Mark11 परमेश्वरक पुत्र यीशु मसीहक शुभ समाचार एहि तरहेँ शुरू होइत अछि— 2 परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाह द्वारा लिखल पुस्तक मे भविष्यवाणी कयल गेल अछि जे, “देखू, अहाँ सँ पहिने हम अपन दूत पठायब, जे अहाँक आगाँ-आगाँ अहाँक बाट तैयार करत।” 3 “निर्जन क्षेत्र मे केओ जोर सँ आवाज दऽ रहल अछि जे, ‘प्रभुक लेल मार्ग तैयार करू, हुनका लेल सोझ बाट बनाउ।’” 4 तहिना यूहन्ना नामक दूत निर्जन क्षेत्र मे अयलाह और लोक केँ बपतिस्मा दैत प्रचार करऽ लगलाह जे, “पापक क्षमा पयबाक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करू और बपतिस्मा लिअ।” 5 यहूदिया प्रदेशक और यरूशलेम शहरक सभ लोक बाहर निकलि कऽ हुनका लग गेल और अपन पाप स्वीकार करैत यरदन नदी मे हुनका सँ बपतिस्मा लेलक। 6 यूहन्ना ऊँटक रोंइयाँ सँ बनल वस्त्र पहिरने रहैत छलाह और अपना डाँड़ मे चमड़ाक पट्टी बन्हने रहैत छलाह। भोजन मे फनिगा आ वन वला मधु खाइत छलाह। 7 ओ एहि तरहेँ प्रचार करैत छलाह, “हमरा बाद मे एक गोटे आबि रहल छथि जे हमरा सँ शक्तिशाली छथि। हम झुकि कऽ हुनकर जुत्तो खोलऽ जोगरक नहि छी। 8 हम तँ अहाँ सभ केँ पानि सँ बपतिस्मा दैत छी लेकिन ओ अहाँ सभ केँ पवित्र आत्मा सँ बपतिस्मा देताह।” 9 ओहि समय मे यीशु गलील प्रदेशक नासरत नगर सँ अयलाह और यूहन्ना सँ यरदन नदी मे बपतिस्मा लेलनि। 10 पानि सँ बाहर होइत काल यीशु आकाश केँ फटैत और परबाक रूप मे पवित्र आत्मा केँ अपना पर उतरैत देखलनि। 11 स्वर्ग सँ आवाज आयल जे, “अहाँ हमर प्रिय पुत्र छी। अहाँ सँ हम बहुत प्रसन्न छी।” 12 तखन पवित्र आत्मा तुरत यीशु केँ निर्जन क्षेत्र मे पठौलथिन 13 जतऽ चालिस दिन धरि शैतान हुनका सँ पाप करयबाक कोशिश कयलकनि। ओ जंगली जानबर सभक बीच मे रहैत छलाह और स्वर्गदूत सभ हुनकर सेवा करैत छलनि। 14 बाद मे, यूहन्ना केँ जहल मे राखि देल गेलाक बाद, यीशु गलील प्रदेश गेलाह और परमेश्वरक शुभ समाचारक प्रचार कयलनि जे, 15 “समय आबि गेल अछि, परमेश्वरक राज्य लग मे अछि! अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू आ शुभ समाचार पर विश्वास करू।” 16 एक दिन यीशु गलील झीलक कात चलैत काल मे सिमोन और हुनकर भाय अन्द्रेयास केँ झील मे जाल फेकैत देखलनि। ओ सभ मछबार छलाह। 17 यीशु हुनका सभ केँ बजौलथिन और कहलथिन, “यौ! हमरा पाछाँ आउ। हम अहाँ सभ केँ मनुष्य केँ पकड़ऽ वला मछबार बना देब।” 18 ओ सभ अपन जाल छोड़ि कऽ हुनका पाछाँ लागि गेलनि। 19 किछु आगू बढ़लाक बाद यीशु याकूब और यूहन्ना दूनू भाय केँ अपन बाबू जबदीक संग नाव मे जाल तैयार करैत देखलथिन। 20 ओ तुरत हुनका सभ केँ बजौलथिन, और ओ सभ अपन बाबू जबदी केँ जऽन-बोनिहारक संग नाव मे छोड़ि हुनका संग भऽ गेलनि। 21 ओ सभ कफरनहूम नगर गेलाह। विश्रामक दिन मे यीशु सभाघर मे जा कऽ उपदेश देबऽ लगलाह। 22 हुनकर शिक्षा सुनि लोक सभ चकित भेल किएक तँ ओ धर्मशिक्षक सभ जकाँ नहि, बल्कि अधिकारपूर्बक शिक्षा दैत छलाह। 23 एकाएक सभाघर मे एकटा दुष्टात्मा लागल आदमी हल्ला करऽ लागल जे, 24 “यौ नासरतक निवासी यीशु! अहाँ केँ हमरा सभ सँ कोन काज? हमरा सभ केँ नष्ट करऽ अयलहुँ की? हम अहाँ केँ चिन्हैत छी। अहाँ परमेश्वरक पवित्र दूत छी।” 25 यीशु दुष्टात्मा केँ डाँटि कऽ कहलथिन, “चुप रह! तोँ एकरा मे सँ निकल!” 26 दुष्टात्मा ओहि आदमी केँ झकझोड़ैत आ जोर सँ चिचियाइत ओकरा मे सँ निकलि गेल। 27 ई देखि सभ आदमी ततेक आश्चर्य-चकित भेल जे एक-दोसर केँ कहऽ लागल जे, “ई की बात? ई कोन प्रकारक नव उपदेश अछि? ई आदमी तँ अधिकारपूर्बक दुष्टात्मा सभ केँ सेहो आज्ञा दैत छथि और ओ सभ हिनकर बात मानैत छनि!” 28 एहि सभ सँ यीशुक चर्चा बहुत जल्दी सम्पूर्ण गलील प्रदेश मे चारू कात पसरि गेलनि। 29 यीशु सभाघर सँ बाहर भऽ कऽ तुरत सिमोन और अन्द्रेयासक घर गेलाह। हुनका संग यूहन्ना और याकूब सेहो छलाह। 30 सिमोनक सासु बोखार सँ पीड़ित ओछायन पर पड़ल छलीह। लोक सभ हुनका विषय मे यीशु केँ कहलकनि। 31 यीशु हुनका लग जा आ हुनकर हाथ पकड़ि कऽ उठौलथिन। हुनकर बोखार तुरत उतरि गेलनि और ओ हिनका सभक सेवा-सत्कार मे लागि गेलीह। 32 ओही दिनक साँझ मे सूर्यास्तक बाद लोक सभ रोगी और दुष्टात्मा लागल आदमी सभ केँ हुनका लग अनलकनि। 33 ओहि नगरक सभ लोक घरक सामने जमा भऽ गेल। 34 यीशु अनेक प्रकारक बिमारी सँ पीड़ित बहुत लोक सभ केँ नीक कयलनि, और बहुत लोक मे सँ दुष्टात्मा सभ केँ सेहो निकाललनि। मुदा ओ दुष्टात्मा सभ केँ बाजऽ नहि देलथिन किएक तँ यीशु के छथि से ओकरा सभ केँ बुझल छलैक। 35 दोसर दिन यीशु अन्हरोखे उठि बाहर गेलाह और एकान्त स्थान मे जा कऽ प्रार्थना करऽ लगलाह। 36 सिमोन और हुनकर संगी सभ हुनका ताकऽ लेल गेलनि। 37 भेँट भेला पर हुनका कहलथिन, “सभ केओ अहाँ केँ खोजि रहल अछि।” 38 तखन ओ उत्तर देलथिन जे, “अपना सभ कोनो दोसर ठाम चलू। लग-पासक आरो गाम-बजार सभ मे सेहो हम परमेश्वरक शुभ समाचार सुनायब, किएक तँ हम एही लेल आयल छी।” 39 तेँ ओ पूरा गलील प्रदेश मे घुमलाह और ओकरा सभक सभाघर सभ मे जा कऽ उपदेश देलनि, और लोक सभ मे सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकाललथिन। 40 एक बेर एकटा कुष्ठ-रोगी हुनका लग आबि ठेहुनिया रोपि कऽ हुनका सँ निवेदन कयलकनि जे, “अपने जँ चाही तँ हमरा शुद्ध कऽ सकैत छी।” 41 यीशु केँ ओकरा पर दया आबि गेलनि और ओ अपन हाथ बढ़ा कऽ ओकरा छुबि कऽ कहलथिन, “हम अवश्य चाहैत छिअह! तोँ शुद्ध भऽ जाह।” 42 तुरत्ते ओकर कुष्ठ-रोग ठीक भऽ गेलैक और ओ शुद्ध भऽ गेल। 43 यीशु ओकरा ई कड़ा आदेश दऽ कऽ विदा कयलथिन जे, 44 “ई बात ककरो नहि कहिअहक। पुरोहित लग जा कऽ अपना केँ देखाबह। शुद्ध होयबाक विषय मे मूसाक लिखल नियमक अनुसार, जे बलिदान चढ़यबाक अछि से चढ़ाबह। एहि तरहेँ सभक लेल गवाही रहत जे तोँ शुद्ध भऽ गेल छह।” 45 मुदा ओ एहि घटनाक विषय मे सभ केँ जा कऽ कहि देलकैक, जकर फल ई भेल जे यीशु आब खुलि कऽ कोनो नगर मे नहि जा सकैत छलाह। ओ शहर सँ बाहर एकान्त मे रहऽ लगलाह मुदा तैयो लोक सभ चारू दिस सँ हुनका लग अबैत-जाइत छलनि।
1 किछु दिनक बाद यीशु कफरनहूम नगर घूमि अयलाह। लोक सभ केँ पता लगलैक जे ओ घर मे छथि। 2 ई सुनि ततेक लोक जमा भऽ गेल जे घरक दुआरियो लग कनेको जगह नहि बाँचल। यीशु ओकरा सभ केँ परमेश्वरक शुभ समाचार सुनबैत रहथिन। 3 ओही समय मे एकटा लकवा मारल आदमी केँ चारि गोटे सँ खाट पर लदने किछु गोटे आयल। 4 भीड़क कारणेँ ओ सभ यीशु लग नहि पहुँचि सकल। तेँ चार पर चढ़ि चार उजाड़ि कऽ, जाहि ठाम नीचाँ मे यीशु छलाह ताहि ठाम सँ खाट सहित लकवाक रोगी केँ हुनका लग उतारि देलकनि। 5 ओकरा सभक विश्वास देखि कऽ यीशु लकवाक रोगी केँ कहलथिन, “हौ बेटा, तोहर पाप माफ भेलह।” 6 किछु धर्मशिक्षक जे ओहिठाम बैसल छलाह मोने-मोन विचार करऽ लगलाह जे, 7 “अरे! ई आदमी कोना एना परमेश्वरक निन्दा करैत अछि? परमेश्वर केँ छोड़ि आरो के पाप केँ माफ कऽ सकैत अछि?” 8 यीशु तुरत अपना आत्मा मे हुनका सभक मोनक बात बुझि गेलाह और हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ अपना-अपना मोन मे किएक एना तर्क-वितर्क करैत छी? 9 आसान की अछि—लकवाक रोगी केँ ई कहब जे, ‘तोहर पाप माफ भेलह,’ वा ई कहब जे, ‘उठह! अपन खाट उठा कऽ चलह-फिरह’? 10 मुदा जाहि सँ अहाँ सभ बुझि जाइ जे पृथ्वी पर पाप केँ माफ करबाक अधिकार मनुष्य-पुत्र केँ छनि, हम एकरा कहैत छी...” तखन ओ लकवाक रोगी केँ कहलथिन, 11 “हम तोरा कहैत छिअह, उठह, अपन खाट उठाबह आ घर चल जाह!” 12 ओ उठल और सभक सामने अपन खाट उठा कऽ विदा भऽ गेल। ई देखि सभ लोक अचम्भित भऽ गेल और परमेश्वरक जयजयकार करैत कहऽ लागल जे, “हम सभ तँ एहन घटना पहिने कहियो नहि देखने छलहुँ!” 13 तखन यीशु ओहिठाम सँ निकलि कऽ फेर झीलक कात गेलाह। बहुत लोक हुनका लग अबैत-जाइत रहलनि और ओ ओकरा सभ केँ उपदेश दैत रहलाह। 14 ओहिठाम सँ विदा भेलाक बाद रस्ता मे अल्फेयासक बेटा लेवी केँ कर असूल करऽ वला स्थान मे बैसल देखलथिन। हुनका बजा कऽ कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” लेवी उठि कऽ हुनका संग विदा भऽ गेलाह। 15 बाद मे यीशु लेवीक घर मे भोजन करऽ बैसलाह। हुनका आ हुनकर शिष्य सभक संग, कर असूल करऽ वला और “पापी” सभ सेहो बैसल छल। हुनका संग चलनिहार मे बहुतो एहनो लोक सभ छल। 16 फरिसी पंथक किछु धर्मशिक्षक जखन देखलनि जे यीशु कर असूल करऽ वला आ “पापी” सभक संग भोजन करैत छथि, तखन ओ सभ हुनकर शिष्य सभ सँ पुछलनि जे, “ओ कर असूल करऽ वला और पापी सभक संग किएक खाइत-पिबैत छथि?” 17 ई बात सुनि यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “वैद्यक आवश्यकता स्वस्थ लोक केँ नहि होइत छैक, बल्कि बिमार सभ केँ! हम धार्मिक सभ केँ नहि, बल्कि पापी सभ केँ बजयबाक लेल आयल छी।” 18 ओहि समय मे यूहन्नाक शिष्य सभ और फरिसी सभ उपास करैत छलाह। किछु लोक यीशु लग आबि कऽ पुछलकनि जे, “देखू! यूहन्नाक शिष्य सभ और फरिसी सभक शिष्य उपास कऽ रहल छथि। अहाँक शिष्य सभ किएक नहि?” 19 यीशु ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “जाबत तक वरियातीक संग वर अछि ताबत तक की वरियाती उपास करत? नहि! जाबत धरि वर संगे रहतैक ताबत धरि उपास नहि करत। 20 मुदा ओ समय आओत जहिया वर ओकरा सभक बीच सँ हटा लेल जायत। ओ सभ ताही दिन उपास करत। 21 “केओ पुरान कपड़ा मे नयाँ कपड़ाक चेफरी नहि लगबैत अछि। जँ लगाओत तँ नयाँ कपड़ा घोकचि कऽ पुरान कपड़ा केँ खिचत और ओ कपड़ा आरो फाटि जायत। 22 केओ नव दारू पुरान चमड़ाक थैली मे नहि रखैत अछि। कारण, एना जँ करत तँ थैली फाटि जयतैक और दारू आ थैली दूनू नष्ट भऽ जयतैक। नहि! नव दारू नये थैली मे राखल जाइत अछि।” 23 कोनो विश्राम-दिन कऽ यीशु और हुनकर शिष्य सभ खेत दऽ कऽ जा रहल छलाह। हुनकर शिष्य सभ चलैत-चलैत अन्नक बालि तोड़ि लैत छलाह। 24 ई देखि फरिसी सभ यीशु केँ कहलथिन, “देखू! जे काज विश्राम-दिन मे करब धर्म-नियमक अनुसार मना अछि, से ई सभ किएक करैत छथि?!” 25 यीशु हुनका सभ केँ जबाब देलथिन जे, “की अहाँ सभ ई नहि पढ़ने छी जे दाऊद आ हुनकर संगी सभ जखन भुखायल छलाह और हुनका सभक संग मे खयबाक लेल किछु नहि छलनि तखन ओ की कयलनि? 26 ओ अपना संगी सभक संग परमेश्वरक भवन मे गेलाह और परमेश्वर केँ चढ़ाओल रोटी खयलनि। ओहि समय मे अबियातर महापुरोहित छलाह। चढ़ाओल रोटी जे पुरोहित केँ मात्र खयबाक अधिकार छलनि से दाऊद अपनो खयलनि आ अपन संगिओ सभ केँ देलथिन।” 27 तखन ओकरा सभ केँ इहो कहलथिन जे, “विश्राम-दिन मनुष्यक लेल बनाओल गेल छैक, मनुष्य विश्राम-दिनक लेल नहि। 28 तेँ मनुष्य-पुत्र विश्रामो-दिनक मालिक छथि।”
1 दोसर बेर यीशु सभाघर गेलाह। एक गोटे जकर हाथ सुखायल छलैक सेहो ओहिठाम छल। 2 किछु लोक सभ यीशु पर दोष लगयबाक आधारक लेल हुनका पर नजरि गड़ौने छल जे, देखी ओ विश्राम-दिन मे एकरा स्वस्थ करताह वा नहि। 3 यीशु सुखल हाथ वला आदमी केँ कहलथिन, “उठह! सभक आगाँ मे ठाढ़ होअह।” 4 तखन लोक सभ दिस घूमि कऽ पुछलथिन जे, “विश्राम-दिन मे की उचित? नीक काज करब अथवा अधलाह? ककरो जीवनक रक्षा करब अथवा नष्ट करब?” केओ किछु नहि बाजल। 5 यीशु तमसा कऽ चारू दिस लोक सभ पर नजरि दौड़ौलनि। ओ लोक सभक जिद्दीपनक कारणेँ उदास भऽ गेलाह और ओहि आदमी केँ कहलथिन जे, “अपन हाथ बढ़ाबह।” ओ हाथ बढ़ौलक और ओकर हाथ एकदम ठीक भऽ गेलैक। 6 फरिसी सभ तुरत निकलि कऽ हेरोद-दलक संग मिलि कऽ यीशु केँ कोना मारल जाय, तकर षड्यन्त्र रचऽ लगलाह। 7 यीशु अपन शिष्य सभक संग झीलक कात मे चल गेलाह, और गलील प्रदेशक लोक सभक बड़का भीड़ हुनका सभक पाछाँ-पाछाँ गेलनि। 8 यीशु द्वारा कयल गेल काजक विषय मे सुनि कऽ यहूदिया प्रदेश, यरूशलेम, इदूमिया, यरदन नदीक ओहि पारक क्षेत्र, सूर और सीदोन नगरक क्षेत्र सँ बहुत लोक हुनका ओहिठाम आयल। 9 यीशु अपन शिष्य सभ केँ कछेर पर एकटा नाव तैयार राखऽ लेल कहलथिन जाहि सँ लोकक भीड़ हुनका दबा नहि देनि। 10 ओ ततेक लोक केँ नीक कयने रहथिन जे विभिन्न प्रकारक रोगी सभ हुनका शरीर मे भिड़बाक लेल ठेलम-ठेल कऽ रहल छल। 11 जखन दुष्टात्मा सभ हुनका देखैत छल तँ हुनका समक्ष खसि कऽ चिचिया लगैत छल जे, “अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी।” 12 मुदा यीशु ओकरा सभ केँ मना कयलथिन जे, “लोक केँ ई नहि कहिअहक जे हम के छी।” 13 तकर बाद यीशु पहाड़ पर चल गेलाह और जिनका सभ केँ ओ चुनलथिन तिनका सभ केँ अपना लग बजौलथिन। ओ सभ हुनका लग अयलनि। 14 यीशु बारह आदमी केँ “दूत” कहि कऽ नियुक्त कयलथिन जाहि सँ ओ सभ हुनका संग रहथि, आ जिनका ओ शुभ समाचारक प्रचार करबाक लेल आ दुष्टात्मा सभ केँ निकालबाक लेल पठा सकथि। 16 बारह शिष्य जिनका सभ केँ ओ चुनलनि से यैह सभ छथि—सिमोन, जिनका ओ “पत्रुस” नाम देलथिन, 17 जबदीक बेटा याकूब और हुनकर भाय यूहन्ना, जिनका सभ केँ ओ बुअनेरगिस, अर्थात् “ठनकाक पुत्र सभ” नाम देलथिन, 18 अन्द्रेयास, फिलिपुस, बरतुल्मै, मत्ती, थोमा, अल्फेयासक बेटा याकूब, तद्दै, सिमोन “देश-भक्त”, 19 और यहूदा इस्करियोती जे बाद मे यीशुक संग विश्वासघात कयलकनि। 20 तखन यीशु और हुनकर शिष्य सभ एकटा घर मे गेलाह। ओहिठाम ततेक लोक फेर जमा भऽ गेल जे हुनका सभ केँ भोजनो करबाक समय नहि भेटलनि। 21 हुनकर घरक लोक जखन ई बात सुनलनि तँ हुनका जबरदस्ती लऽ अयबाक लेल विदा भेलाह, ई सोचि जे यीशु पागल भऽ गेल छथि। 22 यरूशलेम सँ आयल धर्मशिक्षक सभ कहऽ लगलाह जे, “यीशु मे दुष्टात्मा सभक मुखिया बालजबूल छैक। तकरे शक्ति सँ ओ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत अछि।” 23 हुनका सभ केँ अपना लग बजा कऽ यीशु उदाहरण द्वारा उत्तर देलथिन जे, “शैतान कोना शैतान केँ भगा सकत? 24 जँ कोनो राज्य मे फूट पड़ि जाय तँ ओ नहि टिकि सकत। 25 तहिना जँ कोनो परिवार मे फूट भऽ गेल अछि तँ ओ नहि टिकि सकैत अछि। 26 जँ शैतान अपने केँ विरोध करय और ओकरा अपने मे फूट भऽ जाइक तँ ओ टिकि नहि सकैत अछि। ओकर विनाश निश्चित छैक। 27 केओ कोनो बलगर आदमीक घर मे ढुकि कऽ ओकर चीज-वस्तु ताबत तक नहि लुटि सकैत छैक, जाबत तक पहिने ओहि बलगर आदमी केँ बान्हि कऽ काबू मे नहि कऽ लैत अछि। ओकरा बान्हि लेलाक बादे ओकर वस्तु लुटि सकैत अछि। 28 अहाँ सभ केँ हम विश्वास दिअबैत छी जे, मनुष्य केँ सभ तरहक पाप आ निन्दाक बातक क्षमा भेटि सकैत छैक, 29 मुदा जँ केओ पवित्र आत्माक निन्दा करैत अछि तँ ओकरा कहियो क्षमा नहि भेटतैक। ओ अनन्त पापक दोषी होयत।” 30 यीशु ई बात एहि लेल कहलथिन जे ओ सभ कहैत छलाह जे हुनका मे दुष्टात्मा छनि। 31 ओहि समय मे यीशुक माय आ भाय लोकनि ओतऽ पहुँचलाह। सभ गोटे बाहर रहि कऽ, यीशु केँ बाहर अयबाक लेल खबरि पठौलनि। 32 यीशुक चारू कात लोक सभ बैसल छल। एक गोटे आबि कऽ हुनका कहलकनि जे, “सुनू! अहाँक माय और भाय लोकनि बाहर ठाढ़ छथि आ अहाँ केँ बजबैत छथि।” 33 ओ कहलथिन, “के छथि हमर माय? के सभ छथि हमर भाय?” 34 ओ चारू कात बैसल लोकक दिस ताकि कहलनि जे, “देखू! यैह सभ हमर माय और भाय लोकनि छथि! 35 जे केओ परमेश्वरक इच्छाक अनुसार चलैत छथि वैह हमर भाय, हमर बहिन, हमर माय छथि।”
