John


1

1 शुरू मे वचन रहथि। वचन परमेश्‍वरक संग छलाह, और अपने परमेश्‍वर छलाह। 2 तँ वैह शुरू मे परमेश्‍वरक संग छलाह। 3 वचने द्वारा सभ वस्‍तु उत्‍पन्‍न कयल गेल, और जे किछु उत्‍पन्‍न भेल ओहि मे सँ एकोटा वस्‍तु हुनका बिना उत्‍पन्‍न नहि भेल। 4 हुनका मे जीवन छल, और ई जीवन मनुष्‍यक लेल इजोत छल। 5 इजोत अन्‍हार मे प्रकाश दैत अछि, और अन्‍हार ओहि पर कहियो विजयी नहि भेल अछि। 6 परमेश्‍वर द्वारा पठाओल गेल एक आदमी अयलाह, जिनकर नाम यूहन्‍ना छलनि। 7 ओ गवाहीक लेल अयलाह, ओहि इजोतक विषय मे गवाही देबाक लेल, जाहि सँ हुनका द्वारा सभ लोक विश्‍वास करय। 8 ओ अपने ओ इजोत नहि छलाह, बल्‍कि ओहि इजोतक सम्‍बन्‍ध मे गवाही देबाक लेल आयल छलाह। 9 ओ इजोत वास्‍तविक इजोत छलाह, जे प्रत्‍येक मनुष्‍य केँ प्रकाशित करैत छथि। और ओ इजोत संसार मे आबि रहल छलाह। 10 ओ संसार मे छलाह, संसार हुनका द्वारा बनाओल गेल छल, तैयो संसार हुनका नहि चिन्‍हलकनि। 11 ओ अपना ओहिठाम अयलाह, मुदा हुनकर अपन लोक हुनका स्‍वीकार नहि कयलकनि। 12 तैयो जे सभ हुनका स्‍वीकार कयलक, अर्थात् जे सभ हुनका पर विश्‍वास कयलक, तकरा सभ केँ ओ परमेश्‍वरक सन्‍तान बनबाक अधिकार देलथिन। 13 ओ सभ ने मनुष्‍यक वंशज सँ जनमल, ने शारीरिक इच्‍छा सँ, और ने कोनो पुरुषक कल्‍पना सँ, बल्‍कि परमेश्‍वर द्वारा जनमल। 14 वचन मनुष्‍य बनि गेलाह, और कृपा आ सत्‍य सँ परिपूर्ण भऽ, हमरा सभक बीच मे निवास कयलनि। हम सभ हुनकर एहन महिमा देखलहुँ जेना पिताक एकलौता पुत्रक महिमा। 15 यूहन्‍ना हुनका विषय मे ई गवाही दऽ कऽ जोर सँ कहलनि, “यैह छथि जिनका बारे मे हम कहैत छलहुँ जे, ओ जे हमरा बाद अबैत छथि, से हमरा सँ श्रेष्‍ठ छथि, किएक तँ हमर जन्‍मो सँ पहिने ओ छलाह।” 16 हुनकर परिपूर्णता मे सँ हमरा सभ गोटे केँ कृपा भेटल अछि, हँ, आशिष पर आशिष। कारण, 17 धर्म-नियम मूसा द्वारा देल गेल, मुदा कृपा और सत्‍य यीशु मसीह द्वारा आयल। 18 परमेश्‍वर केँ केओ कहियो नहि देखने छनि। मुदा एकलौता पुत्र, जे अपने परमेश्‍वर छथि, और जे पिताक संगति मे रहैत छथि, वैह हुनका प्रगट कयने छथिन। 19 यूहन्‍नाक गवाही ई छनि। यरूशलेम शहर सँ यहूदी लोकनि पुरोहित आ मन्‍दिरक सेवक सभ केँ हुनका लग ई पुछबाक लेल पठा देलनि जे, “अहाँ के छी?” 20 तँ यूहन्‍ना अस्‍वीकार नहि कयलनि, ओ खुलि कऽ मानि लेलनि जे, “हम उद्धारकर्ता-मसीह नहि छी।” 21 ओ सभ हुनका सँ पुछलथिन, “तँ की, अहाँ एलियाह छी?” ओ उत्तर देलथिन, “हम से नहि छी।” “की अहाँ परमेश्‍वरक ओ प्रवक्‍ता छी जे आबऽ वला छथि?” ओ जबाब देलथिन, “नहि।” 22 तखन ओ सभ हुनका फेर पुछलथिन, “तखन अहाँ छी के? कहू ने जाहि सँ हमरा सभ केँ जे पठौलनि तिनका सभ केँ किछु उत्तर दऽ सकबनि। अपना विषय मे अहाँ की कहैत छी?” 23 ओ उत्तर देलथिन, “जहिना परमेश्‍वरक प्रवक्‍ता यशायाह कहलनि, हम ‘एक स्‍वर’ छी जे ‘निर्जन क्षेत्र मे जोर सँ आवाज दऽ रहल अछि जे, प्रभुक आगमनक लेल बाट सोझ बनाउ।’” 24 तखन फरिसी सभ द्वारा पठाओल गेल लोक सभ मे सँ किछु गोटे 25 हुनका सँ पुछलकनि, “अहाँ जँ उद्धारकर्ता-मसीह नहि छी, आ ने एलियाह आ ने ओ प्रवक्‍ता, तँ अहाँ बपतिस्‍मा किएक दैत छी?” 26 यूहन्‍ना हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “हम पानि सँ बपतिस्‍मा दैत छी, मुदा अहाँ सभक बीच मे एक व्‍यक्‍ति ठाढ़ छथि जिनका अहाँ सभ नहि चिन्‍हैत छियनि। 27 ओ वैह छथि जे हमरा बाद अबैत छथि, और हम हुनकर जुत्तो खोलऽ जोगरक नहि छी।” 28 ई सभ बात यरदन नदीक ओहि पार बेतनिया गाम मे भेल, जाहिठाम यूहन्‍ना बपतिस्‍मा दैत रहथि। 29 दोसरे दिन यूहन्‍ना यीशु केँ अपना दिस अबैत देखि बजलाह, “देखू! ई परमेश्‍वरक बलि-भेँड़ा छथि जे संसारक पाप उठा कऽ लऽ जाइत छथि। 30 ई वैह छथि जिनका विषय मे हम कहलहुँ जे, हमरा बाद मे एक व्‍यक्‍ति अबैत छथि जे हमरा सँ श्रेष्‍ठ छथि किएक तँ हमर जन्‍मो सँ पहिनहि ओ छलाह। 31 हमहूँ हुनका नहि चिन्‍हैत छलहुँ, मुदा हम पानि सँ बपतिस्‍मा दैत एहि लेल अयलहुँ जे ओ अपन इस्राएली लोक पर प्रगट होथि।” 32 यूहन्‍ना ई गवाही देलनि, “हम परमेश्‍वरक आत्‍मा केँ आकाश सँ परबा जकाँ उतरैत आ हुनका पर टिकैत देखलहुँ। 33 हम अपने तँ हुनका नहिए चिन्‍हितहुँ, मुदा जे हमरा पानि सँ बपतिस्‍मा देबऽ लेल पठौलनि, से हमरा कहने छलाह जे, ‘जिनका पर तोँ आत्‍मा केँ उतरैत और टिकैत देखबह, वैह छथि जे पवित्र आत्‍मा सँ बपतिस्‍मा देताह।’ 34 हम ई बात देखने छी और गवाही दैत छी जे ई परमेश्‍वरक पुत्र छथि।” 35 फेर दोसरे दिन यूहन्‍ना अपन शिष्‍य मे सँ दू गोटेक संग ओहिठाम ठाढ़ छलाह। 36 यीशु केँ ओहि दऽ कऽ जाइत देखि ओ कहलनि, “देखू! परमेश्‍वरक बलि-भेँड़ा!” 37 ई बात सुनि दूनू शिष्‍य यीशुक पाछाँ लागि गेलनि। 38 यीशु घूमि कऽ हुनका सभ केँ पाछाँ अबैत देखि कहलथिन, “अहाँ सभ की चाहैत छी?” ओ सभ हुनका कहलथिन, “रब्‍बी,” (जकर अर्थ अछि “गुरुजी”), “अहाँ कतऽ ठहरल छी?” 39 ओ हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “चलू देखि लिअ।” तखन ओ सभ जा कऽ देखि लेलनि जे ओ कतऽ ठहरल छथि, आ ओहि दिन हुनका संग रहलाह। ओ समय लगभग चारि बजे साँझक छल। 40 ई दूनू जे यूहन्‍नाक बात सुनि कऽ यीशुक पाछाँ भऽ चलल रहथि, ओहि मे सँ एक अन्‍द्रेयास छलाह, सिमोन पत्रुसक भाय। 41 ओ तुरत अपन भाय सिमोन सँ भेँट कऽ हुनका कहलथिन, “हमरा सभ केँ उद्धारकर्ता-मसीह भेटलाह।” (⌞यूनानी भाषा मे⌟ “मसीह” केँ “ख्रिष्‍ट” कहल जाइत अछि।) 42 ओ हुनका यीशु लग अनलथिन। यीशु हुनका ध्‍यानपूर्बक देखि कहलथिन, “अहाँ सिमोन, यूहन्‍नाक बालक छी। अहाँक नाम ‘कैफा’ होयत” (अर्थात् “पत्रुस”) । 43 दोसरे दिन यीशु गलील प्रदेश जयबाक निश्‍चय कयलनि। तखन हुनका फिलिपुस भेँट भेलनि। ओ हुनका कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” 44 अन्‍द्रेयास और पत्रुस जकाँ, फिलिपुस सेहो बेतसैदा नगरक निवासी छलाह। 45 फिलिपुस नथनेल सँ भेँट कऽ कऽ कहलथिन, “हमरा सभ केँ ओ भेटलाह जिनका विषय मे मूसा धर्म-नियम मे लिखने छथि आ जिनका विषय मे परमेश्‍वरक प्रवक्‍ता सभ सेहो लिखने छथि। ओ छथि यूसुफक बेटा, नासरतक निवासी यीशु।” 46 “नासरत?” नथनेल बाजि उठलाह। “की नासरत सँ किछुओ नीक आबि सकैत छैक?” फिलिपुस हुनका कहलथिन, “चलि कऽ देखि लिअ।” 47 यीशु नथनेल केँ अपना लग अबैत देखि कहलथिन, “देखू! ई एक सही इस्राएली छथि, जिनका मे कोनो छल-प्रपंच नहि!” 48 नथनेल हुनका कहलथिन, “अहाँ हमरा कोना चिन्‍हैत छी?” यीशु उत्तर देलथिन, “एहि सँ पहिनहि जे फिलिपुस अहाँ केँ बजौलनि, हम अहाँ केँ अंजीरक गाछ तर देखने छलहुँ।” 49 एहि पर नथनेल बजलाह, “गुरुजी! अहाँ परमेश्‍वरक पुत्र छी! अहाँ इस्राएलक राजा छी।” 50 यीशु हुनका कहलथिन, “की अहाँ एहि लेल ई बात विश्‍वास करैत छी जे हम अहाँ केँ कहलहुँ जे अंजीर गाछ तर अहाँ केँ देखने छलहुँ? अहाँ एहू सँ पैघ बात सभ देखब।” 51 तखन हुनका इहो कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ विश्‍वास दिअबैत छी जे अहाँ सभ स्‍वर्ग केँ खुजल आ परमेश्‍वरक स्‍वर्गदूत सभ केँ मनुष्‍य-पुत्र पर ऊपर चढ़ैत आ नीचाँ उतरैत देखब।”

John 2

1 एहि बातक तेसरे दिन गलील प्रदेशक काना नामक गाम मे विवाह छल। ओहिठाम यीशुक माय छलीह, 2 और यीशु आ हुनकर शिष्‍य सभ सेहो विवाह मे निमन्‍त्रित छलाह। 3 अंगूरक मदिरा घटला पर माय यीशु केँ कहलथिन, “हिनका सभ केँ आब मदिरा नहि छनि।” 4 यीशु हुनका कहलथिन, “अहाँ हमरा ई किएक कहैत छी? हमर समय एखन नहि आयल अछि।” 5 तखन हुनकर माय बारिक सभ केँ कहलनि, “ई जे किछु तोरा सभ केँ कहथुन से करिहह!” 6 लग मे यहूदी सभक रीतिक अनुसार शुद्ध करबाक लेल छओटा पाथरक घैल राखल छल। प्रत्‍येक मे करीब सौ-सवासौ लीटर अँटैत छल। 7 यीशु बारिक सभ केँ कहलथिन, “घैल सभ मे पानि भरि दहक।” 8 ओ सभ घैल केँ कानो-कान भरि देलक। तखन ओकरा सभ केँ कहलथिन, “आब किछु निकालि कऽ भण्‍डारी केँ दऽ अबहुन।” ओ सभ दऽ आयल, 9 और भण्‍डारी ओहि पानि केँ चिखलनि जे आब मदिरा बनि गेल छल। हुनका नहि बुझल छलनि जे ई मदिरा कतऽ सँ आबि गेल (मुदा बारिक सभ जे पानि निकालने छल, तकरा सभ केँ बुझल छलैक), तेँ भण्‍डारी वर केँ बजा कऽ कहलथिन, 10 “सभ आदमी तँ बढ़ियाँ वला मदिरा पहिनहि परसैत अछि, और बाद मे जखन लोक सभ बहुते पिबि लेने रहैत अछि तखने साधारण वला परसैत अछि, मुदा अहाँ बढ़ियाँ वला एखनो धरि रखनहि छलहुँ!” 11 एहि तरहेँ गलीलक काना गाम मे यीशु अपन चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह सभ शुरू कऽ कऽ अपन महिमा प्रगट कयलनि और हुनकर शिष्‍य सभ हुनका पर विश्‍वास कयलनि। 12 एकरा बाद यीशु अपन माय, भाय और शिष्‍य सभक संग कफरनहूम नगर गेलाह और ओहिठाम किछु दिन रहलाह। 13 यहूदी सभक फसह-पाबनि लग अयला पर यीशु यरूशलेम चल गेलाह। 14 मन्‍दिर मे ओ लोक सभ केँ गाय-बड़द, भेँड़ा और परबा बेचैत और टेबुल पर बैसल पैसा भजबऽ वला सभ केँ पैसा भजबैत देखलनि। 15 ई देखि यीशु रस्‍साक कोड़ा बना कऽ सभ केँ मन्‍दिर मे सँ बाहर भगा देलथिन, भेँड़ा और माल-जाल केँ सेहो। पाइ भजबऽ वला सभक सिक्‍का छिड़िया कऽ ओकरा सभक टेबुल उनटा देलथिन। 16 परबा बेचऽ वला सभ केँ ओ कहलथिन, “एहि सभ केँ एतऽ सँ तुरत लऽ जाह! हमर पिताक घर केँ बजार नहि बनाबह!” 17 तखन हुनकर शिष्‍य सभ केँ धर्मशास्‍त्रक ई लेख मोन पड़लनि जे, “हे परमेश्‍वर, अहाँक घरक लेल हमर धुनि हमरा खा जायत।” 18 तखन यहूदी सभ हुनका कहलथिन, “ई सभ करबाक अधिकारक प्रमाण देबाक लेल अहाँ हमरा सभ केँ कोन चिन्‍ह देखायब?” 19 यीशु उत्तर देलथिन, “एहि मन्‍दिर केँ ढाहि दिअ और हम एकरा तीन दिन मे फेर ठाढ़ कऽ देब।” 20 एहि पर यहूदी सभ जबाब देलथिन, “एहि मन्‍दिर केँ बनाबऽ मे हमरा सभ केँ छियालिस वर्ष लागल, और की अहाँ एकरा तीन दिन मे फेर ठाढ़ कऽ देब!” 21 मुदा यीशु जाहि मन्‍दिरक बारे मे बाजल छलाह, से हुनकर देह छलनि। 22 तेँ बाद मे जखन ओ मरलाक बाद जीबि उठलाह तँ शिष्‍य सभ हुनकर एहि कथन केँ स्‍मरण कयलनि। तखन ओ सभ धर्मशास्‍त्रक लेख केँ और यीशुक बात केँ विश्‍वास कयलनि। 23 जखन यीशु फसह-भोजक समय मे यरूशलेम मे छलाह, तँ बहुत लोक हुनकर चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह सभ जे ओ देखबैत छलाह, तकरा देखि कऽ हुनका पर विश्‍वास कयलकनि, 24 मुदा यीशु अपना केँ ओकरा सभक भरोस पर नहि छोड़लनि, कारण सभ मनुष्‍य केँ ओ जनैत छलाह। 25 मनुष्‍यक बारे मे हुनका ककरो द्वारा कोनो साक्षीक आवश्‍यकता नहि छलनि, किएक तँ ओ अपने जनैत छलाह जे मनुष्‍यक मोन मे की बात होइत छैक।

