सभ सँ पहिने प्राचीन समय मे छलाह। 13 “अहाँ सभ पृथ्वीक नून छी। मुदा जँ नून मे नूनक स्वाद समाप्त भऽ जाइक तँ ओ कोन वस्तु सँ फेर नूनगर बनाओल जा सकत? ओकरा फेकि देल जाय, आ लोक ओकरा पयर सँ धाँगय, से छोड़ि ओ दोसर कोन काजक रहि जायत? 14 “अहाँ सभ संसारक प्रकाश छी। पहाड़ परक नगर नुकायल नहि रहि सकैत अछि। 15 लोक डिबिया लेसि कऽ पथिया सँ नहि झँपैत अछि, बल्कि लाबनि पर रखैत अछि, और ओ डिबिया घर मे सभक लेल प्रकाश दैत छैक। 16 एहि तरहेँ अहूँ सभ अपन प्रकाश लोकक बीच चमकाउ, जाहि सँ लोक अहाँ सभक नीक काज देखि कऽ, अहाँक पिताक, जे स्वर्ग मे छथि, तिनकर स्तुति करनि। 17 “ई नहि सोचू जे हम मूसा द्वारा देल धर्म-नियम अथवा परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख सभ केँ रद्द करबाक लेल आयल छी। हम ओहि सभ केँ रद्द नहि, बल्कि पूरा करबाक लेल आयल छी। 18 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, जाबत तक आकाश आ पृथ्वी समाप्त नहि होयत, ताबत तक धर्म-नियम मे लिखल सभ बात बिनु पूरा भेने ओकर एक मात्रा वा एक बिन्दुओ नहि मेटायत। 19 जे केओ एहि आज्ञा मे सँ छोटो सँ छोट आज्ञाक उल्लंघन करत और दोसरो लोक केँ तहिना करऽ लेल सिखाओत, से स्वर्गक राज्य मे सभ सँ छोट कहाओत। मुदा जे केओ एहि आज्ञा सभक पालन करत आ दोसरो लोक केँ तहिना करऽ लेल सिखाओत, से स्वर्गक राज्य मे पैघ कहाओत। 20 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, परमेश्वरक नजरि मे धार्मिक ठहरबाक लेल जे बात आवश्यक अछि, से जँ अहाँ सभ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ सँ बढ़ि कऽ पूरा नहि करब, तँ अहाँ सभ स्वर्गक राज्य मे किन्नहुँ नहि प्रवेश करब। 21 “अहाँ सभ सुनने छी जे प्राचीन काल मे पुरखा सभ केँ कहल गेल छलनि, ‘हत्या नहि करह, और जे केओ हत्या करत तकरा कचहरी मे दण्डक योग्य ठहराओल जयतैक।’ 22 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जे केओ अपना भाय पर क्रोधो करत तकरा कचहरी मे दण्डक योग्य ठहराओल जयतैक। जे अपन भाय केँ ‘रे मूर्ख’ कहत, तकरा धर्म-महासभा मे ठाढ़ होमऽ पड़तैक, और जे केओ अपना भाय केँ सराप देत, से नरकक आगि मे खसयबा जोगरक अछि। 23 “तेँ जँ अहाँ अपन चढ़ौना प्रभुक वेदी पर अर्पण कऽ रहल छी आ ओतहि अहाँ केँ मोन पड़ल जे अहाँक भाय केँ अहाँ सँ कोनो सिकायत छैक, 24 तँ अपन चढ़ौना वेदीक कात मे राखि दिअ आ पहिने जा कऽ अपना भाय सँ मेल करू और तकरबाद आबि कऽ अपन चढ़ौना चढ़ाउ। 25 “जखन अहाँक विरोधी अहाँ केँ कचहरी मे लऽ जा रहल अछि, तँ रस्ते मे ओकरा संग जल्दी सँ मेल-मिलाप कऽ लिअ। एना नहि होअय जे विरोधी अहाँ केँ न्यायाधीशक जिम्मा मे लगा दय आ न्यायाधीश सिपाहीक जिम्मा मे, और अहाँ केँ जहल मे राखि देल जाय। 26 हम अहाँ केँ सत्य कहैत छी जे, जाबत तक अहाँ पाइ-पाइ कऽ सधा नहि देबैक, ताबत तक अहाँ ओतऽ सँ नहि छुटब। 27 “अहाँ सभ सुनने छी जे कहल गेल, ‘परस्त्रीगमन नहि करह।’ 28 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जे कोनो पुरुष कोनो स्त्री केँ अधलाह इच्छा सँ देखैत अछि, से तखने अपना मोन मे ओकरा संग परस्त्रीगमन कऽ लेलक। 29 जँ अहाँक दहिना आँखि अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा निकालि कऽ फेकि दिअ। अहाँक शरीरक एके अंग नष्ट भऽ जाओ, से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे सम्पूर्ण शरीर नरक मे फेकि देल जाय। 30 जँ अहाँक दहिना हाथ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। अहाँक शरीरक एके अंग नष्ट भऽ जाओ, से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे सम्पूर्ण शरीर नरक मे फेकि देल जाय। 31 “कहल गेल अछि जे, ‘जे पुरुष अपना स्त्री केँ तलाक दैत अछि, से तलाकनामा लिखि कऽ दैक।’ 32 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, स्त्री केँ दोसराक संग गलत शारीरिक सम्बन्ध रखबाक कारण केँ छोड़ि कऽ जँ कोनो दोसर कारण सँ कोनो पुरुष अपना स्त्री केँ तलाक दैत अछि, तँ ओ अपना स्त्री केँ परपुरुषगमन करऽ वाली बनबाक लेल विवश करैत अछि, और जे केओ ओहि तलाक देल स्त्री सँ विवाह करैत अछि, सेहो परस्त्रीगमन करैत अछि। 33 “अहाँ सभ इहो सुनने छी जे प्राचीन समयक पुरखा सभ केँ कहल गेल छलनि जे, ‘सपत खा कऽ जे वचन देलह तकरा नहि तोड़िहह, बल्कि प्रभु सँ खायल अपन सपत केँ पूरा करिहह।’ 34 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे सपत खयबे नहि करू—ने स्वर्गक नाम लऽ कऽ, कारण ओ परमेश्वरक सिंहासन छनि, 35 ने पृथ्वीक नाम लऽ कऽ, कारण ओ परमेश्वरक पयर तरक चौकी छनि, ने यरूशलेमक, कारण ओ महान् राजाक नगर छनि, 36 और ने अपन माथक, कारण अहाँ अपन एकोटा केश केँ ने तँ उज्जर आ ने कारी कऽ सकैत छी। 37 अहाँ सभ जखन ‘हँ’ कहऽ चाहैत छी, तँ बस, ‘हँ’ए कहू, जखन ‘नहि’ कहऽ चाहैत छी, तँ ‘नहि’ए कहू। एहि सँ बेसी जे किछु बजैत छी से शैतान सँ प्रेरित बात अछि। 38 “अहाँ सभ सुनने छी जे एना कहल गेल छल, ‘केओ जँ ककरो आँखि फोड़य तँ ओकरो आँखि फोड़ल जाय, आ केओ जँ ककरो दाँत तोड़य तँ ओकरो दाँत तोड़ल जाय।’ 39 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जँ कोनो दुष्ट लोक अहाँ केँ किछु करओ, तँ ओकर विरोध नहि करू। केओ जँ अहाँक दहिना गाल पर थप्पड़ मारय तँ ओकरा सामने दोसरो गाल कऽ दिऔक। 40 केओ जँ अहाँ पर मोकदमा कऽ अहाँक कुर्ता लेबऽ चाहय तँ ओकरा ओढ़नो लेबऽ दिऔक। 41 जँ केओ अहाँ सँ कोनो वस्तु जबरदस्ती एक कोस उघबाबय तँ अहाँ दू कोस उघि दिऔक। 42 जे केओ अहाँ सँ किछु मँगैत अछि तकरा दिऔक, आ जे केओ अहाँ सँ पैंच लेबऽ चाहैत अछि तकरा सँ मुँह नहि घुमाउ। 43 “अहाँ सभ सुनने छी जे एना कहल गेल छल, ‘अपना पड़ोसी सँ प्रेम करह आ अपन शत्रु सँ दुश्मनी राखह।’ 44 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, अपना शत्रु सभ सँ प्रेम करू आ अहाँ केँ जे सभ सतबैत अछि तकरा सभक लेल प्रभु सँ प्रार्थना करू। 45 तखने अहाँ स्वर्ग मे रहऽ वला अपन पिताक सन्तान बनब। कारण, ओ दुष्ट आ सज्जन दूनू पर अपन सूर्यक प्रकाश दैत छथि, आ धर्मी और अधर्मी दूनू पर वर्षा करबैत छथि। 46 “जँ अहाँ मात्र ओकरे सभ सँ प्रेम करी जे अहाँ सँ प्रेम करैत अछि तँ अहाँ केँ परमेश्वर सँ की इनाम भेटत? की कर असूल कयनिहार ठकहारो सभ एहिना नहि करैत अछि? 47 आ जँ अहाँ मात्र अपने लोक सभक कुशल-मङलक पुछारी करैत छी तँ अहाँ कोन बड़का काज करैत छी? की परमेश्वर केँ नहि चिन्हऽ वला जातिक लोक सभ सेहो एहिना नहि करैत अछि? 48 तेँ अहाँ सभ सिद्ध बनू जेना स्वर्ग मे रहऽ वला अहाँ सभक पिता परमेश्वर सिद्ध छथि।
1 “होसियार रहू, लोक केँ देखयबाक लेल अपन ‘धर्म-कर्म’ नहि करू, नहि तँ अहाँ केँ अपन पिता सँ, जे स्वर्ग मे छथि, कोनो फल नहि भेटत। 2 “अहाँ जखन गरीब सभ केँ दान दैत छी तखन तकर ढोल नहि पिटू, जेना पाखण्डी लोक सभाघर मे और रस्ता सभ मे करैत रहैत अछि, जाहि सँ लोक ओकर प्रशंसा करैक। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, लोकक प्रशंसा पाबि ओ सभ ओहि सँ बेसी कोनो इनामक बाट बेकार ताकत। 3 “मुदा अहाँ जखन दान करी तखन अहाँक ई काज एतेक गुप्त होअय जे अहाँक बामा हाथ सेहो नहि जानय जे अहाँक दहिना हाथ की कऽ रहल अछि। तखन अहाँक पिता जे गुप्त काज केँ सेहो देखैत छथि, से अहाँ केँ तकर प्रतिफल देताह। 5 “जखन परमेश्वर सँ प्रार्थना करी, तँ पाखण्डी जकाँ नहि बनू, किएक तँ ओ सभ सभाघर सभ मे आ चौक सभ पर ठाढ़ भऽ कऽ प्रार्थना कयनाइ बहुत पसन्द करैत अछि, जाहि सँ लोक ओकरा सभ केँ देखैक। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, लोक ओकरा सभ केँ देखलक, ओहि सँ बेसी ओ सभ कोनो इनामक बाट बेकार ताकत। 6 “मुदा अहाँ जखन प्रार्थना करी, तँ अपना कोठरी मे जाउ, केबाड़ बन्द करू आ अपना पिता, जिनका केओ नहि देखि सकैत छनि, तिनका सँ प्रार्थना करू। अहाँक पिता जे गुप्त काज सेहो देखैत छथि, से अहाँ केँ तकर प्रतिफल देताह। 7 प्रार्थना करैत अहाँ सभ ओहि जाति सभक लोक जकाँ जे सभ जीवित परमेश्वर केँ नहि चिन्हैत अछि रट लगा कऽ बात नहि दोहरबैत रहू। ओ सभ तँ सोचैत अछि जे बहुत बजला सँ ओकर प्रार्थना सुनल जयतैक। 8 अहाँ सभ ओकरा सभ जकाँ नहि बनू। अहाँ सभक पिता तँ अहाँ सभक मँगनाइ सँ पहिनहि बुझैत रहैत छथि जे अहाँ सभ केँ कोन वस्तुक आवश्यकता अछि। 9 तेँ एहि तरहेँ प्रार्थना करू— ‘हे हमर सभक पिता, अहाँ जे स्वर्ग मे विराजमान छी, अहाँक नाम पवित्र मानल जाय, 10 अहाँक राज्य आबय, अहाँक इच्छा जहिना स्वर्ग मे पूरा होइत अछि, तहिना पृथ्वी पर सेहो पूरा होअय। 11 हमरा सभ केँ आइ भोजन दिअ, जे दिन प्रति दिन हमरा सभक लेल आवश्यक अछि। 12 हमर सभक अपराध क्षमा करू, जहिना हमहूँ सभ अपन अपराधी सभ केँ क्षमा कयने छिऐक। 13 हमरा सभ केँ पाप मे फँसाबऽ वला बात सँ दूर राखू, और दुष्ट सँ हमरा सभक रक्षा करू। [किएक तँ राज्य, शक्ति आ महिमा युगानुयुग अहींक अछि, आमीन।] ‘ 14 अहाँ सभ जँ लोकक अपराध क्षमा करब तँ अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि सेहो अहूँ सभक अपराध क्षमा करताह। 15 मुदा अहाँ सभ जँ लोकक अपराध क्षमा नहि करबैक, तँ अहाँ सभक पिता सेहो अहाँ सभक अपराध क्षमा नहि करताह। 16 “अहाँ सभ जखन उपास करी तखन पाखण्डी सभ जकाँ मुँह लटकौने नहि रहू। कारण, ओ सभ अपन मुँह म्लान कयने रहैत अछि जाहि सँ लोक सभ बुझैक जे ओ उपास कयने अछि। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, लोक बुझलक, ओहि सँ बेसी ओ सभ कोनो इनामक बाट बेकार ताकत। 17 मुदा अहाँ जखन उपास करी तँ तेल-कुड़ लिअ आ अपन मुँह-हाथ धोउ, 18 जाहि सँ लोक नहि बुझय जे अहाँ उपास कयने छी, बल्कि मात्र अहाँक पिता, जिनका केओ नहि देखि सकैत छनि, से बुझथि। एहि सँ अहाँक पिता जे गुप्त काज केँ सेहो देखैत छथि, से अहाँ केँ प्रतिफल देताह। 19 “पृथ्वी पर अपना लेल धन जमा नहि करू जतऽ कीड़ा आ बीझ ओकरा नष्ट कऽ दैत अछि, और चोर सेन्ह काटि कऽ ओकर चोरी कऽ लैत अछि। 20 बल्कि अपना लेल स्वर्ग मे धन जमा करू, जतऽ ने कीड़ा आ ने बीझ ओकरा नष्ट करैत अछि, आ ने चोर सेन्ह काटि कऽ ओकर चोरी करैत अछि। 21 कारण, जतऽ अहाँक धन अछि ततहि अहाँक मोनो लागल रहत। 22 “शरीरक डिबिया आँखि अछि! जँ अहाँक आँखि ठीक अछि तँ अहाँक सम्पूर्ण शरीर इजोत मे रहत। 23 मुदा जँ अहाँक आँखि खराब भऽ जाय तँ अहाँक सम्पूर्ण शरीर अन्हार मे भऽ जायत, आ जँ अहाँक भितरी प्रकाश अन्हार बनि जाय तँ ई अन्हार कतेक भयंकर होयत! 24 “कोनो खबास दूटा मालिकक सेवा एक संग नहि कऽ सकैत अछि। कारण, ओ एकटा सँ घृणा करत आ दोसर सँ प्रेम, अथवा पहिल केँ खूब मानत और दोसर केँ तुच्छ बुझत। अहाँ सभ परमेश्वर आ धन-सम्पत्ति दूनूक सेवा नहि कऽ सकैत छी। 25 “एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, अपना प्राणक लेल चिन्ता नहि करू जे हम की खायब वा की पीब, आ ने शरीरक लेल चिन्ता करू जे की पहिरब। की भोजन सँ प्राण, आ वस्त्र सँ शरीर बेसी मूल्यवान नहि अछि? 26 आकाशक चिड़ै सभ केँ देखू—ओ सभ ने बाउग करैत अछि, ने कटनी करैत अछि आ ने कोठी मे अन्न रखैत अछि, मुदा तैयो अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि से ओकर सभक पालन करैत छथिन। की अहाँ सभ चिड़ै सभ सँ बहुत मूल्यवान नहि छी? 27 चिन्ता कऽ कऽ अहाँ सभ मे सँ के अपना उमेर केँ एको घड़ी बढ़ा सकैत छी? 28 “वस्त्रक लेल अहाँ चिन्ता किएक करैत छी? जंगलक फूल सभ केँ देखू जे ओ सभ कोन तरहेँ फुलाइत अछि। ओ सभ ने खटैत अछि, आ ने चर्खा कटैत अछि। 29 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, राजा सुलेमान सेहो अपन राजसी वस्त्र पहिरि कऽ एहि फूल सन सुन्दर नहि लगैत छलाह। 30 जँ परमेश्वर मैदानक घास, जे आइ अछि आ काल्हि आगि मे जराओल जायत, तकरा एहि तरहेँ हरियरी सँ भरल रखैत छथि, तँ ओ अहाँ सभ केँ आओर किएक नहि पहिरौताह-ओढ़ौताह? अहाँ सभ केँ कतेक कम विश्वास अछि! 31 “एहि लेल चिन्ता नहि करू जे हम सभ की खायब, की पीब वा की पहिरब। 32 कारण, एहि सभ बातक पाछाँ तँ परमेश्वर केँ नहि चिन्हऽ वला जातिक लोक सभ पड़ल रहैत अछि। अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि से जनैत छथि जे अहाँ सभ केँ एहि बात सभक आवश्यकता अछि। 33 बल्कि सभ सँ पहिने परमेश्वरक राज्य पर, आ परमेश्वर जाहि प्रकारक धार्मिकता अहाँ सँ चाहैत छथि, ताहि पर मोन लगाउ, तँ ई सभ वस्तु सेहो अहाँ केँ देल जायत। 34 “तेँ काल्हि की होयत तकर चिन्ता नहि करू, किएक तँ काल्हि अपन चिन्ता अपने कऽ लेत। आजुक लेल तँ अजुके दुःख बहुत अछि।
1 “ककरो दोषी नहि ठहराउ जाहि सँ अहूँ सभ दोषी नहि ठहराओल जाइ। 2 जाहि तरहेँ अहाँ दोषी ठहरायब ताहि तरहेँ अहूँ दोषी ठहराओल जायब, आ जाहि नाप सँ अहाँ नापब, सैह नाप अहूँ पर लागू होयत। 3 “अहाँ अपन भायक आँखि मेहक काठक कुन्नी किएक देखैत छी? की अपना आँखि मेहक ढेंग नहि सुझाइत अछि? 4 अहाँ अपना भाय केँ कोना कहैत छी जे, ‘आउ, हम अहाँक आँखि मे सँ कुन्नी निकालि दैत छी,’ जखन कि अहाँक अपने आँखि मे ढेंग अछि? 5 हे पाखण्डी, पहिने अपना आँखि मेहक ढेंग निकालि लिअ, तखने अपन भायक आँखि मेहक कुन्नी निकालबाक लेल अहाँ ठीक सँ देखि सकब। 6 “पवित्र वस्तु कुकुर सभ केँ नहि दिअ, आ ने अपन हीरा-मोती सुगरक आगाँ फेकू, नहि तँ एना नहि होअय जे ओ सभ पयर सँ ओकरा धाँगि दय आ घूमि कऽ अहाँ सभ केँ चीरि-फाड़ि दय। 7 “माँगू तँ अहाँ सभ केँ देल जायत। ताकू तँ अहाँ सभ केँ भेटत। ढकढकाउ तँ अहाँ सभक लेल खोलल जायत। 8 कारण, जे केओ मँगैत अछि, से प्राप्त करैत अछि; जे केओ तकैत अछि, तकरा भेटैत छैक, और जे केओ ढकढकबैत अछि, तकरा लेल खोलल जाइत छैक। 9 “की अहाँ सभ मे सँ केओ एहन लोक छी जे जँ अहाँक बेटा अहाँ सँ रोटी माँगय तँ ओकरा पाथर दिऐक? 10 वा माछ माँगय तँ साँप दिऐक? 11 जखन अहाँ सभ पापी होइतो अपना बच्चा सभ केँ नीक वस्तु सभ देनाइ जनैत छी, तँ अहाँ सभ सँ बढ़ि कऽ अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि, से मँगनिहार सभ केँ नीक वस्तु सभ किएक नहि देथिन? 12 “जेहन व्यवहार अहाँ चाहैत छी जे लोक अहाँक संग करय, तेहने व्यवहार अहूँ लोकक संग करू, किएक तँ धर्म-नियमक आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक शिक्षाक निचोड़ यैह अछि। 13 “छोट द्वारि सँ प्रवेश करू, कारण नमहर अछि ओ द्वारि आ चौरगर अछि ओ बाट जे विनाश मे लऽ जाइत अछि, और बहुतो लोक ओहि द्वारि सँ प्रवेश करैत अछि। 14 मुदा छोट अछि ओ द्वारि आ कम चौड़ा अछि ओ बाट जे जीवन मे लऽ जाइत अछि। और थोड़बे लोक ओहि द्वारि केँ ताकि पबैत अछि। 15 “ओहन लोक सँ सावधान रहू जे झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहैत अछि। ओ सभ अहाँ सभक बीच भेँड़ाक वेष मे अबैत अछि, मुदा भीतर मे ओ सभ चीरि-फाड़ि देबऽ वला जंगली जानबर अछि। 16 ओकर सभक काज सभ सँ अहाँ सभ ओकरा चिन्हि जायब। की काँटक गाछ सँ अंगूर तोड़ल जा सकैत अछि, वा कबछुआक लत्ती सँ अंजीर-फल? 17 एहि तरहेँ प्रत्येक नीक गाछ मे नीक फल आ खराब गाछ मे खराब फल फड़ैत अछि। 18 ई तँ भइए नहि सकैत अछि जे नीक गाछ मे खराब फल फड़ैक आ खराब गाछ मे नीक फल। 19 जे गाछ नीक फल नहि दैत अछि से काटि कऽ आगि मे फेकल जाइत अछि। 20 तहिना एहन लोक सभ केँ अहाँ सभ ओकर सभक काज सभ सँ चिन्हि जायब। 21 “ई बात नहि अछि जे, जतेक लोक हमरा ‘हे प्रभु, हे प्रभु’ कहैत अछि, ताहि मे सँ सभ केओ स्वर्गक राज्य मे प्रवेश करत, बल्कि मात्र वैह सभ प्रवेश करत जे सभ हमर पिता जे स्वर्ग मे छथि तिनकर इच्छानुरूप चलैत अछि। 22 न्यायक दिन बहुतो लोक हमरा कहत, ‘हे प्रभु! हे प्रभु! की हम सभ अहाँक नाम लऽ कऽ भविष्यवाणी नहि कयलहुँ? की हम सभ अहाँक नाम लऽ कऽ दुष्टात्मा सभ केँ नहि निकाललहुँ? की हम सभ अहाँक नाम लऽ कऽ अनेको चमत्कार नहि कयलहुँ?’ 23 तखन हम ओकरा सभ केँ स्पष्ट कहबैक, ‘हम तोरा सभ केँ कहियो नहि चिन्हलिऔ। है कुकर्मी सभ, भाग हमरा लग सँ!’ 24 “जे केओ हमर एहि उपदेश सभ केँ सुनैत अछि आ ओकर पालन करैत अछि, से ओहि बुद्धिमान मनुष्य जकाँ अछि जे अपन घर पाथर पर बनौलक। 25 बहुत जोरक वर्षा भेल, बाढ़ि आयल, अन्हड़-बिहारि चलल और ओहि घर सँ टकरायल, तैयो ओ घर नहि खसल, कारण ओकर न्यो पाथर पर राखल गेल छल। 26 मुदा जे केओ हमर एहि उपदेश सभ केँ सुनैत अछि आ ओकर पालन नहि करैत अछि, से ओहि मूर्ख मनुष्य जकाँ अछि, जे अपन घर बालु पर बनौलक। 27 जखन बहुत जोरक वर्षा भेल, बाढ़ि आयल, अन्हड़-बिहारि चलल आ ओहि घर सँ टकरायल तँ ओ घर खसि पड़ल आ पूरा नष्ट भऽ गेल।” 28 जखन यीशु ई उपदेशक बात सभ कहब समाप्त कयलनि तखन लोकक भीड़ हुनकर शिक्षा सँ चकित भेल, 29 कारण ओ धर्मशिक्षक सभ जकाँ नहि, बल्कि अधिकारपूर्बक उपदेश दैत छलाह।