1 दोसर बेर यीशु फेरो झीलक कात मे लोक सभ केँ शिक्षा देबऽ लगलाह। हुनका लग ततेक लोक जमा भऽ गेल जे ओ झील मे नाव पर चढ़ि कऽ किनार सँ कनेक हटि कऽ बैसि गेलाह। लोक सभ किनार पर सँ हुनकर शिक्षा सुनैत छल। 2 ओकरा सभ केँ ओ बहुत बात दृष्टान्त सभक द्वारा सिखबैत छलथिन। 3 एहि बेर उपदेश दैत ओ कहलथिन, “सुनू! एक किसान बीया बाउग करबाक लेल गेल। 4 बीया बाउग करैत काल किछु बीया रस्ताक कात मे खसल आ चिड़ै सभ आबि ओकरा खा लेलकैक। 5 किछु बीया पथराह जमीन पर खसल जतऽ बेसी माटि नहि होयबाक कारणेँ ओ जल्दी जनमि गेल। 6 मुदा रौद लगिते ओ झरकि गेल आ जड़ि नहि पकड़ि सकबाक कारणेँ सुखा गेल। 7 फेर दोसर बीया काँट-कुशक बीच मे खसल मुदा काँट-कुश बढ़ि कऽ ओकरा दबा देलकैक। तेँ ओहि बीया सँ कोनो फसिल नहि भेलैक। 8 किछु बीया नीक जमीन पर पड़ल। ओ जनमि कऽ फड़ल-फुलायल और फसिल देलक—कोनो तीस गुना, कोनो साठि गुना, कोनो सय गुना।” 9 तखन यीशु कहलथिन, “जकरा सुनबाक कान छैक, से सुनओ।” 10 बाद मे जखन यीशु अपन बारह शिष्य आ आरो संगी सभक संग एकान्त मे छलाह तखन ओ सभ एहि दृष्टान्तक बारे मे हुनका सँ पुछलथिन। 11 यीशु कहलथिन, “परमेश्वरक राज्यक रहस्यक ज्ञान अहाँ सभ केँ देल गेल अछि, मुदा जे बाहरक लोक अछि तकरा सभक लेल सभ बात दृष्टान्तक रूप मे रहैत छैक, 12 जाहि सँ, जहिना लिखल अछि, ‘तकितो ओ सभ देखय नहि, सुनितो ओ सभ बुझय नहि। एना जँ नहि रहैत तँ ओ सभ घुमि कऽ परमेश्वर लग अबैत और क्षमा पबैत।’ “ 13 तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “जँ अहाँ सभ एहि दृष्टान्तक अर्थ नहि बुझैत छिऐक तँ आरो दृष्टान्तक अर्थ कोना बुझबैक? 14 बाउग करऽ वला परमेश्वरक वचन केँ बाउग करैत अछि। 15 रस्ताक कात मे खसल बीया जकाँ ओ व्यक्ति अछि जकरा मे परमेश्वरक वचन बाउग कएल गेल छैक, और जखने ओ वचन सुनैत अछि तखने शैतान आबि कऽ ओकरा मे सँ बाउग कएल गेल वचन निकालि कऽ लऽ जाइत छैक। 16 तहिना दोसर आदमी ओहि बीया जकाँ अछि जे पथराह जमीन पर बाउग कएल गेल अछि। ई सभ परमेश्वरक वचन सुनि कऽ अपार आनन्दक संग तुरत ओकरा स्वीकार करैत अछि, 17 मुदा ओ वचन ओकरा मे जड़ि नहि पकड़ैत छैक और तेँ कनेके काल तक स्थिर रहैत अछि। जखन वचनक कारणेँ ओकरा कष्ट और अत्याचार सहबाक स्थिति अबैत छैक तखन ओ सभ तुरत विश्वास केँ छोड़ि दैत अछि। 18 फेर दोसर आदमी ओहि बीया जकाँ अछि जे काँट-कुशक बीच खसल। ई सभ वचन तँ सुनैत अछि 19 मुदा एहि संसारक चिन्ता, धनक मोह-माया आ आरो चीजक लालसा हृदय मे आबि कऽ वचन केँ दबा दैत छैक और ओ वचन ओकरा जीवन मे कोनो फल नहि दैत अछि। 20 नीक जमीन मे बाउग कयल गेल बीया जकाँ ओ सभ अछि जे वचन केँ सुनि कऽ ओकरा स्वीकार करैत अछि और फड़ि-फुला कऽ फसिल दैत अछि—केओ तीस गुना, केओ साठि गुना, केओ सय गुना।” 21 यीशु हुनका सभ केँ पुछलथिन जे, “की केओ डिबिया लेसि कऽ बासन सँ झँपैत अथवा चौकीक नीचाँ रखैत अछि? डिबिया तँ की लाबनि पर नहि रखैत अछि? 22 जँ किछु झाँपल अछि तँ एहि लेल जे उघारल जाय। जँ कोनो बात गुप्त अछि तँ एहि लेल जे एक दिन प्रगट कयल जाय। 23 जे सुनि सकैत अछि से सुनए!” 24 तखन ओ हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “जे बात सुनैत छी तकरा पर ध्यान दिअ! जाहि नाप सँ अहाँ देब, ओही नाप सँ अहाँ केँ देल जायत, और ओहि सँ बेसिओ। 25 किएक तँ जकरा छैक, तकरा आरो देल जयतैक और जकरा नहि छैक, तकरा सँ जेहो छैक सेहो लऽ लेल जयतैक।” 26 तखन ओ इहो कहलथिन, “परमेश्वरक राज्य एना छैक—एक आदमी खेत मे बीया बाउग कऽ कऽ 27 अपन दिन-चर्या मे लागि जाइत अछि। ओ बीया अँकुरित होइत छैक और बढ़ैत छैक, ओना तँ ओ आदमी ई नहि बुझैत अछि जे कोना ई सभ होइत छैक। 28 भूमि अपने सँ फल लबैत छैक—पहिने अँकुर, तखन बालि, और अन्त मे बालि मे पाकल दाना। 29 जखन अन्न पाकि जाइत छैक तखन ओ आदमी तुरत हाँसू चलबैत अछि किएक तँ कटबाक समय आबि गेल छैक।” 30 तखन यीशु कहलथिन, “परमेश्वरक राज्यक तुलना कोन वस्तु सँ कयल जाय? कोन दृष्टान्त द्वारा ओकर वर्णन कयल जाय? 31 ओ सरिसोक दाना जकाँ अछि। बाउग होमऽ वला बीया सभ मे सरिसोक दाना सभ सँ छोट होइत अछि। 32 मुदा जखन ओ बाउग होइत अछि और बढ़ैत अछि तखन सभ साग-पात सँ पैघ भऽ जाइत अछि। ओकर ठाढ़ि एतेक पैघ भऽ जाइत छैक जे ओकर छाँह मे आकाशक चिड़ै सभ सेहो अपन वास स्थान बना सकैत अछि।” 33 एहन आओर बहुत दृष्टान्त सभक द्वारा यीशु लोक सभ केँ परमेश्वरक वचन सुनौलथिन। 34 जहिना लोक केँ बुझऽ मे आबि सकल तहिना शिक्षा देलथिन। बिनु दृष्टान्त देने ओ ओकरा सभ केँ कोनो बात नहि कहैत छलथिन। मुदा जखन अपन शिष्य सभक संग असगरे रहैत छलाह तखन ओ हुनका सभ केँ सभ बातक अर्थ बुझा दैत छलथिन। 35 ओहि दिनक साँझ मे यीशु अपन शिष्य सभ केँ कहलथिन, “चलू! झीलक ओहि पार चलू!” 36 शिष्य सभ भीड़ केँ छोड़ि, जाहि नाव मे ओ बैसल छलाह ओहि नाव मे हुनका अपना संग लऽ कऽ चललाह। हुनका सभक संग आरो नाव सभ सेहो छल। 37 एकाएक बहुत जोर सँ अन्हड़-बिहारि आयल। झील मे बड़का लहरि उठऽ लागल और नाव सँ टकराय लागल। नाव पानि सँ भरऽ लागल। 38 यीशु नावक पछिलका भाग मे गेड़ुआ लगा कऽ सुतल छलाह। शिष्य सभ हुनका उठबैत कहलथिन, “यौ गुरुजी! अपना सभ डुबि रहल छी, तकर अहाँ केँ कोनो चिन्ता नहि अछि की?!” 39 ओ उठि कऽ अन्हड़ केँ डाँटि कऽ झील केँ कहलथिन, “शान्त भऽ जो! थम्हि जो!” अन्हड़-बिहारि रूकि गेल और सभ शान्त भऽ गेल। 40 तखन ओ शिष्य सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ किएक एहन डेरबुक छी! की अहाँ सभ केँ एखनो तक विश्वास नहि होइत अछि?” 41 ओ सभ अति भयभीत भऽ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह जे, “ई के छथि?! अन्हड़-बिहारि और लहरि केँ सेहो आज्ञा दैत छथिन तँ ओ सभ मानैत छनि!”
1 यीशु और हुनकर शिष्य सभ झीलक ओहि पार गिरासेनी सभक क्षेत्र मे पहुँचलाह। 2 नाव पर सँ उतरैत काल एक दुष्टात्मा लागल आदमी कबरिस्तान दिस सँ हुनका भेँट करऽ लेल अयलनि। 3 ओ आदमी कबरिस्तान मे रहैत छल। केओ आब ओकरा जंजीरो लऽ कऽ बान्हि नहि सकैत छल। 4 कतेको बेर लोक ओकरा जंजीर सँ हाथ-पयर बान्हि देने रहैक मुदा ओ सभ जंजीर केँ तोड़ि देने रहय। ककरो एतेक शक्ति नहि छल जे ओकरा सम्हारि कऽ राखि सकय। 5 दिन-राति कबरिस्तान और पहाड़ मे ओ सदिखन चिचियाइत रहैत छल और पाथर सँ अपना देह केँ कटैत रहैत छल। 6 यीशु केँ दूर सँ देखि ओ दौड़ैत आयल और हुनका पयर पर खसि कऽ 7 जोर सँ चिचिया लागल जे, “यौ परम परमेश्वरक पुत्र यीशु! अपने केँ हमरा सँ कोन काज? अपने केँ परमेश्वरक सपत अछि—हमरा दुःख नहि दिअ।” 8 ई बात ओ एहि द्वारे कहलक कि यीशु ओहि दुष्टात्मा केँ कहैत छलाह जे, “हे दुष्टात्मा! एहि आदमी मे सँ निकल!” 9 तखन यीशु ओकरा सँ पुछलथिन जे, “तोहर नाम की छह?” ओ कहलक जे, “हमर नाम अछि ‘सेना’, किएक तँ हम सभ बहुत गोटे छी।” 10 तखन ओ हुनका सँ विनती करऽ लागल जे, “हमरा सभ केँ एहि इलाका सँ बाहर नहि निकालू।” 11 ओहीठाम लग मे पहाड़ पर सुगरक बड़का झुण्ड चरि रहल छल। 12 दुष्टात्मा सभ यीशु सँ विनती कयलकनि जे, “हमरा सभ केँ ओहि सुगर सभ मे पठा दिअ, ओकरा सभ मे हमरा सभ केँ पैसऽ दिअ।” 13 यीशु ओकरा सभ केँ अनुमति दऽ देलथिन। ओ सभ ओहि आदमी मे सँ निकलि आयल और सुगर सभ मे प्रवेश कऽ गेल। पूरा झुण्ड—लगभग दू हजार सुगर—बताह भऽ पहाड़ पर सँ धरफरा कऽ झील मे खसल और सभ पानि मे डुबि कऽ मरि गेल। 14 सुगर चराबऽ वला तुरत भागि एहि घटनाक बारे मे नगर आ देहातो मे सुनौलक। एहि घटना केँ देखऽ लेल बहुतो लोक आयल। 15 यीशु लग पहुँचि कऽ ओहि आदमी केँ जकरा मे दुष्टात्मा पहिने रहैत छलैक कपड़ा पहिरने आ स्वस्थ मोने यीशु लग बैसल देखलक। ई देखि लोक सभ भयभीत भऽ गेल। 16 जे सभ ई घटना देखने छल से सभ विस्तारपूर्बक लोक सभ केँ कहि देलक जे कोना दुष्टात्मा लागल आदमी नीक भेल और सुगर सभ केँ की भेलैक। 17 तखन लोक सभ यीशु सँ ओहि इलाका सँ चल जयबाक लेल विनती करऽ लगलनि। 18 यीशु जखन नाव पर चढ़ऽ लगलाह तखन ओ आदमी जकरा मे पहिने दुष्टात्मा सभ रहैत छलैक से हुनका सँ विनती कयलकनि जे, “अपना संग हमरो चलऽ देल जाओ।” 19 मुदा यीशु ओकरा मना करैत कहलथिन, “तोँ अपना घर जाह, और प्रभु तोरा पर कतेक पैघ दया कयलथुन अछि से अपना आदमी सभ केँ सुनबहक।” 20 ओ आदमी “दस नगर” क्षेत्र मे जा कऽ, यीशु ओकरा लेल जे-जतेक कयने रहथिन से सुनाबऽ लागल। जे सभ ई बात सुनलक से सभ बहुत आश्चर्य-चकित भेल। 21 यीशु नाव मे झीलक एहि पार अयलाह। हुनकर चारू कात बड़का भीड़ जमा भऽ गेल। जखन यीशु झीलक कात मे ठाढ़ छलाह, 22 ओही समय मे सभाघरक याइरस नामक एक अधिकारी ओहिठाम अयलाह। यीशु केँ देखि कऽ हुनकर पयर पर खसैत 23 निवेदन कयलथिन जे, “हमर बेटी मरि रहल अछि। हमरा घर चलि कऽ ओकरा पर हाथ राखि कऽ ठीक कऽ देल जाओ, जाहि सँ ओ जीबय।” यीशु हुनका संग विदा भऽ गेलाह। 24 हुनका संग बड़का भीड़ चलल। चारू कात सँ लोक सभ यीशु केँ पिचऽ लगलनि। 25 भीड़ मे एक स्त्री छलि जकरा बारह वर्ष सँ खून खसऽ वला बिमारी छलैक। 26 ओ बहुतो वैद्य सँ इलाज कराबऽ मे बड्ड कष्ट सहल छलि और अपन सभ सम्पत्ति खर्च कऽ देने छलि। मुदा तैयो ओकरा कनेको गुण नहि कयलकैक। बल्कि ओकर अवस्था आओर अधलाहे होइत गेलैक। 27 यीशुक बारे मे ओ सुनने छलि। ओ हुनका पाछू आबि, हुनकर वस्त्रक कोर छुबि 28 मोन मे सोचलक जे, “जँ हम हुनकर वस्त्रो केँ छुबि लेब तँ हम ठीक भऽ जायब।” 29 हुनकर वस्त्र छुबिते ओकर खून बहनाइ बन्द भऽ गेलैक। ओकरा अपनो अनुभव भेलैक जे हम रोग सँ मुक्त भऽ गेल छी। 30 यीशु केँ सेहो तुरत अनुभव भेलनि जे हमरा मे सँ सामर्थ्य निकलि गेल अछि। ओ भीड़ दिस घूमि कऽ पुछलथिन जे, “हमरा वस्त्र केँ के छुलक?” 31 हुनकर शिष्य सभ हुनका कहलकनि जे, “अहाँ देखिते छी जे कतेक लोक अहाँ केँ दबा रहल अछि, तँ कोना पुछैत छी जे हमरा के छुलक?” 32 मुदा यीशु ई बुझबाक लेल जे ई के कयलक, चारू दिस अपन नजरि खिरौलनि। 33 तखन ओ स्त्री ई बुझि जे हमरा संग की भेल, डर सँ कँपैत आगू आयल आ यीशुक पयर पर खसैत हुनका सभ बात सत्य-सत्य कहि देलकनि। 34 यीशु ओकरा कहलथिन, “बेटी! तोहर विश्वास तोरा स्वस्थ कऽ देलकह। शान्तिपूर्बक जाह और अपन रोग सँ मुक्त रहह!” 35 यीशु ई बात कहिए रहल छलथिन कि अधिकारी याइरसक घर सँ किछु गोटे आबि कऽ याइरस केँ कहलकनि जे, “अहाँक बेटी मरि गेल। आब गुरुजी केँ आरो कष्ट देला सँ कोन लाभ?” 36 यीशु ई बात सुनि लेलथिन और सभाघरक अधिकारी केँ कहलथिन, “अहाँ डेराउ नहि! मात्र विश्वास राखू!” 37 ओ अपना संग पत्रुस, याकूब और याकूबक भाय यूहन्ना केँ छोड़ि आरो ककरो नहि आबऽ देलथिन। 38 सभाघरक अधिकारीक घर पहुँचि कऽ ओ लोक सभ केँ बहुत कनैत आ जोर सँ विलाप करैत देखलनि। 39 घर मे अबिते यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ हल्ला किएक करैत छी और कनैत किएक छी? बच्ची मरल नहि अछि—ओ सुतल अछि।” मुदा लोक सभ हुनका पर हँसऽ लागल। 40 तखन यीशु सभ लोक केँ बाहर हटा कऽ बच्चीक माय-बाबू केँ और अपन शिष्य सभ केँ अपना संग लऽ कऽ ओहि घर मे गेलाह जाहिठाम ओ बच्ची छल। 41 यीशु ओकर हाथ पकड़ि ओकरा कहलथिन, “तलीथा कूम!” जकर अर्थ अछि, “हे बच्ची! हम तोरा कहैत छिऔक, तोँ उठ!” 42 बच्ची तुरत उठि गेल और बुलऽ लागल—ओ तँ बारह वर्षक छल। ओ सभ बहुत आश्चर्य-चकित भेलाह। 43 यीशु एहि घटना केँ केओ नहि बुझय ताहि लेल दृढ़तापूर्बक आदेश देलथिन, आ कहलथिन जे बच्ची केँ किछु खयबाक लेल देल जाय।
