Luke11 आदरणीय थियुफिलुस, बहुतो लोक हमरा सभक मध्य घटल घटनाक विवरण लिखने छथि। 2 ओ सभ अपन विवरण तिनका सभक बातक आधार पर लिखलनि, जे शुरुए सँ एहि घटना सभक प्रत्यक्षदर्शी छलाह आ शुभ समाचारक प्रचारक सेवा मे लागल छलाह, जिनका सभक द्वारा हमरा सभ केँ एहि बात सभक जानकारी भेटल। 3 तेँ शुरुए सँ सभ बातक सावधानीपूर्बक अध्ययन कऽ कऽ हमरा उचित बुझायल जे हमहूँ अहाँक लेल क्रमानुसार तकर सम्पूर्ण विवरण लिखी, 4 जाहि सँ अहाँ जानि सकी जे जाहि बातक शिक्षा अहाँ केँ भेटल अछि से एकदम सत्य अछि। 5 यहूदिया प्रदेशक राजा हेरोदक समय मे जकरयाह नामक एक पुरोहित छलाह। ओ पुरोहित सभक ताहि समूहक छलाह जे अबियाहक समूह कहबैत छल। हुनकर स्त्री इलीशिबा सेहो पुरोहित हारूनक वंशक छलीह। 6 ओ दूनू गोटे परमेश्वरक नजरि मे धर्मी छलाह। हुनका सभक जीवन परमेश्वरक सभ आज्ञा और विधि-विधानक अनुसार निर्दोष छलनि। 7 मुदा हुनका सभ केँ कोनो सन्तान नहि छलनि, कारण इलीशिबा बाँझ छलीह, आ हुनका दूनू गोटेक अवस्था ढरि गेल छलनि। 8 एक दिन मन्दिर मे सेवा करबाक पार जखन जकरयाहक समूह केँ भेल आ जकरयाह परमेश्वरक सामने पुरोहितक काज कऽ रहल छलाह, 9 तँ पुरोहित सभक प्रथाक अनुसार हुनका नामक एक चिट्ठा निकलल जे ओ मन्दिर मे जा कऽ धूप जरबथि। 10 धूप जरयबाक समय मे लोकक भीड़ बाहर प्रार्थना कऽ रहल छल। 11 तखन परमेश्वरक एक स्वर्गदूत धूप-वेदीक दहिना कात ठाढ़ भऽ जकरयाह केँ दर्शन देलथिन। 12 हुनका देखि जकरयाह घबड़ा गेलाह आ भयभीत भऽ गेलाह। 13 मुदा स्वर्गदूत हुनका कहलथिन, “यौ जकरयाह, नहि डेराउ, कारण परमेश्वर लग अहाँक प्रार्थना सुनल गेल अछि। अहाँक स्त्री इलीशिबा एक पुत्र केँ जन्म देतीह। अहाँ ओकर नाम यूहन्ना राखब। 14 अहाँ केँ खुशी आ आनन्द होयत। ओकर जन्म सँ बहुत लोक आनन्द मनाओत, 15 कारण, ओ प्रभुक नजरि मे महान् होयत। ओ मदिरा वा आरो कोनो तरहक निसा लागऽ वला वस्तु कहियो नहि पीत। ओ मायक पेटे सँ पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण होयत। 16 ओ इस्राएलक बहुतो लोक केँ अपना प्रभु-परमेश्वर दिस घुमाओत। 17 आत्मा आ सामर्थ्य मे ओ एलियाह सन भऽ कऽ प्रभुक आगाँ चलत। ओ पिता-सन्तान सभक बीच मेल-मिलाप कराओत, आज्ञा उल्लंघन करऽ वला सभ केँ ओहन बुद्धि दियाओत जाहि सँ ओ सभ धार्मिकताक अनुसार चलत, आ एहि तरहेँ प्रभुक लेल एक योग्य प्रजा तैयार करतनि।” 18 एहि पर जकरयाह स्वर्गदूत केँ कहलथिन, “ई बात हम निश्चित रूप सँ कोना जानि सकैत छी? हम अपनो बूढ़ छी आ हमर घरवाली सेहो बुढ़ि छथि।” 19 स्वर्गदूत हुनका उत्तर देलथिन, “हम जिब्राएल छी। हम परमेश्वरक सामने उपस्थित रहैत छी। हम अहाँ सँ बात करबाक लेल आ ई खुशीक सम्बाद सुनयबाक लेल पठाओल गेल छी। 20 आब सुनू, जाहि दिन धरि ई बात पूरा नहि भऽ जायत, ताहि दिन धरि अहाँ बौक रहब, बाजि नहि सकब। कारण, हमर बात जे ठीक समय अयला पर पूरा होयत, ताहि पर अहाँ विश्वास नहि कयलहुँ।” 21 एम्हर लोक सभ जकरयाहक प्रतीक्षा कऽ रहल छल आ आश्चर्यित छल जे हुनका मन्दिर मे एतेक देरी किएक भऽ रहल छनि। 22 ओ जखन बाहर अयलाह तँ ओकरा सभ सँ बाजि नहि सकलाह। ओ सभ बुझि गेल जे हिनका मन्दिर मे दर्शन भेटलनि अछि। ओ लोक सभ सँ इसारा सँ गप्प करैत छलाह कारण ओ बौक भऽ गेल छलाह। 23 अपन पुरहिताइक समयक पार समाप्त भेला पर ओ घर चल गेलाह। 24 किछु दिनक बाद जकरयाहक स्त्री इलीशिबा गर्भवती भेलीह। ओ पाँच महिना धरि कतौ नहि बहरयलीह। 25 ओ कहैत छलीह, “प्रभु कतेक दयालु छथि! आब ओ हमरा पर कृपा कऽ कऽ समाज मे हमर कलंक केँ धो देलनि।” 26 इलीशिबाक गर्भक छठम मास मे परमेश्वर जिब्राएल स्वर्गदूत केँ गलील प्रदेशक नासरत नगर मे 27 एक कुमारि कन्या लग सम्बाद दऽ कऽ पठौलथिन। हुनकर विवाहक निश्चय दाऊदक वंशज यूसुफ नामक पुरुष सँ भेल छलनि। ओहि कुमारि कन्याक नाम मरियम छलनि। 28 स्वर्गदूत मरियम लग आबि कऽ कहलथिन, “मरियम, आनन्द मनाउ, परमेश्वर अहाँ पर कृपा कयलनि अछि। प्रभु अहाँक संग छथि।” 29 हुनकर एहि कथन सँ ओ बहुत घबड़ा गेलीह आ सोचऽ लगलीह जे, ई केहन बात कहि रहल छथि! 30 तखन स्वर्गदूत कहलथिन, “मरियम, भयभीत नहि होउ, परमेश्वर अहाँ सँ प्रसन्न छथि। 31 सुनू, अहाँ गर्भवती होयब आ पुत्र केँ जन्म देब। अहाँ हुनकर नाम यीशु राखि देबनि। 32 ओ महान् होयताह आ परम-परमेश्वरक पुत्र कहौताह। प्रभु-परमेश्वर हुनकर पूर्वज दाऊदक सिंहासन हुनका देथिन। 33 ओ याकूबक वंश पर अनन्त काल तक राज्य करताह और हुनकर राज्यक अन्त कहियो नहि होयतनि।” 34 मरियम स्वर्गदूत केँ कहलथिन, “ई होयत कोना? कारण हम तँ कुमारिए छी।” 35 स्वर्गदूत उत्तर देलथिन, “पवित्र आत्मा अहाँ पर उतरताह, और परम-परमेश्वरक सामर्थ्यक छाँह अहाँ पर रहत। तेँ जन्म लेनिहार पवित्र बालक परमेश्वरक पुत्र कहौताह। 36 एतबे नहि! अहाँक सम्बन्धी इलीशिबा केँ सेहो, बुढ़ारी अवस्था मे बच्चा होयतनि! ओ जे बाँझ कहबैत छलीह, तिनका आब छठम मासक गर्भ छनि। 37 परमेश्वरक लेल कोनो बात असम्भव नहि छनि।” 38 एहि पर मरियम कहलथिन, “हम परमेश्वरक दासी छियनि। अहाँ जहिना कहलहुँ तहिना हमरा संग होअय।” तकरबाद स्वर्गदूत हुनका ओतऽ सँ विदा भऽ गेलाह। 39 तखन मरियम यात्राक तैयारी कऽ कऽ विदा भेलीह और यहूदिया प्रदेशक ओहि पहाड़ी नगर मे जल्दी सँ गेलीह जतऽ जकरयाह आ इलीशिबा रहैत छलाह। 40 ओ हुनका सभक घर मे प्रवेश कऽ कऽ इलीशिबा केँ नमस्कार कयलथिन। 41 जखन इलीशिबा मरियमक नमस्कार सुनलनि तँ हुनकर पेटक बच्चा कुदि उठलनि आ इलीशिबा पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ जोर सँ बाजि उठलीह, 42 “स्त्रीगण मे अहाँ धन्य छी, आ धन्य छथि ओ जिनका अहाँ जन्म देबनि। 43 मुदा हम कोन जोगरक छी जे हमर प्रभुक माय हमरा ओतऽ अयलीह? 44 अहाँक कहल नमस्कार शब्द जखने हमरा कान मे पड़ल, तखने हमर पेटक बच्चा खुशी सँ कुदि उठल। 45 धन्य छी अहाँ, कारण, अहाँ विश्वास कयलहुँ जे, प्रभु अहाँ केँ जे बात कहलनि, से पूरा होयत।” मरियमक स्तुति-गान 46 तखन मरियम कहलनि, “हमर मोन प्रभुक स्तुति करैत अछि, 47 और हमर आत्मा हमर उद्धारकर्ता-परमेश्वरक कारणेँ अति आनन्दित अछि, 2 48 किएक तँ ओ अपना एहि तुच्छ दासी पर दया कयलनि। आब पुस्त-पुस्तानिक लोक हमरा धन्य कहत, 2 49 कारण, सर्वशक्तिमान प्रभु हमरा लेल महान् काज कयलनि अछि, 2 हुनकर नाम पवित्र छनि! 50 हुनकर भय माननिहार लोक पर हुनकर कृपा पुस्त-पुस्तानि रहैत अछि। 51 ओ अपन बाहुबल प्रगट कयने छथि। 2 तकरा सभ केँ ओ छिन्न-भिन्न कऽ देने छथिन, 2 जकर सभक मोन अहंकार सँ भरल छल। 52 ओ शासक सभ केँ अपना सिंहासन सँ उतारि देने छथिन, 2 आ नम्र सभ केँ पैघ बना देने छथिन। 53 ओ भूखल सभ केँ नीक-नीक वस्तु सँ तृप्त कयने छथिन, 2 आ धनवान सभ केँ खाली हाथ घुमा देने छथिन। 54 ओ हमरा सभक पूर्वज लोकनि केँ देल अपन वचन अनुसार 2 अपन सेवक इस्राएलक मदति कयलनि। 55 अब्राहम और हुनकर वंशज पर सदा दया करबाक अपना वचन केँ स्मरण रखलनि।” 56 मरियम करीब तीन मास तक इलीशिबाक संग रहि कऽ अपना घर चलि अयलीह। 57 जखन इलीशिबाक पूर मास भेलनि तँ हुनका बेटा भेलनि। 58 हुनकर पड़ोसी आ सम्बन्धी सभ ई बात सुनि जे प्रभु हुनका पर कतेकटा दया कयलथिन, हुनका संग खुशी मनौलनि। 59 आठम दिन ओ सभ बच्चा केँ खतनाक विधि करबाक लेल अयलाह, आ पिताक नाम पर बच्चाक नाम “जकरयाह” राखऽ लगलथिन, 60 मुदा हुनकर माय कहलथिन, “नहि! एकर नाम यूहन्ना रखबाक अछि।” 61 एहि पर ओ सभ कहलथिन, “अहाँक कुटुम्ब-परिवार मे ई नाम कहाँ किनको छनि!” 62 तखन ओ सभ बच्चाक पिता सँ इसारा कऽ कऽ पुछलथिन जे, अहाँ एकर की नाम राखऽ चाहैत छी? 63 ओ पाटी मँगा कऽ लिखलनि, “एकर नाम यूहन्ना छैक।” एहि पर सभ चकित रहि गेलाह। 64 तखने हुनकर आवाज फुजि गेलनि आ परमेश्वरक स्तुति करैत बाजऽ लगलाह। 65 एहि सँ लग-पास मे रहऽ वला सभ लोक मे डर सन्हिया गेलैक और यहूदिया प्रदेशक पहाड़ सभ मे सभतरि एहि सभ बातक चर्चा पसरि गेल। 66 एहि बातक विषय मे जे सभ सुनलक, से सभ अपना-अपना मोन मे एहि सभक बारे मे विचार करऽ लागल आ बाजल, “ई बालक की बनताह?” कारण, स्पष्ट छल जे प्रभुक आशिष हुनका पर छलनि। 67 यूहन्नाक पिता जकरयाह पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ भविष्यवाणी कयलनि जे, 68 “इस्राएलक परमेश्वर, प्रभुक स्तुति होनि, 2 कारण ओ अपन प्रजा लग आबि कऽ ओकरा मुक्ति देलनि। 69 ओ अपन सेवक दाऊदक वंश मे 2 हमरा सभक लेल एक सामर्थ्यवान उद्धारकर्ता उत्पन्न कयलनि अछि, 70 जेना कि ओ अपन चुनल प्रवक्ता सभक माध्यम सँ प्राचीन काल सँ कहने छलाह। 71 ओ हमरा सभ केँ दुश्मन सभ सँ बचयबाक प्रतिज्ञा कयने रहथि, 2 आ हमरा सभ केँ घृणा कयनिहार सभक हाथ सँ सुरक्षित रखबाक वचन देने रहथि। 72 ओ अपन ओहि वचन केँ पूरा कऽ कऽ हमरा पूर्वज लोकनि पर दया कयलनि अछि। ओ अपन ओहि पवित्र वचन केँ स्मरण रखने छलाह 2 जे वचन ओ सपत खा कऽ हमरा सभक पुरखा अब्राहम केँ देने रहथिन जे, 74 हम तोरा सभ केँ शत्रु सभक हाथ सँ बचयबह; 2 तोँ सभ निर्भयतापूर्बक जीवन भरि पवित्रता आ धार्मिकताक संग 2 हमरा समक्ष हमर सेवा करबह। 76 आ हौ बौआ, तोँ परम-परमेश्वरक प्रवक्ता कहयबह, 2 किएक तँ तोँ प्रभुक लेल बाट तैयार करबाक हेतु हुनका आगाँ-आगाँ चलबह। 77 तोँ हुनकर प्रजा केँ उद्धारक ज्ञान प्रदान करबहुन, 2 जे उद्धार पापक क्षमा द्वारा भेटैत अछि, 78 आ से हमर सभक दयालु परमेश्वरक करुणाक कारणेँ अछि। एही करुणाक कारणेँ हमरा सभक लेल ऊपर सँ प्रकाश उगत, 2 79 जे अन्हार आ मृत्युक छाँह मे बैसल लोक सभ पर इजोत करत, 2 और हमरा सभ केँ शान्तिक बाट पर आगाँ बढ़ाओत।” 80 बालक यूहन्ना बढ़ैत गेलाह आ आत्मिक रूप सँ सबल होइत गेलाह। ओ जा धरि इस्राएली सभक बीच अपन काज शुरू नहि कयलनि, ता धरि निर्जन क्षेत्र मे वास कयलनि।
1 ओहि समय मे कैसर औगुस्तुस आदेश देलनि जे सम्पूर्ण रोम साम्राज्यक जनगणना कयल जाय। 2 एहि तरहक ई पहिल जनगणना छल, आ ई ताहि समय मे भेल जखन क्विरीनियुस सीरिया प्रदेशक राज्यपाल छलाह। 3 सभ केओ नाम लिखयबाक लेल अपन-अपन पैतृक नगर जाय लागल। 4 यूसुफ राजा दाऊदक खानदान आ वंशक छलाह, तेँ ओ अपन नाम लिखयबाक लेल गलील प्रदेशक नासरत नगर सँ यहूदिया प्रदेशक बेतलेहम गाम गेलाह, जे दाऊदक गाम छल। 5 ओ संग मे मरियम केँ सेहो लऽ गेलाह, जिनका संग हुनकर विवाहक निश्चय कयल गेल छलनि और जे गर्भवती छलीह। 6 ओतहि रहैत मरियम केँ बच्चाक जन्म देबाक समय आबि गेलनि, 7 आ ओ अपन पहिल पुत्र केँ जन्म देलनि। ओ बच्चा केँ कपड़ाक टुकड़ा मे लपेटि कऽ नादि मे राखि देलथिन, कारण हुनका सभ केँ रहबाक लेल सराय मे कोनो स्थान नहि भेटल छलनि। 8 ओहि इलाका मे चरबाह सभ छल जे बाध मे रहि कऽ राति मे अपन भेँड़ाक रखबारी कऽ रहल छल। 9 एकाएक परमेश्वरक एक स्वर्गदूत ओकरा सभक सामने मे ठाढ़ भऽ गेलाह आ प्रभुक तेज प्रकाश सँ ओकरा सभक चारू कात इजोत भऽ गेलैक। एहि सँ ओ सभ बहुत डेरा गेल। 10 मुदा स्वर्गदूत कहलथिन, “डेराह नहि! हम तोरा सभ केँ बड़का आनन्दक खुस खबरी सुनबैत छिअह, जे सभ लोकक लेल होयत। 11 आइ दाऊदक नगर मे तोरा सभक लेल एक उद्धारकर्ता जन्म लेलथुन अछि। ओ छथि प्रभु, परमेश्वरक पठाओल मसीह। 12 तोरा सभक लेल एकटा ई चेन्ह रहतह—तोँ सभ बच्चा केँ कपड़ाक टुकड़ा सँ लपेटल आ नादि मे राखल पयबह।” 13 तखन एकाएक ओहि स्वर्गदूतक संग असंख्य स्वर्गदूतक एक झुण्ड देखाइ पड़ल, जे परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा कऽ रहल छलाह जे, 14 “सर्वोच्च स्वर्ग मे परमेश्वरक स्तुति-गान होनि, और पृथ्वी पर ताहि मनुष्य सभ केँ शान्ति भेटैक जकरा सँ ओ प्रसन्न छथिन।” 15 जखन स्वर्गदूत सभ ओकरा सभक लग सँ चल गेलाह, तखन चरबाह सभ एक-दोसर केँ कहलक, “अपना सभ चल! बेतलेहम जा कऽ एहि घटना केँ देखि ली जाहि दऽ प्रभु अपना सभ केँ कहबौलनि अछि।” 16 ओ सभ जल्दी सँ गेल, आ ओतऽ पहुँचि कऽ मरियम आ यूसुफ केँ और नादि मे राखल बच्चा केँ पौलक। 17 बच्चा केँ देखि कऽ ओ सभ ओहि बातक विषय मे सभ केँ कहऽ लागल जे बात बच्चाक सम्बन्ध मे स्वर्गदूत ओकरा सभ केँ कहने छलथिन। 18 एकरा सभक बात जे सभ सुनलक, से सभ ओहि पर आश्चर्य कयलक। 19 मुदा मरियम ई सभ बात अपना मोन मे राखि कऽ ओहि पर विचार करैत रहलीह। 20 चरबाह सभ जे किछु देखने आ सुनने छल, ताहि सभ बातक लेल परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा गबैत घूमि गेल। जहिना स्वर्गदूत ओकरा सभ केँ कहने छलथिन, ठीक ओहिना सभ बात ओकरा सभ केँ भेटलो छलैक। 21 आठम दिन बालक केँ खतनाक विधि करबाक समय मे हुनकर नाम यीशु राखल गेलनि, जे नाम मायक गर्भ मे अयबा सँ पहिने स्वर्गदूत द्वारा राखल गेल छलनि। 22 मूसाक धर्म-नियमक अनुसार हुनका सभक शुद्धीकरणक दिन जखन आबि गेलनि, तँ मरियम आ यूसुफ बच्चा केँ प्रभु केँ अर्पित करबाक लेल यरूशलेम लऽ गेलथिन, 23 जेना कि प्रभुक नियम मे लिखल अछि जे, “प्रत्येक जेठ पुत्र प्रभुक मानल जायत।” 24 प्रभुक नियमक अनुसार शुद्धीकरणक वास्ते बलि चढ़यबाक लेल सेहो गेलाह, जेना कि लिखल अछि, “एक जोड़ा पउड़की वा परवाक दू बच्चा।” 25 यरूशलेम मे सिमियोन नामक एक आदमी छलाह, जे परमेश्वरक भय मानऽ वला एक धर्मी लोक छलाह। ओ “इस्राएल केँ शान्ति देनिहारक” बाट तकैत छलाह, आ पवित्र आत्मा हुनका संग छलथिन। 26 पवित्र आत्मा द्वारा हुनका ई कहल गेल छलनि जे, जा धरि अहाँ प्रभुक पठाओल उद्धारकर्ता-मसीह केँ नहि देखि लेबनि, ता धरि अहाँ नहि मरब। 27 पवित्र आत्माक प्रेरणा सँ ओ मन्दिर मे गेलाह। मरियम-यूसुफ जखन बेटाक लेल धर्म-नियमक विधि सभ पूरा करबाक हेतु बालक यीशु केँ मन्दिरक भीतर अनलथिन, 28 तँ सिमियोन हुनका कोरा मे लेलथिन, आ परमेश्वरक स्तुति कऽ कऽ बजलाह, 29 “हे परम प्रभु, अहाँ जहिना वचन देलहुँ 2 तहिना आब अपना एहि दास केँ शान्ति सँ विदा करू, 30 किएक तँ हम अपना आँखि सँ अहाँक उद्धार केँ देखि लेलहुँ, 2 31 जाहि उद्धार केँ अहाँ सभ जातिक लोकक सम्मुख प्रस्तुत कयलहुँ। 32 हँ, ई उद्धार आन जाति सभ केँ बाट देखौनिहार 2 आ अहाँक निज जाति इस्राएल केँ गौरव देनिहार एक इजोत होयताह।” 33 बच्चाक माय-बाबू सिमियोनक एहि कथन सँ चकित भेलाह। 34 तखन सिमियोन हुनका सभ केँ आशीर्वाद देलथिन आ बच्चाक माय मरियम केँ कहलथिन, “ई बच्चा परमेश्वरक दिस संकेत करऽ वला चिन्ह होयबाक लेल चुनल गेल छथि। बहुत लोक हिनकर विरोध करत। अहूँक हृदय तरुआरि सँ बेधल जायत। हिनका कारणेँ इस्राएलक बहुत गोटेक पतन आ उत्थान होयतैक, और एहि तरहेँ बहुत लोकक असली मनोभावना प्रगट कयल जयतैक।” 36 ओतऽ हन्नाह नामक परमेश्वरक एक बड्ड बुढ़ि प्रवक्तिनि सेहो छलीह, जे आशेर-कुलक फनुएलक बेटी छलीह। विवाहक बाद ओ सात वर्ष धरि सुहागिन रहलीह, 37 तकरा बाद विधवा भऽ गेलीह, और आब ओ चौरासी वर्षक छलीह। ओ मन्दिर केँ नहि छोड़ि कऽ दिन-राति उपास आ प्रार्थनाक संग परमेश्वरक सेवा मे लागल रहैत छलीह। 38 ठीक ओही क्षण मरियम और यूसुफ लग आबि कऽ ओ परमेश्वरक धन्यवाद देबऽ लगलीह आ जे लोक सभ यरूशलेमक छुटकाराक बाट ताकि रहल छल, तकरा सभ सँ बच्चाक विषय मे बात करऽ लगलीह। 39 मरियम आ यूसुफ प्रभुक धर्म-नियमक अनुसार जे करबाक छलनि से सभ पूरा कऽ कऽ गलील प्रदेश मे अपन नगर नासरत घूमि अयलाह। 40 बच्चा बढ़ि कऽ बलिष्ठ आ नीक बुद्धि सँ परिपूर्ण होइत गेलाह, और हुनका पर परमेश्वरक आशीर्वाद छलनि। 41 यीशुक माय-बाबू प्रत्येक साल फसह-पाबनिक समय मे यरूशलेम जाइत छलाह। 42 यीशु जखन बारह वर्षक छलाह तँ ओ सभ आने बेर जकाँ पाबनि मनयबाक लेल यरूशलेम गेलाह। 43 पूरा पाबनि बिति गेला पर जखन ओ सभ विदा भेलाह तँ बालक यीशु यरूशलेमे मे रहि गेलाह, मुदा ई बात हुनकर माय-बाबू केँ नहि बुझल छलनि। 44 ओ सभ ई बुझि जे यीशु यात्री सभ मे कतौ होयताह एक दिनक रस्ता आगाँ बढ़ि गेलाह। तखन ओ सभ अपना सम्बन्धी आ संगी-साथी सभ मे हुनकर खोजबीन करऽ लगलथिन। 45 मुदा ओ जखन नहि भेटलथिन तँ ओ सभ हुनका तकबाक लेल फेर यरूशलेम गेलाह। 46 तेसर दिन यीशु हुनका सभ केँ मन्दिर मे धर्मगुरु सभक बीच बैसल, हुनका सभक बात सुनैत आ हुनका सभ सँ प्रश्न करैत, भेटलथिन। 47 जे सभ यीशुक बात सुनलथिन, से सभ हुनकर बुद्धि और उत्तर सभ सँ चकित छलाह। 48 यीशु केँ ओतऽ देखि कऽ हुनकर माय-बाबू आश्चर्यित भेलाह। हुनकर माय कहलथिन, “बौआ, हमरा सभक संग एना किएक कयलह? देखह, तोहर बाबूजी आ हम तोरा तकैत-तकैत परेसान भऽ गेल छलहुँ।” 49 ओ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ हमरा तकैत किएक छलहुँ? अहाँ सभ केँ नहि बुझल छल जे हमरा अपना पिताक घर मे होयब आवश्यक अछि?” 50 मुदा ओ सभ हुनकर कहबाक अर्थ नहि बुझि सकलाह। 51 तखन ओ हुनका सभक संग नासरत घूमि अयलाह, आ हुनकर सभक कहल मे रहलाह। हुनकर माय ई सभ बात अपना मोन मे राखि लेलनि। 52 यीशु बुद्धि आ शरीर मे बढ़ैत गेलाह, और परमेश्वर आ लोक दूनू हुनका सँ प्रसन्न रहलथिन।
1 कैसर तिबिरियुसक शासन-कालक पन्द्रहम वर्ष मे जकरयाहक पुत्र यूहन्ना लग निर्जन क्षेत्र मे परमेश्वरक दिस सँ सम्बाद अयलनि। ओहि समय मे पुन्तियुस पिलातुस यहूदिया प्रदेशक राज्यपाल छलाह, गलील प्रदेशक शासक हेरोद छलाह, इतूरिया आ त्रखोनीतिस क्षेत्रक शासक हुनकर भाय फिलिपुस और अबिलेन क्षेत्रक शासक लुसानियास छलाह। महापुरोहितक पद पर छलाह हन्ना और काइफा। यूहन्ना लग परमेश्वरक सम्बाद एही समय मे अयलनि। 3 ओ यरदन नदीक लग-पासक पूरा इलाका मे घूमि-घूमि कऽ प्रचार करऽ लगलाह जे, “पापक क्षमा पयबाक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करू और बपतिस्मा लिअ,” 4 जेना परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाहक पुस्तक मे लिखल अछि जे, “निर्जन क्षेत्र मे केओ जोर सँ आवाज दऽ रहल अछि— ‘प्रभुक लेल मार्ग तैयार करू, हुनका लेल सोझ बाट बनाउ। 5 प्रत्येक गहींर भाग भरि देल जायत, प्रत्येक ऊँच भाग आ पहाड़ नीच कयल जायत, घुमान बाट सोझ, और उबर-खाबड़ बाट समतल कयल जायत। 6 सभ मनुष्य परमेश्वर द्वारा प्रदान कयल उद्धार केँ देखत।’” 7 लोकक भीड़ सभ यूहन्ना सँ बपतिस्मा लेबऽ अबैत रहैत छल आ ओ ओकरा सभ केँ कहैत छलथिन, “है साँपक सन्तान सभ! परमेश्वरक आबऽ वला क्रोध सँ बचबाक लेल तोरा सभ केँ के सिखौलकह? 8 तोँ सभ जँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयने छह, तँ तकर प्रमाण अपना व्यवहार द्वारा देखाबह। और अपना मोन मे एना सोचि निश्चिन्त नहि रहह जे, हमर सभक कुल-पिता अब्राहम छथि, कारण, हम तोरा सभ केँ कहैत छिअह जे परमेश्वर एहि पाथर सभ सँ अब्राहमक लेल सन्तान उत्पन्न कऽ सकैत छथि। 9 गाछक जड़ि मे कुड़हरि रखा गेल अछि। जे गाछ नीक फल नहि दैत अछि से काटल आ आगि मे फेकल जायत।” 10 एहि पर लोक सभ यूहन्ना सँ पुछऽ लागल, “तँ हम सभ की करू?” 11 ओ उत्तर देलथिन, “जकरा दूटा कुर्ता होइक से एकटा तकरा देअओ जकरा नहि छैक, और जकरा लग भोजनक वस्तु होइक सेहो एहिना करओ।” 12 कर असूल करऽ वला सभ सेहो बपतिस्मा लेबऽ आयल आ यूहन्ना सँ पुछलकनि, “यौ गुरुजी, हम सभ की करू?” 13 ओ उत्तर देलथिन, “जतबा कर निश्चित कयल गेल अछि ताहि सँ बेसी नहि लैह।” 14 एहि पर सैनिक सभ पुछलकनि, “आ हम सभ की करू?” ओ कहलथिन, “ककरो सँ बलजोरी पाइ नहि लैह, आ ने ककरो पर झुट्ठे दोष लगाबह। अपना दरमाहा सँ सन्तुष्ट रहह।” 15 जनता मे एकटा बड़का उत्सुकता आबि गेल छलैक, आ सभ मोने-मोन यूहन्नाक बारे मे सोचि रहल छल जे, कहीं ई उद्धारकर्ता-मसीह तँ नहि छथि? 16 यूहन्ना सभ केँ उत्तर दैत छलथिन, “हम तोरा सभ केँ पानि सँ बपतिस्मा दैत छिअह। मुदा हमरा सँ शक्तिशाली एक गोटे आबि रहल छथि, जिनकर जुत्तो खोलऽ जोगरक हम नहि छी। ओ तोरा सभ केँ पवित्र आत्मा और आगि सँ बपतिस्मा देथुन। 17 ओ अपन खरिहानक अन्न साफ करबाक लेल हाथ मे सूप लेने छथि। ओ गहुम केँ बखारी मे राखि लेताह, मुदा भुस्सा केँ ओहि आगि मे जरौताह जे कहियो नहि मिझायत।” 18 ई बात और आरो अन्य तरहक बहुत बातक द्वारा यूहन्ना लोक सभ केँ बुझा-सुझा कऽ शुभ समाचार सुनबैत रहलथिन। 19 मुदा जखन यूहन्ना शासक हेरोद पर भायक घरवाली हेरोदियासक कारणेँ, तथा आरो कुकर्म सभक कारणेँ जे ओ कयने छलाह, दोष लगौलथिन, 20 तँ हेरोद अपना कुकर्म मे एकटा इहो कुकर्म जोड़ि लेलनि जे, ओ यूहन्ना केँ जहल मे बन्द करबा देलथिन। 21 सभ लोक केँ बपतिस्मा लेलाक बाद यीशुओ बपतिस्मा लेलनि। बपतिस्माक बाद जखन ओ प्रार्थना कऽ रहल छलाह तँ स्वर्ग खुजल 22 आ पवित्र आत्मा परबाक रूप मे हुनका ऊपर उतरि अयलाह, और स्वर्ग सँ आवाज आयल जे, “अहाँ हमर प्रिय पुत्र छी। अहाँ सँ हम बहुत प्रसन्न छी।” 23 यीशु जखन अपन काज शुरू कयलनि तँ लगभग तीस वर्षक छलाह। एना मानल जाइत छल जे ओ यूसुफक पुत्र छलाह। यूसुफ एलीक पुत्र छलाह, 24 एली मतातक पुत्र छलाह, मतात लेवीक पुत्र छलाह, लेवी मलकीक पुत्र छलाह, मलकी यन्नाक पुत्र छलाह, यन्ना यूसुफक पुत्र छलाह, 25 यूसुफ मततियाक पुत्र छलाह, मततिया आमोसक पुत्र छलाह, आमोस नहूमक पुत्र छलाह, नहूम एसलीक पुत्र छलाह, एसली नागैक पुत्र छलाह, 26 नागै मातक पुत्र छलाह, मात मततियाक पुत्र छलाह, मततिया शिमीक पुत्र छलाह, शिमी योसेखक पुत्र छलाह, योसेख योदाहक पुत्र छलाह, 27 योदाह योहनानक पुत्र छलाह, योहनान रेसाक पुत्र छलाह, रेसा जरुब्बाबेलक पुत्र छलाह, जरुब्बाबेल शालतिएलक पुत्र छलाह, शालतिएल नेरीक पुत्र छलाह, 28 नेरी मलकीक पुत्र छलाह, मलकी अद्दीक पुत्र छलाह, अद्दी कोसामक पुत्र छलाह, कोसाम इलमोदामक पुत्र छलाह, इलमोदाम एरक पुत्र छलाह, 29 एर यहोशूक पुत्र छलाह, यहोशू एलिएजरक पुत्र छलाह, एलिएजर योरीमक पुत्र छलाह, योरीम मतातक पुत्र छलाह, मतात लेवीक पुत्र छलाह, 30 लेवी सिमियोनक पुत्र छलाह, सिमियोन यहूदाक पुत्र छलाह, यहूदा यूसुफक पुत्र छलाह, यूसुफ योनामक पुत्र छलाह, योनाम एलयाकीमक पुत्र छलाह, 31 एलयाकीम मलेआहक पुत्र छलाह, मलेआह मिन्नाहक पुत्र छलाह, मिन्नाह मताताक पुत्र छलाह, मताता नातानक पुत्र छलाह, नातान दाऊदक पुत्र छलाह, 32 दाऊद यिशयक पुत्र छलाह, यिशय ओबेदक पुत्र छलाह, ओबेद बोअजक पुत्र छलाह, बोअज सलमोनक पुत्र छलाह, सलमोन नाशोनक पुत्र छलाह, 33 नाशोन अमीनादाबक पुत्र छलाह, अमीनादाब अदमीनक पुत्र छलाह, अदमीन अरनीक पुत्र छलाह, अरनी हेस्रोनक पुत्र छलाह, हेस्रोन पेरसक पुत्र छलाह, पेरस यहूदाक पुत्र छलाह, 34 यहूदा याकूबक पुत्र छलाह, याकूब इसहाकक पुत्र छलाह, इसहाक अब्राहमक पुत्र छलाह, अब्राहम तेरहक पुत्र छलाह, तेरह नाहोरक पुत्र छलाह, 35 नाहोर सरूगक पुत्र छलाह, सरूग रऊक पुत्र छलाह, रऊ पेलेगक पुत्र छलाह, पेलेग एबेरक पुत्र छलाह, एबेर शेलहक पुत्र छलाह, 36 शेलह केनानक पुत्र छलाह, केनान अर्पक्षदक पुत्र छलाह, अर्पक्षद शेमक पुत्र छलाह, शेम नूहक पुत्र छलाह, नूह लामेकक पुत्र छलाह, 37 लामेक मथूशेलहक पुत्र छलाह, मथूशेलह हनोकक पुत्र छलाह, हनोक यारेदक पुत्र छलाह, यारेद महलालेलक पुत्र छलाह, महलालेल केनानक पुत्र छलाह, 38 केनान एनोशक पुत्र छलाह, एनोश शेतक पुत्र छलाह, शेत आदमक पुत्र छलाह, और आदम परमेश्वरक पुत्र छलाह।