1 यीशु जखन पहाड़ पर सँ नीचाँ उतरलाह तँ लोकक बड़का भीड़ हुनका पाछाँ चलऽ लगलनि। 2 एक कुष्ठ-रोगी हुनका लग अयलनि आ निंघुड़ि कऽ प्रणाम करैत कहलकनि, “यौ प्रभु, अहाँ जँ चाही तँ हमरा शुद्ध कऽ सकैत छी।” 3 यीशु हाथ बढ़ा कऽ ओकरा छुबैत कहलथिन, “हम अवश्य चाहैत छिअह, तोँ शुद्ध भऽ जाह।” और ओ तुरत अपन रोग सँ शुद्ध भऽ गेल। 4 यीशु ओकरा कहलथिन, “सुनह, ककरो किछु कहिअहक नहि। जाह, अपना केँ पुरोहित केँ देखाबह, आ धर्म-नियम मे लिखल मूसाक आदेश अनुसार जे चढ़ौना चढ़यबाक अछि, से चढ़ाबह। एहि तरहेँ सभक लेल गवाही रहत जे तोँ शुद्ध भऽ गेल छह।” 5 यीशु जखन कफरनहूम नगर मे प्रवेश कयलनि तँ रोमी सेनाक एकटा कप्तान आबि हुनका सँ विनती कयलथिन, 6 “हे प्रभु, हमर नोकर लकवा सँ पीड़ित भऽ घर मे पड़ल अछि आ महा कष्ट मे अछि।” 7 यीशु हुनका कहलथिन, “हम आबि ओकरा स्वस्थ कऽ देबैक।” 8 सेनाक कप्तान उत्तर देलथिन, “यौ प्रभु, हम एहि जोगरक नहि छी जे अपने हमरा घर पर आबी। अपने मात्र कहि देल जाओ आ हमर नोकर स्वस्थ भऽ जायत। 9 कारण हमहूँ शासनक अधीन मे छी, और हमरा अधीन मे सैनिक सभ अछि। हम एकटा केँ कहैत छिऐक, ‘जाह’ तँ ओ जाइत अछि आ दोसर केँ कहैत छिऐक, ‘आबह’ तँ ओ अबैत अछि। हम अपना नोकर केँ कहैत छिऐक, ‘ई काज करह’ तँ ओ करैत अछि।” 10 हुनकर बात सुनि यीशु केँ आश्चर्य भेलनि आ ओ अपना पाछाँ चलऽ वला लोक सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, हम इस्राएली सभ मे एहन विश्वास ककरो मे नहि देखलहुँ। 11 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, पूब आ पश्चिम सँ बहुत लोक आओत और अब्राहम, इसहाक आ याकूबक संग स्वर्गक राज्य मे भोज खयबाक लेल बैसत, 12 मुदा जे सभ ⌞अब्राहमक वंशज होयबाक कारणेँ⌟ राज्यक उत्तराधिकारी होयबाक चाही, से सभ बाहर अन्हार मे भगाओल जायत, जतऽ लोक कानत आ दाँत कटकटाओत।” 13 तकरबाद यीशु सेनाक कप्तान केँ कहलथिन, “जाउ, जेहन विश्वास अहाँ कयलहुँ अछि, अहाँक लेल ओहिना होयत।” ओही घड़ी हुनकर नोकर स्वस्थ भऽ गेलनि। 14 यीशु जखन पत्रुसक घर मे अयलाह तँ देखैत छथि जे पत्रुसक सासु बोखार सँ पीड़ित भऽ ओछायन पर पड़ल छथि। 15 यीशु हुनकर हाथ केँ छुबि देलथिन आ हुनकर बोखार उतरि गेलनि। ओ उठि कऽ हिनकर सेवा-सत्कार करऽ लगलीह। 16 साँझ पड़ला पर लोक सभ बहुतो लोक केँ जकरा मे दुष्टात्मा छलैक यीशु लग अनलकनि। यीशु आज्ञा दऽ कऽ ओकरा सभ मे सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालि देलथिन और सभ रोगी केँ स्वस्थ कऽ देलथिन, 17 जाहि सँ परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाहक ई वचन पूरा होअय जे, “ओ हमर सभक रोग-बिमारी अपना पर लऽ हमरा सभ सँ दूर हटा देलनि।” 18 जखन यीशु अपना चारू कात लोकक बड़का भीड़ देखलनि तँ अपना शिष्य सभ केँ झीलक ओहि पार चलबाक आदेश देलथिन। 19 तखन एकटा धर्मशिक्षक हुनका लग आबि कऽ कहलथिन, “गुरुजी, जतऽ कतौ अपने जायब, ततऽ हमहूँ अपनेक संग चलब।” 20 यीशु हुनका उत्तर देलथिन, “नढ़िया केँ सोन्हि छैक और आकाशक चिड़ै केँ खोंता, मुदा मनुष्य-पुत्र केँ मूड़िओ नुकयबाक जगह नहि छैक।” 21 केओ दोसर, हुनकर एकटा शिष्य, हुनका कहलकनि, “प्रभु, हमरा पहिने जा कऽ अपना बाबूक लास केँ गाड़ि आबऽ दिअ।” 22 यीशु ओकरा कहलथिन, “अहाँ हमरा पाछाँ आउ, आ मुरदा सभ केँ अपन मुरदा गाड़ऽ दिऔक।” 23 यीशु नाव पर चढ़लाह तँ शिष्य सभ सेहो हुनका संग विदा भेलथिन। 24 एकाएक झील मे बहुत बड़का अन्हड़-बिहारि उठल आ नाव लहरिक पानि सँ भरऽ लागल। मुदा यीशु सुतल छलाह। 25 शिष्य सभ आबि कऽ हुनका जगबैत कहलथिन, “प्रभु, हमरा सभ केँ बचाउ! हम सभ डुबऽ-डुबऽ पर छी!” 26 यीशु शिष्य सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभक विश्वास एतेक कम किएक अछि? अहाँ सभ एतेक डेरायल किएक छी?” तकरबाद यीशु उठि कऽ अन्हड़-बिहारि आ लहरि केँ डँटलथिन। अन्हड़-बिहारि थम्हि गेल आ सभ किछु एकदम शान्त भऽ गेल। 27 शिष्य सभ आश्चर्यित भऽ कहऽ लगलाह, “ई केहन मनुष्य छथि? अन्हड़-बिहारि आ लहरिओ हिनकर आदेश मानैत छनि!” 28 जखन यीशु झीलक ओहि पार गदरेनी सभक इलाका मे पहुँचलाह तँ दुष्टात्मा सँ ग्रसित दू व्यक्ति कबरिस्तान वला क्षेत्र सँ बहरा कऽ हुनका भेटलनि। ओ दूनू व्यक्ति एतेक उग्र छल जे लोक सभ डरेँ ओहि बाटे चलनाइ छोड़ि देने छल। 29 ओ दूनू चिचिया उठल, “यौ परमेश्वरक पुत्र, हमरा सभ सँ अपने केँ कोन काज? की समय सँ पहिनहि अपने हमरा सभ केँ सतयबाक लेल एतऽ आयल छी?” 30 ओहिठाम सँ कनेक दूर पर सुगरक बड़का झुण्ड चरि रहल छल। 31 दुष्टात्मा सभ यीशु सँ विनती कयलकनि, “जँ अहाँ हमरा सभ केँ भगाइए रहल छी तँ हमरा सभ केँ ओहि सुगरक झुण्ड मे पठा दिअ।” 32 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जो!” दुष्टात्मा सभ दूनू व्यक्ति मे सँ निकलि कऽ सुगरक झुण्ड मे प्रवेश कऽ गेल। सुगरक पूरा झुण्ड दौड़ि कऽ पहाड़ पर सँ झील मे खसल और डुबि कऽ मरि गेल। 33 तखन सुगर चराबऽ वला सभ भागल आ ई सभ समाचार नगर मे जा कऽ सुनाबऽ लागल। ओहि दूनू दुष्टात्मा लागल व्यक्ति केँ की भेलैक, सेहो सुनौलकैक। 34 एहि पर नगरक सभ लोक यीशु सँ भेँट करबाक लेल नगर सँ बाहर आबि गेल। यीशु केँ देखि ओ सभ हुनका सँ विनती करऽ लगलनि जे, “अहाँ हमरा सभक इलाका सँ चल जाउ।”
1 तखन यीशु नाव मे चढ़ि कऽ झील पार कयलनि आ फेर अपना नगर मे चल अयलाह। 2 किछु लोक सभ एकटा लकवा मारल आदमी केँ खाट पर लदने यीशु लग अनलकनि। यीशु ओकरा सभक विश्वास देखि लकवा मारल आदमी केँ कहलथिन, “हौ बेटा, साहस राखह, तोहर पाप माफ भेलह।” 3 ई सुनि किछु धर्मशिक्षक सभ अपना मोन मे सोचऽ लगलाह, “ई व्यक्ति तँ अपना केँ परमेश्वरक तुल्य बुझि हुनकर निन्दा करैत अछि!” 4 यीशु हुनकर सभक मोनक बात जानि कहलथिन, “अहाँ सभ अपना मोन मे अधलाह बात किएक सोचैत छी? 5 आसान की अछि—ई कहब जे, ‘तोहर पाप क्षमा भेलह’, वा ई कहब जे, ‘उठि कऽ चलह-फिरह’? 6 मुदा जाहि सँ अहाँ सभ ई बात बुझि जाइ जे मनुष्य-पुत्र केँ पृथ्वी पर पाप माफ करबाक अधिकार छनि, हम एकरा कहैत छी...” तखन ओ लकवाक रोगी केँ कहलथिन, “उठह, अपन खाट उठाबह आ घर चल जाह!” 7 ओ उठल आ घर चल गेल। 8 लोक सभ ई देखि भयभीत भेल आ एहि लेल परमेश्वरक प्रशंसा करऽ लागल जे ओ मनुष्य केँ एहन अधिकार देने छथिन। 9 ओहिठाम सँ आगाँ बढ़ला पर यीशु मत्ती नामक एक आदमी केँ कर असूल करऽ वला स्थान मे बैसल देखलथिन। यीशु हुनका कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” ओ उठि कऽ यीशुक संग चलऽ लगलथिन। 10 जखन यीशु मत्तीक घर मे भोजन करबाक लेल बैसलाह तँ बहुतो कर असूल कयनिहार आ “पापी” सभ आबि हुनका और हुनकर शिष्य सभक संग भोजन करबाक लेल बैसल। 11 ई देखि फरिसी सभ यीशुक शिष्य सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभक गुरु कर असूल कयनिहार और पापी सभक संग किएक खाइत-पिबैत छथि?” 12 यीशु हुनकर सभक बात सुनि कहलथिन, “वैद्यक आवश्यकता स्वस्थ लोक केँ नहि होइत छैक, बल्कि बिमार सभ केँ! 13 अहाँ सभ जा कऽ प्रभुक कहल एहि वचनक अर्थ सिखू जे, ‘अहाँ सभक द्वारा अर्पित चढ़ौना वा बलि-प्रदान हम नहि चाहैत छी, बल्कि अहाँ सभ दयालु बनू, से।’ हम धार्मिक सभ केँ नहि, बल्कि पापी सभ केँ बजयबाक लेल आयल छी।” 14 बपतिस्मा देनिहार यूहन्नाक शिष्य सभ यीशु लग आबि कऽ पुछलथिन, “की कारण अछि जे हम सभ आ फरिसी सभ तँ उपास करैत रहैत छी, मुदा अहाँक शिष्य सभ उपास नहि करैत छथि?” 15 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “जाबत तक वरियातीक संग वर अछि ताबत तक की वरियाती शोक मनाओत? नहि! मुदा ओ समय आओत जहिया वर ओकरा सभक बीच सँ हटा लेल जायत। ओ सभ तहिये उपास करत। 16 केओ पुरान कपड़ा पर नयाँ कपड़ाक चेफरी नहि लगबैत अछि, कारण, ओ चेफरी घोकचि कऽ पुरान कपड़ा केँ खिचत और ओ कपड़ा पहिनहु सँ बेसी फाटि जायत। 17 एहि तरहेँ लोक नव दारू पुरान चमड़ाक थैली मे नहि रखैत अछि। कारण, एना जँ करत तँ चमड़ाक थैली फाटि जयतैक; दारू बहि जयतैक, आ थैलिओ नष्ट भऽ जयतैक। नहि! नव दारू नये थैली मे राखल जाइत अछि। एहि तरहेँ दारू आ थैली दूनू सुरक्षित रहैत अछि।” 18 यीशु हुनका सभ केँ ई बात सभ कहिए रहल छलाह कि सभाघरक एक अधिकारी अयलथिन आ हुनका सामने ठेहुन रोपि कऽ कहलथिन, “हमर बेटी एखने तुरत मरि गेलि अछि, मुदा तैयो अपने चलि कऽ अपन हाथ ओकरा पर राखि देल जाओ—तँ ओ जीबि जायत।” 19 यीशु उठि कऽ अपना शिष्य सभक संग हुनका पाछाँ विदा भऽ गेलाह। 20 तखने एक स्त्री जकरा बारह वर्ष सँ खून खसऽ वला बिमारी छलैक, से पाछाँ सँ आयल आ यीशुक कपड़ाक कोर छुबि लेलक। 21 ओ अपना मोन मे सोचि रहल छलि जे, “हम जँ हुनकर कपड़ो केँ छुबि लेब तँ स्वस्थ भऽ जायब।” 22 यीशु पाछाँ घूमि कऽ ओकरा देखलनि आ कहलथिन, “बेटी, साहस राखह, तोहर विश्वास तोरा स्वस्थ कऽ देलकह।” ओ स्त्री ओही घड़ी स्वस्थ भऽ गेलि। 23 यीशु सभाघरक अधिकारीक ओहिठाम पहुँचलाह तँ ओतऽ शोक मे बाँसुरी बजौनिहार सभ आ आरो लोक सभ केँ हल्ला-गुल्ला करैत देखलथिन। 24 ओ कहलथिन, “हटै जाइ जाउ, बच्ची मरल नहि अछि; सुतल अछि।” एहि पर लोक सभ हुनका पर हँसऽ लागल। 25 लोकक भीड़ जखन बाहर कयल गेल तँ यीशु घरक भीतर गेलाह। ओ बच्चीक हाथ पकड़ि कऽ उठौलथिन और बच्ची उठि बैसलि। 26 ई समाचार ओहि प्रान्तक कोना-कोना मे पसरि गेल। 27 यीशु ओतऽ सँ आगाँ बढ़लाह तँ दू आन्हर व्यक्ति एहि तरहेँ सोर पारैत हुनका पाछाँ-पाछाँ चलऽ लगलनि जे, “यौ दाऊदक पुत्र, हमरा सभ पर दया करू!” 28 यीशु जखन घर मे गेलाह तँ ओ आन्हर व्यक्ति सभ हुनका लग अयलनि। यीशु ओकरा सभ सँ पुछलथिन, “की तोरा सभ केँ विश्वास छह जे हम ई काज कऽ सकैत छी?” ओ सभ कहलकनि, “हँ, प्रभु।” 29 तखन यीशु ओकर सभक आँखि केँ छुबैत कहलथिन, “जेहन तोहर सभक विश्वास छह तहिना तोरा सभक लेल होअह।” 30 एतबा कहैत देरी ओकर सभक आँखि ठीक भऽ गेलैक। यीशु ओकरा सभ केँ चेतावनी देलथिन जे, “सुनह, ई बात ककरो नहि कहिअहक।” 31 मुदा ओ सभ घर सँ निकलि कऽ सम्पूर्ण जिला मे हुनकर कीर्ति सुना देलकनि। 32 ओ दूनू व्यक्ति केँ घर सँ निकलिते किछु लोक दुष्टात्मा सँ ग्रसित एक बौक आदमी केँ यीशु लग अनलकनि। 33 दुष्टात्मा केँ ओकरा मे सँ निकालि देल गेलाक बाद ओ बौक आदमी बाजऽ लागल। ई देखि भीड़क लोक सभ आश्चर्यित भऽ कहऽ लागल जे, “इस्राएल मे एहन बात कहियो नहि भेल छल।” 34 मुदा फरिसी सभ कहऽ लगलाह जे, “ई दुष्टात्मा सभक मुखियाक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत अछि।” 35 यीशु नगर-नगर, गाम-गाम घुमऽ लगलाह। ओ यहूदी सभक सभाघर सभ मे उपदेश दैत छलाह, परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनबैत छलाह आ लोक सभ केँ सभ तरहक कष्ट-बिमारी सँ मुक्त करैत छलाह। 36 लोकक भीड़ केँ देखि कऽ हुनका दया होइत छलनि, कारण ओ सभ पीड़ित आ असहाय छल—ओहि भेँड़ी सभ जकाँ जकर केओ चरबाह नहि होइक। 37 तखन ओ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “पाकल फसिल तँ बहुत अछि, मुदा काटऽ वला मजदूर कम अछि। 38 तेँ खेतक मालिक सँ प्रार्थना करिऔन जे ओ अपना खेत मे आरो मजदूर पठबथि।”
1 तखन यीशु अपन बारहो शिष्य केँ बजा कऽ दुष्टात्मा सभ केँ निकालबाक और सभ तरहक रोग-बिमारी केँ ठीक करबाक अधिकार देलथिन। 2 एहि बारह मसीह-दूतक नाम एहि तरहेँ अछि—पहिल सिमोन, जिनकर पत्रुस नाम सेहो छनि, और हुनकर भाय अन्द्रेयास; जबदीक बेटा याकूब आ हुनकर भाय यूहन्ना; 3 फिलिपुस और बरतुल्मै; थोमा आ कर असूल कयनिहार मत्ती; अल्फेयासक बेटा याकूब आ तद्दै; 4 “देश-भक्त” सिमोन आ यहूदा इस्करियोती जे बाद मे यीशुक संग विश्वासघात कयलकनि। 5 एहि बारह गोटे केँ यीशु ई आज्ञा दऽ कऽ पठौलथिन जे, “गैर-यहूदी सभक बीच नहि जाउ आ सामरी सभक कोनो नगर मे प्रवेश नहि करू, 6 बल्कि इस्राएल वंशक हेरायल भेँड़ा सभ लग जाउ। 7 “जाइत-जाइत ई प्रचार करैत जाउ जे, ‘स्वर्गक राज्य लग आबि गेल अछि।’ 8 रोगी सभ केँ स्वस्थ करू, मुइल सभ केँ जिआउ, कुष्ठ-रोगी सभ केँ शुद्ध करू, लोक सभ मे सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालू। अहाँ सभ केँ जे किछु भेटल अछि से अहाँ सभ बिना मूल्य पौलहुँ, तँ अहूँ सभ बिना मूल्य दिअ। 9 अपना बटुआ मे सोन, चानी वा तामक पाइ-कौड़ी किछु नहि राखू। 10 बाटक लेल ने झोरी-झण्टा, ने दोसर अंगा, ने चप्पल आ ने लाठी, किछु नहि संग लिअ; कारण, मजदूर केँ भोजन पयबाक अधिकार छैक। 11 जाहि कोनो नगर वा गाम मे जायब, तँ एहन लोकक पता लगाउ जे शुभ समाचार सुनबाक लेल तैयार होअय, आ ताबत धरि ओही व्यक्तिक ओतऽ रहू जाबत धरि ओहि गाम सँ विदा नहि भऽ जायब। 12 घर मे पहुँचि कऽ सभ सँ पहिने शान्तिक आशीर्वाद दिअ। 13 ओ घर जँ योग्य होअय तँ अपन शान्ति ओकरा पर रहऽ दिऔक, और जँ योग्य नहि होअय तँ अपन शान्ति घुमा लिअ। 14 जँ केओ अहाँ सभक स्वागत नहि करय आ अहाँ सभ जे कहऽ चाहैत छी, से नहि सुनय, तँ ओहि घर वा ओहि नगर सँ बहरयबा काल मे अपन पयरक गर्दा झाड़ि लेब। 15 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, न्यायक दिन ओहि नगरक दशा सँ सदोम आ गमोरा नगरक दशा सहबा जोगरक रहतैक। 16 “देखू, हम अहाँ सभ केँ भेँड़ी जकाँ जंगली जानबर सभक बीच मे पठा रहल छी, तेँ अहाँ सभ साँप जकाँ होसियार आ परबा जकाँ निष्कपट बनू। 17 “लोक सभ सँ सावधान रहू। कारण, ओ सभ अहाँ सभ केँ पकड़ि कऽ पंचायत मे पंच सभक समक्ष लऽ जायत आ अपना सभाघर सभ मे अहाँ सभ केँ कोड़ा सँ पिटबाओत। 18 हमरा कारणेँ राज्यपाल आ राजा सभक समक्ष अहाँ सभ केँ ठाढ़ कयल जायत और अहाँ सभ हुनका सभक सामने आ गैर-यहूदी सभक सामने हमरा बारे मे गवाही देब। 19 मुदा जखन ओ सभ अहाँ सभ केँ पकड़बाओत तँ अहाँ सभ चिन्ता नहि करू जे हम सभ कोना बाजब वा की बाजब। जे किछु अहाँ सभ केँ बजबाक होयत, से ओही क्षण अहाँ सभ केँ मोन मे दऽ देल जायत; 20 कारण, बाजऽ वला अहाँ सभ नहि, बल्कि अहाँ सभक पिता-परमेश्वरक आत्मा होयताह। ओ अहाँ सभक द्वारा बजताह। 21 “भाय भाय केँ, बाबू अपना बेटा केँ मृत्युदण्डक लेल पकड़बाओत, आ बेटा-बेटी अपन माय-बाबूक विरोध मे ठाढ़ भऽ कऽ मरबाओत। 22 “अहाँ सभ सँ सभ केओ घृणा करत, एहि लेल जे अहाँ सभ हमर लोक छी। मुदा जे व्यक्ति अन्त तक अपना विश्वास मे स्थिर रहत से उद्धार पाओत। 23 “जखन लोक सभ अहाँ सभ केँ कोनो नगर मे सताबऽ लागत तखन अहाँ सभ भागि कऽ दोसर नगर चल जाउ। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, अहाँ सभ इस्राएल देशक सभ नगर मे अपन काज समाप्तो नहि कयने रहब, ताबत मनुष्य-पुत्र फेर आबि जयताह। 24 “चेला अपना गुरु सँ पैघ नहि होइत अछि आ ने दास अपना मालिक सँ। 25 चेला केँ अपन गुरुक बराबरि होयब आ दास केँ अपन मालिकक बराबरि होयब, एतबे बहुत अछि। जँ ओ सभ घरक मालिक केँ ‘दुष्टात्मा सभक मुखिया’ कहैत अछि तँ मालिकक परिवारक लोक केँ की की नहि कहतैक! 26 “एहि लेल ओकरा सभ सँ डेराउ नहि। एहन किछु नहि अछि जे झाँपल होअय आ उघारल नहि जायत, वा जे नुकाओल होअय आ प्रगट नहि कयल जायत। 27 जे किछु हम अहाँ सभ केँ अन्हार मे कहैत छी से अहाँ सभ इजोत मे कहू; जे किछु एकान्ती कऽ कऽ सुनने छी तकरा छत पर सँ घोषणा करू। 28 ओकरा सभ सँ नहि डेराउ जे शरीर केँ मारि दैत अछि, मुदा आत्मा केँ नहि मारि सकैत अछि, बल्कि तिनका सँ डेराउ जे आत्मा आ शरीर, दूनू केँ नरक मे नष्ट कऽ सकैत छथि। 29 बगेड़ी कतेक मे भेटैत अछि?—एक पाइ मे दूटा! तैयो एकोटा बगेड़ी सेहो अहाँ सभक पिताक इच्छाक बिना जमीन पर नहि खसैत अछि। 30 अहाँ सभक माथक एक-एकटा केशो गनल अछि। 31 तेँ अहाँ सभ डेराउ नहि। अहाँ सभ बहुतो बगेड़ी सँ मूल्यवान छी! 32 “जे केओ लोकक समक्ष हमरा अपन प्रभु मानि लेत, तकरा हमहूँ अपन स्वर्गीय पिताक समक्ष अपन लोक मानि लेबैक। 33 मुदा जे केओ लोकक समक्ष हमरा अस्वीकार करत, तकरा हमहूँ अपन स्वर्गीय पिताक समक्ष अस्वीकार करबैक। 34 “ई नहि बुझू जे हम पृथ्वी पर मेल-मिलाप करयबाक लेल आयल छी। नहि! मेल करयबाक लेल नहि, बल्कि तरुआरि चलबयबाक लेल हम आयल छी। 35 हम तँ एहि लेल आयल छी जे ‘बेटा केँ ओकर बाबूक, बेटी केँ ओकर मायक, आ पुतोहु केँ ओकर सासुक विरोधी बना दिऐक। 36 लोकक दुश्मन ओकर अपने घरक लोक होयतैक।’ 37 “जे केओ हमरा सँ बेसी अपन माय-बाबू सँ प्रेम करैत अछि, से हमर शिष्य बनबाक योग्य नहि अछि। जे केओ हमरा सँ बेसी अपन धिआ-पुता सँ प्रेम करैत अछि, से हमर शिष्य बनबाक योग्य नहि अछि। 38 आ जे केओ हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार भऽ हमरा पाछाँ नहि चलैत अछि, से हमर शिष्य बनबाक योग्य नहि अछि। 39 जे केओ अपन जीवन सुरक्षित रखैत अछि, से ओकरा गमाओत, आ जे अपन जीवन हमरा लेल गमबैत अछि, से ओकरा सुरक्षित राखत। 40 “जे केओ अहाँ सभ केँ स्वीकार करैत अछि, से हमरा स्वीकार करैत अछि, आ जे हमरा स्वीकार करैत अछि, से तिनका स्वीकार करैत छनि जे हमरा पठौने छथि। 41 जे केओ परमेश्वरक प्रवक्ता केँ एहि लेल स्वागत करत जे ओ व्यक्ति परमेश्वरक प्रवक्ता छथि, से प्रवक्ताक प्रतिफल पाओत; आ जे केओ धार्मिक व्यक्ति केँ एहि लेल स्वागत करत जे ओ धार्मिक व्यक्ति छथि, से धार्मिकक प्रतिफल पाओत। 42 जे केओ हमरा छोटो सँ छोट शिष्य सभ मे सँ ककरो एहि लेल एक लोटा ठण्ढा पानिओ पिआओत जे ओ हमर शिष्य अछि, हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, ओ अपना एहि सेवाक प्रतिफल अवश्य पाओत।”
1 यीशु अपन बारहो शिष्य केँ एहि तरहेँ आज्ञा सभ दऽ कऽ ओतऽ सँ चल गेलाह आ लग-पासक नगर सभ मे शिक्षा देबऽ लगलाह आ शुभ समाचार सुनाबऽ लगलाह। 2 जखन बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना जहल मे मसीहक काजक चर्चा सुनलनि तँ ओ अपन शिष्य सभ केँ यीशु लग ई पुछबाक लेल पठौलथिन जे, 3 “ओ जे आबऽ वला छलाह, से की अहीं छी वा हम सभ दोसराक बाट ताकू?” 4 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “जे किछु अहाँ सभ सुनैत छी आ देखैत छी, से सभ बात यूहन्ना केँ जा कऽ सुना दिऔन— 5 आन्हर सभ देखि रहल अछि, नाङड़ सभ चलि-फिरि रहल अछि, कुष्ठ-रोगी सभ स्वस्थ कयल जा रहल अछि, बहीर सभ सुनि रहल अछि, मुइल सभ जिआओल जा रहल अछि आ असहाय सभ केँ शुभ समाचार सुनाओल जा रहल छैक। 6 धन्य अछि ओ जे हमरा कारणेँ अपना विश्वास केँ नहि छोड़ैत अछि।” 7 यूहन्नाक शिष्य सभ जखन घूमि कऽ जा रहल छलाह तँ यीशु यूहन्नाक बारे मे भीड़क संग बात करैत पुछलथिन, “अहाँ सभ निर्जन क्षेत्र मे की देखबाक लेल गेल छलहुँ? हवा मे हिलैत खड़ही केँ? 8 तखन की देखऽ लेल निकलल छलहुँ? बढ़ियाँ-बढ़ियाँ वस्त्र पहिरने कोनो मनुष्य केँ? बढ़ियाँ वस्त्र पहिरऽ वला सभ तँ राजभवन मे भेटैत अछि। 9 तखन फेर, अहाँ सभ की देखबाक लेल गेल छलहुँ? की परमेश्वरक प्रवक्ता केँ? हँ, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे प्रवक्तो सँ पैघ व्यक्ति केँ देखलहुँ। 10 “ई वैह दूत छथि जिनका सम्बन्ध मे धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, प्रभु कहैत छथि, ‘देखू, अहाँ सँ पहिने हम अपन दूत पठायब, जे अहाँक आगाँ-आगाँ अहाँक बाट तैयार करत।’ 11 “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे मनुष्य सभ मे बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना सँ पैघ केओ कहियो जन्म नहि लेने अछि, तैयो स्वर्गक राज्य मे जे सभ सँ छोट अछि से हुनका सँ पैघ अछि। 12 यूहन्नाक समय सँ लऽ कऽ आइ धरि स्वर्गक राज्य जोर-तोड़ सँ आगाँ बढ़ि रहल अछि; लोक सभ रेड़म-रेड़ा कऽ कऽ स्वर्गक राज्य पर अधिकार कऽ रहल अछि। 13 किएक तँ परमेश्वरक सभ प्रवक्ता लोकनिक लेख आ धर्म-नियम सेहो यूहन्नाक समय धरि स्वर्गक राज्यक भविष्यवाणी कयने अछि। 14 आ जँ अहाँ सभ ई बात स्वीकार करबाक लेल तैयार छी, तँ सुनू, यूहन्ना ओ एलियाह छथि, जे फेर आबऽ वला छलाह। 15 जकरा कान छैक, से सुनओ। 16 “हम एहि पीढ़ीक लोकक तुलना कोन बात सँ करू? ई सभ तँ चौक-चौराहा पर खेलनिहार बच्चा सभ जकाँ अछि, जे एक-दोसर केँ सोर पारि कऽ कहैत अछि जे, 17 ‘हम सभ तँ तोरा सभक लेल बाँसुरी बजौलिऔ, मुदा तोँ सभ नचलें नहि। हम सभ विलाप कयलिऔ, मुदा तोँ सभ छाती पिटलें नहि।’ 18 “यूहन्ना लोक सभ जकाँ खाइत-पिबैत नहि अयलाह तँ अहाँ सभ कहैत छी जे, ओकरा मे दुष्टात्मा छैक। 19 मनुष्य-पुत्र खाइत-पिबैत आयल तँ अहाँ सभ कहैत छी जे, ‘यैह देखू, पेटू आ पिअक्कड़, कर असूल करऽ वला और पापी सभक संगी!’ मुदा परमेश्वरक बुद्धि ठीक अछि, से बात ओहि बुद्धिक काजे सभ सँ प्रमाणित होइत अछि।” 20 तकरबाद यीशु ओहि नगर सभ केँ, जाहि मे ओ सभ सँ बेसी चमत्कार वला काज सभ कयने छलाह, तकरा सभ केँ धिक्कारऽ लगलथिन, कारण, ओहि नगरक निवासी सभ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन नहि कयने छल। 21 “है खुराजीन नगर, तोरा धिक्कार छौक! है बेतसैदा नगर, तोरा धिक्कार छौक! किएक तँ जे चमत्कार सभ तोरा सभक बीच कयल गेल, से जँ सूर आ सीदोन नगर मे कयल गेल रहैत तँ ओ सभ बहुत पहिनहि चट्टी ओढ़ि छाउर पर बैसि कऽ हृदय-परिवर्तन कऽ लेने रहैत। 22 हम तोरा सभ केँ कहैत छिऔक जे, न्यायक दिन मे तोरा सभक अपेक्षा सूर आ सीदोन नगरक दशा सहबा जोगरक रहतैक। 23 आ तोँ, है कफरनहूम नगर! की तोँ स्वर्ग तक उठाओल जयबेँ? नहि, तोँ तँ पाताल मे खसाओल जयबेँ। कारण, जे चमत्कार सभ तोरा सभक बीच कयल गेल, से जँ सदोम नगर मे कयल गेल रहैत तँ ओ आइ धरि कायम रहैत। 24 तैयो हम तोरा कहैत छिऔक जे न्यायक दिन मे तोहर दशाक अपेक्षा सदोमक दशा सहबा जोगरक रहतैक।” 25 यीशु ओही समय मे कहलनि, “हे पिता, स्वर्ग आ पृथ्वीक मालिक, हम अहाँ केँ एहि लेल धन्यवाद दैत छी जे अहाँ ई बात सभ बुद्धिमान और विद्वान सभ सँ नुका कऽ रखलहुँ, मुदा बच्चा सभ पर प्रगट कयलहुँ। 26 हँ पिता, कारण, अहाँ केँ एही बात सँ प्रसन्नता भेल। 27 “हमरा पिता द्वारा सभ किछु हमरा हाथ मे सौंपल गेल अछि। पिता केँ छोड़ि पुत्र केँ आओर केओ नहि चिन्हैत अछि, आ तहिना पुत्र केँ छोड़ि पिता केँ आओर केओ नहि चिन्हैत छनि; हँ, मात्र पुत्र और जकरा सभ पर पुत्र हुनका प्रगट करऽ चाहय, से चिन्हैत छनि। 28 “हे थाकल आ बोझ सँ पिचायल लोक सभ, हमरा लग आउ। हम अहाँ सभ केँ विश्राम देब। 29 हमर जुआ अपना उपर उठा लिअ आ हमरा सँ सिखू, किएक तँ हम स्वभाव सँ नम्र आ दयालु छी। अहाँ सभ अपना आत्माक लेल विश्राम पायब। 30 कारण, हमर जुआ आसान अछि आ हमर भार हल्लुक।”