1 यीशु ओहिठाम सँ अपन गाम अयलाह। हुनकर शिष्यो सभ हुनका संग छलनि। 2 विश्राम-दिन अयला पर ओ सभाघर मे उपदेश देबऽ लगलाह। हुनकर शिक्षा सुनि कऽ सभाक लोक आश्चर्य-चकित भऽ गेल और कहऽ लागल जे, “अरे! एकरा ई सभ बात कतऽ सँ भेटि गेलैक? ई कोन ज्ञान अछि जे एकरा देल गेल छैक? ई एहन चमत्कार सभ कोना करैत अछि! 3 की ई लकड़ी मिस्तिरी नहि अछि? की ई मरियमक बेटा और याकूब, योसेस, यहूदा और सिमोनक भाय नहि अछि? की एकर बहिन सभ अपना सभक बीच नहि रहैत अछि?” ओ सभ यीशु सँ डाह करऽ लागल। 4 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “मात्र अपने गाम, कुटुम्ब-परिवार, आ अपने घर मे परमेश्वरक प्रवक्ताक अनादर होइत छैक।” 5 ओ ओहिठाम कोनो चमत्कार नहि कऽ सकलाह, मात्र किछु रोगी पर हाथ राखि कऽ ओकरा सभ केँ स्वस्थ कयलथिन। 6 लोकक अविश्वास पर ओ चकित छलाह। यीशु उपदेश दैत गाम-गाम घुमऽ लगलाह। 7 ओ अपन बारहो शिष्य केँ बजा कऽ, हुनका सभ केँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालबाक अधिकार दऽ कऽ, दू-दू गोटेक समूह मे बाहर पठौलथिन। 8 ओ हुनका सभ केँ ई आज्ञा देलथिन जे, “बाटक लेल लाठी छोड़ि आरो किछु नहि लऽ जाउ—ने रोटी, ने झोरा और ने जेबी मे पैसा। 9 चप्पल पहिरि लिअ और एकेटा अंगा लिअ।” 10 तखन हुनका सभ केँ कहलथिन, “जाहि घर मे अहाँ सभ ठहरी, जाबत धरि ओहि गाम सँ विदा नहि होइ ताबत धरि ओही घर मे रूकू। 11 जतऽ कतौ लोक सभ अहाँ सभक स्वागत नहि करय और अहाँ सभ जे कहऽ चाहैत छी, से नहि सुनय, ताहि गाम सँ विदा होइत काल अपन पयरक गर्दा झाड़ि लेब। ई ओकरा सभक विरोधक गवाही रहत।” 12 ओ सभ विदा भेलाह और लोकक बीच प्रचार करऽ लगलाह जे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू। 13 बहुत लोक मे सँ दुष्टात्मा निकाललनि और बहुत रोगी पर तेल लगा कऽ ओकरा सभ केँ स्वस्थ कयलनि। 14 राजा हेरोद एहि घटना सभक विषय मे सुनलनि किएक तँ यीशुक यश खूब पसरि गेल छल। किछु लोक कहैत छल जे, “बपतिस्मा देबऽ वला यूहन्ना मुइल सभ मे सँ जिआओल गेल छथि, तेँ चमत्कार करबाक एहन सामर्थ्य हुनका मे क्रियाशील अछि।” 15 दोसर लोक सभ कहैत छल जे, “ओ तँ एलियाह छथि।” आरो सभ कहैत छल जे, “ओ प्राचीन कालक परमेश्वरक प्रवक्ता सभ मे सँ केओ छथि।” 16 मुदा हेरोद यीशुक बारे मे सुनि कऽ कहलनि जे, “ई अवश्य यूहन्ना अछि जकर मूड़ी हम कटबा देने छलिऐक—ओ फेर जीबि उठल अछि!” यूहन्ना हेरोद द्वारा कोना मरबाओल गेल छलाह से एहि प्रकारेँ अछि— 17 राजा हेरोद यूहन्ना केँ पकड़बा कऽ बन्हबौने आ जहल मे राखि देने छलथिन। ओ अपन स्त्री हेरोदियासक कारणेँ एना कयलनि। हेरोदियास, हेरोदक भाय फिलिपुसक स्त्री छलीह, मुदा हेरोद अपन भायक स्त्री केँ रखने छलाह, 18 और यूहन्ना हेरोद केँ कहने छलाह जे, “धर्म-नियमक अनुसार अपन भायक स्त्री केँ राखब उचित नहि।” 19 एहि कारणेँ हेरोदियास यूहन्ना सँ दुश्मनी रखने छलीह और हुनका मरबा देबऽ चाहैत छलीह। मुदा ओ ई काज नहि करबा सकलीह 20 किएक तँ राजा हेरोद यूहन्ना केँ धार्मिक और नीक व्यक्ति बुझि कऽ हुनकर डर मानैत छलथिन और तेँ जहल मे राखि कऽ सुरक्षित रखलथिन। जखन कखनो हुनकर बात सुनैत छलाह तखन ओ घबड़ा जाइत छलाह, मुदा तैयो हुनकर बात सुनब ओ बहुत पसन्द करैत छलाह। 21 तखन एक दिन हेरोदियास केँ मौका भेटिए गेलनि। राजा हेरोद अपन जन्म दिनक अवसर पर मन्त्री सभ, सेनापति सभ और गलील प्रदेशक प्रतिष्ठित व्यक्ति सभ केँ भोजक निमन्त्रण देलथिन। 22 ओहि भोज मे हेरोदियासक बेटी भीतर आबि नचलनि जाहि सँ हेरोद और हुनकर आमन्त्रित लोक सभ बहुत प्रसन्न भेलाह। राजा लड़की केँ कहलथिन, “तोँ जे किछु चाहैत छह से हमरा सँ माँगह, हम तोरा देबह।” 23 ओ लड़की केँ सपत खा कऽ वचन देलथिन जे, “जे किछु तोँ मँगबह से तोरा हम देबह, जँ तोँ हमर आधा राज्यो मँगबह तँ हम तोरा देबह।” 24 लड़की निकलि कऽ अपन माय सँ पुछलक जे, “कहू! हम की माँगू?” ओकर माय कहलथिन जे, “बपतिस्मा देबऽ वला यूहन्नाक मूड़ी माँग!” 25 ओ तुरत भीतर राजा लग झटकारि कऽ आयल और हुनका अपन माँग सुनौलकनि, “हम चाहैत छी जे अहाँ हमरा बपतिस्मा देनिहार यूहन्नाक मूड़ी एखने थारी मे अनबा दिअ!” 26 राजा बहुत दुखी भेलाह। मुदा अपन सपतक कारणेँ और उपस्थित आमन्त्रित सभक कारणेँ ओ ओकर माँग अस्वीकार नहि करऽ चाहैत छलाह। 27 ओ तुरत एकटा जल्लाद सिपाही केँ बजा कऽ आज्ञा दऽ कऽ पठौलथिन जे, “यूहन्नाक मूड़ी काटि कऽ आनि दैह।” सिपाही जहल मे जा कऽ यूहन्नाक मूड़ी काटि 28 थारी मे नेने आयल आ लड़की केँ देलक और लड़की अपन माय केँ देलकैक। 29 जखन यूहन्नाक शिष्य सभ ई सुनलनि तखन ओ सभ आबि हुनकर लास लऽ गेलनि और कबर मे राखि देलनि। 30 पठाओल गेल दूत सभ यीशु लग फिरि कऽ अयला पर, जे काज ओ सभ कयने छलाह और जे शिक्षा देने छलाह, से सभ बात यीशु केँ कहि सुनौलथिन। 31 हुनका सभ लग ततेक लोक अबैत-जाइत छल जे हुनका सभ केँ भोजनो करबाक फुरसति नहि भेटैत छलनि। तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “आउ! अपना सभ कोनो एकान्त स्थान मे जा कऽ भीड़ सँ अलग किछु आराम करी।” 32 ओ सभ नाव मे बैसि कऽ एकान्त स्थानक लेल विदा भऽ गेलाह 33 मुदा बहुत लोक हुनका सभ केँ जाइत देखलकनि और चिन्हि गेलनि। लोक सभ, नगर-नगर सँ निकलि हुनका सभक पाछू झीलक कछेरे-कछेर दौड़ल आ हुनका सभ सँ पहिने ओतऽ पहुँचि गेल। 34 यीशु जखन नाव सँ उतरलाह आ लोकक बड़का भीड़ केँ जमा देखलनि तँ हुनका ओहि लोक सभ पर दया आबि गेलनि किएक तँ ओ सभ एहन भेँड़ी जकाँ छल जकर केओ चरबाह नहि होइक। यीशु ओकरा सभ केँ बहुत बात सिखाबऽ लगलथिन। 35 जखन साँझ पड़ऽ लागल तँ हुनकर शिष्य सभ हुनका लग आबि कहलथिन, “ई स्थान बस्ती सँ दूर अछि और साँझ पड़ऽ वला छैक। 36 लोक सभ केँ एखन जाय दिऔक जाहि सँ लगक गाम-बजार सँ अपना लेल किछु खयबाक वस्तु किनि सकत।” 37 मुदा यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहीं सभ एकरा सभ केँ भोजन करबिऔक।” शिष्य सभ हुनका कहलथिन जे, “तकरा लेल तँ दू सय दिनार लगैत। की हम सभ ओतेक खर्च कऽ कऽ रोटी आनि कऽ एकरा सभ केँ खुअबिऔक?” 38 यीशु हुनका सभ केँ जबाब देलथिन जे, “अहाँ सभ जा कऽ देखू जे अहाँ सभ लग कयटा रोटी अछि।” ओ सभ देखि कऽ हुनका कहलथिन जे, “पाँचटा रोटी आ दूटा माछ।” 39 तखन यीशु सभ लोक केँ हरियर घास पर पाँति-पाँति मे बैसयबाक आज्ञा शिष्य सभ केँ देलथिन। 40 लोक सभ सय-सय आ पचास-पचासक पाँति मे बैसैत गेल। 41 यीशु ओहि पाँचटा रोटी और दूटा माछ केँ हाथ मे लऽ कऽ, स्वर्ग दिस तकैत परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। ओ रोटी केँ तोड़ि-तोड़ि, लोक सभ मे परसबाक लेल शिष्य सभ केँ देलथिन। तखन ओहि दूटा माछो केँ हुनका सभ केँ लोक सभ मे परसबाक लेल देलथिन। 42 सभ केओ भरि इच्छा भोजन कयलक। 43 शिष्य सभ जखन रोटी आ माछक उबरल टुकड़ी सभ बिछलनि तँ बारह छिट्टा भेल। 44 भोजन करऽ वला मे मात्र पुरुषक संख्या पाँच हजार छल। 45 तकरबाद यीशु अपना शिष्य सभ केँ तुरत नाव पर चढ़ि कऽ अपना सँ पहिने झीलक ओहि पार बेतसैदा नगर चल जयबाक लेल आज्ञा देलथिन आ अपने ओतहि रहि कऽ भीड़क लोक सभ केँ विदा करऽ लगलाह। 46 ओकरा सभ केँ विदा करा कऽ ओ प्रार्थना करऽ लेल पहाड़ पर चल गेलाह। 47 साँझ बितला पर नाव झीलक बीच मे छलैक और यीशु किनार पर असगरे छलाह। 48 ओ देखलनि जे शिष्य सभ केँ नाव खेबऽ मे बहुत परिश्रम भऽ रहल छनि, किएक तँ हवा विपरीत दिस सँ बहि रहल छलैक। लगभग रातिक चारिम पहर मे ओ झीलक पानि पर चलैत हुनका सभक दिस गेलाह। यीशु हुनका सभ सँ आगू बढ़ि जाय चाहैत छलाह। 49 शिष्य सभ हुनका पानि पर चलैत देखि, हुनका भूत बुझि चिचियाय लगलाह। 50 सभ गोटे हुनका देखि भयभीत भऽ गेलाह। मुदा यीशु हुनका सभ केँ तुरत कहलथिन, “साहस राखू! हम छी! नहि डेराउ!” 51 ओ हुनका सभक संग नाव मे चढ़ि गेलाह और हुनका चढ़िते अन्हड़-बिहारि थम्हि गेल। शिष्य सभ एकदम अवाक भऽ गेलाह 52 किएक तँ ओ सभ रोटी वला घटना सेहो नहि बुझि सकल छलाह—हुनका सभक बुद्धि बन्द छलनि। 53 ओ सभ झील केँ पार कऽ कऽ गन्नेसरत क्षेत्र मे पहुँचलाह और नाव केँ किनार लगा देलनि। 54 जखन यीशु नाव पर सँ उतरलाह तखन लोक सभ हुनका चिन्हि लेलकनि। 55 लोक सभ पूरा क्षेत्र मे जा कऽ रोगी सभ केँ खाट पर लादि जाहि ठाम लोक कहैत छल जे यीशु छथि ओहि ठाम रोगी सभ केँ पहुँचाबऽ लागल। 56 जाहि गाम, शहर, अथवा बस्ती मे ओ जाइत छलाह ताहि ठामक लोक रोगी सभ केँ हाट-बजार मे सुता दैत छल। ओ सभ यीशु सँ प्रार्थना करैत छल जे, “अहाँ अपन कपड़ाक खूटो रोगी सभ केँ छुबऽ दिऔक।” जे सभ हुनकर कपड़ा छुलक से सभ स्वस्थ भऽ गेल।
1 किछु फरिसी आ धर्मशिक्षक लोकनि जे यरूशलेम सँ आयल छलाह यीशु सँ भेँट करऽ लेल अयलाह। 2 ओ लोकनि देखलनि जे हुनकर किछु शिष्य सभ बिना हाथ धोने भोजन करैत छथि, जे हुनका लोकनिक अनुसार धर्म-विरोध वला बात छल। 3 सभ यहूदी, ओहू मे खास कऽ फरिसी लोकनि, पुरखा सँ आबि रहल चलन केँ पालन करैत छथि—जाबत तक ओ लोकनि अपन हाथ केँ रीतिक अनुसार धोइत नहि छथि ताबत तक भोजन नहि करैत छथि। 4 जखन बजार सँ अबैत छथि तँ रीतिक अनुसार बिना स्नान कयने किछु नहि खाइत छथि। ओहिना पुरखाक आओर बहुत चलन केँ मानैत छथि, जेना बाटी, लोटा और कठौत केँ विशेष प्रकार सँ शुद्ध कयनाइ। 5 तँ फरिसी और धर्मशिक्षक लोकनि यीशु सँ पुछलनि जे, “अहाँक शिष्य सभ पुरखाक चलन सभ किएक नहि मानैत अछि? ओ सभ अशुद्ध हाथ सँ किएक भोजन करैत अछि?” 6 ओ उत्तर देलथिन जे, “हे पाखण्डी सभ! यशायाह अहाँ सभक बारे मे एकदम ठीक भविष्यवाणी कयलनि, जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, ‘ई सभ मुँह सँ हमर आदर करैत अछि, 2 मुदा एकर सभक हृदय हमरा सँ दूर छैक। 7 ई सभ बेकार हमर उपासना करैत अछि। 2 ई सभ जे शिक्षा दैत अछि, से मात्र मनुष्यक बनाओल नियम सभ अछि।’ 8 अहाँ लोकनि परमेश्वरक आज्ञा केँ अवहेलना करैत छी लेकिन मनुष्यक बनाओल रीति-रिवाज केँ पकड़ने रहैत छी।” 9 यीशु आगाँ कहऽ लगलाह जे, “अहाँ सभ अपन चलन चलयबाक लेल कतेक चलाकी सँ परमेश्वरक आज्ञा सभक उल्लंघन करैत छी! 10 मूसा तँ कहने छलाह जे, ‘अपन माय-बाबूक आदर करह,’ और ‘जे केओ अपन माय-बाबूक निन्दा करय तकरा मृत्युदण्ड देल जाय।’ 11 मुदा अहाँ सभ कहैत छी जे, जँ केओ अपना बाबू वा माय सँ कहैत अछि, ‘जे किछु अहाँ सभ हमरा सँ सहायता प्राप्त करितहुँ से आब “कुर्बान” अछि’, अर्थात्, परमेश्वर केँ अर्पित, 12 आ जँ ओ किछु करहो चाहैत अछि तँ अहाँ सभ ओकरा अपन माय-बाबूक लेल कोनो कर्तव्य पूरा नहि करऽ दैत छिऐक। 13 जे चलन अहाँ केँ पुरखा सँ भेटल अछि, तकरा द्वारा अहाँ परमेश्वरक वचन केँ निरर्थक ठहरबैत छी। और एतबे नहि—आरो एहन-एहन बहुत काज करैत छी।” 14 तखन यीशु भीड़क लोक केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “अहाँ सभ गोटे हमर बात सुनू और बुझू! 15 कोनो एहन वस्तु नहि होइत छैक जे बाहर सँ मनुष्य मे प्रवेश कऽ कऽ ओकरा अशुद्ध बना सकय, बल्कि जे मनुष्यक मोनक भीतर सँ बहराइत छैक से ओकरा अशुद्ध बनबैत छैक। 16 [जे सुनि सकैत अछि से सुनए!]” 17 बाद मे भीड़ केँ छोड़ि यीशु घर गेलाह। हुनकर शिष्य सभ एहि उदाहरणक बारे मे हुनका सँ पुछलथिन। 18 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “की, अहूँ सभ नहि बुझैत छी? की ई बुझऽ मे नहि अबैत अछि जे, जे किछु खाइत काल मनुष्य मे प्रवेश करैत अछि से ओकरा अशुद्ध नहि कऽ सकैत अछि? 19 किएक तँ ओ मोन मे नहि प्रवेश करैत अछि, ओ पेट मे जाइत अछि और फेर देह सँ बहरा जाइत अछि।” (ओ ई कहि कऽ सभ भोजन-वस्तु केँ शुद्ध ठहरा देलथिन।) 20 ओ आगाँ कहऽ लगलाह, “जे मनुष्य मे सँ निकलैत छैक से ओकरा अशुद्ध करैत छैक। 21 किएक तँ मनुष्यक भीतर मे सँ, अर्थात् हृदय मे सँ सभ प्रकारक अधलाह बात सभ निकलैत छैक, जेना गलत विचार सभ, गलत शारीरिक सम्बन्ध, चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन, 22 लोभ, दुष्कर्म, धोखा, निर्लज्जता, ईर्ष्या, निन्दा, घमण्ड, और मूर्खता। 23 ई सभ बात मनुष्यक भीतर मे सँ निकलैत अछि और ओकरा अशुद्ध करैत अछि।” 24 ओतऽ सँ यीशु सूर आ सीदोन नगरक इलाका मे चल गेलाह। एकटा घर मे जा कऽ ओहिठाम डेरा रखलनि। ओ चाहैत छलाह जे लोक ई नहि बुझए जे ओ कतऽ छथि, लेकिन लोक जल्दी सँ बुझि गेलनि जे ओ एहि घर मे छथि। 25 एकटा स्त्री जकर छोट बेटी दुष्टात्मा सँ ग्रसित छल हुनका विषय मे सुनिते हुनका ओहिठाम जा कऽ हुनका समक्ष मे खसल। 26 ओ स्त्री यहूदी जातिक नहि, यूनानी छल। ओकर जन्म सीरिया प्रदेशक फीनिकी क्षेत्र मे भेल छलैक। ओ यीशु सँ विनती कयलकनि जे, हमर बेटी मे सँ दुष्टात्मा केँ निकालू। 27 यीशु ओकरा कहलथिन, “सभ सँ पहिने बच्चे सभ केँ इच्छापूर्बक खाय दिऔक, किएक तँ बच्चा सभक लेल जे रोटी अछि तकरा कुकुरक आगाँ फेकि देब से ठीक बात नहि।” 28 ओ लेकिन उत्तर देलकनि जे, “ठीके कहैत छी, प्रभु, मुदा कुकुरो सभ तँ बच्चा सभक टेबुल सँ खसल चुर-चार खाइते अछि।” 29 यीशु ओकरा कहलथिन, “एहन उत्तर दैत छह तँ जा सकैत छह!—दुष्टात्मा तोरा बेटी मे सँ निकलि गेल छह!” 30 ओ घर जा कऽ अपना बेटी केँ ओछायन पर पड़ल देखलक। दुष्टात्मा ओकरा मे सँ निकलि गेल छल। 31 तकरबाद यीशु सूर क्षेत्र सँ घूरला पर सीदोन नगर और “दस नगर” क्षेत्र दऽ कऽ गलील झील तक अयलाह। 32 लोक सभ कोनो एक आदमी केँ यीशु लग अनलनि जे बहीर छल और ठीक सँ बाजिओ नहि सकैत छल। ओ सभ यीशु सँ प्रार्थना कयलनि जे ओकरा पर हाथ राखि कऽ ओकरा नीक कऽ देल जाओ। 33 यीशु ओकरा भीड़ सँ अलग लऽ कऽ ओकर कान मे अपन आङुर राखि देलथिन और अपन थूक ओकरा जीह पर लगा देलथिन। 34 स्वर्ग दिस ताकि आ जोर सँ साँस लैत ओहि आदमी केँ कहलथिन, “एफफाता,” जकर अर्थ छैक, “खुजि जो!” 35 ओकर कान तुरत खुजि गेलैक। ओकर जीह सेहो ठीक भऽ गेलैक और स्पष्ट बाजऽ लागल। 36 यीशु एहि घटनाक बारे मे लोक सभ केँ कहबाक लेल ओकरा मना कयलथिन, लेकिन जतेक बेसी ओ मना करैत छलाह, ततेक बेसी एहि घटनाक प्रचार भेलैक। 37 सभ लोक एकदम आश्चर्य-चकित भऽ कऽ कहऽ लागल जे, “देखू! सभ काज ओ नीक जकाँ करैत छथि। बहीरो सभ केँ सुनबाक और बौको सभ केँ बजबाक शक्ति दैत छथिन!”