1 यीशु पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ यरदन नदी सँ घुमलाह। तखन पवित्र आत्मा हुनका निर्जन क्षेत्र मे लऽ गेलथिन, 2 जतऽ चालिस दिन धरि शैतान हुनका सँ पाप करयबाक प्रयत्न कयलकनि। एहि चालिस दिन मे ओ किछु नहि खयलनि, और एतेक दिन बितला पर हुनका बहुत भूख लागल छलनि। 3 तँ शैतान हुनका कहलकनि, “तोँ जँ परमेश्वरक पुत्र छह तँ एहि पाथर केँ रोटी बनि जयबाक आज्ञा दहक।” 4 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, मनुष्य मात्र रोटिए सँ नहि जीवित रहत। “ 5 तखन शैतान हुनका ऊँच स्थान मे लऽ जा कऽ एके क्षण मे संसारक सभ राज्य देखा देलकनि 6 आ कहलकनि, “हम तोरा एहि सभ राज्यक अधिकार आ वैभव दऽ देबह, कारण ई सभ हमरे जिम्मा मे दऽ देल गेल अछि, आ हम जकरा ककरो चाहबैक तकरा दऽ सकैत छिऐक। 7 तेँ तोँ जँ हमर उपासना करबह तँ ई सभ तोहर भऽ गेलह।” 8 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, ‘तोँ अपना प्रभु-परमेश्वरेक उपासना करहुन और मात्र हुनके सेवा करहुन।’” 9 शैतान हुनका यरूशलेम लऽ जा कऽ मन्दिरक सभ सँ ऊँच स्थान पर ठाढ़ कऽ कऽ कहलकनि, “तोँ जँ परमेश्वरक पुत्र छह, तँ एतऽ सँ नीचाँ कुदि जाह, 10 कारण धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, ‘परमेश्वर तोहर रक्षा करबाक लेल स्वर्गदूत सभ केँ आज्ञा देथिन, 11 और ओ सभ अपना कोरा मे तोरा लोकि लेथुन, जाहि सँ पयर मे पाथर सँ चोट नहि लगतह।’” 12 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्मशास्त्रक कथन इहो अछि, ‘अपन प्रभु-परमेश्वरक जाँच नहि करहुन।’” 13 शैतान जखन हुनका सँ सभ ढंग सँ पाप करयबाक प्रयत्न कऽ चुकल तँ ओ ओतऽ सँ चल गेल आ दोसर उपयुक्त अवसरक ताक मे रहऽ लागल। 14 यीशु गलील प्रदेश मे घूमि कऽ चल अयलाह, और पवित्र आत्माक सामर्थ्य हुनका संग छलनि। ओहि क्षेत्रक सभ ठाम हुनकर चर्चा पसरि गेलनि। 15 ओ सभाघर सभ मे शिक्षा दैत छलथिन, आ सभ लोक हुनकर प्रशंसा करैत छलनि। 16 एक दिन यीशु नासरत नगर अयलाह, जतऽ हुनकर पालन-पोषण भेल छलनि। ओ अपना आदतक अनुसार विश्राम-दिन सभाघर मे गेलाह। ओ धर्मशास्त्रक पाठ पढ़बाक लेल ठाढ़ भेलाह, 17 तँ हुनका परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाहक पुस्तक देल गेलनि। ओ पुस्तक खोलि कऽ ओहि ठाम सँ पढ़ऽ लगलाह जतऽ लिखल अछि जे, 18 “प्रभुक आत्मा हमरा पर छथि; 2 किएक तँ ओ गरीब सभ केँ शुभ समाचार सुनयबाक लेल 2 हमर अभिषेक कयने छथि। ओ हमरा पठौलनि अछि जे हम कैदी सभक लेल मुक्तिक घोषणा करी, 2 आन्हर सभ केँ कहिऐक जे, ‘तोँ सभ आब देखि सकैत छह,’ 2 सताओल लोक सभ केँ छुटकारा दिआबी 19 और एहि बातक घोषणा करी जे, प्रभुक ओ युग आबि गेल अछि जाहि मे ओ अपन करुणा प्रगट करताह।” 20 ई पाठ पढ़लाक बाद यीशु पुस्तक बन्द कऽ कऽ सभाघरक सेवक केँ दऽ देलथिन आ बैसि गेलाह। सभ केओ एकटक लगा कऽ हुनका दिस ताकि रहल छल। 21 तखन ओ बजलाह, “आइ धर्मशास्त्रक ई लेख अहाँ सभक समक्ष मे पूरा भऽ गेल।” 22 सभ केओ हुनकर प्रशंसा कयलकनि और आश्चर्यित भेल जे ओ एतेक नीक-नीक बात सभ कहैत छथि। सभ कहैत छल, “की ई यूसुफेक बेटा नहि छथि?” 23 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ अवश्य हमरा ई कहबी सुनायब जे, ‘यौ वैद्यजी, पहिने अपना केँ नीक करू!’ आ ई कहब जे ‘एतौ अपना गाम मे ओ काज सभ करू जकरा बारे मे सुनैत छी जे अहाँ कफरनहूम मे कयलहुँ।’ 24 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, परमेश्वरक कोनो प्रवक्ता केँ अपना गाम मे स्वीकार नहि कयल जाइत छैक। 25 हमर बात सुनू! अहूँ सभ तँ जनिते छी जे एलियाहक समय मे जखन साढ़े तीन वर्ष धरि वर्षा नहि भेल आ सौंसे देश मे भयंकर अकाल पड़ि गेल, तँ ओहि समय मे इस्राएल मे बहुते विधवा रहय, 26 मुदा परमेश्वर एलियाह केँ ओकरा सभ मे सँ ककरो लग मदति देबाक लेल वा लेबाक लेल नहि पठौलथिन—ओ हुनका सीदोन क्षेत्रक सारफत गाम मे रहऽ वाली एकटा विधवाक ओहिठाम पठौलथिन। 27 फेर परमेश्वरक प्रवक्ता एलीशाक समय मे इस्राएल मे बहुते कुष्ठ-रोगी छल, मुदा ओकरा सभ मे सँ ककरो नीक नहि कयल गेलैक—मात्र सीरिया प्रदेशक निवासी नामान केँ।” 28 ई बात सुनि सभाघरक लोक सभ तिलमिला उठल। 29 ओ सभ उठि कऽ यीशु केँ नगर सँ बाहर अनलकनि, और जाहि पहाड़ पर ओ नगर बसल छल, तकर कनगी पर लऽ गेलनि जे एहि ठाम सँ एकरा नीचाँ धकेलि दी। 30 मुदा ओ ओहि भीड़ मे सँ बहरा कऽ चल जाइत रहलाह। 31 तखन यीशु कफरनहूम गेलाह, जे गलील प्रदेशक एक नगर अछि, और विश्राम-दिन मे लोक सभ केँ उपदेश देबऽ लगलथिन। 32 हुनकर शिक्षा सँ लोक सभ चकित भेल, कारण, ओ अधिकारक संग शिक्षा दैत छलाह। 33 सभाघर मे एक आदमी छल जे दुष्टात्मा, अर्थात् अशुद्ध आत्मा, सँ ग्रसित छल। ओ जोर सँ चिकरि कऽ बाजल, 34 “यौ! नासरतक निवासी यीशु! अहाँ केँ हमरा सभ सँ कोन काज? हमरा सभ केँ नष्ट करऽ अयलहुँ की? हम अहाँ केँ चिन्हैत छी। अहाँ परमेश्वरक पवित्र दूत छी।” 35 यीशु दुष्टात्मा केँ डाँटि कऽ कहलथिन, “चुप रह! तोँ एकरा मे सँ निकल!” तखन ओ दुष्टात्मा ओहि आदमी केँ सभक सामने मे पटकि देलकैक आ बिनु हानि पहुँचौने ओकरा मे सँ निकलि गेल। 36 एहि पर सभ लोक चकित होइत एक-दोसर केँ कहऽ लागल जे, “ई केहन उपदेश अछि? ई आदमी शक्ति आ अधिकारक संग दुष्टात्मा सभ केँ आज्ञा दैत छथि और ओ सभ निकलि जाइत अछि!” 37 एहि सभ सँ हुनकर चर्चा ओहि क्षेत्रक चारू कात पसरि गेलनि। 38 यीशु सभाघर सँ बाहर भऽ कऽ सिमोनक ओहिठाम गेलाह। सिमोनक सासु केँ बहुत जोर बोखार छलनि। लोक सभ हुनका मदति करबाक लेल यीशु सँ विनती कयलकनि। 39 सिमोनक सासुक लग मे जा कऽ यीशु बोखार केँ उतरि जयबाक आज्ञा देलथिन, तँ हुनकर बोखार उतरि गेलनि। ओ तुरत उठि कऽ हिनका सभक सेवा-सत्कार करऽ मे लागि गेलीह। 40 सूर्यास्त भेला पर जकरा-जकरा ओहिठाम विभिन्न बिमारी सँ पीड़ित लोक सभ छलैक, से सभ ओकरा सभ केँ यीशु लग आनऽ लागल। प्रत्येक पर हाथ राखि कऽ ओ ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ देलथिन। 41 बहुत लोक मे सँ दुष्टात्मा सभ सेहो एना चिकरि कऽ कहैत निकलि आयल जे, “अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी!” मुदा ओ ओहि दुष्टात्मा सभ केँ डँटलथिन आ बाजऽ नहि देलथिन, कारण ओ सभ जनैत छल जे ई उद्धारकर्ता-मसीह छथि। 42 भोर भेला पर यीशु कोनो एकान्त स्थान मे चल गेलाह। लोक सभ तकैत-तकैत हुनका लग पहुँचल आ हुनका रोकलकनि जे, अहाँ हमरा सभ केँ छोड़ि कऽ नहि जाउ। 43 मुदा ओ उत्तर देलथिन, “हमरा तँ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार दोसरो-दोसरो नगर मे सुनयबाक अछि, किएक तँ हम एही लेल पठाओल गेल छी।” 44 अतः ओ यहूदिया प्रदेशक सभाघर सभ मे प्रचारक काज करैत रहलाह।
1 एक दिन यीशु जखन गन्नेसरत झीलक कछेर पर ठाढ़ छलाह, आ लोक सभक भीड़ परमेश्वरक वचन सुनबाक लेल हुनका चारू कात सँ ठेलम-ठेल करैत घेरने छलनि, 2 तँ हुनकर नजरि कछेर पर लागल दूटा नाव पर पड़लनि। मछबार सभ ओतऽ नाव छोड़ि कऽ अपन जाल धोइत छल। 3 ओहि मे एकटा नाव जे सिमोनक छलनि, यीशु ताहि पर चढ़ि कऽ सिमोन केँ कहलथिन जे, नाव केँ कछेर सँ हटा कऽ कनेक पानि मे लऽ जा कऽ ठाढ़ करू। तखन नाव पर बैसि कऽ यीशु ओही पर सँ लोक सभ केँ उपदेश देबऽ लगलथिन। 4 उपदेश समाप्त भेला पर यीशु सिमोन केँ कहलथिन, “नाव केँ गहींर पानि मे लऽ चलू, आ माछ पकड़बाक लेल जाल खसाउ।” 5 सिमोन कहलथिन, “मालिक, हम सभ राति भरि परिश्रम कयलहुँ और एकोटा माछ नहि पकड़ायल। मुदा अहाँ जँ कहैत छी तँ हम फेर जाल खसायब।” 6 ओ सभ जाल उतारलनि तँ ततेक माछ पड़लनि जे जाल फाटऽ लगलनि। 7 ई देखि ओ सभ अपना संगी सभ, जे दोसर नाव मे छलनि, तिनका सभ केँ संकेत कयलथिन जे, आउ, हमर सभक सहायता करू। ओ सभ आबि कऽ दूनू नाव केँ माछ सँ ततेक भरि लेलनि जे आब नाव डुबऽ लागल। 8 सिमोन पत्रुस ई देखि यीशुक पयर पर खसि कऽ कहलथिन, “यौ प्रभु, हमरा लग सँ चल जाउ, किएक तँ हम पापी आदमी छी।” 9 सिमोन और हुनकर संगी सभ एतेक माछ केँ पकड़यला सँ चकित भऽ गेल छलाह। 10 तहिना जबदीक पुत्र याकूब और यूहन्ना, जे सिमोनक हिस्सेदार छलथिन, सेहो चकित भेलाह। एहि पर यीशु सिमोन केँ कहलथिन, “डेराउ नहि! आब अहाँ मनुष्य सभ केँ पकड़ब।” 11 ओ सभ नाव केँ कछेर पर घीचि कऽ अनलनि, और सभ किछु ओतहि छोड़ि कऽ हुनका संग लागि गेलाह। 12 एक बेर जखन यीशु कोनो नगर मे छलाह, तँ ओतऽ एक आदमी छल जकरा सौंसे देह मे कुष्ठ-रोगक घाव भऽ गेल छलैक। यीशु केँ देखि कऽ ई आदमी हुनका सामने मे मुँह भरे खसि कऽ विनती करऽ लगलनि जे, “यौ प्रभु! अहाँ जँ चाही तँ हमरा शुद्ध कऽ सकैत छी।” 13 यीशु अपन हाथ बढ़ा ओकरा छुबि कऽ कहलथिन, “हम अवश्य चाहैत छिअह! तोँ शुद्ध भऽ जाह!” ओकर कुष्ठ-रोग तुरत्ते छुटि गेलैक। 14 यीशु ओकरा आदेश देलथिन, “ई बात ककरो नहि कहिअहक, मुदा जा कऽ अपना केँ पुरोहित केँ देखाबह, और शुद्ध होयबाक विषय मे मूसाक लिखल नियमक अनुसार, जे बलिदान चढ़यबाक अछि से चढ़ाबह। एहि तरहेँ सभक लेल गवाही रहत जे तोँ शुद्ध भऽ गेल छह।” 15 तैयो यीशुक चर्चा आरो बहुत पसरैत गेलनि, और हाँजक-हाँज लोक सभ हुनकर उपदेश सुनबाक लेल आ अपन बिमारी सँ स्वस्थ होयबाक लेल हुनका लग अबैत रहल। 16 मुदा यीशु एकान्त स्थान मे प्रार्थना करबाक लेल निकलि जाइत छलाह। 17 एक दिन यीशु जखन उपदेश दऽ रहल छलाह, तँ हुनका लग मे फरिसी आ धर्मशिक्षक सभ बैसल छलनि, जे सभ गलील प्रदेशक सभ गाम सँ, यहूदिया प्रदेश सँ आ यरूशलेम सँ आयल छलाह। रोगी सभ केँ स्वस्थ करबाक लेल प्रभु-परमेश्वरक सामर्थ्य हुनका संग छलनि। 18 किछु लोक एकटा लकवा मारल आदमी केँ खाट पर लदने आयल, और ओकरा यीशुक सामने मे रखबाक लेल घरक भीतर लऽ जयबाक कोशिश कयलक। 19 मुदा भीड़क कारणेँ जखन कोनो रस्ता नहि भेटलैक, तँ ओ सभ चार पर चढ़ि गेल, आ खपड़ा हटा कऽ ओकरा खाट सहित लोकक बीच मे यीशुक ठीक सामने मे उतारि देलकैक। 20 यीशु ओकर सभक विश्वास देखि कऽ कहलथिन, “हौ भाइ, तोहर पाप माफ भेलह।” 21 एहि पर फरिसी आ धर्मशिक्षक सभ अपना मोन मे सोचऽ लगलाह जे, “ई के अछि जे परमेश्वरक निन्दा कऽ रहल अछि? परमेश्वर केँ छोड़ि आओर के पाप केँ माफ कऽ सकैत अछि?” 22 हुनकर सभक मोनक बात बुझि यीशु पुछलथिन, “अहाँ सभ अपना-अपना मोन मे एहन बात किएक सोचैत छी? 23 आसान की अछि—ई कहब जे ‘तोहर पाप माफ भेलह,’ वा ई जे, ‘उठि कऽ चलह-फिरह’? 24 मुदा जाहि सँ अहाँ सभ ई बात बुझि जाइ जे मनुष्य-पुत्र केँ पृथ्वी पर पाप केँ माफ करबाक अधिकार छनि, हम एकरा कहैत छी...” तखन ओ लकवा मारल आदमी केँ कहलथिन, “हम तोरा कहैत छिअह, उठह, अपन खाट उठाबह आ घर चल जाह!” 25 ओ तुरत सभक सामने मे ठाढ़ भऽ गेल, और जाहि खाट पर ओ पड़ल रहैत छल, से उठा लेलक आ परमेश्वरक स्तुति करैत घर चल गेल। 26 सभ लोक केँ बहुत आश्चर्य लगलैक। ओ सभ परमेश्वरक प्रशंसा करैत आ हुनकर डर मानैत कहऽ लागल, “आइ तँ हम सभ बहुत अद्भुत बात सभ देखलहुँ अछि!” 27 तकरबाद यीशु जखन बाहर गेलाह तँ लेवी नामक एक कर असूल कयनिहार केँ कर असूल करऽ वला स्थान मे बैसल देखलनि। यीशु कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” 28 लेवी उठलाह और सभ किछु छोड़ि-छाड़ि कऽ हुनका संग विदा भऽ गेलाह। 29 लेवी अपना ओहिठाम यीशुक सत्कारक लेल बड़का भोज कयलनि। हुनका सभक संग दोसरो कर असूल करऽ वला सभ आ आरो-आरो बहुत लोक सभ भोजन पर बैसल छलाह। 30 तँ फरिसी आ ओहि पंथक धर्मशिक्षक सभ यीशुक शिष्य सभ पर दोष लगबैत कहलथिन, “अहाँ सभ कर असूल करऽ वला आ पापी सभक संग किएक खाइत-पिबैत छी?” 31 यीशु उत्तर देलथिन, “स्वस्थ लोक केँ वैद्यक आवश्यकता नहि होइत छैक, बल्कि बिमार लोक केँ। 32 हम धार्मिक सभ केँ नहि, बल्कि पापी सभ केँ बजयबाक लेल आयल छी जाहि सँ ओ सभ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करय।” 33 तखन ओ सभ यीशु केँ कहलथिन, “यूहन्नाक शिष्य सभ बेर-बेर उपास करैत रहैत छथि आ प्रार्थना मे लागल रहैत छथि, आ तहिना फरिसी सभक शिष्य सभ सेहो करैत छथि, मुदा अहाँक शिष्य सभ तँ खाइत-पिबैत रहैत अछि।” 34 यीशु उत्तर देलथिन, “जाबत तक वरियातीक संग वर अछि, ताबत तक की वरियाती सँ उपास करा सकैत छी? नहि! 35 मुदा ओ समय आओत जहिया वर ओकरा सभक बीच सँ हटा लेल जायत; ओ सभ तहिये उपास करत।” 36 तखन यीशु हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त दैत कहलथिन, “केओ नयाँ कपड़ा मे सँ फाड़ि कऽ पुरान कपड़ा पर चेफरी नहि लगबैत अछि। एना जँ करत, तँ नयाँ कपड़ा तँ फाटिए गेल, आ पुरान कपड़ा पर नयाँ कपड़ाक चेफरी मिलबो नहि करत। 37 तहिना केओ नव दारू पुरान चमड़ाक थैली मे नहि रखैत अछि। कारण, एना जँ करत, तँ नव दारू ओहि थैली केँ फाड़ि देत, दारू बहि जायत, आ थैलिओ नष्ट भऽ जायत। 38 नहि! नव दारू नये थैली मे राखऽ पड़ैत अछि। 39 आ पुरान दारू पिला पर नव दारू पिबाक ककरो इच्छा नहि होइत छैक। ओ कहैत अछि जे, पुराने नीक अछि।”
1 कोनो विश्राम-दिन कऽ यीशु खेत दऽ कऽ जा रहल छलाह; हुनकर शिष्य सभ अन्नक बालि तोड़ि हाथ सँ मीड़ि-मीड़ि कऽ खाय लगलाह। 2 एहि पर किछु फरिसी सभ कहलथिन, “जे काज विश्राम-दिन मे करब धर्म-नियमक अनुसार मना अछि, से अहाँ सभ किएक कऽ रहल छी?” 3 यीशु उत्तर देलथिन, “की अहाँ सभ कहियो नहि पढ़ने छी जे, दाऊद आ हुनकर संगी सभ जखन भुखायल छलाह तँ ओ की कयलनि? 4 ओ परमेश्वरक भवन मे जा कऽ परमेश्वर केँ चढ़ाओल रोटी लऽ लेलनि। जाहि रोटी केँ खयबाक अधिकार पुरोहित केँ छोड़ि आरो ककरो नहि छलैक, तकरा ओ अपनो खयलनि आ संगियो सभ केँ देलथिन।” 5 तकरबाद यीशु इहो कहलथिन, “मनुष्य-पुत्र विश्रामो-दिनक मालिक छथि।” 6 एक अन्य विश्राम-दिन यीशु सभाघर मे जा कऽ उपदेश देबऽ लगलाह। ओहिठाम एक आदमी छल जकर दहिना हाथ सुखायल छलैक। 7 फरिसी आ धर्मशिक्षक सभ यीशु पर दोष लगयबाक आधारक लेल हुनका पर नजरि गड़ौने छलाह जे, देखी ओ विश्राम-दिन मे ककरो स्वस्थ करताह वा नहि। 8 यीशु हुनकर सभक विचार बुझि गेलाह। तेँ ओ सुखल हाथ वला आदमी केँ कहलथिन, “उठह! सभक आगाँ मे ठाढ़ होअह।” ओ उठि कऽ ठाढ़ भेल। 9 तखन यीशु लोक सभ केँ कहलथिन, “एकटा बात हम अहाँ सभ सँ पुछैत छी। विश्राम-दिन मे धर्म-नियमक अनुसार की करब उचित होयत—नीक वा अधलाह? ककरो जीवनक रक्षा करब वा नष्ट करब?” 10 तखन ओ चारू दिस सभ पर नजरि दऽ कऽ ओहि आदमी केँ कहलथिन, “अपन हाथ बढ़ाबह।” ओ हाथ बढ़ौलक, आ ओकर हाथ एकदम ठीक भऽ गेलैक। 11 मुदा एहि पर फरिसी आ धर्मशिक्षक सभ क्रोध सँ भरि गेलाह और एक-दोसराक संग विचारऽ लगलाह जे अपना सभ यीशु केँ की करी? 12 ओहि समय मे एक दिन यीशु प्रार्थना करबाक लेल पहाड़ पर गेलाह, आ भरि राति परमेश्वर सँ प्रार्थना कयलनि। 13 भोर भेला पर ओ अपना शिष्य सभ केँ अपना लग बजौलनि और ओहि मे सँ बारह गोटे केँ चुनि कऽ हुनका सभ केँ अपन “दूत” कहलथिन। 14 ओ लोकनि यैह सभ छलाह—सिमोन, जिनका ओ “पत्रुस” नाम देलथिन, हुनकर भाय अन्द्रेयास, याकूब और यूहन्ना, फिलिपुस, बरतुल्मै, 15 मत्ती, थोमा, अल्फेयासक पुत्र याकूब, सिमोन, जे “देश-भक्त” कहबैत छलाह, 16 याकूबक पुत्र यहूदा, और यहूदा इस्करियोती जे बाद मे विश्वासघाती भऽ गेलनि। 17 यीशु हिनका सभक संग पहाड़ पर सँ नीचाँ आबि एक समतल स्थान मे ठाढ़ भेलाह। ओतऽ हुनकर शिष्यक विशाल समूह और आन-आन ठामक लोक सभक बड़का भीड़ छल। ओ सभ सौंसे यहूदिया प्रदेश सँ, यरूशलेम सँ, और समुद्रक कछेर पर बसल सूर आ सीदोन नगर सँ हुनकर उपदेश सुनबाक लेल और अपना बिमारी सँ स्वस्थ होयबाक लेल ओतऽ आयल छल। 18 दुष्टात्मा सँ पीड़ित लोक सभ सेहो ठीक कयल जाइत छल। 19 सभ केओ यीशु केँ छुबाक कोशिश करैत छल, कारण, हुनका मे सँ जे सामर्थ्य बहराइत छल, ताहि सँ सभ लोक स्वस्थ होइत छल। 20 यीशु अपना शिष्य सभक दिस तकैत कहऽ लगलथिन, “धन्य छी अहाँ सभ, जिनका किछु नहि अछि, 2 किएक तँ परमेश्वरक राज्य अहाँ सभक अछि। 21 धन्य छी अहाँ सभ, जे एखन भूखल छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ तृप्त कयल जायब। धन्य छी अहाँ सभ, जे एखन कनैत छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ हँसब। 22 “धन्य छी अहाँ सभ जखन लोक सभ मनुष्य-पुत्रक कारणेँ अहाँ सभ सँ घृणा करत, अपना समाज सँ बारि देत, अहाँ सभ केँ अपमानित करत, और दुष्ट मानि कऽ अहाँ सभक नामो नहि लेत। 23 तहिया अहाँ सभ आनन्द मनाउ और खुशी सँ कुदू-फानू, किएक तँ स्वर्ग मे अहाँ सभक लेल बड़का इनाम राखल अछि। ठीक एहने व्यवहार ओकरा सभक पूर्वज सभ परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक संग सेहो कयने छलनि। 24 मुदा धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ, जे सम्पत्तिशाली छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ अपन सभ सुख भोगि लेने छी। 25 धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ, जे एखन तृप्त छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ भूखल रहब। धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ, जे एखन हँसैत छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ शोक मनायब आ कानब। 26 “धिक्कार अहाँ सभ केँ, जखन सभ लोक अहाँ सभक प्रशंसा करत, किएक तँ ठीक एहने व्यवहार ओकर सभक पूर्वज सभ ताहि लोकक संग सेहो कयने छलैक जे सभ झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहैत छल। 27 “मुदा हम अहाँ सभ केँ, जे हमर बात सुनि रहल छी, कहैत छी जे, अपना शत्रु सभ सँ प्रेम करू; जे सभ अहाँ सँ घृणा करैत अछि, तकरा सभक संग भलाइ करू। 28 जे सभ अहाँ केँ सराप दैत अछि, तकरा सभ केँ आशीर्वाद दिऔक। जे सभ अहाँक संग दुर्व्यवहार करैत अछि, तकरा सभक लेल प्रभु सँ प्रार्थना करू। 29 जँ केओ अहाँक एक गाल पर थप्पड़ मारैत अछि, तँ ओकरा समक्ष दोसरो गाल कऽ दिऔक। जँ केओ अहाँक ओढ़ना छिनैत अछि, तँ अपन कुर्तो ओकरा लेबऽ दिऔक। 30 जे केओ अहाँ सँ किछु माँगय तकरा दिऔक, आ जँ केओ अहाँक कोनो वस्तु लऽ लेत तँ ओकरा सँ फेर नहि माँगू। 31 जेहन व्यवहार अहाँ चाहैत छी जे लोक अहाँक संग करय, तेहने व्यवहार अहूँ लोकक संग करू। 32 “जँ तकरे सभ सँ प्रेम करैत छी जे सभ अहाँ सँ प्रेम करैत अछि, तँ ओहि मे अहाँक प्रशंसाक कोन बात भेल? ‘पापिओ’ सभ तकरा सभ सँ प्रेम करैत अछि जे सभ ओकरा सभ सँ प्रेम करैत छैक। 33 आ जँ अहाँ तकरे सभक भलाइ करैत छी जे सभ अहाँक भलाइ करैत अछि, तँ ओहि मे अहाँक कोन बड़प्पन? ‘पापिओ’ सभ तँ एहिना करैत अछि। 34 और जँ अहाँ तकरे सभ केँ पैंच-उधार दैत छी जकरा सँ फेर फिरता पयबाक आशा रखैत छी, तँ ओहि मे अहाँक कोन प्रशंसा? ‘पापिओ’ सभ तँ ई आशा राखि कऽ जे हमरा फेर पूरा भेटि जायत ‘पापी’ सभ केँ पैंच-उधार दैत छैक। 35 नहि! अपना दुश्मनो सभ सँ प्रेम करू! ओकरा सभक संग भलाइ करू, और फेर फिरता पयबाक आशा नहि राखि कऽ पैंच-उधार दिऔक। अहाँक इनाम पैघ होयत, और परम-परमेश्वरक सन्तान ठहरब। कारण, जे सभ धन्यवाद देबाक भावना नहि रखैत अछि आ दुष्ट अछि, तकरो सभ पर ओ कृपा करैत छथिन। 36 दयालु बनू, जहिना अहाँक पिता दयालु छथि। 37 “दोसराक न्याय नहि करू, तँ अहूँक न्याय नहि कयल जायत। दोसर केँ दोषी नहि ठहराउ, तँ अहूँ दोषी नहि ठहराओल जायब। माफ करिऔक, तँ अहूँ केँ माफ कयल जायत। 38 दिऔक, तँ अहूँ केँ देल जायत। पूरा-पूरी नाप, दबा-दबा कऽ, हिला-डोला कऽ आ उमड़ा-उमड़ा कऽ अहाँ केँ देल जायत। किएक तँ जाहि नाप सँ अहाँ नपैत छी, ताहि नाप सँ अहूँ केँ देल जायत।” 39 तकरबाद ओ हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त दैत कहलथिन, “की एक आन्हर दोसर आन्हर केँ बाट देखा सकैत अछि? की एहि तरहेँ दूनू खधिया मे नहि खसत? 40 चेला अपना गुरु सँ पैघ नहि होइत अछि, मुदा जखन ओ पूर्ण शिक्षा प्राप्त करत तखन अपना गुरु जकाँ बनत। 41 “अहाँ अपन भायक आँखि मेहक काठक कुन्नी किएक देखैत छी? की अपना आँखि मेहक ढेंग नहि सुझाइत अछि? 42 अपना भाय केँ अहाँ कोना कहैत छी जे, ‘हौ भाइ, लाबह, हम तोरा आँखि मे सँ ओ कुन्नी निकालि दैत छिअह’, जखन कि अपना आँखि मेहक ढेंग नहि देखैत छी? हे पाखण्डी! पहिने अपना आँखि मेहक ढेंग निकालि लिअ, तखने अपन भायक आँखि मेहक कुन्नी निकालबाक लेल अहाँ ठीक सँ देखि सकब। 43 “नीक गाछ मे खराब फल नहि फड़ैत अछि, आ ने खराब गाछ मे नीक फल। 44 प्रत्येक गाछ ओकर अपन फल सँ चिन्हल जाइत अछि। लोक काँटक गाछ सँ अंजीर-फल नहि तोड़ैत अछि, आ ने काँटक झाड़ी सँ अंगूर। 45 नीक मनुष्य नीक वस्तु सँ भरल अपना हृदयक भण्डार मे सँ नीक वस्तु सभ निकालैत अछि, और अधलाह मनुष्य अपन अधलाह वस्तु सँ भरल भण्डार मे सँ अधलाह वस्तु सभ बाहर करैत अछि। कारण, जाहि बात सँ ओकर हृदय भरल छैक, सैह बात सभ ओकरा मुँह सँ बहराइत रहैत छैक। 46 “हमरा ‘प्रभु, प्रभु’ किएक कहैत छी, जखन की हमर कहल नहि करैत छी? 47 आब हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जे केओ हमरा लग अबैत अछि और हमर बात सुनि कऽ ओकर पालन करैत अछि, से केहन अछि। 48 ओ ताहि आदमी सनक अछि जे घर बनयबाक समय मे गहींर तक खुनि कऽ पाथर पर न्यो रखलक। जखन बाढ़ि आयल और बाढ़िक रेत ओहि घर सँ टकरायल तँ ओकरा हिला नहि सकल, कारण ओ घर मजगूती सँ बनाओल गेल छल। 49 मुदा जे केओ हमर बात सुनैत अछि और ओकर पालन नहि करैत अछि, से ताहि आदमी जकाँ अछि जे बिनु न्यो रखनहि सोझे माटि पर घर बनौलक। ओहि घर सँ बाढ़िक पानि टकराइत देरी ओ घर खसि पड़ल आ पूरा नष्ट भऽ गेल।”