1 करीब ओही समय मे यीशु विश्राम-दिन कऽ अपन शिष्य सभक संग खेत दऽ कऽ जा रहल छलाह। हुनका शिष्य सभ केँ भूख लगलनि तँ ओ सभ अन्नक बालि तोड़ि-तोड़ि कऽ खाय लगलाह। 2 ई देखि फरिसी सभ यीशु केँ कहलथिन, “देखू, अहाँक शिष्य सभ ओ काज कऽ रहल अछि जे विश्राम-दिन मे करब धर्म-नियमक अनुसार मना अछि।” 3 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “की अहाँ सभ नहि पढ़ने छी जे दाऊद आ हुनकर संगी सभ जखन भुखायल छलाह तँ ओ की कयलनि? 4 ओ परमेश्वरक भवन मे प्रवेश कयलनि आ अपना संगी सभक संग परमेश्वर केँ चढ़ाओल रोटी खयलनि, जकरा खायब हुनका सभक लेल मना छल, कारण खयबाक अधिकार मात्र पुरोहिते केँ छलनि। 5 अथवा की अहाँ सभ धर्म-नियम मे नहि पढ़ने छी जे पुरोहित मन्दिर मे विश्राम-दिन कऽ मन्दिरक काज सभ कऽ कऽ विश्राम-दिनक आज्ञा केँ तोड़ैत छथि आ तैयो निर्दोष रहैत छथि? 6 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे एतऽ केओ एहन अछि जे मन्दिरो सँ पैघ अछि। 7 की अहाँ सभ धर्मशास्त्र मे लिखल परमेश्वरक बात नहि बुझैत छी जतऽ कहैत छथि जे, ‘हम अहाँ सभक द्वारा अर्पित चढ़ौना वा बलि-प्रदान नहि चाहैत छी, बल्कि अहाँ सभ दयालु बनू, से चाहैत छी।’ ? ई जँ बुझितहुँ तँ निर्दोष केँ दोषी नहि कहने रहितहुँ। 8 किएक तँ मनुष्य-पुत्र विश्रामो-दिनक मालिक छथि।” 9 ओतऽ सँ आगाँ बढ़ि यीशु हुनका सभक सभाघर मे गेलाह। 10 ओहिठाम एक व्यक्ति छल, जकर एकटा हाथ सुखायल छलैक। फरिसी सभ यीशु पर दोष लगयबाक उद्देश्य राखि हुनका सँ प्रश्न कयलनि जे, “की विश्राम-दिन मे रोगी केँ स्वस्थ करब धर्म-नियमक अनुसार उचित अछि?” 11 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ मे एहन के छी, जकरा लग एकटा भेँड़ा होइक आ ओ विश्राम-दिन कऽ जँ खधिया मे खसि पड़ैक तँ ओकरा पकड़ि कऽ बाहर नहि निकालब? 12 आ भेँड़ा सँ मनुष्य कतेक मूल्यवान अछि! तेँ विश्राम-दिन मे भलाइक काज करब उचित अछि।” 13 तकरबाद यीशु ओहि व्यक्ति केँ कहलथिन, “अपन हाथ बढ़ाबह।” ओ हाथ बढ़ौलक आ ओकर हाथ दोसर हाथ जकाँ एकदम ठीक भऽ गेलैक। 14 एहि पर फरिसी सभ बाहर चल गेलाह आ यीशु केँ कोना मारल जाय, तकर षड्यन्त्र रचऽ लगलाह। 15 मुदा यीशु से बात बुझि ओतऽ सँ चल गेलाह। बहुतो लोक हुनका पाछाँ भऽ गेलनि आ यीशु सभ रोगी केँ स्वस्थ कऽ देलथिन। 16 ओ ओकरा सभ केँ कड़गर आदेश देलथिन जे, “हमरा बारे मे प्रचार नहि करिहह।” 17 ई एहि लेल भेल जे परमेश्वरक ई वचन पूर्ण होअय जे ओ अपन प्रवक्ता यशायाहक माध्यम सँ कहने छलाह— 18 “हमर सेवक केँ देखू, जिनका हम चुनने छी, हमरा लेल अति प्रिय, जिनका सँ हमर मोन प्रसन्न अछि। हम हुनका अपन आत्मा देबनि, आ ओ सभ जातिक लोकक लेल न्यायसंगत फैसला सुनौताह। 19 ने ओ कोनो तरहक विवाद करताह आ ने चिचिअयताह, आ ने हुनकर जोर सँ बजबाक आवाज रस्ता पर ककरो सुनाइ देतैक। 20 ओ थुरायल खड़ही केँ नहि तोड़ताह, आ ने झपलाइत दीप केँ मिझौताह, जाबत तक न्याय केँ विजयी नहि कऽ देताह। 21 पृथ्वीक सभ जातिक लोक हुनके पर आशा राखत।” 22 तखन लोक सभ दुष्टात्मा सँ ग्रसित एक आदमी केँ, जे आन्हर आ बौक छल, तकरा यीशु लग अनलकनि। यीशु ओकरा स्वस्थ कऽ देलथिन और ओ तखने बाजऽ आ देखऽ लागल। 23 एहि पर ओतऽ जमा भेल लोकक भीड़ आश्चर्यित भऽ कहऽ लागल जे, “कतौ ई दाऊदक पुत्र तँ नहि छथि?!” 24 मुदा फरिसी सभ जखन लोकक ई बात सुनलनि तँ ओ सभ कहऽ लगलाह, “ओ तँ मात्र दुष्टात्मा सभक मुखिया बालजबूलक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत अछि।” 25 यीशु हुनकर सभक मोनक विचार जानि कहलथिन, “जाहि राज्य मे फूट पड़ि जाय से नष्ट भऽ जायत, आ जाहि नगर वा घर मे फूट भऽ जाय से नहि टिकत। 26 जँ शैताने शैतान केँ निकालऽ लागत तँ मतलब भेल जे ओकरा मे फूट भऽ गेलैक, तखन ओकर राज्य कोना टिकल रहतैक? 27 ठीक अछि, जँ हम बालजबूलक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत छी तँ अहाँ सभक लोक ककरा शक्ति सँ निकालैत अछि? वैह सभ अहाँ सभक फैसला करत। 28 मुदा जँ हम परमेश्वरक आत्माक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत छी तँ परमेश्वरक राज्य अहाँ सभक बीच आबि गेल अछि, से जानि लिअ। 29 “वा कोनो डकैत, बलगर आदमीक घर मे पैसि कऽ जाबत तक ओ ओकरा बान्हि कऽ काबू मे नहि कऽ लेत, की ताबत तक ओकर सम्पत्ति लुटि कऽ लऽ जा सकत? बान्हि कऽ काबू मे कयलाक बादे ओकरा लुटि सकैत अछि। 30 “जे केओ हमरा संग नहि अछि, से हमरा विरोध मे अछि। आ जे केओ हमरा संग जमा नहि करैत अछि, से छिड़िअबैत अछि। 31 तेँ हम अहाँ सभ केँ कहि दैत छी जे मनुष्यक सभ तरहक पाप आ निन्दाक बात क्षमा कयल जयतैक मुदा पवित्र आत्माक विरोध मे कयल निन्दाक बात क्षमा नहि कयल जयतैक। 32 मनुष्य-पुत्रक विरोध मे जँ केओ किछु बाजत, तँ ओकरा क्षमा कयल जयतैक। मुदा जँ केओ पवित्र आत्माक विरोध मे बाजत, तँ ओकरा ने एहि युग मे आ ने आबऽ वला युग मे क्षमा भेटतैक। 33 “कोनो गाछ केँ नीक बुझैत छी तँ ओकर फल केँ सेहो नीक बुझू, अथवा ओकरा खराब बुझैत छी तँ ओकर फल केँ सेहो खराब बुझू, किएक तँ गाछ अपन फले सँ चिन्हल जाइत अछि। 34 “है साँपक सन्तान सभ, अहाँ सभ दुष्ट भऽ नीक बात बाजि कोना सकैत छी? कारण, जे किछु ककरो हृदय मे भरल अछि, सैह मुँह सँ बहराइत छैक। 35 नीक मनुष्यक मोन मे नीके बातक भण्डार रहैत छैक आ ओ अपन भण्डार मे सँ नीक वस्तु सभ बाहर करैत अछि। अधलाह मनुष्यक मोन मे अधलाहे बातक भण्डार रहैत छैक आ ओ अपन भण्डार मे सँ अधलाह वस्तु सभ बाहर करैत अछि। 36 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, मनुष्य जे कोनो व्यर्थक बात बाजत, न्यायक दिन मे ओकरा तकर हिसाब देबऽ पड़तैक, 37 किएक तँ अहाँ अपन कहल बातक द्वारा निर्दोष और अपन कहल बातक द्वारा दोषी ठहराओल जायब।” 38 एहि पर किछु धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ यीशु केँ कहलथिन, “यौ गुरुजी, हम सभ अहाँ सँ कोनो चमत्कार वला चिन्ह देखऽ चाहैत छी।” 39 यीशु उत्तर देलथिन, “एहि पीढ़ीक लोक सभ कतेक दुष्ट आ विश्वासघाती अछि जे चमत्कारपूर्ण चिन्ह मँगैत अछि! मुदा जे घटना परमेश्वरक प्रवक्ता योनाक संग भेल छलनि, से चिन्ह छोड़ि एकरा सभ केँ आओर कोनो चिन्ह नहि देखाओल जयतैक। 40 जाहि तरहेँ योना तीन दिन आ तीन राति विशाल माछक पेट मे रहलाह, तहिना मनुष्य-पुत्र तीन दिन आ तीन राति पृथ्वीक पेट मे रहत। 41 निनवे नगरक लोक सभ न्यायक दिन मे एहि पीढ़ीक लोकक संग ठाढ़ भऽ एकरा सभ केँ दोषी ठहराओत, किएक तँ निनवे नगरक लोक सभ योनाक प्रचारक बात सुनि अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयलक, आ देखू, एतऽ एखन केओ एहन अछि जे योनो सँ महान् अछि। 42 न्यायक दिन मे दक्षिण देशक रानी एहि पीढ़ीक लोकक संग ठाढ़ भऽ एकरा सभ केँ दोषी ठहरौतीह, किएक तँ ओ सुलेमान राजाक बुद्धिक बात सुनबाक लेल पृथ्वीक दोसर कात सँ अयलीह, आ देखू, एतऽ एखन केओ अछि जे सुलेमानो सँ महान् अछि। 43 “दुष्टात्मा जखन कोनो मनुष्य मे सँ बहरा जाइत अछि तँ ओ निर्जन-स्थान मे आराम करबाक स्थानक खोज मे घुमैत रहैत अछि, मुदा ओकरा भेटैत नहि छैक। 44 तखन ओ कहैत अछि जे, ‘हम अपन पहिलुके घर मे, जतऽ सँ बहरा कऽ आयल छलहुँ, ततहि फेर जायब।’ तँ ओ जखन ओहिठाम पहुँचैत अछि तँ देखैत अछि जे ओहि घर मे केओ नहि अछि, घर झाड़ल-बहारल अछि, आ सभ वस्तु ढंग सँ राखल अछि। 45 तखन ओ जा कऽ अपनो सँ दुष्टाह सातटा आरो दुष्टात्मा केँ अपना संग लऽ अनैत अछि आ ओहि घर मे अपन डेरा खसा लैत अछि। एहि तरहेँ ओहि मनुष्यक ई दशा पहिलुको दशा सँ खराब भऽ जाइत छैक। एहि भ्रष्ट पीढ़ीक लोकक संग सेहो तहिना होयतैक।” 46 यीशु लोकक भीड़ सँ बात करिते छलाह कि हुनकर माय आ भाय सभ ओतऽ पहुँचलाह आ हुनका सँ गप्प करबाक लेल बाहर ठाढ़ रहलाह। 47 केओ यीशु केँ कहलकनि जे, “देखू, अहाँक माय आ भाय सभ बाहर ठाढ़ छथि आ अहाँ सँ बात करऽ चाहैत छथि।” 48 यीशु ओकरा उत्तर देलथिन, “के छथि हमर माय? के सभ छथि हमर भाय?” 49 तखन अपना शिष्य सभक दिस हाथ सँ इसारा करैत कहलनि, “देखू, यैह सभ हमर माय आ हमर भाय सभ छथि। 50 जे केओ हमर पिता, जे स्वर्ग मे छथि, तिनकर इच्छाक अनुसार चलैत छथि, वैह हमर भाय, हमर बहिन, हमर माय छथि।”
1 ओही दिन यीशु घर सँ बहरा कऽ झीलक कछेर पर जा कऽ बैसलाह। 2 हुनका लग लोकक एतेक विशाल भीड़ आबि कऽ जमा भऽ गेल जे ओ नाव पर चढ़ि कऽ बैसलाह आ लोकक भीड़ झीलक कछेर पर ठाढ़ रहल। 3 यीशु विभिन्न तरहक दृष्टान्त सभक द्वारा लोक सभ केँ बहुतो बात सभ कहलथिन। ओ कहलथिन, “एक किसान बीया बाउग करबाक लेल गेल। 4 बीया बाउग करैत काल किछु बीया रस्ताक कात मे खसल आ चिड़ै सभ आबि ओकरा खा लेलकैक। 5 किछु बीया पथराह जमीन पर खसल जतऽ बेसी माटि नहि होयबाक कारणेँ ओ जल्दी जनमि गेल। 6 मुदा रौद लगिते ओ झरकि गेल आ जड़ि नहि पकड़ि सकबाक कारणेँ सुखा गेल। 7 फेर दोसर बीया काँट-कुशक बीच मे खसल मुदा काँट-कुश बढ़ि कऽ ओकरा दबा देलकैक। 8 किछु बीया नीक जमीन पर पड़ल आ फड़ल-फुलायल, कोनो सय गुना फसिल देलक, कोनो साठि गुना आ कोनो तीस गुना। 9 जकरा कान होइक, से सुनओ।” 10 यीशुक शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ पुछलथिन, “अहाँ लोक सभ सँ दृष्टान्त सभ मे किएक बात करैत छी?” 11 यीशु उत्तर देलथिन, “स्वर्गक राज्य जे अछि तकर रहस्यक ज्ञान तँ अहाँ सभ केँ देल गेल अछि, मुदा एकरा सभ केँ नहि देल गेल छैक। 12 तेँ जकरा छैक तकरा आओर देल जयतैक आ ओकरा लग बहुते भऽ जयतैक। मुदा जकरा नहि छैक तकरा सँ जेहो छैक सेहो लऽ लेल जयतैक। 13 हम एकरा सभ सँ दृष्टान्त सभ मे एहि लेल बात करैत छी जे, ‘ई सभ तकितो देखैत नहि अछि; आ सुनितो ने सुनैत अछि आ ने बुझैत अछि।’ 14 एकरा सभ मे यशायाहक ई भविष्यवाणी पूरा होइत अछि जे, ‘तोँ सभ सुनैत तँ रहबह मुदा बुझबह नहि, तोँ सभ देखैत तँ रहबह मुदा देखाइ देतह नहि।’ 15 ‘कारण, एहि लोक सभक मोन मे ठेला पड़ि गेल छैक, ई सभ कान सँ उच्च सुनैत अछि, ई सभ अपन आँखि मुनि लेने अछि, जाहि सँ कतौ एना नहि होअय जे 2 आँखि सँ देखय, 2 कान सँ सुनय, 2 मोन सँ बुझय, 2 आ घूमि कऽ हमरा लग आबय, 2 आ हम ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ दिऐक।’ 16 “मुदा धन्य छी अहाँ सभ जे आँखि सँ देखैत छी आ कान सँ सुनैत छी। 17 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, अपना समय मे परमेश्वरक एहन बहुतो प्रवक्ता आ धार्मिक लोक सभ रहथि जे सभ चाहलनि जे, जाहि बात सभ केँ अहाँ सभ देखि रहल छी, तकरा देखी, मुदा नहि देखलनि; और जाहि बात सभ केँ अहाँ सभ सुनि रहल छी, से सुनी, मुदा नहि सुनलनि। 18 “आब अहाँ सभ बाउग कयनिहार वला दृष्टान्तक अर्थ सुनू। 19 जखन केओ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनैत अछि मुदा बुझैत नहि अछि, तखन शैतान आबि कऽ जे किछु ओकरा हृदय मे बाउग कयल गेल रहैत अछि से ओकरा सँ छिनि कऽ लऽ लैत अछि। ई वैह बीया भेल जे रस्ताक कात मे बाउग कयल गेल छल। 20 पथराह जमीन पर बाउग कयल बीया ओ व्यक्ति भेल जे परमेश्वरक शुभ समाचार सुनि कऽ तुरत आनन्दपूर्बक ओकरा ग्रहण कऽ लैत अछि, 21 मुदा ओ वचन ओकरा मे जड़ि नहि पकड़ैत छैक आ ओ कनेके काल स्थिर रहैत अछि। जखन शुभ समाचारक कारणेँ ओकरा कष्ट सहऽ पड़ैत छैक वा ओकरा संग अत्याचार होमऽ लगैत छैक तँ ओ तुरत विश्वास केँ छोड़ि दैत अछि। 22 काँट-कुशक बीच खसल बीया ओ मनुष्य भेल जे शुभ समाचार केँ सुनैत अछि मुदा सांसारिक चिन्ता आ धन-सम्पत्तिक मोह-माया ओहि शुभ समाचार केँ दबा दैत छैक और ओ वचन ओकरा जीवन मे कोनो फल नहि दैत अछि। 23 नीक जमीन मे बाउग कयल बीया ओ सभ अछि जे सभ शुभ समाचार सुनैत अछि और बुझैत अछि। ओ फड़ि-फुला कऽ फसिल दैत अछि, केओ सय गुना, केओ साठि गुना आ केओ तीस गुना।” 24 यीशु लोक सभक समक्ष दोसर दृष्टान्त रखलनि जे, “स्वर्गक राज्यक तुलना ओहि मनुष्य सँ कयल जा सकैत अछि जे अपना खेत मे नीक बीया बाउग कयलनि। 25 मुदा जखन सभ केओ सुति रहल छल तखन हुनकर दुश्मन अयलनि आ ओहि बाउग कयल गहुमक खेत मे जंगली बीया बाउग कऽ चल गेल। 26 जखन बाउग कयल गहुमक बीया जनमल आ ओहि मे बालि निकलल तखन जंगलिआ घास सेहो देखाइ देलक। 27 ई देखि नोकर सभ मालिक केँ कहलकनि, ‘मालिक, की अपने अपना खेत मे बढ़ियाँ बीया बाउग नहि कयने छलहुँ? तँ एहि मे जंगलिआ घास कतऽ सँ आबि गेल?’ 28 मालिक कहलथिन, ‘ई कोनो दुश्मनक काज अछि!’ नोकर सभ कहलकनि, ‘तँ की, ओकरा उखाड़ि दिऐक?’ 29 ओ कहलथिन, ‘नहि। कतौ एना नहि भऽ जाओ जे जंगलिआ घास उखाड़ैत काल तोँ सभ गहुमोक गाछ सभ केँ उखाड़ि दहक। 30 गहुम कटयबाक समय तक दूनू केँ संग-संग बढ़ऽ दहक। कटनी करयबाक समय मे हम कटनिहार सभ केँ कहबैक जे, पहिने जंगलिआ घासक गाछ सभ केँ जमा कऽ कऽ जरयबाक लेल बोझ बान्हि लैह, तखन गहुम केँ हमरा बखारी मे जमा करह।’” 31 यीशु लोक सभ केँ एक आओर दृष्टान्त दैत कहलथिन, “स्वर्गक राज्य सरिसोक दाना जकाँ अछि, जकरा केओ लेलक आ अपना खेत मे बाउग कऽ देलक। 32 दाना सभ मे सरिसोक दाना सभ सँ छोट होइत अछि मुदा जनमि कऽ बढ़लाक बाद सभ साग-पात सँ पैघ भऽ तेहन गाछ भऽ जाइत अछि जे आकाशक चिड़ै सभ आबि कऽ ओकरा ठाढ़ि-पात मे अपन खोंता बना लैत अछि।” 33 यीशु एकटा आओर दृष्टान्त ओकरा सभ केँ देलथिन— “स्वर्गक राज्य रोटी फुलाबऽ वला खमीर जकाँ अछि, जकरा एक स्त्री तीन पसेरी आँटा मे मिला कऽ सनलक; बाद मे खमीरक शक्ति सँ पूरा आँटा फुलि गेलैक।” 34 यीशु अपना लग जमा भेल लोकक भीड़ केँ ई सभ बात दृष्टान्त दऽ-दऽ कऽ कहलथिन। बिनु दृष्टान्त देने ओ ओकरा सभ केँ किछु नहि कहलथिन। 35 ओ एहि लेल एना बात कयलनि जे परमेश्वरक प्रवक्ता द्वारा कहल वचन पूरा होअय— “हम दृष्टान्त सभ दऽ-दऽ कऽ बाजब, सृष्टिक आरम्भ सँ जे बात सभ झाँपल छल से हम कहब।” 36 तकरबाद यीशु लोकक भीड़ केँ छोड़ि कऽ घर मे चल अयलाह। शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ कहलथिन, “खेत मे बाउग कयल जंगलिआ बीयाक दृष्टान्त वला बात केँ हमरा सभ केँ बुझा दिअ।” 37 ओ हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “नीक बीया बाउग कयनिहार छथि मनुष्य-पुत्र। 38 खेत अछि संसार, आ नीक बीया अछि परमेश्वरक राज्यक सन्तान सभ। जंगलिआ बीया अछि दुष्ट शैतानक सन्तान सभ। 39 जंगलिआ बीया बाउग करऽ वला दुश्मन अछि शैतान। कटनीक समय अछि संसारक अन्त आ कटनी कयनिहार सभ छथि स्वर्गदूत सभ। 40 “जाहि तरहेँ जंगलिआ घास केँ जमा कऽ कऽ आगि मे जराओल जाइत अछि तहिना संसारक अन्त मे सेहो कयल जायत। 41 मनुष्य-पुत्र अपना स्वर्गदूत सभ केँ पठौताह आ ओ सभ हुनका राज्य मे सँ सभ प्रकारक पाप मे फँसाबऽ वला बात सभ केँ उखाड़ि कऽ आ कुकर्मी सभ केँ जमा कऽ कऽ 42 आगिक भट्ठी मे फेकि देताह, जतऽ लोक कानत आ दाँत कटकटाओत। 43 तखन धर्मी सभ अपना पिताक राज्य मे सूर्य जकाँ चमकताह। जकरा कान होइक, से सुनओ। 44 “स्वर्गक राज्य खेत मे गाड़ल धन जकाँ अछि, जकरा कोनो मनुष्य पौलक आ फेर माटि सँ झाँपि देलक। ओ एतेक खुश भेल जे ओ अपन सभ धन-सम्पत्ति बेचि कऽ ओहि खेत केँ किनि लेलक। 45 “फेर, स्वर्गक राज्य ओहि व्यापारी सन अछि जे नीक मोतीक खोज मे छल। 46 जखन ओकरा एक बहुत बहुमूल्य मोती भेटलैक तँ जा कऽ अपन सभ किछु बेचि देलक आ ओहि मोती केँ किनि लेलक। 47 “फेर दोसर दृष्टिएँ स्वर्गक राज्य ओहि महाजाल सन अछि जे समुद्र मे खसाओल गेल आ सभ प्रकारक माछ ओहि मे घेरायल। 48 जखन जाल भरि गेल तँ लोक सभ ओकरा कछेर पर अनलक आ बैसि कऽ नीक माछ सभ केँ डाली मे जमा कयलक मुदा खराब माछ सभ केँ फेकि देलक। 49 एहि संसारक अन्त मे सेहो एहिना होयतैक। स्वर्गदूत सभ आबि कऽ दुष्ट सभ केँ धर्मी सभ सँ अलग करताह 50 आ आगिक भट्ठी मे फेकि देताह, जतऽ लोक कानत आ दाँत कटकटाओत।” 51 तखन यीशु शिष्य सभ सँ पुछलथिन, “की अहाँ सभ ई बात सभ बुझलहुँ?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “हँ।” 52 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “तेँ प्रत्येक व्यक्ति जे धर्मशास्त्र केँ बुझैत अछि आ जे स्वर्गक राज्यक शिष्य बनल अछि, से ओहि गृहस्थ जकाँ अछि जे अपन भण्डार घर मे सँ नव आ पुरान दूनू तरहक किमती वस्तु सभ निकालि सकैत अछि।” 53 यीशु ई दृष्टान्त सभ देलाक बाद ओतऽ सँ चल गेलाह। 54 ओ अपना गाम मे आबि कऽ सभाघर मे लोक सभ केँ उपदेश देबऽ लगलाह। लोक सभ हुनकर उपदेशक बात सभ सुनि आश्चर्यित भऽ गेल आ बाजल जे, “एकरा एहि तरहक बुद्धि आ चमत्कार करबाक सामर्थ्य कतऽ सँ भेटलैक? 55 की ई लकड़ी मिस्तिरीक बेटा नहि अछि? की एकर मायक नाम मरियम नहि छैक? आ एकर भाय सभ याकूब, यूसुफ, सिमोन, आ यहूदा नहि अछि? 56 की एकर बहिन सभ अपना सभक बीच नहि रहैत अछि? तखन एकरा ई बात सभ भेटलैक कतऽ सँ?” 57 एहि तरहेँ लोक यीशु सँ डाह करऽ लागल। तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “मात्र अपने गाम आ अपने घर मे परमेश्वरक प्रवक्ताक अनादर होइत छैक।” 58 और ओकरा सभक अविश्वासक कारणेँ यीशु ओतऽ बहुत कम चमत्कार वला काज सभ कयलनि।