John 3

1 फरिसी सभ मे सँ एक निकोदेमुस नामक आदमी छलाह, जे यहूदी सभक धर्मसभाक सदस्‍य छलाह। 2 एक राति ओ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “गुरुजी, हम सभ जनैत छी जे अपने परमेश्‍वर द्वारा पठाओल गेल गुरु छी, कारण जँ परमेश्‍वर संग नहि रहितथि तँ अपने जे चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह सभ देखा रहल छी, से केओ नहि देखा सकैत।” 3 यीशु हुनका उत्तर देलथिन, “हम अहाँ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, जाबत तक केओ नव जन्‍म नहि लेत ताबत तक ओ परमेश्‍वरक राज्‍य नहि देखि सकत।” 4 निकोदेमुस हुनका कहलथिन, “केओ बूढ़ भऽ कऽ कोना जन्‍म लेत? की ओ मायक गर्भ मे दोसर बेर प्रवेश कऽ फेर जन्‍म लऽ सकत?!” 5 यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ केँ विश्‍वास दिअबैत छी जे, जाबत तक केओ जल और आत्‍मा सँ जन्‍म नहि लेत ताबत तक ओ परमेश्‍वरक राज्‍य मे प्रवेश नहि कऽ सकत। 6 मनुष्‍य तँ खाली शारीरिक जन्‍म दैत अछि, मुदा पवित्र आत्‍मा आत्‍मिक जन्‍म दैत छथि। 7 तेँ एहि सँ आश्‍चर्य नहि मानू जे हम अहाँ केँ कहलहुँ जे अहाँ सभ केँ नव जन्‍म लेबऽ पड़त। 8 हवा जतऽ चाहैत अछि ततऽ बहैत अछि। ओकर आवाज सुनैत छी लेकिन कतऽ सँ आबि रहल अछि वा कतऽ जा रहल अछि से नहि जानि सकैत छी। जे आत्‍मा सँ जन्‍म लैत अछि, तकरो एहिना होइत छैक।” 9 निकोदेमुस हुनका कहलथिन, “ई सभ बात कोना भऽ सकैत अछि?” 10 यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ इस्राएलक गुरु छी, आ ई बात नहि बुझैत छी?! 11 हम अहाँ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, जे बात हम जनैत छी, वैह बात बजैत छी, मुदा तैयो अहाँ सभ हमरा गवाही केँ स्‍वीकार नहि करैत छी। 12 जखन हम अहाँ केँ पृथ्‍वी परक बात कहैत छी और अहाँ विश्‍वास नहि करैत छी, तँ स्‍वर्गक बात जँ कहब तँ अहाँ केँ कोना विश्‍वास होयत? 13 केओ स्‍वर्ग मे उपर नहि चढ़ल अछि; वैहटा चढ़ल छथि जे स्‍वर्ग सँ उतरल छथि, अर्थात् मनुष्‍य-पुत्र। 14 जहिना मूसा निर्जन क्षेत्र मे पित्तरिक साँप केँ ऊपर लटका देलनि, तहिना मनुष्‍य-पुत्र केँ सेहो अवश्‍य ऊपर लटकाओल जयतनि 15 जाहि सँ जे केओ हुनका पर विश्‍वास करत से अनन्‍त जीवन प्राप्‍त करत। 16 “हँ, परमेश्‍वर संसार सँ एहन प्रेम कयलनि जे ओ अपन एकमात्र बेटा केँ दऽ देलनि, जाहि सँ जे केओ हुनका पर विश्‍वास करैत अछि से नाश नहि होअय, बल्‍कि अनन्‍त जीवन पाबय। 17 परमेश्‍वर तँ अपना बेटा केँ संसार मे एहि लेल नहि पठौलनि जे ओ संसार केँ दोषी ठहरबथि, बल्‍कि एहि लेल जे हुनका द्वारा संसारक उद्धार होअय। 18 जे व्‍यक्‍ति हुनका पर विश्‍वास करैत अछि से दोषी नहि ठहराओल जाइत अछि, मुदा जे व्‍यक्‍ति हुनका पर विश्‍वास नहि करैत अछि, से दोषी ठहराओल जा चुकल अछि, किएक तँ ओ परमेश्‍वरक एकलौता बेटा पर विश्‍वास नहि कयने अछि। 19 दोष एहि मे भेल, जे संसार मे इजोत आबि गेल और लोक केँ इजोतक बदला अन्‍हारे नीक लगलैक, कारण ओकर काज अधलाहे होइत छलैक। 20 जे अधलाह काज करैत अछि से इजोत सँ घृणा करैत अछि और इजोत लग नहि अबैत अछि जाहि सँ ओकर काज कतौ प्रगट नहि भऽ जाइक। 21 मुदा जे सत्‍य पर चलैत अछि से इजोत लग अबैत अछि जाहि सँ ई प्रगट भऽ जाय जे ओ जे किछु कयने अछि से परमेश्‍वरक इच्‍छाक अनुसार कयने अछि।” 22 एकरबाद यीशु अपन शिष्‍य सभक संग यहूदियाक देहात जा कऽ हुनका सभक संग रहलाह और लोक केँ बपतिस्‍मा देबऽ लगलाह। 23 यूहन्‍ना सेहो शालीम लग एनोन गाम मे बपतिस्‍मा दैत छलाह, कारण ओतऽ पानि बहुत छल, और लोक सभ हुनका लग आबि कऽ बपतिस्‍मा लैत छल। 24 (ओहि समय मे यूहन्‍ना जहल मे नहि राखल गेल छलाह।) 25 तँ यूहन्‍नाक शिष्‍य कोनो एकटा यहूदीक संग शुद्ध करबाक रीतिक विषय मे वाद-विवाद करऽ लगलाह। 26 ओ सभ यूहन्‍ना लग आबि कऽ कहलनि, “गुरुजी, ओ जे यरदन नदीक ओहि पार अहाँक संग छलाह, जिनका बारे मे अहाँ गवाही देलहुँ, से आब बपतिस्‍मा दऽ रहल छथि और सभ लोक हुनके लग जा रहल अछि।” 27 एहि पर यूहन्‍ना उत्तर देलथिन, “मनुष्‍य किछुओ प्राप्‍त नहि कऽ सकैत जँ परमेश्‍वर सँ नहि देल जाइत। 28 अहाँ सभ अपने हमर गवाह छी जे हम कहलहुँ जे, उद्धारकर्ता-मसीह हम नहि छी, बल्‍कि हम हुनका सँ आगाँ पठाओल गेल छी। 29 कनियाँ वरे केँ छनि। वरक मित्र, जे वरक प्रतीक्षा मे ठाढ़ भऽ कऽ सुनैत अछि, से वरक आवाज सुनि बड्ड आनन्‍दित होइत अछि। तेँ हमर ई आनन्‍द आब पूर्ण भऽ गेल अछि। 30 ई जरूरी अछि जे ओ बढ़ैत रहथि आ हम घटैत रही। 31 “जे ऊपर सँ आयल छथि से आओर सभ सँ पैघ छथि। जे पृथ्‍वी सँ अछि से पृथ्‍विएक अछि और खाली पृथ्‍वी वला बात सभ कहैत अछि। जे स्‍वर्ग सँ अबैत छथि वैह आओर सभ सँ पैघ छथि, 32 और जे बात ओ देखने छथि और सुनने छथि, तकरे गवाही दैत छथि। मुदा केओ हुनका गवाही केँ स्‍वीकार नहि करैत अछि। 33 जे व्‍यक्‍ति हुनका गवाही केँ स्‍वीकार कयने अछि, से एहि बात पर अपन छाप लगा देने अछि जे परमेश्‍वर सत्‍य छथि, 34 कारण जिनका परमेश्‍वर पठौने छथिन, से वैह बात कहैत छथि जे परमेश्‍वर कहैत छथि। हुनका परमेश्‍वर अपन आत्‍मा, बिना नापि-जोखि कऽ दैत छथिन। 35 पिता पुत्र सँ प्रेम करैत छथि और हुनके हाथ मे सभ किछु दऽ देने छथिन। 36 जे पुत्र पर विश्‍वास करैत अछि, तकरा अनन्‍त जीवन छैक। जे पुत्र केँ नहि मानैत अछि, से ओहि जीवन केँ नहि देखत—ओकरा पर परमेश्‍वरक क्रोध रहैत अछि।”