1 यीशु ई सभ उपदेश लोक सभ केँ सुनौलाक बाद कफरनहूम नगर मे अयलाह। 2 ओतऽ रोमी सेनाक एकटा कप्तान छलाह जिनकर अति प्रिय नोकर बिमार भऽ कऽ मरऽ पर छलनि। 3 ओ कप्तान यीशुक बारे मे सुनि कऽ हुनका लग किछु यहूदी बूढ़-प्रतिष्ठित सभ केँ निवेदन करबाक लेल पठौलथिन जे ओ आबि कऽ हुनका नोकर केँ स्वस्थ कऽ देथि। 4 ओ सभ यीशु लग पहुँचि कऽ बहुत आग्रहपूर्बक विनती कयलथिन जे, “ओ आदमी एहि जोगरक छथि जे अहाँ हुनकर ई काज कऽ दियनि। 5 ओ अपना सभक जाति सँ प्रेम करैत छथि, और हमरा सभक सभाघर वैह बनबा देने छथि।” 6 यीशु हुनका सभक संग विदा भऽ गेलथिन। ओ जखन कप्तानक घरक लग मे पहुँचलाह तँ कप्तान अपन किछु संगी सभ केँ हुनका लग ई कहबाक लेल पठौलथिन जे, “यौ प्रभु, अपने आरो कष्ट नहि कयल जाओ। हम एहि जोगरक नहि छी जे अपने हमरा घर मे आबी, 7 आ ने हम अपना केँ एहू जोगरक बुझलहुँ जे हम अपने लग जाइ। तेँ मात्र आज्ञा देल जाओ और हमर नोकर स्वस्थ भऽ जायत। 8 कारण हमहूँ शासनक अधीन मे छी, और हमरा अधीन मे सैनिक सभ अछि। हम एकटा केँ कहैत छिऐक, ‘जाह,’ तँ ओ जाइत अछि; दोसर केँ कहैत छिऐक, ‘आबह,’ तँ ओ अबैत अछि। अपना नोकर केँ कहैत छिऐक, ‘ई काज करह,’ तँ ओ करैत अछि।” 9 कप्तानक एहि बात सभ सँ यीशु केँ आश्चर्य लगलनि। ओ भीड़क लोक सभ जे हुनका पाछाँ चलि रहल छल तकरा सभक दिस घूमि कऽ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एहन विश्वास हमरा कतौ नहि भेटल अछि—इस्राएलिओ सभ मे नहि।” 10 कप्तानक पठाओल संगी सभ जखन घुरि कऽ अयलाह तँ देखलनि जे नोकर एकदम स्वस्थ भऽ गेल अछि। 11 किछु दिनक बाद यीशु नाइन नामक नगर गेलाह। हुनका संग हुनकर शिष्य सभ और बहुत बड़का भीड़ सेहो छलनि। 12 यीशु जखन नगरक फाटक लग पहुँचलाह तँ देखैत छथि जे लोक सभ एक मुइल आदमी केँ नगर सँ बाहर लऽ जा रहल अछि। ओ मुइल आदमी अपना मायक एकमात्र बेटा छल और ओकर माय विधवा छलैक। विधवाक संग नगरक बहुते लोक सभ छलैक। 13 ओकरा देखि कऽ प्रभु केँ बहुत दया लगलनि, और ओ कहलथिन, “नहि कानह।” 14 तकरबाद ओ आगाँ बढ़ि कऽ अर्थी केँ छुलनि। ताहि पर कान्ह देनिहार सभ ठाढ़ भऽ गेल। ओ कहलथिन, “हौ युवक, हम तोरा कहैत छिअह, उठह!” 15 मुइल आदमी उठि बैसल, और बाजऽ लागल। यीशु ओकरा मायक जिम्मा मे लगा देलथिन। 16 ई देखि लोक सभ केँ बड़का डर सन्हिया गेलैक। ओ सभ परमेश्वरक स्तुति करैत कहऽ लागल, “हमरा सभक बीच मे परमेश्वरक एक पैघ प्रवक्ता आबि गेल छथि! परमेश्वर अपना लोक पर दया करबाक लेल उतरि आयल छथि!” 17 यीशुक सम्बन्ध मे ई खबरि सौंसे यहूदिया प्रदेश मे और लग-पासक सभ क्षेत्र मे पसरि गेल। 18 यूहन्नाक शिष्य सभ हुनका एहि सभ बातक बारे मे कहि सुनौलथिन। एहि पर यूहन्ना अपना शिष्य सभ मे सँ दू गोटे केँ बजा कऽ ई बात पुछबाक लेल प्रभु लग पठौलथिन जे, 19 “ओ जे आबऽ वला छलाह, से की अहीं छी, वा हम सभ दोसराक बाट ताकू?” 20 ओ सभ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना हमरा सभ केँ अहाँ सँ ई पुछबाक लेल पठौलनि अछि जे, ओ जे आबऽ वला छलाह, से की अहीं छी, वा हम सभ दोसराक बाट ताकू?” 21 ओही काल मे यीशु बहुत लोक केँ बिमारी, पीड़ा और दुष्टात्मा सभ सँ मुक्त कऽ देलथिन, और बहुत आन्हर सभ केँ देखबाक शक्ति देलथिन। 22 तखन ओ यूहन्नाक शिष्य सभ केँ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ जे किछु देखलहुँ और सुनलहुँ से सभ बात जा कऽ यूहन्ना केँ सुना दिऔन—आन्हर सभ देखि रहल अछि, नाङड़ सभ चलि-फिरि रहल अछि, कुष्ठ-रोगी सभ स्वस्थ कयल जा रहल अछि, बहीर सभ सुनि रहल अछि, मुइल सभ जिआओल जा रहल अछि, और असहाय सभ केँ शुभ समाचार सुनाओल जा रहल छैक। 23 धन्य अछि ओ जे हमरा कारणेँ अपना विश्वास केँ नहि छोड़ैत अछि।” 24 यूहन्ना द्वारा पठाओल शिष्य सभ जखन चल गेलाह तँ यीशु यूहन्नाक बारे मे भीड़क संग बात करैत पुछलथिन, “अहाँ सभ निर्जन क्षेत्र मे की देखबाक लेल गेल छलहुँ? हवा सँ हिलैत खड़ही केँ?... 25 तखन की देखऽ लेल निकलल छलहुँ? बढ़ियाँ-बढ़ियाँ वस्त्र पहिरने कोनो मनुष्य केँ? नहि, कारण जे सभ नीक-नीक वस्त्र पहिरैत अछि और सुख-विलासक जीवन बितबैत अछि, से सभ राजभवन मे भेटैत अछि। 26 तँ फेर की देखबाक लेल गेल छलहुँ? परमेश्वरक एकटा प्रवक्ता केँ? हँ! हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, प्रवक्तो सँ पैघ व्यक्ति केँ देखलहुँ! 27 ई वैह दूत छथि जिनका सम्बन्ध मे धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, प्रभु कहैत छथि, ‘देखू, अहाँ सँ पहिने हम अपन दूत पठायब, जे अहाँक आगाँ-आगाँ अहाँक बाट तैयार करत।’ 28 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, मनुष्य सभ मे यूहन्ना सँ पैघ केओ कहियो जन्म नहि लेने अछि। तैयो परमेश्वरक राज्य मे जे सभ सँ छोट अछि, से हुनका सँ पैघ अछि। 29 “सभ लोक—कर असूल करऽ वला सभ सेहो—यूहन्नाक बात सुनि कऽ ई मानि लेलक जे परमेश्वरक बात ठीक अछि, कारण ओ सभ यूहन्ना सँ बपतिस्मा लेलक। 30 मुदा फरिसी और धर्म-नियमक पंडित सभ हुनका सँ बपतिस्मा नहि लऽ कऽ हुनका सभक लेल जे परमेश्वरक योजना छलनि, तकरा ओ सभ व्यर्थ कऽ लेलनि।” 31 यीशु आगाँ कहलथिन, “तँ एहि पीढ़ीक लोकक तुलना हम कोन बात सँ करू जे ई सभ केहन अछि? 32 ई सभ बजार मे बैसल ओहि बच्चा सभ सनक अछि जे, एक-दोसर केँ सोर पारि कऽ कहैत अछि, ‘हम सभ तँ तोरा सभक लेल बाँसुरी बजौलिऔ, मुदा तोँ सभ नचलें नहि। हम सभ कन्ना-रोहटि कयलिऔ, मुदा तोँ सभ कनलें नहि।’ 33 कारण, बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना अयलाह, और लोक सभ जकाँ रोटी नहि खाइत छथि, मदिरा नहि पिबैत छथि तँ अहाँ सभ कहैत छी जे, ‘ओकरा मे दुष्टात्मा छैक।’ 34 मनुष्य-पुत्र आयल, और खाइत-पिबैत अछि, तँ अहाँ सभ कहैत छी जे, ‘यैह देखू! केहन पेटू आ पिअक्कड़! कर असूल करऽ वला आ पापी सभक संगी!’ 35 मुदा परमेश्वरक बुद्धि ठीक अछि, से बात तेहन लोक द्वारा प्रमाणित होइत अछि जे सभ ओहि बुद्धिक अनुसार चलैत अछि।” 36 एक फरिसी यीशु केँ अपना संग भोजन करबाक निमन्त्रण देलथिन। यीशु हुनका घर गेलाह, और भोजन करबाक लेल बैसलाह। 37 ओहि नगर मे रहऽ वाली एकटा स्त्रीगण, जे पापी जीवन बितबैत छलि, जखन सुनलक जे यीशु ओहि फरिसीक घर मे भोजन पर बैसल छथि, तँ ओ संगमरमरक बर्तन मे सुगन्धित तेल लऽ कऽ आयल। 38 कनैत-कनैत ओ यीशुक पाछाँ पयर लग ठाढ़ भेलि, और ओकर नोर हुनकर पयर पर खसैत छलैक। ओ हुनकर पयर अपना केश सँ पोछऽ लगलनि, और पयरक चुम्मा लैत ओहि पर तेल लगाबऽ लगलनि। 39 ओ फरिसी जे हुनका बजौने छलथिन से ई देखि अपना मोन मे सोचलनि, “ई आदमी जँ वास्तव मे परमेश्वरक प्रवक्ता रहैत तँ केहन स्त्री ओकरा छुबि रहल छैक, से ओ जनने रहैत—ओ बुझि जाइत जे ई केहन पापिनि अछि!” 40 यीशु जबाब देलथिन, “सिमोन, हमरा अहाँ केँ किछु कहबाक अछि।” ओ कहलथिन, “गुरुजी, बाजू ने।” 41 “कोनो महाजन केँ दूटा ऋणी छलनि। ओहि मे सँ एकटा पर पाँच सय ‘दिनार’ ऋण छलनि, आ दोसर पर पचास ‘दिनार’। 42 दूनू लग अपन ऋण चुकयबाक लेल किछु नहि छलैक, तँ महाजन दूनू केँ माफ कऽ देलथिन। आब ओहि दूनू मे सँ कोन हुनका बेसी मानतनि?” 43 सिमोन उत्तर देलथिन, “हमरा होइत अछि जे ओ, जकर बेसी ऋण माफ भेलैक।” यीशु कहलथिन, “अहाँ ठीक कहलहुँ।” 44 तखन ओहि स्त्रीगणक दिस घूमि कऽ ओ सिमोन केँ कहलथिन, “एहि स्त्री केँ देखैत छिऐक? हम अहाँक घर मे अयलहुँ, तँ अहाँ हमरा पयर धोबाक लेल पानि नहि देलहुँ, मुदा ई हमर पयर अपन नोर सँ धोलक आ केश सँ पोछलक। 45 अहाँ चुम्मा लऽ कऽ हमर स्वागत नहि कयलहुँ, मुदा जखने हम घर मे अयलहुँ तखने सँ ई हमर पयरक चुम्मा लैते अछि। 46 अहाँ हमर माथ मे तेल नहि लगौलहुँ, मुदा ई हमर पयर पर सुगन्धित तेल लगौलक। 47 तेँ, हम अहाँ केँ कहैत छी जे, एकर पाप, जे बहुते अछि, से सभ माफ कयल गेल अछि, कारण देखू—कतेक प्रेम कयलक! मुदा जकरा कम माफ भेल छैक, से कम प्रेम करैत अछि।” 48 तखन ओ स्त्री केँ कहलथिन, “तोहर पाप माफ भेलह।” 49 जे सभ हुनका संग भोजन पर बैसल छल, से सभ अपना मे कहऽ लागल, “ई के छथि जे पापो माफ करैत छथि?” 50 यीशु स्त्री केँ कहलथिन, “तोहर विश्वास तोरा उद्धार देलकह। शान्ति सँ जाह।”
1 तकरबाद यीशु लोक सभ केँ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनबैत नगर-नगर आ गाम-गाम घुमऽ लगलाह। हुनका संग हुनकर बारहो शिष्य छलनि, 2 और किछु स्त्रीगण सभ सेहो, जिनका सभ केँ विभिन्न बिमारी आ दुष्टात्मा सभ सँ स्वस्थ कयल गेल छलनि। ओहि मे ई सभ छलीह—मरियम, जे मग्दलीनी कहबैत छलीह आ जिनका मे सँ सातटा दुष्टात्मा निकालल गेल छलनि, 3 हेरोद राजाक हाकिम खुसाक स्त्री योअन्ना, सुसन्ना आ आरो बहुत गोटे। ई स्त्रीगण सभ अपन व्यक्तिगत सम्पत्ति सँ हुनका सभक सेवा करैत छलीह। 4 नगर-नगर सँ लोक सभ यीशु लग आबि रहल छल, और एक दिन जखन बड़का भीड़ हुनका लग जमा भेल तँ ओ ई दृष्टान्त दऽ कऽ कहलथिन, 5 “एक किसान बीया बाउग करबाक लेल गेल। बीया बाउग करैत काल, किछु बीया रस्ताक कात मे खसल, लतखुर्दन भऽ गेल और ओकरा चिड़ै सभ खा लेलकैक। 6 किछु बीया पथराह जमीन पर खसल, आ हाल नहि रहबाक कारणेँ जनमिते सुखा गेल। 7 किछु बीया काँट-कुशक बीच मे खसल, मुदा काँट-कुश सभ सेहो संगे-संग बढ़ि कऽ ओकरा दबा देलकैक। 8 किछु बीया नीक जमीन पर पड़ल। ओ बढ़ि कऽ फड़ल-फुलायल आ सय गुना फसिल देलक।” ई कहि कऽ ओ जोर सँ बजलाह, “जकरा सुनबाक कान छैक से सुनओ।” 9 तखन हुनकर शिष्य सभ एहि दृष्टान्तक अर्थ पुछलथिन। 10 ओ उत्तर देलथिन, “परमेश्वरक राज्यक रहस्यक ज्ञान अहाँ सभ केँ देल गेल अछि, मुदा दोसर सभक लेल दृष्टान्ते सभ अछि, जाहि सँ, ‘तकितो ओ देखए नहि, सुनितो ओ बुझए नहि।’ 11 “दृष्टान्तक अर्थ ई अछि—बीया परमेश्वरक वचन अछि। 12 रस्ताक कात मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे हुनकर वचन सुनैत अछि मुदा शैतान आबि कऽ ओकरा सभक मोन मे सँ ओहि वचन केँ निकालि कऽ लऽ जाइत छैक, जाहि सँ कतौ ओ सभ विश्वास कऽ कऽ उद्धार नहि पाबए। 13 पथराह जमीन मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे परमेश्वरक वचन सुनि खुशी सँ ओकरा स्वीकार करैत अछि, मुदा ओ वचन ओकरा सभ मे जड़ि नहि पकड़ैत छैक। ओ सभ किछु काल विश्वास तँ करैत अछि, मुदा परीक्षाक समय जखन अबैत छैक तँ विश्वास केँ छोड़ि दैत अछि। 14 काँट-कुश मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे सुनैत तँ अछि, मुदा आगाँ जा कऽ जीवनक चिन्ता, धन-सम्पत्ति और सुख-विलास सभक द्वारा दबाओल जाइत अछि, और ओ सभ कोनो फसिल नहि दैत अछि। 15 मुदा नीक जमीन मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे नीक और शुद्ध मोन सँ परमेश्वरक वचन सुनि कऽ अपना हृदय मे रखैत अछि, और धैर्यपूर्बक नीक फसिल दैत अछि। 16 “केओ डिबिया लेसि कऽ ओकरा तौला सँ नहि झँपैत अछि, आ ने चौकीक तर मे रखैत अछि। ओ ओकरा लाबनि पर रखैत अछि जाहि सँ घरक भीतर आबऽ वला लोक सभ केँ इजोत भेटैक। 17 हँ, कोनो वस्तु नुकायल नहि अछि जे प्रगट नहि कयल जायत, आ ने कोनो वस्तु गुप्त अछि जे जानल नहि जायत और इजोत मे नहि आनल जायत। 18 एहि लेल, अहाँ सभ कोन प्रकारेँ सुनैत छी, ताहि पर नीक जकाँ ध्यान दिअ, कारण जकरा किछु छैक, तकरा आरो देल जयतैक, और जकरा नहि छैक, तकरा सँ सेहो लऽ लेल जयतैक जाहि केँ ओ अपन बुझैत अछि।” 19 यीशुक माय और भाय सभ हुनका सँ भेँट करबाक लेल अयलाह, मुदा भीड़क कारणेँ हुनका लग नहि पहुँचि सकलाह। 20 तँ हुनका लग कहा पठाओल गेलनि जे, “अहाँक माय और भाय सभ बाहर ठाढ़ छथि, अहाँ सँ भेँट करऽ चाहैत छथि।” 21 एहि पर यीशु उत्तर देलथिन, “हमर माय और भाय ओ सभ छथि जे सभ परमेश्वरक वचन सुनैत छथि और ओहि अनुसार चलैत छथि।” 22 एक दिन यीशु अपना शिष्य सभक संग नाव मे चढ़लाह आ कहलथिन, “झीलक ओहि पार चलू।” ओ सभ नाव खोलि देलनि। 23 किछु बढ़लाक बाद यीशु सुति रहलाह। एकाएक झील मे भयंकर अन्हड़-बिहारि आयल। नाव मे पानि भरऽ लागल, और ओ सभ बड़का विपत्ति मे पड़ि गेलाह। 24 शिष्य सभ यीशु केँ जगा कऽ कहलथिन, “मालिक, यौ मालिक, अपना सभ डुबऽ पर छी!” ओ उठि कऽ अन्हड़-बिहारि और लहरि केँ डँटलथिन। अन्हड़-बिहारि बन्द भऽ गेल, आ सभ किछु शान्त भऽ गेलैक। 25 तखन ओ अपना शिष्य सभ सँ पुछलथिन, “अहाँ सभक विश्वास की भऽ गेल?” ओ सभ भयभीत और आश्चर्यित भऽ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “ई के छथि? हवा और पानि केँ सेहो आज्ञा दैत छथिन तँ ओ मानैत छनि!” 26 जाइत-जाइत यीशु और हुनकर शिष्य सभ गिरासेनी सभक इलाका मे पहुँचलाह, जे गलील प्रदेशक सामने झीलक ओहि पार अछि। 27 यीशु जखने कछेर पर उतरलाह तँ ओहि शहरक एक आदमी भेटलनि जकरा दुष्टात्मा लागल छलैक। ई आदमी बहुत दिन सँ कपड़ा-लत्ता नहि पहिरैत छल, और घर मे नहि रहि कऽ कबरिस्तान मे रहैत छल। 28 यीशु केँ देखिते ओ जोर सँ चिकरल, हुनका पयर पर खसलनि, और जोर-जोर सँ कहलकनि, “यौ परम परमेश्वरक पुत्र यीशु! हमरा सँ अपने केँ कोन काज? हम विनती करैत छी जे हमरा दुःख नहि दिअ!” 29 ओ ई बात एहि लेल कहलकनि जे यीशु दुष्टात्मा केँ ओकरा मे सँ बहरयबाक आज्ञा देने छलथिन। ओ दुष्टात्मा ओकरा बहुत बेर पकड़ने छलैक, और लोक ओकरा जिंजीर सँ हाथ-पयर बान्हि कऽ पहरा मे रखैत छल, मुदा ओ जिंजीर सभ केँ तोड़ि-ताड़ि लैत छल, और दुष्टात्मा ओकरा सुन-सान क्षेत्र सभ मे लऽ जाइत छलैक। 30 यीशु ओकरा सँ पुछलथिन, “तोहर नाम की छह?” ओ उत्तर देलकनि, “सेना” कारण, ओकरा मे बहुते दुष्टात्मा वास करैत छलैक। 31 दुष्टात्मा सभ हुनका सँ विनती करऽ लागल जे, हमरा सभ केँ “अथाह कुण्ड” मे जयबाक आज्ञा नहि दिअ। 32 ओहिठाम पहाड़ पर सुगरक बड़का झुण्ड चरि रहल छल। दुष्टात्मा सभ विनती कयलकनि जे, हमरा सभ केँ ओहि सुगर सभ मे जयबाक अनुमति दऽ दिअ। तँ यीशु अनुमति दऽ देलथिन। 33 तखन दुष्टात्मा सभ ओहि आदमी मे सँ निकलि कऽ सुगर सभ मे चल गेल। सुगरक पूरा झुण्ड दौड़ि कऽ पहाड़ पर सँ झील मे खसल और डुबि कऽ मरि गेल। 34 सुगर चराबऽ वला सभ ई देखि तुरत भागि गेल और नगर आ देहातो मे एहि घटनाक बारे मे सुनौलक। 35 एहि पर लोक सभ देखबाक लेल आयल, और यीशु लग जखन पहुँचल तँ देखैत अछि जे ओ आदमी जकरा मे सँ दुष्टात्मा निकलि गेल छल, से कपड़ा पहिरने आ स्वस्थ मोने हुनका पयर लग बैसल अछि। ई देखि ओ सभ भयभीत भऽ गेल। 36 जे सभ ई घटना देखने छल, से सभ ओहि लोक सभ केँ सुनौलकैक जे दुष्टात्मा लागल आदमी कोना स्वस्थ कयल गेल। 37 गिरासेनी सभक क्षेत्रक सम्पूर्ण परोपट्टाक लोक सभ केँ तेहन डर भऽ गेलैक जे ओ सभ यीशु सँ विनती करऽ लगलनि जे, अहाँ एतऽ सँ चल जाउ। एहि पर यीशु नाव मे चढ़ि कऽ घूमि गेलाह। 38 जाहि आदमी मे सँ दुष्टात्मा निकलि गेल छलैक, से यीशु सँ विनती कयलकनि जे, अपना संग हमरो चलऽ देल जाओ। मुदा यीशु ओकरा ई कहि कऽ विदा कयलथिन जे, 39 “तोँ घर चल जाह, और परमेश्वर तोरा लेल कतेकटा काज कयलथुन से सभ केँ सुनाबह।” तखन ओ आदमी चल गेल, और यीशु ओकरा लेल जे-जतेक कयने रहथिन से सौंसे शहर मे लोक केँ सुनाबऽ लागल। 40 यीशु जखन झीलक एहि पार फेर पहुँचलाह तँ बड़का भीड़ जे एहि पार घूमि अयबाक हुनकर बाट ताकि रहल छलनि, से सभ हुनकर स्वागत कयलकनि। 41 तखने याइरस नामक एक आदमी यीशु लग अयलाह, जे सभाघरक अधिकारी छलाह। ओ यीशुक पयर पर खसि कऽ हुनका सँ आग्रह करऽ लगलथिन जे, हमरा ओतऽ चलल जाओ। 42 कारण, हुनकर एकमात्र बेटी, जे बारह वर्षक छलि, मरऽ-मरऽ पर छलि। रस्ता मे चलैत काल लोकक रेड़म-रेड़ा सँ यीशु पिचाय लगलाह। 43 भीड़ मे एक स्त्री छलि, जे बारह वर्ष सँ खून खसऽ वला रोग सँ पीड़ित छलि आ अपन सभ सम्पत्ति इलाजक पाछाँ वैद्य केँ दऽ देने छलि, मुदा ओकरा केओ नहि स्वस्थ कऽ सकल छल। 44 ओ पाछाँ सँ आबि यीशुक वस्त्रक कोर छुबि लेलक, और ओकर खून खसनाइ तुरत बन्द भऽ गेलैक। 45 यीशु पुछलथिन, “हमरा के छुलक?” जखन सभ केओ अस्वीकार कयलक तँ पत्रुस कहलथिन, “यौ मालिक, अहाँ तँ भीड़ सँ घेरल छी आ लोक सभ चारू कात सँ अहाँ केँ पिचि रहल अछि!” 46 मुदा यीशु कहलथिन, “नहि, केओ हमरा छुलक अछि। हम जनैत छी जे हमरा मे सँ सामर्थ्य बहरायल अछि।” 47 ओ स्त्री जखन देखलक जे हम नुकायल नहि रहि सकैत छी तँ कँपैत आबि यीशुक पयर पर खसलि, और सभ लोकक सामने कहि सुनौलकनि जे हुनका किएक छुलकनि आ कोना तुरत्ते स्वस्थ भऽ गेल। 48 तखन यीशु ओकरा कहलथिन, “बेटी, तोहर विश्वास तोरा स्वस्थ कऽ देलकह। शान्तिपूर्बक जाह।” 49 यीशु ई बात कहिए रहल छलथिन कि सभाघरक अधिकारी याइरसक घर सँ एक गोटे आयल और याइरस केँ कहलकनि, “अहाँक बच्ची नहि रहल। आब गुरुजी केँ आरो कष्ट नहि दिऔन।” 50 ई बात सुनला पर यीशु याइरस केँ कहलथिन, “अहाँ डेराउ नहि, मात्र विश्वास राखू—अहाँक बेटी ठीक भऽ जायत।” 51 याइरसक ओहिठाम पहुँचला पर यीशु पत्रुस, यूहन्ना, याकूब और बच्चीक माय-बाबू केँ छोड़ि आरो ककरो अपना संग घरक भीतर नहि आबऽ देलथिन। 52 सभ केओ बच्चीक लेल विलाप कऽ रहल छल, मुदा यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “नहि कानू! ओ मुइल नहि, सुतल अछि।” 53 एहि पर लोक सभ हुनका पर हँसऽ लागल, कारण ओ सभ जनैत छल जे बच्ची मरि गेल अछि। 54 मुदा यीशु बच्चीक हाथ पकड़ि कऽ कहलथिन, “बौआ! उठ!” 55 बच्चीक प्राण घूमि अयलैक और ओ तुरत ठाढ़ भऽ गेल। यीशु आदेश देलथिन जे ओकरा किछु खाय लेल देल जाय। 56 ओकर माय-बाबू आश्चर्य-चकित भेलाह, मुदा यीशु हुनका सभ केँ आज्ञा देलथिन जे एहि घटनाक विषय मे ककरो संग चर्चा नहि करू।