1 ओहि काल मे फेर यीशु लग बहुत लोक सभ जमा भेल। ओकरा सभ केँ खयबाक लेल किछु नहि छलैक। तेँ यीशु अपना शिष्य सभ केँ बजा कऽ कहलथिन जे, 2 “एहि लोक सभ पर हमरा दया अबैत अछि, किएक तँ ई सभ तीन दिन सँ हमरा संग अछि आ संग मे खयबाक लेल किछु नहि छैक। 3 हम एकरा सभ केँ भूखल विदा कऽ देबैक तँ रस्ता मे ई सभ मुर्छित भऽ जायत किएक तँ एहि मे सँ किछु लोक बहुत दूरो सँ आयल अछि।” 4 शिष्य सभ यीशु केँ कहलथिन, “एहन निर्जन क्षेत्र मे एतेक लोकक भोजन कतऽ सँ भेटत?” 5 यीशु हुनका सभ सँ पुछलथिन जे, “अहाँ सभ लग कयटा रोटी अछि?” शिष्य सभ उत्तर देलथिन जे, “सातटा।” 6 यीशु लोक सभ केँ जमीन पर बैसबाक लेल आदेश देलनि, और ओ सातो रोटी लऽ कऽ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलथिन। रोटी सभ केँ तोड़ि-तोड़ि कऽ लोक सभ मे बाँटऽ लेल शिष्य सभ केँ देलथिन और ओ सभ रोटी बाँटि देलनि। 7 किछु छोटका माछो रहैक। यीशु माछोक लेल धन्यवाद दऽ कऽ लोक सभ मे बाँटि देबऽ लेल शिष्य सभ केँ देलथिन। 8 सभ केओ भरि पेट भोजन कयलक। भोजनक बाद शिष्य सभ उबरल टुकड़ा सभ सात टोकरी मे भरि कऽ जमा कयलनि। 9 ओहि मे भोजन करऽ वलाक संख्या करीब चारि हजार लोक छल। 10 ओकरा सभ केँ विदा कऽ कऽ यीशु तुरत शिष्य सभक संग नाव मे चढ़ि दलमनूथा क्षेत्र चल गेलाह। 11 हुनका सभ केँ पहुँचला पर फरिसी सभ आबि कऽ यीशु सँ वाद-विवाद करऽ लगलाह, आ हुनका जाँच करबाक लेल स्वर्ग सँ एकटा चमत्कार वला चिन्ह मँगलथिन। 12 यीशु भीतर सँ कुहरि कऽ कहलनि जे, “एहि पीढ़ीक लोक एकटा चिन्ह किएक मँगैत अछि! हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे एकरा सभ केँ कोनो चिन्ह नहि देखाओल जयतैक!” 13 हुनका सभ केँ छोड़ि कऽ यीशु फेर नाव मे चढ़ि कऽ झीलक ओहि पार चल गेलाह। 14 शिष्य सभ रोटी अननाइ बिसरि गेल छलाह; एकेटा रोटी नाव पर संग मे छलनि। 15 यीशु हुनका सभ केँ चेतबैत कहलथिन, “फरिसी सभक और हेरोदक रोटी फुलाबऽ वला खमीर सँ सावधान रहू!” 16 ओ सभ आपस मे विचार करैत बजलाह जे, “अपना सभ रोटी आनब बिसरि गेलहुँ, एही कारणेँ ओ ई बात कहि रहल छथि।” 17 यीशु बुझि गेलथिन जे ओ सभ एना एक-दोसर सँ बात-चीत करैत छथि और हुनका सभ सँ पुछलथिन जे, “अहाँ सभ आपस मे एहि पर बात किएक कऽ रहल छी जे अपना सभ लग रोटी नहि अछि? की एखनो तक नहि देखैत छी? एखनो तक नहि बुझैत छी? बुद्धि मन्द भऽ गेल अछि की? 18 की आँखि रहितो नहि देखैत छी, आ कान रहितो नहि सुनैत छी? की मोन नहि अछि?— 19 जखन ओ पाँचटा रोटी हम पाँच हजार लोकक लेल तोड़लहुँ तँ उबरल रोटीक टुकड़ीक कतेक छिट्टा भेल?” ओ सभ जबाब देलथिन जे, “बारहटा।” 20 “और जखन ओहि सातटा रोटी सँ हम चारि हजार आदमी केँ खुऔलहुँ तँ रोटीक टुकड़ी कतेक ढाकी बिछलहुँ?” ओ सभ उत्तर देलथिन जे, “सातटा।” 21 तखन ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “की एखनो तक नहि बुझैत छी?” 22 ओ सभ बेतसैदा नगर अयलाह। लोक सभ यीशु लग एकटा आन्हर आदमी केँ आनि कऽ हुनका सँ विनती कयलकनि जे, एकरा छुबि दिऔक। 23 यीशु ओहि आन्हर आदमी केँ हाथ पकड़ि कऽ नगर सँ बाहर लऽ गेलथिन। ओकरा आँखि पर थूक लगा देलथिन, और ओकरा पर हाथ राखि कऽ पुछलथिन जे, “की, किछु देखि रहल छह?” 24 ओ आँखि उठा कऽ जबाब देलकनि जे, “हँ! मनुष्य सभ केँ देखैत छी—गाछ जकाँ लगैत छैक लेकिन चलि रहल अछि।” 25 तखन यीशु ओकरा आँखि पर फेर हाथ रखलथिन। ओकरा आँखि मे तुरत पूरा इजोत आबि गेलैक और ओ सभ किछु साफ-साफ देखऽ लागल। 26 यीशु ओकरा अपन घर पठा देलथिन और ई आदेश देलथिन जे, “शहर मे नहि जाह।” 27 यीशु और हुनकर शिष्य सभ कैसरिया-फिलिप्पीक लग-पासक गाम सभ मे गेलाह। चलिते-चलिते यीशु हुनका सभ सँ पुछलनि जे, “हम के छी, ताहि सम्बन्ध मे लोक की कहि रहल अछि?” 28 ओ सभ हुनका जबाब देलथिन जे, “केओ-केओ कहैत अछि जे अहाँ बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना छी। केओ कहैत अछि जे एलियाह छी, और किछु लोक कहैत अछि जे परमेश्वरक प्रवक्ता सभ मे सँ एक छी।” 29 तखन यीशु हुनका सभ केँ पुछलनि जे, “और अहाँ सभ? अहाँ सभ की कहैत छी जे हम के छी?” पत्रुस उत्तर देलथिन जे, “अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह छी।” 30 यीशु हुनका सभ केँ दृढ़तापूर्बक आदेश देलथिन जे हमरा बारे मे ई बात ककरो नहि कहिऔक। 31 तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ सिखाबऽ लगलथिन जे, “मनुष्य-पुत्र केँ बहुत दुःख भोगऽ पड़तैक। ई आवश्यक अछि जे बूढ़-प्रतिष्ठित, मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ द्वारा तुच्छ ठहराओल जाय, जान सँ मारल जाय, आ तीन दिनक बाद ओ फेर जीबि उठय।” 32 ई बात एकदम स्पष्ट कहलथिन। एहि पर पत्रुस हुनका कात मे लऽ जा कऽ डाँटऽ लगलनि। 33 मुदा यीशु शिष्य सभक दिस घूमि कऽ पत्रुस केँ डाँटि कऽ कहलथिन, “है शैतान! तोँ हमरा सोझाँ सँ दूर होअह! तोँ परमेश्वरक विचार नहि, बल्कि मनुष्यक विचार मोन मे रखैत छह।” 34 तखन यीशु लोक सभ केँ और शिष्य सभ केँ अपना लग बजौलनि और कहलथिन, “जँ केओ हमर शिष्य बनऽ चाहैत अछि तँ ओ अपना केँ त्यागि, हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार रहओ, और हमरा पाछाँ चलओ। 35 कारण, जे केओ अपन जीवन बचाबऽ चाहैत अछि से ओकरा गमाओत। मुदा जे केओ हमरा लेल और शुभ समाचारक लेल अपन जीवन गमबैत अछि से ओकरा बचाओत। 36 जँ कोनो मनुष्य सम्पूर्ण संसार केँ पाबि लय और अपन आत्मा गमा लय तँ ओहि सँ ओकरा की लाभ भेलैक? 37 अथवा मनुष्य अपन आत्माक बदला मे की दऽ सकत? 38 जँ केओ एहि पापी और विश्वासघाती युग मे हमरा और हमर शिक्षा सँ लजाइत अछि तँ ओकरो सँ मनुष्य-पुत्र लजायत जखन पिताक महिमा मे स्वर्गदूत सभक संग आओत।”
1 यीशु इहो कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एतऽ किछु एहनो लोक सभ ठाढ़ अछि जे जाबत तक परमेश्वरक राज्य शक्तिक संग अबैत नहि देखि लेत ताबत तक नहि मरत।” 2 छओ दिनक बाद यीशु अपना संग पत्रुस, याकूब और यूहन्ना केँ लेलनि और एक ऊँच पहाड़ पर एकान्त मे गेलाह। हुनका सभक सामने मे यीशुक रूप बदलि गेलनि। 3 हुनकर वस्त्र एकदम उज्जर भऽ कऽ चमकऽ लगलनि। हुनकर वस्त्र एतेक उज्जर भऽ गेलनि जे पृथ्वीक कोनो धोबिओ ओतेक उज्जर नहि कऽ सकैत। 4 तखन शिष्य सभक समक्ष मे एलियाह और मूसा प्रगट भेलाह जे यीशु सँ बात करैत छलाह। 5 ई देखि पत्रुस बाजऽ लगलाह जे, “यौ गुरुजी! हमरा सभक लेल ई कतेक नीक बात अछि जे हम सभ एतऽ छी। हम सभ तीनटा मण्डप बनायब, एकटा अहाँक लेल, एकटा मूसाक लेल और एकटा एलियाहक लेल।” 6 पत्रुस केँ बुझऽ मे एकदम नहि अयलनि जे हम की बाजू, की नहि बाजू, किएक तँ ओ सभ केओ अति भयभीत भऽ गेल छलाह। 7 तखन एकटा मेघ आबि कऽ हुनका सभ केँ झाँपि देलकनि और मेघ मे सँ आवाज आयल जे, “ई हमर प्रिय पुत्र छथि—हिनका बात पर ध्यान दिअ!” 8 एकाएक शिष्य सभ चारू कात ताकऽ लगलाह तँ ओ सभ अपना संग यीशु केँ छोड़ि आरो किनको नहि देखलनि। 9 पहाड़ पर सँ उतरैत काल यीशु हुनका सभ केँ आदेश देलथिन जे, “जाबत तक मनुष्य-पुत्र मृत्यु सँ फेर जीबि कऽ नहि उठत ताबत तक जे बात अहाँ सभ देखलहुँ से ककरो नहि कहिऔक।” 10 ई आदेश ओ सभ मानलनि मुदा आपस मे गप्प करैत छलाह जे “मनुष्य-पुत्र मृत्यु सँ फेर जीबि कऽ उठत”, एहि बातक अर्थ की छलनि। 11 तखन ओ सभ यीशु सँ पुछलथिन जे, “धर्मशिक्षक लोकनि किएक कहैत छथि जे पहिने एलियाह केँ अयनाइ आवश्यक अछि?” 12 यीशु उत्तर देलथिन जे, “ई बात एकदम ठीक अछि—पहिने एलियाह अबैत छथि आ सभ चीजक सुधार करैत छथि। लेकिन मनुष्य-पुत्रक बारे मे ई किएक लिखल गेल अछि जे हुनका बहुत दुःख उठाबऽ पड़तनि और तुच्छ बुझल जयताह? 13 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे एलियाह आबिओ गेलाह आ जहिना हुनका बारे मे धर्मशास्त्र मे लिखल अछि तहिना लोक सभ केँ जे मोन भेलैक, से हुनका संग कयलकनि।” 14 ओ सभ जखन आरो शिष्य सभ लग पहुँचलाह तखन देखलनि जे हुनका सभक चारू कात बड़का भीड़ अछि और हुनका सभ सँ धर्मशिक्षक सभ वाद-विवाद कऽ रहल छनि। 15 यीशु केँ देखिते सभ लोक चकित भऽ कऽ हुनका लग दौड़ल और प्रणाम करऽ लगलनि। 16 ओ हुनका सभ सँ पुछलथिन जे, “हुनका सभ सँ की वाद-विवाद कऽ रहल छी?” 17 भीड़ मे सँ एक आदमी हुनका जबाब देलकनि जे, “गुरुजी, हम अपने लग अपना बेटा केँ अनने छी जकरा मे एक दुष्टात्मा पैसि गेल छैक जे एकरा बौक बना देने छैक। 18 जखने ओ एकरा लागि जाइत छैक तँ एकरा तोड़ि-मड़ोड़ि कऽ खसा दैत छैक, और मुँह सँ गाउज बहराय लगैत छैक। दाँत पिसऽ लगैत अछि और देह टाँट भऽ जाइत छैक। एहि दुष्टात्मा केँ निकालबाक लेल हम अपनेक शिष्य सभ सँ विनती कयलहुँ लेकिन ओ सभ नहि निकालि सकलाह।” 19 यीशु ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “हे अविश्वासी पीढ़ीक लोक सभ! हम तोरा सभक संग कहिया तक रहिअह? कहिया तक तोरा सभ केँ सहैत रहिअह?—लड़का केँ आनह हमरा लग।” 20 लोक सभ ओहि नेना केँ यीशु लग अनलकनि। दुष्टात्मा यीशु केँ देखिते नेना केँ ममोड़ि देलकैक। लड़का नीचाँ खसि पड़लैक। ओकरा मुँह सँ गाउज निकलऽ लगलैक और ओ ओँघराय लागल। 21 यीशु ओकरा बाबू सँ पुछलथिन जे, “एकरा ई दशा कहिया सँ छैक?” ओ उत्तर देलकनि जे, “बचपने सँ। 22 एकरा नष्ट करबाक लेल दुष्टात्मा कतेक बेर आगि और पानि मे खसौने अछि। मुदा अपने जँ किछु कऽ सकैत छी तँ हमरा सभ पर दया कऽ सहायता करू।” 23 यीशु ओकरा कहलथिन, “कोना कहैत छह जे, ‘अपने जँ कऽ सकैत छी तँ...’? विश्वास करऽ वलाक लेल सभ किछु सम्भव छैक!” 24 एहि पर लड़काक बाबू तुरत जोर सँ बाजल जे, “हम विश्वास करैत छी, हमर अविश्वास केँ दूर कऽ दिअ।” 25 जखन यीशु देखलनि जे भीड़ हमरा सभ केँ आब दबा देत तँ ओ दुष्टात्मा केँ डाँटि कऽ कहलथिन, “है बौक और बहीर वला आत्मा! हम तोरा आज्ञा दैत छिऔ जे एकरा मे सँ निकलि जो और एकरा मे फेर कहियो प्रवेश नहि कर!” 26 दुष्टात्मा चिचियाइत और लड़का केँ बहुत जोर सँ मड़ोड़ि कऽ ओकरा मे सँ निकलि गेल। लड़का मुरदा जकाँ भऽ गेल। से देखि बहुत लोक कहऽ लागल जे ओ मरि गेल अछि। 27 मुदा यीशु ओकरा हाथ पकड़ि कऽ उठौलथिन और ओ ठाढ़ भऽ गेल। 28 जखन यीशु घर मे असगरे छलाह तखन शिष्य सभ हुनका सँ पुछलथिन जे, “हम सभ ओहि दुष्टात्मा केँ किएक नहि निकालि सकलहुँ?” 29 ओ उत्तर देलनि जे, “एहि प्रकारक दुष्टात्मा प्रार्थना केँ छोड़ि आरो कोनो दोसर उपाय सँ नहि निकालल जा सकैत अछि।” 30 ओहि ठाम सँ विदा भऽ कऽ ओ सभ गलील प्रदेश होइत आगाँ बढ़लाह। यीशु ई बात गुप्त राखऽ चाहैत छलाह 31 कारण ओ अपन शिष्य सभ केँ सिखबैत छलाह जे, “मनुष्य-पुत्र पकड़बा कऽ लोकक हाथ मे सौंपल जायत, आ ओ सभ ओकरा मारि देतैक। मरलाक तीन दिनक बाद ओ फेर जीबि उठत।” 32 मुदा शिष्य सभ ई बात नहि बुझि सकलाह और हुनका सँ एहि सम्बन्ध मे पुछऽ सँ डेराइत छलाह। 33 ओ सभ कफरनहूम नगर पहुँचलाह। घर मे आबि कऽ यीशु शिष्य सभ सँ पुछलथिन जे, “बाट मे अहाँ सभ की तर्क-वितर्क करैत छलहुँ?” 34 ओ सभ चुप रहलाह किएक तँ बाट मे ओ सभ एहि विषय मे वाद-विवाद करैत छलाह जे हमरा सभ मे सभ सँ पैघ के अछि? 35 यीशु बैसि कऽ बारहो शिष्य केँ अपना लग बजौलनि आ कहलथिन, “जे केओ पैघ बनऽ चाहैत अछि से अपना केँ छोट बनाबओ और सभक सेवक बनओ।” 36 तखन ओ एक छोट बच्चा केँ लऽ कऽ हुनका सभक बीच मे ठाढ़ कऽ देलथिन, और कोरा मे लऽ कऽ शिष्य सभ केँ कहलथिन जे, 37 “जे केओ हमरा नाम सँ एहन छोट बच्चा केँ स्वीकार करैत अछि से हमरे स्वीकार करैत अछि, और जे हमरा स्वीकार करैत अछि से हमरे नहि, बल्कि हुनको स्वीकार करैत छनि जे हमरा पठौने छथि।” 38 तखन यूहन्ना यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी, हम सभ एक आदमी केँ अहाँक नाम लऽ कऽ दुष्टात्मा निकालैत देखलहुँ और ओकरा मना कयलिऐक किएक तँ ओ हमरा सभक संग अहाँक शिष्य नहि अछि।” 39 लेकिन यीशु कहलथिन, “हुनका मना नहि करिऔन कारण, जे हमरा नाम सँ कोनो पैघ काज करताह से जल्दी हमरा विरोध मे नहि बजताह। 40 जे अपना सभक विरोध मे नहि अछि से अपना सभक पक्षे मे अछि। 41 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जे केओ अहाँ केँ एक लोटा पानि एहि लेल पिया दैत अछि जे अहाँ मसीहक आदमी छी, तकरा एकर प्रतिफल अवश्य भेटतैक।” 42 “ई बच्चा सभ जे हमरा पर विश्वास करैत अछि, ताहि मे सँ जँ एकोटा केँ केओ पाप मे फँसाओत, तँ ओहि फँसौनिहारक गरदनि मे जाँतक पाट बान्हि कऽ समुद्र मे डुबा देल जाइक, से ओकरा लेल नीक होइत। 43 “अहाँक हाथ जँ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। दूनू हाथक संग नरक मे जायब जतऽ आगि कहियो नहि मिझायत, अहाँक लेल ताहि सँ नीक ई जे लुल्ह भऽ कऽ अनन्त जीवन मे प्रवेश करब। 45 अहाँक पयर जँ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। दूनू पयरक संग नरक मे फेकि देल जायब, ताहि सँ नीक ई जे नाङड़ भऽ कऽ जीवन मे प्रवेश करब। 47 और अहाँक आँखि जँ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा निकालि दिअ। कनाह भऽ कऽ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश करब से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे दूनू आँखिक संग नरक मे फेकि देल जायब, 48 जतऽ मनुष्य मे फड़ि गेल कीड़ा नहि मरैत अछि आ अनन्त आगि जरैत रहैत अछि। 49 “प्रत्येक व्यक्ति अग्नि-परीक्षा द्वारा सिद्ध बनाओल जायत। 50 नून नीक वस्तु अछि, मुदा जँ ओकर स्वाद समाप्त भऽ जाइक तँ अहाँ कोन वस्तु सँ ओकरा फेर नूनगर बना सकब? अहाँ सभ अपना मे नूनक गुण राखू और एक-दोसराक संग मेल-मिलाप सँ रहू!”