John 4

1 जखन प्रभु केँ पता लगलनि जे फरिसी सभ सुनलनि अछि जे यीशु यूहन्‍ना सँ बेसी शिष्‍य केँ बनबैत छथि और बपतिस्‍मा दैत छथि 2 (ओना तँ यीशु अपने नहि, बल्‍कि हुनकर शिष्‍य सभ बपतिस्‍मा दैत छलाह), 3 तखन ओ यहूदिया प्रदेश छोड़ि कऽ फेर गलील प्रदेशक लेल विदा भऽ गेलाह। 4 रस्‍ता मे हुनका सामरिया प्रदेश भऽ कऽ जाय पड़लनि। 5 ओ सामरिया मे सुखार नगर पहुँचलाह। ई नगर ओहि खेत लग अछि जे याकूब अपना बेटा यूसुफ केँ देने छलाह। 6 ओतऽ याकूबक इनार छल, और यीशु यात्रा सँ थाकि कऽ इनार पर बैसि रहलाह। ई दुपहरियाक समय छल। 7 ताबते मे एक सामरी स्‍त्री पानि भरऽ आयल। यीशु ओकरा कहलथिन, “हमरा पानि पिबऽ लेल दैह।” 8 हुनकर शिष्‍य सभ भोजनक सामान किनबाक लेल नगर मे गेल छलाह। 9 सामरी स्‍त्री कहलकनि, “अपने यहूदी भऽ कऽ हमरा सामरी स्‍त्री सँ कोना पानि मँगैत छी?” (कारण, यहूदी सभ सामरी लोक सँ कोनो सम्‍पर्क नहि रखैत अछि।) 10 यीशु उत्तर देलथिन, “जँ तोँ परमेश्‍वरक वरदान केँ जनितह, और ई जनितह जे ओ के छथि जे तोरा कहैत छथुन जे पिबऽ लेल दैह, तँ तोँही हुनके सँ मँगितह और ओ तोरा जीवनक जल दितथुन।” 11 स्‍त्री बाजल, “मालिक, पानि भरऽ लेल अपने केँ डोलो तक नहि अछि, और इनार गहींर अछि। ई जीवनक जल अपने लग आओत कतऽ सँ? 12 की अपने हमरा सभक पुरखा याकूब सँ पैघ छी? ओ तँ हमरा सभ केँ ई इनार प्रदान कयलनि, जाहि मे सँ ओ अपने और हुनकर बालक सभ पिलनि और माल-जाल सभ सेहो पिलक।” 13 यीशु बजलाह, “जे ई पानि पीत, तकरा फेर पियास लगतैक, 14 मुदा जे ओ जल पीत जे हम देबैक, तकरा कहियो फेर पियास नहि लगतैक। कारण, हम ओकरा पिबाक लेल जे जल देबैक, से ओकरा मे सदिखन उमड़ैत रहतैक और अनन्‍त जीवन तक बहतैक।” 15 स्‍त्री कहलकनि, “यौ मालिक! हमरा ई जल दिअ जाहि सँ हमरा कहियो नहि पियास लागय और एहिठाम पानि भरऽ नहि आबऽ पड़य।” 16 ओ कहलथिन, “जा कऽ अपना घरवला केँ बजा लबहुन।” 17 स्‍त्री हुनका जबाब देलकनि, “हमरा घरवला नहि अछि।” यीशु ओकरा कहलथिन, “तोँ ठीके कहैत छह जे हमरा घरवला नहि अछि, 18 कारण तोरा पाँचटा घरवला भेल छलह, और जे तोरा लग एखन छह, सेहो तोहर घरवला नहि छह। ई बात तोँ एकदम सत्‍य कहलह।” 19 स्‍त्री बाजल, “मालिक, हम बुझि गेलहुँ जे अपने परमेश्‍वरक एक प्रवक्‍ता छी! आब कहू। 20 हमरा सभक पुरखा एहि पहाड़ पर आराधना कयलनि, लेकिन अपने यहूदी सभ कहैत छी जे आराधना करबाक स्‍थान मात्र यरूशलेम अछि।” 21 यीशु ओकरा कहलथिन, “हमर विश्‍वास करह। ओ समय आओत जहिया तोँ सभ ने एहि पहाड़ पर पिताक आराधना करबह, ने यरूशलेम मे। 22 तोँ सामरी लोक तकर आराधना करैत छह जकरा जनिते नहि छह। हम सभ जे यहूदी सभ छी तिनकर आराधना करैत छी जिनका जनैत छी, कारण उद्धार यहूदी वंश द्वारा अबैत अछि। 23 मुदा ओ समय आबि रहल अछि, हँ, आबिओ गेल, जे सत्‍य आराधक पिताक आराधना आत्‍मा और सत्‍य सँ करतनि, किएक तँ पिता एहने आराधक चाहैत छथि। 24 परमेश्‍वर आत्‍मा छथि, और ई आवश्‍यक अछि जे हुनकर आराधक आत्‍मा आओर सत्‍य सँ हुनकर आराधना करनि।” 25 स्‍त्री कहलकनि, “हम जनैत छी जे मसीह, जे ख्रिष्‍ट कहबैत छथि, से आबऽ वला छथि। ओ जखन औताह तखन हमरा सभ केँ सभ बात बुझा देताह।” 26 यीशु ओकरा कहलथिन, “हम, जे तोरा सँ बात कऽ रहल छिअह, वैह छी।” 27 ओहि क्षण हुनकर शिष्‍य सभ घूमि अयलाह। हुनका सभ केँ बहुत आश्‍चर्य भेलनि जे यीशु एक स्‍त्री सँ बात कऽ रहल छथि, मुदा केओ नहि पुछलथिन जे, अहाँ की चाहैत छी, वा ओकरा सँ किएक बात कऽ रहल छी? 28 तखन स्‍त्री अपन घैल छोड़ि नगर मे जा कऽ लोक सभ केँ कहऽ लागल जे, 29 “आउ, एक आदमी केँ देखू! जे किछु हम कहियो कयने छी, से सभ बात ओ हमरा कहलनि। की ई उद्धारकर्ता-मसीह तँ नहि छथि?” 30 लोक सभ नगर सँ बहरायल और यीशु लग आबऽ लागल। 31 एहि बीच मे शिष्‍य सभ यीशु केँ आग्रह कयलथिन जे, “गुरुजी, किछु खा लिअ।” 32 मुदा ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमरा लग एहन भोजन अछि जकरा बारे मे अहाँ सभ नहि किछु जनैत छी।” 33 शिष्‍य सभ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “केओ हिनका लेल भोजन तँ नहि आनि देने छनि?” 34 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमर भोजन ई अछि जे हम अपन पठाबऽ वलाक इच्‍छाक अनुसार चली और जे काज हमरा देने छथि तकरा पूरा करी। 35 की अहाँ सभ नहि कहैत छी जे, एखन चारि मास बाँकी अछि तखन फसिलक कटनी करबाक समय आओत? लेकिन हम कहैत छी जे आँखि खोलि कऽ खेत दिस देखू! फसिल एखनो कटनीक लेल पाकि गेल अछि! 36 एखनो काटऽ वला केँ बोनि भेटैत छैक, एखनो ओ फसिल काटि कऽ अनन्‍त जीवनक लेल लबैत अछि, जाहि सँ बाउग करऽ वला और काटऽ वला दूनू एक संग खुशी मनाओत। 37 एहि प्रकारेँ ओ कहबी सिद्ध होइत अछि जे बाउग करत केओ और काटत केओ। 38 हम अहाँ सभ केँ ओकरा काटऽ लेल पठौलहुँ जकरा लेल अहाँ सभ परिश्रम नहि कयने छलहुँ। परिश्रम कयलक दोसर, और अहाँ सभ ओकर परिश्रमक फल मे सहभागी भेलहुँ।” 39 ओहि नगरक बहुत सामरी लोक ओहि स्‍त्रीक ई गवाही जे, जे किछु हम कहियो कयने छी से सभ बात ओ हमरा कहलनि, से सुनि यीशु पर विश्‍वास कयलक। 40 तेँ ओ सभ यीशु लग पहुँचि कऽ आग्रह कयलकनि जे, अपने हमरा सभक संग रहल जाओ। और यीशु ओतऽ दू दिन रहलाह। 41 हुनकर बात सुनि आओर बहुत लोक हुनका पर विश्‍वास कयलक। 42 ओ सभ ओहि स्‍त्री केँ कहलक, “आब तोरे कहबाक कारणेँ विश्‍वास नहि करैत छी, बल्‍कि हम सभ अपने कान सँ हुनकर बात सुनने छी और जनैत छी जे ई वास्‍तव मे संसारक उद्धारकर्ता छथि।” 43 ओहिठाम दू दिन रहलाक बाद यीशु गलीलक लेल विदा भऽ गेलाह। 44 (यीशु अपने गवाही देने छलाह जे परमेश्‍वरक प्रवक्‍ता केँ अपना क्षेत्र मे आदर नहि होइत छनि।) 45 ओ जखन गलील प्रदेश पहुँचलाह तँ गलील निवासी सभ हुनका स्‍वागत कयलकनि, किएक तँ ओ सभ हुनकर सभ काज जे ओ यरूशलेम मे फसह-भोजक अवसर पर कयने रहथि, से देखने छल, कारण ओहो सभ पाबनिक लेल गेल छल। 46 तँ यीशु फेर गलीलक काना गाम मे अयलाह, जाहिठाम ओ पानि केँ अंगूरक मदिरा बना देने रहथि। कफरनहूम नगर मे राजाक एक हाकिम छलाह जिनकर बालक अस्‍वस्‍थ छलनि। 47 ओ ई खबरि सुनि जे यीशु यहूदिया प्रदेश सँ गलील मे पहुँचि गेल छथि, तँ जा कऽ हुनका सँ निवेदन कयलथिन जे, “चलि कऽ हमरा बेटा केँ नीक कऽ दिअ।” कारण ओ मरऽ पर छल। 48 यीशु हुनका कहलथिन, “अहाँ सभ जाबत तक चिन्‍ह और चमत्‍कार नहि देखब ताबत विश्‍वास कहियो नहि करब।” 49 हाकिम हुनका कहलथिन, “यौ सरकार, एखन चलू। नहि तँ हमर बौआ मरि जायत।” 50 यीशु उत्तर देलथिन, “जाउ अहाँ, अहाँक बेटा बाँचि गेल।” ओ आदमी यीशुक कथन पर विश्‍वास कयलनि और चल गेलाह। 51 ओ रस्‍ते मे छलाह कि हुनकर नोकर सभ भेँट कऽ हुनका कहलकनि, “अपनेक बच्‍चा ठीक भऽ गेल अछि!” 52 ओ ओकरा सभ सँ पुछलथिन जे कतेक बजे सँ बच्‍चा ठीक होमऽ लागल, तँ ओ सभ कहलकनि, “काल्‍हिखन लगभग एक बजे दिन मे ओकर बोखार उतरि गेल।” 53 तखन ओ बुझलनि जे ठीक ओही घड़ी यीशु हुनका कहने छलथिन जे, अहाँक बेटा बाँचि गेल। और ओ अपन पूरा परिवार यीशु पर विश्‍वास कयलनि। 54 ई आब दोसर चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह छल जे यीशु यहूदिया प्रदेश सँ गलील प्रदेश मे आबि कऽ देखौलनि।

John 5

1 बाद मे यहूदी सभक एक पाबनिक अवसर पर यीशु फेर यरूशलेम गेलाह। 2 यरूशलेम मे, भेँड़-द्वारि लग एक कुण्‍ड अछि जे इब्रानी भाषा मे बेतहसदा कहबैत अछि, जकरा चारू कात पाँचटा असोरा छैक। 3 एहि असोरा सभ पर बहुत रोगी पड़ल रहैत छल—आन्‍हर, नाङड़ आ लकवा मारल लोक सभ। [ई सभ पानिक हिलबाक समयक प्रतीक्षा मे रहैत छल, 4 कारण समय-समय पर परमेश्‍वरक एक स्‍वर्गदूत उतरि कऽ पानि केँ हिला दैत छलाह, और एहि हिलयनाइक बाद, जे रोगी सभ सँ पहिने पानि मे पैसैत छल से अपन रोग सँ मुक्‍त भऽ जाइत छल, चाहे जे कोनो रोग होइक।] 5 एक आदमी ओतऽ छल जे अड़तीस वर्ष सँ रोग सँ पीड़ित छल। 6 यीशु जखन ओकरा देखलथिन, ई बुझि कऽ जे ओ बहुत दिन सँ ओना पड़ल अछि, तँ ओकरा कहलथिन, “की तोँ स्‍वस्‍थ होमऽ चाहैत छह?” 7 ओ रोगी हुनका उत्तर देलकनि, “मालिक, पानिक हिलला पर कुण्‍ड मे उतारऽ वला हमरा केओ नहि अछि। हम उतरबाक कोशिशे करैत छी, ततबे मे हमरा सँ पहिने केओ दोसर उतरि जाइत अछि।” 8 तखन यीशु ओकरा कहलथिन, “उठह! अपन पटिया उठा लैह, और चलह-फिरह!” 9 ओ आदमी तुरत स्‍वस्‍थ भऽ गेल और अपन पटिया उठा कऽ चलऽ-फिरऽ लागल। जाहि दिन ई बात भेलैक, से विश्राम-दिन छल। 10 तेँ यहूदी सभ ओहि स्‍वस्‍थ कयल गेल आदमी केँ कहऽ लगलाह, “आइ तँ विश्राम-दिन अछि। पटिया उठौनाइ मना छौ!” 11 मुदा ओ उत्तर देलकनि, “जे आदमी हमरा स्‍वस्‍थ कऽ देलनि, वैह हमरा कहलनि जे पटिया उठा कऽ चलह-फिरह।” 12 ओ सभ ओकरा पुछलथिन, “ओ के अछि जे तोरा कहलकौ जे उठा कऽ चलह-फिरह?” 13 ओ स्‍वस्‍थ भेल आदमी ई नहि जनैत छल जे ओ के छलाह, कारण यीशु ओहिठाम सँ भीड़ मे चल गेल छलाह। 14 किछु कालक बाद यीशु ओहि आदमी केँ मन्‍दिर मे भेँट कऽ कऽ कहलथिन, “देखह, तोँ स्‍वस्‍थ भऽ गेल छह, आब पाप केँ छोड़ह, नहि तँ एहू सँ भारी दशा मे पड़ि जयबह।” 15 ओ आदमी जा कऽ यहूदी सभ केँ कहि देलकनि जे, यीशुए छथि जे हमरा स्‍वस्‍थ कयलनि। 16 यीशु केँ विश्राम-दिन मे एहन काज करबाक कारणेँ यहूदी सभ हुनका सताबऽ लगलनि। 17 मुदा ताहि पर यीशु ओकरा सभ केँ ई उत्तर देलथिन, “हमर पिता एखनो तक काज करैत रहैत छथि, और हमहूँ काज करैत रहैत छी।” 18 एहि कारणेँ यहूदी सभ हुनका मारि देबाक आओर कोशिश करऽ लगलाह किएक तँ ओ खाली विश्रामेक दिनक नियम केँ उल्‍लंघन नहि करैत छलाह, बल्‍कि ओ परमेश्‍वर केँ अपन पिता कहि कऽ अपना केँ परमेश्‍वरक समतूल सेहो ठहरबैत छलाह। 19 यीशु हुनका सभ केँ ई उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, पुत्र स्‍वतन्‍त्र रूप सँ किछु नहि कऽ सकैत छथि। ओ मात्र वैह करैत छथि जे ओ अपन पिता केँ करैत देखैत छथि, किएक तँ जहिना पिता करैत छथि ठीक ओहिना पुत्रो करैत छथि, 20 कारण पिता पुत्र सँ प्रेम करैत छथिन और पिता जे किछु करैत छथि से सभ हुनका देखा दैत छथिन, और एहू सँ पैघ काज हुनका देखा देथिन, जाहि सँ अहाँ सभ केँ आश्‍चर्य होयत। 21 कारण जहिना पिता मुरदा केँ उठा कऽ ओकरा जीवन दैत छथि, तहिना पुत्रो जकरा चाहैत छथि तकरा जीवन दैत छथि। 22 और पिता ककरो न्‍याय करऽ वला नहि छथि। ओ न्‍याय करबाक सभ अधिकार सेहो पुत्रे केँ देने छथिन, 23 जाहि सँ सभ लोक जेना पिताक आदर करैत छनि तेना पुत्रोक आदर करनि। जे पुत्रक आदर नहि करैत अछि, से पिताक सेहो नहि करैत छनि, जे हुनका पठौने छथिन। 24 “हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, जे हमर बात सुनैत अछि और हमरा पठाबऽ वला केँ मानैत अछि तकरा अनन्‍त जीवन छैक। ओकरा न्‍यायक सामना नहि करऽ पड़तैक, कारण ओ एखने मृत्‍यु केँ पार भऽ कऽ जीवन मे प्रवेश कऽ लेने अछि। 25 हम अहाँ सभ केँ विश्‍वास दिअबैत छी जे ओ समय आबि रहल अछि, हँ, आबिओ गेल जखन मुइल सभ परमेश्‍वरक पुत्रक आवाज सुनत, और जे सभ सुनत से सभ जीअत, 26 किएक तँ जहिना पिता अपने जीवनक स्रोत छथि तहिना ओ पुत्रो केँ स्‍वयं जीवनक स्रोत होयबाक अधिकार देने छथिन। 27 और ओ पुत्र केँ मनुष्‍य-पुत्र होयबाक कारणेँ न्‍याय करबाक अधिकार सेहो देने छथिन। 28 एहि बात सँ आश्‍चर्यित नहि होउ! कारण, ओ समय आबि रहल अछि जहिया मरलाहा लोक सभ अपन कबर मे सँ हुनकर आवाज सुनि कऽ 29 बाहर निकलि आओत। जे नीक कयने अछि से जीवनक लेल उठत, और जे अधलाह कयने अछि से दण्‍ड पयबाक लेल उठत। 30 हम अपने सँ किछु नहि कऽ सकैत छी। हमरा जहिना न्‍याय करबाक लेल कहल जाइत अछि तहिना हम न्‍याय करैत छी। और हमर न्‍याय उचित होइत अछि, कारण हमर उद्देश्‍य ई अछि जे हम अपन नहि, बल्‍कि हमरा जे पठौलनि, तिनकर इच्‍छा पूरा करियनि। 31 “जँ हम अपना बारे मे स्‍वयं गवाही देब तँ हमर गवाही पकिया नहि मानल जायत। 32 मुदा एक गोटे आओर छथि जे हमरा बारे मे गवाही दैत छथि, और हम जनैत छी जे ओ जे गवाही दैत छथि से एकदम सत्‍य अछि। 33 “अहाँ सभ अपने यूहन्‍ना केँ पुछबौलहुँ, और ओ सत्‍यक गवाही देलनि। 34 ई बात नहि अछि जे हम मनुष्‍यक गवाही पर निर्भर रहैत छी, मुदा हम एकर चर्चा एहि लेल करैत छी जे अहाँ सभक उद्धार होअय। 35 यूहन्‍ना तँ एक जरैत दीप छलाह जे इजोत दैत छलाह, और हुनकर इजोत मे आनन्‍द लेनाइ अहाँ सभ केँ किछु काल धरि नीक लागल। 36 मुदा हमरा एकटा गवाही अछि जे यूहन्‍नोक गवाही सँ पैघ अछि, किएक तँ जे काज हमर पिता हमरा पूर्ण करबाक लेल देने छथि, तथा जे काज हम कऽ सेहो रहल छी, से हमरा बारे मे गवाही दैत अछि जे पिता हमरा पठौने छथि। 37 और पिता, जे हमरा पठौलनि, से अपने हमरा बारे मे गवाही देने छथि। अहाँ सभ हुनकर आवाज कहियो नहि सुनने छी, आ ने हुनकर स्‍वरूप कहियो देखने छी, 38 और ने हुनकर वचन केँ अपना मोन मे रहऽ दैत छी। कारण, जिनका ओ पठौने छथि तिनकर अहाँ सभ विश्‍वास नहि करैत छी। 39 अहाँ सभ धर्मशास्‍त्रक अध्‍ययन करैत छी किएक तँ अहाँ सभ मानैत छी जे ओहि सँ अहाँ सभ केँ अनन्‍त जीवन भेटैत अछि। वैह शास्‍त्र हमरा बारे मे गवाही दैत अछि, 40 और तैयो जीवन प्राप्‍त करबाक लेल अहाँ सभ हमरा लग नहि आबऽ चाहैत छी। 41 “हमरा मनुष्‍यक प्रशंसा सँ कोनो मतलब नहि। 42 मुदा अहाँ सभ केँ हम जनैत छी। हम जनैत छी जे अहाँ सभक हृदय मे परमेश्‍वरक प्रेम नहि अछि। 43 हम अपन पिताक नाम पर आयल छी, तैयो हमरा स्‍वीकार नहि करैत छी। मुदा जँ कोनो दोसर व्‍यक्‍ति अपना नाम पर अबैत अछि तँ ओकरा अहाँ सभ स्‍वीकार करैत छिऐक। 44 तँ अहाँ सभ विश्‍वास कोना कऽ सकब जखन कि एक-दोसर सँ प्रशंसा चाहैत छी लेकिन जे प्रशंसा एकमात्र परमेश्‍वर सँ प्राप्‍त होइत अछि से चाहिते नहि छी? 45 “मुदा ई नहि सोचू जे हम पिताक समक्ष अहाँ सभ पर दोष लगायब। अहाँ सभ केँ दोष लगाबऽ वला मूसा छथि, जिनका पर अहाँ सभ समस्‍त आशा रखने छी। 46 जँ मूसाक विश्‍वास करितहुँ तँ हमरो विश्‍वास करितहुँ, कारण ओ हमरे बारे मे लिखने छथि। 47 मुदा हुनकर लेख पर जँ विश्‍वास नहि करैत छी तँ हमर कथन पर कोना विश्‍वास करब?”