1 यीशु अपन बारहो शिष्य केँ एक संग बजौलथिन, और हुनका सभ केँ सभ तरहक दुष्टात्मा केँ निकालबाक आ बिमारी सभ केँ ठीक करबाक शक्ति और अधिकार देलथिन। 2 तखन ओ हुनका सभ केँ परमेश्वरक राज्यक प्रचार करबाक लेल और रोगी सभ केँ स्वस्थ करबाक लेल गाम-गाम पठौलथिन। 3 ओ कहलथिन, “बाटक लेल अहाँ सभ किछु नहि लऽ जाउ—ने लाठी ने झोरा, ने रोटी ने पाइ, आ ने दोसर अंगा राखू। 4 जाहि कोनो घर मे ठहरब, जाबत धरि ओहि गाम सँ विदा नहि होयब ताबत धरि ओही घर मे ठहरू। 5 और जतऽ कतौ लोक अहाँ सभक स्वागत नहि करय, ताहि गाम सँ विदा होइत काल अपन पयरक गर्दा झाड़ि लेब। ई ओकरा सभक विरोधक गवाही रहत।” 6 तँ ओ सभ विदा भेलाह और गाम-गाम मे शुभ समाचारक प्रचार करैत आ सभ ठाम लोक केँ स्वस्थ करैत घुमऽ लगलाह। 7 एम्हर शासक हेरोद एहि सभ घटनाक विषय मे सुनलनि, और दुबिधा मे पड़ि गेलाह, कारण किछु लोकक कथन छलैक जे, बपतिस्मा देबऽ वला यूहन्ना मुइल सभ मे सँ जिआओल गेल छथि। 8 दोसर लोक सभ कहैत छल जे, एलियाह फेर आबि गेल छथि। आरो लोकक कथन छलैक जे, प्राचीन समयक परमेश्वरक अन्य प्रवक्ता सभ मे सँ केओ फेर जीबि उठल छथि। 9 मुदा हेरोद कहलनि, “यूहन्ना केँ तँ हम मूड़ी कटबा देने छिऐक, तँ फेर ई के अछि जकरा बारे मे एतेक बात सुनैत छी?” और ओ यीशु सँ भेँट करबाक कोशिश करऽ लगलाह। 10 पठाओल गेल दूत सभ जहिया घूमि कऽ अयलाह तँ ओ सभ जे किछु कयने छलाह से सभ बात यीशु केँ कहि सुनौलथिन। तकरबाद यीशु हुनका सभ केँ अपना संग लऽ कऽ बेतसैदा नगर गेलाह, जाहि सँ ओ सभ एकान्त स्थान मे रहि सकथि। 11 मुदा लोक सभ केँ एहि बातक पता लागि गेलैक, और ओहो सभ हुनका पाछाँ-पाछाँ आबऽ लागल। यीशु ओकरा सभक स्वागत कयलथिन, और परमेश्वरक राज्यक सम्बन्ध मे ओकरा सभक संग बात-चीत करऽ लगलाह। जकरा ककरो कोनो बिमारी सँ स्वस्थ होयबाक आवश्यकता छलैक, तकरा सभ केँ ओ स्वस्थ कयलथिन। 12 जखन साँझ पड़ऽ लागल तँ बारहो शिष्य सभ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “आब लोक सभ केँ लग-पासक गाम-बजार सभ मे अपना लेल राति मे रहबाक जगह आ भोजनक प्रबन्ध करबाक लेल विदा कऽ दिऔक, कारण अपना सभ एतऽ बस्ती सँ दूर मे छी।” 13 ओ उत्तर देलथिन, “अहीं सभ एकरा सभ केँ भोजन करबिऔक।” ओ सभ कहलथिन, “हमरा सभ लग खाली पाँचटा रोटी आ दूटा माछ अछि, बस, आओर किछु नहि। वा की—एहि सभ लोकक लेल हम सभ भोजनक वस्तु किनि कऽ लाउ?” 14 ओतऽ पुरुषक संख्या लगभग पाँच हजार छल। यीशु शिष्य सभ केँ कहलथिन, “सभ केँ पचास-पचासक समूह मे बैसा दिऔक।” 15 शिष्य सभ ओहिना कयलनि आ सभ केओ बैसि रहल। 16 तकरबाद यीशु ओ पाँचटा रोटी आ दूटा माछ लऽ लेलनि आ स्वर्ग दिस तकैत ओहि रोटी आ माछक लेल परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। तखन रोटी आ माछ केँ तोड़लनि आ लोक सभ मे परसबाक लेल अपना शिष्य सभ केँ देलथिन। 17 सभ केओ भरि इच्छा भोजन कयलक। शिष्य सभ जखन रोटी आ माछक उबरल टुकड़ा सभ बिछलनि तँ ओ बारह छिट्टा भेल। 18 एक बेर यीशु एकान्त मे प्रार्थना कऽ रहल छलाह आ हुनकर शिष्य सभ हुनका संग छलनि, तँ ओ हुनका सभ सँ पुछलथिन जे, “हम के छी, ताहि सम्बन्ध मे लोक की कहि रहल अछि?” 19 ओ सभ उत्तर देलथिन, “किछु लोक सभ ‘बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना’ कहैत अछि, किछु लोक ‘एलियाह’ आ किछु लोक सभ कहैत अछि जे प्राचीन कालक परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनि मे सँ केओ जीबि उठलाह अछि।” 20 ओ पुछलथिन, “और अहाँ सभ?—अहाँ सभ की कहैत छी जे हम के छी?” पत्रुस उत्तर देलथिन, “अहाँ परमेश्वरक पठाओल उद्धारकर्ता-मसीह छी।” 21 एहि पर यीशु हुनका सभ केँ दृढ़तापूर्बक आदेश देलथिन जे, “ई बात ककरो नहि कहिऔक।” 22 फेर आगाँ कहऽ लगलथिन, “ई आवश्यक अछि जे मनुष्य-पुत्र बहुत दुःख सहय, बूढ़-प्रतिष्ठित, मुख्यपुरोहित आ धर्मशिक्षक सभ द्वारा तुच्छ ठहराओल जाय, जान सँ मारल जाय आ तेसर दिन जिआओल जाय।” 23 तखन यीशु सभ केँ कहलथिन, “जँ केओ हमर शिष्य बनऽ चाहैत अछि तँ ओ अपना केँ त्यागि, प्रतिदिन हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार रहओ, और हमरा पाछाँ चलओ। 24 कारण, जे केओ अपन जीवन बचाबऽ चाहैत अछि, से ओकरा गमाओत, और जे केओ हमरा लेल अपन जीवन गमबैत अछि, से ओकरा बचाओत। 25 जँ कोनो मनुष्य सम्पूर्ण संसार केँ पाबि लय मुदा अपना केँ गमा लय वा नष्ट कऽ लय तँ ओकरा की लाभ भेलैक? 26 जँ केओ हमरा और हमर शिक्षा सँ लजाइत अछि, तँ ओकरो सँ मनुष्य-पुत्र ओहि समय मे लजायत जखन ओ अपना महिमाक संग आ पिताक और पवित्र स्वर्गदूत सभक महिमाक संग आओत। 27 और हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एतऽ किछु एहनो लोक सभ ठाढ़ अछि जे जाबत तक परमेश्वरक राज्य नहि देखि लेत ताबत तक नहि मरत।” 28 एहि बात सभक करीब आठ दिनक बाद यीशु अपना संग पत्रुस, यूहन्ना और याकूब केँ लऽ कऽ प्रार्थना करबाक लेल पहाड़ पर गेलाह। 29 जखन ओ प्रार्थना कऽ रहल छलाह तँ हुनकर मुँहक रूप बदलि गेलनि, और हुनकर वस्त्र बिजलोका जकाँ चमकऽ लगलनि। 30 एकाएक दू पुरुष, मूसा और एलियाह, 31 स्वर्गिक इजोत सँ चमकैत और यीशु सँ बात करैत देखाइ देलनि। ओ सभ हुनकर मृत्युक सम्बन्ध मे बात कऽ रहल छलाह, जकरा द्वारा ओ यरूशलेम मे परमेश्वरक इच्छा पूरा करऽ वला छलाह। 32 पत्रुस और हुनकर संगी सभ औँघाय लागल छलाह, मुदा जखन पूर्ण रूप सँ सचेत भेलाह तँ यीशुक स्वर्गिक सुन्दरता और हुनका संग ठाढ़ ओहि दूनू पुरुष केँ देखलथिन। 33 जखन ओ दूनू पुरुष यीशु लग सँ विदा होमऽ लगलाह तँ पत्रुस यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी! हमरा सभक लेल ई कतेक नीक बात अछि जे हम सभ एतऽ छी! हम सभ एतऽ तीन मण्डप बनाबी—एक अहाँक लेल, एक मूसाक लेल, और एक एलियाहक लेल।” ओ अपनो नहि जनैत छलाह जे हम की बाजि रहल छी। 34 ओ ई बात बाजिए रहल छलाह कि एकटा मेघ आबि कऽ हुनका सभ केँ झाँपि देलकनि। शिष्य सभ मेघ सँ झँपा कऽ डेरा गेलाह। 35 तखन मेघ मे सँ ई आवाज आयल, “ई हमर पुत्र छथि, जिनका हम चुनने छी। हिनका बात पर ध्यान दिअ!” 36 ई आकाशवाणी भेलाक बाद शिष्य सभ देखलनि जे यीशु असगर छथि। एहि घटनाक सम्बन्ध मे ओ सभ चुप रहलाह और जे किछु देखने छलाह तकर चर्चा ओहि समय मे ककरो सँ नहि कयलनि। 37 प्रात भेने जखन ओ सभ पहाड़ पर सँ उतरलाह तँ यीशु केँ लोकक बड़का भीड़ भेटलनि। 38 भीड़ मेहक एक आदमी जोर सँ सोर पारि कऽ कहलथिन, “गुरुजी, अपने सँ हमर विनती अछि जे हमरा बेटा केँ देखल जाओ। ई हमर एकमात्र सन्तान अछि। 39 दुष्टात्मा एकरा पकड़ि लैत छैक, और ई एकाएक चिकरि उठैत अछि। एकरा नीचाँ पटकि दैत छैक आ एकरा मुँह सँ गाउज आबऽ लगैत छैक। बिनु चोट पहुँचौने एकरा छोड़िते नहि छैक। 40 हम अपनेक शिष्य सभ सँ एहि दुष्टात्मा केँ निकालबाक लेल विनती कयलियनि, मुदा ओ सभ नहि निकालि सकलाह।” 41 यीशु उत्तर देलथिन, “हे अविश्वासी आ भ्रष्ट पीढ़ीक लोक सभ! हम तोरा सभक संग कहिया तक रहिअह? कहिया तक तोरा सभ केँ सहैत रहिअह? आनह अपना बेटा केँ।” 42 ओ लड़का आबि रहल छल कि दुष्टात्मा ओकरा नीचाँ पटकि देलकैक आ तोड़ऽ-ममोरऽ लगलैक। मुदा यीशु दुष्टात्मा केँ बहरयबाक आज्ञा दऽ कऽ लड़का केँ ठीक कऽ देलथिन, आ ओकरा अपना बाबू केँ जिम्मा मे दऽ देलथिन। 43 परमेश्वरक सामर्थ्य और महानता केँ देखि कऽ सभ केओ आश्चर्य-चकित रहि गेल। लोक सभ यीशुक काज सभ देखि आश्चर्य मानैत छल, मुदा यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, 44 “हम जे बात कहऽ जा रहल छी, अहाँ सभ ताहि बात पर ठीक सँ ध्यान दिअ—मनुष्य-पुत्र पकड़बा कऽ लोकक हाथ मे सौंपल जायत।” 45 मुदा ओ सभ हुनकर कहबाक अर्थ नहि बुझलनि। हुनका सभ सँ एहि बातक अर्थ नुकायल रहलनि, ताहि सँ नहि बुझि सकलाह, और ओ सभ हुनका सँ एहि सम्बन्ध मे पुछऽ सँ डेराइत छलाह। 46 शिष्य सभ मे एहि बातक विवाद होमऽ लगलनि जे, हमरा सभ मे सभ सँ पैघ के अछि? 47 यीशु हुनका सभक विचार बुझि एकटा छोट बच्चा केँ अपना लग मे ठाढ़ कयलनि 48 और शिष्य सभ केँ कहलथिन, “जे केओ हमरा नाम सँ एहि बच्चा केँ स्वीकार करैत अछि, से हमरे स्वीकार करैत अछि, और जे हमरा स्वीकार करैत अछि से हमरे नहि, बल्कि तिनको स्वीकार करैत छनि जे हमरा पठौने छथि। हँ, अहाँ सभ मे जे सभ सँ छोट होइ, सैह सभ सँ पैघ भेलहुँ।” 49 तखन यूहन्ना बजलाह, “मालिक, हम सभ एक आदमी केँ अहाँक नाम लऽ कऽ दुष्टात्मा निकालैत देखलहुँ, और ओकरा रोकबाक प्रयत्न कयलहुँ किएक तँ ओ हमरा सभक संग अहाँक शिष्य नहि अछि।” 50 यीशु उत्तर देलथिन, “हुनका नहि रोकिऔन, कारण जे अहाँक विरोध मे नहि अछि से अहाँक पक्ष मे अछि।” 51 जखन यीशु केँ स्वर्ग मे उठाओल जयबाक समय लगचिआय लगलनि तँ ओ यरूशलेम जयबाक दृढ़ निश्चय कयलनि, 52 और अपना सँ आगाँ किछु आदमी केँ पठौलथिन। ओ सभ विदा भऽ कऽ एक सामरी गाम मे हुनका लेल तैयारी करबाक लेल गेलाह। 53 मुदा ओहिठामक लोक सभ यीशुक स्वागत नहि कयलकनि, किएक तँ ओ यरूशलेम जा रहल छलाह। 54 ई बात जखन हुनकर शिष्य याकूब और यूहन्ना देखलनि तँ बाजि उठलाह, “की प्रभु, हम सभ आज्ञा दऽ कऽ एकरा सभ केँ नष्ट करबाक लेल आकाश सँ आगि बरिसाउ?” 55 मुदा ओ हुनका सभक दिस घूमि कऽ डँटलथिन, 56 और ओ सभ दोसर गाम चल गेलाह। 57 रस्ता मे चलैत काल एक आदमी यीशु केँ कहलकनि, “अपने जतऽ कतौ जायब, ततऽ हमहूँ अपनेक संग चलब।” 58 यीशु ओकरा उत्तर देलथिन, “नढ़िया केँ सोन्हि छैक और आकाशक चिड़ै केँ खोंता, मुदा मनुष्य-पुत्र केँ मूड़िओ नुकयबाक जगह नहि छैक।” 59 दोसर आदमी केँ यीशु कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” मुदा ओ उत्तर देलकनि, “प्रभु, हमरा पहिने जा कऽ अपना बाबूक लास केँ गाड़ि आबऽ दिअ।” 60 यीशु कहलथिन, “मुरदे सभ केँ अपन मुरदा गाड़ऽ दिऔक। अहाँ जा कऽ परमेश्वरक राज्यक प्रचार करू।” 61 फेर दोसर कहलकनि, “प्रभुजी, हम अहाँक संग आयब। मुदा हमरा पहिने अपना परिवार सँ विदा लेबऽ दिअ।” 62 यीशु उत्तर देलथिन, “जे केओ हऽर पर हाथ राखि कऽ पाछाँ देखैत अछि से परमेश्वरक राज्यक योग्य नहि अछि।”
1 एहि सभक बाद प्रभु बहत्तरि आरो व्यक्ति केँ नियुक्त कयलथिन और हुनका सभ केँ दू-दू गोटे कऽ प्रत्येक नगर आ गाम मे पठा देलथिन जतऽ-जतऽ ओ अपने जाय वला छलाह। 2 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “पाकल फसिल तँ बहुत अछि, मुदा काटऽ वला मजदूर कम अछि। तेँ खेतक मालिक सँ प्रार्थना करिऔन जे ओ अपना खेत मे आरो मजदूर पठबथि। 3 अहाँ सभ आब जाउ। हम अहाँ सभ केँ जंगली जानबर सभक बीच मे भेँड़ी जकाँ पठा रहल छी। 4 अपना संग ने बटुआ लिअ आ ने झोरा आ ने जुत्ता; रस्ता मे ककरो सँ हाल-समाचार पुछबाक लेल नहि रूकू। 5 जखन कोनो घर मे प्रवेश करब, तँ पहिने ई कहिऔक, ‘एहि घर मे शान्ति होअय।’ 6 जँ ओतऽ केओ शान्तिक पात्र होयत तँ अहाँक आशीर्वाद ओकरा पर बनल रहतैक, अन्यथा अहाँ लग घूमि आओत। 7 वासक लेल घर-घर नहि घुमू, और जे किछु ओ सभ अहाँ सभ केँ देत से खाउ-पीबू, कारण मजदूर केँ मजदूरी तँ भेटबाक चाही। 8 “हँ, जखन कोनो नगर मे प्रवेश कयलाक बाद स्वागत होइत अछि तँ जे किछु अहाँक सामने राखल जाय से खाउ। 9 ओतुक्का बिमार लोक सभ केँ ठीक करू, और लोक सभ केँ कहिऔक जे, परमेश्वरक राज्य अहाँ सभक लग मे आबि गेल अछि। 10 मुदा जखन कोनो नगर मे जायब और ओहि ठामक लोक सभ अहाँ सभक स्वागत नहि करय तँ ओहि नगरक सड़क-गली सभ मे जा कऽ कहिऔक, 11 ‘अहाँ सभक नगरक गर्दो जे हमरा सभक पयर मे लागल अछि से अहाँ सभक विरोध मे झाड़ैत छी। तैयो ई बात जानि लिअ जे परमेश्वरक राज्य लग मे आबि गेल अछि।’ 12 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, न्यायक दिन मे ओहि नगर सँ सदोम नगरक दशा सहबा जोगरक रहतैक। 13 “है खुराजीन नगर, तोरा धिक्कार छौक! हे बेतसैदा नगर, तोरा धिक्कार छौक! जे चमत्कार सभ तोरा सभक बीच कयल गेल, से जँ सूर और सीदोन नगर सभ मे कयल गेल रहैत तँ ओहिठामक निवासी सभ बहुत पहिनहि चट्टी ओढ़ि और छाउर पर बैसि अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन कऽ लेने रहैत। 14 न्यायक दिन मे तोरा सभक अपेक्षा सूर आ सीदोन नगरक दशा सहबा जोगरक रहतैक। 15 और हे कफरनहूम नगर! की तोँ स्वर्ग तक उठाओल जयबेँ? नहि! तोँ तँ पाताल मे खसाओल जयबेँ। 16 “जे केओ अहाँ सभक बात सुनैत अछि से हमर बात सुनैत अछि। जे केओ अहाँ सभ केँ अस्वीकार करैत अछि, से हमरा अस्वीकार करैत अछि, और जे केओ हमरा अस्वीकार करैत अछि से तिनका अस्वीकार करैत छनि जे हमरा पठौलनि।” 17 ओ बहत्तरि लोक सभ जखन अपन प्रचारक काज कऽ कऽ अयलाह तँ बहुत खुशीपूर्बक बजलाह, “प्रभुजी, अहाँक नामक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ सेहो हमरा सभक बात मानलक।” 18 यीशु उत्तर देलथिन, “हम शैतान केँ बिजुली जकाँ आकाश सँ खसैत देखलहुँ। 19 हँ, हम अहाँ सभ केँ साँप और बीछ केँ पिचबाक सामर्थ्य और शत्रुक समस्त शक्ति पर अधिकार देने छी। कोनो वस्तु अहाँ सभक हानि नहि कऽ सकत। 20 तैयो, एहि लेल आनन्द नहि मनाउ जे दुष्टात्मा सभ अहाँ सभक बात मानैत अछि, बल्कि एही लेल आनन्दित होउ जे अहाँ सभक नाम स्वर्ग मे लिखायल अछि।” 21 तखने यीशु पवित्र आत्मा सँ अत्यन्त आनन्दित भऽ कऽ बजलाह, “हे पिता, स्वर्ग आ पृथ्वीक मालिक, हम अहाँ केँ एहि लेल धन्यवाद दैत छी जे अहाँ ई बात सभ बुद्धिमान और विद्वान सभ सँ नुका कऽ रखलहुँ मुदा बच्चा सभ पर प्रगट कयलहुँ। हँ पिता, कारण, अहाँ केँ एही बात सँ प्रसन्नता भेल। 22 “हमरा पिता द्वारा सभ किछु हमरा हाथ मे सौंपल गेल अछि। पुत्र के छथि, से पिता केँ छोड़ि आरो केओ नहि जनैत अछि, और पिता के छथि, सेहो केओ नहि जनैत अछि—मात्र पुत्र और जकरा सभ पर पुत्र हुनका प्रगट करऽ चाहय, से जनैत अछि।” 23 तखन ओ अपना शिष्य सभक दिस घूमि कऽ नहुएँ जोर सँ कहलथिन, “अहाँ सभ धन्य छी जे, जे बात सभ देखि रहल छी से देखि पौलहुँ। 24 कारण, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे अपना समय मे एहन बहुत राजा और परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनि रहथि, जे सभ चाहलनि जे, जाहि बात सभ केँ अहाँ सभ देखि रहल छी, तकरा देखी, मुदा नहि देखलनि; और जे बात सभ अहाँ सभ सुनि रहल छी, से सुनी, मुदा नहि सुनलनि।” 25 एक बेर धर्म-नियमक एक पंडित उठि कऽ यीशु केँ जँचबाक लेल पुछलथिन, “गुरुजी, अनन्त जीवन प्राप्त करबाक लेल हम की करू?” 26 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्म-नियम मे की लिखल अछि? ओहि मे की पढ़ैत छी?” 27 ओ कहलथिन, “ ‘तोँ अपन प्रभु-परमेश्वर केँ अपन सम्पूर्ण मोन सँ, अपन सम्पूर्ण आत्मा सँ, अपन सम्पूर्ण शक्ति सँ और अपन सम्पूर्ण बुद्धि सँ प्रेम करह,’ और ‘तोँ अपना पड़ोसी केँ अपने जकाँ प्रेम करह।’” 28 यीशु कहलथिन, “अहाँ ठीक कहलहुँ। एना करू तँ जीवन पायब।” 29 मुदा ओ अपना केँ ठीक ठहरयबाक उद्देश्य सँ यीशु सँ पुछलथिन, “तँ हमर पड़ोसी के अछि?” 30 यीशु उत्तर देलथिन, “एक आदमी यरूशलेम सँ यरीहो नगर जा रहल छल कि डाकू सभ आबि कऽ ओकरा घेरि लेलकैक। ओकरा नाङट कऽ कऽ आ मारैत-मारैत अधमरू बना कऽ छोड़ि देलकैक। 31 संयोग सँ एक पुरोहित ओहि रस्ता सँ जा रहल छलाह। ओ जखन ओहि आदमी केँ देखलनि तँ रस्ता काटि कऽ आगाँ बढ़ि गेलाह। 32 तहिना मन्दिरक एक सेवक जखन ओहि स्थान पर अयलाह आ ओकरा देखलनि तँ ओहो रस्ता काटि कऽ आगाँ बढ़ि गेलाह। 33 मुदा सामरी जातिक एक आदमी जे ओहि दने जाइत रहय से ओकरा देखि कऽ दया सँ भरि गेल। 34 ओ ओकरा लग जा कऽ ओकर घाव सभ पर तेल और दारू लगा कऽ पट्टी बान्हि देलकैक। तखन ओकरा अपना गदहा पर बैसा कऽ एकटा सराय मे लऽ गेल और ओहिठाम ओकर सेवा कयलकैक। 35 प्रात भेने ओ दू चानीक रुपैया निकालि कऽ सरायक मालिक केँ दऽ कऽ कहलकनि, ‘हिनकर देखभाल करिऔन। एहि सँ बेसी जे खर्च पड़त से हम घुमती काल मे अहाँ केँ दऽ देब।’ 36 आब अहाँक विचार सँ, एहि तीनू मे सँ डाकू सभक हाथ मे पड़ल आदमीक पड़ोसी अपना केँ के बुझलक?” 37 धर्म-नियमक पंडित उत्तर देलथिन, “जे ओकरा पर दया कयलकैक, से।” यीशु कहलथिन, “अहूँ जा कऽ एहिना करू।” 38 यीशु और हुनकर शिष्य सभ आगाँ बढ़ि कऽ एक गाम मे अयलाह जतऽ मार्था नामक एक स्त्री अपना ओहिठाम हुनकर अतिथि-सत्कार कयलथिन। 39 ओहि स्त्री केँ मरियम नामक एकटा बहिन छलनि। ओ यीशुक पयर लग बैसि हुनकर बात सुनि रहल छलीह। 40 मुदा मार्था सेवा-सत्कारक भार सँ चिन्तित छलीह। ओ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “प्रभु, अहाँ केँ कनेको चिन्ता नहि अछि जे हमर बहिन सभटा काज करऽ लेल हमरा असगरे छोड़ि देने अछि? ओकरा हमर मदति करबाक लेल कहिऔक!” 41 प्रभु उत्तर देलथिन, “मार्था, अए मार्था! अहाँ बहुत बातक लेल चिन्तित छी, 42 मुदा बात एकेटा जरूरी अछि। मरियम वैह नीक बात चुनि लेने अछि और ओकरा सँ ओ नहि छिनल जयतैक।”
1 एक दिन यीशु कोनो स्थान पर प्रार्थना कऽ रहल छलाह। जखन ओ प्रार्थना समाप्त कयलनि तखन हुनकर एक शिष्य कहलथिन, “प्रभु, जहिना यूहन्ना अपना शिष्य सभ केँ प्रार्थना कयनाइ सिखौलनि, तहिना अहूँ हमरा सभ केँ सिखाउ।” 2 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “जखन अहाँ सभ प्रार्थना करब तँ एना कहू— हे पिता, अहाँक नाम पवित्र मानल जाय। अहाँक राज्य आबय। 3 हमरा सभ केँ प्रत्येक दिन भोजन दिअ, जे दिन प्रति दिन हमरा सभक लेल आवश्यक अछि। 4 हमरा सभक पाप क्षमा करू, किएक तँ हमहूँ सभ तकरा सभ केँ क्षमा करैत छी जे सभ हमरा सभक संग अपराध करैत अछि। और हमरा सभ केँ पाप मे फँसाबऽ वला बात सँ दूर राखू।” 5 तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “मानि लिअ जे अहाँ सभ मे सँ ककरो कोनो संगी होइक और ओ ओहि संगीक ओहिठाम दुपहरिया राति मे जा कऽ कहैक जे, ‘यौ मित्र, हमरा तीनटा रोटी दिअ। 6 कारण, हमर एक मित्र जे यात्रा पर छथि से हमरा ओतऽ एखने अयलाह अछि और हुनका भोजन करयबाक लेल हमरा लग किछु नहि अछि।’ 7 तँ की भीतर सँ ओकर संगी उत्तर देतैक जे, ‘हमरा तंग नहि करू। केबाड़ लागल अछि और धिआ-पुता सभ हमरा लग सुतल अछि। हम अहाँ केँ किछु देबाक लेल नहि उठि सकैत छी।’? 8 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, ओ जँ ओकर संगी रहबाक कारणेँ उठि कऽ रोटी नहि देतैक तैयो ओकरा निःसंकोच भऽ कऽ मँगबाक कारणेँ ओ उठि कऽ ओकरा जतेक आवश्यकता छैक ततेक देतैक। 9 हँ, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, माँगू तँ अहाँ केँ देल जायत। ताकू तँ अहाँ केँ भेटत। ढकढकाउ तँ अहाँक लेल खोलल जायत। 10 कारण, जे केओ मँगैत अछि, से प्राप्त करैत अछि। जे केओ तकैत अछि, तकरा भेटैत छैक। और जे केओ ढकढकबैत अछि, तकरा लेल खोलल जाइत छैक। 11 “अहाँ सभ मे सँ के एहन बाबू छी जे, बेटा जँ माछ माँगय तँ तकरा बदला मे साँप दिऐक? 12 वा जँ अण्डा माँगय तँ बीछ दिऐक? 13 जखन अहाँ सभ पापी होइतो अपना बच्चा सभ केँ नीक वस्तु सभ देनाइ जनैत छी, तँ अहाँ सभ सँ बढ़ि कऽ अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि, से मँगनिहार सभ केँ अपन पवित्र आत्मा किएक नहि देथिन?” 14 एक बेर यीशु एक बौक दुष्टात्मा केँ एक आदमी मे सँ निकालि रहल छलाह। दुष्टात्मा जखन निकलि गेल तँ बौक आदमी बाजऽ लागल। ई देखि लोक सभ चकित भऽ गेल। 15 मुदा कतेक गोटे कहऽ लागल, “ई तँ दुष्टात्मा सभक मुखिया बालजबूलक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत अछि।” 16 दोसर लोक हुनका जाँच करबाक लेल स्वर्ग सँ कोनो चमत्कारपूर्ण चिन्ह देखयबाक लेल कहलकनि। 17 मुदा यीशु ओकरा सभक विचार बुझि कऽ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जाहि राज्य मे फूट पड़ि जाय, से उजड़ि जाइत अछि, और जाहि परिवार मे फूट भऽ जाय से नष्ट भऽ जाइत अछि। 18 शैतान जँ स्वयं अपन विरोधी भऽ जाय तँ ओकर राज्य कोना टिकल रहतैक? हम ई बात एहि लेल कहैत छी जे अहाँ सभक कथन अछि जे हम दुष्टात्मा सभ केँ बालजबूलक शक्ति सँ निकालैत छी। 19 जँ हम बालजबूलक शक्ति सँ दुष्टात्मा निकालैत छी तँ अहाँ सभक चेला सभ ककरा शक्ति सँ निकालैत अछि? वैह सभ अहाँ सभक फैसला करत। 20 मुदा जँ हम परमेश्वरक शक्ति सँ दुष्टात्मा निकालैत छी तँ ई जानि लिअ जे परमेश्वरक राज्य अहाँ सभ लग पहुँचि गेल अछि। 21 “जखन कोनो बलगर आदमी हाथ-हथियार सँ लैस भऽ कऽ अपन घरक रखबारी करैत अछि तँ ओकर धन-सम्पत्ति सुरक्षित रहैत छैक। 22 मुदा जखन ओकरो सँ बलगर कोनो दोसर आदमी ओकरा पर आक्रमण कऽ कऽ ओकरा पराजित करैत छैक, तँ ओ ओकर सभ हथियार जाहि पर ओकरा पूरा भरोसा रहैत छैक, से छिनि लैत अछि आ ओकर सम्पत्ति लुटि कऽ अपना संगी सभ मे बाँटि दैत अछि। 23 “जे हमरा संग नहि अछि से हमरा विरोध मे अछि; जे हमरा संग जमा नहि करैत अछि से छिड़िअबैत अछि। 