1 ओहि समय मे ओहि प्रदेशक शासक हेरोद यीशुक काज सभक चर्चा सुनलनि। 2 ओ अपन दरबारी सभ केँ कहलनि, “ई तँ बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना अछि! ओ मुइल सभ मे सँ जीबि उठल अछि, आ तेँ चमत्कार करबाक एहन सामर्थ्य ओकरा मे क्रियाशील अछि।” 3 यूहन्ना हेरोद द्वारा कोना मरबाओल गेल छलाह से घटना एहि प्रकारेँ अछि—हेरोद अपन भाय फिलिपुसक स्त्री हेरोदियासक कारणेँ यूहन्ना केँ पकड़बा कऽ बन्हबौने छलथिन आ जहल मे राखि देने छलथिन, 4 किएक तँ यूहन्ना हेरोद केँ बेर-बेर कहने छलथिन जे, “अहाँ भायक स्त्री केँ राखि कऽ धर्म-नियमक आज्ञाक उल्लंघन कऽ रहल छी।” 5 हेरोद यूहन्ना केँ मारि देबऽ चाहैत छलाह, मुदा ओ लोक सभ सँ डेराइत छलाह, किएक तँ लोक सभ यूहन्ना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता मानैत छलनि। 6 मुदा जखन हेरोदक जन्म-दिन अयलनि तँ हेरोदियासक बेटी अतिथि सभक सामने नाँचि कऽ हेरोद केँ ततेक ने प्रसन्न कऽ देलकनि 7 जे ओ सपत खाइत ओकरा वचन देलथिन जे, “तोँ जे किछु हमरा सँ मँगबह, से हम तोरा देबह।” 8 बच्चीक माय ओकरा सिखा-पढ़ा कऽ कहबौलकैक जे, “हमरा बपतिस्मा देनिहार यूहन्नाक मूड़ी एखने थारी मे अनबा दिअ।” 9 ई सुनि राजा उदास भऽ गेलाह, मुदा तैयो अपन सपत आ उपस्थित आमन्त्रित सभक कारणेँ ओ आज्ञा देलनि जे ओकर माँग पूरा कयल जाय। 10 ओ सिपाही केँ पठा कऽ जहल मे यूहन्नाक मूड़ी कटबा देलथिन। 11 यूहन्नाक मूड़ी एकटा थारी मे आनल गेल आ बच्ची केँ दऽ देल गेलैक। ओ लऽ कऽ चलि गेल और अपना माय केँ दऽ देलकैक। 12 यूहन्नाक शिष्य सभ अयलाह आ अपन गुरुक लास लऽ जा कऽ कबर मे राखि देलथिन। तकरबाद जा कऽ ई समाचार यीशु केँ सुनौलथिन। 13 यीशु ई समाचार सुनि एकटा नाव पर बैसि कऽ चुप-चाप कोनो एकान्त स्थानक लेल विदा भऽ गेलाह। लोक सभ जखन ई बात बुझलक तँ नगर-नगर सँ बहुतो लोक पैदले हुनका पाछाँ विदा भऽ गेल। 14 यीशु जखन नाव सँ उतरलाह आ लोकक बड़का भीड़ केँ जमा देखलनि तँ हुनका ओहि लोक सभ पर दया आबि गेलनि और ओकरा सभ मे जे रोगी-बिमार सभ छलैक तकरा सभ केँ ओ स्वस्थ कऽ देलथिन। 15 जखन साँझ पड़ऽ लागल तँ यीशुक शिष्य सभ हुनका लग आबि कहलथिन, “ई जगह बस्ती सँ दूर अछि आ साँझ पड़ऽ वला अछि, तेँ एकरा सभ केँ विदा कऽ दिऔक जाहि सँ ई सभ लग-पासक गाम सभ मे जा कऽ अपना लेल किछु खयबाक वस्तु किनि सकत।” 16 मुदा यीशु शिष्य सभ केँ उत्तर देलथिन, “एकरा सभ केँ एतऽ सँ पठयबाक कोनो आवश्यकता नहि अछि। अहीं सभ एकरा सभ केँ भोजन करबिऔक।” 17 शिष्य सभ कहलथिन, “हमरा सभ लग, बस, पाँचेटा रोटी आ दुइएटा माछ अछि।” 18 यीशु कहलथिन, “ओ सभ हमरा लग आनू।” 19 तकरबाद ओ लोक सभ केँ घास पर बैसि जयबाक आज्ञा देलथिन। ओहि पाँचटा रोटी आ दूटा माछ केँ ओ हाथ मे लेलनि और स्वर्ग दिस तकैत परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। तखन ओ रोटी केँ तोड़ि-तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ शिष्य सभ लोक सभ मे परसि देलनि। 20 सभ केओ भरि इच्छा भोजन कयलक और शिष्य सभ जखन उबरल टुकड़ा सभ बिछलनि तँ ओ बारह पथिया भेल। 21 भोजन करऽ वला मे स्त्रीगण आ बच्चा सभ केँ छोड़ि पुरुषक संख्या लगभग पाँच हजार छल। 22 तकरबाद यीशु अपना शिष्य सभ केँ तुरत नाव पर चढ़ि कऽ अपना सँ पहिने झीलक ओहि पार चल जयबाक लेल आज्ञा देलथिन आ अपने ओतहि रहि कऽ भीड़क लोक सभ केँ विदा करऽ लगलाह। 23 लोक सभ केँ विदा कयलाक बाद ओ एकान्त मे प्रार्थना करऽ लेल पहाड़ पर चल गेलाह। साँझ पड़ि गेल छल आ ओ ओतऽ एसगरे छलाह। 24 शिष्य सभ जाहि नाव पर गेल छलाह से कछेर सँ दूर पहुँचि लहरि मे डगमग कऽ रहल छल, किएक तँ हवा विपरीत दिस सँ बहि रहल छलैक। 25 यीशु रातिक चारिम पहर मे झीलक पानि पर चलैत शिष्य सभक दिस गेलाह। 26 मुदा शिष्य सभ हुनका पानि पर चलैत देखि घबड़ा गेलाह आ कहलनि जे, “भूत अछि!” और डरक मारे चिचियाय लगलाह। 27 एहि पर यीशु हुनका सभ केँ तुरत कहलथिन, “साहस राखू! हम छी, नहि डेराउ।” 28 तखन पत्रुस हुनका कहलथिन, “यौ प्रभु, जँ अहीं छी तँ हमरा पानि पर चलैत अपना लग अयबाक आज्ञा दिअ।” 29 यीशु कहलथिन, “आउ।” तखन पत्रुस नाव सँ उतरि कऽ पानि पर चलैत यीशुक दिस बढ़लाह। 30 मुदा जखन देखलनि जे हवा कतेक जोर सँ बहि रहल अछि तँ डेरा गेलाह आ डुबऽ लगलाह। ओ चिचियाइत बजलाह जे, “यौ प्रभु, हमरा बचाउ!” 31 यीशु तुरत हाथ बढ़ा कऽ हुनका पकड़ि लेलथिन आ कहलथिन, “अहाँक विश्वास एतेक कम किएक भऽ गेल! अहाँ सन्देह किएक कयलहुँ?” 32 तकरबाद जखन ओ सभ नाव पर चढ़ि गेलाह तँ हवाक बहनाइ शान्त भऽ गेल। 33 जे सभ नाव पर छलाह, से सभ हुनका पयर पर खसैत कहलथिन, “निश्चय अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी।” 34 झील केँ पार कऽ कऽ ओ सभ गन्नेसरत क्षेत्र मे पहुँचलाह। 35 ओहिठामक लोक सभ जखन हुनका चिन्हि लेलकनि तँ अपना लग-पासक इलाका मे यीशुक पहुँचबाक समाचार पसारि देलक। लोक सभ अपन सभ रोगी-बिमार केँ हुनका लग आनऽ लगलनि 36 और हुनका सँ नेहोरा करऽ लगलनि जे, “एकरा सभ केँ अहाँ अपन कपड़ाक खूटो छुबऽ दिऔक।” जे-जे रोगी-बिमार सभ यीशुक कपड़ा छुबि लेलक से सभ स्वस्थ भऽ गेल।
1 तकरबाद यरूशलेम सँ किछु फरिसी आओर धर्मशिक्षक सभ यीशु लग अयलाह आ कहलथिन, 2 “अहाँक शिष्य सभ पुरखाक चलन सभ केँ किएक तोड़ैत अछि? ओ सभ भोजन करऽ सँ पहिने विधिवत हाथ नहि धोइत अछि।” 3 यीशु उत्तर देलथिन, “और अहाँ सभ अपन चलन सभक पालन करबाक लेल परमेश्वरक आज्ञा केँ किएक तोड़ैत छी? 4 देखू, परमेश्वर कहने छथि जे, ‘अपन माय-बाबूक आदर करह,’ आ ‘जे केओ अपन माय-बाबूक निन्दा करय तकरा मृत्युदण्ड देल जाय।’ 5 मुदा अहाँ सभ कहैत छी जे, जँ केओ अपन बाबू वा माय सँ कहत, ‘हम अहाँ सभ केँ जे किछु सहायता कऽ सकैत छलहुँ से हम परमेश्वर केँ अर्पण कऽ देने छी,’ 6 तँ ओकरा अपन माय-बाबूक सहायता कऽ कऽ आदर करबाक कोनो आवश्यकता नहि छैक। एहि तरहेँ अहाँ सभ अपन चलन केँ चलयबाक लेल परमेश्वरक आज्ञा केँ निरर्थक ठहरबैत छी। 7 हे पाखण्डी सभ! यशायाह अहाँ सभक सम्बन्ध मे एकदम ठीक भविष्यवाणी कयलनि जे, 8 ‘ई सभ मुँह सँ हमर आदर करैत अछि, मुदा एकर सभक हृदय हमरा सँ दूर छैक। 9 ई सभ बेकार हमर उपासना करैत अछि। ई सभ जे शिक्षा दैत अछि, से मात्र मनुष्यक बनाओल नियम सभ अछि।’” 10 यीशु भीड़क लोक केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “अहाँ सभ सुनू आ बुझू। 11 जे कोनो वस्तु मुँह मे जाइत अछि, से मनुष्य केँ अशुद्ध नहि करैत अछि, बल्कि जे मुँह सँ बहराइत अछि से ओकरा अशुद्ध करैत अछि।” 12 एहि पर हुनकर शिष्य सभ हुनका लग आबि कहलथिन, “अहाँ जे कहलहुँ से फरिसी सभ केँ बड्ड खराब लगलनि, से अहाँ केँ बुझल अछि?” 13 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “प्रत्येक गाछ जे हमर स्वर्गीय पिता नहि लगौने छथि, से जड़ि सँ उखाड़ल जायत। 14 छोड़ू ओकर सभक बात! ओ सभ तँ अपने आन्हर अछि आ आन्हर सभ केँ बाट देखबैत अछि। आन्हरे जँ आन्हर केँ बाट देखाओत तँ दूनू अवश्य खधिया मे खसत।” 15 एहि पर पत्रुस कहलथिन, “एहि दृष्टान्तक अर्थ हमरा सभ केँ बुझा दिअ।” 16 यीशु कहलथिन, “की अहूँ सभ एखन तक नहि बुझलहुँ? 17 की अहाँ सभ नहि बुझैत छी जे, जे किछु मुँह मे जाइत अछि से पेट मे जा कऽ देह सँ बाहर भऽ जाइत अछि? 18 मुदा जे बात मुँह सँ बहराइत अछि से हृदय सँ निकलि कऽ अबैत अछि आ से मनुष्य केँ अशुद्ध बनबैत अछि। 19 कारण, हृदय सँ निकलैत अछि विभिन्न तरहक गलत विचार, हत्या, परस्त्रीगमन, अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध, चोरी, झूठ गवाही, निन्दाक बात, 20 आ यैह बात सभ मनुष्य केँ अशुद्ध करैत अछि, नहि कि बिनु हाथ धोने भोजन करब, से।” 21 ओतऽ सँ आगाँ बढ़ि यीशु सूर आ सीदोन नगरक इलाका मे गेलाह। 22 ओहिठामक एक कनानी स्त्री हुनका लग आबि चिचियाय लगलनि जे, “हे प्रभु, दाऊदक पुत्र, हमरा पर दया करू! हमरा बेटी केँ दुष्टात्मा लागल छै। ओ ओकरा बड्ड कष्ट दैत छैक।” 23 मुदा यीशु ओकरा कोनो उत्तर नहि देलथिन। तखन हुनकर शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ विनती कयलथिन जे, “एकरा विदा कऽ दिऔक, ई तँ चिचियाइत-चिचियाइत अपना सभक पाछाँ लागल अछि।” 24 यीशु कहलथिन, “हम तँ मात्र इस्राएल वंशक हेरायल भेँड़ा सभक लेल पठाओल गेल छी।” 25 मुदा ओ स्त्री यीशु लग आबि हुनका पयर पर खसि पड़लनि आ कहलकनि, “प्रभु, हमरा पर दया करू!” 26 ओ उत्तर देलथिन, “बच्चा सभक लेल जे रोटी अछि तकरा कुकुरक आगाँ फेकि देब से ठीक बात नहि।” 27 एहि पर स्त्री बाजल, “ठीक कहैत छी प्रभु, मुदा कुकुरो सभ तँ मालिकक टेबुल सँ खसल चुर-चार खाइते अछि।” 28 तखन यीशु ओकरा कहलथिन, “हे दाइ, तोहर विश्वास बड्ड पैघ छह! जहिना तोँ चाहैत छह, तहिना तोरा लेल होअह।” ओकर बच्ची तखने स्वस्थ भऽ गेलैक। 29 यीशु ओतऽ सँ विदा भऽ कऽ गलील झीलक काते-कात चललाह। तखन एक पहाड़ पर चढ़ि कऽ बैसि रहलाह। 30 झुण्डक-झुण्ड लोक हुनका लग अयलनि। ओ सभ अपना संग लुल्ह, आन्हर, नाङड़, बौक और बहुतो दोसर तरहक बिमार लोक सभ केँ लऽ कऽ आयल आ यीशुक चरण मे राखि देलकनि। यीशु ओहि सभ बिमार केँ स्वस्थ कऽ देलथिन। 31 जमा भेल लोक सभ जखन देखलक जे बौक सभ बाजि रहल अछि, लुल्ह सभ स्वस्थ भऽ गेल अछि, नाङड़ सभ चलि रहल अछि आ आन्हर सभ देखि रहल अछि तखन ओ सभ आश्चर्यित भऽ इस्राएलक परमेश्वर केँ स्तुति करऽ लगलनि। 32 यीशु अपन शिष्य सभ केँ बजा कऽ कहलथिन, “हमरा एहि लोक सभ पर दया अबैत अछि। ई सभ तीन दिन सँ हमरा संग अछि आ एकरा सभ लग भोजन करबाक लेल किछु नहि छैक। हम एकरा सभ केँ भूखले घर नहि पठाबऽ चाहैत छी। कतौ एना नहि भऽ जाइक जे ई सभ रस्ते मे भूखक मारे मुर्छित भऽ जाय।” 33 शिष्य सभ कहलथिन, “एहि निर्जन स्थान मे अपना सभ केँ एतेक भोजनक वस्तु कतऽ सँ भेटत जे अपना सभ एतेकटा भीड़ केँ भोजन करा सकबैक?” 34 यीशु हुनका सभ सँ पुछलथिन, “अहाँ सभ लग कयटा रोटी अछि?” ओ सभ कहलथिन, “सातटा, आ किछु छोटकी माछ।” 35 यीशु लोक सभ केँ जमीन पर बैसि जयबाक लेल आदेश देलथिन। 36 तकरबाद यीशु ओ सातो रोटी आ माछ सभ लऽ कऽ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि, तखन तोड़ि-तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ परसबाक लेल देलथिन। शिष्य सभ ओकरा लोक सभ मे बाँटि देलथिन। 37 सभ केओ भरि पेट भोजन कयलक। भोजनक बाद शिष्य सभ उबरल टुकड़ा सभ सात टोकरी मे भरि कऽ जमा कयलनि। 38 भोजन करऽ वला लोक मे स्त्रीगण आ बच्चा सभ केँ छोड़ि पुरुषक संख्या चारि हजार छल। 39 भोजन करौलाक बाद लोकक भीड़ केँ विदा कऽ कऽ यीशु नाव पर चढ़ि कऽ मगदन क्षेत्र चल गेलाह।
1 फरिसी आ सदुकी सभ यीशु लग आबि कऽ आग्रह कयलथिन जे, “हमरा सभ केँ स्वर्ग सँ कोनो चमत्कार वला चिन्ह देखाउ।” ई बात ओ सभ हुनका जाँच करबाक लेल कहलथिन। 2 ताहि पर यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “साँझ पड़ला पर आकाश केँ लाल देखि अहाँ सभ कहैत छी, ‘काल्हिक मौसम नीक रहत,’ 3 और भोरखन कऽ आकाश केँ लाल आ झँपौन सन देखि कहैत छी जे, ‘आइ अन्हड़-बिहारि आओत।’ अहाँ सभ आकाश मे मौसमक लक्षण केँ चिन्हऽ जनैत छी, मुदा आइ-काल्हिक समय मे अहाँ सभक सामने की भऽ रहल अछि, से कोन बातक लक्षण अछि, तकरा नहि चिन्हैत छी। 4 एहि पीढ़ीक लोक सभ कतेक दुष्ट आ विश्वासघाती अछि जे चमत्कार वला चिन्ह मँगैत अछि! मुदा जे घटना परमेश्वरक प्रवक्ता योनाक संग भेल छलनि, से चिन्ह छोड़ि एकरा सभ केँ आओर कोनो चिन्ह नहि देखाओल जयतैक।” एतेक बात कहि यीशु हुनका सभ केँ छोड़ि कऽ आगाँ बढ़ि गेलाह। 5 यीशुक शिष्य सभ जखन झील केँ पार कयलनि, तँ ओ सभ रोटी अननाइ बिसरि गेल छलाह। 6 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “सावधान, फरिसी आ सदुकी सभक रोटी फुलाबऽ वला खमीर सँ होसियार रहू।” 7 शिष्य सभ एक-दोसर सँ बात करऽ लगलाह जे, “अपना सभ रोटी आनब बिसरि गेलहुँ, तेँ एना कहि रहल छथि।” 8 यीशु हुनकर सभक बात बुझि कहलथिन, “अहाँ सभक विश्वास एतेक कमजोर किएक अछि? अहाँ सभ आपस मे एहि पर बात किएक कऽ रहल छी जे अपना सभ लग रोटी नहि अछि? 9 की अहाँ सभ एखनो नहि बुझैत छी? की ओ पाँच हजार लोक आ पाँच रोटी वला बात, और ओहि दिन अहाँ सभ उबरल टुकड़ा कतेक पथिया जमा कऽ कऽ उठौने छलहुँ, से अहाँ सभ केँ स्मरण नहि अछि? 10 वा चारि हजार लोकक लेल ओ सातटा रोटी, आ कतेक टोकरी जमा कयलहुँ, से? 11 अहाँ सभ हमर एहि बात केँ बुझि किएक नहि रहल छी जे, ‘फरिसी आ सदुकी सभक रोटी फुलाबऽ वला खमीर सँ होसियार रहू,’ से बात हम रोटीक सम्बन्ध मे नहि कहने छलहुँ?” 12 तखन शिष्य सभ केँ बुझऽ मे अयलनि जे यीशु रोटी फुलयबाक लेल प्रयोग होमऽ वला खमीरक सम्बन्ध मे नहि, बल्कि फरिसी आ सदुकी सभक शिक्षा सँ होसियार रहबाक लेल कहने छलाह। 13 कैसरिया-फिलिप्पी क्षेत्र मे आबि कऽ यीशु अपना शिष्य सभ केँ पुछलथिन, “मनुष्य-पुत्र के अछि, एहि सम्बन्ध मे लोक सभ की कहैत अछि?” 14 ओ सभ उत्तर देलथिन, “किछु लोक कहैत अछि जे अहाँ बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना छी, किछु लोक जे एलियाह छी, दोसर लोक सभ जे यर्मियाह वा प्राचीन कालक परमेश्वरक प्रवक्ता सभ मे सँ आओर केओ छी, से कहैत अछि।” 15 यीशु शिष्य सभ सँ पुछलथिन, “आ अहाँ सभ? अहाँ सभ की कहैत छी जे हम के छी?” 16 सिमोन पत्रुस उत्तर देलथिन, “अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह छी, जीवित परमेश्वरक पुत्र छी।” 17 यीशु हुनका कहलथिन, “हे सिमोन, योनाक पुत्र, अहाँ धन्य छी! कारण, एहि बातक ज्ञान अहाँ केँ कोनो मनुष्य सँ नहि, बल्कि हमर पिता जे स्वर्ग मे छथि, तिनका सँ भेटल। 18 हम अहाँ केँ कहैत छी जे, अहाँ ‘पत्रुस’ छी। हम एहि चट्टान पर अपन मण्डलीक स्थापना करब आ मृत्युक सामर्थ्य एहि पर विजयी नहि होयत। 19 हम अहाँ केँ स्वर्गक राज्यक कुंजी देब। जे किछु अहाँ पृथ्वी पर बान्हब से स्वर्ग मे बान्हल गेल रहत आ जे किछु अहाँ पृथ्वी पर खोलब से स्वर्ग मे खोलल गेल रहत।” 20 तकरबाद यीशु अपना शिष्य सभ केँ दृढ़तापूर्बक आदेश देलथिन जे, “ई बात ककरो नहि कहिऔक जे हम उद्धारकर्ता-मसीह छी।” 21 ओही दिन सँ यीशु अपना शिष्य सभ केँ स्पष्ट जानकारी देबऽ लगलथिन जे, “ई आवश्यक अछि जे हम यरूशलेम जाइ, ओतऽ बूढ़-प्रतिष्ठित, मुख्यपुरोहित आ धर्मशिक्षक सभ सँ हमरा बहुत कष्ट देल जाय, हम जान सँ मारल जाइ, आ तेसर दिन हम फेर जिआओल जाइ।” 22 ई बात सुनि पत्रुस हुनका अलग बजा कऽ डँटैत कहलथिन, “यौ प्रभु, परमेश्वर एना नहि करथि! अहाँक संग एहन बात कहियो नहि होयत!” 23 ताहि पर यीशु पत्रुस केँ कहलथिन, “है शैतान, तोँ हमरा सोझाँ सँ दूर होअह! हमरा लेल तोँ ठेस लगबाक कारण छह। तोँ परमेश्वरक विचार नहि, बल्कि मनुष्यक विचार मोन मे रखैत छह।” 24 तकरबाद यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “जँ केओ हमर शिष्य बनऽ चाहैत अछि, तँ ओ अपना केँ त्यागि हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार रहओ आ हमरा पाछाँ चलओ। 25 कारण, जे केओ अपन जीवन बचाबऽ चाहैत अछि, से ओकरा गमाओत, मुदा जे केओ हमरा लेल अपन जीवन गमबैत अछि, से ओकरा पाओत। 26 जँ कोनो मनुष्य सम्पूर्ण संसार केँ पाबि लय और अपन आत्मा गमा लय, तँ ओकरा की लाभ भेलैक? अथवा मनुष्य अपन आत्माक बदला मे की दऽ सकत? 27 किएक तँ मनुष्य-पुत्र अपन स्वर्गदूत सभक संग अपना पिताक महिमा मे आओत, तखन ओ प्रत्येक मनुष्य केँ ओकर काजक अनुसार प्रतिफल देतैक। 28 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, एतऽ किछु एहनो लोक सभ ठाढ़ अछि जे जाबत तक मनुष्य-पुत्र केँ अपना राज्य मे अबैत नहि देखि लेत ताबत तक नहि मरत।”
1 छओ दिनक बाद यीशु अपना संग पत्रुस, याकूब आ हुनकर भाय यूहन्ना केँ लऽ कऽ एक ऊँच पहाड़ पर एकान्त मे गेलाह। 2 हुनका सभक सामने मे यीशुक रूप बदलि गेलनि। हुनकर मुँह सूर्य जकाँ चमकऽ लगलनि आ हुनकर वस्त्र इजोत सन उज्जर भऽ गेलनि। 3 एकाएक शिष्य सभ केँ मूसा आ एलियाह यीशु सँ बात-चीत करैत देखाइ देलथिन। 4 एहि पर पत्रुस यीशु केँ कहलथिन, “यौ प्रभु, हमरा सभक लेल ई कतेक नीक बात अछि जे हम सभ एतऽ छी! जँ अपनेक आज्ञा होअय तँ हम एहिठाम तीनटा मण्डप बनायब—एकटा अपनेक लेल, एकटा मूसाक लेल आ एकटा एलियाहक लेल।” 5 पत्रुस ई सभ बाजिए रहल छलाह, तखने एकटा चमकैत मेघ आबि हुनका सभ केँ झाँपि देलकनि आ मेघ मे सँ ई आवाज आयल जे, “ई हमर प्रिय पुत्र छथि। हिनका सँ हम अति प्रसन्न छी, हिनका बात पर ध्यान दिअ!” 6 ई सुनि शिष्य सभ अति भयभीत भऽ कऽ मुँहे भरेँ खसलाह। 7 तखन लग आबि यीशु हुनका सभ केँ छुबि कऽ कहलथिन, “उठू, नहि डेराउ।” 8 ओ सभ जखन अपन नजरि ऊपर उठौलनि तँ ओतऽ यीशु केँ छोड़ि आओर किनको नहि देखलनि। 9 पहाड़ पर सँ नीचाँ उतरैत समय मे यीशु शिष्य सभ केँ आज्ञा देलथिन जे, “जाबत तक मनुष्य-पुत्र मृत्यु सँ फेर जीबि कऽ नहि उठत ताबत तक जे बात अहाँ सभ देखलहुँ से ककरो नहि कहिऔक।” 10 एहि पर हुनकर शिष्य सभ हुनका सँ पुछलथिन, “धर्मशिक्षक सभ किएक कहैत छथि जे पहिने एलियाह केँ अयनाइ आवश्यक अछि?” 11 यीशु उत्तर देलथिन, “ई बात एकदम ठीक अछि। एलियाहक अयनाइ आवश्यक अछि, और ओ सभ बातक सुधार करताह। 12 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे एलियाह तँ आबि गेल छथि। लोक सभ हुनका चिन्हि नहि सकलनि और ओकरा सभ केँ जे मोन भेलैक, से हुनका संग कयलकनि। एहि तरहेँ मनुष्य-पुत्र केँ सेहो ओकरा सभक हाथेँ कष्ट भोगऽ पड़तनि।” 13 तखन शिष्य सभ केँ बुझऽ मे अयलनि जे यीशु हमरा सभ केँ बपतिस्मा देनिहार यूहन्नाक सम्बन्ध मे कहि रहल छथि। 14 ओ सभ जखन लोकक भीड़ जतऽ जमा छल ततऽ पहुँचलाह तँ एक गोटे यीशु लग आबि ठेहुनिया दऽ कऽ कहऽ लगलनि, 15 “यौ प्रभु, हमरा बेटा पर दया कयल जाओ, एकरा मिर्गी अबैत छैक आ बहुत कष्ट होइत छैक। ई कखनो आगि मे खसि पड़ैत अछि तँ कखनो पानि मे। 16 हम एकरा अपनेक शिष्य सभ लग अनने छलहुँ, लेकिन ओ सभ एकरा ठीक नहि कऽ सकलथिन।” 17 यीशु उत्तर देलथिन, “है अविश्वासी आ भ्रष्ट पीढ़ीक लोक सभ, हम कहिया तक तोरा सभक संग रहिअह? हम कहिया तक तोरा सभ केँ सहैत रहिअह? आनह लड़का केँ हमरा लग।” 18 जे दुष्टात्मा ओकरा मे पैसि गेल छल, तकरा यीशु फटकारलथिन। दुष्टात्मा ओकरा मे सँ निकलि गेलैक, आ ओ तखने ठीक भऽ गेल। 19 बाद मे शिष्य सभ एकान्त मे यीशु लग आबि कऽ पुछलथिन, “हम सभ ओहि दुष्टात्मा केँ किएक नहि निकालि सकलहुँ?” 20 ओ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ मे विश्वासक कमी अछि, तेँ। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जँ अहाँ सभ मे सरिसोक दानो बराबरि विश्वास रहत आ एहि पहाड़ केँ कहब जे, ‘एहिठाम सँ हटि कऽ ओतऽ जो’ तँ हटि जायत। एहन कोनो बात नहि अछि जे अहाँ सभक लेल असम्भव होयत। 21 [मुदा एहि तरहक दुष्टात्मा प्रार्थना आ उपास केँ छोड़ि आओर कोनो दोसर उपाय सँ नहि निकालल जा सकैत अछि।] “ 22 एक दिन यीशु आ शिष्य सभ जखन गलील मे एक संग छलाह, तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “मनुष्य-पुत्र पकड़बा कऽ लोकक हाथ मे सौंपल जायत। 23 ओ सभ ओकरा मारि देतैक, मुदा तेसर दिन ओ जिआओल जायत।” ई बात सुनि शिष्य सभ बहुत उदास भऽ गेलाह। 24 तकरबाद यीशु आ हुनकर शिष्य सभ जखन कफरनहूम नगर मे पहुँचलाह, तखन मन्दिरक कर असूल कयनिहार सभ पत्रुस लग आबि कऽ पुछलकनि, “की अहाँ सभक गुरुजी मन्दिरक कर नहि चुकबैत छथि?” 25 पत्रुस कहलथिन, “हँ, चुकबैत छथि।” तकरबाद पत्रुस जखन घर मे अयलाह तँ यीशुए हुनका सँ पुछलथिन, “यौ सिमोन, अहाँक की विचार अछि? संसारक राजा सभ सीमा-शुल्क वा व्यक्ति-कर ककरा सभ सँ लैत अछि? अपन पुत्र सभ सँ वा आन लोक सभ सँ?” 26 पत्रुस कहलथिन, “आन लोक सँ।” तखन यीशु कहलथिन, “एकर मतलब, पुत्र कर-मुक्त अछि। 27 मुदा एक बात, अपना सभ ओकरा सभ केँ सिकायत करबाक अवसर नहि दी, तेँ अहाँ झील पर जा कऽ बंसी थापू। जे माछ पहिने फँसत तकरा निकालू। ओकरा मुँह मे अहाँ केँ एकटा चानीक सिक्का भेटत। अहाँ ओ सिक्का लऽ कऽ अपना दूनू गोटेक कर ओकरा सभ केँ दऽ कऽ चुका दिऔक।”