John 6

1 एकरा बाद यीशु गलील झील, अर्थात् तिबिरियास झीलक ओहि पार गेलाह। 2 बड़का भीड़ यीशुक चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह जे ओ रोगी सभ पर देखबैत छलाह, ताहि सँ प्रभावित भऽ हुनका पाछाँ-पाछाँ अबैत छल। 3 यीशु पहाड़ पर चढ़ि कऽ अपन शिष्‍य सभक संग बैसि रहलाह। 4 यहूदी सभक फसह-भोजक पाबनि लगचिआयल छल। 5 यीशु जखन नजरि उठा कऽ लोकक बड़का भीड़ केँ अपना लग अबैत देखलनि तखन फिलिपुस केँ पुछलथिन, “अपना सभ एकरा सभ केँ खुअयबाक लेल कतऽ सँ रोटी किनू?” 6 ई बात ओ फिलिपुस केँ जँचबाक लेल पुछलथिन, कारण ओ अपने तखनो जनैत छलाह जे ओ की करताह। 7 फिलिपुस हुनका उत्तर देलथिन, “एकरा सभ गोटेक लेल कनेको-कनेको जे रोटी किनब से दुओ सय दिनार सँ नहि होयत!” 8 हुनकर एक शिष्‍य, अन्‍द्रेयास, सिमोन पत्रुसक भाय, हुनका कहलथिन, 9 “एतऽ एक लड़का अछि जकरा संग मे जओक पाँचटा रोटी छैक आ दूटा माछ, लेकिन एतेक लोक मे एतबे सँ की होयतैक?” 10 यीशु आज्ञा देलथिन, “लोक सभ केँ बैसा दिऔक।” ओहि ठाम बहुत घास छल, और ओहि पर लोक सभ बैसैत गेल। पुरुषक संख्‍या लगभग पाँच हजार छल। 11 तखन यीशु रोटी लेलनि, और परमेश्‍वर केँ धन्‍यवाद दऽ कऽ बैसलाहा लोक सभ मे बटबा देलथिन। तहिना माछो लऽ कऽ कयलनि, और सभ केँ ततेक भेटलैक जतेक-जतेक ओ सभ चाहैत छल। 12 सभ लोक केँ भरि इच्‍छा भोजन कऽ लेलाक बाद यीशु शिष्‍य सभ केँ कहलथिन, “आब उबरल टुकड़ा सभ बिछि लिअ, जाहि सँ किछुओ बरबाद नहि होअय।” 13 ओ सभ ओहि पाँचटा जओक रोटीक टुकड़ा, जे भोजन करऽ वला लोक सभ सँ बाँचि गेल छल, तकरा बिछि कऽ ओहि सँ बारहटा पथिया भरलनि। 14 लोक सभ यीशु द्वारा कयल गेल ई चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह देखि कऽ कहऽ लागल, “ई तँ अवश्‍य परमेश्‍वरक ओ प्रवक्‍ता छथि जे संसार मे आबऽ वला छलाह।” 15 यीशु ई बुझलनि जे लोक सभ हुनका जबरदस्‍ती पकड़ि कऽ राजा बनाबऽ चाहैत छल, तेँ ओ फेर पहाड़ पर असगरे चल गेलाह। 16 साँझ पड़ला पर यीशुक शिष्‍य सभ झीलक किनार पर जा 17 नाव मे चढ़ि कऽ कफरनहूम नगर जयबाक लेल झील केँ पार करऽ लगलाह। ताबत अन्‍हार भऽ गेल छल और यीशु एखन तक हुनका सभ लग नहि आयल छलाह। 18 हवा बहुत जोर सँ बहि रहल छल, और झील मे बड़का लहरि उठि रहल छल। 19 जखन ओ सभ लगभग तीन-चारि मील नाव केँ खेबि लेने छलाह तखन यीशु केँ झीलक पानि पर चलैत और नाव दिस अबैत देखलनि, और भयभीत भऽ गेलाह। 20 मुदा ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम छी, नहि डेराउ!” 21 तखन ओ सभ खुशी भऽ हुनका नाव मे लऽ लेबाक लेल तैयार भेलाह, और नाव तुरत ओहि स्‍थान पर पहुँचल जाहिठाम ओ सभ जा रहल छलाह। 22 प्रात भेने झीलक ओहि पार रहि गेल लोक सभ बुझलक जे एतऽ एकेटा नाव छल, और ओ सभ जनैत छल जे यीशु अपन शिष्‍य सभक संग ओहि नाव मे नहि चढ़ल छलाह, मात्र शिष्‍ये सभ विदा भऽ गेल छलाह। 23 तखन तिबिरियास नगर सँ दोसर नाव सभ ओहि जगह लग पहुँचल जाहिठाम प्रभु यीशुक धन्‍यवादक प्रार्थनाक बाद लोक सभ रोटी खयने छल। 24 तँ लोक जखन देखलक जे ने यीशु आ ने हुनकर शिष्‍य सभ एतऽ छथि, तखन ओ सभ नाव सभ मे चढ़ि कऽ यीशुक खोज मे कफरनहूम नगर गेल। 25 झीलक ओहि पार जखन यीशु ओकरा सभ केँ भेटलथिन तखन ओ सभ पुछलकनि, “गुरुजी, अहाँ एतऽ कखन अयलहुँ?” 26 यीशु ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे अहाँ सभ हमरा एहि लेल नहि तकैत छी जे हमर चमत्‍कार वला चिन्‍ह सभ देखि कऽ बुझलहुँ, बल्‍कि एहि लेल जे अहाँ सभ रोटी खा कऽ अघा गेलहुँ। 27 जे भोजन नहि टिकैत अछि, ताहि लेल परिश्रम नहि करू, बल्‍कि ओहि भोजनक लेल परिश्रम करू जे अनन्‍त जीवन तक टिकैत अछि और जे मनुष्‍य-पुत्र अहाँ सभ केँ प्रदान करताह, कारण हुनका पर पिता-परमेश्‍वर अपन छाप लगा देने छथिन।” 28 तखन ओ सभ हुनका पुछलकनि, “परमेश्‍वरक काज करबाक लेल, हम सभ की करू?” 29 यीशु बजलाह, “परमेश्‍वर अहाँ सभ सँ जे काज चाहैत छथि, से ई अछि जे जकरा ओ पठौने छथि तकरा पर विश्‍वास करू।” 30 एहि पर ओ सभ हुनका कहलकनि, “तखन अहाँ कोन चिन्‍ह देखायब, जकरा देखि कऽ हम सभ अहाँ पर विश्‍वास कऽ सकी? अहाँ की काज करैत छी? 31 हमरा सभक पुरखा निर्जन क्षेत्र मे मन्‍ना वला रोटी खयने छल, जेना धर्मशास्‍त्र मे लिखल अछि जे, ‘ओ ओकरा सभ केँ खयबाक लेल स्‍वर्ग सँ रोटी देलथिन।’” 32 एहि पर यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ विश्‍वास दिअबैत छी जे, बात ई नहि जे अहाँ सभ केँ मूसा स्‍वर्ग सँ रोटी देलनि, बल्‍कि ई जे हमर पिता अहाँ सभ केँ स्‍वर्ग सँ वास्‍तविक रोटी दऽ रहल छथि। 33 हँ, परमेश्‍वर जे रोटी दैत छथि, से ओ अछि जे स्‍वर्ग सँ उतरि कऽ संसार केँ जीवन दैत अछि।” 34 ओ सभ हुनका कहलकनि, “यौ मालिक, हमरा सभ केँ ई रोटी एखनो आ सभ दिन दैत रहू!” 35 यीशु बजलाह, “जीवनक रोटी हमहीं छी। जे हमरा लग आओत से कहियो भूखल नहि रहत। जे हमरा पर विश्‍वास करत, तकरा कहियो पियास नहि लगतैक। 36 मुदा जेना अहाँ सभ केँ कहने छलहुँ, अहाँ सभ हमरा देखने छी और तैयो विश्‍वास नहि करैत छी। 37 जकरा पिता हमरा दैत छथि, से सभ हमरा लग आओत, और जे केओ हमरा लग आओत, तकरा हम कहियो नहि अस्‍वीकार करब। 38 कारण हम अपन इच्‍छा नहि, बल्‍कि हमरा पठाबऽ वलाक इच्‍छा पूरा करबाक लेल स्‍वर्ग सँ उतरल छी, 39 और हमरा पठाबऽ वलाक इच्‍छा ई छनि जे जकरा सभ केँ ओ हमरा देने छथि, तकरा सभ मे सँ हम एकोटा केँ नहि हेराबी, बल्‍कि अन्‍तिम दिन मे ओकरा सभ केँ जिआबी। 40 हँ, हमर पिताक इच्‍छा ई छनि जे, जे केओ पुत्र दिस ताकत और ओकरा पर विश्‍वास करत, तकरा अनन्‍त जीवन भेटतैक, और हम ओकरा अन्‍तिम दिन मे जिआ देब।” 41 एहि पर यहूदी सभ हुनका पर कुड़बुड़ाय लगलाह, कारण ओ कहने छलाह जे, स्‍वर्ग सँ उतरल रोटी हमहीं छी। 42 ओ सभ कहलनि, “ई तँ यूसुफक बेटा यीशुए अछि! और एकर माय-बाप केँ अपना सभ चिन्‍हिते छिऐक! तँ ई आब कोना कहैत अछि जे हम स्‍वर्ग सँ उतरल छी?” 43 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ अपना सभ मे एना नहि कुड़बुड़ाउ! 44 केओ हमरा लग ताबत तक नहि आबि सकैत अछि जाबत तक हमर पिता जे हमरा पठौलनि, से ओकरा हमरा लग नहि खीचि दैत छथि। और हम ओकरा अन्‍तिम दिन मे जिआ देब। 45 परमेश्‍वरक प्रवक्‍ता सभक लेख छनि जे, ‘ओ सभ गोटे परमेश्‍वर द्वारा सिखाओल जायत।’ जे केओ पिताक सुनैत छनि और हुनका सँ सिखैत अछि, से हमरा लग अबैत अछि। 46 हमर कहबाक मतलब ई नहि जे, केओ पिता केँ देखने छनि। ओ जे पिताक ओहिठाम सँ आयल अछि, खाली वैहटा हुनका देखने छनि। 47 हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, जे विश्‍वास करैत अछि, तकरा अनन्‍त जीवन छैक। 48 जीवनक रोटी हम छी। 49 अहाँ सभक पुरखा लोकनि निर्जन क्षेत्र मे मन्‍ना वला रोटी खयलनि, और तैयो मरलाह। 50 मुदा ई रोटी जकरा बारे मे हम बाजि रहल छी, से ओ अछि जे स्‍वर्ग सँ उतरल अछि, जाहि सँ जँ केओ एहि मे सँ खायत तँ नहि मरत। 51 ओ जीबैत रोटी जे स्‍वर्ग सँ उतरल अछि से हमहीं छी। जँ केओ ई रोटी खायत तँ ओ अनन्‍त काल तक जीबैत रहत। और ई रोटी जे हम संसारक जीवनक लेल देब, से हमर माँसु अछि।” 52 तखन यहूदी सभ अपना सभ मे वाद-विवाद करऽ लगलाह जे, “ई व्‍यक्‍ति हमरा सभ केँ खाय लेल अपन माँसु कोना दऽ सकत?” 53 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ विश्‍वास दिअबैत छी जे, जाबत तक अहाँ मनुष्‍य-पुत्रक माँसु नहि खयबैक और ओकर खून नहि पिबैक, ताबत तक अहाँ मे जीवन नहि अछि। 54 जे हमर माँसु खाइत अछि और हमर खून पिबैत अछि, तकरा अनन्‍त जीवन छैक, और हम ओकरा अन्‍तिम दिन मे जिआ देबैक। 55 कारण, हमर माँसु वास्‍तविक भोजन अछि और हमर खून वास्‍तविक पिबाक वस्‍तु अछि। 56 जे केओ हमर माँसु खाइत अछि और हमर खून पिबैत अछि, से हमरा मे बनल रहैत अछि और हम ओकरा मे बनल रहैत छी। 57 जहिना जीवित पिता हमरा पठौलनि आ हम हुनका कारण जीबैत छी, तहिना, जे हमरा मे सँ खायत, सैह हमरा कारण जीबैत रहत। 58 ई रोटी स्‍वर्ग सँ उतरल अछि। ई तेहन नहि अछि जेहन अहाँ सभक पुरखा लोकनि खयलनि। ओ सभ खयलनि आ मरलाह। मुदा जे ई रोटी खायत से सर्वदा जीबैत रहत।” 59 ई सभ बात यीशु कफरनहूमक सभाघर मे शिक्षा दैत काल बजलाह। 60 यीशुक बात सुनि कऽ हुनकर बहुतो शिष्‍य कहलनि, “ई शिक्षा बहुत कठोर अछि। एकरा के बरदास्‍त कऽ सकत?” 61 मुदा यीशु अपना मोन मे बुझि गेलाह जे हमर शिष्‍य सभ एहि सँ कुड़बुड़ाइत छथि, तेँ हुनका सभ केँ कहलथिन, “की एहि बात सँ अहाँ सभक मोन मे ठेस लागि गेल? 62 और मानि लिअ जे अहाँ सभ मनुष्‍य-पुत्र केँ ओहिठाम ऊपर जाइत देखबनि जाहिठाम ओ पहिने छलाह—तखन की? 63 आत्‍मे जीवन दैत अछि, शरीर सँ किछुओ लाभ नहि। जे किछु हम अहाँ सभ केँ कहलहुँ से आत्‍माक और जीवनक बात अछि। 64 तैयो अहाँ सभ मे अनेक एहन छी जे विश्‍वास नहि करैत छी।” यीशु तँ शुरुए सँ जनैत छलाह जे ओ के सभ अछि जे हमरा पर विश्‍वास नहि करैत अछि, और ओ के अछि जे हमरा पकड़बाओत। 65 ओ आगाँ कहऽ लगलाह, “एहि कारणेँ हम अहाँ सभ केँ कहने छलहुँ जे, केओ हमरा लग ताबत तक नहि आबि सकैत अछि जाबत तक पिता ओकरा अयबाक सामर्थ्‍य नहि दैत छथिन।” 66 एहि बात सभ सँ हुनकर बहुतो शिष्‍य ओहिठाम सँ घूमि गेल और फेर हुनका संग नहि चलल। 67 तखन यीशु अपना बारहो शिष्‍य केँ पुछलथिन, “की अहूँ सभ हमरा छोड़ऽ चाहैत छी?” 68 सिमोन पत्रुस हुनका उत्तर देलथिन, “प्रभु, हम सभ ककरा लग जाउ? अहाँ लग तँ अनन्‍त जीवनक वचन अछि। 69 हम सभ विश्‍वास कऽ कऽ जानि गेल छी जे अहाँ परमेश्‍वरक पवित्र दूत छी।” 70 यीशु उत्तर देलथिन, “की अहाँ बारहो गोटे केँ हम नहि चुनलहुँ? और तैयो अहाँ सभ मे सँ एक शैतान अछि।” 71 ओ ई बात सिमोन इस्‍करियोतीक पुत्र यहूदाक बारे मे कहलनि, किएक तँ ओ बारह शिष्‍य मे सँ एक होइतो हुनका पकड़बाबऽ वला छलाह।