24 “जखन दुष्टात्मा कोनो आदमी मे सँ बहरा जाइत अछि तँ ओ दुष्टात्मा मरुभूमि मे आराम करबाक स्थानक खोज मे घुमैत रहैत अछि, मुदा ओकरा भेटैत नहि छैक। तखन ओ कहैत अछि, ‘हम अपन पहिलुके घर मे, जतऽ सँ बहरा कऽ आयल छलहुँ ततहि फेर जायब।’ 25 ओ जखन ओहिठाम पहुँचैत अछि और देखैत अछि जे ओ घर झाड़ल-बहारल साफ-सुथरा अछि, 26 तँ ओ जा कऽ अपनो सँ दुष्टाह सातटा आरो दुष्टात्मा केँ लऽ अनैत अछि आ ओ सभ ओहि घर मे अपन डेरा खसा लैत अछि। एहि तरहेँ ओहि आदमीक ई दशा पहिलुको दशा सँ खराब भऽ जाइत छैक।” 27 यीशु ई बात सभ कहिए रहल छलाह कि भीड़ मे एक स्त्री जोर सँ बाजि उठलि, “धन्य छथि ओ स्त्री जे अहाँ केँ जन्म देलनि और दूध पियौलनि!” 28 यीशु उत्तर देलथिन, “हँ, मुदा ताहू सँ धन्य छथि ओ सभ जे परमेश्वरक वचन सुनैत छथि और तकर पालन करैत छथि।” 29 जखन यीशुक चारू कात लोकक भीड़ बढ़ि गेल तँ ओ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “एहि पीढ़ीक लोक कतेक दुष्ट अछि! कारण, ई चमत्कार वला चिन्ह मँगैत अछि, मुदा जे घटना परमेश्वरक प्रवक्ता योनाक संग भेल छलनि, से चिन्ह छोड़ि कऽ एकरा सभ केँ आरो कोनो चिन्ह नहि देखाओल जयतैक। 30 जहिना योना निनवे नगरक निवासी सभक लेल चिन्ह बनलाह, तहिना मनुष्य-पुत्र एहि पीढ़ीक लेल चिन्ह रहत। 31 दक्षिण देशक रानी एहि पीढ़ीक लोकक संग न्यायक दिन मे ठाढ़ भऽ कऽ एकरा सभ केँ दोषी ठहरौतीह, किएक तँ ओ सुलेमान राजाक बुद्धिक बात सभ सुनबाक लेल पृथ्वीक दोसर कात सँ अयलीह, और हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, एतऽ एखन केओ एहन अछि जे सुलेमानो सँ महान् अछि। 32 निनवेक निवासी सभ न्यायक दिन मे एहि पीढ़ीक लोकक संग ठाढ़ भऽ कऽ एकरा सभ केँ दोषी ठहराओत, किएक तँ ओ सभ योनाक प्रचार सुनि कऽ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयलक, और हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, एतऽ एखन केओ एहन अछि जे योनो सँ महान् अछि। 33 “केओ डिबिया लेसि कऽ ओकरा नुका कऽ नहि रखैत अछि, आ ने पथिया सँ झँपैत अछि। ओ ओकरा लाबनि पर रखैत अछि, जाहि सँ भीतर आबऽ वला लोक सभ केँ इजोत भेटैक। 34 शरीरक डिबिया अहाँक आँखि भेल। जखन आँखि ठीक अछि तँ अहाँक सम्पूर्ण शरीर इजोत मे रहैत अछि, मुदा जखन अहाँक आँखि खराब अछि तँ सम्पूर्ण शरीर अन्हार मे अछि। 35 तेँ सावधान रहू जे कतौ अहाँक भितरी इजोत अन्हार नहि बनि जाय। 36 एहि लेल जँ अहाँक सौंसे शरीर इजोत मे अछि, कोनो अंग अन्हार मे नहि अछि, तँ ओ पूर्ण रूप सँ इजोत सँ चमकत, जहिना डिबिया अपना प्रकाश सँ अहाँ केँ आलोकित करैत अछि।” 37 यीशु जखन ई सभ बात कहब समाप्त कयलनि, तँ हुनका एक फरिसी भोजनक लेल निमन्त्रण देलथिन। यीशु हुनका ओहिठाम गेलाह आ भोजन करबाक लेल भीतर मे बैसलाह। 38 ई देखि जे यीशु भोजन करऽ सँ पहिने रीतिक अनुसार हाथ-पयर नहि धोलनि, फरिसी केँ बड्ड आश्चर्य लगलनि। 39 मुदा प्रभु हुनका कहलथिन, “अहाँ फरिसी सभ थारी-बाटी सभ केँ बाहर-बाहर तँ मँजैत छी, मुदा भीतर अहाँ सभ लोभ और दुष्टता सँ भरल छी। 40 है मूर्ख सभ! जे बाहरक भाग बनौलनि, की से भीतरको भाग नहि बनौलनि? 41 अहाँ सभक बाटी मे जे किछु अछि से गरीब सभ केँ दान करिऔक, तखन अहाँ सभक लेल सभ किछु शुद्ध होयत। 42 “यौ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, अहाँ सभ पुदीना, मसल्ला और छोट सँ छोट साग-पात सभक दसम अंश तँ परमेश्वर केँ अर्पण करैत छी, मुदा न्याय और परमेश्वरक प्रेम सँ कोनो मतलब नहि रखैत छी। होयबाक तँ ई चाहैत छल जे ओ सभ बात करैत परमेश्वरक प्रेम और न्याय पर ध्यान दितहुँ। 43 “यौ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, सभाघर सभ मे प्रमुख आसन पर बैसब और हाट-बजार मे लोकक प्रणाम स्वीकार करब अहाँ सभ केँ बहुत नीक लगैत अछि। 44 “हँ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, अहाँ बिनु चिन्हक कबर सनक छी जाहि पर लोक बिनु बुझने चलैत-फिरैत अछि।” 45 एहि पर धर्म-नियमक एक पंडित यीशु केँ उत्तर देलथिन, “गुरुजी, एहन बात सभ कहि कऽ अहाँ हमरो सभक अपमान करैत छी।” 46 यीशु कहलथिन, “हँ, अहूँ सभ जे धर्म-नियमक पंडित छी, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ लोक सभ पर तेहन बोझ लादि दैत छिऐक जे ओ सभ सहि नहि सकैत अछि और ओकरा सभ केँ बोझ उठाबऽ मे आङुरो भिड़ा कऽ मदति नहि करैत छिऐक। 47 “धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, अहाँ सभ परमेश्वरक ओहि प्रवक्ता सभक कबर पर चबुतराक निर्माण करैत छी जिनका अहाँ सभक पूर्वज सभ जान सँ मारि देलकनि। 48 एहि तरहेँ अहाँ सभ स्पष्ट करैत छी जे अपना पूर्वज सभक काज सँ सहमत छी। ओ सभ हुनका सभ केँ मारि देलकनि और अहाँ सभ हुनकर सभक कबर बनबैत छी। 49 एहि कारणेँ सर्वज्ञानी परमेश्वर कहलनि, ‘हम ओकरा सभक ओहिठाम अपन प्रवक्ता और दूत लोकनि केँ पठयबैक। ओ सभ हिनका सभ मे सँ कतेको गोटे केँ मारि देतनि और कतेको गोटे केँ सतौतनि।’ 50 तेँ सृष्टिक आरम्भ सँ परमेश्वरक जतेक प्रवक्ताक खून बहाओल गेल अछि तकर लेखा एहि पीढ़ीक लोक सँ लेल जायत, 51 अर्थात् हाबिलक खून सँ लऽ कऽ, मन्दिरक बलि-वेदी और ‘पवित्र स्थान’क बीच मे मारल गेल जकरयाहक खून धरिक लेखा। हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे तकर पूरा लेखा एही पीढ़ीक लोक सँ लेल जायत। 52 “यौ धर्म-नियमक पंडित सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, अहाँ सभ ओ कुंजी छिनि कऽ रखने छी जे ज्ञानक द्वारि खोलैत अछि। अहाँ सभ अपनो नहि प्रवेश कयलहुँ, और जे सभ प्रवेश कऽ रहल छल तकरो सभ केँ रोकि देलिऐक।” 53 जखन यीशु ओहिठाम सँ चल गेलाह तँ फरिसी और धर्मशिक्षक सभ हुनकर कड़ा विरोध करऽ लागल। ओ सभ एहि बातक घात लगा कऽ हुनका सँ विभिन्न विषय मे प्रश्न करऽ लगलनि जे हुनकर कोनो कहल बात द्वारा हुनका फँसाबी।
1 एम्हर हजारो-हजार लोकक भीड़ जुटि गेल, एतऽ तक जे लोक सभ एक-दोसर सँ पिचाय लागल। तखन यीशु सभ सँ पहिने अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “फरिसी सभक रोटी फुलाबऽ वला खमीर सँ सावधान रहू—हमर कहबाक अर्थ अछि, हुनका सभक कपटपन सँ। 2 एहन किछु नहि अछि जे झाँपल होअय आ उघारल नहि जायत, वा जे नुकाओल होअय आ प्रगट नहि कयल जायत। 3 अहाँ जे किछु अन्हार मे कहने छी से इजोत मे सुनल जायत, और जे किछु बन्द कयल कोठली मे कानो-कान फुसफुसा कऽ बाजल छी, से छत पर सँ घोषणा कयल जायत। 4 “हे हमर मित्र सभ, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, तकरा सभ सँ नहि डेराउ जे सभ शरीर केँ मारि दैत अछि मुदा आओर किछु नहि कऽ सकैत अछि। 5 किनका सँ डेराइ से हम कहैत छी—तिनका सँ डेराउ, जिनका अहाँक शरीर केँ मारि देलाक बाद अहाँ केँ नरको मे फेकबाक अधिकार छनि। हँ, हुनके सँ डेराउ! 6 की दू पाइ मे पाँचटा बगेड़ी नहि बिकाइत अछि? तैयो परमेश्वर ओकरा सभ मे सँ एकोटा केँ नहि बिसरैत छथि। 7 हँ, अहाँ सभक माथक एक-एकटा केशो गनल अछि। नहि डेराउ—अहाँ सभ बहुतो बगेड़ी सँ मूल्यवान छी! 8 “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जे केओ मनुष्यक सामने हमरा अपन प्रभु मानि लेत, तकरो मनुष्य-पुत्र परमेश्वरक स्वर्गदूत सभक सामने अपन लोक मानि लेतैक। 9 मुदा जे केओ मनुष्यक सामने हमरा अस्वीकार करत, तकरो हम परमेश्वरक स्वर्गदूत सभक सामने अस्वीकार करबैक। 10 और जे केओ मनुष्य-पुत्रक विरोध मे कोनो बात कहत, तकरा क्षमा कयल जयतैक, मुदा जे केओ पवित्र आत्माक निन्दा करत, तकरा क्षमा नहि कयल जयतैक। 11 “जखन लोक सभ अहाँ सभ केँ सभाघर, शासक सभ और अधिकारी सभक समक्ष लऽ जायत, तँ एकर चिन्ता नहि करू जे हम अपन वयान मे की उत्तर देबैक वा की कहबैक, 12 किएक तँ पवित्र आत्मा ओही घड़ी अहाँ सभ केँ सिखा देताह जे की कहबाक चाही।” 13 तखन भीड़ मे सँ केओ यीशु केँ कहलकनि, “यौ गुरुजी, हमरा भैया केँ हमरा संग बाबूक सम्पत्तिक बटबारा करबाक लेल कहिऔन।” 14 मुदा ओ उत्तर देलथिन, “हौ भाइ, हमरा तोहर सभक पंच वा बटबारा करऽ वला के बनौलक?” 15 तखन ओ लोक सभ केँ कहलथिन, “सावधान! सभ तरहक लोभ सँ बाँचल रहू! कारण, मनुष्यक जीवन ओकर धन-सम्पत्ति पर निर्भर नहि रहैत छैक, ओ चाहे कतबो धनिक होअय।” 16 तखन ओ ओकरा सभ केँ ई दृष्टान्त दऽ कऽ कहलथिन, “कोनो धनी आदमीक खेत मे बहुत उपजा भेलैक। 17 ओ मोने-मोन सोचलक जे, ‘आब हम की करू? हमरा लग अपन अन्न रखबाक लेल जगहे नहि अछि।’ 18 तखन सोचलक, ‘हम एना करब—ई सभ बखारी तोड़ि कऽ आरो नमहर-नमहर बना लेब, और ओही सभ मे हम अपन सभ अन्न और धन-सम्पत्ति राखब। 19 तखन हम अपना केँ कहब, ले, तोरा बहुते वर्षक लेल सम्पत्ति राखल छौ। आब आराम कर, खो-पी और आनन्द कर!’ 20 मुदा परमेश्वर ओकरा कहलथिन, ‘है मूर्ख, आइए राति तोहर प्राण तोरा सँ लऽ लेल जयतौ। तखन अपना लेल एतेक जे जमा कऽ लेलें, से ककर होयतैक?’” 21 यीशु आगाँ कहलथिन, “एहने दशा तकरा होयतैक जे केओ अपना लेल धन जुटबैत अछि मुदा परमेश्वरक नजरि मे धनिक नहि अछि।” 22 तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, प्राणक लेल चिन्ता नहि करू जे हम की खायब, आ ने शरीरक लेल चिन्ता करू जे की पहिरब। 23 कारण, प्राण भोजन सँ महत्वपूर्ण अछि आ शरीर वस्त्र सँ। 24 कौआ केँ देखू। ओ सभ ने बाउग करैत अछि आ ने कटनी। ओकरा सभ केँ ने कोठी छैक आ ने बखारी। तैयो परमेश्वर ओकरा सभ केँ खुअबैत छथिन। और अहाँ सभ तँ चिड़ै सभ सँ कतेक मूल्यवान छी! 25 अहाँ सभ मे सँ के चिन्ता कऽ कऽ अपन उमेर केँ एको पल बढ़ा सकैत छी? 26 जँ ई छोट सँ छोट बात नहि कऽ सकैत छी, तँ आओर बातक चिन्ता किएक करैत छी? 27 “मैदानक फूल सभ केँ देखू, जे कोना बढ़ैत अछि। ओ सभ ने खटैत अछि आ ने चर्खा कटैत अछि। तैयो हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, राजा सुलेमान सेहो अपन राजसी वस्त्र पहिरि कऽ एहि फूल सन सुन्दर नहि लगैत छलाह। 28 परमेश्वर जँ घास केँ, जे आइ मैदान मे अछि और काल्हि आगि मे फेकल जायत, एहि प्रकारेँ हरियरी सँ भरल रखैत छथि, तँ ओ अहाँ सभ केँ आओर किएक नहि पहिरौताह-ओढ़ौताह? अहाँ सभ केँ कतेक कम विश्वास अछि! 29 तेँ अहाँ सभ अपन मोन एहि सोच मे नहि लगौने रहू जे, हम की खायब और की पीब। एकर चिन्ता मे नहि लागल रहू। 30 एहि संसारक लोक सभ, जे परमेश्वर केँ नहि चिन्हैत छनि, से सभ एहि बात सभक पाछाँ दौड़ैत रहैत अछि। अहाँ सभक पिता तँ जनैत छथि जे अहाँ सभ केँ एहि बात सभक आवश्यकता अछि। 31 नहि! परमेश्वरक राज्य पर मोन लगाउ, और इहो वस्तु सभ अहाँ केँ देल जायत। 32 “हे हमर भेँड़ाक छोट समूह, नहि डेराउ, किएक तँ अहाँ सभक पिता खुशी सँ अपन राज्य अहाँ सभ केँ देबाक निर्णय कऽ लेने छथि। 33 अपन सम्पत्ति बेचि कऽ गरीब सभ केँ दिअ। अपना लेल एहन बटुआ बना लिअ जे कहियो नहि पुरान होइत अछि, स्वर्ग मे धन जमा करू जे कहियो घटैत नहि अछि, जकरा ने चोर छुबि सकैत अछि आ ने कीड़ा नोकसान कऽ सकैत अछि। 34 कारण, जतऽ अहाँक धन अछि ततहि अहाँक मोनो लागल रहत। 35 “अहाँ सभ अपन डाँड़ कसने रहू, और डिबिया लेसने रहू। 36 ओहि नोकर सभ जकाँ रहू जे अपना मालिकक बाट ताकि रहल अछि जे, ओ विवाहक भोज खा कऽ कखन औताह जाहि सँ जखने आबि केबाड़ खटखटौताह तँ तुरत्ते खोलि दियनि। 37 कतेक नीक ओहि नोकर सभक लेल होयतैक, जकरा सभ केँ मालिक अयला पर प्रतीक्षा करैत पौताह। हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, मालिक अपन फाँड़ बान्हि कऽ ओकरा सभ केँ भोजन करबाक लेल बैसौथिन, और अपने सँ ओकरा सभ केँ परसि कऽ खुऔथिन। 38 हँ, ओहि नोकर सभक लेल कतेक नीक होयत, जकरा सभ केँ मालिक रातिक दोसरो वा तेसरो पहर मे आबि कऽ तैयार पौथिन। 39 मुदा ई बात जानि लिअ जे, घरक मालिक जँ बुझने रहैत जे चोर कय बजे आबि रहल अछि, तँ ओ अपना घर मे सेन्ह नहि काटऽ दैत। 40 अहूँ सभ सदिखन तैयार रहू, कारण मनुष्य-पुत्र एहने समय मे आबि जयताह जाहि समयक लेल अहाँ सभ सोचबो नहि करब जे ओ एखन औताह।” 41 पत्रुस पुछलथिन, “प्रभु, की ई दृष्टान्त अहाँ हमरे सभक लेल कहि रहल छी, वा सभक लेल?” 42 प्रभु उत्तर देलथिन, “तँ के अछि ओहन विश्वासपात्र आ बुद्धिमान भण्डारी जकरा मालिक अपना नोकर-चाकर सभक मुखिया बना दैत छथि जे ओ निश्चित समय पर ओकरा सभ केँ निर्धारित भोजन दैक? 43 ओहि सेवकक लेल कतेक नीक होयत, जकरा मालिक आबि कऽ ओहिना करैत पौताह। 44 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, मालिक अपन सम्पूर्ण सम्पत्तिक जबाबदेही ओकरा जिम्मा मे दऽ देथिन। 45 मुदा जँ ओ सेवक अपना मोन मे सोचऽ लागय जे, ‘हमर मालिक आबऽ मे बहुत देरी कऽ रहल अछि,’ और ओ नोकर-नोकरनी सभ केँ मारऽ-पिटऽ लागय आ खाय-पिबऽ मे लागि कऽ मातल रहऽ लागय, 46 तँ ओकर मालिक एहन दिन मे घूमि औताह जहिया ओ हुनकर बाट नहि तकैत रहत आ एहन समय मे औताह जकरा ओ नहि जानत। मालिक ओकरा खण्डी-खण्डी कऽ देथिन और ओकर अन्त ओहन होयतैक जे अविश्वासी सभक होइत छैक। 47 “ओ सेवक जे अपन मालिकक इच्छा तँ जनैत अछि मुदा तकरा पूरा करबाक लेल किछु नहि करैत अछि, से बहुत मारि खायत। 48 मुदा जे नहि जनैत अछि आ तखन मारि खाय जोगरक काज करैत अछि, से कम मारि खायत। जकरा बहुत देल गेल छैक, तकरा सँ बहुत माँगलो जयतैक, आ जतेक आओर बेसी ककरो देल गेल छैक, ततेक आओर फेर ओकरा घुमाबऽ पड़तैक। 49 “हम पृथ्वी पर आगि लगाबऽ आयल छी, और हमरा बड्ड इच्छा अछि जे ओ एखने सुनगि गेल रहैत। 50 मुदा हमरा एकटा बड़का कष्ट भोगबाक अछि, और जाबत तक ओ बात पूर्ण नहि होयत, ताबत तक हम कतेक व्याकुल छी! 51 की अहाँ सभ सोचैत छी जे हम पृथ्वी पर मेल-मिलाप करयबाक लेल आयल छी? नहि! हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, मेल-मिलाप नहि, बल्कि फूट! 52 आब सँ एके परिवार मे पाँच व्यक्ति एक-दोसराक विरोधी भऽ जायत, तीन गोटेक विरोध मे दू, आ दू गोटेक विरोध मे तीन। 53 अपना मे फूट भऽ जायत—बाबू बेटाक विरोध मे, आ बेटा बाबूक विरोध मे, माय बेटीक विरोधी, आ बेटी मायक, सासु पुतोहुक विरोधी, आ पुतोहु सासुक।” 54 यीशु भीड़क लोक सभ केँ इहो कहलथिन, “पश्चिम मे मेघ उठैत देखिते अहाँ सभ कहैत छी जे, वर्षा होयत, और से होइतो अछि। 55 और जखन दछिनाही बहैत देखैत छी तँ कहैत छी जे, बड्ड गर्मी पड़त, और से पड़बो करैत अछि। 56 यौ पाखण्डी सभ! पृथ्वी और आकाशक लक्षण अहाँ सभ चिन्हि लैत छी, तँ एहि वर्तमान समयक लक्षण सभ किएक नहि चिन्हैत छी? 57 “अहाँ सभ अपने किएक नहि निर्णय करैत छी जे उचित की अछि? 58 केओ अहाँ पर मोकदमा कऽ कऽ कचहरी लऽ जा रहल अछि, तँ बाटे मे ओकरा संग समझौता करबाक प्रयत्न करू। एना नहि होअय जे ओ अहाँ केँ न्यायाधीशक समक्ष बलजोरी लऽ जाय, न्यायाधीश अहाँ केँ सिपाहीक हाथ मे दऽ देअय, आ सिपाही अहाँ केँ जहल मे बन्द कऽ देअय। 59 हम अहाँ केँ कहैत छी जे, जाबत धरि अहाँ पाइ-पाइ कऽ सधा नहि देबैक, ताबत धरि ओतऽ सँ नहि छुटब।”
1 तखने किछु लोक यीशु लग आबि कऽ हुनका किछु गलीली सभक बारे मे सुनौलकनि जे, कोना ओ सभ जखन बलि चढ़ा रहल छल तँ राज्यपाल पिलातुस ओकर सभक हत्या करबा देलथिन। 2 यीशु उत्तर देलथिन, “की अहाँ सभ बुझैत छी जे ई गलील निवासी सभ आओर सभ गलील निवासी सँ अधिक पापी छल जे ओकरा सभ पर ई विपत्ति अयलैक? 3 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, नहि! मुदा अहाँ सभ जँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन नहि करब, तँ अहूँ सभ एहिना नाश होयब। 4 वा ओ अठारह गोटे जकरा सभ पर शिलोहक मिनार खसि पड़ल आ पिचा कऽ मरि गेल, की अहाँ सभ बुझैत छी जे ओ सभ यरूशलेमक आओर सभ निवासी सँ बेसी दोषी छल? 5 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, नहि! मुदा अहाँ सभ जँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन नहि करब, तँ अहूँ सभ एहिना नाश होयब।” 6 यीशु ओकरा सभ केँ ई दृष्टान्त दऽ कऽ कहलथिन, “एक आदमीक अंगूर-उद्यान मे एक अंजीरक गाछ छल। ओ ओहि सँ फल तोड़बाक लेल गेल, मुदा ओकरा किछुओ नहि भेटलैक। 7 तखन ओ माली केँ कहलकैक, ‘देखह! हम तीन वर्ष सँ एहि गाछ सँ अंजीर तोड़ऽ अबैत छी, मुदा ई कोनो फले नहि दैत अछि। एकरा काटि दैह। ई बेकार जगहो छेकने अछि।’ 8 माली उत्तर देलकैक, ‘सरकार, एकरा एक वर्ष आओर रहऽ देल जाओ। हम एकरा चारू कात कोड़ि कऽ गोबर पटा देबैक। 9 तखन अगिला वर्ष जँ फड़त, तँ ठीक, नहि तँ अपने एकरा कटबा देबैक।’” 10 एक विश्राम-दिन मे यीशु एकटा सभाघर मे उपदेश दऽ रहल छलाह। 11 ओहिठाम एक स्त्री छलि जकरा अठारह वर्ष सँ दुष्टात्मा लगबाक कारणेँ डाँड़ टुटल छलैक। ओ एकदम झुकल रहैत छलि और कनेको सोझ नहि भऽ सकैत छलि। 12 यीशु ओकरा देखि बजा कऽ कहलथिन, “बहिन, अहाँ अपना कष्ट सँ मुक्त भऽ गेलहुँ।” 13 तखन ओ ओकरा पर हाथ रखलनि, और ओ तुरत्ते सोझ भऽ गेलि आ परमेश्वरक स्तुति करऽ लागलि। 14 एहि पर सभाघरक अधिकारी तमसा गेलाह जे यीशु किएक विश्राम-दिन मे ककरो ठीक कयलनि, और ओ लोक सभ केँ कहलथिन, “छओ दिन अछि जाहि मे काज करबाक चाही। ओहि छओ दिन मे आउ और स्वस्थ कऽ देबाक लेल कहू, नहि कि विश्राम-दिन मे।” 15 प्रभु हुनका उत्तर देलथिन, “हे पाखण्डी सभ! की अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक आदमी विश्राम-दिन मे अपन बड़द वा गदहा केँ थरि सँ खोलि कऽ पानि पिअयबाक लेल नहि लऽ जाइत छी? 16 तँ ई स्त्री जे अब्राहमक वंशज अछि, और जे अठारह वर्ष सँ शैतानक बन्हन मे छलि, की एकरा विश्राम-दिन मे एहि बन्हन सँ मुक्त नहि करबाक चाही?” 17 यीशु जखन ई बात कहलनि तँ हुनकर सभ विरोधी लज्जित भऽ गेल। मुदा लोक सभ हुनकर नीक-नीक काज सभ देखि अति आनन्दित भेल। 18 तखन यीशु कहलनि, “परमेश्वरक राज्य केहन अछि? ओकर तुलना हम कोन चीज सँ करू? 19 ओ सरिसोक दाना जकाँ अछि जकरा किसान अपना बाड़ी मे बाउग कयलक। ओ बढ़ि कऽ नमहर गाछ बनि गेल, और ओकर ठाढ़ि मे आकाशक चिड़ै सभ आबि कऽ अपन खोंता बना लेलक।” 20 यीशु फेर कहलनि, “परमेश्वरक राज्यक हम कोन चीज सँ तुलना करू? 21 ओ ओहि खमीर जकाँ अछि जकरा एक स्त्री तीन पसेरी आँटा मे मिला कऽ सनलक। बाद मे खमीरक शक्ति सँ पूरा आँटा फुलि गेलैक।” 22 तखन यीशु नगर-नगर और गाम-गाम घूमि कऽ लोक सभ केँ उपदेश दैत यरूशलेम दिस बढ़ऽ लगलाह। 23 केओ हुनका सँ पुछलकनि, “प्रभु, की उद्धार पौनिहार किछुए लोक मात्र होयत?” 24 ओ उत्तर देलथिन, “द्वारिक चौराइ कम अछि तेँ पूरा शक्ति सँ प्रवेश करबाक कोशिश करू। कारण, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एहन बहुतो लोक होयत जे प्रवेश करऽ चाहत मुदा कऽ नहि सकत। 25 जखन घरक मालिक उठि कऽ केबाड़ बन्द कऽ लेताह तँ अहाँ सभ बाहर ठाढ़ भऽ कऽ केबाड़ केँ ढकढका कऽ कहऽ लागब जे, ‘प्रभु, हमरा सभक लेल खोलि दिअ।’ ओ उत्तर देताह, ‘हम तोरा सभ केँ नहि चिन्हैत छिअह आ नहि जनैत छिअह जे कतऽ सँ आयल छह।’ 26 तखन अहाँ सभ कहऽ लागब जे, ‘हम सभ तँ अहाँक संग खयलहुँ-पिलहुँ, और अहाँ हमरा सभक गाम-घर मे उपदेश देलहुँ।’ 27 मुदा ओ कहताह, ‘हम तोरा सभ केँ नहि चिन्हैत छिअह, आ नहि जनैत छिअह जे कतऽ सँ आयल छह। है कुकर्मी सभ, तोँ सभ गोटे हमरा लग सँ भाग!’ 28 अहाँ सभ जखन अब्राहम, इसहाक, याकूब आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभ केँ परमेश्वरक राज्य मे देखबनि और अपना केँ बाहर निकालल पायब तखन अहाँ सभ कानब और दाँत कटकटायब। 29 लोक पूब आ पश्चिम, उत्तर आ दक्षिण सँ आबि कऽ परमेश्वरक राज्य मे भोज खयबाक लेल बैसत। 30 हँ, कतेक लोक जे एखन पाछाँ अछि से तखन आगाँ रहत, आ कतेक लोक जे एखन आगाँ अछि से तखन पाछाँ रहत।” 31 तखने किछु फरिसी सभ आबि कऽ यीशु केँ कहलथिन, “अहाँ एहिठाम सँ चल जाउ, कारण हेरोद अहाँ केँ मारि देबऽ चाहैत अछि।” 32 ओ उत्तर देलथिन, “जा कऽ ओहि नढ़िया केँ कहि दिऔक जे, हम आइ और काल्हि दुष्टात्मा निकालबाक और बिमार लोक सभ केँ नीक करबाक अपन काज करैत रहब, और परसू हम अपन लक्ष्य पूरा करब। 33 हमरा आइ, काल्हि और परसू आगाँ बढ़ैत रहबाक अछि, किएक तँ ई कोना होयत जे परमेश्वरक कोनो प्रवक्ता यरूशलेम छोड़ि कोनो दोसर ठाम मारल जाय? 34 “हे यरूशलेम! हे यरूशलेम! तोँ प्रभुक प्रवक्ता सभक हत्या करैत छह आ जिनका परमेश्वर तोरा लग पठबैत छथुन, तिनका सभ केँ तोँ पथरबाहि कऽ कऽ मारि दैत छहुन। हम कतेको बेर चाहलिअह जे जहिना मुर्गी अपना बच्चा सभ केँ अपन पाँखिक तर मे नुकबैत अछि, तहिना हमहूँ तोहर सन्तान सभ केँ जमा कऽ लिअह। मुदा तोँ ई नहि चाहलह! 35 देखह, आब तोहर घर उजड़ल पड़ल छह। हम तोरा कहैत छिअह, तोँ हमरा फेर ताबत तक नहि देखबह जाबत तक ओ समय नहि आओत जहिया तोँ ई कहबह जे, ‘धन्य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि!’”