1 ओही समय मे शिष्य सभ आबि कऽ यीशु सँ पुछलथिन, “स्वर्गक राज्य मे सभ सँ पैघ के अछि?” 2 यीशु एक छोट बच्चा केँ अपना लग बजा कऽ हुनका सभक बीच ठाढ़ करैत कहलथिन, 3 “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जाबत तक अहाँ सभ बदलि कऽ बच्चा सभ जकाँ नहि बनि जायब ताबत तक स्वर्गक राज्य मे कहियो नहि प्रवेश करब। 4 तेँ, जे केओ नम्र बनि अपना केँ एहि बच्चा जकाँ छोट बुझैत अछि, से स्वर्गक राज्य मे सभ सँ पैघ अछि। 5 जे केओ हमरा नाम सँ एहन छोट बच्चा केँ स्वीकार करैत अछि से हमरा स्वीकार करैत अछि। 6 मुदा ई बच्चा सभ जे हमरा पर विश्वास करैत अछि, ताहि मे सँ जँ एकोटा केँ केओ पाप मे फँसाओत, तँ ओहि फँसौनिहारक गरदनि मे जाँतक पाट बान्हि कऽ अथाह समुद्र मे डुबा देल जाइक, से ओकरा लेल नीक होइत। 7 “पाप मे फँसाबऽ वला बात सभक कारणेँ संसार पर कतेक कष्ट औतैक! पाप मे फँसाबऽ वला बात सभ तँ रहबे करत, मुदा धिक्कार ताहि मनुष्य केँ जकरा द्वारा ओ बात सभ अबैत अछि! 8 “जँ अहाँक हाथ वा पयर अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। दूनू हाथ-पयरक संग अनन्त समय तक जरैत रहऽ वला आगिक कुण्ड मे फेकि देल जायब, अहाँक लेल ताहि सँ नीक ई जे लुल्ह-नाङड़ भऽ कऽ जीवन मे प्रवेश करू। 9 आ जँ अहाँक आँखि अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा निकालि कऽ फेकि दिअ। दूनू आँखिक संग नरकक आगि मे फेकि देल जायब, अहाँक लेल ताहि सँ नीक ई जे कनाह भऽ कऽ जीवन मे प्रवेश करू। 10 “अहाँ सभ एहि पर ध्यान राखू जे एहि बच्चा सभ मे सँ एकोटा केँ तुच्छ नहि बुझब। हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, स्वर्ग मे एकर सभक रक्षा कयनिहार दूत सभ सदिखन हमर स्वर्गीय पिताक मुँह दिस तकैत रहैत छथि। 11 [मनुष्य-पुत्र हेरायल सभ केँ बचयबाक लेल आयल छथि।] 12 “अहाँ सभ की सोचैत छी? जँ ककरो लग एक सय भेँड़ा छैक आ ओहि मे सँ एकटा भेँड़ा भटकि जाइक, तँ की ओ अपन निनान्नबे भेँड़ा केँ पहाड़ पर छोड़ि कऽ ओहि भटकल भेँड़ा केँ खोजबाक लेल नहि जायत? 13 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जँ ओ ओकरा भेटि जयतैक, तँ ओहि निनान्नबे भेँड़ाक कारणेँ, जे नहि भटकल छलैक, ताहि सँ बेसी आनन्द ओकरा एही भेँड़ाक कारणेँ होयतैक। 14 एही तरहेँ स्वर्ग मे रहऽ वला अहाँ सभक पिताक इच्छा ई छनि जे एहि बच्चा सभ मे सँ एकोटा नष्ट नहि होनि। 15 “अहाँक भाय जँ अहाँक संग अपराध करय तँ असगरे ओकरा लग जाउ आ एकान्त मे ओकर दोष ओकरा बुझा दिऔक। ओ जँ अहाँक बात सुनलक, तँ एकटा भाय अहाँ केँ फेर भेटि गेल से बुझू। 16 मुदा जँ ओ अहाँक बात नहि सुनैत अछि तँ अपना संग एक-दू आदमी केँ लऽ कऽ जाउ आ ओकरा बुझबिऔक, जाहि सँ, जहिना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, ‘हर बात दू वा तीन साक्षीक गवाही पर आधारित रहय’। 17 मुदा ओ जँ ओकरो सभक बात सुनबाक लेल तैयार नहि भेल, तँ तकर जानकारी विश्वासी मण्डली केँ दिऔक। आ जँ ओ विश्वासी मण्डलीक बात सेहो नहि सुनत, तँ ओकरा संग एहन व्यवहार करू जेना ओ अविश्वासी वा कर असूल कयनिहार ठकहारा होअय। 18 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, अहाँ सभ जे किछु पृथ्वी पर बान्हब, से स्वर्ग मे बान्हल गेल रहत, आ जे किछु अहाँ सभ पृथ्वी पर खोलब से स्वर्ग मे खोलल गेल रहत। 19 “हम अहाँ सभ केँ एकटा इहो बात कहैत छी जे, एहि पृथ्वी पर जँ अहाँ सभ मे सँ केओ दू गोटे कोनो बातक लेल एक विचारक भऽ कऽ विनती करब, तँ हमर पिता जे स्वर्ग मे छथि, तिनका द्वारा ओ बात अहाँ सभक लेल पूरा कयल जायत। 20 किएक तँ जतऽ दू वा तीन व्यक्ति हमरा नाम सँ एक ठाम जमा होइत अछि, ततऽ हम ओकरा सभक बीच उपस्थित छी।” 21 तकरबाद पत्रुस यीशु लग आबि कऽ पुछलथिन, “यौ प्रभु, हमर भाय जँ हमरा संग अपराध करय तँ कतेक बेर हम ओकरा क्षमा करैत रहिऐक? की सात बेर तक?” 22 यीशु कहलथिन, “हम तँ कहैत छी, सात बेर नहि, बल्कि सात सँ सत्तरिक जे गुणनफल होयत ततेक बेर। 23 “कारण, स्वर्गक राज्यक तुलना एहन राजा सँ कयल जा सकैत अछि जे अपन राज्यक कर्मचारी सभ सँ हिसाब-किताब लेबऽ चाहलनि। 24 जखन ओ हिसाब-किताब लेबऽ लगलाह तँ हुनका लग एक कर्मचारी केँ लाओल गेल, जकरा पर दस हजार सोनक रुपैया ऋण छलनि। 25 ओहि कर्मचारी लग ऋण सधयबाक लेल किछु नहि छलैक तेँ ओकर मालिक आज्ञा दऽ देलथिन जे, एकरा, एकर स्त्री आ बाल-बच्चा केँ और एकर सभ सामान बेचि कऽ एकरा सँ ऋण असूल कयल जाय। 26 ई सुनि ओ कर्मचारी अपना मालिकक पयर पर खसि कऽ विनती करऽ लागल जे, ‘यौ सरकार, धैर्य राखल जाओ, हम अपनेक सम्पूर्ण ऋण सधा देब।’ 27 मालिक ओकरा पर दया कऽ कऽ ओकरा छोड़ि देलथिन आ ओकर सम्पूर्ण ऋण माफ कऽ देलथिन। 28 मुदा ओ कर्मचारी जखन ओतऽ सँ बाहर भेल तँ ओकरा संग काज करऽ वला एक दोसर कर्मचारी भेटलैक जे ओकरा सँ एक सय तामक रुपैया ऋण लेने छलैक। ओ ओकरा पकड़ि कऽ गरदनि चभैत कहलकैक, ‘जे किछु तोरा पर हमर ऋण अछि, से तुरत ला!’ 29 ओ कर्मचारी ओकरा पयर पर खसि कऽ विनती करऽ लागल, ‘धैर्य राखू, हम अहाँक ऋण सधा देब।’ 30 मुदा ओ नहि मानलक आ जा कऽ ओकरा जहल मे रखबा देलकैक जे जाबत तक ऋण नहि सधाओत ताबत तक जहल मे रहओ। 31 ई देखि दोसर कर्मचारी सभ केँ बहुत दुःख भेलैक आ ओ सभ जा कऽ सम्पूर्ण घटना मालिक केँ कहि सुनौलकनि। 32 तकरबाद मालिक ओहि कर्मचारी केँ बजबा कऽ कहलथिन, ‘है दुष्ट नोकर, तोँ हमरा सँ विनती कयलेँ तँ हम तोहर सम्पूर्ण ऋण माफ कऽ देलिऔक। 33 तँ की ई उचित नहि छल जे जहिना हम तोरा संग दया कयलिऔ, तहिना तोहूँ अपन संगी-कर्मचारीक संग दया करिते?’ 34 मालिक केँ ओहि कर्मचारी पर बहुत क्रोध भऽ गेलनि आ ओ ओकरा दण्ड देबाक लेल जहल मे पठबा देलथिन जे जाबत तक ओ पूरा ऋण सधा नहि दय ताबत तक जहल मे रहओ। 35 तेँ जँ अहूँ सभ अपना भाय केँ हृदय सँ क्षमा नहि करबैक तँ हमर स्वर्गीय पिता अहूँ सभक संग ओहने व्यवहार करताह।”
1 ई सभ बात जखन कहल भऽ गेलनि तँ यीशु गलील प्रदेश सँ विदा भऽ कऽ यरदन नदीक दोसर कात यहूदिया प्रदेश मे गेलाह। 2 लोकक बड़का भीड़ हुनका पाछाँ आबि गेलनि। यीशु ओहिठाम ओकरा सभक रोग-बिमारी सभ केँ ठीक कऽ देलनि। 3 ओहिठाम किछु फरिसी सभ यीशु लग अयलाह आ हुनका जँचबाक लेल पुछलथिन, “की धर्म-नियमक अनुसार पुरुष केँ केहनो कारण सँ अपना स्त्री केँ तलाक देनाइ उचित अछि?” 4 यीशु उत्तर देलथिन, “की अहाँ सभ नहि पढ़ने छी जे, सृष्टि कयनिहार शुरुए सँ मनुष्य केँ ‘पुरुष आ स्त्री बनौलनि, 5 और कहलनि, ‘एहि कारणेँ पुरुष अपन माय-बाबू केँ छोड़ि अपन स्त्रीक संग रहत, आ दूनू एक शरीर भऽ जायत।’ ? 6 एहि तरहेँ ओ सभ आब दू नहि अछि, एके भऽ गेल। तेँ जकरा परमेश्वर जोड़ि देलथिन, तकरा मनुष्य अलग नहि करओ।” 7 फरिसी सभ पुछलथिन, “तखन तलाकनामा दऽ कऽ तलाक देबाक आज्ञा मूसा किएक देलनि?” 8 यीशु कहलथिन, “अहाँ सभक मोनक कठोरताक कारणेँ मूसा अहाँ सभ केँ स्त्री केँ तलाक देबाक अनुमति देलनि, मुदा शुरू सँ एहन नहि छल। 9 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जे केओ एहि कारण केँ छोड़ि जे ओकर स्त्री दोसराक संग गलत शारीरिक सम्बन्ध रखने अछि, कोनो आन कारण सँ अपना स्त्री केँ तलाक दऽ कऽ दोसर सँ विवाह करैत अछि, से परस्त्रीगमन करैत अछि।” 10 यीशुक शिष्य सभ हुनका कहलथिन, “जँ स्त्री-पुरुषक सम्बन्ध एहन अछि, तँ विवाह नहिए कयनाइ नीक बात।” 11 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “सभ केओ एहि बात केँ स्वीकार नहि कऽ सकैत अछि, मात्र ओ सभ जकरा एहि बातक लेल वरदान भेटल छैक। 12 किएक तँ किछु लोक मे जन्मे सँ विवाह करबाक योग्यता नहि अछि, किछु लोक केँ दोसर मनुष्य अयोग्य बनबैत अछि, और किछु लोक एहनो अछि जे स्वर्गक राज्यक लेल विवाह कयनाइ त्यागि देने अछि। जे केओ एहि बात केँ स्वीकार कऽ सकैत अछि से एकरा स्वीकार करओ।” 13 तकरबाद किछु गोटे बच्चा सभ केँ यीशु लग अनलकनि जाहि सँ ओ ओकरा सभ पर हाथ राखि कऽ ओकरा सभक लेल प्रार्थना कऽ देथिन, मुदा हुनकर शिष्य सभ ओकरा सभ केँ डाँटि देलथिन। 14 यीशु कहलथिन, “बच्चा सभ केँ हमरा लग आबऽ दिऔक, ओकरा सभ केँ नहि रोकिऔक, किएक तँ स्वर्गक राज्य एहने सभक अछि।” 15 यीशु ओहि बच्चा सभक माथ पर हाथ राखि कऽ आशीर्वाद देलथिन आ ओतऽ सँ विदा भऽ गेलाह। 16 यीशु लग एक युवक अयलनि आ कहलकनि, “यौ गुरुजी, हम कोन उत्तम काज करू, जाहि सँ हमरा अनन्त जीवन भेटत?” 17 यीशु कहलथिन, “अहाँ हमरा सँ उत्तमक विषय मे किएक पुछैत छी? उत्तम तँ मात्र एकेटा छथि। जँ अहाँ अनन्त जीवन मे प्रवेश करऽ चाहैत छी तँ परमेश्वरक आज्ञा सभक पालन करू।” 18 ओ पुछलकनि, “कोन आज्ञा सभ?” एहि पर यीशु कहलथिन, “ ‘हत्या नहि करह, परस्त्रीगमन नहि करह, चोरी नहि करह, झूठ गवाही नहि दैह, 19 अपन माय-बाबूक आदर करह’ आ ‘अपना पड़ोसी सँ अपने जकाँ प्रेम करह।’” 20 ओ युवक उत्तर देलकनि, “एहि सभ आज्ञाक पालन तँ हम कऽ रहल छी, तखन फेर हमरा मे कोन बातक कमी रहि गेल?” 21 यीशु ओकरा कहलथिन, “अहाँ जँ पूर्ण सिद्ध बनऽ चाहैत छी, तँ अपन धन-सम्पत्ति बेचि कऽ ओकरा गरीब सभ मे बाँटि दिअ; अहाँ केँ स्वर्ग मे धन भेटत। तकरबाद आउ आ हमरा पाछाँ चलू।” 22 ई बात सुनि युवक उदास भऽ ओतऽ सँ चल गेल, कारण, ओकरा बहुत धन-सम्पत्ति छलैक। 23 एहि पर यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, धनिक सभक लेल स्वर्गक राज्य मे प्रवेश कयनाइ कठिन अछि। 24 हम अहाँ सभ केँ फेर कहैत छी जे, धनिक केँ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ सँ ऊँट केँ सुइक भूर दऽ कऽ निकलनाइ आसान अछि।” 25 ई सुनि हुनकर शिष्य सभ अवाक भऽ कऽ कहलथिन, “तखन उद्धार ककर भऽ सकैत छैक?!” 26 यीशु हुनका सभक दिस एकटक देखैत कहलथिन, “मनुष्यक लेल तँ ई असम्भव अछि, मुदा परमेश्वरक लेल सभ किछु सम्भव अछि।” 27 एहि पर पत्रुस कहलथिन, “देखू, हम सभ तँ सभ किछु त्यागि कऽ अहाँक पाछाँ आयल छी। हमरा सभ केँ की भेटत?” 28 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, नव सृष्टि मे, जहिया मनुष्य-पुत्र अपन महिमामय सिंहासन पर विराजमान होयत, तहिया अहूँ सभ, जे सभ हमरा पाछाँ आयल छी, बारहटा सिंहासन पर बैसब आ इस्राएलक बारहो कुलक न्याय करब। 29 जे केओ हमरा कारणेँ अपन घर, भाय, बहिन, माय-बाबू, बाल-बच्चा वा जमीन-जालक त्याग कयने अछि, से तकर सय गुना पाओत और अनन्त जीवनक अधिकारी होयत। 30 मुदा बहुतो लोक जे एखन आगाँ अछि से पाछाँ भऽ जायत, आ जे एखन पाछाँ अछि से आगाँ भऽ जायत।
1 “स्वर्गक राज्य एहन एक गृहस्थ जकाँ अछि जे अपन अंगूरक बगान मे काज करयबाक लेल भोरे-भोर मजदूर तकबाक लेल गेलाह। 2 ओ मजदूर सभक संग एक दिनक चानीक एक रुपैया मजदूरी देबाक व्यवस्था कऽ ओकरा सभ केँ अपन अंगूरक बगान मे काज करबाक लेल पठौलनि। 3 ओ फेर नौ बजे बाहर गेलाह तँ आरो मजदूर सभ केँ बजार मे निरर्थक ठाढ़ देखलनि। 4 ओ ओकरा सभ केँ कहलथिन, ‘तोहूँ सभ हमर अंगूरक बगान मे जा कऽ काज करह। जे उचित होयतह से हम तोरो सभ केँ देबह।’ 5 मजदूर सभ जा कऽ काज करऽ लागल। मालिक फेर बारह बजे आ तीन बजे बाहर जा-जा कऽ ओहिना कयलनि। 6 साँझ पाँच बजे फेर ओ बहरयलाह। ओ किछु आओर मजदूर सभ केँ ओहिना ठाढ़ देखि पुछलथिन, ‘तोँ सभ एतऽ दिन भरि किएक निरर्थक ठाढ़ रहलह?’ 7 ओ सभ कहलकनि, ‘हमरा सभ केँ केओ नहि काजक लेल अढ़ौलक।’ मालिक ओकरा सभ केँ कहलथिन, ‘तोहूँ सभ हमर बगान मे जा कऽ काज करह।’ 8 “साँझ भऽ गेला पर अंगूर-बगानक मालिक अपन मुख्य नोकर केँ बजा कऽ कहलथिन, ‘मजदूर सभ केँ बजाबह आ सभ सँ अन्तिम पहर मे जे सभ आयल तकरा सभ सँ शुरू कऽ कऽ सभ सँ पहिल पहर मे आबऽ वला धरि, सभ केँ मजदूरी दऽ दहक।’ 9 जखन ओ सभ, जे साँझ लगभग पाँच बजे सँ काज शुरू कयने छल, से सभ आयल तँ ओकरा सभ केँ चानीक एक-एक रुपैया देल गेलैक। 10 जे मजदूर सभ भोरे सँ काज कयने छल जखन ई बात देखलक, तँ ओ सभ बुझलक जे हमरा सभ केँ बेसी मजदूरी भेटत। मुदा ओकरो सभ केँ चानीक एक-एक रुपैया मजदूरी भेटलैक। 11 ओ सभ अपन मजदूरी पाबि मालिक पर कुड़बुड़ाय लागल। 12 ओ सभ बाजल, ‘सभ सँ पाछाँ आबऽ वला ई मजदूर सभ, जे सभ एके घण्टा काज कयलक, तकरो अहाँ हमरा सभक बराबरि बुझलहुँ। हम सभ तँ घाम-पसिना सहि दिन भरि खटलहुँ!’ 13 “मालिक ओहि मे सँ एक गोटे केँ उत्तर देलथिन, ‘हौ मित्र, हम तोरा संग कोनो तरहक अन्याय तँ नहि कऽ रहल छिअह। की तोँ हमरा संग चानीक एक रुपैया मजदूरी लेबाक व्यवस्था नहि कयने छलह? 14 अपन पाइ लैह आ जाह। ई तँ हमर इच्छाक बात अछि जे जतबा तोरा देलिअह ततेक पछो सँ आबऽ वला मजदूर सभ केँ सेहो दिऐक। 15 की हमर ई अधिकार नहि अछि जे, जे हमर वस्तु अछि तकरा हम जेना चाही, तेना प्रयोग कऽ सकी? हम जँ अपना खुशी सँ ककरो बेसिओ दैत छी तँ की से तोरा अखड़ैत छह?’” 16 तखन यीशु आगाँ कहलनि, “एहि तरहेँ जे अन्तिम अछि से पहिल होयत, आ जे पहिल अछि से अन्तिम।” 17 यीशु यरूशलेम नगर दिस आगाँ बढ़ि रहल छलाह। ओ अपन बारहो शिष्य केँ एक कात लऽ जा कऽ कहलथिन, 18 “सुनू, अपना सभ यरूशलेम जा रहल छी। ओतऽ मनुष्य-पुत्र मुख्यपुरोहित आ धर्मशिक्षक सभक हाथ मे पकड़ाओल जायत। ओ सभ ओकरा मृत्युदण्डक जोगरक ठहरा देतैक 19 आ ओकरा गैर-यहूदी सभक हाथ मे सौंपि देतैक जाहि सँ ओ सभ ओकर हँसी उड़बैक, कोड़ा सँ पिटैक आ क्रूस पर टाँगि कऽ मारि दैक। मुदा तेसर दिन ओ फेर जिआओल जायत।” 20 तकरबाद जबदीक स्त्री, याकूब आ यूहन्नाक माय, अपन पुत्र सभक संग यीशु लग अयलनि आ हुनका आगाँ ठेहुनिया दऽ कऽ किछु माँगऽ चाहलकनि। 21 यीशु पुछलथिन, “अहाँ की चाहैत छी?” ओ कहलकनि, “अहाँ एहि बातक आज्ञा दिअ जे अहाँक राज्य मे हमर ई दूनू बेटा, एक अहाँक दहिना कात आ दोसर अहाँक बामा कात बैसत।” 22 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ की माँगि रहल छी, से अहाँ सभ नहि बुझैत छी। की दुःखक बाटी सँ जे हमरा पिबाक अछि से अहाँ सभ पिबि सकैत छी?” ओ सभ कहलकनि, “हँ, पिबि सकैत छी।” 23 यीशु कहलथिन, “हमर बाटी तँ अहाँ सभ पीब, मुदा किनको अपना दहिना कात वा बामा कात बैसायब, तकर अधिकार हमर नहि अछि। ई स्थान सभ तिनका सभक लेल छनि, जिनका सभक लेल हमर पिता तैयार कयने छथि।” 24 जखन बाँकी दस शिष्य एहि बातक बारे मे सुनलनि तँ ओ सभ ओहि दूनू भाइ पर खिसिआय लगलाह। 25 एहि पर यीशु शिष्य सभ केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “अहाँ सभ जनैत छी जे एहि संसारक शासक सभ जनता पर हुकुम चलबैत रहैत छथि और जनता मे जे पैघ लोक सभ छथि से जनता पर अधिकार जमबैत छथि। 26 मुदा अहाँ सभ मे एना नहि होअय। बल्कि, अहाँ सभ मे जे पैघ होमऽ चाहय, से अहाँ सभक सेवक बनय, 27 आ जे केओ अहाँ सभ मे प्रमुख व्यक्ति बनऽ चाहय, से टहलू बनय। 28 तहिना मनुष्य-पुत्र सेहो एहि लेल नहि आयल अछि जे ओ अपन सेवा कराबय, बल्कि एहि लेल जे ओ सेवा करय और बहुतो लोकक छुटकाराक मूल्य मे अपन प्राण देअय।” 29 यीशु आ हुनकर शिष्य सभ जखन यरीहो नगर सँ बहरयलाह तँ लोकक बड़का भीड़ हुनका पाछाँ आबि रहल छलनि। 30 रस्ताक कात मे बैसल दू आन्हर व्यक्ति जखन सुनलक जे एहि बाटे यीशु जा रहल छथि, तँ ओ सभ सोर पारि कऽ कहऽ लागल जे, “हे प्रभु, दाऊदक पुत्र, हमरा सभ पर दया करू!” 31 भीड़क लोक सभ ओकरा दूनू केँ डाँटि देलकैक जे, “चुप होइ जाइ जो,” मुदा ओ सभ आओर जोर सँ हल्ला कऽ कऽ कहऽ लागल, “यौ प्रभु, दाऊदक पुत्र, हमरा सभ पर दया करू!” 32 यीशु ठाढ़ भऽ गेलाह आ ओकरा सभ केँ बजा कऽ पुछलथिन, “तोँ सभ की चाहैत छह, हम तोरा सभक लेल की करिअह?” 33 ओ सभ बाजल, “हे प्रभु, हम सभ देखऽ चाहैत छी।” 34 यीशु केँ ओकरा सभ पर दया आबि गेलनि, आ ओकरा सभक आँखि केँ छुबि देलथिन। तखने सँ ओकरा सभ केँ देखाइ देबऽ लगलैक और ओ सभ हुनका पाछाँ चलऽ लगलनि।