John 7

1 एकरा बाद यीशु गलील प्रदेश मे जगह-जगह पर घुमऽ लगलाह। ओ यहूदिया प्रदेश मे नहि घुमऽ चाहैत छलाह, किएक तँ यहूदी सभक धर्मगुरु सभ हुनका मारि देबाक ताक मे छलनि। 2 मुदा यहूदी सभक झोपड़ीक पाबनि जखन लग आबि गेल, 3 तँ हुनकर भाय सभ हुनका कहलथिन, “ई जगह छोड़ू, और यहूदिया प्रदेश चल जाउ, जाहि सँ अहाँ जे चमत्‍कार कऽ रहल छी से अहाँक चेला सभ देखि सकत। 4 कारण एहन केओ नहि होइत अछि जे नामी होमऽ चाहय आ गुप्‍त रूप सँ काज करय। अहाँ ई सभ काज कऽ रहल छी, तँ अपना केँ दुनियाक सामने मे प्रगट करू।” 5 हुनकर अपन भाय सभ सेहो हुनका पर विश्‍वास नहि करैत छलाह। 6 तेँ यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमर समय एखन तक नहि आयल अछि, लेकिन अहाँ सभक लेल कोनो समय उपयुक्‍त अछि। 7 अहाँ सभ सँ संसार घृणा नहि कऽ सकैत अछि, मुदा हमरा सँ तँ करैत अछि किएक तँ संसारक बारे मे हम गवाही दैत छी जे ओकर चालि-चलन खराब छैक। 8 अहीं सभ पाबनिक लेल जाउ। हम एखन एहि पाबनिक लेल नहि जायब, कारण हमर समय एखन तक नहि पूरल अछि।” 9 ई बात कहि कऽ ओ गलीले मे रहि गेलाह। 10 मुदा जखन हुनकर भाय सभ पाबनिक लेल चल गेलाह तखन ओहो गेलाह, खुलि कऽ नहि, बल्‍कि गुप्‍त रूप सँ। 11 पाबनिक समय यहूदी धर्मगुरु सभ ई कहैत यीशु केँ तकैत छलनि जे, “ओ कतऽ अछि?” 12 हुनका बारे मे लोक सभ बहुत फुसफुसाइत छल। किछु लोक कहैत छल, “ओ नीक आदमी छथि।” और दोसर कहैत छल, “नहि! ओ जनता केँ बहकबैत छैक।” 13 मुदा धर्मगुरु सभक डर सँ केओ हुनका बारे मे किछु खुलि कऽ नहि कहैत छल। 14 पाबनि करीब-करीब आधा समाप्‍त भऽ गेलाक बादे यीशु मन्‍दिर मे जा कऽ शिक्षा देबऽ लगलाह। 15 यहूदी सभ बहुत आश्‍चर्यित भऽ कऽ कहलनि, “एहि आदमी केँ बिनु पढ़नहि एतेक ज्ञान कतऽ सँ प्राप्‍त भेलैक?” 16 यीशु उत्तर देलथिन, “हम जे शिक्षा दैत छी से हमर नहि, बल्‍कि जे हमरा पठौलनि, तिनकर अछि। 17 जँ केओ हुनकर इच्‍छा पूरा करबाक निश्‍चय करत तँ ओ अवश्‍य ई जानि जायत जे हमर शिक्षा परमेश्‍वरक अछि वा हम अपने दिस सँ बाजि रहल छी। 18 जे अपना दिस सँ बजैत अछि, से एहि लेल, जे ओ अपना लेल आदर चाहैत अछि, मुदा जे अपन पठाबऽ वलाक आदर चाहैत अछि से सत्‍य पुरुष अछि और ओकरा मे कोनो छल-प्रपंच नहि छैक। 19 की मूसा अहाँ सभ केँ धर्म-नियम नहि देने छथि? तैयो अहाँ सभ मे सँ एको व्‍यक्‍ति ओहि नियमक पालन नहि करैत छी। अहाँ सभ हमरा किएक मारि देबऽ चाहैत छी?” 20 भीड़क लोक उत्तर देलकनि, “अहाँ मे तँ दुष्‍टात्‍मा अछि! अहाँ केँ के मारऽ चाहैत अछि?” 21 यीशु बजलाह, “हम एकटा काज कयलहुँ और ओहि सँ अहाँ सभ गोटे आश्‍चर्यित भेलहुँ। 22 मूसा अहाँ सभ केँ खतनाक विधि देलनि, ओना तँ ओ विधि वास्‍तव मे मूसा सँ नहि देल गेल, बल्‍कि हुनका सँ पहिने वला पुरखा सभ सँ, और ओहि अनुसार अहाँ सभ विश्राम-दिन मे बच्‍चाक खतना करैत छी। 23 जँ खतना करऽ वला दिन विश्रामोक दिन पड़ला पर अहाँ सभ ओ विधि करैत छी, जाहि सँ मूसाक नियम नहि तोड़ल जाय तँ हमरा पर किएक खिसिआइत छी जखन हम विश्राम-दिन मे ककरो शरीर पूर्ण रूप सँ स्‍वस्‍थ कऽ देलहुँ? 24 मुँह देखि न्‍याय कयनाइ छोड़ू और उचित न्‍याय करू।” 25 तखन यरूशलेमक किछु निवासी कहऽ लागल, “की ई आदमी ओ नहि अछि, जकरा ओ सभ मारि देबाक कोशिश कऽ रहल छैक? 26 मुदा देखू! ई एतऽ खुलि कऽ बाजि रहल अछि और एकरा केओ नहि किछु कहैत छैक! कतौ एहन तँ नहि भऽ गेल जे अपना सभक धर्मगुरु-नेता सभ वास्‍तव मे मानि लेने होथि जे ई परमेश्‍वरक पठाओल उद्धारकर्ता-मसीह अछि? 27 मुदा एकरा तँ अपना सभ जनिते छी जे ई कतऽ सँ आयल अछि। उद्धारकर्ता-मसीह जखन औताह तँ ककरो नहि बुझल होयतैक जे ओ कोन ठामक छथि।” 28 तखन यीशु मन्‍दिर मे शिक्षा दैत जोर सँ कहलनि, “हँ! हमरा चिन्‍हैत छी और जनैत छी जे हम कोन ठामक छी। मुदा हम अपने सँ नहि आयल छी। जे हमरा पठौलनि, वैह सत्‍य छथि। अहाँ सभ हुनका नहि चिन्‍हैत छियनि, 29 मुदा हम हुनका चिन्‍हैत छी, किएक तँ हम हुनका ओहिठाम सँ आयल छी, और वैह हमरा पठौलनि।” 30 एहि पर ओ सभ हुनका पकड़बाक कोशिश करऽ लगलाह, मुदा केओ हुनका हाथ नहि लगा सकलनि, कारण हुनकर समय एखन नहि आयल छल। 31 तैयो जनता मे सँ बहुत लोक हुनका पर विश्‍वास कयलकनि, आ बाजल, “मसीह जखन औताह तँ की एहि व्‍यक्‍ति सँ बेसी चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह देखौताह?” 32 फरिसी सभ जखन भीड़ केँ यीशुक बारे मे एना फुसफुसाइत सुनलनि, तँ ओ सभ आ मुख्‍यपुरोहित सभ मन्‍दिरक सिपाही केँ हुनका पकड़ऽ लेल पठा देलनि। 33 तखन यीशु बजलाह, “कनेक कालक लेल आओर अहाँ सभक संग छी, तखन तिनका लग जायब जे हमरा पठौलनि। 34 अहाँ सभ हमरा ताकब, मुदा हम नहि भेटब, और हम जतऽ होयब ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकब।” 35 यहूदी सभक धर्मगुरु सभ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “ई कतऽ जाय चाहैत अछि जाहि सँ हमरा सभ केँ नहि भेटत? की ओहिठाम जायत जाहिठाम अपना सभक लोक यूनानी सभ मे प्रवासी भऽ कऽ रहैत अछि, और की यूनानी सभ केँ सेहो सिखाओत? 36 एकर की कहबाक मतलब छैक जे, अहाँ सभ हमरा ताकब मुदा हम नहि भेटब, और, हम जतऽ होयब ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकब?” 37 पाबनिक अन्‍तिम दिन, जे पाबनिक सभ सँ पैघ दिन मानल जाइत छल, ओहि दिन यीशु ठाढ़ भऽ गेलाह और जोर सँ कहलनि, “जँ ककरो पियास लागल छैक तँ ओ हमरा लग आबय और पिबय। 38 जे हमरा पर विश्‍वास करैत अछि, जेना धर्मशास्‍त्रक कथन अछि, ओकरा हृदय सँ जीवन-जलक झरना फूटि जायत।” 39 ई बात ओ पवित्र आत्‍माक सम्‍बन्‍ध मे कहलनि, जिनका विश्‍वास कयनिहार सभ प्राप्‍त करऽ वला छल। एखन तक पवित्र आत्‍मा तँ प्रदान नहि कयल गेल छलाह, कारण यीशु एखन तक अपन स्‍वर्गक महिमा मे फिरि कऽ नहि गेल छलाह। 40 ई बात सुनि बहुत लोक कहऽ लागल, “ई सत्‍ये परमेश्‍वरक ओ प्रवक्‍ता छथि।” 41 दोसर लोक कहलक, “ओ उद्धारकर्ता-मसीह छथि।” मुदा फेर आरो दोसर लोक सभ कहलक, “कोना?! की उद्धारकर्ता-मसीह गलील प्रदेश सँ औताह? 42 की धर्मशास्‍त्रक कथन नहि अछि जे मसीह दाऊद राजाक वंशज होयताह, और दाऊदक गाम, बेतलेहम सँ औताह?” 43 एहि तरहेँ यीशुक विषय मे लोक सभ केँ अपना मे मतभेद भऽ गेलैक। 44 किछु लोक हुनका पकड़ऽ चाहैत छल, मुदा केओ हुनका हाथ नहि लगौलकनि। 45 तखन मन्‍दिरक सिपाही सभ मुख्‍यपुरोहित आ फरिसी सभ लग घूमि कऽ आयल। ई सभ ओकरा सभ केँ पुछलथिन, “अहाँ सभ ओकरा किएक नहि पकड़ि कऽ अनलहुँ?” 46 सिपाही सभ उत्तर देलकनि, “ओ आदमी जेना बजैत छथि, तेना आइ तक केओ कहियो नहि बाजल अछि!” 47 फरिसी सभ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अरे! तोरो सभ केँ ओ ठकि लेलकौ की? 48 धर्मगुरु सभ मे सँ वा फरिसी मे सँ की एको गोटे ओकरा पर विश्‍वास कयने अछि? नहि! 49 मुदा ई भीड़, जे धर्म-नियमक बारे मे किछु नहि जनैत अछि—ओ सभ सरापित अछि!” 50 तखन ओहि फरिसी मे सँ एक आदमी, निकोदेमुस, जे पहिने एक बेर यीशु लग आयल छलाह, से कहलनि, 51 “अपना सभक नियमक अनुसार जाबत तक ककरो बात नहि सुनल जायत और पता नहि लगाओल जायत जे ओ की कऽ रहल अछि की ताबत तक दोषी ठहराओल जायत?” 52 ओ सभ उत्तर देलथिन, “अहूँ गलीलेक छी की? धर्मशास्‍त्रक अध्‍ययन करू—अहाँ केँ पता लागत जे परमेश्‍वरक कोनो प्रवक्‍ता गलील सँ नहि अबैत छथि!” 53 [तखन ओ सभ अपन-अपन घर चल गेलाह।