1 यीशु तखन ओहि ठाम सँ विदा भऽ कऽ यहूदिया प्रदेश मे और यरदन नदीक ओहि पार गेलाह। बहुत बड़का भीड़ फेर हुनका लग अयलनि, तँ ओ अपन आदतक अनुसार ओकरा सभ केँ शिक्षा देबऽ लगलाह। 2 किछु फरिसी सभ आबि कऽ हुनका जँचबाक लेल पुछलथिन जे, “की धर्म-नियमक अनुसार पुरुष केँ अपना स्त्री केँ तलाक देनाइ ठीक अछि?” 3 यीशु हुनका सभ केँ पुछलथिन जे, “एहि सम्बन्ध मे मूसा की आज्ञा देने छथि?” 4 ओ सभ उत्तर देलथिन, “मूसा तलाकनामा लिखि कऽ तलाकक अनुमति देने छथि।” 5 एहि पर यीशु हुनका सभ केँ जबाब देलथिन जे, “अहाँ सभक मोनक कठोरताक कारणेँ मूसा अहाँ सभक लेल ई आज्ञा देने छथि। 6 लेकिन सृष्टिक शुरुए सँ परमेश्वर मनुष्य केँ ‘पुरुष आ स्त्री बनौलनि।’ 7 ‘एहि कारणेँ पुरुष अपन माय-बाबू केँ छोड़ि अपन स्त्रीक संग रहत और दूनू एक शरीर भऽ जायत।’ 8 आब ओ सभ दू नहि अछि—एके भऽ गेल। 9 तेँ जकरा परमेश्वर जोड़ि देलथिन तकरा मनुष्य अलग नहि करओ।” 10 बाद मे जखन घर मे छलाह तखन शिष्य सभ एहि विषय मे यीशु सँ फेर पुछलथिन। 11 ओ उत्तर देलथिन जे, “जे केओ अपना स्त्री केँ तलाक दऽ कऽ दोसर सँ विवाह करैत अछि, से ओहि स्त्रीक संग परस्त्रीगमन करैत अछि। 12 और जे स्त्री अपना पति केँ तलाक दऽ कऽ दोसर पुरुष सँ विवाह करैत अछि, सेहो परपुरुषगमन करैत अछि।” 13 तखन लोक सभ यीशु लग अपन बच्चा सभ केँ आनऽ लगलनि जे ओ ओकरा सभ पर हाथ राखि आशीर्वाद देथिन। मुदा शिष्य सभ ओकरा सभ केँ डँटलनि। 14 ई देखि यीशु बहुत अप्रसन्न भऽ गेलाह और शिष्य सभ केँ कहलथिन, “बच्चा सभ केँ हमरा लग आबऽ दिऔक, ओकरा सभ केँ नहि रोकिऔक, किएक तँ परमेश्वरक राज्य एहने सभक अछि। 15 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जे बच्चा जकाँ परमेश्वरक राज्य ग्रहण नहि करत से ओहि मे कहियो नहि प्रवेश करत।” 16 तखन बच्चा सभ केँ कोरा मे उठा लेलथिन और ओकरा सभ पर हाथ राखि कऽ आशीर्वाद देलथिन। 17 यीशु जखन ओहिठाम सँ विदा भऽ रस्ता मे जा रहल छलाह तँ एक आदमी दौड़ि कऽ अयलाह, और हुनका आगाँ मे ठेहुनिया रोपि कऽ यीशु सँ पुछलथिन जे, “यौ उत्तम गुरुजी! अनन्त जीवन प्राप्त करबाक लेल हम की करू?” 18 यीशु हुनका कहलथिन, “अहाँ हमरा ‘उत्तम’ किएक कहैत छी? परमेश्वर केँ छोड़ि आरो केओ उत्तम नहि अछि। 19 मुदा अहाँ धर्म-नियमक आज्ञा सभ तँ जनिते छी—’हत्या नहि करह, परस्त्रीगमन नहि करह, चोरी नहि करह, झूठ गवाही नहि दैह, ककरो नहि ठकह, अपन माय-बाबूक आदर करह।’ “ 20 ओ उत्तर देलथिन जे, “गुरुजी, एहि सभ आज्ञाक पालन हम बचपने सँ करैत छी।” 21 यीशु हुनका देखि कऽ प्रेम कयलथिन और कहलथिन, “अहाँ मे एकटा बातक कमी अछि—अहाँ जाउ, अपन पूरा सम्पत्ति बेचि कऽ ओकरा गरीब सभ मे बाँटि दिअ, अहाँ केँ स्वर्ग मे धन भेटत। तकरबाद आउ आ हमरा पाछाँ चलू।” 22 ई बात सुनि कऽ ओहि आदमीक मुँह उतरि गेलनि, आ ओ उदास भऽ कऽ चल गेलाह किएक तँ हुनका बहुत धन-सम्पत्ति छलनि। 23 तखन यीशु चारू कात देखि कऽ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “धनिक सभक लेल परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ कतेक कठिन अछि!” 24 शिष्य सभ एहि बात सँ अचम्भित भऽ गेलाह। यीशु हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “हे हमर बेटा सभ! परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ कतेक कठिन अछि! 25 धनिक केँ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ सँ ऊँट केँ सुइक भूर दऽ कऽ निकलनाइ आसान अछि।” 26 ओ सभ आरो चकित भऽ कऽ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह जे, “तखन उद्धार ककर भऽ सकैत छैक?!” 27 यीशु हुनका सभ केँ एकटक देखैत कहलथिन, “मनुष्यक लेल तँ ई असम्भव अछि, लेकिन परमेश्वरक लेल नहि। परमेश्वरक लेल सभ किछु सम्भव अछि।” 28 पत्रुस हुनका कहलथिन, “देखू! हम सभ तँ सभ किछु त्यागि कऽ अहाँक पाछाँ आयल छी।” 29 यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी, प्रत्येक व्यक्ति जे हमरा लेल और शुभ समाचारक लेल घर, भाय, बहिन, माय-बाबू, सन्तान वा जमीन-जालक त्याग करत 30 तकरा एहि युग मे सय गुना भेटतैक—घर, भाय, बहिन, माय, सन्तान, जमीन, मुदा संगे-संगे सहऽ पड़तैक अत्याचार, और आबऽ वला युग मे भेटतैक अनन्त जीवन। 31 मुदा बहुतो लोक जे एखन आगाँ अछि से पाछाँ भऽ जायत, आ जे एखन पाछाँ अछि से आगाँ भऽ जायत।” 32 यीशु और हुनकर शिष्य सभ यरूशलेम जाय वला रस्ता पर बढ़ैत छलाह। यीशु आगू-आगू चलि रहल छलाह। शिष्य सभ आश्चर्य-चकित छलाह और जे सभ संग मे पाछू-पाछू अबैत छल से सभ भयभीत छल। बारहो शिष्य केँ यीशु फेर अलग लऽ जा कऽ हुनका सभ केँ बुझा देलथिन जे हुनका संग केहन घटना सभ होयतनि। ओ हुनका सभ केँ कहलथिन जे, 33 “सुनू, अपना सभ यरूशलेम जा रहल छी। ओहिठाम मनुष्य-पुत्र मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभक हाथ मे पकड़ाओल जायत। ओ सभ ओकरा मृत्युदण्डक जोगरक ठहरा देतैक और गैर-यहूदी सभक हाथ मे सौंपि देतैक। 34 ओ सभ ओकर हँसी उड़ौतैक और ओकरा पर थुकतैक, ओकरा कोड़ा सँ मारतैक और मारि देतैक। मुदा तीन दिनक बाद ओ फेर जीबि उठत।” 35 जबदीक दूनू पुत्र याकूब और यूहन्ना यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “गुरुजी, हम सभ चाहैत छी जे, हम सभ जे किछु माँगी से अहाँ हमरा सभक लेल कऽ दिअ।” 36 यीशु पुछलथिन जे, “अहाँ सभ की चाहैत छी जे हम कऽ दिअ?” 37 ओ सभ जबाब देलथिन जे, “अहाँ अपन महिमामय राज्य मे हमरा सभ मे सँ एक केँ अपना दहिना कात मे और दोसर केँ अपना बामा कात मे बैसबाक अधिकार दिअ।” 38 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ की माँगि रहल छी से अहाँ सभ नहि बुझैत छी। की दुःखक बाटी सँ जे हमरा पिबाक अछि से अहाँ सभ पिबि सकैत छी? वा कष्टक बपतिस्मा लऽ सकैत छी जे हमरा लेबाक अछि?” 39 ओ सभ उत्तर देलथिन जे, “हँ, कऽ सकैत छी।” तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “जे बाटी हमरा पिबाक अछि से तँ अहाँ सभ पीब, और जे बपतिस्मा हमरा लेबाक अछि से अहाँ सभ लेब, 40 मुदा किनको अपना दहिना कात वा बामा कात बैसायब, तकर अधिकार हमरा नहि अछि—ई स्थान सभ तिनका सभक लेल छनि, जिनका सभक लेल तैयार कयल गेल अछि।” 41 जखन बाँकी दस शिष्य एहि बातक बारे मे सुनलनि तखन ओ सभ याकूब और यूहन्ना पर खिसिआय लगलाह। 42 एहि पर यीशु शिष्य सभ केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “अहाँ सभ जनैत छी जे एहि संसार मे जे सभ शासन करऽ वला बुझल जाइत छथि से सभ जनता पर हुकुम चलबैत रहैत छथि, और जनता मे जे पैघ लोक सभ छथि से जनता पर अधिकार जमबैत छथि। 43 मुदा अहाँ सभ मे एना नहि होअय। बल्कि, जे अहाँ सभ मे पैघ होमऽ चाहय से अहाँ सभक सेवक बनय। 44 और जे केओ अहाँ सभ मे प्रमुख व्यक्ति होमऽ चाहय से सभक टहलू बनय! 45 किएक तँ मनुष्य-पुत्र सेहो एहि लेल नहि आयल अछि जे अपन सेवा कराबय बल्कि एहि लेल जे ओ सेवा करय और बहुतो लोकक छुटकाराक मूल्य मे अपन प्राण देअय।” 46 तखन ओ सभ यरीहो नगर पहुँचलाह। जखन यीशु और शिष्य सभ बड़का भीड़क संग यरीहो सँ निकलैत छलाह तखन रस्ताक कात मे तिमाईक पुत्र, बरतिमाई, जे आन्हर छल, से भीख मँगैत बैसल छल। 47 जखन ओ सुनलक जे नासरत-निवासी यीशु जा रहल छथि तँ ओ सोर पारि कऽ कहऽ लागल जे, “यौ दाऊदक पुत्र यीशु! हमरा पर दया करू!” 48 ओकरा बहुत लोक डाँटि कऽ चुप रहऽ लेल कहलकैक, मुदा ओ आरो जोर सँ हल्ला कऽ कऽ कहऽ लागल जे, “यौ दाऊदक पुत्र! हमरा पर दया करू!” 49 यीशु ठाढ़ भऽ गेलाह आ कहलनि जे, “ओकरा बजाउ!” तखन ओहि आन्हर केँ बजा कऽ लोक सभ कहलकैक जे, “निराश नहि हो! उठ! तोरा बजबैत छथुन!” 50 अपन ओढ़ना फेकि कऽ ओ छरपि उठल और यीशु लग आयल। 51 यीशु ओकरा पुछलथिन जे, “तोँ की चाहैत छह, हम तोरा लेल की करिअह?” आन्हर बाजल, “गुरुजी, हम देखऽ चाहैत छी!” 52 यीशु ओकरा कहलथिन, “जाह—तोहर विश्वास तोरा नीक कऽ देलकह।” ओ तुरत देखऽ लागल और रस्ता मे यीशुक पाछाँ चलऽ लागल।
1 यीशु आ हुनकर शिष्य सभ जखन यरूशलेम लग पहुँचलाह, अर्थात् जैतून पहाड़ पर बेतफगे और बेतनिया गाम सभ लग, तखन यीशु दूटा शिष्य केँ ई कहि कऽ पठौलथिन जे, 2 “सामने मे जे गाम अछि, ताहि मे जाउ। जखने अहाँ सभ गाम मे प्रवेश करब तखन गदहीक एक बच्चा बान्हल भेटत जाहि पर केओ कहियो नहि चढ़ल अछि। ओकरा खोलि कऽ आनू। 3 जँ केओ पुछत जे ‘एकरा किएक खोलैत छी?’ तँ कहबैक जे, ‘प्रभु केँ एकर आवश्यकता छनि और एकरा तुरत फेर लौटा देताह।’” 4 दूनू चल गेलाह, और हुनका सभ केँ सड़कक कात मे एक घरक द्वारि लग बान्हल एक गदहीक बच्चा भेटलनि। जखने ओ सभ ओकरा खोलऽ लगलाह 5 तँ ओहिठाम ठाढ़ भेल किछु लोक सभ हुनका सभ केँ पुछलकनि जे, “अहाँ सभ की करैत छी? ई गदहा किएक खोलि रहल छी?” 6 ओ सभ वैह उत्तर देलनि जे यीशु कहने छलथिन, और लोक सभ हुनका सभ केँ जाय देलकनि। 7 गदहीक बच्चा केँ ओ सभ यीशु लग अनलनि और ओकरा पीठ पर अपन कपड़ा राखि देलनि। यीशु ओहि पर बैसि गेलाह। 8 बहुत लोक रस्ता मे अपन चादर ओछा देलक, दोसर लोक खेत मे सँ पात वला ठाढ़ि तोड़ि कऽ सड़क पर ओछौलक। 9 यीशुक आगाँ-पाछाँ चलऽ वला लोकक भीड़ एहि तरहेँ जयजयकार करऽ लागल जे, “जय! जय! धन्य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि! 10 हमरा सभक पुरखा दाऊदक आबऽ वला राज्य केँ जय! सर्वोच्च स्वर्ग मे प्रभुक जयजयकार!” 11 यीशु यरूशलेम पहुँचि कऽ मन्दिर मे गेलाह। ओहिठाम चारू दिस नजरि दौड़ा कऽ सभ किछु देखलनि मुदा साँझ पड़ि जयबाक कारणेँ ओतऽ सँ बाहर गेलाह आ बारहो शिष्यक संग बेतनिया चल गेलाह। 12 दोसर दिन जखन ओ सभ बेतनिया सँ अबैत छलाह तखन यीशु केँ भूख लागल छलनि। 13 दूर सँ ओ हरियर पात सँ भरल एक अंजीरक गाछ देखि कऽ गाछ लग गेलाह जे शायद ओहि पर किछु फल भेटय। मुदा ओतऽ पहुँचला पर पात छोड़ि आरो किछु नहि भेटलनि, किएक तँ अंजीरक फलक समय नहि छल। 14 यीशु ओहि गाछ केँ कहलथिन, “आइ सँ तोहर फल केओ कहियो नहि खयतौ!” शिष्य सभ हुनका ई कहैत सुनलनि। 15 तखन ओ सभ यरूशलेम पहुँचलाह। मन्दिर मे जा कऽ यीशु बेचऽ वला और किनऽ वला सभ केँ ओतऽ सँ बाहर भगाबऽ लगलाह। ओ पाइ भजौनिहार सभक टेबुल आ परबा-पेउरकी बेचनिहार सभक पीढ़ी-बैसकी सभ केँ उनटा-पुनटा देलथिन। 16 ककरो मन्दिर दऽ कऽ कोनो सामान लऽ कऽ नहि जाय देलथिन। 17 लोक केँ शिक्षा देबऽ लगलथिन जे, “की धर्मशास्त्र मे नहि लिखल अछि जे, ‘हमर घर सभ जातिक लेल प्रार्थनाक घर कहाओत’ ? मुदा तोँ सभ एकरा ‘चोर-डाकूक अड्डा’ बना देने छह।” 