1 यीशु आ हुनकर शिष्य सभ जखन यरूशलेम नगरक लग मे जैतून पहाड़ पर बेतफगे गाम मे पहुँचलाह तखन यीशु दूटा शिष्य केँ ई कहि कऽ पठौलथिन जे, 2 “सामने मे जे गाम अछि, ताहि मे जाउ। ओतऽ पहुँचिते एक गदही अपन बच्चाक संग बान्हल भेटत। ओकरा सभ केँ खोलि कऽ हमरा लग नेने आउ। 3 जँ केओ अहाँ सभ केँ किछु कहय तँ कहबैक जे, ‘प्रभु केँ एकर आवश्यकता छनि।’ ई सुनैत देरी ओ अहाँ सभ केँ आनऽ देत।” 4 ई एहि लेल भेल जे परमेश्वरक प्रवक्ताक कहल ई वचन पूरा होअय जे, 5 “सियोन नगर केँ कहक, ‘देखह, तोहर राजा तोरा लग आबि रहल छथुन, ओ विनम्र छथि, ओ गदहा पर, गदहीक बच्चा पर बैसल आबि रहल छथुन।’” 6 शिष्य सभ जा कऽ यीशुक कहल अनुसार कयलनि। 7 ओ सभ गदही आ ओकर बच्चा केँ लऽ आनि ओकरा पीठ पर अपन कपड़ा सभ राखि देलनि। यीशु ओहि पर बैसि गेलाह। 8 भीड़ मे सँ बहुतो लोक सभ सेहो अपन-अपन वस्त्र आ ओढ़नी सभ बाट पर ओछौलक। दोसर लोक सभ गाछ-वृक्षक ठाढ़ि-पात काटि-काटि कऽ ओछौलक। 9 यीशुक आगाँ-पाछाँ चलऽ वला लोकक भीड़ एहि तरहेँ जयजयकार करऽ लागल जे, “दाऊदक पुत्र केँ जय! धन्य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि! सर्वोच्च स्वर्ग मे प्रभुक जयजयकार!” 10 जखन यीशु यरूशलेम मे प्रवेश कयलनि तँ सम्पूर्ण नगर मे हलचल सन होमऽ लागल। सभ पुछैत छल, “ई के छथि?” 11 आगाँ-पाछाँ चलऽ वला भीड़क लोक सभ ओकरा सभ केँ कहलकैक, “ई गलील प्रदेशक नासरत-निवासी परमेश्वरक प्रवक्ता यीशु छथि।” 12 यीशु मन्दिरक आङन मे अयलाह आ बेचऽ वला और किनऽ वला सभ केँ ओतऽ सँ बाहर भगाबऽ लगलाह। ओ पाइ भजौनिहार सभक टेबुल आ परबा-पेउरकी बेचनिहार सभक पीढ़ी-बैसकी सभ केँ उनटा-पुनटा देलथिन। 13 ओ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, ‘हमर घर प्रार्थनाक घर कहाओत’ मुदा तोँ सभ एकरा ‘चोर-डाकूक अड्डा’ बना देने छह।” 14 मन्दिर मे यीशु लग आन्हर आ नाङड़ व्यक्ति सभ अयलनि आ यीशु ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ देलथिन। 15 यीशुक चमत्कार वला काज सभ देखि आ मन्दिर मे बच्चा सभक द्वारा जे “दाऊदक पुत्र” क जयजयकार भऽ रहल छल, तकरा सुनि मुख्यपुरोहित आ धर्मशिक्षक सभ बहुत खिसिआ गेलाह। 16 ओ सभ यीशु केँ कहलथिन, “की अहाँ नहि सुनैत छी जे ई सभ की कहि रहल अछि?” यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हँ, और की अहाँ सभ नहि पढ़ने छी जे, ‘हे प्रभु, अहाँ धिआ-पुता आ कोरा मेहक बच्चा सभक मुँह सँ अपन स्तुति करबौलहुँ’ ?” 17 एतेक कहि यीशु हुनका सभ केँ ओतहि छोड़ि नगर सँ बहरा गेलाह आ बेतनिया गाम मे जा कऽ राति भरि ओतऽ रहलाह। 18 भोर मे फेर नगर दिस अबैत समय मे यीशु केँ भूख लगलनि। 19 रस्ताक कात मे एक अंजीरक गाछ देखि ओ गाछ लग गेलाह। मुदा ओहि पर पात छोड़ि आओर किछु नहि भेटलनि। यीशु ओहि गाछ केँ कहलथिन, “जो, आब कहियो तोरा पर फल नहि लटकतौ!” गाछ ओही क्षण सुखा गेल। 20 ई देखि शिष्य सभ आश्चर्यित भऽ कहलथिन, “ई अंजीरक गाछ तुरत कोना सुखा गेल?” 21 एहि पर यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जँ अहाँ सभ बिनु सन्देह कऽ विश्वास करब, तँ अहाँ सभ मात्र एतबे नहि करब जे एहि अंजीरक गाछक संग भेल, बल्कि जँ अहाँ सभ एहि पहाड़ केँ आज्ञा देबैक जे, ‘एतऽ सँ हट आ समुद्र मे जो,’ तँ सेहो भऽ जायत। 22 अहाँ सभ जे किछु प्रार्थना मे विश्वासक संग माँगब, से अहाँ सभ केँ प्राप्त होयत।” 23 यीशु जखन मन्दिर मे जा कऽ उपदेश दऽ रहल छलाह तखन मुख्यपुरोहित आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित सभ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “अहाँ कोन अधिकार सँ ई सभ बात कऽ रहल छी? अहाँ केँ ई अधिकार के देलनि?” 24 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “हमहूँ अहाँ सभ सँ एकटा बात पुछैत छी। जँ अहाँ सभ हमरा तकर जबाब देब तँ हमहूँ अहाँ सभ केँ कहब जे कोन अधिकार सँ हम ई सभ बात कऽ रहल छी। 25 यूहन्ना केँ बपतिस्मा देबाक अधिकार कतऽ सँ भेटल छलनि? परमेश्वर सँ वा मनुष्य सँ?” ई सुनि ओ सभ अपना मे तर्क-वितर्क करऽ लगलाह जे, “जँ अपना सभ कहबैक जे ‘परमेश्वर सँ’, तँ ओ पुछत जे, तखन अहाँ सभ हुनकर बातक विश्वास किएक नहि कयलहुँ? 26 मुदा जँ कहबैक जे, ‘मनुष्य सँ’ तँ अपना सभ केँ जनता सँ डर अछि, कारण सभ लोक यूहन्ना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता मानैत अछि।” 27 तेँ ओ सभ यीशु केँ उत्तर देलथिन जे, “हम सभ नहि जनैत छी।” एहि पर यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “तखन हमहूँ अहाँ सभ केँ नहि कहब जे कोन अधिकार सँ हम ई काज कऽ रहल छी। 28 “अच्छा, अहाँ सभक की विचार अछि? एक गोटे केँ दूटा बेटा छलनि। ओ जेठका केँ कहलथिन, ‘बौआ, आइ अंगूरक बाड़ी मे काज करऽ जाह।’ 29 बेटा कहलकनि, ‘हम नहि जायब,’ मुदा बाद मे ओकरा पछतावा भेलैक आ ओ काज करबाक लेल गेल। 30 तखन बाबू दोसरो बेटा लग जा कऽ यैह बात कहलथिन। ओ उत्तर देलकनि, ‘ठीक अछि, बाबूजी, हम जाइत छी।’ मुदा ओ नहि गेल। 31 आब कहू, एकरा सभ मे सँ के अपन बाबूक इच्छानुरूप कयलक?” ओ सभ कहलथिन, “पहिल वला।” यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, कर असूल कयनिहार आ वेश्या सभ परमेश्वरक राज्य मे अहाँ सभ सँ आगाँ प्रवेश कऽ रहल अछि। 32 यूहन्ना धार्मिकताक बाट देखबैत अहाँ सभ लग अयलाह और अहाँ सभ हुनकर बातक विश्वास नहि कयलहुँ, मुदा कर असूल कयनिहार आ वेश्या सभ विश्वास कयलक। अहाँ सभ ई बात देखलाक बादो अपना पापक लेल पश्चात्ताप और हृदय-परिवर्तन कऽ कऽ हुनकर बातक विश्वास नहि कयलहुँ। 33 “एक आओर दृष्टान्त सुनू। एक गृहस्थ लोक छलाह। ओ एक अंगूरक बगान लगौलनि आ चारू कात सँ ओकरा घेरि देलनि। अंगूरक रस जमा करबाक लेल ओ एक रसकुण्ड बनौलनि आ रखबारीक लेल मचान बनौलनि। तकरबाद किसान सभ केँ बटाइ पर दऽ कऽ परदेश चल गेलाह। 34 फलक समय अयला पर ओ अपन हिस्सा लेबाक लेल नोकर सभ केँ बटाइदार सभ लग पठौलथिन। 35 मुदा बटाइदार सभ हुनकर नोकर सभ केँ पकड़ि, एकटा केँ पिटलक, एकटाक हत्या कऽ देलक और एकटा केँ पथरबाहि कयलक। 36 तखन मालिक पहिल बेर सँ बेसी, आरो नोकर सभ केँ पठौलथिन। मुदा बटाइदार सभ ओकरो सभक संग वैह व्यवहार कयलक। 37 अन्त मे मालिक अपना बेटा केँ ओकरा सभ लग पठौलथिन, ई सोचि जे, ओ सभ हमरा बेटाक आदर करत। 38 “मुदा बटाइदार सभ जखन मालिकक बेटा केँ देखलक तँ ओ सभ अपना मे कहऽ लागल जे, ‘ई अपन बापक उत्तराधिकारी अछि। चलू एकरा मारि कऽ समाप्त कऽ दी, और ई सम्पत्ति जे एकरा भेटऽ वला छैक ताहि पर अधिकार कऽ ली।’ 39 एना सोचि ओ सभ हुनका पकड़ि लेलकनि आ बगान सँ बाहर लऽ जा कऽ जान सँ मारि देलकनि। 40 “आब कहू, बगानक मालिक जहिया औताह तँ ओ एहि बटाइदार सभ केँ की करथिन?” 41 ओ सभ उत्तर देलथिन, “ओ ओहि दुष्ट बटाइदार सभक सर्वनाश करताह आ अंगूरक बगान ओहन बटाइदार सभ केँ दऽ देथिन जे फलक समय अयला पर हुनकर हिस्सा देतनि।” 42 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ धर्मशास्त्र मे ई कहियो नहि पढ़ने छी?— ‘जाहि पाथर केँ राजमिस्तिरी सभ बेकार बुझि कऽ फेकि देलक, वैह पाथर मकानक प्रमुख पाथर भऽ गेल। ई काज प्रभु-परमेश्वर कयलनि, और ई हमरा सभक नजरि मे अद्भुत बात अछि!’ 43 एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, परमेश्वरक राज्यक अधिकार अहाँ सभ सँ छिनि लेल जायत आ ताहि समूहक लोक सभक जिम्मा मे देल जयतैक जे एकर उचित फल लाओत। 44 [जे केओ एहि पाथर पर खसत से चकना-चूर भऽ जायत, और जकरा पर ई पाथर खसतैक से थकुचा-थकुचा भऽ जायत।]” 45 मुख्यपुरोहित आ फरिसी सभ हुनकर दृष्टान्त सभ सुनि कऽ बुझि गेलाह जे, ई हमरे सभक सम्बन्ध मे ई सभ बात कहि रहल अछि। 46 ओ सभ यीशु केँ बन्दी कोना बनाओल जाय तकर उपाय सोचऽ लगलाह। मुदा हुनका सभ केँ डर होइत छलनि, कारण जनता यीशु केँ परमेश्वरक प्रवक्ता मानैत छलनि।
1 यीशु फेर दृष्टान्त दऽ कऽ हुनका सभ केँ कहलथिन, 2 “स्वर्गक राज्यक तुलना एक एहन राजा सँ कयल जा सकैत अछि जे अपन पुत्रक विवाहक उत्सव पर भोजक आयोजन कयलनि। 3 ओ अपन नोकर सभ केँ पठौलनि जे उत्सव मे निमन्त्रित लोक सभ केँ बिझो करा लाबय। मुदा निमन्त्रित लोक सभ नहि आबऽ चाहलक। 4 राजा फेर दोसरो नोकर सभ केँ ई कहि कऽ पठौलनि जे, ‘आमन्त्रित लोक सभ केँ ई कहि दिऔन जे, देखू, भोजक लेल सभ वस्तु तैयार भऽ गेल अछि, हमर पालल-मोटायल पशु सभक वध कऽ सभ किछु बना लेल गेल अछि, तेँ भोज खयबाक लेल चलै जाइ जाउ।’ 5 मुदा नोतल लोक सभ राजाक आग्रह पर कोनो ध्यान नहि देलक। ओकरा सभ मे सँ केओ अपन खेतक काजक लेल तँ केओ अपन व्यापारक काजक लेल चल गेल। 6 बाँकी लोक राजाक नोकर सभ केँ पकड़ि कऽ ओकरा सभक संग दुर्व्यवहार कयलक आ जान सँ मारि देलक। 7 “एहि पर राजा क्रोधित भऽ अपन सैनिक सभ केँ पठा कऽ ओहि हत्यारा सभ केँ मरबा देलथिन आ ओकरा सभक नगर केँ जरबा देलथिन। 8 तकरबाद ओ अपन नोकर सभ केँ कहलथिन, ‘विवाहक भोज तँ तैयार अछि, मुदा निमन्त्रित लोक सभ एहि भोज मे खाय ताहि जोगरक नहि छल। 9 तेँ तोँ सभ चौबट्टिआ सभ पर जाह आ जे केओ भेटह, तकरा सभ केँ भोज मे बजा आनह।’ 10 नोकर सभ चौबट्टिआ आ सड़क सभ पर गेल आ नीक-अधलाह जे केओ भेटलैक, सभ केँ बजा अनलक। एतेक लोक आयल जे विवाह-भोजक घर ओकरा सभ सँ भरि गेलैक। 11 “राजा उपस्थित लोक सभ केँ देखबाक लेल भीतर अयलाह तँ हुनकर नजरि एक एहन व्यक्ति पर पड़लनि जे विवाह-उत्सवक लेल अनुकूल वस्त्र नहि पहिरने छल। 12 राजा ओकरा पुछलथिन, ‘यौ मित्र, अहाँ बिनु विवाह-उत्सवक वस्त्र पहिरने भीतर कोना आबि गेलहुँ?’ ओ व्यक्ति राजा केँ कोनो उत्तर नहि दऽ सकलनि। 13 एहि पर राजा अपन सेवक सभ केँ कहलथिन, ‘एकरा हाथ-पयर बान्हि कऽ बाहर अन्हार मे फेकि दैह जतऽ लोक कनैत आ दाँत कटकटबैत रहैत अछि।’” 14 तकरबाद यीशु कहलथिन, “बजाओल लोक तँ बहुत अछि, मुदा ओहि मे चुनल लोक किछुए अछि।” 15 तखन फरिसी सभ जा कऽ विचार-विमर्श करऽ लगलाह जे कोन तरहेँ यीशु केँ अपन कहल बातक जाल मे फँसाओल जाय। 16 ओ सभ यीशु लग हेरोद-दलक सदस्य सभ और अपन किछु चेला सभ केँ पठौलथिन। ओ सभ आबि कऽ यीशु केँ कहलकनि, “गुरुजी, हम सभ जनैत छी जे अपने सत्यवादी छी, सत्यक अनुसार परमेश्वरक बाटक शिक्षा दैत छी आ केओ की सोचैत अछि, तकर अपने केँ कोनो चिन्ता नहि। कारण, अपने मुँह-देखी बात नहि करैत छी। 17 आब हमरा सभ केँ एकटा बात कहल जाओ—एहि बातक सम्बन्ध मे अपनेक की विचार अछि? रोमी सम्राट-कैसर केँ कर देब धर्म-नियमक अनुसार उचित अछि वा नहि?” 18 यीशु ओकरा सभक दुष्ट उद्देश्य बुझि कहलथिन, “हे पाखण्डी सभ, अहाँ सभ हमरा किएक फँसाबऽ चाहैत छी? 19 अहाँ सभ कोन सिक्का लऽ कऽ कर चुकबैत छी?—देखाउ!” ओ सभ यीशु केँ एक दिनारक सिक्का देलकनि। 20 यीशु सिक्का लऽ प्रश्न कयलथिन, “ई किनकर चित्र छनि? आ एहि पर किनकर नाम लिखल छनि?” 21 ओ सभ उत्तर देलकनि, “सम्राट-कैसरक।” तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जे सम्राटक छनि से सम्राट केँ दिऔन, आ जे परमेश्वरक छनि से परमेश्वर केँ दिऔन।” 22 यीशुक जबाब सुनि ओ सभ गुम्म भऽ गेल आ हुनका लग सँ चल गेल। 23 ओही दिन सदुकी पंथक लोक, जे सभ एहि बात केँ नहि मानैत अछि जे मृत्यु मे सँ मनुष्य फेर जिआओल जायत, से सभ एकटा प्रश्न लऽ कऽ यीशु लग आयल। 24 ओ सभ कहलकनि, “गुरुजी, धर्मशास्त्र मे मूसा कहने छथि जे, जँ कोनो पुरुष निःसन्तान मरि जाय तँ ओकरा भाय केँ ओकर विधवा स्त्री सँ विवाह कऽ अपना भायक लेल सन्तान केँ उत्पन्न करबाक चाही। 25 हमरा सभक ओहिठाम सात भाय छल। जेठ भाय विवाह कयलक आ मरि गेल। ओकरा कोनो सन्तान नहि होयबाक कारणेँ ओकर भाय ओकर स्त्री सँ विवाह कयलक। 26 एही तरहेँ दोसर आ तेसरो भायक संग, आ होइत-होइत सातो भायक संग यैह बात भेल। 27 अन्त मे जा कऽ ओ स्त्री सेहो मरि गेलि। 28 आब कहल जाओ, ओहि समय मे जहिया मुइल सभ केँ जिआओल जयतैक, तँ ओ स्त्री एहि सातो भाय मे सँ ककर स्त्री होयतैक? किएक तँ ओ सभक स्त्री बनल छलि।” 29 यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ ने धर्मशास्त्र आ ने परमेश्वरक सामर्थ्य केँ जनैत छी, तेँ अहाँ सभ केँ एहि तरहेँ धोखा भऽ रहल अछि। 30 जीबि उठाओल गेला पर लोक सभ ने विवाह करत आ ने विवाह मे देल जायत, बल्कि ओ सभ स्वर्गदूत सभ जकाँ होयत। 31 तखन मुइल सभ केँ जिआओल जयबाक जे बात अछि, ताहि सम्बन्ध मे की अहाँ सभ ई वचन नहि पढ़ने छी जे परमेश्वर ⌞एहि पूर्वज सभक मृत्युक बादो⌟ अहाँ सभ केँ कहने छलाह जे, 32 ‘हम अब्राहमक परमेश्वर, इसहाकक परमेश्वर आ याकूबक परमेश्वर छी।’ ? ओ मरल सभक नहि, बल्कि जीवित सभक परमेश्वर छथि।” 33 ई उत्तर सुनि भीड़क लोक सभ हुनकर उपदेश सँ चकित रहि गेल। 34 फरिसी सभ जखन सुनलनि जे यीशु सदुकी पंथक लोक सभ केँ निरुत्तर कऽ देलथिन तँ ओ सभ जमा भऽ कऽ एक संग यीशु लग अयलाह। 35 हुनका सभ मे सँ एक गोटे जे धर्म-नियमक पंडित छलाह से हुनका जँचबाक लेल पुछलथिन, 36 “यौ गुरुजी, धर्म-नियमक सभ सँ पैघ आज्ञा कोन अछि?” 37 यीशु उत्तर देलथिन, “‘तोँ अपन प्रभु-परमेश्वर केँ अपन सम्पूर्ण मोन सँ, अपन सम्पूर्ण आत्मा सँ आ अपन सम्पूर्ण बुद्धि सँ प्रेम करह।’ 38 यैह पहिल आ सभ सँ पैघ आज्ञा अछि। 39 आ दोसर सेहो ओही जकाँ अछि जे, ‘तोँ अपना पड़ोसी केँ अपने जकाँ प्रेम करह।’ 40 सम्पूर्ण धर्म-नियम आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख एही दू आज्ञा पर केन्द्रित अछि।” 41 ओतऽ जमा भेल फरिसी सभ सँ यीशु पुछलथिन, 42 “ ‘उद्धारकर्ता-मसीह’क विषय मे अहाँ सभक की विचार अछि? ओ किनकर वंशज छथि?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “दाऊदक।” 43 एहि पर यीशु पुछि देलथिन, “तखन पवित्र आत्माक प्रेरणा सँ दाऊद किएक हुनका ‘प्रभु’ कहने छथिन? कारण, दाऊद धर्मशास्त्र मे एहि तरहेँ लिखने छथि, 44 ‘प्रभु-परमेश्वर हमरा प्रभु केँ कहलथिन, अहाँ हमर दहिना कात बैसू और हम अहाँक शत्रु सभ केँ अहाँक पयरक तर मे कऽ देब।’ 45 जखन दाऊद उद्धारकर्ता-मसीह केँ ‘प्रभु’ कहैत छथिन तँ ओ फेर हुनकर वंशज कोना भेलाह?” 46 एहि बातक उत्तर मे केओ यीशु केँ एको शब्द नहि कहि सकल आ ने ओहि दिन सँ ककरो हुनका सँ आरो कोनो प्रश्न पुछबाक साहस भेलैक।
1 तकरबाद यीशु जमा भेल लोकक भीड़ केँ आ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, 2 “मूसाक धर्म-नियमक बात सिखयबाक अधिकार धर्मशिक्षक आ फरिसी सभक हाथ मे छनि। 3 तेँ ओ सभ जे किछु कहैत छथि, तकरा मानू आ करू, मुदा जे ओ सभ करैत छथि से नहि करू, कारण ओ सभ लोक सभ केँ जे सिखबैत छथि से अपने नहि करैत छथि। 4 ओ सभ भारी बोझ बान्हि कऽ लोकक कान्ह पर लादि दैत छथि मुदा तकरा उठयबाक लेल ओ सभ स्वयं अपन आङुरो नहि भिड़बऽ चाहैत छथि। 5 ओ लोकनि सभ काज मात्र लोकक ध्यान आकर्षित करबाक लेल करैत छथि। अपन तावीज सभ नमहर आकारक बनबबैत छथि आ पहिरऽ वला वस्त्र सभ मे लम्बा-लम्बा झालैर सभ लगबबैत छथि। 6 भोज-काज मे सम्मानित स्थान आ सभाघर सभ मे प्रमुख आसन पसन्द करैत छथि। 7 हाट-बजार मे लोक सभ हुनका सभ केँ प्रणाम-पात करैत रहनि आ ‘गुरुजी’ कहि कऽ सम्बोधन करैत रहनि, से बात सभ हुनका सभ केँ बहुत नीक लगैत छनि। 8 “मुदा अहाँ सभ ‘गुरु’ नहि कहाउ, कारण अहाँ सभक गुरु एकेटा छथि आ अहाँ सभ आपस मे भाइ-भाइ छी। 9 पृथ्वी पर किनको अपन धर्म-पिता नहि मानू, कारण अहाँ सभक एकेटा पिता छथि जे स्वर्ग मे रहैत छथि। 10 आ अहाँ सभ ‘आचार्य’ नहि कहाउ, कारण अहाँ सभक आचार्य सेहो एके गोटे छथि, अर्थात् उद्धारकर्ता-मसीह। 11 अहाँ सभ मे जे सभ सँ पैघ होइ से सभक सेवक बनू। 12 कारण, जे केओ अपना केँ पैघ बुझत से छोट बनाओल जायत, मुदा जे केओ अपना केँ छोट बुझत से पैघ बनाओल जायत। 13 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ स्वर्गक राज्यक द्वारि लोक सभक लेल बन्द कऽ दैत छी। ने अपने ओहि मे प्रवेश करैत छी आ ने तकरा सभ केँ प्रवेश करऽ दैत छिऐक जे सभ प्रवेश करऽ चाहैत अछि। 14 [“यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ विधवा सभक घर-द्वारि सभ हड़पि लैत छिऐक। लोक सभ केँ देखयबाक लेल लम्बा-लम्बा प्रार्थना करैत छी। तेँ अहाँ सभ केँ बेसी दण्ड भेटत।] 15 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ एक गोटे केँ अपना धर्म मे अनबाक लेल पृथ्वी आ आकाश एकटार कऽ दैत छी, मुदा जखन ओ आबि जाइत अछि तँ ओकरा अपनो सँ दोबर नरक जयबाक जोगरक बना दैत छिऐक। 16 “यौ आन्हर पथ-प्रदर्शक सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ लोक सभ केँ सिखबैत छी जे, ‘जँ केओ मन्दिरक नाम लऽ कऽ सपत खायत, तँ तकर कोनो महत्व नहि अछि, मुदा जँ मन्दिर मे लगाओल सोनक नाम लऽ कऽ सपत खायत, तँ ओकरा अपन सपत केँ पूरा करऽ पड़तैक।’ 17 अहाँ सभ आन्हर छी! मूर्ख छी! कोन बात पैघ अछि, लगाओल सोन वा ओ मन्दिर, जकरा सँ ओ सोन पवित्र भेल अछि? 18 अहाँ सभ सिखबैत छी जे, ‘जँ केओ बलि-वेदीक नाम लऽ कऽ सपत खयलक तँ से कोनो बात नहि, मुदा वेदी पर चढ़ाओल चढ़ौनाक नाम लऽ कऽ सपत खयलक तँ से पकिया बात भेल।’ 19 यौ आन्हर सभ! कोन बात पैघ अछि, चढ़ौना वा ओ वेदी, जाहि पर अर्पण कयला सँ ओ चढ़ौना पवित्र भेल अछि? 20 तेँ, जे केओ वेदीक सपत खाइत अछि से ओहि वेदी आ ओहि पर जे किछु अछि, सभक सपत खाइत अछि। 21 तहिना, जे केओ मन्दिरक सपत खाइत अछि से मन्दिर आ ओहि मे जे वास करैत छथि, दूनूक सपत खाइत अछि, 22 और जे केओ स्वर्गक सपत खाइत अछि, से परमेश्वरक सिंहासन आ ओहि पर जे विराजमान छथि तिनको सपत खाइत अछि। 23 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी! अहाँ सभ पुदीना, सोंफ आ जीरक दसम भाग तँ परमेश्वर केँ अर्पण करैत छी, मुदा धर्म-नियमक मुख्य बात सभ, जेना न्याय, करुणा आ विश्वसनियता सँ कोनो मतलब नहि रखैत छी। होयबाक तँ ई चाहैत छल जे अहाँ सभ बिनु ओ बात सभ छोड़ने इहो बात सभ करितहुँ। 24 यौ आन्हर पथ-प्रदर्शक सभ, अहाँ सभ तँ मच्छर केँ छानि कऽ फेकि दैत छी, मुदा ऊँट केँ घोँटि लैत छी। 25 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ थारी-बाटी सभ केँ बाहर सँ तँ मँजैत छी, मुदा ओहि मे लूट-पाट आ स्वार्थ द्वारा प्राप्त कयल वस्तु सभ रखैत छी। 26 यौ आन्हर फरिसी, थारी-बाटी केँ पहिने भीतर सँ साफ करू, तखन ओ बाहर सँ सेहो साफ रहत। 27 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ चून सँ पोतल कबरक चबुतरा जकाँ छी, जे बाहर सँ तँ सुन्दर देखाइ दैत रहैत अछि, मुदा ओकरा भीतर मे लासक हाड़ आ सभ तरहक सड़ल वस्तु भरल रहैत छैक। 28 तहिना अहूँ सभ बाहर सँ लोक सभ केँ धार्मिक बुझाइत छिऐक, मुदा भीतर मे पाखण्ड आ अधर्म सँ भरल छी। 29 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक कबर पर चबुतराक निर्माण करैत छी, धर्मी लोकक स्मारक केँ सजबैत छी, 30 और कहैत छी जे, ‘हम सभ जँ अपना पुरखा सभक समय मे रहल रहितहुँ तँ हम सभ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक हत्या मे ओकरा सभ केँ साथ नहि देने रहितहुँ।’ 31 एहि तरहेँ अहाँ सभ अपने साक्षी दऽ रहल छी जे अहाँ सभ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक हत्या कयनिहारक सन्तान छी। 32 तँ पूरा करू अपन पुरखाक काज! पापक घैल केँ भरि दिअ! 33 “है साँप सभ! है बिषधर साँपक सन्तान सभ! अहाँ सभ नरकक दण्ड सँ कोना बाँचब? 34 एहि कारणेँ, सुनू अहाँ सभ, हम अहाँ सभ लग अपन प्रवक्ता, बुद्धिमान लोकनि आ शिक्षक सभ केँ पठा रहल छी। अहाँ सभ ओहि मे सँ कतेक गोटे केँ जान सँ मारि देबनि, क्रूस पर लटका देबनि, कतेक गोटे केँ अपन सभाघर सभ मे कोड़ा सँ मारबनि आ एक नगर सँ दोसर नगर तक खिहारैत रहबनि। 35 एहि तरहेँ पृथ्वी पर धर्मी लोकक जतेक खून बहाओल गेल—धर्मी हाबिलक खून सँ लऽ कऽ बिरिकयाहक पुत्र जकरयाहक खून धरि, जिनका अहाँ सभ मन्दिरक ‘पवित्र स्थान’ आ बलि-वेदीक बीच हत्या कऽ देलियनि, तकर भार अहाँ सभक मूड़ी पर पड़त। 36 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, ई सभ बातक लेखा-जोखा एही पीढ़ीक लोक सभ सँ लेल जायत। 37 “हे यरूशलेम! हे यरूशलेम! तोँ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक हत्या करैत छह आ जिनका परमेश्वर तोरा लग पठबैत छथुन, तिनका सभ केँ तोँ पथरबाहि कऽ कऽ मारि दैत छहुन। हम कतेको बेर चाहलिअह जे जहिना मुर्गी अपना बच्चा सभ केँ अपन पाँखिक तर मे नुकबैत अछि, तहिना हमहूँ तोहर सन्तान सभ केँ जमा कऽ लिअह। मुदा तोँ ई नहि चाहलह! 38 देखह, आब तोहर घर उजड़ल पड़ल छह। 39 हम तोरा कहैत छिअह, तोँ हमरा फेर ताबत तक नहि देखबह जाबत तक ओ समय नहि आओत जहिया तोँ ई कहबह जे, ‘धन्य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि!’”