John 8

1 मुदा यीशु जैतून पहाड़ पर गेलाह। 2 भोरे भोर यीशु फेर मन्‍दिर मे अयलाह। लोक सभ हुनका लग आयल और ओ बैसि कऽ ओकरा सभ केँ शिक्षा देबऽ लगलाह। 3 धर्मशिक्षक और फरिसी सभ एक स्‍त्रीगण केँ अनलनि, जे पुरुषक संग कुकर्म करैत पकड़ा गेल छल, और लोकक बीच मे ओकरा ठाढ़ कऽ कऽ 4 यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी, ई स्‍त्रीगण पुरुषक संग कुकर्म करिते मे पकड़ा गेल। 5 धर्म-नियम मे मूसा हमरा सभ केँ आज्ञा देलनि जे एहन स्‍त्रीगण केँ पाथर मारि कऽ मारि देबाक चाही। आब अहाँ की कहैत छी?” 6 ई बात ओ सभ हुनका फँसाबऽ लेल पुछलनि, जाहि सँ हुनका पर दोष लगयबाक आधार भेटनि। यीशु नीचाँ झुकि कऽ अपन आङुर सँ जमीन पर लिखऽ लगलाह। 7 ओ सभ जखन हुनका सँ पुछिते रहलाह, तखन ओ मूड़ी उठा कऽ हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ मे सँ जे निष्‍पाप होथि, वैह सभ सँ पहिने पाथर मारथि।” 8 और फेर झुकि कऽ जमीन पर लिखऽ लगलाह। 9 ई बात जखन ओ सभ सुनलनि तँ पहिने बूढ़ सभ आ तखन एक-एक कऽ सभ केओ चल गेलाह। आब मात्र यीशु रहि गेलाह, और ओ स्‍त्रीगण जे ओहिठाम ठाढ़ छलि। 10 यीशु मूड़ी उठा कऽ ओकरा कहलथिन, “बहिन, ओ सभ कतऽ अछि? की तोरा केओ नहि दण्‍ड देलकह?” 11 ओ बाजल, “नहि, मालिक, केओ नहि।” यीशु बजलाह, “हमहूँ तोरा दण्‍ड नहि दैत छिअह। आब जाह, आ फेर पाप नहि करह।”] 12 बाद मे यीशु फेर लोक सभ केँ कहलनि, “हम संसारक इजोत छी। जे केओ हमरा पाछाँ आओत, से अन्‍हार मे कहियो नहि चलत, बल्‍कि जीवनक इजोत प्राप्‍त करत।” 13 एहि पर फरिसी सभ हुनका कहलथिन, “आब अहाँ अपना बारे मे अपने गवाही दऽ रहल छी! अहाँक गवाही पकिया नहि मानल जायत।” 14 यीशु उत्तर देलथिन, “जँ हम अपना बारे मे गवाही दैतो छी तँ हमर गवाही पकिया होइत अछि, कारण हम जनैत छी जे हम कतऽ सँ आयल छी और कतऽ जा रहल छी, मुदा अहाँ सभ नहि जनैत छी जे हम कतऽ सँ अयलहुँ वा कतऽ जाय वला छी। 15 अहाँ सभ सांसारिक दृष्‍टि सँ न्‍याय करैत छी। हम ककरो न्‍याय नहि करैत छी। 16 तैयो जँ हम न्‍याय करितो छी तँ हमर न्‍याय उचित होइत अछि कारण निर्णय हम असगरे नहि, बल्‍कि हमर पिता, जे हमरा पठौलनि, से और हम दूनू गोटे करैत छी। 17 अहीं सभक धर्म-नियम मे लिखल अछि जे दू आदमीक गवाही पकिया होइत अछि। 18 हम अपना बारे मे अपने एक गवाह छी और हमर दोसर गवाह ओ छथि जे हमरा पठौलनि—हमर पिता।” 19 ओ सभ तखन हुनका कहलथिन, “अहाँक पिता कतऽ छथि?” यीशु बजलाह, “अहाँ सभ ने हमरा चिन्‍हैत छी, आ ने हमरा पिता केँ। जँ हमरा चिन्‍हितहुँ तँ हमरा पितो केँ चिन्‍हितिऐन।” 20 ई सभ बात ओ शिक्षा दैत काल मन्‍दिरक ओहि भाग मे कहलनि जाहिठाम दान-पात्र राखल रहैत छल। तैयो हुनका केओ नहि पकड़लकनि, किएक तँ हुनकर समय एखन तक नहि आयल छल। 21 यीशु हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “हम तँ जा रहल छी। अहाँ सभ हमरा ताकब, और अपना पाप मे मरब। हम जतऽ जाइत छी ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकैत छी।” 22 एहि पर यहूदी सभ एक-दोसर केँ कहऽ लागल, “तँ की ओ आत्‍महत्‍या कऽ लेत? की एहि कारणेँ ओ कहैत अछि जे, हम जतऽ जाइत छी ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकैत छी?” 23 ओ ओकरा सभ केँ आगाँ कहलथिन, “अहाँ सभ नीचाँक छी, हम ऊपरक छी। अहाँ सभ एही दुनियाक छी, हम एहि दुनियाक नहि छी। 24 एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहलहुँ जे, अहाँ सभ अपना पाप मे मरब। कारण, जँ अहाँ सभ विश्‍वास नहि करब जे हम वैह छी जे छी, तँ अहाँ सभ अपना पाप मे अवश्‍य मरब।” 25 ओ सभ हुनका कहलकनि, “तखन अहाँ के छी?” यीशु बजलाह, “वैह, जे हम शुरुए सँ अहाँ सभ केँ कहैत आबि रहल छी। 26 अहाँ सभक सम्‍बन्‍ध मे हमरा बहुत किछु कहबाक और न्‍याय करबाक अछि। मुदा जे हमरा पठौलनि, से सत्‍य छथि, और जे बात हम हुनका सँ सुनने छी, वैह बात हम संसार केँ कहैत छी।” 27 ओ सभ नहि बुझलक जे यीशु पिताक बारे मे ओकरा सभ केँ कहैत छथि। 28 तेँ यीशु कहलनि, “जखन अहाँ सभ मनुष्‍य-पुत्र केँ ऊपर लटका देब तखन अहाँ सभ जानि जायब जे हम वैह छी जे छी, और जानब जे हम अपने सँ किछु नहि करैत छी, बल्‍कि वैह करैत आ कहैत छी जे पिता हमरा सिखौने छथि। 29 जे हमरा पठौलनि, से हमरा संग छथि। ओ हमरा असगरे नहि छोड़ने छथि, कारण हम सदिखन वैह काज करैत छी जाहि काज सँ ओ प्रसन्‍न होइत छथि।” 30 जखन ई बात ओ कहि रहल छलाह तखने बहुतो लोक हुनका पर विश्‍वास कयलकनि। 31 जे यहूदी सभ हुनका पर विश्‍वास कयलनि, तिनका सभ केँ यीशु कहलथिन, “जँ अहाँ सभ हमरा सिद्धान्‍तक पालन करब तँ अहाँ सभ वास्‍तव मे हमर शिष्‍य होयब। 32 तखन अहाँ सभ सत्‍य केँ जानब, और सत्‍य अहाँ सभ केँ स्‍वतन्‍त्र कऽ देत।” 33 ओ सभ हुनका उत्तर देलथिन, “हम सभ तँ अब्राहमक वंशज छी और कहियो ककरो गुलाम नहि भेलहुँ। अहाँ कोना कहैत छी जे हम सभ स्‍वतन्‍त्र कऽ देल जायब?” 34 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, जे केओ पाप करैत अछि, से दास अछि। 35 दास घर मे सभ दिन तक नहि रहैत अछि, मुदा पुत्र सभ दिन तक रहैत अछि। 36 तेँ जँ पुत्र अहाँ केँ स्‍वतन्‍त्र कऽ देताह तँ वास्‍तव मे अहाँ स्‍वतन्‍त्र भऽ जायब। 37 हमरा बुझल अछि जे अहाँ सभ अब्राहमक वंशज छी, तैयो अहाँ सभ हमरा मारि देबऽ चाहैत छी। तकर कारण ई अछि जे, अहाँ सभक मोन मे हमरा वचनक लेल कोनो स्‍थान नहि अछि। 38 हम जे किछु अपना पिताक ओहिठाम देखने छी, वैह कहैत छी, और अहाँ सभ से कहैत छी जे अपने पिता सँ सुनने छी।” 39 ओ सभ उत्तर देलथिन, “हमरा सभक पिता अब्राहम छथि।” यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ जँ अब्राहमक सन्‍तान रहितहुँ तँ जे काज अब्राहम कयलनि सैह करितहुँ। 40 मुदा देखू! अहाँ सभ हमरा खून कऽ देबाक कोशिश मे छी, खाली एहि लेल, जे हम परमेश्‍वर सँ सुनल सत्‍य केँ अहाँ सभ केँ कहलहुँ। अब्राहम एहन काज तँ नहि कयलनि! 41 जे अहाँ सभक पिता अछि, तकरे जकाँ अहाँ सभ करैत छी।” ओ सभ उत्तर देलथिन, “हम सभ अनजनुआ-जन्‍मल नहि छी! हमरा सभक एकेटा पिता छथि, अर्थात् परमेश्‍वर।” 42 यीशु बजलाह, “जँ अहाँ सभक पिता परमेश्‍वर रहितथि तँ अहाँ सभ हमरा सँ प्रेम करितहुँ किएक तँ हम हुनके ओहिठाम सँ अयलहुँ और आब एतऽ छी। हम अपना इच्‍छा सँ नहि अयलहुँ, वैह हमरा पठौलनि। 43 हम जे कहैत छी से अहाँ सभ किएक नहि बुझैत छी? एहि लेल जे अहाँ सभ हमर बात नहि सुनि सकैत छी! 44 अहाँ सभ अपन पिता, जे शैतान अछि, तकर छी, और अहाँ सभ अपन पिताक इच्‍छा पूरा करबाक निश्‍चय कयने छी। ओ शुरुए सँ हत्‍यारा अछि और सत्‍य सँ कोनो सम्‍बन्‍ध नहि रखैत अछि, कारण ओकरा मे सत्‍य छैहे नहि। ओ जखन झूठ बजैत अछि तँ अपन स्‍वभावेक अनुसार बजैत अछि, किएक तँ ओ झुट्ठा अछि और झूठक पिता अछि। 45 मुदा हम अहाँ सभ केँ सत्‍य कहैत छी और तेँ अहाँ सभ हमर विश्‍वास नहि करैत छी। 46 की अहाँ सभ मे सँ केओ प्रमाणित कऽ सकैत अछि जे हम पापक दोषी छी? जँ हम सत्‍य बजैत छी तँ हमर विश्‍वास किएक नहि करैत छी? 47 जे परमेश्‍वरक अछि, से परमेश्‍वरक वचन सुनैत अछि। अहाँ सभ एहि द्वारे नहि सुनैत छी जे अहाँ सभ परमेश्‍वरक नहि छी।” 48 यहूदी सभ हुनका उत्तर देलथिन, “की हम सभ ठीके नहि कहैत आबि रहल छिऔ जे तोँ सामरी छैं और तोरा मे दुष्‍टात्‍मा छौ?” 49 यीशु उत्तर देलथिन, “हमरा मे दुष्‍टात्‍मा नहि अछि। हम अपना पिता केँ आदर करैत छी मुदा अहाँ सभ हमर निरादर करैत छी। 50 लेकिन हम अपना सम्‍मानक लेल चिन्‍ता नहि करैत छी। एक दोसर गोटे करैत छथि और वैह न्‍याय करैत छथि। 51 हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे जँ केओ हमर बात पर चलत तँ ओ कहियो नहि मरत।” 52 तखन यहूदी सभ हुनका कहलकनि, “आब तँ निश्‍चय जानि गेलहुँ जे तोरा मे दुष्‍टात्‍मा छौ! अब्राहम मरि गेलाह और परमेश्‍वरक प्रवक्‍ता सभ सेहो, और तैयो तोँ कहैत छैं जे, कोनो व्‍यक्‍ति जँ तोरा वचन पर चलत तँ मृत्‍यु केँ कहियो नहि चिखत! 53 की तोँ हमरा सभक पुरखा अब्राहम सँ पैघ हयबेँ? ओ तँ मरि गेलाह आ परमेश्‍वरक आरो सभ प्रवक्‍ता सेहो मरलाह। तोँ अपना केँ की बुझैत छैं?” 54 यीशु उत्तर देलथिन, “जँ हमहीं अपन सम्‍मान करितहुँ तँ ओहि सम्‍मानक कोनो महत्‍व नहि होइत। हमर सम्‍मान करऽ वला हमर पिता छथि, वैह जिनका अहाँ सभ अपन परमेश्‍वर कहैत छियनि। 55 अहाँ सभ हुनका चिन्‍हबे नहि करैत छी, मुदा हम हुनका चिन्‍हैत छी। जँ हम कहितहुँ जे हम हुनका नहि चिन्‍हैत छी, तँ हम अहीं सभ जकाँ झुट्ठा होइतहुँ, मुदा हम हुनका चिन्‍हिते छियनि, और हुनका वचन पर चलैत छी। 56 अहाँ सभक पिता अब्राहम हमरा देखबाक आशा मे बहुत आनन्‍दित छलाह। ओ देखबो कयलनि और बड्ड खुश भेलाह।” 57 तखन यहूदी सभ कहलथिन, “तोँ एखन पचासो वर्षक नहि छैं और तोँ अब्राहम केँ देखने छैं!” 58 यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे अब्राहमक जन्‍मो सँ पहिने, हम छी!” 59 एहि पर ओ सभ हुनका मारबाक लेल पाथर उठाबऽ लगलाह, मुदा यीशु नुका कऽ मन्‍दिर सँ बाहर भऽ कऽ चल गेलाह।