18 मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ ई बात सुनि कऽ यीशु केँ कोना मारल जाय तकर उपाय सोचऽ लगलाह, एहि द्वारे जे हुनका सँ डेराइत छलाह किएक तँ पूरा जनता हुनकर शिक्षाक कारणेँ आश्चर्यित छल। 19 सूर्यास्तक बाद यीशु और शिष्य सभ शहर सँ बाहर चल गेलाह। 20 प्रात भेने रस्ता मे जाइत-जाइत ओ सभ देखलनि जे अंजीरक गाछ जड़ि सँ सुखि गेल अछि। 21 पत्रुस पछिला दिनक घटनाक स्मरण करैत यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी, देखू! ओहि अंजीरक गाछ जकरा सराप देने छलहुँ से सुखि गेल अछि!” 22 ओ हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “परमेश्वर पर विश्वास राखू! 23 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जँ केओ एहि पहाड़ केँ कहत जे ‘एतऽ सँ हट आ समुद्र मे जो,’ और मोन मे सन्देह नहि करत, बल्कि एकर विश्वास करत जे हम जे कहि रहल छी से भऽ जायत, तँ ओकरा लेल से भइए जायत। 24 एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, अहाँ प्रार्थना मे जे किछु माँगब, विश्वास करू जे ओ भेटि गेल, और अहाँ केँ भेटिए जायत। 25 और जखन अहाँ प्रार्थनाक लेल ठाढ़ होयब, अहाँक हृदय मे जँ ककरो प्रति विरोध होअय तँ ओकरा क्षमा करू जाहि सँ अहाँक पिता जे स्वर्ग मे छथि सेहो अहाँक अपराध क्षमा करताह।” 27 ओ सभ फेर यरूशलेम पहुँचलाह। यीशु केँ मन्दिर मे टहलैत काल मुख्यपुरोहित, धर्मशिक्षक लोकनि और बूढ़-प्रतिष्ठित सभ हुनका लग अयलनि। 28 ई सभ यीशु सँ पुछलथिन जे, “अहाँ कोन अधिकार सँ ई सभ बात कऽ रहल छी? अहाँ केँ ई काज करबाक के अधिकार देलनि?” 29 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन जे, “हमहूँ अहाँ सभ सँ एकटा बात पुछैत छी। अहाँ सभ उत्तर देब तँ हमहूँ अहाँ सभ केँ कहब जे हम कोन अधिकार सँ ई सभ काज कऽ रहल छी। 30 यूहन्ना केँ बपतिस्मा देबाक अधिकार परमेश्वर सँ भेटल छलनि वा मनुष्य सँ? बाजू!” 31 ई सुनि ओ सभ अपना मे तर्क-वितर्क करऽ लगलाह जे, “जँ अपना सभ कहबैक जे, परमेश्वर सँ, तँ ओ पुछत जे, ‘तखन हुनकर बातक विश्वास किएक नहि कयलहुँ?’ 32 मुदा जँ कहबैक जे, ‘मनुष्य सँ, तँ...’” ओ सभ जनता सँ डेराइत छलाह किएक तँ सभ लोक यूहन्ना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता मानैत छल। 33 तेँ ओ सभ यीशु केँ उत्तर देलथिन जे, “हम सभ नहि जनैत छी।” एहि पर यीशु कहलथिन, “तँ हमहूँ अहाँ सभ केँ नहि कहब जे, हम कोन अधिकार सँ ई काज करैत छी!”
1 तखन ओ हुनका सभ केँ दृष्टान्त द्वारा शिक्षा देबऽ लगलाह, “एक आदमी एक अंगूरक बगान लगौलनि और चारू कात सँ ओकरा घेरि देलनि। अंगूरक रस जमा करबाक लेल ओ एक रसकुण्ड बनौलनि आ रखबारीक लेल मचान बनौलनि। तकरबाद किसान सभ केँ बटाइ पर दऽ कऽ परदेश चल गेलाह। 2 फलक समय अयला पर ओ अपन हिस्सा लेबाक लेल एक नोकर केँ बटाइदार सभक ओहिठाम पठौलथिन। 3 मुदा ओ सभ ओकरा पकड़ि कऽ मारि-पिटि कऽ खाली हाथ लौटा देलकैक। 4 तखन मालिक फेर दोसर नोकर केँ ओकरा सभक ओहिठाम पठौलथिन, मुदा ओ सभ ओकर कपार फोड़ि देलकैक और ओकर अपमान कयलकैक। 5 मालिक तेसरो केँ पठौलथिन और ओकरा ओ सभ मारि देलकैक। तहिना आरो बहुत नोकर केँ ओ सभ पिटलकैक वा मारि देलकैक। 6 आब मालिक केँ एकेटा आदमी रहि गेलनि—हुनकर अपन प्रिय बेटा। अन्त मे ओ ओकरो, ई सोचि कऽ पठौलथिन जे, ‘हमरा बेटा केँ ओ सभ अवश्य आदर करत।’ 7 मुदा बटाइदार सभ एक-दोसर केँ कहलक जे, ‘ई अपन बापक उत्तराधिकारी अछि। चलू एकरा मारि दिऐक, तखन ई सम्पत्ति अपने सभक भऽ जायत!’ 8 एना सोचि ओ सभ हुनका पकड़ि कऽ मारि देलकनि और हुनकर लास बगान सँ बाहर फेकि देलकनि।” 9 यीशु आगाँ कहलथिन, “बगानक मालिक आब की करताह? ओ आबि कऽ ओहि बटाइदार सभक सर्वनाश करथिन और बगान दोसर बटाइदार सभ केँ दऽ देथिन। 10 की अहाँ सभ धर्मशास्त्र मे ई नहि पढ़ने छी?— ‘जाहि पाथर केँ राजमिस्तिरी सभ बेकार बुझि कऽ फेकि देलक, वैह पाथर मकानक प्रमुख पाथर भऽ गेल। 11 ई काज प्रभु-परमेश्वर कयलनि, और ई हमरा सभक नजरि मे अद्भुत बात अछि!’” 12 एहि पर ओ सभ हुनका पकड़ऽ चाहैत छलाह किएक तँ ओ सभ बुझि गेलाह जे ई हमरे सभक बारे मे ई कथा कहलक अछि। मुदा जनता सँ डेरयबाक कारणेँ ओ सभ हुनका छोड़ि कऽ चल गेलाह। 13 बाद मे ओ सभ किछु फरिसी और हेरोद-दलक किछु लोक केँ यीशु लग पठा देलनि जे हुनका अपन कहल बातक जाल मे फँसाबय। 14 ओ सभ आबि कऽ हुनका कहलकनि जे, “गुरुजी, हम सभ जनैत छी जे अपने सत्यवादी छी, आ केओ की सोचैत अछि, तकर अपने केँ कोनो चिन्ता नहि, कारण, अपने मुँह-देखी बात नहि करैत छी। अपने सत्यक अनुसार परमेश्वरक बाटक शिक्षा दैत छी। आब हमरा सभ केँ एकटा बात कहल जाओ—रोमी सम्राट-कैसर केँ कर देब धर्म-नियमक अनुसार उचित अछि वा नहि? अपना सभ केँ कर देबाक चाही वा नहि देबाक चाही?” 15 यीशु ओकरा सभक कपट बुझि कऽ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ हमरा किएक फँसाबऽ चाहैत छी? हमरा एकटा सिक्का दिअ, हम देखब।” 16 ओ सभ एक दिनारक सिक्का लऽ आयल। तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “ई किनकर चित्र छनि? आ एहि पर किनकर नाम लिखल छनि?” ओ सभ उत्तर देलकनि, “सम्राट-कैसरक।” 17 तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जे सम्राटक छनि से सम्राट केँ दिऔन, आ जे परमेश्वरक छनि से परमेश्वर केँ दिऔन।” एहि पर ओ सभ एकदम अवाक रहि गेल। 18 तखन किछु सदुकी पंथक लोक, जे सभ एहि बात केँ नहि मानैत अछि जे मृत्यु मे सँ मनुष्य फेर जिआओल जायत, से सभ एकटा प्रश्न लऽ कऽ यीशु लग आयल। 19 ओ सभ कहलकनि, “गुरुजी, मूसा हमरा सभक लेल लिखलनि जे, जँ ककरो भाय निःसन्तान मरि जाइक आ ओकर स्त्री जीविते होइक तँ ओकरा ओहि स्त्री सँ विवाह कऽ अपना भायक लेल सन्तान उत्पन्न करबाक चाही। 20 एक परिवार मे सात भाय छल। जेठ भाय विवाह कयलक और निःसन्तान मरि गेल। 21 तँ दोसर भाय ओहि स्त्री सँ विवाह कयलक लेकिन ओहो निःसन्तान मरि गेल। तेसरो भाय केँ एहिना भेलैक। 22 तहिना सातो भाय ओहि स्त्री सँ विवाह कऽ कऽ निःसन्तान मरि गेल, और अन्त मे स्त्रिओ मरि गेल। 23 आब कहल जाओ, ओहि समय मे जहिया मुइल सभ केँ जिआओल जयतैक, तँ ओ स्त्री एहि भाय सभ मे सँ ककर स्त्री होयतैक? ओकरा सँ तँ सातो विवाह कयने छलैक।” 24 यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ ने धर्मशास्त्र आ ने परमेश्वरक सामर्थ्य केँ जनैत छी। तेँ अहाँ सभ केँ एहि तरहेँ धोखा भऽ रहल अछि। 25 किएक तँ, जखन लोक सभ मृत्यु सँ जीबि जायत तखन ने ओ सभ विवाह करत आ ने विवाह मे देल जायत, बल्कि ओ सभ स्वर्गदूत सभ जकाँ होयत। 26 तखन मुइल सभ केँ जिआओल जयबाक जे बात अछि, ताहि सम्बन्ध मे की अहाँ सभ कहियो मूसाक पुस्तक मे नहि पढ़ने छी—जाहि ठाम जरैत झाड़ीक वर्णन अछि, कोना परमेश्वर ⌞एहि पूर्वज लोकनिक मृत्युक बादो⌟ मूसा केँ कहलथिन जे, ‘हम अब्राहमक परमेश्वर, इसहाकक परमेश्वर और याकूबक परमेश्वर छी।’ ? 27 ओ मुइल सभक नहि, जीवित सभक परमेश्वर छथि! अहाँ सभ एकदम गलत बुझैत छी!” 28 एक धर्मशिक्षक ई वाद-विवाद सुनि कऽ देखलनि जे यीशु सदूकी सभ केँ बहुत नीक जबाब देने छथिन, तँ ओ यीशु लग आबि कऽ पुछलथिन जे, “सभ सँ पैघ आज्ञा कोन अछि?” 29 यीशु उत्तर देलथिन जे, “सभ सँ पैघ आज्ञा यैह अछि—’हे इस्राएल, सुनह, प्रभु, अपना सभक परमेश्वर, सैह एकमात्र प्रभु छथि। 30 तोँ अपन प्रभु-परमेश्वर केँ अपन सम्पूर्ण मोन सँ, अपन सम्पूर्ण आत्मा सँ, अपन सम्पूर्ण बुद्धि सँ और अपन सम्पूर्ण शक्ति सँ प्रेम करह।’ 31 और दोसर पैघ आज्ञा यैह अछि जे, ‘तोँ अपना पड़ोसी केँ अपने जकाँ प्रेम करह।’ एहि सँ पैघ आरो कोनो आज्ञा नहि अछि।” 32 धर्मशिक्षक हुनका कहलथिन, “गुरुजी, कतेक नीक जबाब देलहुँ! अहाँ ठीके कहलहुँ जे एकेटा परमेश्वर छथि और हुनका छोड़ि आरो केओ नहि छथि। 33 हुनका अपन सम्पूर्ण मोन सँ, अपन सम्पूर्ण बुद्धि सँ और अपन सम्पूर्ण शक्ति सँ प्रेम कयनाइ, और अपना पड़ोसी केँ अपने जकाँ प्रेम कयनाइ सभ प्रकारक पशु-बलिदान, अग्नि-बलिदान और चढ़ौना सँ पैघ अछि।” 34 यीशु ई देखि कऽ जे ओ बहुत बुद्धिपूर्बक उत्तर देलनि ताहि पर हुनका कहलथिन, “अहाँ परमेश्वरक राज्य सँ दूर नहि छी।” तकरबाद ककरो हुनका आरो प्रश्न पुछबाक साहस नहि भेलैक। 35 बाद मे यीशु मन्दिर मे शिक्षा दैत पुछलथिन जे, “धर्मशिक्षक सभक कहबाक अर्थ की अछि जखन ओ सभ कहैत छथि जे ‘उद्धारकर्ता-मसीह’ दाऊदक पुत्र छथि? 36 दाऊद अपने, पवित्र आत्माक प्रेरणा सँ बजलाह, ‘प्रभु-परमेश्वर हमरा प्रभु केँ कहलथिन, अहाँ हमर दहिना कात बैसू और हम अहाँक शत्रु सभ केँ अहाँक पयरक तर मे कऽ देब।’ 37 दाऊद अपने, ‘उद्धारकर्ता-मसीह’ केँ ‘प्रभु’ कहैत छथिन, तँ ओ फेर हुनकर पुत्र कोना भेलाह?” भीड़क लोक सभ बहुत आनन्दक संग हुनकर बात सुनि रहल छलनि। 38 यीशु आगाँ शिक्षा देबऽ लगलाह जे, “धर्मशिक्षक सभ सँ सावधान रहू। धर्मगुरु वला लम्बा-लम्बा कपड़ा पहिरि कऽ घुमब, और बजार मे लोक सभ हुनका सभ केँ प्रणाम-पात करनि से बहुत नीक लगैत छनि। 39 ओ सभ सभाघर सभ मे प्रमुख आसन पर बैसब और भोज-काज मे सम्मानित स्थान भेटय से पसन्द करैत छथि। 40 विधवा सभक घर-आङन हड़पि लैत छथि, और लोक सभ केँ देखयबाक लेल लम्बा-लम्बा प्रार्थना करैत छथि। हुनका सभ केँ बेसी दण्ड देल जयतनि।” 41 तखन यीशु मन्दिर मे दान-पात्र लग बैसि कऽ लोक सभ केँ ओहि मे दान दैत देखलनि। बहुत लोक जे सभ धनिक छल से सभ ओहि मे बहुत किछु रखैत छल। 42 तखन एकटा गरीब विधवा आबि कऽ तामक दूटा पाइ, जकर मूल्य एको पैसा सँ कम छलैक, से दान-पात्र मे देलक। 43 यीशु शिष्य सभ केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, ई गरीब विधवा ओहि सभ लोक सँ बेसी दान चढ़ौलक, 44 किएक तँ ओ सभ धनिक भऽ कऽ अपन फाजिल धन मे सँ दान चढ़ौलक मुदा ई गरीब भऽ कऽ अपना लेल किछु नहि राखि अपन पूरा जीविके चढ़ा देलक।”
1 मन्दिर सँ बहराइत काल यीशु केँ हुनकर एकटा शिष्य कहलथिन, “गुरुजी, देखू! एहि मन्दिरक मकान सभ कतेकटा अछि! और एहि मे कतेक सुन्दर-सुन्दर पाथर लागल अछि!” 2 यीशु हुनका कहलथिन, “ई जे बड़का मकान सभ देखैत छिऐक—एतऽ एकोटा पाथर एक-दोसर पर नहि रहत, सभ ढाहल जायत।” 3 तखन मन्दिरक सामने मे जैतून पहाड़ पर यीशु जखन बैसल छलाह, तँ पत्रुस, याकूब, यूहन्ना और अन्द्रेयास एकान्त मे हुनका सँ पुछलथिन जे, 4 “हमरा सभ केँ कहू—ई बात सभ कहिया होयत? और कोन चिन्ह होयतैक जाहि सँ बुझि सकी जे ई बात सभ आब होयत?” 5 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “होसियार रहू जे अहाँ सभ केँ केओ बहकाबऽ नहि पाबय। 6 बहुतो लोक हमर नाम लऽ कऽ आओत और कहत जे ‘हम वैह छी!’, और बहुतो लोक केँ बहका देत। 7 जखन अहाँ सभ लड़ाइक समाचार और लड़ाइक हल्ला सभ सुनब तखन घबड़ायब नहि, ई सभ होयब आवश्यक अछि, मुदा संसारक अन्त तहिओ नहि होयत। 8 एक देश दोसर देश सँ लड़ाइ करत, और एक राज्य दोसर राज्य सँ। बहुतो ठाम मे अकाल पड़त आ भूकम्प होयत। ई सभ बात तँ कष्टक शुरुआते होयत! 9 “मुदा अहाँ सभ सावधान रहू! किएक तँ लोक सभ अहाँ सभ केँ पकड़ि कऽ दण्ड लगबयबाक लेल पंच सभक समक्ष लऽ जायत आ सभाघर सभ मे अहाँ सभ केँ कोड़ा सँ पिटबाओत। हमरा कारणेँ अहाँ सभ राज्यपाल सभ और राजा सभक समक्ष ठाढ़ कयल जायब, और हुनका सभ केँ अहाँ सभ हमरा बारे मे गवाही देब। 10 अन्तिम समय सँ पहिने परमेश्वरक शुभ समाचारक प्रचार सभ जाति मे होयब आवश्यक अछि। 11 और जखन लोक अहाँ सभ केँ पकड़ि कऽ दण्ड लगबयबाक लेल कचहरी मे लऽ जायत तँ ओहि सँ पहिने एकर चिन्ता नहि करब जे हम की कहब। बाजऽ वला अहाँ अपने नहि होयब, पवित्र आत्मा होयताह, तेँ ओहि समय मे अहाँ केँ मोन मे जे बात देल जाय वैह बात बाजब। 12 “भाय भाय केँ, और बाबू अपना बेटा केँ मृत्युदण्डक लेल पकड़बाओत, और बेटा-बेटी अपन माय-बाबूक विरोधी भऽ कऽ मरबा देत। 13 अहाँ सभ सँ सभ केओ एहि लेल घृणा करत जे अहाँ सभ हमर लोक छी। मुदा जे व्यक्ति अन्त तक स्थिर रहत से उद्धार पाओत। 14 “मुदा जखन अहाँ सभ ‘विनाश करऽ वला घृणित वस्तु’ केँ ओहिठाम ठाढ़ देखब जाहि ठाम नहि होयबाक चाही—पढ़ऽ वला ई बात ध्यान दऽ कऽ बुझू!