1 एक विश्राम-दिन यीशु एक मुख्य फरिसीक घर भोजन करबाक लेल गेलाह। फरिसी सभ हुनका पर घात लगौने छलाह। 2 यीशुक ठीक सामने मे एक आदमी छल, जकर देह-हाथ बिमारी सँ फुलि गेल छलैक। 3 यीशु धर्म-नियमक पंडित और फरिसी सभ सँ पुछलथिन, “की विश्राम-दिन मे रोगी केँ स्वस्थ करब धर्म-नियमक अनुसार उचित होयत वा नहि?” 4 मुदा ओ सभ एकर किछु उत्तर नहि देलथिन। यीशु ओहि आदमी केँ हाथ सँ पकड़ि कऽ नीक कऽ देलथिन और जाय देलथिन। 5 तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ मे एहन के छी, जकर बेटा वा बड़द जँ विश्राम-दिन मे इनार मे खसि पड़य तँ ओकरा तुरत्ते बाहर नहि निकालब?” 6 ओ सभ फेर किछु उत्तर नहि दऽ सकलथिन। 7 यीशु जखन निमन्त्रित लोक सभ केँ अपना लेल मुख्य-मुख्य आसन चुनैत देखलनि, तँ हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त दऽ कऽ सिखाबऽ लगलथिन जे, 8 “अहाँ सभ केँ जखन केओ विवाह मे निमन्त्रित करय तँ मुख्य आसन पर नहि बैसू। कतौ एना नहि होअय जे अहूँ सँ प्रतिष्ठित व्यक्ति सेहो आमन्त्रित होथि 9 और जे घरबैआ अहाँ दूनू गोटे केँ नोत देने छथि से आबि कऽ अहाँ केँ कहथि जे, ‘एहिठाम हिनका बैसऽ दिऔन।’ तखन अहाँ केँ लाजक अनुभव होयत आ सभ सँ नीच स्थान पर बैसऽ पड़त। 10 नहि, अहाँ केँ जखन केओ नोत दिअय, तँ जा कऽ सभ सँ नीच स्थान पर बैसू जाहि सँ घरबैआ जखन औताह तँ अहाँ केँ कहथि, ‘यौ संगी, चलू, एम्हर नीक आसन पर बैसू।’ एहि तरहेँ अतिथि सभक सामने अहाँक आदर कयल जायत। 11 हँ, जे केओ अपना केँ पैघ बनाबऽ चाहैत अछि, से छोट बनाओल जायत, और जे केओ अपना केँ छोट बुझैत अछि, से पैघ बनाओल जायत।” 12 तखन यीशु घरबैआ केँ कहलथिन, “जखन लोक केँ भोजन करबाक वा भोज खयबाक नोत दैत छी, तँ अपना संगी-साथी, कुटुम्ब-परिवारक लोक वा धनी-मनी पड़ोसी सभ केँ नहि बजाउ। ओकरा सभ केँ जँ बजायब तँ बहुत सम्भावना अछि जे ओ सभ अहूँ केँ फेर बजाओत, और एहि तरहेँ अहाँ केँ तकर बदला भेटि जायत। 13 नहि, अहाँ जखन भोज करी तँ गरीब, लुल्ह-नाङड़ और आन्हर सभ केँ बजाउ। 14 अहाँ धन्य होयब, कारण ओ सभ अहाँ केँ फेर बजा कऽ तकर बदला नहि दऽ सकत; अहाँ तकर बदला तहिया पायब जहिया धर्मी सभ मृत्यु सँ जीबि उठताह।” 15 ई सुनि यीशुक संग भोजन पर बैसल एक आदमी कहलकनि, “धन्य अछि ओ सभ जे परमेश्वरक राज्यक भोज खाय पाओत!” 16 यीशु उत्तर देलथिन, “एक बेर एक आदमी बड़का भोज कऽ कऽ बहुत लोक केँ निमन्त्रण देलनि। 17 भोजक सामग्री तैयार भेला पर, जकरा सभ केँ ओ नोत देने छलथिन, तकरा सभ लग ई कहबाक लेल अपना नोकर केँ पठौलथिन जे, ‘चलै जाइ जाउ, बिझो भेल, सभ वस्तु ठीक भऽ गेल अछि।’ 18 मुदा ओ सभ एक-एक कऽ बहाना करऽ लागल। पहिल आदमी कहलकैक, ‘हम एकटा खेत किनने छी और ओकरा एखन देखऽ जयबाक अछि। कृपा कऽ कऽ हमरा माफ करू।’ 19 दोसर कहलकैक, ‘हम पाँच जोड़ बड़द किनने छी, और ओकरा सभ केँ जोति कऽ जँचबाक लेल हम एखन विदा भऽ गेल छी। कृपा कऽ कऽ हमरा माफ करू।’ 20 फेर तेसर कहलकैक, ‘हम एखने विवाह कयलहुँ, तेँ हम नहि आबि सकैत छी।’ 21 नोकर घूमि कऽ सभटा बात अपना मालिक केँ कहलकनि। तखन घरबैआ तामसे-पित्ते नोकर केँ अढ़ौलनि जे, ‘जल्दी-जल्दी नगरक बाट और गली सभ मे जाह और गरीब, लुल्ह-नाङड़ और आन्हर सभ केँ बजा लाबह।’ 22 कनेक काल मे नोकर आबि कऽ कहलकनि, ‘मालिक, अपने जहिना हमरा कहलहुँ तहिना हम कयलहुँ, तैयो बैसबाक जगह बाँकिए अछि।’ 23 तँ मालिक ओकरा उत्तर देलथिन, ‘तखन बाहर देहातोक सड़क और आरि-धुर पर सँ लोक सभ केँ बलजोरी बजा कऽ लाबह, जाहि सँ हमर घर भरि जाय। 24 हम तोरा सभ केँ कहैत छिअह जे, जकरा सभ केँ हम पहिने नोत देने छलिऐक, ताहि मे सँ एको गोटे हमर एहि भोज मे सँ किछु नहि चिखऽ पाओत।’” 25 आब बहुत बड़का भीड़ यीशुक संग चलि रहल छलनि। ओ ओकरा सभ दिस घूमि कऽ कहलथिन, 26 “जँ केओ हमरा लग आओत, और अपन माय-बाबू, स्त्री, धिआ-पुता और भाय-बहिन केँ, और हँ, अपना प्राणो केँ अप्रिय नहि बुझत, तँ ओ हमर शिष्य नहि बनि सकैत अछि। 27 जे केओ हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार भऽ हमरा पाछाँ नहि चलैत अछि, से हमर शिष्य नहि बनि सकैत अछि। 28 “तहिना, मानि लिअ जे अहाँ सभ मे सँ केओ बड़का घर बनाबऽ चाहत, तँ की ओ पहिने बैसि कऽ हिसाब नहि करत जे एहि मे कतेक खर्च लागत, पूरा करबाक लेल हमरा लग पाइ अछि वा नहि? 29 किएक तँ ओ जँ शुरू करत आ न्यो राखि कऽ घर पूरा नहि कऽ सकत, तँ जतेक लोक देखतैक, से सभ ओकरा हँसी उड़ाबऽ लगतैक जे, 30 ‘ई घर बनाबऽ लागल और बीचहि मे छोड़ऽ पड़लैक!’ 31 “वा मानि लिअ जे कोनो राजा दोसर राजा सँ युद्ध करबाक लेल बहरा रहल अछि। तँ की ओ पहिने बैसि कऽ नीक जकाँ विचार नहि कऽ लेत जे, जे राजा बीस हजार सैनिक लऽ कऽ हमरा पर आक्रमण करऽ आबि रहल अछि, की तकर सामना हम दस हजार सैनिक लऽ कऽ कऽ सकब? 32 जँ ओकरा होयतैक जे नहि कऽ सकब, तँ ओहि राजा केँ दूर रहिते ओ दूत सभ केँ पठा कऽ मेल-मिलापक समझौताक लेल आग्रह करतैक। 33 तहिना, अहाँ सभ मे सँ जे केओ अपन सभ किछु केँ त्यागि नहि देत, से हमर शिष्य नहि बनि सकैत अछि। 34 “नून नीक वस्तु अछि, मुदा जँ ओकर स्वाद समाप्त भऽ जाइक तँ कोन वस्तु सँ ओकरा फेर नूनगर बनाओल जा सकत? 35 ओ ने जमीनक लेल उपयुक्त होयत आ ने खादक लेल। तखन ओ फेकले जायत। जकरा सुनबाक लेल कान होइक, से सुनओ।”
1 कर असूल करऽ वला और “पापी” सभ यीशु लग हुनकर शिक्षा सुनबाक लेल जमा भऽ रहल छल। 2 मुदा फरिसी और धर्मशिक्षक सभ दूसऽ लगलाह जे, “ई तँ पापी सभ केँ स्वागत करैत अछि और ओकरा सभक संग खाइतो अछि।” 3 तखन यीशु हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त देलथिन, 4 “मानि लिअ जे अहाँ सभ मे सँ ककरो जँ एक सय भेँड़ा होअय और एकटा हेरा जाय, तँ की ओ अपन निनान्नबे केँ बाध मे छोड़ि हेरायल भेँड़ा केँ ताबत धरि नहि तकैत रहत जाबत धरि ओ नहि भेटतैक? 5 तकरबाद भेटि गेला पर ओ कतेक प्रसन्न होयत! अपना भेँड़ा केँ कान्ह पर उठा कऽ घर चल आओत 6 और अपन संगी-साथी, पड़ोसी सभ केँ बजा कऽ कहतैक जे, ‘हमरा संग आनन्द मनाउ, किएक तँ हमर हेरायल भेँड़ा भेटि गेल।’ 7 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एहि तरहेँ निनान्नबे एहन धर्मी सभ जे ई बुझैत अछि जे हमरा अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करबाक कोनो आवश्यकता नहि अछि, स्वर्ग मे ओकरा सभक अपेक्षा ओहि एक पापीक लेल बेसी आनन्द मनाओल जायत जे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करैत अछि। 8 “वा मानि लिअ जे कोनो स्त्री केँ दसटा चानीक रुपैया होइक और एकटा हेरा जाइक, तँ की ओ डिबिया लेसि कऽ घर बहारि कऽ ओ रुपैया जा धरि नहि भेटि जयतैक ता धरि बढ़ियाँ जकाँ तकैत नहि रहत? 9 तकरबाद रुपैया भेटला पर ओ अपन सहेली और पड़ोसी सभ केँ बजा कऽ कहतैक जे, ‘हमरा संग आनन्द मनाउ, किएक तँ हमर हेरायल रुपैया फेर भेटि गेल।’ 10 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एही तरहेँ एकोटा पापी जे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करैत अछि, तकरा लेल परमेश्वरक स्वर्गदूत सभ आनन्द मनबैत छथि।” 11 यीशु आगाँ कहलथिन, “एक आदमी केँ दूटा बेटा रहनि। 12 छोटका अपना बाबू केँ कहलकनि, ‘यौ बाबूजी! हमर अंश-सम्पत्ति जे-जतेक होयत, से एखने हमरा बाँटि कऽ दऽ दिअ।’ एहि पर बाबू दूनू बेटा मे अपन धन-सम्पत्ति बाँटि देलथिन। 13 “किछु दिनक बाद छोटका बेटा अपन सभ धन-सम्पत्ति लऽ कऽ दूर परदेश चल गेल। ओतऽ ओ भोग-विलास मे अपन सभ धन उड़ा लेलक। 14 ओकर सभ धन खर्च भऽ गेलाक बाद, ओहि देश मे बहुत भारी रौदी पड़लैक, और ओ बड़का विपत्ति मे पड़ि गेल। 15 तखन ओ ओहि देशक एक आदमीक शरण मे गेल, जे ओकरा अपना खेत मे सुगर चरयबाक लेल पठौलकैक। 16 ओकरा बड्ड इच्छा भेलैक जे, जे खोंइचा सुगर सभ खा रहल अछि ताहि सँ हम अपनो पेट भरितहुँ, मुदा ओकरा केओ किछु नहि दैत छलैक। 17 “तखन ओकरा होश अयलैक, और ओ सोचऽ लागल जे, हमर बाबूजीक ओतेक नोकर-चाकर सभ भरि पेट भोजन पबैत अछि, और हम एतऽ भूख सँ मरऽ-मरऽ पर छी। 18 हम अपना बाबूक ओहिठाम जा कऽ ई कहबनि जे, बाबूजी, हम परमेश्वरक विरोध मे और अहाँक विरोध मे पाप कयने छी। 19 हम आब अहाँक बालक कहयबा जोगरक नहि छी। अपना नोकर सभ जकाँ हमरो एकटा नोकर मानू। 20 “एना विचार कऽ कऽ ओ उठल आ अपना बाबूक ओहिठाम जयबाक लेल विदा भऽ गेल। ओ घर सँ दूरे छल कि ओकर बाबू ओकरा चिन्हि गेलथिन और हुनकर हृदय दया सँ भरि गेलनि। ओ दौड़ि कऽ अपना बेटा केँ भरि पाँज पकड़ि ओकरा चुम्मा लेबऽ लगलथिन। 21 बेटा हुनका कहलकनि, ‘बाबूजी, हम परमेश्वरक विरोध मे और अहाँक विरोध मे पाप कयने छी। हम आब अहाँक पुत्र कहयबा जोगरक नहि छी।’ 22 मुदा पिता अपना नोकर सभ केँ कहलथिन, ‘जल्दी सँ बढ़ियाँ-बढ़ियाँ कपड़ा आनि कऽ एकरा पहिरा दहक, हाथ मे औँठी लगा दहक, पयर मे जुत्ता सेहो पहिरा दहक, 23 और ओ मोटका पशु जे पोसि कऽ रखने छी, तकरा काटह! हम सभ भोज कऽ कऽ खुशी मनायब, 24 किएक तँ ई हमर बेटा मरि गेल छल आ फेर जीबि गेल! ई हेरायल छल आ फेर भेटि गेल!’ तकरबाद ओ सभ खुशी मनाबऽ लगलाह। 25 “ई सभ होइत काल जेठका बेटा खेत मे रहनि। जखन ओ घर लग पहुँचल तँ घर मे नाच-गान सुनलक। 26 ओ एकटा नोकर केँ बजा कऽ पुछलक, ‘ई की भऽ रहल अछि?’ 27 नोकर कहलकैक, ‘अहाँक भाय अयलाह अछि, आओर अहाँक बाबूजी एहि खुशी मे जे हमर बेटा हमरा फेर सकुशल भेटि गेल अछि, मोटका पशु जे पोसल छलैक, तकरा कटबौलनि अछि।’ 28 “ई सुनि कऽ ओकरा ततेक तामस भेलैक जे ओ भीतरो नहि गेल। बाबूजी ई बात बुझि, बाहर आबि कऽ ओकरा मनाबऽ लगलथिन। 29 मुदा ओ अपना बाबू केँ उत्तर देलकनि जे, ‘देखू! एतेक वर्ष सँ हम मरि-मरि कऽ अहाँक सेवा कऽ रहल छी, आ कहियो अहाँक बात नहि टारलहुँ। तैयो आइ धरि हमरा संगी सभक संग खुशी मनयबाक लेल एकोटा पठरू तक काटऽ नहि देलहुँ, 30 मुदा अहाँक ई बेटा वेश्या सभ लग अहाँक सभ धन-सम्पत्ति उड़ा कऽ जखन घर आयल अछि, तँ अहाँ ओकरा लेल पोसल मोटका पशु कटबबैत छी!’ 31 “बाबू कहलथिन, ‘बौआ! अहाँ सभ दिन हमरा संग छी, आ जे-जतेक हमर सम्पत्ति अछि, से सभ अहींक अछि। 32 मुदा एहि शुभ अवसर पर खुशी तँ मनाबहि पड़ल, किएक तँ ई अहाँक भाय मरि गेल छल आ फेर जीबि गेल, हेरा गेल छल आ फेर भेटि गेल!’”
1 यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “कोनो धनी आदमी रहथि। हुनका एकटा मुन्सी छलनि जे हुनकर पाइ-कौड़ीक हिसाब-किताब रखैत छलनि। मुन्सीक बारे मे हुनका लग ई सिकायत अयलनि जे, ओ अपनेक सम्पत्ति उड़ा रहल अछि। 2 एहि पर ओ अपना मुन्सी केँ बजा कऽ पुछलथिन, ‘ई हम तोरा विषय मे की सुनि रहल छिअह? तोँ अपना काजक हिसाब-किताब हमरा दैह, कारण आब हम तोरा नोकरी सँ हटा रहल छिअह।’ 3 “तँ मुन्सी मोने-मोन सोचलक जे, आब हम की करू? मालिक हमरा सँ हमर नोकरी छिनि रहल छथि। माटि कोड़बाक लेल देह मे तागति नहि अछि, आ भीख माँगऽ मे लाज होइत अछि। 4 हँ, आब फुरायल एकटा बात जे हम कऽ सकैत छी जाहि सँ नोकरी छुटला पर लोक सभ अपना घर मे हमर स्वागत करत। 5 “ई विचारि कऽ ओ अपना मालिकक कर्जदार सभ केँ एक-एक कऽ बजबौलक। पहिल वला सँ पुछलकैक, ‘अहाँ पर हमर मालिकक कतेक ऋण अछि?’ 6 ओ उत्तर देलकैक जे ‘एक सय मन तेल।’ तँ मुन्सी कहलकैक, ‘लिअ अपन लेखत, आ जल्दी बैसि कऽ ओकरा पचास मन बना लिअ।’ 7 तखन दोसर सँ पुछलकैक, ‘और अहाँ पर कतेक ऋण अछि?’ ओ कहलकैक, ‘एक सय बोरा गहुम।’ मुन्सी कहलकैक, ‘लिअ अपन लेखत और अस्सी बोरा लिखि लिअ।’ 8 मालिक एहि बइमान मुन्सीक प्रशंसा कयलथिन, जे ओ चतुराइ सँ काज कयलक। एहि संसारक पुत्र सभ इजोतक पुत्र सभक अपेक्षा अपना लोकक संग जे व्यवहार छैक, ताहि मे विशेष चतुर रहैत अछि। 9 “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, सांसारिक धन अपना लेल संगी बनाबऽ मे प्रयोग करू, जाहि सँ धन-सम्पत्ति जखन समाप्त भऽ जायत तँ स्वर्गक भवन मे अहाँक स्वागत होयत। 10 “जे छोट बात सभ मे विश्वासपात्र अछि, से पैघो बात सभ मे विश्वासपात्र रहत। जे छोट बात मे बइमान अछि, से पैघो बात मे बइमान रहत। 11 अहाँ सांसारिक धन मे जँ विश्वासपात्र नहि भेलहुँ, तँ वास्तविक धन दऽ कऽ अहाँ पर के विश्वास करत? 12 जँ अनका धन मे अहाँ विश्वासपात्र नहि भेलहुँ, तँ अहाँक अपन धन अहाँ केँ के देत? 13 “कोनो खबास दूटा मालिकक सेवा नहि कऽ सकैत अछि। कारण, ओ एक सँ घृणा करत आ दोसर सँ प्रेम, अथवा पहिल केँ खूब मानत आ दोसर केँ तुच्छ बुझत। अहाँ परमेश्वर और धन-सम्पत्ति दूनूक सेवा नहि कऽ सकैत छी।” 14 फरिसी सभ, जे धनक लोभी छलाह, से सभ ई सभ बात सुनि रहल छलाह और हुनकर हँसी उड़ाबऽ लगलनि। 15 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ ठीक ओहन लोक सभ छी जे मनुष्यक सामने अपना केँ धर्मी ठहरबैत छी, मुदा परमेश्वर अहाँ सभक मोन केँ जनैत छथि। जे मनुष्यक नजरि मे सम्मानजनक बात अछि, से परमेश्वरक दृष्टि मे घृणित अछि। 16 “यूहन्नाक समय धरि मूसाक धर्म-नियम और प्रभुक प्रवक्ता सभक लेख छल। तकरा बादक समय सँ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचारक प्रचार भऽ रहल अछि, और सभ केओ हुनकर राज्य मे प्रवेश करबाक पूरा बल सँ प्रयत्न कऽ रहल अछि। 17 तैयो धर्म-नियमक एको अक्षरक मात्रा मेटा जयबाक अपेक्षा आकाश और पृथ्वी समाप्त भेनाइ आसान होयत। 18 “जे केओ अपना स्त्री केँ तलाक दऽ कऽ दोसर सँ विवाह करैत अछि, से परस्त्रीगमन करैत अछि। आ जे कोनो पुरुष पति द्वारा तलाक देल गेल स्त्री सँ विवाह करैत अछि, सेहो परस्त्रीगमन करैत अछि। 19 “एक धनिक आदमी छल जे मलमल आ दामी-दामी वस्त्र पहिरैत छल। ओ सभ दिन भोज सनक भोजन करैत छल आ सुख-विलास सँ रहैत छल। 20 ओकरा दुआरि पर लाजर नामक गरीब आदमी केँ, जकर सम्पूर्ण शरीर घाव सँ भरल छलैक, राखि देल जाइत छलैक। 21 ओ गरीब आदमी आशा करैत छल जे धनिकक टेबुल सँ खसल टुकड़ा-टुकड़ी पाबि कऽ पेट भरब। कुकुर सभ आबि कऽ ओहि दुखिताह केँ घाव सेहो चाटि लैत छलैक। 22 “एक दिन गरीब लाजर मरि गेल आओर स्वर्गदूत सभ ओकरा स्वर्ग मे अब्राहम लग पहुँचौलनि। धनिक आदमी सेहो मरल आ माटि मे गाड़ल गेल। 23 नरक मे ओ अत्यन्त पीड़ा सहैत ऊपर दिस ताकि बहुत दूर अब्राहम केँ आ हुनका लग लाजर केँ देखलकनि। 24 ओ सोर पारलकनि जे, ‘यौ पिता अब्राहम! हमरा पर दया कऽ कऽ एहिठाम लाजर केँ पठा दिअ, जे ओ अपन आङुरक नऽह पानि मे डुबा कऽ हमर जीह केँ कनेक शीतल कऽ दिअय, हमरा एहि आगि मे बड्ड पीड़ा भऽ रहल अछि!’ 25 “मुदा अब्राहम उत्तर देलथिन, ‘हौ बेटा! मोन पाड़ह जे तोँ अपना जीवन मे नीक-नीक वस्तु सभ पौलह, जहिना लाजर खराब वस्तु। आब ओ एतऽ आनन्द मे अछि आओर तोँ पीड़ा मे। 26 आओर एतबे नहि—हमरा सभक आ तोरा बीच मे बड़का दरारि बनाओल गेल अछि, जाहि सँ जँ केओ एतऽ सँ तोरा ओहिठाम जाय चाहत तँ नहि जा सकत, आ ने तोँ जतऽ छह, ततऽ सँ केओ हमरा सभक ओहिठाम आबि सकत।’ 27 “तखन ओ धनिक उत्तर देलकनि, ‘एना अछि तँ, यौ पिता, हम विनती करैत छी जे हमर बाबूक ओहिठाम लाजर केँ पठाउ, 28 ओतऽ हमर पाँच भाय अछि। ओकरा सभ केँ ओ चेतावनी दैक जाहि सँ ओ सभ एहि पीड़ाक स्थान मे नहि आबय।’ 29 “अब्राहम कहलथिन, ‘मूसाक धर्म-नियम और परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख ओकरा सभ लग छैक, तोहर भाय सभ ओकरा मानओ।’ 30 “ओ उत्तर देलकनि, ‘नहि पिता अब्राहम! ओतबे सँ नहि होयत! मुदा जँ केओ मरल सभ मे सँ ओकरा सभ लग जायत, तखन ओ सभ मानत और अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ ठीक रस्ता पर आओत।’ 31 “अब्राहम कहलथिन, ‘ओ सभ जँ मूसाक और परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख नहि मानत, तँ जँ केओ मरि कऽ जिबिओ जायत तँ ओकरो बात नहि मानतैक।’”
1 यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “ई निश्चित अछि जे लोक सभ केँ पाप मे फँसाबऽ वला बात सभ होयत, मुदा धिक्कार ताहि मनुष्य केँ, जकरा द्वारा ओहन बात सभ अबैत अछि! 2 ओकरा लेल एहि सँ नीक जे ओ एहि बच्चा सभ मे सँ एकोटा केँ पाप मे फँसाबय ई होइत जे ओकरा घेंट मे जाँतक पाट बान्हि समुद्र मे फेकि देल जाय। 3 तेँ अहाँ सभ सावधान रहू! “अहाँक भाय जँ पाप करैत अछि तँ ओकरा मना करू। जँ ओ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ पाप केँ छोड़ैत अछि तँ ओकरा माफ कऽ दिऔक। 4 आ जँ ओ दिन मे सात बेर अहाँक विरोध मे अपराध करय और सात बेर अहाँ लग घूमि कऽ अपन अपराध मानि कऽ माफी माँगय तँ माफ कऽ दिऔक।” 5 तखन समीह-दूत सभ हुनका कहलथिन, “हमरा सभक विश्वास केँ बढ़ाउ!” 6 ओ उत्तर देलथिन, “जँ अहाँ सभ केँ सरिसोक दानो बराबरि विश्वास अछि, तँ एहि तूँइतक गाछ केँ कहि सकैत छिऐक जे, उखड़ि कऽ समुद्र मे रोपा जो, और ओ अहाँक आज्ञा मानत। 7 “अहाँ सभ मे एहन मालिक के छी, जकर नोकर खेत मे सँ हऽर जोति कऽ वा बाध मे सँ भेँड़ा चरा कऽ जखन अबैत अछि, तँ कहैत छिऐक जे, ‘आउ, आउ, बैसू, भोजन कऽ लिअ’? 8 की ई नहि कहबैक जे, ‘हमर भानस करह, तखन जा धरि हम भोजन पर सँ उठब नहि, ता धरि तोँ फाँड़ बान्हि कऽ हमर सेवा करह, तकरबाद तोहूँ खाह-पिबह’? 9 जखन नोकर मालिकक कहल करैत छनि, तँ की ओहि लेल मालिक ओकरा धन्यवाद दैत छथिन? नहि! 10 तहिना अहूँ सभ, जतेक काज अहाँ सभ केँ अढ़ाओल गेल होअय, से सभ पूरा कऽ कऽ ई कहू जे, ‘हम सभ कोनो प्रशंसा जोगरक नहि छी; हम सभ तँ खाली वैह कयलहुँ जे हमर सभक कर्तव्य छल।’” 11 यीशु यरूशलेम जाइत काल सामरिया और गलील प्रदेशक सीमा दऽ कऽ जा रहल छलाह। 12 कोनो गाम मे जखन प्रवेश कयलनि तँ दसटा कुष्ठ-रोगी हुनका भेटलनि। ओ सभ फराके सँ ठाढ़ भऽ कऽ 13 जोर सँ सोर पारलकनि जे, “यौ मालिक यीशु! हमरा सभ पर दया करू!” 14 यीशु ओकरा सभ केँ देखि कऽ कहलथिन, “पुरोहित सभक ओहिठाम जाह और अपना केँ हुनका सभ केँ देखा दहुन।” ओ सभ जाइते-जाइत मे नीक भऽ गेल। 15 तखन ओकरा सभ मे सँ एक गोटे जखन देखलक जे हम नीक भऽ गेलहुँ, तँ ओ जोर-जोर सँ परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करैत घूमि आयल, 16 और यीशुक पयर पर खसि कऽ हुनकर धन्यवाद करऽ लगलनि। ओ यहूदी नहि, सामरी जातिक छल। 17 तखन यीशु बजलाह, “की दसो गोटे नीक नहि भेल? आरो नौ आदमी कतऽ अछि? 18 की एहि आन जातिक लोक केँ छोड़ि कऽ आओर केओ एहन नहि बहरायल जे घूमि कऽ परमेश्वरक धन्यवाद करितनि?” 19 तखन ओ ओकरा कहलथिन, “आब उठि कऽ जाह। तोहर विश्वास तोरा नीक कऽ देलकह।” 20 फरिसी सभक ई पुछला पर जे परमेश्वरक राज्य कहिया आओत, यीशु उत्तर देलथिन, “परमेश्वरक राज्य ओहि तरहेँ नहि अबैत अछि जे आँखि सँ देखल जा सकय। 21 केओ कहऽ वला नहि होयत जे, ‘देखू, एतऽ अछि,’ वा ‘ओतऽ अछि,’ कारण, परमेश्वरक राज्य अहाँ सभक बीच मे अछि ।” 22 तखन ओ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “ओ समय आबि रहल अछि जखन अहाँ सभ केँ मनुष्य-पुत्रक युगक एको दिन देखबाक लेल बड़का इच्छा होयत, मुदा देखि नहि सकब। 23 लोक अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘ओतऽ छथि!’ वा ‘एतऽ छथि।’ मुदा नहि जाउ! ओकरा सभक पाछाँ नहि दौड़ू! 24 कारण, मनुष्य-पुत्रक दिन जखन औतनि, तँ ओ बिजलोका जकाँ होयताह, जे चमकि कऽ आकाश केँ एक कात सँ दोसर कात तक इजोत कऽ दैत अछि। 25 मुदा ओहि सँ पहिने ई आवश्यक अछि जे ओ बहुत दुःख भोगथि और एहि पीढ़ीक लोक द्वारा अस्वीकार कयल जाथि। 26 “जहिना नूहक समय मे भेल, तहिना मनुष्य-पुत्रक अयबाक समय मे सेहो होयत। 27 जाहि दिन नूह जहाज मे चढ़ि गेलाह, ताहि दिन धरि लोक सभ खाय-पिबऽ मे और विवाह करऽ-कराबऽ मे मस्त रहल आ तखन जल-प्रलय भेल और सभ केओ नष्ट भऽ गेल। 28 “तहिना लूतक समय मे सेहो भेल। लोक सभ खाइत-पिबैत रहल, चीज-वस्तु बेचैत-किनैत रहल, बीया बाउग करैत रहल आ घर बनबैत रहल। 29 मुदा जाहि दिन लूत सदोम नगर सँ बहरयलाह, ताही दिन आकाश सँ आगि और गन्धकक वर्षा भेल और सभ केओ नष्ट भऽ गेल। 30 “जाहि दिन मनुष्य-पुत्र फेर प्रगट होयताह, ताहू दिन ठीक ओहिना होयत। 31 ताहि दिन जँ केओ छत पर होअय और ओकर सामान घर मे, तँ ओ ओकरा लेबाक लेल नहि उतरओ। तहिना जे केओ खेत मे होअय, से घूमि कऽ नहि आबओ। 32 लूतक घरवाली केँ मोन राखू। 33 जे केओ अपन प्राण बचयबाक प्रयत्न करैत अछि, से ओकरा गमाओत, और जे केओ अपन प्राण गमबैत अछि से ओकरा सुरक्षित राखत। 34 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, ओहि राति दू आदमी एक ओछायन पर सुतल रहत, एक लऽ लेल जायत, आ दोसर छोड़ि देल जायत। 35 दूटा स्त्रीगण एक संग जाँत पिसैत रहत, एकटा लऽ लेल जायत, आ दोसर छोड़ि देल जायत। 36 [दू आदमी खेत मे रहत, एक लऽ लेल जायत, आ दोसर छोड़ि देल जायत।] “ 37 शिष्य सभ पुछलथिन, “प्रभु, ई कतऽ होयत?” ओ उत्तर देलथिन, “जतऽ लास पड़ल रहत, ततहि गिद्ध सभ जुटत।”