John 9

1 यीशु चलैत-चलैत एक आदमी केँ देखलनि जे जन्‍म सँ आन्‍हर छल। 2 हुनकर शिष्‍य सभ पुछलथिन, “गुरुजी, ई आदमी अपने पापक कारणेँ आन्‍हर जनमल की माय-बाबूक पापक कारणेँ?” 3 यीशु उत्तर देलथिन, “ने अपना पापक कारणेँ आ ने माय-बाबूक। ई एहि लेल भेल जे ओकरा मे परमेश्‍वरक काज प्रगट भऽ जानि। 4 जे हमरा पठौलनि, तिनकर काज अपना सभ केँ दिने मे करऽ पड़त। राति आबि रहल अछि, जखन केओ नहि काज कऽ सकैत अछि। 5 जाबत धरि हम संसार मे छी, ताबत धरि हम संसारक इजोत छी।” 6 एतबा कहि ओ जमीन पर थुकलनि, आओर थूक मे माटि सानि कऽ, ओहि आदमीक आँखि पर लगा देलथिन। 7 तखन ओकरा कहलथिन, “जा कऽ शिलोह कुण्‍ड मे धो लैह।” (शिलोहक अर्थ अछि “पठाओल गेल”।) तँ ओ आदमी जा कऽ आँखि धो लेलक आओर देखैत घर चल आयल। 8 ओकर पड़ोसी सभ आ जे लोक सभ ओकरा पहिने भीख मँगैत देखने छलैक कहलक, “की ई वैह नहि अछि जे पहिने बैसले-बैसले भीख मँगैत छल?” 9 किछु लोक कहलक, “हँ, वैह अछि।” दोसर लोक कहलक, “नहि, नहि! ओकरा सनक लगैत छैक लेकिन ओ अछि नहि।” मुदा ओ आदमी अपने कहलक, “हम वैह छी।” 10 तँ ओ सभ ओकरा कहलकैक, “तखन तोहर आँखि कोना खुजि गेलौ?” 11 ओ बाजल, “ओ यीशु नामक आदमी माटि सानि कऽ हमरा आँखि पर लगा कऽ कहलनि जे, जाह, शिलोह मे धो लैह। हम गेलहुँ, धो लेलहुँ, आओर देखऽ लगलहुँ।” 12 ओ सभ ओकरा पुछलकैक, “ओ कतऽ छथि?” ओ उत्तर देलकैक, “हम नहि जनैत छी।” 13 ओ आदमी जे पहिने आन्‍हर छल तकरा फरिसी सभ लग आनल गेलैक। 14 जाहि दिन यीशु माटि सानि कऽ ओकर आँखि खोलने छलथिन, से विश्राम-दिन छल। 15 तेँ फरिसी सभ ओहि आदमी केँ फेर पुछलथिन, “ई कोना भेल जे तोँ आब देखि रहल छह?” ओ बाजल, “ओ माटि सानि कऽ हमरा आँखि पर लगा देलनि, हम धो लेलहुँ, आओर आब देखैत छी।” 16 किछु फरिसी कहऽ लगलाह, “ई व्‍यक्‍ति परमेश्‍वरक दिस सँ नहि आयल अछि, कारण ओ विश्राम-दिन केँ नहि मानैत अछि।” मुदा दोसर सभ कहऽ लगलाह, “जे पापी होयत, से एहन चमत्‍कार वला चिन्‍ह सभ कोना देखा सकत?” एहि तरहेँ हुनका सभ मे मतभेद भऽ गेलनि। 17 आखिर मे ओ सभ ओहि आन्‍हर केँ पुछलथिन, “तोँ ओकरा बारे मे की कहैत छह? तोरे ने आँखि खोलि देलकह।” ओ उत्तर देलकनि, “ओ परमेश्‍वरक प्रवक्‍ता छथि।” 18 मुदा यहूदी सभ तखनो तक नहि पतिअयलाह जे ओ पहिने आन्‍हर छल, और आब देखऽ लागल अछि जखन तक ओ सभ ओकर माय-बाबू केँ बजा कऽ पुछि नहि लेलनि। 19 ओ सभ ओकरा सभ सँ पुछलथिन, “की ई तोरे सभक बेटा छह? ई वैह अछि जे तोरा सभक कहबाक अनुसार आन्‍हर जनमल? तँ ई एखन कोना देखि रहल अछि?” 20 ओकर माय-बाबू उत्तर देलकनि, “हम सभ जनैत छी जे ई हमरा सभक बालक अछि, और इहो जनैत छी जे आन्‍हर जनमल। 21 मुदा ई एखन कोना देखि रहल अछि, वा एकरा के आँखि खोलि देलथिन, से नहि जनैत छी। ओकरे पुछिऔक। ओ तँ बच्‍चा नहि अछि। ओ अपने कहत।” 22 ओकर माय-बाबू ई बात एहि लेल कहलक जे ओ सभ यहूदीक धर्मगुरु सभ सँ डेराइत छल, कारण, यहूदी अधिकारी सभ एकमत भऽ गेल रहय जे, जँ केओ कहत जे यीशु उद्धारकर्ता-मसीह अछि तँ ओकरा सभाघर सँ बारि देल जयतैक। 23 एही कारणेँ ओकर माय-बाबू कहने छलैक जे ओ बच्‍चा नहि अछि, ओकरे पुछिऔक। 24 ओ सभ फेर दोसर बेर ओहि आदमी केँ बजौलनि जे आन्‍हर छल, आओर ओकरा कहलथिन, “परमेश्‍वरक समक्ष सत्‍ये बाजह! हम सभ जनैत छी जे ई व्‍यक्‍ति पापी अछि।” 25 ओ बाजल, “ओ पापी छथि वा नहि, से हम नहि जनैत छी। मुदा एकटा बात हम जनैत छी—हम पहिने आन्‍हर छलहुँ और एखन देखैत छी।” 26 ओ सभ ओकरा पुछलथिन, “ओ तोरा की कयलकह? तोहर आँखि ओ कोना खोललकह?” 27 ओ उत्तर देलकनि, “हम अहाँ सभ केँ कहि देने छी, मुदा अहाँ सभ सुनिते नहि छी। अहाँ सभ फेर किएक सुनऽ चाहैत छी? की अहूँ सभ हुनकर शिष्‍य बनऽ चाहैत छी?” 28 ओ सभ ओकरा गारि पढ़ैत कहलथिन, “तोँही ओकर शिष्‍य छैं। हम सभ तँ मूसाक शिष्‍य छी। 29 हम सभ जनैत छी जे परमेश्‍वर मूसा सँ बाजल छलथिन, मुदा ई व्‍यक्‍ति जे अछि, से कतऽ सँ आयल तकर कोनो पता नहि।” 30 एहि पर ओ आदमी बाजल, “अरे, ई तँ बड्ड अद्‌भुत बात अछि! अहाँ सभ नहि जनैत छी जे ओ कतऽ सँ आयल छथि, और तैयो ओ हमर आँखि खोलि देलनि। 31 अपना सभ जनैत छी जे परमेश्‍वर पापी सभक नहि सुनैत छथिन। जे हुनका मानैत छनि और हुनकर इच्‍छा पूरा करैत छनि, तकर बात परमेश्‍वर सुनैत छथिन। 32 सृष्‍टिक आरम्‍भ सँ आइ तक ई कहियो सुनबा मे नहि आयल अछि जे केओ कोनो जन्‍म सँ आन्‍हर आदमीक आँखि केँ खोलने होअय। 33 ई आदमी जँ परमेश्‍वरक दिस सँ नहि आयल रहितथि तँ ओ किछु नहि कऽ सकितथि।” 34 एहि पर ओ सभ उत्तर देलथिन, “तोँ तँ बिलकुल पापे मे जनमल छैं आ तोँ हमरा सभ केँ सिखाबऽ चाहैत छैं?!” ई कहि ओकरा बाहर भगा देलनि। 35 यीशु जखन सुनलनि जे ओ सभ ओकरा भगा देने छैक तँ ओकरा भेँट कऽ कऽ पुछलथिन, “की तोँ मनुष्‍य-पुत्र पर विश्‍वास करैत छह?” 36 ओ उत्तर देलकनि, “मालिक, ओ के छथि? हमरा कहल जाओ, जाहि सँ हम हुनका पर विश्‍वास करियनि।” 37 यीशु ओकरा कहलथिन, “तोँ हुनका देखने छहुन और ओ वैह छथि जे एखनो तोरा सँ बात कऽ रहल छथुन।” 38 ओ कहलकनि, “प्रभु, हम विश्‍वास करैत छी!” और हुनकर पयर पर खसि कऽ गोड़ लगलकनि। 39 यीशु बजलाह, “हम एहि संसार मे न्‍यायक लेल आयल छी, जाहि सँ जे सभ नहि देखैत अछि, से सभ देखय, और जे सभ देखैत अछि, से सभ आन्‍हर भऽ जाय।” 40 किछु फरिसी जे हुनका लग मे ठाढ़ छलाह, से ई बात सुनि कहलथिन, “तँ हमहूँ सभ आन्‍हर छी की?” 41 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ जँ आन्‍हर रहितहुँ, तँ दोषी नहि होइतहुँ, मुदा अहाँ सभ कहैत छी जे, हम सभ देखैत छी, आ तेँ अहाँ सभ दोषी रहलहुँ।”

John 10

1 “हम अहाँ सभ केँ विश्‍वास दिअबैत छी जे, जे द्वारि बाटे भेँड़शाला मे प्रवेश नहि करैत अछि, बल्‍कि देवाल पर चढ़ि कऽ कोनो दोसर बाटे प्रवेश करैत अछि, से चोर और डाकू होइत अछि। 2 जे द्वारि बाटे प्रवेश करैत छथि, से भेँड़ाक चरबाह छथि। 3 हुनका लेल द्वारपाल द्वारिक फट्टक खोलि दैत छनि, और हुनकर आवाज भेँड़ा चिन्‍हैत छनि। ओ अपना भेँड़ा केँ नाम लऽ-लऽ कऽ बजबैत छथि, और ओकरा सभ केँ बाहर लऽ जाइत छथि। 4 अपन सभ भेँड़ा केँ निकालि लेला पर ओ ओकरा सभक आगाँ-आगाँ चलैत छथि और ओ सभ हुनका पाछाँ लागि जाइत छनि किएक तँ ओ सभ हुनकर आवाज केँ चिन्‍हैत छनि। 5 ओ सभ कोनो अपरिचित आदमीक पाछाँ कहियो नहि जायत, बल्‍कि ओकरा लग सँ भागत, किएक तँ अपरिचित लोकक आवाज ओ सभ नहि चिन्‍हैत छैक।” 6 यीशु हुनका सभ केँ ई उदाहरण देलनि, मुदा हुनकर की कहबाक अर्थ छलनि, से ओ सभ नहि बुझलनि। 7 तेँ ओ हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, भेँड़ा सभक लेल हमहीं द्वारि छी। 8 आरो सभ जे हमरा सँ पहिने आयल, से चोर और डाकू सभ छल, मुदा भेँड़ा ओकरा सभक बात नहि मानलक। 9 द्वारि हम छी। हमरा बाटे जे प्रवेश करत से सुरक्षित राखल जायत। ओ भीतर-बाहर अबैत-जाइत रहत और चारा पाओत। 10 चोर खाली चोरी करबाक, जान मारबाक, और नष्‍ट करबाक उद्देश्‍य सँ अबैत अछि। मुदा हम एहि लेल आयल छी जे मनुष्‍य जीवन प्राप्‍त करय और परिपूर्णता सँ प्राप्‍त करय। 11 “नीक चरबाह हम छी। नीक चरबाह भेँड़ाक लेल अपन प्राण दैत अछि। 12 जऽन-बोनिहार, जे ने चरबाह अछि आ ने भेँड़ाक मालिक अछि से चितुआ केँ अबैत देखि कऽ भेँड़ा सभ केँ छोड़ि कऽ भागि जाइत अछि। तखन चितुआ भेँड़ा केँ पकड़ऽ लगैत छैक और ओकरा सभ केँ छिड़िया दैत छैक। 13 जऽन-बोनिहार एहि लेल भागि जाइत अछि जे ओ खाली जऽन अछि और ओकरा भेँड़ाक लेल कोनो चिन्‍ता नहि रहैत छैक। 14 “नीक चरबाह हम छी। जहिना पिता हमरा चिन्‍हैत छथि और हम पिता केँ चिन्‍हैत छियनि, 15 तहिना हम अपना भेँड़ा सभ केँ चिन्‍हैत छी और ओ सभ हमरा चिन्‍हैत अछि। और भेँड़ा सभक लेल हम अपन प्राण दैत छी। 16 हमरा आरो भेँड़ा अछि जे एहि भेँड़शालाक नहि अछि। ओकरो सभ केँ हमरा लयबाक अछि। ओहो सभ हमर आवाज सुनत। तखन एके झुण्‍ड और एके चरबाह होयत। 17 “पिता हमरा सँ एहि लेल प्रेम करैत छथि जे हम अपन प्राण दैत छी जाहि सँ हम ओकरा फेर लऽ ली। 18 केओ हमर प्राण केँ हमरा सँ नहि छिनि लैत अछि, बल्‍कि हम अपना इच्‍छा सँ दऽ रहल छी। हमरा अपन जान देबाक अधिकार अछि और ओकरा फेर लऽ लेबाक अधिकार सेहो अछि। ई आज्ञा हम अपना पिता सँ प्राप्‍त कयने छी।” 19 एहि बात सभक कारणेँ यहूदी सभ मे फेर मतभेद भऽ गेलनि। 20 बहुत लोक कहैत छलाह, “एकरा मे दुष्‍टात्‍मा छैक। ई बताह अछि! एकर बात किएक सुनबैक?” 21 मुदा दोसर सभ कहैत छलाह, “जकरा मे दुष्‍टात्‍मा छैक, से की एहन बात सभ कहत? की दुष्‍टात्‍मा कतौ आन्‍हरक आँखि खोलि सकैत अछि?” 22 तखन यरूशलेम मे “मन्‍दिरक समर्पण” नामक पाबनि आबि गेल। 23 जाड़क मास छल, और यीशु मन्‍दिर मे ओहि असोरा पर टहलैत छलाह जे “सुलेमानक असोरा” कहबैत अछि। 24 यहूदी सभ हुनका चारू कात सँ घेरि कऽ कहलथिन, “कहिया तक अहाँ हमरा सभ केँ दुबिधा मे रखने रहब? अहाँ जँ परमेश्‍वरक मसीह छी तँ हमरा सभ केँ स्‍पष्‍ट कहि दिअ।” 25 यीशु बजलाह, “हम अहाँ सभ केँ कहिए देने छी, मुदा अहाँ सभ विश्‍वास नहि करैत छी। जे काज हम अपना पिताक नाम सँ करैत छी, से हमर गवाही दैत अछि। 26 मुदा अहाँ सभ विश्‍वास नहि करैत छी किएक तँ अहाँ सभ हमर भेँड़ा नहि छी। 27 हमर भेँड़ा हमर आवाज सुनैत अछि। हम ओकरा सभ केँ चिन्‍हैत छी और ओ सभ हमरा पाछाँ लागि जाइत अछि। 28 हम ओकरा सभ केँ अनन्‍त जीवन दैत छी और ओ सभ कहियो नाश नहि होयत। हमरा हाथ सँ केओ ओकरा सभ केँ नहि छिनि लेत। 29 हमर पिता, जे ओकरा सभ केँ हमरा देने छथि, से आरो सभ सँ शक्‍तिशाली छथि, तेँ हमरा पिताक हाथ सँ ओकरा सभ केँ केओ नहि छिनि सकैत अछि। 30 हम और पिता एक छी।” 31 एहि पर यहूदी सभ फेर हुनका मारि देबाक लेल पाथर उठाबऽ लगलाह, 32 मुदा यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ पिताक तरफ सँ बहुत नीक-नीक काज कऽ कऽ देखा देलहुँ। एहि सभ मे सँ कोन काजक लेल हमरा मारि देबऽ चाहैत छी?” 33 यहूदी सभ हुनका उत्तर देलथिन, “कोनो नीक काजक लेल तोरा नहि मारऽ चाहैत छिऔ, बल्‍कि परमेश्‍वरक निन्‍दाक लेल, कारण तोँ मनुष्‍ये भऽ कऽ अपना केँ परमेश्‍वर कहैत छैं।” 34 यीशु बजलाह, “की अहाँ सभक धर्मशास्‍त्र मे नहि लिखल अछि जे, ‘हम कहलहुँ जे तोँ सभ ईश्‍वर छह’ ? 35 जँ तकरा सभ केँ ओ ‘ईश्‍वर’ कहलथिन जकरा सभ केँ परमेश्‍वरक वचन देल गेल—और धर्मशास्‍त्र कहियो गलत नहि ठहरि सकैत अछि— 36 तँ जकरा पिता अपना पवित्र काजक लेल चुनि कऽ संसार मे पठौलथिन, तकरा पर परमेश्‍वरक निन्‍दा करबाक दोष किएक लगबैत छी जखन ओ कहैत अछि जे, ‘हम परमेश्‍वरक पुत्र छी’? 37 जँ हम अपना पिताक काज नहि कऽ रहल छी, तँ हमरा पर विश्‍वास नहि करू। 38 मुदा जँ हम कऽ रहल छी, तँ हमरा पर जँ नहिओ विश्‍वास करब, तँ हमर काज पर विश्‍वास करू, जाहि सँ अहाँ सभ जानब और बुझब जे पिता हमरा मे छथि और हम पिता मे छी।” 39 ओ सभ हुनका फेर पकड़ऽ चाहैत छलनि, मुदा ओ हुनका सभक हाथ सँ बचि कऽ निकलि गेलाह। 40 तखन यीशु फेर यरदन नदीक ओहि पार गेलाह जाहिठाम यूहन्‍ना शुरू मे बपतिस्‍मा दैत छलाह। ओ ओहिठाम रहलाह 41 और बहुत लोक हुनका लग आयल। ओ सभ कहलक, “ओना तँ यूहन्‍ना कोनो चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह नहि देखौलनि, तैयो जतेक बात ओ एहि व्‍यक्‍तिक बारे मे कहलनि, से सभ सत्‍य छल।” 42 और ओहिठाम बहुत लोक यीशु पर विश्‍वास कयलकनि। #