—तखन जे सभ यहूदिया प्रदेश मे होअय से सभ पहाड़ पर भागि जाय। 15 जे छत पर होअय से उतरि कऽ कोनो सामान लेबाक लेल घर मे नहि जाओ—ओहो भागि जाओ। 16 और जे खेत मे होअय से अपन ओढ़ना लेबाक लेल घूमि कऽ नहि आबओ। 17 ओहि समय मे जे स्त्रीगण सभ गर्भवती होयत वा जकरा दूधपीबा बच्चा होयतैक, तकरा सभ केँ कतेक कष्ट होयतैक! 18 प्रार्थना करू जे ई सभ बात जाड़क समय मे नहि होअय! 19 कारण ओहि समय मे एहन कष्ट होयत जे शुरू सँ, जखन परमेश्वर पृथ्वीक सृष्टि कयलनि, आइ तक कहियो नहि भेल अछि, आ ने फेर कहियो होयत। 20 परमेश्वर ओहि समय केँ जँ घटा नहि देने रहितथि, तँ केओ नहि बँचैत। मुदा परमेश्वर अपन चुनल लोकक कारणेँ ओहि समय केँ घटा देलथिन। 21 “ओहि समय मे जँ केओ अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘देखू! मसीह एतऽ छथि’, वा ‘ओतऽ छथि’ तँ ओहि बात पर विश्वास नहि करब। 22 कारण, ओहि समय मे झुट्ठा मसीह आ झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहऽ वला सभ प्रगट होयत, और एहन आश्चर्यजनक बात आ चमत्कार सभ देखाओत जे, जँ सम्भव रहैत, तँ परमेश्वरक चुनल लोक सभ केँ सेहो बहका दैत। 23 मुदा अहाँ सभ होसियार रहू! हम अहाँ सभ केँ सभ बात पहिनहि कहि देलहुँ। 24 “मुदा ओहि दिन सभ मे, एहि संकटक बाद, ‘सूर्य अन्हार भऽ जायत, चन्द्रमा इजोत नहि देत। 25 आकाश सँ तारा सभ खसत, और आकाशक शक्ति सभ हिलाओल जायत।’ 26 तखन लोक सभ मनुष्य-पुत्र केँ अपार शक्ति और महिमाक संग मेघ मे अबैत देखत। 27 तखन पृथ्वी सँ आकाश तक चारू दिस सँ ओ अपन चुनल लोक सभ केँ जमा करबाक लेल अपन स्वर्गदूत सभ केँ पठौताह। 28 “आब अंजीरक गाछ सँ एकटा बात सिखू—जखन ओकर ठाढ़ि कोमल होमऽ लगैत छैक और ओहि मे नव पात निकलऽ लगैत छैक तखन अहाँ सभ बुझि जाइत छी जे गर्मीक समय आबि रहल अछि। 29 तहिना जखन अहाँ सभ ई बात सभ होइत देखब तखन बुझि लिअ जे समय लगचिआ गेल, हँ, ई बुझू जे ओ घरक मुँह पर आबि गेल अछि। 30 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एहि पीढ़ी केँ समाप्त होमऽ सँ पहिने ई सभ घटना निश्चित घटत। 31 आकाश और पृथ्वी समाप्त भऽ जायत, मुदा हमर वचन अनन्त काल तक रहत। 32 “मुदा एहि घटना सभक दिन वा समय केओ नहि जनैत अछि, स्वर्गदूतो सभ नहि आ पुत्रो नहि—मात्र पिता जनैत छथि। 33 होसियार रहू! बाट तकैत रहू आ प्रार्थना करैत रहू! अहाँ सभ तँ नहि जनैत छी जे ओ समय कहिया होयत। 34 ई बात एहन अछि जेना एक आदमी यात्रा पर परदेश जाय लगलाह। जाय सँ पहिने ओ अपन घरक लेल नोकर सभ केँ अपन-अपन जबाबदेही देलनि, और चौकीदार केँ पहरा देबाक लेल आज्ञा देलनि। 35 तहिना अहाँ सभ बाट तकैत रहू, किएक तँ अहाँ नहि जनैत छी जे घरक मालिक कखन फिरि औताह—साँझ, आधा राति, भोरहरिया, वा भिनसर मे। 36 एना नहि होअय जे ओ अचानक आबि कऽ अहाँ सभ केँ सुतल पौताह। 37 अहाँ सभ केँ हम जे कहैत छी से सभ केँ कहैत छी—होसियार रहू!”
1 फसह-पाबनि और “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि” होमऽ मे दू दिन बाँकी छल। मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ यीशु केँ कोन तरहेँ छल सँ पकड़ब और मारि देब, तकर उपाय तकैत छलाह। 2 मुदा ओ सभ कहलनि जे, “पाबनिक समय मे नहि। एना नहि होअय जे जनता उपद्रव करय।” 3 यीशु बेतनिया गाम मे सिमोन नामक एक आदमी, जिनका पहिने कुष्ठ-रोग भेल छलनि, तिनका घर मे भोजन करैत छलाह। तखने एकटा स्त्रीगण संगमरमरक बर्तन मे जटामासी नामक बहुत दामी तेल अनलनि। बर्तन फोड़ि कऽ तेल हुनका माथ पर ढारि देलथिन। 4 लेकिन ओहिठाम बैसल किछु लोक खिसिआ कऽ एक-दोसर केँ कहऽ लागल जे, “ई दामी तेल किएक बरबाद कयल गेल? 5 ई तँ एक वर्षक मजदूरी सँ बेसी मे बेचि कऽ गरीब सभ मे बाँटल जा सकैत छल!” और ओहि स्त्री केँ डाँटऽ लागल। 6 मुदा यीशु कहलथिन, “हिनका छोड़ि दिऔन! हिनका किएक तंग करैत छिऐन? हमरा लेल बहुत बढ़ियाँ काज कयलनि। 7 गरीब सभ तँ अहाँ सभक संग सभ दिन रहत, और अहाँ सभ केँ जहिया मोन होयत तहिया ओकरा सभक सहायता कऽ सकब। मुदा हम अहाँ सभक संग सभ दिन नहि रहब। 8 ई जे किछु कऽ सकैत छलीह से कयलनि। ई पहिनहि सँ हमरा देह मे तेल लगा कऽ हम जे कबर मे राखल जायब तकर तैयारी कयलनि। 9 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, संसार भरि मे जतऽ कतौ हमर शुभ समाचारक प्रचार कयल जायत, ततऽ एहि स्त्रीगणक स्मरण मे हिनकर एहि काजक चर्चा सेहो कयल जायत।” 10 तखन यहूदा इस्करियोती, जे बारह शिष्य मे सँ एक छल, यीशु केँ मुख्यपुरोहित सभक हाथ मे पकड़यबाक योजना बनयबाक लेल हुनका सभक ओहिठाम गेल। 11 यहूदाक बात सुनि कऽ मुख्यपुरोहित सभ बहुत खुश भऽ गेलाह और ओकरा ई काज करबाक लेल पैसा देबाक वचन देलथिन। तेँ ओ यीशु केँ पकड़बयबाक अनुकूल अवसरक ताक मे रहऽ लागल। 12 बिनु खमीरक रोटी वला पाबनिक पहिल दिन, जाहि दिन मे फसह-भोजक भेँड़ा बलिदान करबाक प्रथा छल, शिष्य सभ यीशु सँ पुछलथिन जे, “फसह-पाबनिक भोजक व्यवस्था अहाँक लेल हम सभ कतऽ ठीक करू?” 13 यीशु दूटा शिष्य सभ केँ ई कहि कऽ पठौलनि जे, “शहर मे जाउ। ओतऽ घैल मे पानि लऽ जाइत एक पुरुष अहाँ सभ केँ भेटत, ओकरा पाछाँ-पाछाँ जाउ। 14 जाहि घर मे ओ प्रवेश करत ओहि घरक मालिक केँ कहबनि जे, ‘गुरुजी पुछैत छथि जे हमर अतिथि-घर कतऽ अछि जतऽ हम अपना शिष्य सभक संग फसह-भोज खायब?’ 15 ओ अहाँ सभ केँ उपरका तल्ला पर एक नमहर कोठली देखौताह जाहि मे सभ किछु तैयार रहत। ओतहि अहाँ सभ अपना सभक भोजक तैयारी करू।” 16 दूनू शिष्य विदा भऽ कऽ शहर मे पहुँचलाह, और जहिना यीशु हुनका सभ केँ कहने छलथिन, ठीक ओहिना सभ किछु भेटलनि, और ओ सभ ओतऽ फसह-भोजक तैयारी कयलनि। 17 ओहि साँझ मे यीशु अपन बारहो शिष्यक संग ओतऽ पहुँचलाह। 18 भोजन करैत काल यीशु कहऽ लगलाह जे, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, अहाँ सभ मे सँ एक गोटे हमरा पकड़बा देत, एक गोटे जे हमरा संग भोजन सेहो कऽ रहल अछि।” 19 शिष्य सभ दुखी भऽ कऽ एक-एक कऽ हुनका सँ पुछऽ लगलनि जे, “ओ हम तँ नहि छी?!” 20 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “ओ अहाँ बारहो मे सँ एक अछि जे हमरा संग बट्टा मे रोटी केँ बोड़ैत अछि। 21 मनुष्य-पुत्रक सम्बन्ध मे जहिना धर्मशास्त्र मे लिखल गेल अछि तहिना तँ ओ चलिए जायत, मुदा धिक्कार अछि ओहि मनुष्य केँ जे मनुष्य-पुत्र केँ पकड़बा रहल अछि। ओकरा लेल तँ नीक ई रहितैक जे ओ जन्मे नहि लेने रहैत।” 22 ओ सभ जखन भोजन कऽ रहल छलाह तँ यीशु रोटी लेलनि आ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। ओ रोटी केँ तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ कहलथिन, “लिअ, ई हमर देह अछि।” 23 तखन बाटी हाथ मे लेलनि, और परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ हुनका सभ केँ देलथिन। ओ सभ गोटे ओहि मे सँ पिलनि। 24 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “ई परमेश्वर आ मनुष्यक बीच विशेष सम्बन्ध स्थापित करऽ वला हमर खून अछि, जे बहुत लोकक लेल बहाओल जा रहल अछि। 25 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जाबत तक परमेश्वरक राज्य मे हम नवका अंगूरक रस नहि पीब, ताबत तक अंगूरक रस फेर नहि पीब।” 26 तकरबाद एक भजन गाबि कऽ ओ सभ जैतून पहाड़ पर चल गेलाह। 27 तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ गोटे अपना विश्वास मे डगमगायब, किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे परमेश्वर कहने छथि, ‘हम चरबाह केँ मारि देबैक, और भेँड़ा सभ छिड़िया जायत।’ 28 मुदा मृत्यु सँ फेर जीवित भऽ गेलाक बाद हम अहाँ सभ सँ पहिने गलील प्रदेश जायब।” 29 एहि पर पत्रुस हुनका कहलथिन, “चाहे सभ केओ विश्वास मे डगमगायत, मुदा हम नहि डगमगायब!” 30 यीशु हुनका कहलथिन, “हम अहाँ केँ सत्य कहैत छी जे, आइए राति मे, अहाँ हमरा अस्वीकार करब। मुर्गा केँ दू बेर बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर लोक केँ कहबैक जे, हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।” 31 मुदा पत्रुस आरो जोर सँ कहलथिन जे, “हमरा जँ अहाँक संग मरहो पड़त तैयो हम किन्नहुँ नहि अहाँ केँ अस्वीकार करब।” आरो सभ शिष्य सेहो यैह बात कहलथिन। 32 ओ सभ गतसमनी नामक एक जगह पर गेलाह। यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “जाबत हम प्रार्थना करैत छी, ताबत अहाँ सभ एहिठाम बैसल रहू।” 33 ओ पत्रुस, याकूब और यूहन्ना केँ अपना संग लऽ गेलाह। ओ मानसिक वेदना सँ व्याकुल होमऽ लगलाह, 34 आ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमर मोन व्यथा सँ एतेक व्याकुल अछि—मानू जे हम दुःख सँ मरऽ पर छी। अहाँ सभ एहिठाम रहि कऽ जागल रहू।” 35 एतेक कहि ओ कनेक आगाँ जा मुँह भरे खसि कऽ प्रार्थना कयलनि जे, सम्भव होअय तँ ई दुःखक समय हमरा लग सँ दूर भऽ जाय। 36 ओ प्रार्थना करैत कहलनि जे, “हे बाबूजी! हे पिता! अहाँ तँ सभ किछु कऽ सकैत छी—ई दुःखक बाटी हमरा सँ हटा लिअ, मुदा तैयो हमर इच्छा नहि, अहींक इच्छा पूरा होअय।” 37 तकरबाद अपन शिष्य सभ लग आबि कऽ हुनका सभ केँ सुतल देखलथिन। ओ पत्रुस केँ कहलथिन, “सिमोन! सुतल छी की? की एको घण्टा जागल रहितहुँ से अहाँ केँ पार नहि लागल? 38 परीक्षा मे नहि पड़ि जाउ ताहि लेल अहाँ सभ जागल रहू आ प्रार्थना करैत रहू। आत्मा तँ तैयार अछि मुदा शरीर कमजोर।” 39 यीशु फेर जा कऽ पहिने जकाँ प्रार्थना कयलनि। 40 ओ जखन प्रार्थना कऽ कऽ शिष्य सभ लग अयलाह तँ ओ सभ फेर सुतल छलाह। हुनकर सभक आँखि नीन सँ भारी भऽ गेल छलनि। आब यीशु केँ की जबाब दिऔन से हिनका सभ केँ किछु नहि फुरयलनि। 41 यीशु फेर तेसर बेर हुनका सभ लग अयलाह और कहलथिन, “एखनो तक सुतिए रहल छी आ आरामे कऽ रहल छी? आब भऽ गेल! समय आबि गेल—देखू आब मनुष्य-पुत्र पापी सभक हाथ मे पकड़बाओल जा रहल अछि। 42 उठू-उठू! चलू! देखू, हमरा पकड़बाबऽ वला आबि गेल अछि!” 43 यीशु ई कहिए रहल छलाह कि यहूदा, जे बारह शिष्य मे सँ एक छल, पहुँचि गेल। ओकरा संग लोकक भीड़ छलैक, और सभक हाथ मे तरुआरि और लाठी छल। ओकरा सभ केँ मुख्यपुरोहित, धर्मशिक्षक, और बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि पठौने छलाह। 44 यीशु केँ पकड़बाबऽ वला ओकरा सभ केँ ई संकेत देने छलैक जे, “हम जकरा चुम्मा लेब, वैह होयत—अहाँ सभ ओकरे पकड़ू आ घेरि कऽ पहरा मे लऽ जायब।” 45 यहूदा तुरत यीशुक लग मे जा कऽ कहलकनि, “गुरुजी!” आ हुनका चुम्मा लेलकनि। 46 ओ सभ हुनका तुरत पकड़ि कऽ बन्दी बना लेलकनि। 47 ओहि ठाम ठाढ़ एक आदमी तरुआरि निकालि कऽ महापुरोहितक टहलू पर चला कऽ ओकर एकटा कान उड़ा देलनि। 48 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ हमरा विद्रोह मचाबऽ वला बुझि कऽ, लाठी और तरुआरि लऽ कऽ पकड़ऽ अयलहुँ? 49 सभ दिन हम मन्दिर मे शिक्षा दैत अहाँ सभक संग छलहुँ, ततऽ अहाँ सभ हमरा नहि पकड़लहुँ। मुदा ई सभ एना एहि लेल भेल जे धर्मशास्त्र मे लिखल बात पूरा होअय।” 50 तखन सभ शिष्य हुनका छोड़ि कऽ भागि गेलनि। 51 ओहिठाम एक नवयुवक सेहो छल जे यीशुक पाछाँ-पाछाँ चलैत छल। ओ अपना देह पर मात्र चद्दरि लपेटने रहय। लोक सभ ओकरो पकड़ऽ लागल 52 लेकिन ओ चद्दरि ओकरा सभक हाथ मे छोड़ि कऽ नंगटे दौड़ैत भागल। 53 तखन यीशु केँ महापुरोहितक ओहिठाम लऽ गेलनि, जाहिठाम सभ मुख्यपुरोहित, बूढ़-प्रतिष्ठित लोक और धर्मशिक्षक सभ जमा भेल छलाह। 54 पत्रुस सेहो किछु दूरे रहि कऽ यीशुक पाछाँ-पाछाँ महापुरोहितक अङने मे पैसि गेलाह। ओ सिपाही सभक संग घूर लग बैसि कऽ आगि तापऽ लगलाह। 55 मुख्यपुरोहित सभ और पूरा धर्म-महासभाक सदस्य सभ यीशु केँ मृत्युदण्डक जोगरक बनयबाक लेल हुनका विरोध मे प्रमाण सभ तकैत छलाह, मुदा किछु नहि भेटलनि। 56 कारण बहुत लोक हुनका विरोध मे झूठ गवाही देलक लेकिन ओकरा सभक बात एक-दोसर सँ नहि मिललैक। 57 तखन किछु लोक उठि कऽ हुनका विरोध मे झूठ गवाही दैत कहलक जे, 58 “हम सभ ओकरा ई कहैत सुनलहुँ अछि जे, ‘ई हाथ सँ बनाओल मन्दिर केँ हम तोड़ि देब और तीन दिनक बाद हम दोसर बनायब जे मनुष्यक हाथ सँ बनाओल नहि होयत।’” 