1 यीशु जखन मन्दिर सँ निकलि कऽ चल जा रहल छलाह तँ हुनकर शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ मन्दिरक मकान सभ देखाबऽ लगलथिन। 2 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “ई सभ चीज देखैत छी? हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एतऽ एकोटा पाथर एक-दोसर पर नहि रहत। सभ ढाहल जायत।” 3 जैतून पहाड़ पर यीशु जखन बैसल छलाह तँ शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ एकान्त मे हुनका सँ पुछलथिन, “हमरा सभ केँ कहू जे ई घटना कहिया होयत? अहाँ आब फेर आबऽ पर छी आ संसारक अन्त होमऽ पर अछि, ताहि समय केँ हम सभ कोन बात सँ चिन्हब?” 4 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “होसियार रहू जे अहाँ सभ केँ केओ बहकाबऽ नहि पाबय। 5 बहुतो लोक हमर नाम लऽ कऽ आओत आ कहत जे, ‘हमहीं उद्धारकर्ता-मसीह छी,’ आ बहुतो लोक केँ बहका देत। 6 अहाँ सभ लड़ाइक समाचार आ लड़ाइक हल्ला सभ सुनब। मुदा देखू, ताहि सँ घबड़ायब नहि। ई सभ होयब आवश्यक अछि, मुदा संसारक अन्त तहियो नहि होयत। 7 एक देश दोसर देश सँ लड़ाइ करत, और एक राज्य दोसर राज्य सँ। बहुतो ठाम मे अकाल पड़त आ भूकम्प होयत। 8 ई सभ बात तँ कष्टक शुरुआते होयत। 9 “ओहि समय मे लोक सभ अहाँ सभ पर अत्याचार करयबाक लेल अहाँ सभ केँ अधिकारी सभक जिम्मा मे लगा देत आ मरबा देत। अहाँ सभ सँ सभ देशक लोक सभ एहि लेल घृणा करत जे अहाँ सभ हमर लोक छी। 10 ओहि समय मे बहुतो लोक अपन विश्वास छोड़ि देत। ओ सभ एक-दोसर केँ पकड़बाओत आ एक-दोसर सँ घृणा करत। 11 एहन बहुतो लोक सभ प्रगट भऽ जायत जे झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहत आ बहुतो लोक केँ बहका देत। 12 अधर्मक वृद्धि भेला सँ अनेक लोकक आपसी प्रेम मन्द पड़ि जायत। 13 मुदा जे केओ अन्त धरि स्थिर रहत से उद्धार पाओत। 14 परमेश्वरक राज्यक ई शुभ समाचारक प्रचार सम्पूर्ण संसार मे कयल जायत जाहि सँ एकरा सम्बन्ध मे सभ जातिक लोक गवाही सुनय; तखन अन्तक समय आबि जायत। 15 “तेँ जखन अहाँ सभ ‘विनाश करऽ वला घृणित वस्तु’ केँ पवित्र स्थान मे ठाढ़ देखब, जकरा विषय मे परमेश्वरक प्रवक्ता दानिएल कहने छथि—पढ़ऽ वला ई बात ध्यान दऽ कऽ बुझू!— 16 तखन जे सभ यहूदिया प्रदेश मे होअय से सभ पहाड़ पर भागि जाय। 17 जे घरक छत पर होअय से उतरि कऽ घर मे सँ कोनो वस्तु लेबऽ नहि लागओ। 18 आ जे खेत मे होअय से घर मे सँ अपन ओढ़ना लेबाक लेल घूमि कऽ नहि आबओ। 19 ओहि समय मे जे स्त्रीगण सभ गर्भवती होयत वा जकरा दूधपीबा बच्चा होयतैक, तकरा सभ केँ कतेक कष्ट होयतैक! 20 प्रार्थना करू जे जाड़क समय वा विश्राम-दिन कऽ अहाँ सभ केँ भागऽ-पड़ाय नहि पड़य। 21 ओहि समय मे एहन कष्ट होयत जे सृष्टिक आरम्भ सँ आइ तक कहियो नहि भेल अछि आ ने फेर कहियो होयत। 22 जँ ओहि समय केँ घटा नहि देल जाइत तँ कोनो मनुष्य नहि बचैत, मुदा परमेश्वर अपन चुनल लोक सभक कारणेँ ओहि समय केँ घटा देताह। 23 “ओहि समय मे जँ केओ अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘देखू, मसीह एतऽ छथि!’ वा ‘ओतऽ छथि!’ तँ ओहि बात पर विश्वास नहि करू। 24 कारण, ओहि समय मे झुट्ठा मसीह आ झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहऽ वला सभ प्रगट होयत, और एहन अजगूत बात आ चमत्कार सभ देखाओत जे, जँ सम्भव रहैत, तँ परमेश्वरक चुनल लोक सभ केँ सेहो बहका दैत। 25 देखू, हम अहाँ सभ केँ पहिनहि कहि देलहुँ। 26 “तेँ जँ केओ अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘चलू, देखू, ओ निर्जन स्थान मे छथि,’ तँ ओकरा संग बाहर नहि जाउ। अथवा जँ कहत जे, ‘देखू, ओ एतऽ कोठरी मे छथि,’ तँ विश्वास नहि करू। 27 किएक तँ जहिना बिजलोकाक चमक पूब सँ निकलि कऽ पश्चिम तक देखाइ दैत अछि, तहिना जखन मनुष्य-पुत्र फेर औताह तँ एहने होयत। 28 जतऽ कतौ लास रहैत अछि ततऽ गिद्ध सभ जुटैत अछि। 29 “ओहि समयक कष्टक ठीक बाद, ‘सूर्य अन्हार भऽ जायत, चन्द्रमा इजोत नहि देत, आकाश सँ तारा सभ खसत, और आकाशक शक्ति सभ हिलि जायत।’ 30 तकरबाद मनुष्य-पुत्रक अयबाक चिन्ह आकाश मे देखाइ देत। पृथ्वी परक सभ जातिक लोक सभ कन्ना-रोहटि करत और मनुष्य-पुत्र केँ सामर्थ्य आ अपार महिमाक संग आकाशक मेघ मे अबैत देखत। 31 धुतहूक पैघ आवाजक संग ओ अपन स्वर्गदूत सभ केँ चारू दिस पठौताह आ ओ सभ आकाश आ पृथ्वीक अन्तिम सीमा तक जा कऽ हुनकर चुनल लोक सभ केँ जमा करताह। 32 “आब अंजीरक गाछ सँ एकटा बात सिखू। जखन ओकर ठाढ़ि कोमल होमऽ लगैत छैक आ ओहि मे नव पात निकलऽ लगैत छैक तँ अहाँ सभ बुझि जाइत छी जे गर्मीक समय आबि रहल अछि। 33 तहिना जखन अहाँ सभ ई सभ बात होइत देखब तँ बुझि लिअ जे समय लगचिआ गेल, हँ, ई बुझू जे ओ घरक मुँह पर आबि गेल अछि। 34 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एहि पीढ़ी केँ समाप्त होमऽ सँ पहिने ई सभ घटना निश्चित घटत। 35 आकाश और पृथ्वी समाप्त भऽ जायत, मुदा हमर वचन अनन्त काल तक रहत। 36 “मुदा एहि घटना सभक दिन वा समय केओ नहि जनैत अछि, स्वर्गदूतो सभ नहि आ पुत्रो नहि —मात्र पिता जनैत छथि। 37 जहिना नूहक समय मे भेल तहिना ओहि समय मे होयत जहिया मनुष्य-पुत्र फेर औताह। 38 जल-प्रलय होमऽ सँ पहिने लोक सभ खाय-पिबऽ मे आ विवाह करऽ-कराबऽ मे लागल छल। नूह जाहि दिन जहाज मे चढ़ि गेलाह ताहि दिन तक लोक सभ एहि सभ काज मे मस्त रहल। 39 ओकरा सभ केँ किछु बुझऽ मे नहि अयलैक जे कोन बात सभ होमऽ वला अछि, ताबत जल-प्रलयक बाढ़ि आबि कऽ ओकरा सभ केँ बहा कऽ लऽ गेलैक। मनुष्य-पुत्र जहिया फेर औताह, तहिया ओहिना होयत। 40 ओहि समय मे दू गोटे खेत मे रहत; ओहि मे सँ एकटा लऽ लेल जायत आ दोसर ओतहि छोड़ि देल जायत। 41 दूटा स्त्रीगण जाँत पिसैत रहत, एकटा लऽ लेल जायत आ दोसर छोड़ि देल जायत। 42 “तेँ अहाँ सभ चौकस रहू, कारण अहाँ सभ नहि जनैत छी जे अहाँ सभक प्रभु कोन दिन आबि जयताह। 43 मुदा ई बात ठीक सँ बुझि लिअ जे, जँ घरक मालिक केँ बुझल रहितैक जे चोर रातिक कोन पहर मे आओत तँ ओ जागल रहैत आ अपना घर मे सेन्ह नहि काटऽ दैत। 44 तेँ अहूँ सभ सदिखन तैयार रहू, कारण मनुष्य-पुत्र एहने समय मे आबि जयताह जाहि समयक लेल अहाँ सभ सोचबो नहि करब जे ओ एखन औताह। 45 “के अछि ओहन विश्वासपात्र आ बुद्धिमान सेवक जकरा मालिक अपन घरक आरो सेवक सभक मुखिया बनौथिन जे ओ ठीक सँ ओकरा सभक देख-रेख करैक आ समय पर भोजन-भातक व्यवस्था करैक? 46 ओहि सेवकक लेल कतेक नीक होयत, जकरा मालिक आबि कऽ ओहिना करैत पौताह। 47 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, मालिक अपन सम्पूर्ण सम्पत्तिक जबाबदेही ओकरा जिम्मा मे दऽ देथिन। 48 मुदा ओ सेवक जँ दुष्ट अछि आ एना सोचय जे, ‘हमर मालिक आबऽ मे बहुत देरी कऽ रहल अछि,’ 49 आ ई सोचि ओ मालिकक आरो सेवक सभ केँ मारय-पिटय आ स्वयं पिअक्कड़ सभक संग खाय-पिबऽ लागय, 50 तँ ओहि सेवकक मालिक एहन दिन मे घूमि औताह जहिया ओ अपन मालिकक बाट नहि तकैत रहत आ एहन समय मे औताह जकरा ओ नहि जानत। 51 मालिक आबि कऽ ओकरा खण्ड-खण्ड कटबा देथिन आ ओकरा ताहि ठाम राखि देथिन जतऽ पाखण्डी लोक अपन दण्ड भोगैत अछि। ओतऽ लोक कनैत आ दाँत कटकटबैत रहैत अछि।
1 “ओहि समय मे स्वर्गक राज्य ओहि दस कुमारि कन्याक घटना वला बात जकाँ होयत जे सभ अपन-अपन दीप लऽ कऽ वरक स्वागत करबाक लेल निकलल। 2 ओहि मे पाँचटा मूर्ख आ पाँचटा बुद्धिआरि छलि। 3 मूर्ख कन्या सभ दीप तँ लेलक मुदा फाजिल तेल अपना संग नहि रखलक। 4 मुदा बुद्धिआरि कन्या सभ अपन दीप आ अलग बर्तन मे तेल सेहो लऽ गेलि। 5 वर केँ आबऽ मे जखन देरी भेलनि तँ सभ औँघाय लागलि आ सुति रहलि। 6 “आधा राति बितला पर हो-हल्ला होमऽ लागल जे, ‘चलू, चलू, वर आबि गेलाह! हुनका सँ भेँट करऽ चलू!’ 7 ई सुनि सभ कुमारि कन्या उठलि आ अपन-अपन दीप सभ ठीक करऽ लागलि। 8 मूर्ख कन्या सभ बुद्धिआरि कन्या सभ केँ कहलकैक, ‘देखह, हमर सभक दीप मिझाय लागल। तोँ सभ अपना मे सँ कनेक तेल हमरा सभ केँ दैह।’ 9 मुदा ओ बुद्धिआरि कन्या सभ उत्तर देलकैक जे, ‘नहि, कहीं ई तेल अपना सभ गोटेक लेल पूरा नहि ने होअय। तेँ नीक ई जे तोँ सभ तेल बेचऽ वला सँ किनि कऽ लऽ आनह।’ 10 “ओ सभ जखन तेल किनबाक लेल गेलि तखने वर आबि गेलाह। जे सभ तैयार छलि, से सभ वरक संग विवाह-भोज मे भीतर गेलि आ केबाड़ बन्द कयल गेल। 11 बाद मे ओ तेल किनऽ वाली मूर्ख कन्या सभ आयल आ कहऽ लागलि, ‘यौ प्रभु, यौ प्रभु! हमरा सभक लेल केबाड़ खोलि दिअ!’ 12 मुदा वर उत्तर देलथिन, ‘हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, हम अहाँ सभ केँ नहि चिन्हैत छी।’” 13 तखन यीशु कहलनि, “तेँ अहाँ सभ होसियार रहू, कारण अहाँ सभ ओहि दिन आ ओहि समय केँ नहि जनैत छी। 14 “स्वर्गक राज्य परदेश जाय लागल एक गोटेक यात्रा वला बात जकाँ अछि। परदेश जाय सँ पहिने ओ अपन सेवक सभ केँ बजौलनि आ अपन सम्पत्तिक देख-रेख करबाक भार ओकरा सभक जिम्मा देलथिन। 15 ओ अपन सेवक सभक गुणक अनुसार एकटा केँ पाँच हजार, दोसर केँ दू हजार आ तेसर केँ एक हजार सोनक रुपैया जिम्मा दऽ परदेश चल गेलाह। 16 जकरा पाँच हजार भेटल छलैक, से ओकरा तुरत व्यापार मे लगौलक आ ओहि सँ पाँच हजार आओर कमायल। 17 एहि तरहेँ जकरा दू हजार भेटल छलैक से दू हजार आओर कमायल। 18 मुदा जकरा एक हजार भेटल छलैक से खधिया खुनि कऽ अपन मालिकक रुपैया ओहि मे नुका कऽ धयलक। 19 “बहुत समय बितला पर मालिक परदेश सँ घूमि अयलाह आ अपन सेवक सभ सँ हिसाब-किताब लेबऽ लगलाह। 20 जकरा पाँच हजार भेटल छलैक से दस हजार रुपैया आनि कऽ अपना मालिक केँ कहलकनि, ‘मालिक, अपने हमरा पाँच हजार देने छलहुँ, देखल जाओ, हम एहि सँ पाँच हजार आरो कमयलहुँ।’ 21 मालिक ओहि सेवक केँ कहलथिन, ‘चाबस! तोँ नीक आ भरोसमन्द सेवक छह! थोड़बो वस्तु मे तोँ विश्वसनीय रहलह। हम आब तोरा बहुत वस्तु पर अधिकार देबह। अपन मालिकक आनन्द मे सहभागी बनह!’ 22 “जकरा दू हजार भेटल छलैक सेहो आबि कऽ कहलकनि, ‘मालिक, अपने हमरा दू हजार देने छलहुँ, देखल जाओ, हम एहि सँ दू हजार आरो कमयलहुँ।’ 23 मालिक ओहू सेवक केँ कहलथिन, ‘चाबस! तोँ नीक आ भरोसमन्द सेवक छह! थोड़बो वस्तु मे तोँ विश्वसनीय रहलह। हम आब तोरा बहुत वस्तु पर अधिकार देबह। अपन मालिकक आनन्द मे सहभागी होअह!’ 24 “तकरबाद जकरा एक हजार भेटल छलैक से आयल आ कहलक, ‘मालिक, हम अपने केँ जनैत छी जे अपने कठोर आदमी छी। जाहि खेत मे रोपने नहि छी, ताहि मे कटनी करबैत छी। जतऽ अपनेक वस्तु छिटायल नहि रहैत अछि, ततऽ समटबैत छी। 25 तेँ हमरा डर भेल आ अपनेक देल एक हजार रुपैया हम जमीन मे गाड़ि कऽ रखने छलहुँ। लेल जाओ अपन ओ रुपैया।’ 26 मालिक ओहि सेवक केँ कहलथिन, ‘है दुष्ट आ आलसी सेवक! जखन तोँ जनैत छलेँ जे हम जाहि मे रोपने नहि छी ताहि मे कटनी करैत छी आ जतऽ हमर छिटायल नहि अछि ततऽ हम समटैत छी, 27 तँ तोँ हमर पाइ कोनो महाजनक जिम्मा लगा दिते, जाहि सँ हम आबि कऽ अपन पाइ कम सँ कम व्याजक संग पबितहुँ। 28 हौ, एकरा सँ इहो पाइ लऽ लैह आ जकरा लग दस हजार छैक तकरा दऽ दहक। 29 किएक तँ जकरा लग छैक तकरा आरो देल जयतैक, जाहि सँ ओकरा बहुते भऽ जायत। मुदा जकरा लग नहि छैक, तकरा सँ जेहो छैक सेहो लऽ लेल जयतैक। 30 और एहि निकम्मा सेवक केँ बाहर अन्हार मे फेकि दैह जतऽ लोक कनैत आ दाँत कटकटबैत रहैत अछि।’ 31 “मनुष्य-पुत्र अपन सभ स्वर्गदूतक संग जहिया अपना महिमा मे औताह, तहिया ओ अपन महिमामय सिंहासन पर बैसताह। 32 पृथ्वी परक सभ जातिक लोक हुनका समक्ष जमा कयल जायत, आ जहिना चरबाह भेँड़ा सभ केँ बकरी सभ सँ छुटिअबैत अछि, तहिना ओ लोक सभ केँ एक-दोसर सँ अलग करताह। 33 ओ ‘भेँड़ा’ सभ केँ अपन दहिना कात आ ‘बकरी’ सभ केँ अपन बामा कात ठाढ़ करताह। 34 “तकरबाद राजा अपन दहिना कात ठाढ़ भेल लोक सभ केँ कहथिन, ‘हे हमर पिताक कृपापात्र सभ! आउ, ओहि राज्यक अधिकारी बनू, जकरा सृष्टिक आरम्भ सँ अहाँ सभक लेल तैयार कयल गेल अछि। 35 कारण, हम भूखल छलहुँ आ अहाँ सभ हमरा भोजन करौलहुँ। हम पियासल छलहुँ आ अहाँ सभ हमरा पानि पिऔलहुँ। हम परदेशी छलहुँ आ अहाँ सभ अपना घर मे हमर सेवा-सत्कार कयलहुँ। 36 हम नाङट छलहुँ आ अहाँ सभ हमरा वस्त्र पहिरौलहुँ। हम बिमार छलहुँ आ अहाँ सभ हमर रेख-देख कयलहुँ। हम जहल मे छलहुँ आ अहाँ सभ हमरा सँ भेँट करबाक लेल अयलहुँ।’ 37 “ताहि पर ओ धर्मी लोक सभ हुनका कहथिन, ‘यौ प्रभु, हम सभ अहाँ केँ कहिया भूखल देखलहुँ आ भोजन करौलहुँ, पियासल देखलहुँ आ पानि पिऔलहुँ? 38 हम सभ अहाँ केँ कहिया परदेशी देखलहुँ आ अपना घर मे सेवा-सत्कार कयलहुँ, नाङट देखलहुँ आ वस्त्र पहिरौलहुँ? 39 कहिया हम सभ अहाँ केँ बिमार वा जहल मे देखलहुँ आ अहाँ सँ भेँट करबाक लेल गेलहुँ?’ 40 एहि पर राजा हुनका सभ केँ उत्तर देथिन, ‘हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जे किछु अहाँ सभ हमर एहि भाय सभ मे सँ ककरो लेल, छोटो सँ छोटक लेल कयलहुँ, से हमरा लेल कयलहुँ।’ 41 “तकरबाद राजा अपन बामा कात ठाढ़ लोक सभ केँ कहथिन, ‘हे सरापित लोक सभ! तोँ सभ हमरा लग सँ दूर हटि जाह और कहियो नहि मिझाय वला ओहि आगिक कुण्ड मे पड़ल रहह, जे शैतान आ ओकर दूत सभक लेल तैयार कयल गेल अछि। 42 कारण, हम भूखल छलहुँ आ तोँ सभ हमरा खयबाक लेल किछु नहि देलह, पियासल छलहुँ आ तोँ सभ पानि नहि पिऔलह। 43 हम परदेशी छलहुँ आ तोँ सभ अपना ओतऽ हमर स्वागत नहि कयलह, नाङट छलहुँ आ वस्त्र नहि पहिरौलह। हम बिमार छलहुँ, जहल मे छलहुँ, मुदा तोँ सभ हमरा देखबाक लेल नहि अयलह।’ 44 “एहि पर ओहो सभ पुछतनि जे, ‘यौ प्रभु, हम सभ अहाँ केँ कहिया भूखल, पियासल, परदेशी, नाङट, बिमार वा जहल मे बन्द देखलहुँ आ अहाँक सेवा नहि कयलहुँ?’ 45 ताहि पर राजा ओकरा सभ केँ उत्तर देथिन, ‘हम तोरा सभ केँ सत्य कहैत छिअह जे, जे किछु तोँ सभ हमर एहि भाय सभ मे सँ ककरो लेल, छोटो सँ छोटक लेल नहि कयलह से हमरो लेल नहि कयलह।’” 46 तखन यीशु कहलनि, “ई सभ अनन्त दण्ड भोगबाक लेल चल जायत, मुदा धर्मी सभ अनन्त जीवन मे प्रवेश करत।”
1 ई सभ बात जखन कहल भऽ गेलनि तँ यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, 2 “अहाँ सभ जनैत छी जे दू दिनक बाद फसह-पाबनि अछि। ओहि समय मे मनुष्य-पुत्र क्रूस पर लटका कऽ मारबाक लेल पकड़बाओल जायत।” 3 ओम्हर काइफा नामक महापुरोहित जे छलाह तिनका आङन मे मुख्यपुरोहित आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित सभ जमा भऽ कऽ 4 अपना मे विचार-विमर्श करऽ लगलाह जे कोन तरहेँ छल सँ यीशु केँ पकड़ि कऽ मारल जाय। 5 ओ सभ कहैत छलाह जे, “मुदा पाबनिक समय मे नहि। एना नहि होअय जे जनता उपद्रव करय।” 6 यीशु जखन बेतनिया गाम मे सिमोन नामक एक आदमी, जिनका पहिने कुष्ठ-रोग भेल छलनि, तिनका ओहिठाम छलाह, 7 तँ एक स्त्री बेसकिमती सुगन्धित तेल एकटा संगमरमरक बर्तन मे लऽ कऽ अयलीह। यीशु भोजन करैत छलाह तखने ओ स्त्री ओहि सुगन्धित तेल केँ यीशुक माथ पर ढारि देलथिन। 8 ई देखि हुनकर शिष्य सभ खिसिआइत बजलाह, “एहन नीक वस्तु किएक एना बरबाद कयल गेल? 9 एहि तेल केँ बढ़ियाँ दाम मे बेचि कऽ बहुतो गरीबक सहायता कयल जा सकैत छल।” 10 शिष्य सभक बात बुझि यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “एहि स्त्री केँ अहाँ सभ किएक डाँटि रहल छी? ई तँ हमरा लेल बहुत बढ़ियाँ काज कयलनि। 11 गरीब सभ तँ अहाँ सभक संग सभ दिन रहत, मुदा हम अहाँ सभक संग सभ दिन नहि रहब। 12 ई सुगन्धित तेल हमरा मूड़ी पर ढारि कऽ ई स्त्रीगण हम जे कबर मे राखल जायब, तकर तैयारी कयलनि। 13 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, संसार भरि मे जतऽ कतौ हमर शुभ समाचारक प्रचार कयल जायत, ततऽ एहि स्त्रीगणक स्मरण मे हिनकर एहि काजक चर्चा सेहो कयल जायत।” 14 तकरबाद यीशुक बारह शिष्य मे सँ एक जकर नाम यहूदा इस्करियोती छलैक से मुख्यपुरोहित सभ लग जा कऽ कहलकनि, 15 “हम जँ यीशु केँ अहाँ सभक हाथ मे पकड़बा देब तँ अहाँ सभ हमरा की देब?” एहि पर ओ सभ तीसटा चानीक सिक्का ओकरा देलथिन। 16 ओहि समय सँ यहूदा यीशु केँ पकड़बयबाक अनुकूल अवसरक ताक मे रहऽ लागल। 17 “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि”क पहिल दिन यीशुक शिष्य सभ हुनका लग आबि पुछलथिन, “फसह-पाबनिक भोजक व्यवस्था अहाँक लेल हम सभ कतऽ ठीक करू?” 18 यीशु कहलथिन, “शहर मे फलानाक ओतऽ जाउ आ कहू, ‘गुरुजी कहलनि अछि जे हमर समय आब लगचिआ गेल अछि। हम अपन शिष्य सभक संग अहाँक ओतऽ फसह-भोज खायब।’” 19 शिष्य सभ यीशुक कथनानुसार सभ बात कऽ कऽ फसह-पाबनिक भोजक व्यवस्था ओतहि कयलनि। 20 साँझ पड़ला पर यीशु अपन बारहो शिष्यक संग भोजन करबाक लेल बैसलाह। 21 भोजन करैत समय यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, अहाँ सभ मे सँ एक गोटे हमरा पकड़बा देब।” 22 ई सुनि शिष्य सभ बहुत उदास भऽ गेलाह। ओ सभ बेरा-बारी हुनका सँ पुछऽ लगलनि जे, “हे प्रभु, ओ हम तँ नहि छी?” 23 यीशु उत्तर देलथिन, “हमरा संग जे बट्टा मे हाथ रखने अछि सैह हमरा पकड़बाओत। 24 मनुष्य-पुत्रक सम्बन्ध मे जहिना धर्मशास्त्र मे लिखल गेल अछि तहिना तँ ओ चलिए जायत, मुदा धिक्कार अछि ओहि मनुष्य केँ जे मनुष्य-पुत्र केँ पकड़बा रहल अछि। ओकरा लेल तँ नीक ई रहितैक जे ओ जन्मे नहि लेने रहैत।” 25 एहि पर हुनका पकड़बाबऽ वला यहूदा कहलकनि, “गुरुजी, की अहाँ हमरा बारे मे तँ नहि कहि रहल छी?” यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ स्वयं कहि देलहुँ।” 26 ओ सभ जखन भोजन कऽ रहल छलाह तँ यीशु रोटी लेलनि आ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। ओ रोटी केँ तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ कहलथिन, “लिअ, खाउ, ई हमर देह अछि।” 27 तकरबाद ओ बाटी लेलनि आ परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ शिष्य सभ केँ दैत कहलथिन, “अहाँ सभ केओ एहि मे सँ पिबू। 28 ई परमेश्वर आ मनुष्यक बीच विशेष सम्बन्ध स्थापित करऽ वला हमर खून अछि, जे बहुत लोकक पापक क्षमादानक लेल बहाओल जा रहल अछि। 29 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, ई अंगूरक रस हम आजुक बाद ताबत तक फेर नहि पीब जाबत तक हम अपन पिताक राज्य मे अहाँ सभक संग नवका अंगूरक रस नहि पीब।” 30 तकरबाद एक भजन गाबि कऽ ओ सभ जैतून पहाड़ पर चल गेलाह। 31 तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “आइए राति अहाँ सभ गोटे हमरा कारणेँ अपना विश्वास मे डगमगायब, किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे परमेश्वर कहने छथि, ‘हम चरबाह केँ मारि देबैक, आ झुण्डक भेँड़ा सभ छिड़िया जायत।’ 32 मुदा मृत्यु सँ फेर जीवित भऽ गेलाक बाद हम अहाँ सभ सँ पहिने गलील प्रदेश जायब।” 33 एहि पर पत्रुस कहलथिन, “चाहे सभ केओ अहाँक कारणेँ विश्वास मे डगमगायत, मुदा हम कहियो नहि डगमगायब!” 34 यीशु पत्रुस केँ कहलथिन, “हम अहाँ केँ सत्य कहैत छी जे, आइए राति मे मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर हमरा अस्वीकार कऽ कऽ लोक केँ कहबैक जे, हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।” 35 मुदा पत्रुस कहलथिन, “हमरा जँ अहाँक संग मरहो पड़त तैयो हम किन्नहुँ नहि अहाँ केँ अस्वीकार करब।” आरो सभ शिष्य सेहो यैह बात कहलथिन। 36 ओहिठाम सँ यीशु अपन शिष्य सभक संग गतसमनी नामक एक जगह पर गेलाह। ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम किछु आगाँ जा कऽ जाबत प्रार्थना करैत छी ताबत अहाँ सभ एतऽ बैसल रहू।” 37 ओ पत्रुस आ जबदीक दूनू पुत्र केँ अपना संग लऽ गेलाह। ओ बहुत व्यथित आ व्याकुल होमऽ लगलाह, 38 और हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमर मोन व्यथा सँ एतेक व्याकुल अछि—मानू जे हम दुःख सँ मरऽ पर छी। अहाँ सभ एहिठाम रहि कऽ हमरा संग जागल रहू।” 39 एतेक कहि ओ कनेक आगाँ बढ़लाह आ मुँह भरे खसि कऽ प्रार्थना करऽ लगलाह, “हे हमर पिता, जँ भऽ सकैत अछि तँ ई दुःखक बाटी हमरा लग सँ हटा लिअ, मुदा तैयो जेना हम चाहैत छी तेना नहि, बल्कि जेना अहाँ चाहैत छी तेना होअय।” 40 तकरबाद यीशु अपन तीनू शिष्य लग अयलाह। ओ हुनका सभ केँ सुतल देखि पत्रुस केँ पुछलथिन, “की हमरा संग एको घण्टा जागल रहितहुँ से अहाँ सभ केँ पार नहि लागल? 41 परीक्षा मे नहि पड़ि जाउ ताहि लेल अहाँ सभ जागल रहू आ प्रार्थना करैत रहू। आत्मा तँ तत्पर अछि मुदा शरीर कमजोर।” 42 यीशु फेर जा कऽ प्रार्थना करऽ लगलाह, “हे पिता, जँ ई बाटी बिनु पिने हमरा लग सँ नहि हटाओल जा सकैत अछि, तँ अहाँक जे इच्छा अछि से पूरा होअय।” 43 ओ जखन प्रार्थना कऽ कऽ शिष्य सभ लग अयलाह तँ ओ सभ फेर सुतल छलाह। हुनकर सभक आँखि नीन सँ भारी भऽ गेल छलनि। 44 यीशु हुनका सभ केँ सुतले छोड़ि कऽ फेर गेलाह आ तेसरो बेर ओही तरहेँ प्रार्थना कयलनि। 45 तकरबाद ओ शिष्य सभ लग अयलाह आ कहलथिन, “की अहाँ सभ एखनो तक सुतिए रहल छी आ आरामे कऽ रहल छी? देखू, ओ समय आब आबि गेल, मनुष्य-पुत्र पापी सभक हाथ मे पकड़बाओल जा रहल अछि। 46 उठू-उठू! चलू! देखू, हमरा पकड़बाबऽ वला आबि गेल अछि!” 47 यीशु ई बात कहिए रहल छलाह कि यहूदा, जे बारह शिष्य मे सँ एक छल, ओतऽ पहुँचि गेल। ओकरा संग लोकक बड़का भीड़ छलैक, और सभक हाथ मे तरुआरि आ लाठी छल। ओकरा सभ केँ मुख्यपुरोहित सभ आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि पठौने छलाह। 48 यीशु केँ पकड़बाबऽ वला ओकरा सभ केँ ई संकेत देने छलैक जे, “हम जकरा चुम्मा लेब, वैह होयत। अहाँ सभ ओकरे पकड़ि लेब।” 49 यहूदा तुरत यीशुक लग मे जा कऽ कहलकनि, “गुरुजी, प्रणाम!” आ हुनका चुम्मा लेलकनि। 50 यीशु कहलथिन, “हौ मित्र, तोँ जाहि काजक लेल आयल छह, से कऽ लैह।” तखन लोक सभ आगाँ बढ़ि कऽ यीशु केँ पकड़ि लेलकनि आ बन्दी बना लेलकनि। 51 ई देखि यीशुक एक शिष्य अपन तरुआरि निकालि कऽ महापुरोहितक टहलू पर चला देलनि जाहि सँ ओकर एकटा कान छपटा गेलैक। 52 यीशु अपना शिष्य केँ कहलथिन, “अपन तरुआरि म्यान मे राखि लिअ। जे केओ तरुआरि चलबैत अछि से तरुआरि सँ मारल जायत। 53 की अहाँ ई सोचैत छी, जे हम अपन पिता सँ एहि बातक लेल निवेदन नहि कऽ सकैत छी जे ओ एही क्षण हमरा सहायताक लेल स्वर्गदूतक बारह सेना सँ बेसिओ पठबथि? 54 मुदा तखन धर्मशास्त्रक जे लेख अछि, जे ई सभ भेनाइ जरूरी अछि, से कोना पूरा होइत?” 55 तकरबाद यीशु अपना चारू भागक भीड़क लोक केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ हमरा विद्रोह मचाबऽ वला बुझि कऽ लाठी और तरुआरि लऽ कऽ पकड़ऽ अयलहुँ? हम तँ सभ दिन मन्दिर मे बैसि कऽ लोक केँ उपदेश दैत छलिऐक, ततऽ अहाँ सभ हमरा नहि पकड़लहुँ। 56 मुदा ई सभ एना एहि लेल भेल जे परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक लिखल बात सभ पूरा होअय।” तकरबाद हुनकर सभ शिष्य हुनका छोड़ि कऽ पड़ा गेलनि। 57 यीशु केँ पकड़ऽ वला सभ हुनका महापुरोहित काइफाक ओतऽ लऽ गेलनि। ओहिठाम धर्मशिक्षक आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ जमा भेल छलाह। 58 पत्रुस सेहो कनेक दूरे रहि कऽ यीशुक पाछाँ लागल महापुरोहितक आङन तक गेलाह। ओ एहि घटनाक अन्त देखबाक उद्देश्य सँ नोकर सभक संग भीतर जा कऽ बैसि रहलाह। 59 ओम्हर मुख्यपुरोहित सभ आ सम्पूर्ण धर्म-महासभाक सदस्य सभ यीशु केँ मृत्युदण्डक योग्य बनयबाक लेल हुनका विरोध मे झूठ-फूसक प्रमाण सभ जमा करबाक कोशिश मे लागल छलाह। 60 मुदा बहुतो झुट्ठा गवाह सभक वयान लेलाक बादो कोनो पकिया प्रमाण हुनका सभ केँ नहि भेटलनि। अन्त मे दू गोटे आगाँ आबि कऽ बाजल, 61 “ई आदमी कहने छल जे, ‘हम परमेश्वरक मन्दिर केँ तोड़ि कऽ तीन दिन मे फेर ओकर निर्माण कऽ सकैत छी’।” 62 एहि पर महापुरोहित ठाढ़ होइत यीशु केँ पुछलथिन, “की अहाँ कोनो उत्तर नहि देब? ई गवाह सभ अहाँक विरोध मे केहन बात सभ कहि रहल अछि?” 63 मुदा यीशु चुपे रहलाह। महापुरोहित फेर कहलथिन, “अहाँ जीवित परमेश्वरक सपत खा कऽ कहू जे, की अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह, परमेश्वरक पुत्र छी?” 64 यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ अपने कहि देलहुँ। और हम अहाँ सभ केँ इहो बात कहैत छी जे, भविष्य मे अहाँ सभ मनुष्य-पुत्र केँ सर्वशक्तिमान परमेश्वरक दहिना कात बैसल आ आकाशक मेघ मे अबैत देखब।” 65 ई बात सुनिते महापुरोहित अपन वस्त्र फाड़ैत बजलाह, “ई आदमी अपना केँ परमेश्वरक बराबरि बुझैत अछि! की अपना सभ केँ एखनो गवाह सभक आवश्यकता अछि? अहाँ सभ स्वयं अपन कान सँ सुनलहुँ जे ई परमेश्वरक निन्दा कयलक। 66 आब अहाँ सभक की विचार अछि?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “ई मृत्युदण्डक जोगरक अछि।” 67 तकरबाद ओहिठाम उपस्थित लोक सभ यीशु केँ मुँह पर थूक फेकऽ लगलनि, हुनका मुक्का मारलकनि। किछु लोक हुनका थप्पड़ मारैत कहलकनि, 68 “यौ अन्तर्यामी मसीह! कहल जाओ, अपने केँ के मारलक?” 69 पत्रुस ओहि समय धरि बाहर आङन मे बैसल छलाह। तखन एक टहलनी हुनका लग आबि कऽ कहलकनि, “अहूँ तँ गलील निवासी यीशुक संग छलहुँ।” 70 मुदा पत्रुस सभक सामने मे अस्वीकार करैत ओकरा कहलथिन, “तोँ की बाजि रहल छेँ से हमरा बुझहे मे नहि अबैत अछि।” 71 ई बात कहि पत्रुस ओहिठाम सँ हटि कऽ आङनक मुँह पर चल गेलाह। तखन एक दोसर टहलनी हुनका देखि ओतऽ ठाढ़ लोक सभ केँ कहलक, “ई आदमी नासरत नगरक यीशुक संग छल।” 72 पत्रुस सपत खाइत फेर अस्वीकार कयलनि जे, “हम ओहि आदमी केँ नहि चिन्हैत छी!” 73 किछु कालक बाद ओहिठाम ठाढ़ लोक सभ पत्रुस लग आबि कऽ कहलकनि, “निश्चय तोँ ओकरे सभ मे सँ छह। तोहर बोलिए एहि बात केँ स्पष्ट कऽ रहल छह।” 74 तखन पत्रुस सपत खा कऽ अपना केँ सरापऽ लगलाह आ कहलथिन जे, “हम ओहि आदमी केँ चिन्हिते नहि छी!” ठीक ओही क्षण मे मुर्गा बाजि उठल। 75 तखन पत्रुस केँ यीशुक कहल ओ बात मोन पड़ि गेलनि जे, “मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ हमरा तीन बेर अस्वीकार करब।” ओ ओहिठाम सँ बाहर भऽ भोकासी पाड़ि कऽ कानऽ लगलाह।
1 प्रात भेने भोरे-भोर सभ मुख्यपुरोहित आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ आपस मे विचार-विमर्श कऽ एहि बातक निश्चय कयलनि जे यीशु केँ मारि देल जाय। 2 ओ सभ यीशु केँ बान्हि कऽ लऽ गेलाह आ राज्यपाल पिलातुसक जिम्मा मे लगा देलथिन। 3 यहूदा इस्करियोती जे यीशु केँ पकड़बौने छल, से जखन देखलक जे यीशु केँ मृत्युदण्डक आज्ञा देल गेलनि, तखन ओ बहुत पछतायल। ओ मुख्यपुरोहित आ बूढ़-प्रतिष्ठित सभ लग चानीक तीस सिक्का लऽ कऽ गेल आ हुनका सभ केँ कहलकनि, 4 “हम निर्दोष व्यक्ति केँ मृत्युदण्डक लेल पकड़बा कऽ पाप कयलहुँ अछि।” ओ सभ उत्तर देलथिन, “ई बात तोँ जानह, एहि सँ हमरा सभ केँ कोनो मतलब नहि अछि।” 5 एहि पर ओ चानीक सिक्का सभ मन्दिर मे फेकि कऽ चल गेल आ अपना केँ फँसरी लगा लेलक। 6 मुख्यपुरोहित सभ ओ चानीक सिक्का उठा कऽ बजलाह, “एकरा मन्दिरक खजाना मे राखब उचित नहि होयत, किएक तँ ई खूनक मूल्य अछि।” 7 ओ सभ आपस मे एहि बातक विचार-विमर्श कऽ परदेशी लोक सभक लास केँ गाड़बाक लेल ओहि पाइ सँ कुम्हारक एकटा खेत किनि लेलनि। 8 एहि कारण सँ आइओ धरि ओ खेत “खूनक खेत” कहबैत अछि। 9 एहि तरहेँ परमेश्वरक प्रवक्ता यर्मियाहक ई वचन पूर्ण भेल जे, “ओ सभ तीस चानीक सिक्का लेलक; ई ओ मूल्य छल, जे इस्राएली लोक सभ हुनकर दाम लगौने छल। 10 जेना प्रभु सँ हमरा आज्ञा भेटल छल, तेना ओहि पाइ सँ कुम्हारक खेत किनल गेल।” 11 एम्हर यीशु राज्यपाल पिलातुसक सम्मुख ठाढ़ छलाह। राज्यपाल हुनका सँ पुछलथिन, “की अहाँ यहूदी सभक राजा छी?” यीशु हुनका उत्तर देलथिन, “अहाँ अपने कहि रहल छी।” 12 मुदा मुख्यपुरोहित आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ जे कोनो दोष यीशु पर लगौलथिन तकर ओ कोनो उत्तर नहि देलथिन। 13 एहि पर पिलातुस कहलथिन, “की अहाँ नहि सुनि रहल छी जे ई सभ अहाँ पर कतेक आरोप लगा रहल छथि?” 14 मुदा यीशु एको बातक कोनो उत्तर नहि देलथिन। ई बात देखि राज्यपाल केँ बहुत आश्चर्य लगलनि। 15 प्रत्येक साल फसह-पाबनिक अवसर पर राज्यपाल जनताक इच्छाक अनुसार एक कैदी केँ छोड़ि दैत छलाह। 16 ओहि समय मे बरब्बा नामक एक नामी अपराधी जहल मे बन्द छल। 17 भीड़ केँ जमा भेला पर राज्यपाल पिलातुस ओकरा सभ केँ पुछलथिन, “अहाँ सभ की चाहैत छी? अहाँ सभक लेल हम ककरा छोड़ि दिअ? बरब्बा केँ वा यीशु केँ, जे मसीह कहबैत अछि?” 18 पिलातुस ई बात जानि गेल छलाह जे धर्मगुरु सभ यीशु केँ ईर्ष्याक कारणेँ पकड़बौने छथि। 19 पिलातुस न्यायासन पर बैसले छलाह कि हुनकर स्त्री कहा पठौलथिन जे, “ओहि निर्दोष मनुष्य केँ किछु नहि करिऔक! किएक तँ हम आइ राति सपना मे हुनका कारणेँ बहुत दुःख सहलहुँ अछि।” 20 मुदा मुख्यपुरोहित सभ आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ जमा भेल लोक सभ केँ सिखा देने छलाह जे, “तोँ सभ बरब्बा केँ छोड़ि देबाक लेल आ यीशुक मृत्युदण्डक माँग करिहह।” 21 राज्यपाल ओकरा सभ केँ पुछलथिन, “अहाँ सभ की चाहैत छी? एहि दूनू मे सँ अहाँ सभक लेल हम ककरा छोड़ि दिअ?” ओ सभ बाजल, “बरब्बा केँ।” 22 पिलातुस कहलथिन, “तखन फेर एहि यीशु केँ, जे मसीह कहबैत अछि तकरा हम की करू?” सभ कहऽ लागल, “ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 23 ओ पुछलथिन, “किएक? ई कोन अपराध कयने अछि?” एहि पर लोकक भीड़ आरो जोर-जोर सँ चिचियाय लागल, “ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 24 जखन पिलातुस देखलनि जे यीशु केँ बचयबाक हुनकर प्रयत्न सफल नहि भऽ रहल अछि, बल्कि एहि सँ उपद्रव बढ़ि रहल अछि, तखन ओ हाथ मे पानि लऽ कऽ लोक सभक सामने अपन हाथ धोइत कहलथिन, “एहि मनुष्यक खूनक दोषी हम नहि छी। अहीं सभ एहि बात केँ जानू!” 25 भीड़क लोक हुनका उत्तर देलकनि, “एकर खूनक दोष हमरा सभ पर आ हमर सभक सन्तान सभ पर होअय!” 26 तकरबाद पिलातुस ओकरा सभक इच्छाक अनुसार बरब्बा केँ छोड़ि देलथिन आ यीशु केँ कोड़ा सँ पिटबा कऽ क्रूस पर चढ़यबाक लेल सैनिक सभक जिम्मा लगा देलथिन। 27 राज्यपालक सैनिक सभ यीशु केँ राजभवन मे लऽ गेलनि आ अपन पूरा सैनिक-दल केँ हुनका चारू कात जमा कऽ लेलक। 28 ओ सभ यीशु जे वस्त्र पहिरने छलाह तकरा निकलबा कऽ लाल रंगक राजसी वस्त्र पहिरा देलकनि। 29 काँटक मुकुट बना हुनका मूड़ी पर रखलकनि आ हुनका दहिना हाथ मे एक छड़ी पकड़ा देलकनि। तकरबाद हुनका सामने ठेहुनिया दऽ कऽ हुनकर मजाक उड़बैत कहऽ लगलनि, “यहूदी सभक राजा, प्रणाम!” 30 ओ सभ हुनका पर थूक फेकलकनि आ हुनका हाथ सँ छड़ी लऽ कऽ बेर-बेर मूड़ी पर मारलकनि। 31 ओ सभ एहि तरहेँ यीशुक मजाक उड़ौलाक बाद हुनका देह पर सँ लाल रंग वला वस्त्र निकालि लेलकनि आ हुनकर अपन कपड़ा फेर पहिरा देलकनि। तकरबाद ओ सभ हुनका क्रूस पर लटकयबाक लेल लऽ गेलनि। 32 शहर सँ बाहर लऽ जाइत काल सैनिक सभ केँ सिमोन नामक एक आदमी जे कुरेन नगरक रहऽ वला छल, से भेटलैक। ओकरा सैनिक सभ जबरदस्ती पकड़ि कऽ यीशुक क्रूस उठा कऽ लऽ चलबाक लेल कहलकैक। 33 यीशु केँ लऽ कऽ ओ सभ गुलगुता, अर्थात् “खप्पड़ वला स्थान” पर पहुँचल। 34 ओहिठाम ओ सभ यीशु केँ तीत दवाइ मिलाओल दारू पिबाक लेल देलकनि, मुदा ओ ओकरा चिखि कऽ नहि पिलनि। 35 सैनिक सभ हुनका हाथ-पयर मे काँटी ठोकि कऽ क्रूस पर टाँगि देलकनि। हुनकर वस्त्र पर चिट्ठा खसा कऽ अपना मे बाँटि लेलक, 36 तखन ओतऽ बैसि कऽ पहरा देबऽ लागल। 37 ओ सभ एक दोष-पत्र हुनका मूड़ीक उपर क्रूस पर टाँगि देलक जाहि पर लिखल छलैक जे, “ई यीशु अछि, यहूदी सभक राजा”। 38 यीशुक संगे दूटा डाकू सेहो क्रूस पर चढ़ाओल गेल, एकटा हुनकर दहिना कात और दोसर बामा कात। 39 ओहि बाटे आबऽ-जाय वला लोक सभ मूड़ी डोला-डोला कऽ हुनकर निन्दा कऽ रहल छल। 40 ओ सभ कहैत छल, “रे मन्दिर केँ तोड़ऽ वला और तीन दिन मे ओकरा बनाबऽ वला! तोँ जँ परमेश्वरक पुत्र छेँ तँ अपना केँ बचा आ एहि क्रूस पर सँ उतरि आ।” 41 तहिना मुख्यपुरोहित लोकनि, धर्मशिक्षक सभ आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ सेहो हुनकर मजाक उड़बैत कहलनि, 42 “ई आन लोक सभ केँ बचबैत रहल मुदा अपना केँ नहि बचा सकैत अछि। ई जँ इस्राएलक राजा अछि तँ एखन क्रूस पर सँ उतरि आबओ, तखन हमहूँ सभ एकरा पर विश्वास करबैक। 43 ई आदमी परमेश्वर पर भरोसा रखैत छल। जँ एकरा सँ परमेश्वर प्रसन्न छथिन तँ एखन बचबथुन। ई तँ अपना केँ परमेश्वरक पुत्र कहैत छल।” 44 एहि तरहेँ ओ डाकू सभ सेहो, जकरा यीशुक संग क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलैक, यीशुक निन्दा कऽ रहल छल। 45 ओहि दिन बारह बजे सँ तीन बजे तक सम्पूर्ण देश अन्हार-कुप्प भऽ गेल। 46 करीब तीन बजे मे यीशु बहुत जोर सँ बजलाह जे, “एली, एली, लामा सबक्तनी”, जकर अर्थ ई अछि, “हे हमर परमेश्वर, हे हमर परमेश्वर, हमरा अहाँ किएक छोड़ि देलहुँ?” 47 ई सुनि ओतऽ ठाढ़ लोक सभ मे सँ किछु लोक बाजल, “ई आदमी एलियाह केँ बजा रहल अछि।” 48 ओकरा सभ मे सँ एक गोटे तुरत दौड़ि कऽ गेल आ रूइ जकाँ एकटा एहन चीज जे पानि सोखैत अछि से लऽ कऽ तीताह दारू मे डुबा लेलक, तखन ओकरा लाठीक हूर पर अटका कऽ हुनका पिबाक लेल देलकनि। 49 मुदा दोसर लोक सभ ओकरा कहलकैक, “थम्हह, पहिने देखी जे एलियाह एकरा बचयबाक लेल अबैत छथि कि नहि।” 50 तकरबाद यीशु फेर जोर सँ आवाज दऽ कऽ अपन प्राण त्यागि देलनि। 51 ओही क्षण मन्दिर मे जे परदा छलैक से ऊपर सँ नीचाँ तक चिरा कऽ दू भाग मे फाटि गेल। पृथ्वी डोलऽ लागल। चट्टान सभ फाटि गेल। 52 कबरक मुँह खुजि गेल आ परमेश्वरक बहुतो भक्त सभक लास फेर जिआओल गेल। 53 ओ सभ कबर सँ बहरा कऽ यीशु केँ जीबि उठलाक बाद “पवित्र नगर” मे जा कऽ बहुतो लोक सभ केँ देखाइ देलनि। 54 रोमी कप्तान आ हुनका संग यीशु पर पहरा देबऽ वला सैनिक सभ, भूकम्प आ एहि घटना सभ केँ देखि बहुत डेरा गेल, और बाजि उठल, “सत्ये ई परमेश्वरक पुत्र छलाह!” 55 बहुतो स्त्रीगण सभ सेहो ओतऽ छलीह, जे सभ दूरे सँ ई बात सभ देखि रहल छलीह। ओ सभ गलील प्रदेश सँ यीशुक संग हुनकर सेवा-टहल करैत आयल छलीह। 56 हुनका सभ मे मरियम मग्दलीनी, याकूब आ यूसुफक माय मरियम, और जबदीक स्त्री, अर्थात् याकूब आ यूहन्नाक माय, छलीह। 57 साँझ पड़ला पर अरिमतिया नगरक निवासी यूसुफ नामक एक धनिक व्यक्ति ओतऽ अयलाह। ओहो यीशुक शिष्य बनि गेल छलाह। 58 ओ राज्यपाल पिलातुसक ओतऽ जा कऽ यीशुक लास मँगलथिन। पिलातुस आदेश देलनि जे लास यूसुफ केँ दऽ देल जानि। 59 यूसुफ हुनकर लास लऽ गेलाह आ साफ मलमलक कपड़ा मे ओकरा लपेटि कऽ 60 अपन नव कबर मे रखलनि जे ओ एक चट्टान मे कटबा कऽ बनबौने छलाह। लास केँ रखलाक बाद ओ कबरक मुँह पर एक भारी पाथर गुड़का कऽ लगा देलनि आ चल गेलाह। 61 मरियम मग्दलीनी आ दोसर मरियम कबरक सामने बैसल छलीह। 62 एहि घटनाक प्रात भेने, अर्थात् विश्राम-दिन मे, मुख्यपुरोहित लोकनि आ फरिसी सभ एक संग पिलातुसक ओतऽ जा कऽ हुनका कहलथिन, 63 “यौ सरकार! हमरा सभ केँ स्मरण अछि जे ओ ठग आदमी, जखन ओ जीबैत छल तखन कहने छल जे, ‘हम तीन दिनक बाद फेर जीबि उठब’। 64 तेँ अपने आज्ञा देल जाओ जे तीन दिन धरि ओहि कबर पर पहरा राखल जाय। नहि तँ कतौ एना नहि होअय जे ओकर चेला सभ ओकर लास चोरा कऽ लऽ जाय आ लोक सभ केँ कहऽ लागय जे, ओ मुइल सभ मे सँ जीबि उठलाह। तखन एहि बेरक ई धोखा वला बात पहिलुको धोखा सँ खराब होयत।” 65 पिलातुस हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ सैनिक सभ लऽ जाउ आ जेहन सुरक्षा अहाँ सभ कबरक करऽ चाहैत होइ तेहन करू।” 66 तखन ओ सभ गेलाह आ कबरक मुँह पर बन्दक छाप लगा देलनि। सैनिक सभ केँ कबरक सुरक्षा करबाक लेल पहरा पर राखि देलथिन।
1 विश्राम-दिनक प्रात भेने, अर्थात् सप्ताहक पहिल दिन, भोर सँ भोर मरियम मग्दलीनी आ दोसर मरियम कबर देखबाक लेल गेलीह। 2 एकाएक बड़का भूकम्प भेल, कारण, परमेश्वरक एक स्वर्गदूत स्वर्ग सँ उतरलाह, और कबरक मुँह पर सँ पाथर गुड़का कऽ ओहि पर बैसि रहलाह। 3 हुनकर रूप बिजलोका जकाँ चमकैत छलनि आ हुनकर वस्त्र बर्फ सन उज्जर छलनि। 4 पहरा पर बैसल सैनिक सभ हुनका देखि एतेक डेरा गेल जे थर-थर काँपऽ लागल आ मरल सन भऽ गेल। 5 तखन स्वर्गदूत ओहि स्त्रीगण सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ नहि डेराउ। हम जनैत छी जे अहाँ सभ यीशु केँ, जिनका क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलनि, तिनका तकबाक लेल आयल छी। 6 मुदा ओ एतऽ नहि छथि। ओ जहिना कहने छलाह तहिना जीबि उठल छथि। आउ, ओहि स्थान केँ देखू जतऽ हुनका राखल गेल छलनि, 7 आ तखन जल्दी जा कऽ हुनकर शिष्य सभ केँ ई समाचार सुनाउ जे, ‘ओ मुइल सभ मे सँ जीबि उठलाह! अहाँ सभ सँ पहिने गलील जा रहल छथि आ ओतऽ हुनका सँ भेँट होयत।’ ई बात अहाँ सभ केँ कहि देलहुँ।” 8 ओ सभ डर आ तैयो बड़का खुशीक संग ई समाचार शिष्य सभ केँ सुनयबाक लेल कबर पर सँ दौड़ पड़लीह। 9 एकाएक यीशु हुनका सभक आगाँ मे प्रगट भऽ देखाइ देलथिन आ नमस्कार कयलथिन। स्त्रीगण सभ लग मे जा कऽ हुनकर पयर पकड़ि कऽ आराधना कयलनि। 10 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ डेराउ नहि। जा कऽ हमर भाय सभ केँ गलील मे पहुँचबाक लेल कहिऔक। ओतहि ओ सभ हमरा देखत।” 11 स्त्रीगण सभ एखन रस्ते मे छलीह। ओम्हर कबर पर पहरा देबऽ वला मे सँ किछु सैनिक सभ नगर मे जा कऽ मुख्यपुरोहित सभ केँ एहि घटनाक सम्पूर्ण विवरण कहि सुनौलक। 12 मुख्यपुरोहित सभ यहूदी सभक बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि केँ जमा कऽ एहि विषय मे किछु विचार-विमर्श कयलनि। तकरबाद ओ सभ ओहि सैनिक सभ केँ बहुत रुपैया-पैसा दैत कहलथिन, 13 “लोक केँ अहाँ सभ ई कहू जे, ‘राति मे हम सभ जखन सुतल छलहुँ तँ ओकर चेला सभ ओकर लास चोरा कऽ लऽ गेल।’ 14 राज्यपाल पिलातुस तक जँ कतौ ई खबरि पहुँचत तँ हम सभ हुनका सँ ई बात सभ मिला लेब और अहाँ सभ केँ बचा लेब।” 15 सैनिक सभ हुनका सभ सँ ओ पाइ लऽ लेलक आ जहिना ओ सभ सिखौने छलथिन तहिना लोक सभ केँ कहऽ लागल। ई अफवाह यहूदी सभ मे दूर-दूर पसरि गेल और आइओ तक ओकरा सभ मे प्रचलित अछि। 16 यीशुक एगारह शिष्य गलील जा कऽ ओहि पहाड़ पर गेलाह जतऽ यीशु हुनका सभ केँ पहुँचबाक लेल कहने छलथिन। 17 यीशु केँ देखि कऽ ओ सभ हुनकर आराधना कयलथिन। मुदा किछु गोटेक मोन मे हुनका बारे मे शंको छलनि। 18 तखन यीशु हुनका सभक लग आबि कहलथिन, “स्वर्ग आ पृथ्वीक सम्पूर्ण अधिकार हमरा देल गेल अछि। 19 एहि लेल अहाँ सभ आब जा कऽ सभ जातिक लोक केँ हमर शिष्य बनाउ और ओकरा सभ केँ पिता, पुत्र आ पवित्र आत्माक नाम सँ बपतिस्मा दिऔक। 20 हम जतेक आदेश अहाँ सभ केँ देने छी तकर सभक पालन करबाक लेल ओकरा सभ केँ सिखाउ। मोन राखू, संसारक अन्त तक हम सदिखन अहाँ सभक संग छी।”
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