1 तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ ई बुझयबाक लेल जे निराश नहि भऽ कऽ प्रार्थना करैत रहबाक अछि, एक दृष्टान्त देलथिन। 2 ओ कहलथिन, “कोनो शहर मे एक न्यायाधीश रहैत छल जे ने परमेश्वरक डर मानैत छल आ ने कोनो मनुष्य केँ मोजर दैत छल। 3 ओहि शहर मे एक विधवा सेहो रहैत छलि जे बेर-बेर ओकरा लग आबि कऽ कहैत छलैक जे, ‘हमर उचित न्याय कऽ दिअ और हमरा संग जे अपराध कऽ रहल अछि, तकरा सँ हमरा बचाउ।’ 4 “किछु दिन धरि ओ नहि मानलक, मुदा बाद मे ओ मोने-मोन सोचऽ लागल जे, ‘ओना तँ हम ने परमेश्वरक डर मानैत छी आ ने मनुष्य केँ मोजर दैत छी, 5 तैयो ई विधवा हमरा ततेक तंग कऽ देने अछि जे हम एकर उचित न्याय अवश्य कऽ देबैक। नहि तँ ई बेर-बेर आबि कऽ हमरा अकछ कऽ देत!’” 6 तखन प्रभु कहलथिन, “ओ अधर्मी न्यायाधीश की कहलक, से सुनलहुँ? 7 तँ की परमेश्वर अपन चुनल लोक, जे हुनका सँ दिन-राति विनती करैत छनि, तकरा सभक लेल उचित न्याय नहि करथिन? की ओकरा सभक लेल न्याय करऽ मे देरी करताह? 8 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, ओ ओकरा सभक लेल उचित न्याय करथिन, और शीघ्र करथिन। मुदा मनुष्य-पुत्र जहिया औताह, तँ की एहन विश्वास हुनका ककरो लग भेटतनि?” 9 तखन यीशु एहन लोक सभक लेल जे अपना केँ धर्मी मानि कऽ अपना धार्मिकता पर भरोसा रखैत छल और आन लोक सभ केँ हेय दृष्टि सँ देखैत छल, तकरा सभक लेल ई दृष्टान्त सुनौलनि, 10 “दू आदमी मन्दिर मे प्रार्थना करऽ गेल। एक गोटे फरिसी रहय और दोसर कर असूल करऽ वला। 11 फरिसी ठाढ़ भऽ कऽ एहि तरहेँ अपना विषय मे प्रार्थना कऽ कऽ कहऽ लागल, ‘हे परमेश्वर, हम अहाँ केँ धन्यवाद दैत छी जे हम आन लोक सभ जकाँ ठकहारा, दुष्कर्मी, वा परस्त्रीगमन करऽ वला नहि छी, आ ने एहि कर असूल करऽ वला सन छी। 12 हम सप्ताह मे दू दिन उपास करैत छी, और जे किछु हमरा भेटैत अछि, ताहि मे सँ हम दसम अंश अहाँ केँ चढ़बैत छी।’ 13 “मुदा कर असूल करऽ वला फराके सँ ठाढ़ भऽ कऽ स्वर्ग दिस अपन आँखि उठयबाक साहसो नहि कयलक, बल्कि छाती पिटैत बाजल, ‘हे परमेश्वर, हम पापी छी, हमरा पर दया करू।’ 14 “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, ओ पहिल आदमी नहि, बल्कि ई दोसर आदमी परमेश्वरक नजरि मे धर्मी ठहरि कऽ अपना घर गेल। कारण, जे केओ अपना केँ पैघ बुझैत अछि, से तुच्छ कयल जायत, और जे अपना केँ तुच्छ मानैत अछि से पैघ कयल जायत।” 15 लोक सभ यीशु लग अपन छोट-छोट धिआ-पुता सभ केँ सेहो अनैत छलनि जे ओ ओकरा सभ पर हाथ राखि आशीर्वाद देथिन। शिष्य सभ ई देखि कऽ लोक सभ केँ डाँटऽ लगलनि। 16 मुदा यीशु धिआ-पुता सभ केँ अपना लग बजौलनि, और शिष्य सभ केँ कहलथिन, “बच्चा सभ केँ हमरा लग आबऽ दिऔक, ओकरा सभ केँ नहि रोकिऔक। किएक तँ, परमेश्वरक राज्य एहने सभक अछि। 17 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जे केओ बच्चा जकाँ परमेश्वरक राज्य ग्रहण नहि करत, से ओहि मे कहियो नहि प्रवेश करत।” 18 एकटा ऊँच अधिकारी यीशु सँ पुछलथिन, “यौ उत्तम गुरुजी! अनन्त जीवन प्राप्त करबाक लेल हम की करू?” 19 यीशु कहलथिन, “अहाँ हमरा ‘उत्तम’ किएक कहैत छी? परमेश्वर केँ छोड़ि आरो केओ उत्तम नहि अछि। 20 अहाँ धर्म-नियमक आज्ञा सभ तँ जनैत छी—’परस्त्रीगमन नहि करह, हत्या नहि करह, चोरी नहि करह, झूठ गवाही नहि दैह, अपन माय-बाबूक आदर करह।’” 21 ओ उत्तर देलथिन, “एहि सभ आज्ञाक पालन हम बचपने सँ करैत छी।” 22 यीशु ई सुनि हुनका कहलथिन, “एक बातक कमी अहाँ मे एखनो अछि। अहाँ अपन सभ किछु बेचि कऽ ओकरा गरीब सभ मे बाँटि दिअ, अहाँ केँ स्वर्ग मे धन भेटत। तकरबाद आउ आ हमरा पाछाँ चलू।” 23 ई बात सुनि ओ बहुत उदास भेलाह, किएक तँ हुनका बहुत धन-सम्पत्ति छलनि। 24 यीशु हुनका दिस तकैत बजलाह, “धनिक सभक लेल परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ कतेक कठिन अछि! 25 धनिक केँ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ सँ ऊँट केँ सुइक भूर दऽ कऽ निकलनाइ आसान अछि।” 26 एहि पर सुनऽ वला लोक सभ पुछलकनि, “तखन उद्धार ककर भऽ सकैत छैक?!” 27 यीशु उत्तर देलथिन, “जे बात मनुष्यक लेल असम्भव अछि, से परमेश्वरक लेल सम्भव अछि।” 28 पत्रुस हुनका कहलथिन, “देखू, हम सभ अपन सभ किछु त्यागि कऽ अहाँक पाछाँ आयल छी।” 29 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, प्रत्येक व्यक्ति जे घर, घरवाली, भाय, माय-बाबू वा धिआ-पुता केँ परमेश्वरक राज्यक लेल त्याग करैत अछि, 30 तकरा एहि युग मे ओकर कतेको गुना भेटतैक, और आबऽ वला युग मे अनन्त जीवन।” 31 यीशु बारहो शिष्य केँ एक कात लऽ जा कऽ कहलथिन, “सुनू, अपना सभ यरूशलेम जा रहल छी। ओतऽ जा कऽ जे किछु प्रभुक प्रवक्ता सभक द्वारा मनुष्य-पुत्रक विषय मे लिखल गेल अछि, से सभ बात पूरा होयत। 32 ओ गैर-यहूदी सभक हाथ मे सौंपल जायत, लोक ओकर हँसी उड़ौतैक, बेइज्जति करतैक, ओकरा पर थुकतैक, कोड़ा लगौतैक, और जान सँ मारि देतैक। 33 मुदा तेसर दिन ओ फेर जीबि उठत।” 34 मुदा शिष्य सभ एहि बात सभ सँ किछु नहि बुझि सकलाह। हुनकर सम्पूर्ण कथन हुनका सभक लेल रहस्ये बनल रहल। बुझऽ मे नहि अयलनि जे हुनकर कहबाक तात्पर्य की छनि। 35 यीशु जखन यरीहो नगर लग पहुँचलाह, तँ एकटा आन्हर आदमी रस्ताक कात मे भीख मँगैत बैसल छल। 36 लोकक भीड़ ओहि दने जाइत सुनि ओ पुछऽ लागल जे, की भऽ रहल अछि? 37 लोक ओकरा कहलकैक, “नासरत निवासी यीशु एहि दऽ कऽ जा रहल छथि।” 38 तखन ओ सोर पारऽ लागल, “यौ दाऊदक पुत्र यीशु, हमरा पर दया करू!” 39 आगाँ-आगाँ चलऽ वला लोक सभ ओकरा डँटैत चुप रहबाक लेल कहलकैक, मुदा ओ आओर जोर सँ हल्ला कऽ कऽ कहऽ लागल, “यौ दाऊदक पुत्र, हमरा पर दया करू!” 40 यीशु ठाढ़ भऽ गेलाह आ अपना लग ओकरा अनबाक आदेश देलथिन। आन्हर आदमी जखन हुनका लग आयल तँ ओ पुछलथिन, 41 “तोँ की चाहैत छह, हम तोरा लेल की करिअह?” ओ उत्तर देलकनि, “प्रभु, हम देखऽ चाहैत छी।” 42 यीशु ओकरा कहलथिन, “आब तोँ देखि सकैत छह! तोहर विश्वास तोरा नीक कऽ देलकह।” 43 ओ तुरत देखऽ लागल और परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करैत यीशुक पाछाँ चलऽ लागल। ई देखि सभ लोक सेहो परमेश्वरक स्तुति करऽ लागल।
1 यीशु यरीहो नगर दऽ कऽ जा रहल छलाह। 2 यरीहो मे एक जक्कइ नामक आदमी छलाह जे कर असूल करऽ वला सभक हाकिम छलाह, और ओ धनिक छलाह। 3 ओ देखऽ चाहैत छलाह जे यीशु के छथि, मुदा ओ भीड़क कारणेँ नहि देखि पबैत छलाह किएक तँ ओ छोट खुट्टीक लोक छलाह। 4 तेँ ओ ई जानि जे यीशु एहि बाटे जा रहल छथि, आगाँ दौड़ि कऽ एक गुल्लड़िक गाछ पर चढ़ि गेलाह। 5 जखन यीशु ओहि स्थान पर पहुँचलाह तँ ऊपर ताकि कऽ कहलथिन, “यौ जक्कइ, जल्दी सँ उतरि आउ। आइ हमरा अहींक ओहिठाम रहबाक अछि।” 6 तँ जक्कइ जल्दी सँ उतरलाह और यीशु केँ बहुत खुशीपूर्बक अपना ओहिठाम लऽ जा कऽ स्वागत कयलथिन। 7 सभ लोक ई देखि कुड़बुड़ाय लागल जे, “ओ पापीक ओहिठाम पाहुन किएक बनऽ गेलाह!” 8 मुदा जक्कइ ठाढ़ भऽ कऽ प्रभु केँ कहलथिन, “प्रभु, हम अपन आधा सम्पत्ति गरीब सभ केँ दऽ दैत छी, और जँ हम ककरो सँ बइमानी कऽ कऽ किछु लेने छिऐक तँ ओकर चारि गुना फिरता कऽ देबैक।” 9 यीशु कहलथिन, “आइ एहि घर मे उद्धार आयल अछि, किएक तँ इहो मनुष्य अब्राहमक सन्तान अछि। 10 मनुष्य-पुत्र तँ हेरायल सभ केँ तकबाक लेल और ओकरा सभक उद्धार करबाक लेल आयल अछि।” 11 लोक सभ ई बात सुनि रहल छल। तखन यीशु ओकरा सभ केँ एक दृष्टान्त सुनौलथिन, किएक तँ ओ यरूशलेमक लग मे पहुँचि गेल छलाह, और लोक ई बुझैत छल जे परमेश्वरक राज्य तुरत्ते प्रगट होमऽ वला अछि। 12 ओ कहलथिन, “एक ऊँच घरानाक लोक दूर परदेश गेलाह जतऽ सँ हुनका अपन राज-अधिकार प्राप्त कऽ कऽ घूमि अयबाक छलनि। 13 जाय सँ पहिने ओ अपन दसटा नोकर केँ बजबा कऽ ओकरा सभ केँ एक-एकटा सोनक रुपैया देलथिन आ कहलथिन, ‘जाबत तक हम नहि आयब, ताबत तक एहि पाइ सँ व्यापार करह।’ 14 “मुदा प्रजा हुनका सँ घृणा करैत छलनि, और हुनका पाछाँ अपन आदमी सभ केँ ई सम्बाद लऽ कऽ पठौलक जे, ‘हम सभ नहि चाहैत छी जे ई हमरा सभ पर राज्य करय।’ 15 “मुदा ओ राजा बनलाह, और अपन देश मे घूमि अयलाह। तखन ई बुझबाक लेल जे, हमर नोकर सभ जकरा सभ केँ हम पाइ देने छलिऐक, से सभ हमर पाइ सँ कतेक कमायल, ओकरा सभ केँ बजबौलथिन। 16 “पहिल नोकर आबि कऽ कहलकनि, ‘मालिक, अपनेक देल एक सोनक रुपैया दस गुना भऽ गेल।’ 17 “मालिक उत्तर देलथिन, ‘चाबस! तोँ नीक नोकर छह! तोँ नान्हिटा बात मे विश्वासपात्र भेलह, तोरा दसटा नगर पर अधिकार होयतह।’ 18 “तखन दोसर नोकर आबि कऽ कहलकनि, ‘मालिक, अपनेक देल एक सोनक रुपैया पाँच गुना भऽ गेल।’ 19 “मालिक उत्तर देलथिन, ‘तोँ पाँच नगर पर अधिकारी बनबह।’ 20 “एकटा तेसर नोकर आयल और कहऽ लागल, ‘मालिक, लेल जाओ अपन सोनक रुपैया। हम एकरा कपड़ा मे बान्हि कऽ रखने छलहुँ। 21 हम अपने सँ डेराइत छलहुँ, कारण, अपने कठोर आदमी छी। जे अहाँ रखलहुँ नहि, से निकालैत छी, आ जे रोपलहुँ नहि, से कटैत छी।’ 22 “मालिक उत्तर देलथिन, ‘है दुष्ट नोकर! हम तोरे शब्द सँ तोरा दोषी ठहरयबौ! तोँ जँ जनैत छलेँ जे हम कठोर आदमी छी, जे रखलहुँ नहि, से निकालैत छी, आ जे रोपलहुँ नहि, से कटैत छी, 23 तँ तोँ हमर पाइ केँ व्याज पर किएक नहि लगा देलेँ जाहि सँ हम आबि कऽ ओकरा व्याजक संग लऽ लितहुँ?’ 24 “तखन मालिक अपना लग मे ठाढ़ भेल लोक केँ कहलथिन, ‘एकरा सँ ओ सोनक रुपैया लऽ लैह, और तकरा दऽ दहक जकरा दसटा छैक।’ 25 “ओ सभ कहलकनि, ‘मालिक, ओकरा तँ दसटा छैके!’ 26 “मालिक उत्तर देलथिन, ‘हम तोरा सभ केँ कहैत छिअह, जकरा लग छैक, तकरा आरो देल जयतैक, मुदा जकरा लग नहि छैक, तकरा सँ जेहो छैक सेहो लऽ लेल जयतैक। 27 मुदा हमर ओ दुश्मन सभ, जे नहि चाहैत छल जे हम ओकरा सभ पर राज्य करी, तकरा सभ केँ आनू, और हमरा सामने मे मारि दिऔक।’” 28 ई सभ बात कहि कऽ यीशु यरूशलेम दिस आगाँ बढ़ैत गेलाह। 29 जखन ओ ओहि पहाड़ पर जे “जैतून पहाड़” कहबैत अछि, ताहि परक बेतफगे और बेतनिया गाम सभ लग पहुँचलाह, तँ ओ दूटा शिष्य केँ ई कहि कऽ पठौलथिन जे, 30 “सामने मे जे गाम अछि, ताहि मे जाउ। जखने गाम मे प्रवेश करब, तखन गदहीक एक बच्चा बान्हल भेटत, जाहि पर केओ कहियो नहि चढ़ल अछि। ओकरा खोलि कऽ आनू। 31 केओ जँ पुछत जे, ‘एकरा किएक खोलैत छी?’ तँ कहबैक जे, ‘प्रभु केँ एकर आवश्यकता छनि।’” 32 शिष्य सभ ओतऽ गेलाह, और जहिना यीशु कहने छलथिन, ठीक ओहिना हुनका सभ केँ भेटलनि। 33 ओ सभ जखन गदहीक बच्चा खोलैत छलाह तँ ओकर मालिक सभ पुछऽ लगलनि जे, “अहाँ सभ ई गदहा किएक खोलि रहल छी?” 34 ओ सभ उत्तर देलथिन, “प्रभु केँ एकर आवश्यकता छनि।” 35 ओ सभ ओकरा यीशु लग अनलनि, और ओकरा पीठ पर अपन कपड़ा राखि कऽ हुनका बैसा देलथिन। 36 ओ जहिना जहिना आगाँ बढ़ैत जाइत छलाह, लोक सभ तहिना तहिना सड़क पर अपन कपड़ा ओछौने जाइत छलनि। 37 जखन ओ यरूशलेमक लग ताहिठाम पहुँचलाह जतऽ जैतून पहाड़ पर सँ सड़क नीचाँ मुँहें ढलान अछि, तँ शिष्यक विशाल भीड़ बहुत आनन्दित भऽ कऽ ओहि चमत्कार सभक लेल जे ओ सभ देखने छल, तकरा लेल जोर-जोर सँ एहि तरहेँ परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करऽ लागल जे, 38 “धन्य छथि ओ राजा जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि! स्वर्ग मे शान्ति, सर्वोच्च स्वर्ग मे प्रभुक जयजयकार!” 39 एहि पर भीड़ मेहक किछु फरिसी यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी, अपना शिष्य सभ केँ चुप होयबाक लेल कहिऔक!” 40 यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, ई सभ जँ चुप भऽ जायत तँ पाथरे सभ आवाज देबऽ लागत।” 41 यीशु यरूशलेम शहर लग जखन पहुँचलाह तँ शहर केँ देखि कऽ कानऽ लगलाह। 42 ओ कनैत-कनैत बजलाह, “तोँ, हँ तोँही, जँ आजुक दिन जनितह जे कोन बात सभ सँ शान्ति अबैत अछि...! मुदा से नहि! ई सभ बात तोरा देखाइ नहि दऽ रहल छह। 43 हँ, तोरा पर तेहन समय औतह जहिया तोहर शत्रु सभ तोरा चारू कात मोर्चा बान्हि कऽ घेरि लेतह, तोरा पर चारू कात सँ आक्रमण करतह। 44 ओ सभ तोरा और तोरा बालक सभ केँ माटि मे मिला देतह, और एको पाथर दोसर पाथर पर टिकल नहि रहतह, कारण, परमेश्वर जाहि समय मे तोरा ओहिठाम अयलथुन, ताहि समय केँ तोँ नहि चिन्हलह।” 45 यीशु मन्दिर मे गेलाह और बेचऽ वला सभ केँ ई कहि कऽ ओतऽ सँ भगाबऽ लगलाह जे, 46 “धर्मशास्त्रक लेख अछि, ‘हमर घर प्रार्थनाक घर होयत,’ मुदा तोँ सभ एकरा ‘चोर-डाकूक अड्डा’ बना देने छह।” 47 यीशु मन्दिर मे सभ दिन उपदेश दैत छलाह। मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ, और यहूदी सभक नेता सभ हुनका जान सँ मारि देबाक प्रयत्न कऽ रहल छलाह, 48 मुदा किछु कऽ नहि सकलाह, एहि लेल जे सम्पूर्ण जनता हुनकर बात सभ ध्यानपूर्बक सुनैत रहैत छल।
1 एक दिन यीशु मन्दिर मे लोक सभ केँ शिक्षा दैत छलाह और शुभ समाचार सुनबैत छलाह, तँ मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनिक संग हुनका लग आबि कऽ कहलथिन, 2 “कहू! अहाँ ई सभ बात जे करैत छी, से कोन अधिकार सँ? ई अधिकार अहाँ केँ के देलनि?” 3 ओ उत्तर देलथिन, “हमहूँ अहाँ सभ सँ एकटा बात पुछैत छी— 4 यूहन्ना केँ बपतिस्मा देबाक अधिकार परमेश्वर सँ भेटल छलनि वा मनुष्य सँ? कहू!” 5 ई सुनि ओ सभ अपना मे तर्क-वितर्क करऽ लगलाह जे, जँ अपना सभ कहबैक जे परमेश्वर सँ, तँ ओ कहत जे, तखन हुनकर बातक विश्वास किएक नहि कयलहुँ? 6 मुदा जँ ई कहबैक जे, मनुष्य सँ, तँ समस्त जनता हमरा सभ पर पथरबाहि करत, कारण ओकरा सभ केँ पूरा विश्वास छैक जे यूहन्ना परमेश्वरक एकटा प्रवक्ता छलाह। 7 तेँ ओ सभ उत्तर देलथिन जे, “हम सभ नहि जनैत छी जे कतऽ सँ भेटल छलनि।” 8 एहि पर यीशु कहलथिन, “तँ हमहूँ अहाँ सभ केँ नहि कहब जे हम कोन अधिकार सँ ई काज करैत छी।” 9 तखन ओ लोक सभ केँ ई दृष्टान्त सुनाबऽ लगलथिन, “एक आदमी अंगूरक बगान लगौलनि। तकरबाद किसान सभ केँ बटाइ पर दऽ कऽ बहुत दिनक लेल परदेश चल गेलाह। 10 फलक समय अयला पर ओ अपन हिस्सा लेबाक लेल बटाइदार सभ लग एक नोकर केँ पठौलथिन। मुदा ओ सभ ओकरा पिटलकैक आ खाली हाथ लौटा देलकैक। 11 मालिक फेर दोसर नोकर केँ पठौलथिन, मुदा ओकरो ओ सभ मारि-पिटि कऽ और अपमानित कऽ कऽ खाली हाथ लौटा देलकैक। 12 मालिक तेसरो नोकर केँ पठौलथिन, और ओकरो ओ सभ घायल कऽ कऽ भगा देलकैक। 13 तखन मालिक विचारलनि, ‘हम की करू? हम अपन प्रिय बेटा केँ पठयबैक, एकरा ओ सभ शायद मानतैक।’ 14 मुदा बटाइदार सभ हुनका अबैत देखि एक-दोसराक संग विचारऽ लागल जे, ‘ई तँ अपन बापक उत्तराधिकारी अछि! चलू, एकरा मारि दिऐक, तखन ई सम्पत्ति अपने सभक भऽ जायत!’ 15 एना सोचि ओ सभ हुनका बगान सँ बाहर लऽ जा कऽ हुनका जान सँ मारि देलकनि। “आब मालिक ओकरा सभ केँ की करथिन? 16 ओ आबि कऽ ओहि बटाइदार सभक सर्वनाश करथिन, और बगान दोसर बटाइदार सभ केँ दऽ देथिन।” ई सुनि लोक सभ बाजि उठल, “एना कहियो नहि होअय!” 17 यीशु ओकरा सभक दिस एकटक लगा कऽ देखैत कहलथिन, “तखन धर्मशास्त्र मे लिखल एहि बातक की अर्थ अछि जे, ‘जाहि पाथर केँ राजमिस्तिरी सभ बेकार बुझि फेकि देलक, वैह पाथर मकानक प्रमुख पाथर भऽ गेल।’ ? 18 जे केओ ओहि पाथर पर खसत, से चकना-चूर भऽ जायत, और जकरा पर ई पाथर खसतैक से थकुचा-थकुचा भऽ जायत।” 19 धर्मशिक्षक और मुख्यपुरोहित सभ हुनका तुरत पकड़ऽ चाहैत छलाह, कारण ओ सभ बुझि गेलाह जे ई हमरे सभक बारे मे ई कथा कहलक अछि। मुदा जनता सँ डेराइत छलाह। 20 धर्मशिक्षक आ मुख्यपुरोहित सभ अवसरक ताक मे छलाह। ओ सभ हुनका लग किछु भेदिया सभ केँ सोझिया आदमीक रूप मे पठा देलनि, एहि आशा मे जे यीशुक कोनो ने कोनो कहल बातक द्वारा हुनका पकड़ि सकी आ राज्यपाल-शासनक अधिकार मे रखबा दी। 21 भेदिया सभ हुनका सँ प्रश्न कयलकनि, “गुरुजी, हम सभ जनैत छी जे अपने ठीक-ठीक बात सभ बजैत आ सिखबैत छी, अपने ककरो मुँह देखि कऽ किछु नहि कहैत छिऐक, बल्कि सत्यक अनुसार परमेश्वरक बाटक शिक्षा दैत छी। 22 आब हमरा सभ केँ एकटा बात कहल जाओ—धर्म-नियमक अनुसार अपना सभक लेल रोमी सम्राट-कैसर केँ कर देनाइ उचित अछि वा नहि?” 23 मुदा ओ ओकर सभक कपट बुझि गेलथिन आ कहलथिन, 24 “हमरा एकटा सिक्का देखाउ। एहि पर किनकर चित्र छनि आ किनकर नाम लिखल छनि?” 25 ओ सभ उत्तर देलकनि, “सम्राट-कैसरक।” तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “तँ जे सम्राटक छनि से सम्राट केँ दिऔन, और जे परमेश्वरक छनि, से परमेश्वर केँ दिऔन।” 26 एहि तरहेँ ओ सभ जनताक सामने हुनकर कहल कोनो बात मे हुनका नहि पकड़ि सकल। हुनकर उत्तर सँ चकित भऽ गुम्म रहि गेल। 27 सदुकी पंथक लोक, जे सभ एहि बात केँ नहि मानैत अछि जे मृत्यु मे सँ मनुष्य फेर जिआओल जायत, से सभ एकटा प्रश्न लऽ कऽ यीशु लग आयल। 28 ओ सभ कहलकनि, “गुरुजी, मूसा हमरा सभक लेल लिखलनि जे, जँ ककरो भाय निःसन्तान मरि जाइक आ ओकर स्त्री जीविते होइक तँ ओकरा ओहि स्त्री सँ विवाह कऽ अपना भायक लेल सन्तान उत्पन्न करबाक चाही। 29 आब, केओ सात भाय रहय। जेठका विवाह कयलक आ निःसन्तान मरि गेल। 30 तँ दोसर भाय आ फेर तेसर भाय ओकरा सँ विवाह कयलक, और तहिना सातो भाय निःसन्तान मरि गेल। 32 अन्त मे स्त्रिओ मरि गेलि। 33 आब कहल जाओ, ओहि समय मे जहिया मुइल सभ केँ जिआओल जयतैक, तँ ओ स्त्री एहि भाय सभ मे सँ ककर स्त्री होयतैक? ओकरा सँ तँ सातो विवाह कयने छलैक।” 34 यीशु उत्तर देलथिन, “एही दुनियाक लोक विवाह करैत अछि आ विवाह मे देल जाइत अछि। 35 मुदा जे लोक सभ ओहि दुनिया मे जाय जोगरक ठहरि कऽ जीबि उठत, से ओहि दुनिया मे जा कऽ विवाह नहि करत। 36 ओ सभ फेर मरि नहि सकैत अछि, ओ सभ तँ एहि विषय मे स्वर्गदूत सभ जकाँ अछि, और जीबि उठलाक कारणेँ ओ सभ परमेश्वरक सन्तान अछि। 37 मुदा मुइल सभ जीबि उठैत अछि वा नहि, ताहि प्रश्नक सम्बन्ध मे मूसा जरैत झाड़ीक विवरण मे स्पष्ट कयलनि जे अवश्य जीबि उठैत अछि, कारण ओ प्रभु केँ ‘अब्राहमक परमेश्वर, इसहाकक परमेश्वर और याकूबक परमेश्वर’ कहने छथि। 38 ओ मुइल सभक नहि, बल्कि जीवित सभक परमेश्वर छथि। परमेश्वरक नजरि मे सभ केओ जीवित अछि।” 39 एहि पर धर्मशिक्षक सभ मे सँ किछु गोटे कहलथिन, “गुरुजी, अपने बड्ड नीक उत्तर देलहुँ।” 40 और ककरो हुनका सँ आरो बात पुछबाक साहस नहि भेलैक। 41 तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “धर्मशास्त्र मे ई कोना कहल जाइत अछि जे उद्धारकर्ता-मसीह दाऊदक पुत्र छथि? 42 जखन कि दाऊद अपने भजन-संग्रहक पुस्तक मे कहैत छथि, ‘प्रभु-परमेश्वर हमरा प्रभु केँ कहलथिन, अहाँ हमर दहिना कात बैसू 43 और हम अहाँक शत्रु सभ केँ अहाँक पयरक तर मे कऽ देब।’ 44 दाऊद ‘उद्धारकर्ता-मसीह’ केँ ‘प्रभु’ कहैत छथिन। तँ ओ फेर हुनकर पुत्र कोना भेलाह?” 45 सभ लोक हुनकर बात सभ सुनि रहल छलनि तखन ओ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, 46 “धर्मशिक्षक सभ सँ सावधान रहू। धर्मगुरु वला लम्बा-लम्बा कपड़ा पहिरि कऽ घुमब, हाट-बजार मे लोक हुनका सभ केँ प्रणाम करनि, सभाघर सभ मे प्रमुख आसन पर बैसब और भोज-काज मे सम्मानित स्थान भेटय हुनका सभ केँ बहुत नीक लगैत छनि। 47 विधवा सभक घर-द्वारि हड़पि लैत छथि, और लोक सभ केँ देखयबाक लेल लम्बा-लम्बा प्रार्थना करैत छथि। ओहन लोक केँ बेसी दण्ड भेटतैक।”
1 यीशु नजरि उठा कऽ देखलनि जे धनिक सभ मन्दिरक दान-पात्र मे अपन दान चढ़ा रहल अछि। 2 एकटा गरीब विधवा केँ सेहो तामक दूटा पाइ दान-पात्र मे दैत देखलनि। 3 ई देखि ओ बजलाह, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, ई गरीब विधवा ओहि सभ आदमी सँ बेसी चढ़ौलक। 4 ओ सभ तँ अपना फाजिल धन मे सँ दान चढ़ौलक, मुदा ई अपन गरीबी मे सँ अपन पूरा जीविके चढ़ा देलक।” 5 किछु शिष्य सभ मन्दिरक बारे मे बाजि रहल छलाह जे कतेक नीक सँ सुन्दर-सुन्दर पाथर और परमेश्वर केँ अर्पित कयल वस्तु सभ सँ बनाओल अछि। एहि पर यीशु कहलथिन, 6 “ई सभ वस्तु जे एतऽ देखैत छी—तेहन समय आओत जहिया एतऽ एकोटा पाथर एक-दोसर पर नहि रहत। सभ ढाहल जायत।” 7 ओ सभ हुनका सँ पुछलथिन, “गुरुजी, ई घटना कहिया होयत? और कोन चिन्ह होयतैक जाहि सँ बुझि सकी जे ई बात सभ आब होयत?” 8 ओ उत्तर देलथिन, “होसियार रहू जाहि सँ बहकाओल नहि जायब। कारण, बहुतो लोक हमर नाम लऽ कऽ आओत आ कहत जे, ‘हम वैह छी,’ आ ‘समय लगचिआ गेल अछि।’ ओकरा सभक पाछाँ नहि जाउ! 9 जखन अनेक लड़ाइ और अन्दोलनक खबरि सुनब, तँ भयभीत नहि होउ। ई सभ तँ पहिने होयब आवश्यक अछि, मुदा संसारक अन्त तुरत नहि होयत।” 10 आगाँ ओ कहलथिन, “एक देश दोसर देश सँ लड़ाइ करत, और एक राज्य दोसर राज्य सँ। 11 बड़का-बड़का भूकम्प होयत, विभिन्न ठाम अकाल पड़त और अनेक स्थान मे महामारी होयत। आकाश मे भयंकर घटना सभ होयत और आश्चर्यजनक चिन्ह सभ देखाइ देत। 12 “मुदा एहि सभ बात सँ पहिने हमरा कारणेँ लोक सभ अहाँ सभ केँ पकड़ि कऽ अहाँ सभ पर अत्याचार करत। अहाँ सभ केँ सभाघर सभ मे सौंपि देत, जहल मे बन्द कऽ देत, और राजा आ राज्यपाल सभक समक्ष लऽ जायत। 13 ई बात सभ अहाँ सभक लेल गवाही देबाक अवसर होयत। 14 मुदा अहाँ सभ अपना मोन मे ई निश्चय कऽ लिअ जे हमरा पर लगाओल अभियोगक उत्तर मे हम की बाजू तकर चिन्ता पहिने सँ हम नहि करब। 15 कारण, अहाँ सभ केँ बजबाक लेल हम तेहन शब्द और बुद्धि देब जे कोनो विरोधी ने तकरा सामने मे टिकि सकत आ ने तकरा काटि सकत। 16 माय-बाबू, भाय, कुटुम्ब-परिवार और साथी-संगी सभ अहाँ सभक संग विश्वासघात कऽ कऽ पकड़बाओत, और अहाँ सभ मे सँ कतेको केँ मारिओ देत। 17 अहाँ सभ सँ सभ केओ एहि लेल घृणा करत जे अहाँ सभ हमर लोक छी। 18 मुदा अहाँ सभक माथक एकटा केशो नहि टुटत। 19 विश्वास मे दृढ़ रहला सँ अहाँ सभ जीवन प्राप्त करब। 20 “जखन यरूशलेम केँ सेना सभ सँ घेराइत देखब, तँ ई बुझि लिअ जे ओकर विनाश लग आबि गेल। 21 ओहि समय मे जे सभ यहूदिया प्रदेश मे होअय, से सभ पहाड़ पर भागि जाय। जे यरूशलेम मे होअय, से बाहर निकलि जाय, और जे लग-पासक देहात मे होअय, से शहर मे नहि जाय। 22 कारण ओ महादण्डक समय होयत जाहि समय मे धर्मशास्त्र मे लिखल सभ बात पूरा होयत। 23 ओहि समय मे जे स्त्रीगण सभ गर्भवती होयत वा जकरा दूधपीबा बच्चा होयतैक, तकरा सभ केँ कतेक कष्ट होयतैक! किएक तँ एहि देश मे भयंकर संकट औतैक, और एहि लोक सभ पर परमेश्वरक प्रकोप पड़तैक। 24 ओ सभ तरुआरि सँ मारल जायत, और बन्दी बनि कऽ विश्वक प्रत्येक राष्ट्र मे लऽ गेल जायत। यरूशलेम गैर-यहूदी सभ द्वारा तहिया धरि लतखुर्दन भऽ पिचाइत रहत जहिया धरि गैर-यहूदी सभ केँ देल गेल समय पूरा बिति नहि जायत। 25 “सूर्य, चन्द्रमा और तारा सभ मे आश्चर्यजनक चिन्ह सभ देखाइ देत। पृथ्वी पर सभ जातिक लोक समुद्रक लहरि देखि आ ओकर गर्जन सुनि घबड़ा जायत और व्याकुल भऽ उठत। 26 पृथ्वी पर जे बात सभ घटऽ वला अछि, तकर डर-भय सँ लोक सभ बेहोस भऽ जायत। कारण, आकाशक शक्ति सभ हिलाओल जायत। 27 तकरबाद लोक मनुष्य-पुत्र केँ सामर्थ्य और अपार महिमाक संग मेघ मे अबैत देखत। 28 ई सभ बात जखन होमऽ लागत तँ अहाँ सभ ठाढ़ भऽ जाउ और मूड़ी उठाउ, किएक तँ अहाँ सभक छुटकारा लगचिआ गेल रहत।” 29 तखन ओ हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त देलथिन, “अंजीरक गाछ वा कोनो गाछ केँ लिअ। 30 जखने नव पात निकलऽ लगैत छैक तँ अपने सँ जानि लैत छी जे गर्मीक समय आबि रहल अछि। 31 तहिना, जखन अहाँ सभ ई बात सभ होइत देखब तँ बुझू जे परमेश्वरक राज्य लग आबि गेल अछि। 32 “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एहि पीढ़ी केँ समाप्त होमऽ सँ पहिने ई सभ घटना निश्चित घटत। 33 आकाश और पृथ्वी समाप्त भऽ जायत, मुदा हमर वचन अनन्त काल तक रहत। 34 “सावधान रहू! नहि तँ अहाँ सभक मोन भोग-विलास, नशा और जीवनक चिन्ता मे ओझरायल रहत, और ओ दिन अहाँ सभ पर अचानक आबि कऽ फन्दा जकाँ पकड़ि लेत। 35 कारण ओ दिन सम्पूर्ण पृथ्वी पर रहऽ वला सभ लोक पर अचानक आबि जायत। 36 एहि लेल सदिखन सचेत रहू, और प्रार्थना करू जे, जे घटना सभ होमऽ वला अछि ताहि मे बाँचि सकी और मनुष्य-पुत्रक सम्मुख ठाढ़ रहि सकी।” 37 यीशु दिन कऽ मन्दिर मे उपदेश दैत छलाह, और जैतून पहाड़ नामक परवत पर जा कऽ राति बितबैत छलाह। 38 लोक सभ हुनकर उपदेश सुनबाक लेल सभ दिन भोरे-भोर मन्दिर अबैत छल।