59 मुदा तैयो ओकरा सभक बात एक-दोसर सँ नहि मिलैत छल। 60 तखन महापुरोहित सभाक बीच मे ठाढ़ भऽ कऽ यीशु सँ पुछलथिन जे, “की अहाँ कोनो उत्तर नहि देब? ई गवाह सभ अहाँक विरोध मे केहन बात सभ कहि रहल अछि?” 61 मुदा यीशु चुप रहि कऽ कोनो उत्तर नहि देलथिन। फेर महापुरोहित हुनका पुछलथिन जे, “की अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह छी? परमधन्य परमेश्वरक पुत्र छी?” 62 यीशु कहलथिन, “हँ, हम छी। और अहाँ सभ मनुष्य-पुत्र केँ सर्वशक्तिमान परमेश्वरक दहिना कात बैसल और आकाशक मेघ मे अबैत देखब।” 63 ई सुनि महापुरोहित अपन वस्त्र फाड़ि कऽ कहलथिन, “आब आरो गवाह सभक की आवश्यकता? 64 अहाँ सभ एकरा परमेश्वरक निन्दा करैत सुनबे कयलहुँ—आब अहाँ सभक की विचार?” सभ हुनका मृत्युदण्डक जोगरक ठहरौलकनि। 65 किछु लोक हुनका पर थूक फेकऽ लगलनि, हुनका आँखि पर पट्टी बान्हि कऽ हुनका मुक्का मारऽ लगलनि और कहलकनि जे, “यौ अन्तर्यामी, कहल जाओ! अपने केँ के मारलक?” सिपाही सभ सेहो हुनका थप्पड़ मारलकनि। 66 एहि समय मे पत्रुस नीचाँ आङन मे छलाह। महापुरोहितक एक टहलनी आबि कऽ 67 पत्रुस केँ आगि तपैत देखि हुनकर मुँह ठिकिअबैत कहलकनि जे, “अहूँ एहि नासरत-निवासी यीशुक संग छलहुँ!” 68 मुदा पत्रुस अस्वीकार करैत कहलथिन, “तोँ की बाजि रहल छेँ से हमरा बुझहो मे नहि अबैत अछि आ ने ओहि बात केँ हम जनैत छी।” और ओहिठाम सँ हटि कऽ आङनक मुँह पर चल गेलाह, आ मुर्गा बाजल। 69 फेर ओ टहलनी हुनका देखि कऽ ओहिठाम ठाढ़ लोक सभ केँ कहलकैक जे, “ई आदमी ओकरे सभ मे सँ केओ अछि!” 70 मुदा पत्रुस फेर अस्वीकार कयलनि। किछु कालक बाद ओहिठाम ठाढ़ लोक सभ पत्रुस केँ कहलकनि जे, “निश्चय तोँ ओकरे सभ मे सँ छह! तोँहूँ तँ गलीले प्रदेशक छह!” 71 एहि पर ओ सपत खा कऽ अपना केँ सरापऽ लगलाह और कहलथिन, “जाहि व्यक्तिक बारे मे अहाँ सभ बाजि रहल छी, तकरा हम नहि चिन्हैत छी!” 72 तखने मुर्गा दोसर बेर बाजि उठल। तखन पत्रुस केँ ओ बात मोन पड़ि गेलनि जे यीशु हुनका कहने छलथिन जे, “मुर्गा केँ दू बेर बाजऽ सँ पहिने अहाँ हमरा तीन बेर अस्वीकार करब।” और ओ भोकासी पाड़ि कऽ कानऽ लगलाह।
1 प्रात भेने भोरे-भोर मुख्यपुरोहित, बूढ़-प्रतिष्ठित सभ, धर्मशिक्षक सभ, और धर्म-महासभाक आरो सभ सदस्य निर्णय कऽ कऽ, यीशु केँ बान्हि देलथिन, और हुनका लऽ जा कऽ राज्यपाल पिलातुसक जिम्मा मे लगा देलथिन। 2 पिलातुस हुनका सँ पुछलथिन जे, “की अहाँ यहूदी सभक राजा छी?” यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ अपने कहि रहल छी।” 3 तखन मुख्यपुरोहित सभ हुनका पर बहुत बातक दोष लगाबऽ लगलाह। 4 पिलातुस हुनका सँ फेर पुछलथिन जे, “की अहाँ कोनो उत्तर नहि देब? देखू, ई सभ अहाँ पर कतेक आरोप लगा रहल छथि!” 5 मुदा यीशु तैयो कोनो उत्तर नहि देलथिन। एहि सँ पिलातुस केँ बहुत आश्चर्य लगलनि। 6 प्रत्येक साल फसह-पाबनिक अवसर पर राज्यपाल जनताक माँगक अनुसार एक कैदी केँ छोड़ि दैत छलाह। 7 एहि बेर आरो क्रान्तिकारी सभक संग जहल मे एक बरब्बा नामक कैदी छल जे आन्दोलन मे हत्या कयने छल। 8 भीड़ पिलातुसक लग मे आबि कऽ हुनका सँ माँग कयलकनि जे ओ अपन प्रथाक अनुसार ओकरा सभक लेल एक कैदी केँ छोड़ि देथि। 9 ओ ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “की अहाँ सभ चाहैत छी जे हम अहाँ सभक लेल ‘यहूदी सभक राजा’ केँ छोड़ि दी?” 10 ओ जनैत छलाह जे मुख्यपुरोहित सभ यीशु केँ ईर्ष्याक कारणेँ पकड़बौने छथि। 11 मुदा मुख्यपुरोहित सभ भीड़क लोक केँ एहि बातक लेल भड़कौलनि जे ओ सभ यीशु केँ नहि, बल्कि बरब्बा केँ छोड़ि देबाक लेल पिलातुस सँ माँग करय। 12 पिलातुस ओकरा सभ केँ फेर कहलथिन, “तखन एकरा लऽ कऽ हम की करिऔक जकरा अहाँ सभ ‘यहूदी सभक राजा’ कहैत छी?” 13 एहि पर ओ सभ बहुत जोर-जोर सँ हल्ला करऽ लागल जे, “ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 14 मुदा पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “किएक? ओ कोन अपराध कयने अछि?” लेकिन ओ सभ आरो जोर-जोर सँ चिचियाय लागल जे, “ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 15 तखन पिलातुस लोक सभ केँ खुश करबाक उद्देश्य सँ ओकरा सभक लेल बरब्बा केँ छोड़ि देलथिन और यीशु केँ कोड़ा सँ पिटबा कऽ क्रूस पर चढ़यबाक लेल सैनिक सभक जिम्मा लगा देलथिन। 16 तखन सैनिक सभ हुनका राजभवनक आङन मे, जकरा “प्राईटोरियम” कहल जाइत छैक, लऽ गेलनि। ओहिठाम पूरा सैनिक-दल बजाओल गेल। 17 ओ सभ हुनका बैगनी रंगक राजसी वस्त्र पहिरा देलकनि, और काँटक मुकुट बना कऽ हुनका माथ पर रखलकनि। 18 ओ सभ हुनका कहऽ लगलनि जे, “यहूदी सभक राजा, प्रणाम!” 19 ओ सभ छड़ी लऽ कऽ बेर-बेर हुनका मूड़ी पर मारलकनि, हुनका पर थूक फेकलकनि, और ठेहुनिया दऽ कऽ गोड़ लगलकनि। 20 ओ सभ एहि तरहेँ यीशुक मजाक उड़ौलाक बाद हुनका देह पर सँ बैगनी रंग वला वस्त्र निकालि लेलकनि आ हुनकर अपन कपड़ा फेर पहिरा देलकनि। तकरबाद ओ सभ हुनका क्रूस पर लटकयबाक लेल शहर सँ बाहर लऽ गेलनि। 21 रस्ता मे कुरेन नगरक रहऽ वला सिमोन नामक एक आदमी, जे सिकन्दर और रूफुसक पिता छल, गाम सँ शहर दिस आबि रहल छल। ओकरा सिपाही सभ बलजोरी पकड़लक जे ओ यीशुक क्रूस उठा कऽ लऽ चलय। 22 यीशु केँ ओ सभ गुलगुता नामक जगह, जकर अर्थ अछि “खप्पड़ वला स्थान”, पर लऽ गेलनि। 23 ओतऽ केओ मूर्र नामक तीत दवाइ दारू मे मिला कऽ हुनका पिबाक लेल देबऽ लगलनि मुदा ओ नहि लेलनि। 24 तखन यीशु केँ हाथ-पयर मे काँटी ठोकि कऽ क्रूस पर टाँगि देलकनि। सिपाही सभ ककरा कोन कपड़ा भेटतैक ताहि लेल यीशुक कपड़ा पर चिट्ठा खसौलक। एहि तरहेँ ओ सभ हुनकर कपड़ा अपना मे बाँटि लेलक। 25 जखन ओ सभ यीशु केँ क्रूस पर चढ़ौलकनि तखन नौ बजे दिन छल। 26 हुनका विरोध मे जे दोष-पत्र लिखि कऽ टाँगल गेल ताहि पर ई लिखल छल, “यहूदी सभक राजा”। 27 हुनका संगे दूटा डाकू केँ सेहो क्रूस पर चढ़ाओल गेल, एकटा हुनकर दहिना कात और दोसर बामा कात। 28 [तहिना धर्मशास्त्रक वचन पूरा भऽ गेल जाहि मे लिखल अछि जे, “ओ अपराधी सभ मे सँ बुझल गेलाह।”] 29 ओहि बाटे आबऽ-जाय वला लोक सभ माथ हिला-हिला कऽ हुनकर निन्दा करैत छलनि जे, “रे मन्दिर केँ तोड़ऽ वला और तीन दिन मे ओकरा बनाबऽ वला— 30 आब क्रूस पर सँ उतरि कऽ अपना केँ बचा!” 31 तहिना मुख्यपुरोहित लोकनि और धर्मशिक्षक सभ सेहो अपना मे यीशुक हँसी उड़बैत कहलनि, “ई आन लोक सभ केँ बचबैत रहल मुदा अपना केँ नहि बचा सकैत अछि! 32 ई उद्धारकर्ता-मसीह, इस्राएलक राजा, एखन क्रूस पर सँ उतरि आबओ जाहि सँ हम सभ देखिऐक और विश्वास करिऐक!” यीशुक संग जे सभ क्रूस पर चढ़ाओल गेल छल, सेहो सभ हुनकर निन्दा करऽ लगलनि। 33 बारह बजे दिन मे पूरा देश अन्हार-कुप्प भऽ गेल, और तीन बजे तक ओहिना रहल। 34 लगभग तीन बजे मे यीशु बहुत जोर सँ बजलाह जे, “एली, एली, लामा सबक्तनी?” जकर अर्थ ई अछि, “हे हमर परमेश्वर, हे हमर परमेश्वर, हमरा अहाँ किएक छोड़ि देलहुँ?” 35 लग मे ठाढ़ किछु लोक ई सुनि कहलक जे, “सुनू!—ओ एलियाह केँ बजा रहल अछि।” 36 एक आदमी दौड़ि कऽ गेल आ रूइ जकाँ एकटा एहन चीज जे पानि सोखैत अछि से लऽ कऽ तिताह दारू मे डुबा लेलक, तखन ओकरा लाठीक हूर पर अटका कऽ ऊपर हुनका मुँह लग पिबाक लेल देलकनि आ बाजल, “आब अपना सभ देखी जे एलियाह एकरा क्रूस पर सँ उतारबाक लेल अबैत छथि कि नहि।” 37 तकरबाद यीशु बहुत जोर सँ आवाज दैत अपन प्राण त्यागि देलनि। 38 मन्दिर मे जे परदा छलैक से ऊपर सँ नीचाँ तक चिरा कऽ दू भाग मे फाटि गेल। 39 रोमी कप्तान जे यीशुक सामने मे ठाढ़ छल, ई देखि जे यीशु कोना मरलाह बाजल, “सत्ये ई आदमी परमेश्वरक पुत्र छलाह!” 40 किछु स्त्रीगण सभ छलीह जे दूरे सँ देखि रहल छलीह। हुनका सभ मे मरियम मग्दलीनी, छोटका याकूब और योसेसक माय मरियम, और सलोमी सेहो छलीह। 41 ई सभ गलील प्रदेश मे यीशुक संगे-संग घूमि कऽ हुनकर सेवा कयने छलीह। ओहिठाम आरो बहुत स्त्रीगण सेहो छलि जे हुनका संग यरूशलेम आयल छलि। 42 ई सभ घटना विश्रामक दिन सँ एक दिन पहिने भेल छल, जाहि दिन विश्राम दिनक लेल तैयारी कयल जाइत अछि। तेँ साँझ भेला पर 43 अरिमतिया नगरक यूसुफ नामक महासभाक एक प्रतिष्ठित सदस्य, जे परमेश्वरक राज्यक बाट सेहो तकैत छलाह, से साहसक संग पिलातुसक ओहिठाम जा कऽ यीशुक लास मँगलनि। 44 पिलातुस केँ आश्चर्य लगलनि जे यीशु एतेक जल्दी कोना मरि गेलाह, तेँ सेनाक कप्तान केँ बजबा कऽ ओकरा सँ पुछलथिन जे, “की यीशु एखने मरि गेल अछि?” 45 कप्तान सँ एहि बातक पता लगा कऽ पिलातुस यूसुफ केँ यीशुक लास लऽ जयबाक अनुमति दऽ देलथिन। 46 यूसुफ मलमलक कपड़ा किनि कऽ यीशुक लास क्रूस पर सँ उतारि लेलनि और ओहि कपड़ा मे लपेटि देलथिन। तखन पाथर मे काटि कऽ बनाओल कबर मे लास केँ राखि देलथिन, और कबरक मुँह पर एक पाथर गुड़का कऽ लगा देलनि। 47 मरियम मग्दलीनी आ योसेसक माय मरियम देखलनि जे यीशु कतऽ राखल गेलाह।
1 विश्रामक दिन बितला पर मरियम मग्दलीनी, याकूबक माय मरियम, और सलोमी जा कऽ सुगन्धित तेल किनलनि, जाहि सँ यीशुक लास पर लगबथि। 2 तखन प्रात भेने जे कि सप्ताहक पहिल दिन छल, भोरगरे सुर्योदय काल मे ओ सभ कबर पर गेलीह। 3 रस्ता मे एक-दोसर केँ कहैत छलीह जे, “अपना सभक लेल कबरक मुँह पर सँ पाथर केँ के हटा देत?” 4 ओ पाथर तँ बहुत बड़का छल। तखन कबर दिस तकैत ओ सभ देखलनि जे पाथर हटाओल गेल अछि। 5 ओ सभ कबर मे पैसि कऽ दहिना कात मे एक युवक केँ बैसल देखलनि, जे लम्बा उज्जर वस्त्र पहिरने छलाह। ओ सभ एकदम आश्चर्य-चकित भऽ गेलीह। 6 युवक हुनका सभ केँ कहलथिन जे “चकित नहि होउ! अहाँ सभ नासरतक निवासी यीशु केँ खोजैत छिऐन, जिनका क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलनि। ओ जीबि उठलाह! एतऽ नहि छथि! देखू, एही जगह पर हुनका राखल गेल छलनि। 7 मुदा अहाँ सभ जाउ, और शिष्य सभ केँ—पत्रुस केँ सेहो—ई कहि देबनि जे, ‘ओ अहाँ सभ सँ पहिने, जहिना अहाँ सभ केँ कहने छलाह, गलील जा रहल छथि, ओतऽ हुनका सँ भेँट होयत।’” 8 ओ स्त्रीगण सभ आश्चर्य सँ कँपैत कबर मे सँ निकलि कऽ भगलीह। ओ सभ डर सँ ककरो किछु नहि कहलथिन। 9 [यीशु सप्ताहक पहिल दिन भोरे मृत्यु सँ जीबि उठि कऽ सभ सँ पहिने मरियम मग्दलीनी केँ देखाइ देलथिन, जकरा मे सँ ओ सातटा दुष्टात्मा निकालने रहथिन। 10 ओ जा कऽ, यीशुक संगी सभ केँ, जे शोक सँ कनैत छलाह, ई समाचार कहलथिन। 11 मुदा मरियमक बात सुनि कऽ जे यीशु फेर जीबि उठलाह और ओ हमरा भेँट भेलाह, से बात ओ सभ नहि पतिअयलाह। 12 एकरा बाद जखन हुनका सभ मे सँ दू व्यक्ति गाम दिस जा रहल छलाह, तखन यीशु हुनका सभ केँ दोसर रूप मे दर्शन देलथिन। 13 ई सभ घूमि आबि कऽ आरो शिष्य सभ केँ एहि घटनाक बारे मे सुनौलनि, लेकिन हुनको सभक बात ओ सभ नहि पतिअयलाह। 14 बाद मे एगारहो शिष्य सभ केँ भोजन करैत काल यीशु हुनका सभ केँ दर्शन देलथिन। ओ हुनका सभक अविश्वास और मोनक कठोरताक कारणेँ हुनका सभ केँ डँटलथिन, किएक तँ ओ सभ ओहि व्यक्ति सभक बात केँ नहि पतिआयल छलाह जे व्यक्ति सभ यीशु केँ मृत्युक बाद जीवित देखने छलाह। 15 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “पूरा संसार मे जा कऽ सभ मनुष्य केँ शुभ समाचार सुनबिऔक। 16 जे व्यक्ति विश्वास करत और बपतिस्मा लेत तकरा उद्धार होयतैक, मुदा जे व्यक्ति विश्वास नहि करत से दोषी ठहराओल जायत। 17 जे सभ विश्वास करत से सभ ई चिन्ह सभ देखाओत—हमरा नाम सँ दुष्टात्मा केँ निकालत, अनजान भाषा मे बाजत, 18 जँ साँप उठा लेत वा विष पी लेत तँ ओकरा सभ केँ कोनो हानि नहि होयतैक। बिमार आदमी सभ पर हाथ राखत तँ ओ स्वस्थ भऽ जायत।” 19 तखन प्रभु यीशु शिष्य सभ सँ बात कयलाक बाद स्वर्ग मे उठा लेल गेलाह, और परमेश्वरक दहिना कात बैसलाह। 20 शिष्य सभ बाहर जा कऽ सभ जगह मे शुभ समाचारक प्रचार कयलनि। प्रभु हुनका सभक सहायता करैत रहलथिन, और प्रचारक संगे-संग जे चमत्कार देखाओल गेल तकरा द्वारा ओ अपन शुभ समाचारक सत्यता प्रमाणित कयलथिन।]
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