1 “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि”, जे “फसह-पाबनि” कहबैत अछि, लगचिआ गेल छल। 2 मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ यीशु केँ कोन प्रकारेँ मारि देल जाय तकर ठीक उपायक ताक मे लागल छलाह, कारण ओ सभ जनता सँ डेराइत छलाह। 3 तखन यहूदा इस्करियोती, जे बारह शिष्य मे सँ एक छल, तकरा मोन मे शैतान पैसि गेलैक। 4 ओ जा कऽ मुख्यपुरोहित सभ और मन्दिरक सिपाही सभक कप्तान सभक संग बात-चीत कयलक जे ओ यीशु केँ कोना हुनका सभक हाथ मे पकड़बा देत। 5 ओ सभ बड्ड प्रसन्न भेलाह, और ओकरा एहि काजक लेल पाइ देबाक लेल सहमत भेलाह। 6 यहूदा सेहो मानि लेलक, और जाहि समय मे लोकक भीड़ नहि रहत, ताहि समय मे यीशु केँ पकड़बा कऽ हुनका सभक हाथ मे देबाक अवसरक ताक मे रहऽ लागल। 7 तखन बिनु खमीरक रोटी वला पाबनिक ओ दिन आबि गेल, जाहि दिन फसह-भोजक भेँड़ा बलिदान करबाक छल। 8 पत्रुस और यूहन्ना केँ यीशु ई कहि कऽ पठौलथिन जे, “जाउ, अपना सभक लेल फसह-भोजक व्यवस्था करू।” 9 ओ सभ पुछलथिन, “अहाँ कतऽ चाहैत छी जे हम सभ व्यवस्था करी?” 10 ओ कहलथिन, “शहर मे प्रवेश करिते घैल मे पानि लऽ जाइत एक पुरुष अहाँ सभ केँ भेटत। जाहि घर मे ओ प्रवेश करत, ताहि मे अहाँ सभ ओकरा पाछाँ-पाछाँ जायब, 11 और घरक मालिक केँ कहबनि जे, ‘गुरुजी पुछैत छथि जे, ओ अतिथि-घर कतऽ अछि जतऽ हम अपना शिष्य सभक संग फसह-भोज खायब?’ 12 ओ अहाँ सभ केँ उपरका तल्ला पर एक नमहर कोठली देखौताह जाहि मे सभ किछु तैयार रहत। ओतहि अहाँ सभ भोजक व्यवस्था करू।” 13 ओ सभ गेलाह, और जहिना यीशु हुनका सभ केँ कहने छलथिन, ठीक ओहिना सभ किछु भेटलनि, और ओ सभ ओतऽ फसह-भोजक व्यवस्था कयलनि। 14 जखन भोज खयबाक समय भेल तँ यीशु अपन बारहो दूतक संग भोजन करबाक लेल बैसलाह। 15 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमरा बड्ड इच्छा छल जे अपन दुःख भोगनाइ सँ पहिने अहाँ सभक संग हम ई फसह-भोज खाइ। 16 कारण, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जा धरि एहि भोजक अभिप्राय परमेश्वरक राज्य मे पूरा नहि होयत, ता धरि हम एकरा फेर नहि खायब।” 17 ओ बाटी लेलनि, आ परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ शिष्य सभ केँ कहलथिन, “ई लिअ, अपना सभ मे बाँटि लिअ। 18 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जाबत तक परमेश्वरक राज्य नहि आओत ताबत तक हम अंगूरक रस फेर नहि पीब।” 19 ओ रोटी लेलनि आ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। रोटी केँ तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ कहलथिन, “ई हमर देह अछि जे अहाँ सभक लेल देल जा रहल अछि। ई हमर यादगारी मे करू।” 20 तहिना भोजनक बाद ओ बाटी लेलनि आ कहलथिन, “एहि बाटी मे परमेश्वर आ मनुष्यक बीच नव सम्बन्ध स्थापित करऽ वला हमर खून अछि, जे अहाँ सभक लेल बहाओल जा रहल अछि। 21 मुदा हमरा पकड़बाबऽ वला एतऽ हमरा संग भोजन पर बैसल अछि! 22 मनुष्य-पुत्र तँ, जहिना ओकरा लेल निश्चित कयल गेल छैक, तहिना चल जायत, मुदा धिक्कार अछि ओहि मनुष्य केँ जे ओकरा पकड़बा रहल अछि।” 23 एहि पर शिष्य सभ एक-दोसर सँ पुछऽ लागल जे, ओ के भऽ सकैत अछि, जे एहन काज करत? 24 शिष्य सभक बीच एहि विषय मे विवाद उठि गेल जे, हमरा सभ मे पैघ के मानल जाय। 25 यीशु कहलथिन, “एहि संसारक राज्य सभ मे राजा सभ अपना प्रजा पर हुकुम चलबैत रहैत छथि, और प्रजा पर अधिकार जमाबऽ वला सभ अपना केँ ‘उपकारी’ कहैत अछि। 26 मुदा अहाँ सभ मे एना नहि होअय। बल्कि, जे अहाँ सभ मे पैघ होअय, से सभ सँ छोट बनय, और जकरा अधिकार होइक, से दास बनय। 27 पैघ के अछि, ओ जे भोजन करबाक लेल बैसल अछि, वा ओ जे सेवा करैत अछि? की भोजन करऽ वला पैघ नहि अछि? मुदा हम अहाँ सभक बीच सेवकक रूप मे छी। 28 “अहीं सभ छी जे हमर बेर-विपत्ति मे हमरा संग दैत रहलहुँ। 29 और जहिना हमर पिता हमरा राज्य करबाक अधिकार देने छथि, तहिना हमहूँ अहाँ सभ केँ राज्य करबाक अधिकार दैत छी, 30 जाहि सँ अहाँ सभ हमर राज्य मे हमरा संग खायब-पीब, और सिंहासन पर बैसि कऽ इस्राएलक बारहो कुलक न्याय करब। 31 “सिमोन, यौ सिमोन! सुनू! शैतान अहाँ सभक माँग कयने अछि, जे ओ अहाँ सभ केँ गहुम जकाँ फटकय। 32 मुदा हम अहाँक लेल पिता सँ प्रार्थना कयने छी जे अहाँक विश्वास टुटय नहि। अहाँ जखन हमरा दिस फेर घूमि आयब, तँ विश्वास मे स्थिर रहऽ मे अपना भाय सभक मदति करब।” 33 मुदा पत्रुस उत्तर देलथिन, “प्रभु! हम अहाँक संग जहल मे जयबाक लेल आ मरबाक लेल सेहो तैयार छी!” 34 यीशु कहलथिन, “यौ पत्रुस, हम अहाँ केँ कहैत छी जे, आइए मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर हमरा अस्वीकार कऽ कऽ लोक केँ कहबैक जे, हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।” 35 तखन ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ जखन बटुआ, झोरा और जुत्ताक बिना बाहर पठौने रही, तँ की कोनो वस्तुक अभाव भेल?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “नहि।” 36 तखन यीशु कहलथिन, “मुदा आब, जकरा बटुआ छैक वा झोरा छैक से लऽ लिअय। आ जकरा तरुआरि नहि छैक, से अपन कोनो वस्त्र बेचि कऽ किनि लिअय। 37 किएक तँ हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, धर्मशास्त्र मे लिखल ई बात हमरा मे पूरा होयबाक अछि जे, ‘ओ अपराधी सभ मे गनल गेलाह।’ हँ, जे बात हमरा विषय मे लिखल अछि, से एखनो पूरा भऽ रहल अछि।” 38 शिष्य सभ हुनका कहलथिन, “प्रभु, देखू, एतऽ दूटा तरुआरि अछि।” ओ उत्तर देलथिन, “बस, भऽ गेल।” 39 तखन यीशु शहर सँ बहरा कऽ जैतून पहाड़ पर गेलाह, जतऽ ओ बेसी काल जाइत छलाह। हुनका संग हुनकर शिष्य सभ सेहो छलथिन। 40 ओतऽ पहुँचि कऽ ओ शिष्य सभ केँ कहलथिन, “प्रार्थना करैत रहू जे परीक्षा मे नहि पड़ी।” 41 तखन ओ शिष्य सभ सँ किछु दूर हटि ठेहुनिया दऽ कऽ एहि तरहेँ प्रार्थना करऽ लगलाह जे, 42 “हे पिता, अहाँ जँ चाहैत छी, तँ ई दुःखक बाटी हमरा लग सँ हटा लिअ। मुदा तैयो हमर इच्छा नहि, अहींक इच्छा पूरा होअय।” 43 तखन हुनका साहस देबाक लेल एक स्वर्गदूत हुनका लग अयलथिन। 44 ओ व्याकुल भऽ कऽ प्रार्थना मे एतेक लीन भऽ गेलाह जे हुनका शरीर सँ खूनक बुन्द सनक पसेना ठोपे-ठोप जमीन पर खसि रहल छलनि। 45 प्रार्थना सँ उठि कऽ ओ शिष्य सभ लग अयलाह। शिष्य सभ शोकित भऽ थाकि कऽ सुतल छलाह। 46 यीशु कहलथिन, “अहाँ सभ सुतल किएक छी? उठू, आ प्रार्थना करैत रहू जे परीक्षा मे नहि पड़ी।” 47 यीशु बाजिए रहल छलाह कि लोकक भीड़ ओतऽ पहुँचल। हुनकर बारह शिष्य मे सँ एक, जकर नाम यहूदा छलैक, से ओकरा सभक आगाँ छल। ओ चुम्मा लेबाक लेल यीशुक लग मे अयलनि, 48 मुदा यीशु ओकरा कहलथिन, “हौ यहूदा, की तोँ मनुष्य-पुत्र केँ चुम्मा लऽ कऽ धोखा दऽ रहल छह?” 49 यीशुक शिष्य सभ जखन देखलनि जे आब की होयत तँ पुछलथिन, “प्रभु, की हम सभ तरुआरि चलाउ?” 50 हुनका सभ मे सँ एक गोटे महापुरोहितक टहलू पर तरुआरि चला कऽ ओकर दहिना कान काटि देलनि। 51 मुदा यीशु कहलथिन, “रूकू, रूकू!” और ओहि आदमीक कान छुबि कऽ ठीक कऽ देलथिन। 52 तखन यीशु मुख्यपुरोहित, मन्दिरक सिपाही और बूढ़-प्रतिष्ठित सभ जे हुनका पकड़ऽ आयल छल, तकरा सभ केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ हमरा विद्रोह मचाबऽ वला बुझि कऽ लाठी और तरुआरि लऽ कऽ पकड़ऽ अयलहुँ? 53 हम अहाँ सभक संग सभ दिन मन्दिर मे छलहुँ तँ हमरा पकड़बाक कोशिश नहि कयलहुँ। मुदा एखन ई अहाँ सभक समय अछि, एखन अन्हार केँ अधिकार छैक।” 54 तखन ओ सभ यीशु केँ पकड़ि लेलकनि आ ओहिठाम सँ महापुरोहितक भवन मे लऽ गेलनि। पत्रुस सेहो किछु दूर रहि कऽ पाछाँ-पाछाँ गेलाह। 55 लोक सभ आङनक बीच मे घूर लगा कऽ आगि तापऽ बैसल तँ पत्रुसो आबि कऽ बैसि रहलाह। 56 एक नोकरनी आगिक इजोत मे हुनका बैसल देखलकनि आ हुनकर मुँह ठिकिअबैत बाजल, “इहो ओकरे संग छलैक।” 57 मुदा पत्रुस अस्वीकार कऽ कऽ कहलथिन, “गे! हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।” 58 किछु कालक बाद केओ दोसर गोटे हुनका देखि कहलकनि, “अहूँ तँ ओकरे सभ मे सँ छी।” पत्रुस उत्तर देलथिन, “यौ भाइ, हम नहि छी!” 59 करीब एक घण्टाक बाद फेर तेसर गोटे जोर दैत बाजल, “ई आदमी पक्का ओकरा संग छलैक, इहो तँ गलीले निवासी अछि।” 60 मुदा पत्रुस उत्तर देलथिन, “भाइ, अहाँ की कहैत छी से हम बुझबे नहि करैत छी!” ओ ई बात कहिए रहल छलाह कि तुरत्ते मुर्गा बाजि उठल। 61 प्रभु घूमि कऽ पत्रुसक दिस तकलथिन। तखने हिनका प्रभुक कहल बात मोन पड़ि गेलनि जे, “आइ मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर हमरा अस्वीकार करब।” 62 ओ ओहिठाम सँ बाहर भऽ भोकासी पाड़ि कऽ कानऽ लगलाह। 63 जे सिपाही सभ यीशु पर पहरा दऽ रहल छलनि से सभ हुनकर हँसी उड़ाबऽ लगलनि और मारऽ-पिटऽ लगलनि। 64 हुनका आँखि पर पट्टी बान्हि कऽ कहलकनि, “यौ अन्तर्यामी! कहल जाओ, अपने केँ के मारलक?” 65 एहि तरहक आरो-आरो बहुत बात सभ कहि कऽ हुनकर अपमान कयलकनि। 66 भोर भेला पर यहूदी सभक बूढ़-प्रतिष्ठित सभ, मुख्यपुरोहित सभ और धर्मशिक्षक सभ महासभा मे जमा भेलाह, और यीशु केँ हुनका सभक सामने आनल गेलनि। 67 ओ सभ कहलथिन, “अहाँ जँ उद्धारकर्ता-मसीह छी, तँ हमरा सभ केँ स्पष्ट कहू।” ओ उत्तर देलथिन, “हम जँ कहब, तँ अहाँ सभ विश्वास करब नहि, 68 और हम जँ अहाँ सभ सँ पुछब, तँ अहाँ सभ उत्तर देब नहि। 69 मुदा आब मनुष्य-पुत्र सर्वशक्तिमान परमेश्वरक दहिना कात बैसत।” 70 ओ सभ केओ एके संग पुछलथिन, “तखन की अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी?” ओ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ ठीक कहैत छी। हँ, हम वैह छी।” 71 एहि पर ओ सभ बजलाह, “आब आरो गवाहीक की आवश्यकता? अपना सभ स्वयं एकरे मुँह सँ सभटा सुनि लेलहुँ।”
1 तखन पूरा सभा उठि कऽ यीशु केँ राज्यपाल पिलातुसक सामने लऽ गेलनि। 2 ओ सभ हुनका पर अभियोग लगाबऽ लागल जे, “एकरा हम सभ जनता केँ भड़कबैत पौलिऐक। ओ सम्राट-कैसर केँ कर देनाइ मना करैत अछि, और अपना केँ मसीह, अर्थात् राजा, कहैत अछि।” 3 एहि पर पिलातुस हुनका सँ पुछलथिन, “की अहाँ यहूदी सभक राजा छी?” ओ उत्तर देलथिन, “अहाँ अपने कहि रहल छी।” 4 तखन पिलातुस मुख्यपुरोहित सभ और लोकक भीड़ केँ कहलथिन, “एहि आदमी मे हम कोनो दोष नहि देखैत छी।” 5 मुदा ओ सभ आओर जोर दऽ कऽ कहलकनि, “ओ अपन सिद्धान्तक द्वारा जनता केँ भड़कबैत अछि। गलील प्रदेश सँ शुरू कऽ कऽ एहिठाम तक आबि ओ समस्त यहूदिया प्रदेश मे अपन शिक्षा दैत आयल अछि।” 6 ई सुनि पिलातुस पुछलथिन, “की ई आदमी गलील प्रदेशक अछि?” 7 और ई बुझि जे यीशु हेरोदक अधिकार-क्षेत्रक छथि, ओ हुनका हेरोदक ओहिठाम पठा देलथिन। हेरोद ओहि समय मे यरूशलेमे मे छलाह। 8 हेरोद यीशु केँ देखि कऽ बहुत प्रसन्न भेलाह, किएक तँ ओ हुनका विषय मे बहुत किछु सुनने छलाह, और बहुत दिन सँ हुनका देखबाक इच्छा छलनि। ओ आशा रखने छलाह जे यीशु कोनो चमत्कार करताह, से हम देखब। 9 तेँ ओ यीशु सँ बहुत काल तक प्रश्न करैत रहलाह, मुदा ई हुनका कोनो उत्तर नहि देलथिन। 10 मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ ओतऽ ठाढ़ भऽ कऽ जोर-जोर सँ बाजि कऽ यीशु पर अभियोग लगा रहल छलाह। 11 तखन राजा हेरोद और हुनकर सैनिक सभ यीशुक अपमान कयलथिन और हँसी उड़ौलथिन। हुनका राजसी वस्त्र पहिरा कऽ पिलातुस लग घुमा देलथिन। 12 हेरोद और पिलातुस, जे पहिने एक-दोसराक कट्टर दुश्मन छलाह, से ओही दिन सँ मित्र बनि गेलाह। 13 तखन पिलातुस मुख्यपुरोहित सभ, नेता सभ और जनता केँ बजा कऽ कहलथिन, 14 “अहाँ सभ एहि आदमी केँ हमरा सामने पेश कऽ कऽ ई अभियोग लगौलिऐक जे, ई आदमी जनता केँ बहका कऽ आन्दोलन कराबऽ चाहैत अछि। हम अहाँ सभक सामने एकर जाँच कयलहुँ, और जाहि बातक अभियोग अहाँ सभ एकरा पर लगा रहल छिऐक, ताहि सम्बन्ध मे हम एकरा दोषी नहि पबैत छी। 15 और हेरोदो दोषी नहि पौलनि, कारण, ओ एकरा हमरा लग फेर घुमा देलनि। स्पष्ट अछि जे ई तेहन कोनो काज नहि कयने अछि जाहि सँ एकरा मृत्युदण्ड देल जाइक। 16 तेँ हम आब एकरा दण्ड दऽ कऽ छोड़ि दैत छिऐक।” 17 [फसह-पाबनिक अवसर पर हुनका कोनो कैदी केँ छोड़ि देबाक छलनि।] 18 मुदा ओ सभ एक संग जोर-जोर सँ हल्ला करैत कहलक जे, “एकरा खतम करू! हमरा सभक लेल बरब्बा केँ छोड़ि दिअ!” 19 बरब्बा एक कैदी छल जे नगर मे कोनो विद्रोहक कारणेँ आ हत्याक अपराध मे जहल मे राखि देल गेल छल। 20 पिलातुस यीशु केँ मुक्त करबाक इच्छा सँ लोक सभ केँ फेर मनयबाक प्रयत्न कयलनि, 21 मुदा ओ सभ नारा लगाबऽ लागल जे, “क्रूस पर चढ़ाउ! ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 22 तेसर बेर पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “किएक? ई कोन अपराध कयने अछि? हम एकरा मे एहन कोनो दोष नहि देखैत छी जाहि कारणेँ एकरा मृत्युदण्ड देल जाइक। तेँ हम एकरा दण्ड दऽ कऽ छोड़ि दैत छिऐक।” 23 मुदा ओ सभ जोर-जोर सँ हल्ला कऽ कऽ पिलातुस सँ जिद्द कयलक जे, “ओकरा क्रूसे पर चढ़ाउ।” ओकर सभक हल्लाक कारणेँ ओकरा सभक जीत भेलैक। 24 पिलातुस ओकर सभक माँग पूरा करबाक निर्णय कयलनि। 25 विद्रोह और हत्याक कारणेँ जहल मे बन्द कयल गेल अपराधी, जकरा छोड़ि देबाक माँग ओ सभ कयने छलैक, तकरा ओ छोड़ि देलथिन, आ यीशु केँ ओकरा सभक इच्छा पर दऽ देलथिन। 26 ओ सभ यीशु केँ जखन लऽ जा रहल छलनि, तँ कुरेन नगरक सिमोन नामक एक आदमी, जे गाम सँ शहर दिस आबि रहल छल, तकरा पकड़ि कऽ ओकरा पर यीशुक क्रूस लादि देलकैक, जाहि सँ ओ यीशुक पाछाँ-पाछाँ क्रूस केँ लऽ चलय। 27 यीशुक पाछाँ बड़का भीड़ जा रहल छल। ओहि मे बहुत स्त्रीगणो सभ छलीह, जे हुनका लेल शोक आ विलाप कऽ रहल छलीह। 28 यीशु घूमि कऽ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हे यरूशलेमक बेटी सभ! हमरा लेल नहि कानू, बरु अपना लेल और अपना धिआ-पुता सभक लेल कानू। 29 कारण, तेहन समय आओत जहिया अहाँ सभ कहब जे, ‘कतेक धन्य ओ स्त्रीगण सभ अछि जकरा बाल-बच्चा नहि भेलैक, हँ, ओ सभ, जे धिआ-पुता केँ जन्म नहि देलक, जे कहियो दूध नहि पिऔलक!’ 30 तखन, ‘लोक पहाड़ सभ केँ कहतैक जे, हमरा सभ पर खसि पड़! हँ, कहतैक जे, हमरा सभ केँ झाँपि ले!’ 31 कारण, जँ हरियर गाछक संग ओ सभ एना करैत अछि, तँ सुखायलक संग की नहि करतैक?” 32 यीशुक संग आरो दू आदमी, जे अपराधी छल, तकरो मृत्युदण्डक लेल लऽ गेल गेलैक। 33 ओहि स्थान पर पहुँचि कऽ जे “खप्पड़” कहबैत अछि, सिपाही सभ यीशु केँ हाथ-पयर मे काँटी ठोकि कऽ क्रूस पर टाँगि देलकनि, ओहिना ओहि दूनू अपराधी केँ सेहो, एकटा केँ हुनकर दहिना कात आ दोसर केँ बामा कात। 34 क्रूस पर चढ़ाओल गेलाक बाद यीशु बजलाह, “यौ पिता, एकरा सभ केँ क्षमा करिऔक, किएक तँ ई सभ नहि जनैत अछि जे की कऽ रहल अछि।” तखन सैनिक सभ पुरजी खसा कऽ यीशुक वस्त्र अपना मे बाँटि लेलक। 35 लोक सभ ओतऽ ठाढ़ भऽ कऽ ई सभ देखि रहल छल। यहूदी अधिकारी सभ यीशुक हँसी उड़बैत कहैत छल, “ई आन लोक सभ केँ बचौलक। ई जँ परमेश्वरक पठाओल मसीह अछि, जँ परमेश्वरक चुनल व्यक्ति अछि, तँ अपना केँ बचाबओ!” 36 सैनिक सभ सेहो यीशु लग आबि कऽ हुनकर हँसी उड़ौलकनि। हुनका तिताह दारू पिबाक लेल देलकनि आ कहलकनि, 37 “तोँ जँ यहूदी सभक राजा छेँ तँ अपना केँ बचा!” 38 हुनका मूड़ीक उपर एकटा सूचना टाँगल छल, जाहि पर लिखल छलैक, “ई यहूदी सभक राजा अछि।” 39 यीशुक कात मे टाँगल एक अपराधी हुनकर निन्दा करैत कहलकनि, “की तोँ उद्धारकर्ता-मसीह नहि छेँ? अपना केँ बचा, आ हमरो सभ केँ बचा ले!” 40 मुदा दोसर अपराधी ओकरा डाँटि कऽ कहलकैक, “रौ! की तोरा परमेश्वरक डर नहि छौ? तोहूँ तँ वैह दण्ड भोगि रहल छेँ। 41 हमरा-तोरा तँ ठीक दण्ड भेटल अछि। किएक तँ अपना सभ अपना काजक फल भोगि रहल छी, मुदा ई तँ कोनो अपराध नहि कयने अछि।” 42 तखन ओ यीशु केँ कहलकनि, “यौ यीशु, अहाँ जखन अपना राज्य मे आयब तँ हमरा मोन राखब।” 43 यीशु उत्तर देलथिन, “हम तोरा सत्य कहैत छिअह जे, आइए तोँ हमरा संग स्वर्गधाम मे होयबह।” 44 लगभग दुपहरक समय छलैक, तखन सौंसे देश अन्हार-कुप्प भऽ गेल, कारण सूर्यक प्रकाश समाप्त भऽ गेल। करीब तीन बजे तक देश मे अन्हारे रहल। मन्दिर मे जे परदा छलैक, से फाटि कऽ दू भाग मे भऽ गेल। 46 तखन यीशु बहुत जोर सँ बजलाह, “हे पिता, हम अपन आत्मा अहाँक हाथ मे सौंपि रहल छी।” ई कहि कऽ ओ प्राण त्यागि देलनि। 47 रोमी कप्तान ई सभ बात देखि परमेश्वरक स्तुति करैत बाजल, “सत्ये ई आदमी निर्दोष छल।” 48 जे लोक सभ ई दृश्य देखबाक लेल जुटि गेल छल, से सभ जखन देखलक जे की सभ भेल, तँ सभ लोक छाती पिटैत घर जाय लागल। 49 मुदा हुनकर चिन्हल-जानल लोक सभ दूरे ठाढ़ भऽ कऽ ई सभ बात देखि रहल छलाह, जाहि मे हुनका संग गलील प्रदेश सँ आयल स्त्रीगण सभ सेहो छलीह। 50 यहूदिया प्रदेशक अरिमतिया नगरक निवासी यूसुफ नामक एक आदमी छलाह जे महासभाक सदस्य छलाह। ओ सज्जन और धार्मिक लोक छलाह आ परमेश्वरक राज्यक प्रतीक्षा कऽ रहल छलाह। यीशुक सम्बन्ध मे महासभा जे निर्णय आ काज कयने छल, ताहि सँ ओ सहमत नहि भेल रहथि। 52 तँ ओ आदमी पिलातुस लग जा कऽ यीशुक लास माँगि लेलनि। 53 ओ क्रूस सँ लास उतारि कऽ मलमलक कपड़ा मे लपेटलनि, और पाथर काटि कऽ बनाओल कबर मे राखि देलनि। ओहि मे कोनो लास कहियो नहि राखल गेल छल। 54 ई शुक्रदिन, विश्राम-दिनक तैयारीक दिन छल, और विश्राम-दिन शुरू भऽ रहल छल। 55 जे स्त्रीगण सभ यीशुक संग गलील प्रदेश सँ आयल छलीह, से सभ यूसुफक पाछाँ-पाछाँ जा कऽ कबर देखलनि और इहो देखलनि जे यीशुक लास ओहि मे कोना राखल गेलनि। 56 तखन ओ सभ घर जा कऽ यीशुक लास मे लगयबाक लेल सुगन्धित तेल और इत्र तैयार कयलनि। मुदा विश्राम-दिन मे ओ सभ धर्म-नियमक आज्ञा मानि कऽ विश्राम कयलनि।
1 विश्राम-दिनक प्रात भेने, अर्थात् सप्ताहक पहिल दिन, भोरे-भोर ओ स्त्रीगण सभ अपन तैयार कयल सुगन्धित तेल सभ लऽ कऽ कबर पर गेलीह। 2 ओतऽ पहुँचला पर ओ सभ देखलनि जे कबरक मुँह पर जे पाथर राखल छलैक, से एक कात हटाओल गेल अछि। 3 मुदा ओ सभ जखन कबरक भीतर गेलीह तँ प्रभु यीशुक लास नहि देखलनि। 4 एहि पर ओ सभ सोच मे पड़ि गेलीह जे, ई की भेल? ताबते मे चमकैत वस्त्र पहिरने दू पुरुष हुनका सभ लग आबि ठाढ़ भऽ गेलनि। 5 ओ सभ डरेँ मूड़ी झुका कऽ नीचाँ मुँहें देखऽ लगलीह। ओ दूनू पुरुष हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ जीवित आदमी केँ मुइल सभ मे किएक ताकि रहल छियनि? 6 ओ एतऽ नहि छथि, जीबि उठल छथि! ओ गलील मे रहैत काल अहाँ सभ केँ की कहने रहथि, से मोन पाड़ू। 7 ई जे, मनुष्य-पुत्र केँ पापी सभक हाथ मे सौंपल जयनाइ, क्रूस पर चढ़ाओल जयनाइ और तेसर दिन जीबि उठनाइ आवश्यक छनि।” 8 तखन यीशुक ई कहल बात हुनका सभ केँ मोन पड़लनि। 9 कबर पर सँ घूमि आबि कऽ ओ सभ ई सभ बात एगारहो शिष्य केँ और आरो लोक सभ केँ सुनौलथिन। 10 जे स्त्रीगण सभ ई बात सभ मसीह-दूत लोकनि केँ सुनौलथिन, से ई सभ छलीह—मरियम मग्दलीनी, योअन्ना, याकूबक माय मरियम और हुनकर सभक आरो संगी सभ। 11 मुदा मसीह-दूत सभ केँ ई सभ बात बताहे वला बुझयलनि और ओ सभ विश्वास नहि कयलथिन। 12 तैयो पत्रुस उठि कऽ कबर पर दौड़ैत गेलाह। ओ निहुड़ि कऽ भीतर तकलनि तँ मात्र मलमल वला पट्टी सभ एक कात पड़ल देखलनि। एहि बात सँ आश्चर्यित होइत ओ घूमि अयलाह। 13 ओही दिन यीशुक संगी मे सँ दू व्यक्ति इम्माउस नामक गाम जा रहल छलाह, जे यरूशलेम सँ करीब चारि कोस दूर अछि। 14 ओ सभ बाट मे एहि बितल घटना सभक बारे मे अपना मे गप्प-सप्प कऽ रहल छलाह। 15 गप्प-सप्प और विचार-विमर्श करैत काल यीशु स्वयं हुनका सभक लग आबि संग-संग चलऽ लगलाह। 16 मुदा हुनका सभक नजरि तेना बन्द कयल गेल छलनि जे ओ सभ यीशु केँ नहि चिन्हि सकलथिन। 17 ओ हुनका सभ सँ पुछलथिन, “अहाँ सभ चलैत-चलैत अपना मे की गप्प-सप्प कऽ रहल छी?” ओ सभ उदास मोन सँ ठाढ़ भऽ गेलाह। 18 ओहि मेहक एक गोटे जिनकर नाम क्लियोपास छलनि, से यीशु केँ कहलथिन, “यरूशलेम मे अहींटा एहन प्रवासी होयब जकरा बुझल नहि छैक जे हाल मे की घटना सभ भेल!” 19 यीशु पुछलथिन, “कोन घटना सभ?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “नासरत-निवासी यीशुक सम्बन्ध मे। ओ परमेश्वरक प्रवक्ता छलाह, और परमेश्वरक आ समस्त जनताक नजरि मे हुनकर काज और वचन सामर्थ्यपूर्ण छलनि। 20 मुख्यपुरोहित सभ और हमरा सभक महासभाक अधिकारी सभ हुनका मृत्युदण्ड दिअयबाक लेल राज्यपालक हाथ मे सौंपि देलथिन, आ क्रूस पर चढ़ा कऽ मरबा देलथिन। 21 हमरा सभ केँ तँ आशा छल जे यैह इस्राएल केँ छुटकारा दिऔताह। और एतबे नहि, एक बात आओर अछि—आइ तीन दिन भेल ई घटना सभ भेला, 22 और आइ हमर सभक किछु स्त्रीगण सभ हमरा सभ केँ आश्चर्यित कऽ देलनि। ओ सभ आइ भोरे-भोर कबर पर गेलीह 23 मुदा हुनकर लास हुनका सभ केँ नहि भेटलनि। ओ सभ आबि कऽ हमरा सभ केँ कहलनि जे एना-एना स्वर्गदूतक दर्शन भेल आ स्वर्गदूत कहलनि जे ओ जीविते छथि। 24 एहि पर हमरा सभक किछु संगी सभ कबर पर गेलाह, आ जहिना स्त्रीगण सभ कहने छलीह, तहिना हुनका सभ केँ सभ किछु भेटलनि, मुदा यीशु केँ ओ सभ नहि देखलनि।” 25 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ कतेक निर्बुद्धि छी! प्रभुक प्रवक्ता लोकनिक सभ कथन पर अहाँ सभ विश्वास करबाक लेल किएक नहि तैयार भेलहुँ? 26 की मसीह केँ दुःख उठौलाक बादे अपना स्वर्गिक महिमा मे प्रवेश नहि करबाक छलनि?” 27 तखन यीशु मूसाक और अन्य प्रवक्ता सभक लेख सँ शुरू कऽ कऽ सम्पूर्ण धर्मशास्त्र मे अपना बारे मे लिखल बात सभ हुनका सभ केँ बुझाबऽ लगलथिन। 28 ताबते मे ओ सभ ओहि गाम लग पहुँचलाह जतऽ जयबाक छलनि, और यीशु एना देखौलथिन जेना ओ आगाँ जाय चाहैत होथि। 29 मुदा ओ सभ हुनका सँ बहुत आग्रह कयलनि जे, “देखू, साँझ पड़ऽ वला अछि, आब अन्हार होयत। हमरा सभक संग आइ रहि जाउ।” तखन यीशु हुनका सभक संग रहबाक लेल घरक भीतर गेलाह। 30 यीशु जखन हुनका सभक संग भोजन करबाक लेल बैसलाह तँ रोटी लेलनि, और परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ रोटी तोड़ि हुनका सभ केँ देबऽ लगलथिन। 31 तखन हुनका सभक नजरि खुलि गेलनि और ओ सभ हुनका चिन्हि लेलथिन। तकरबाद तुरत्ते यीशु बिला गेलाह। 32 तखन ओ सभ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “बाट मे चलैत काल ओ जखन अपना सभ सँ बात-चीत कयलनि आ धर्मशास्त्रक अर्थ बुझा देलनि, तँ अपना सभक हृदय आनन्द सँ केहन धक-धक करैत छल!” 33 ओ सभ तुरत्ते उठि कऽ यरूशलेम घूमि गेलाह। ओतऽ हुनका सभ केँ एगारहो शिष्य और अन्य संगी-साथी सभ एक ठाम जमा भेल भेटलथिन। 34 शिष्य सभ कहि रहल छलाह जे, “सत्ये अछि! प्रभु जीबि उठल छथि! ओ सिमोन केँ दर्शन देलनि अछि।” 35 तखन इहो दूनू गोटे हुनका सभ केँ बाट मे भेल बात सभक विषय मे कहि सुनौलथिन, आ कहलथिन, “ओ जखन रोटी तोड़लनि तखन हम सभ हुनका चिन्हि लेलियनि।” 36 ओ सभ ई बात सभ सुनबिते छलथिन कि यीशु स्वयं हुनका सभक बीच मे प्रगट भेलथिन और कहलथिन, “अहाँ सभ केँ शान्ति भेटय।” 37 ओ सभ हुनका भूत बुझि अकचका कऽ भयभीत भऽ गेलाह। 38 यीशु कहलथिन, “अहाँ सभ किएक घबड़ायल छी? मोन मे शंका किएक उठैत अछि? 39 हमर हाथ-पयर देखू। हमहीं छी! हमरा छुबि कऽ देखू! भूत-प्रेत केँ तँ एना हाड़-माँसु सभ नहि होइत छैक जेना अहाँ सभ हमरा देखि रहल छी।” 40 ई कहि ओ हुनका सभ केँ अपन हाथ-पयर देखौलथिन। 41 हुनका सभ केँ ततेक ने आनन्द भेलनि जे तखनो विश्वास नहि भेलनि, आश्चर्य मे डुबल छलाह। तेँ यीशु पुछलथिन, “की अहाँ सभ लग किछु खयबाक वस्तु अछि?” 42 ओ सभ हुनका पकाओल माछक कुटिआ देलथिन। 43 ओ लऽ कऽ हुनका सभक सामने खयलनि। 44 यीशु कहलथिन, “हम जखन अहाँ सभक संग छलहुँ तँ अहाँ सभ केँ ई कहने छलहुँ जे, मूसाक धर्म-नियम, प्रभुक प्रवक्ता सभक लेख और भजन-संग्रहक पुस्तक मे हमरा विषय मे जे किछु लिखल अछि, से सभ बात पूरा होयब आवश्यक अछि।” 45 तखन ओ हुनका सभ केँ धर्मशास्त्रक बात बुझबाक लेल बुद्धि देलथिन। 46 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “धर्मशास्त्र मे ई लिखल अछि जे, उद्धारकर्ता-मसीह दुःख उठौताह आ तेसर दिन मृत्यु सँ जीबि उठताह, 47 और यरूशलेम सँ शुरू कऽ पृथ्वीक सभ जातिक लोक मे हुनकर नाम सँ एहि बातक प्रचार कयल जायत जे, अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करू आ पापक क्षमा प्राप्त करू। 48 अहाँ सभ एहि बात सभक गवाह छी। 49 हमर पिता अहाँ सभ केँ जे किछु देबाक वचन देलनि, से हम अहाँ सभ केँ आब पठा देब। मुदा जा धरि अहाँ सभ केँ ऊपर सँ सामर्थ्य प्राप्त नहि होयत, ता धरि अहाँ सभ एहि शहर मे रूकल रहू।” 50 यीशु हुनका सभ केँ बेतनिया गाम दिस लऽ गेलथिन, और अपन हाथ उठा कऽ हुनका सभ केँ आशीर्वाद देलथिन। 51 आशीर्वाद दैत काल ओ हुनका सभ सँ अलग भऽ गेलाह, और स्वर्ग मे उठा लेल गेलाह। 52 शिष्य सभ हुनकर आराधना कयलनि और अत्यन्त आनन्दक संग यरूशलेम घूमि अयलाह। 53 ओ सभ परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करैत अपन सम्पूर्ण समय मन्दिर मे व्यतीत करऽ लगलाह।
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