John 11

1 एक लाजर नामक आदमी, जे बेतनिया गामक छलाह, बहुत बिमार भऽ गेल छलाह। बेतनिया गाम मरियम आओर हुनकर बहिन मार्थाक गाम छल। 2 ई मरियम वैह छथि जे यीशुक पयर पर सुगन्‍धित तेल ढारि कऽ हुनकर पयर अपना केश लऽ कऽ पोछि देलनि। तँ लाजर एहि मरियमक भाय छलाह। 3 दूनू बहिन यीशु केँ खबरि पठा देलनि जे, “प्रभु, अहाँक प्रिय मित्र बिमार अछि।” 4 यीशु ई सुनि कऽ बजलाह, “एहि बिमारीक अन्‍त मृत्‍यु नहि होयत। ई एहि लेल भेल जे परमेश्‍वरक महिमा प्रगट होयतनि, और जाहि सँ एहि द्वारा परमेश्‍वरक पुत्रक महिमा प्रगट होयत।” 5 यीशु मार्था, हुनकर बहिन मरियम, और लाजर सँ बहुत प्रेम करैत छलथिन, 6 मुदा तैयो ई खबरि जखन सुनलनि, जे लाजर बिमार छथि, तखन ओ जाहिठाम छलाह ताहिठाम दू दिन आओर रहि गेलाह। 7 तखन ओ अपन शिष्‍य सभ केँ कहलथिन, “आब फेर यहूदिया प्रदेश चलू।” 8 ओ सभ कहलथिन, “गुरुजी, किछुए दिन पहिने यहूदी सभ पाथर मारि कऽ अहाँ केँ मारि देबऽ चाहैत छलाह, आ तैयो अहाँ ओतऽ फेर जाय चाहैत छी?” 9 यीशु बजलाह, “की दिन मे बारह घण्‍टा नहि होइत छैक? जँ केओ दिन मे चलैत अछि तँ ओकरा ठेस नहि लगैत छैक, कारण ओ एहि संसारक इजोत केँ देखैत अछि। 10 मुदा राति मे जँ चलैत अछि तँ ठेस लगैत छैक कारण ओकरा कोनो इजोत नहि छैक।” 11 ई कहि यीशु हुनका सभ केँ आगाँ कहलथिन, “अपना सभक मित्र लाजर सुति रहलाह, मुदा हम हुनका जगयबाक लेल जाइत छी।” 12 शिष्‍य सभ हुनका कहलथिन, “प्रभु, जँ ओ सुति रहल छथि तँ ओ नीकैं भऽ जयताह।” 13 यीशु हुनकर मृत्‍युक सम्‍बन्‍ध मे ई कहने छलथिन मुदा शिष्‍य सभ बुझलनि जे ओ स्‍वभाविक निन्‍दक सम्‍बन्‍ध मे कहि रहल छथि। 14 तखन यीशु हुनका सभ केँ स्‍पष्‍ट कहलथिन, “लाजर मरि गेल छथि। 15 और अहाँ सभक कारणेँ हमरा खुशी अछि जे हम ओतऽ नहि छलहुँ, जाहि सँ अहाँ सभ विश्‍वास करी। मुदा आउ, अपना सभ आब हुनका लग चली।” 16 तखन थोमा, जे “जौंआ” कहबैत छथि, से आरो शिष्‍य सभ केँ कहलथिन, “आउ, अपनो सभ हिनका संग मरऽ लेल चली।” 17 ओतऽ पहुँचला पर यीशु केँ पता लगलनि जे लाजर केँ कबर मे रखला चारि दिन भऽ गेल अछि। 18 बेतनिया यरूशलेम सँ एक कोस सँ कनेक कम दूर छल, 19 और बहुत यहूदी लोक मार्था आओर मरियमक भायक मरला पर सान्‍त्‍वना देबाक लेल हुनका सभक ओहिठाम आयल छलनि। 20 मार्था जखन सुनलनि जे यीशु आबि रहल छथि तँ हुनका भेँट करऽ गेलीह, लेकिन मरियम घर मे बैसल रहलीह। 21 मार्था यीशु केँ कहलथिन, “प्रभु, अहाँ जँ एतऽ रहितहुँ तँ हमर भाय नहि मरल रहैत। 22 मुदा हम जनैत छी जे एखनो अहाँ जे किछु परमेश्‍वर सँ मँगबनि, से अहाँ केँ ओ देताह।” 23 यीशु बजलाह, “अहाँक भाय फेर जीबि उठत।” 24 मार्था बजलीह, “हम जनैत छी जे अन्‍तिम दिन मे जखन मुइल सभ जीबि उठत तखन ओहो जीबि उठत।” 25 यीशु हुनका कहलथिन, “जीबि उठाबऽ वला और जीवन देबऽ वला हमहीं छी। जे केओ हमरा पर विश्‍वास करैत अछि, से जँ मरिओ जायत, तैयो जीअत। 26 और जे केओ हमरा मे जीबैत अछि और विश्‍वास करैत अछि, से कहियो नहि मरत। की एहि पर विश्‍वास करैत छी?” 27 मार्था हुनका उत्तर देलथिन, “हँ प्रभु, हम विश्‍वास करैत छी जे अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह छी, परमेश्‍वरक पुत्र छी, जे संसार मे आबऽ वला छलाह।” 28 ई कहि ओ अपन बहिन मरियम केँ बजयबाक लेल गेलीह, और हुनका अलग लऽ जा कऽ कहलथिन, “गुरुजी आबि गेलाह, तोरा बजबैत छथुन।” 29 ई बात सुनितहि, मरियम जल्‍दी सँ उठि कऽ हुनका लग गेलीह। 30 यीशु एखन गाम मे नहि आयल छलाह, बल्‍कि ओहि स्‍थान पर छलाह जाहिठाम मार्था हुनका सँ भेँट कयने छलीह। 31 यहूदी सभ, जे मरियम केँ सान्‍त्‍वना दैत हुनका संग घर मे छलनि, से सभ जखन हुनका जल्‍दी उठि बाहर जाइत देखलकनि, तँ हुनका पाछाँ-पाछाँ गेल, ई बुझि कऽ जे ओ कबर पर विलाप करऽ जा रहल छथि। 32 मरियम जखन ओहिठाम पहुँचलीह जाहिठाम यीशु छलाह, तँ हुनका देखि हुनका पयर पर खसि कऽ बजलीह, “प्रभु, अहाँ जँ एतऽ रहितहुँ तँ हमर भाय नहि मरैत।” 33 यीशु जखन हुनका विलाप करैत देखलथिन, और यहूदी सभ, जे हुनका संग आयल छल, तकरो सभ केँ विलाप करैत देखलनि तँ हुनका बहुत दुःख भेलनि और ओ व्‍याकुल भऽ गेलाह। 34 ओ पुछलथिन, “हुनका कतऽ रखने छिऐन?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “प्रभु, चलि कऽ देखि लिअ।” 35 यीशु कानऽ लगलाह। 36 तखन यहूदी सभ कहलक, “देखू, ओकरा सँ कतेक प्रेम करैत छलथिन।” 37 मुदा ओकरा सभ मे सँ किछु लोक कहलक, “ई जे आन्‍हर केँ आँखि खोलि देलथिन, से की एहि आदमीक मरनाइ नहि रोकि सकलाह?” 38 यीशु फेर बहुत दुखी भऽ कऽ कबर लग गेलाह। ओ कबर एक गुफा छल, जकरा दुआरि पर एकटा बड़का पाथर राखल छलैक। 39 यीशु कहलथिन, “पाथर हटा दिअ!” मृतकक बहिन, मार्था, हुनका कहलथिन, “प्रभु, आब बहुत महकैत होयत। ओकरा मरला तँ चारि दिन भऽ गेल छैक।” 40 यीशु बजलाह, “की, हम अहाँ केँ नहि कहलहुँ जे जँ अहाँ विश्‍वास करब तँ परमेश्‍वरक महिमा देखब?” 41 तखन ओ सभ पाथर हटा देलनि, और यीशु ऊपर ताकि कऽ कहलनि, “पिता, हम अहाँ केँ धन्‍यवाद दैत छी जे अहाँ हमर सुनि लेने छी। 42 ओना तँ हम जनैत छी जे अहाँ सदिखन हमर सुनि लैत छी, मुदा हम ई बात एहिठाम ठाढ़ भेल लोकक कारणेँ कहलहुँ, जाहि सँ ओ सभ विश्‍वास करय जे अहाँ हमरा पठौने छी।” 43 ई बात कहि, यीशु जोर सँ सोर पारलनि, “लाजर! बाहर निकलि आउ!” 44 और ओ मृतक बाहर निकलि अयलाह। हुनकर हाथ-पयर पट्टी सँ बान्‍हल छलनि, और हुनकर मुँह अंगपोछा सँ लेपटल छलनि। यीशु लोक सभ केँ कहलथिन, “हुनका खोलि दिऔन और जाय दिऔन।” 45 एहि कारणेँ यहूदी सभ जे मरियम सँ भेँट करबाक लेल आयल छल, और जे यीशुक ई काज देखने छल, तकरा सभ मे सँ बहुतो हुनका पर विश्‍वास कयलकनि। 46 मुदा किछु यहूदी सभ फरिसी सभक ओहिठाम जा कऽ कहि देलकैक जे यीशु की कयलनि। 47 तेँ मुख्‍यपुरोहित और फरिसी सभ धर्म-महासभाक सदस्‍य सभ केँ बजा लेलनि। ओ सभ आपस मे कहऽ लगलाह, “अपना सभ की कऽ रहल छी? ई तँ बहुत चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह देखा रहल अछि! 48 एकरा ई सभ करैत छोड़ि देबैक तँ एकरा पर सभ केओ विश्‍वास करतैक, और रोमी सभ आबि कऽ अपना सभक पवित्र स्‍थान और राष्‍ट्र दूनू नष्‍ट कऽ देत।” 49 तखन हुनका सभ मे सँ काइफा नामक एक गोटे, जे ओहि वर्षक महापुरोहित छलाह से बजलाह, “अहाँ सभ किछुओ नहि जनैत छी! 50 अहाँ सभ केँ फुरयबो नहि करैत अछि जे अहाँ सभ केँ की नीक होइत। नीक तँ ई होइत जे एके आदमी जनताक लेल मरैक, और ई नहि जे पूरा राष्‍ट्र नाश भऽ जाय।” 51 ई बात ओ अपने सँ नहि, बल्‍कि ओहि वर्षक महापुरोहित होयबाक कारणेँ कहलनि, मुदा हुनको नहि बुझल छलनि जे ई भविष्‍यवाणी भऽ गेल जे यीशु यहूदी राष्‍ट्रक बदला मे मरताह, 52 और मात्र ओहि राष्‍ट्रक लेल नहि, बल्‍कि परमेश्‍वरक एम्‍हर-ओम्‍हर छिड़िआयल सन्‍तानक लेल सेहो, जाहि सँ ओ ओकरा सभ केँ एक ठाम जमा कऽ कऽ एक करथि। 53 तँ ओहि दिन सँ ओ सभ हुनका जान सँ मारि देबाक षड्‌यन्‍त्र करऽ लगलाह। 54 फलस्‍वरूप यीशु आब यहूदी सभक बीच मे खुलि कऽ नहि घुमैत छलाह। ओ निर्जन क्षेत्रक कात मे इफ्राइम नामक गाम मे जा कऽ ओतहि अपना शिष्‍य सभक संग रहऽ लगलाह। 55 जखन यहूदी सभक फसह-पाबनि लग आबि गेल तखन बहुत लोक अपना केँ शुद्ध करबाक विधिक लेल पाबनि सँ पहिनहि देहात सँ यरूशलेम आयल। 56 ओ सभ यीशु केँ तकैत छलनि, और मन्‍दिर मे ठाढ़ एक-दोसर सँ पुछैत छल जे, “अहाँ की सोचैत छी? ओ पाबनिक लेल नहिए औताह की?” 57 कारण मुख्‍यपुरोहित और फरिसी सभ आज्ञा देने छलाह जे, जँ ककरो पता लागि जाइक जे यीशु कतऽ छथि तँ ओ हुनका सभ केँ सूचना दऽ दिअय, जाहि सँ ओ सभ हुनका पकड़ि सकथि।

John 12

1 फसह-पाबनि सँ छओ दिन पहिने, यीशु बेतनिया गाम अयलाह, जाहिठाम लाजर रहैत छलाह, जिनका मरलाक बाद यीशु जीवित कऽ देने रहथिन। 2 ओहिठाम यीशुक अयबाक खुशी मे भोज कयल गेल। मार्था सेवा-सत्‍कारक काज मे लागल छलीह, और यीशुक संग भोजन करऽ वला सभ मे लाजर सेहो बैसल छलाह। 3 तखन मरियम विशुद्ध जटामासीक लगभग आधा सेर बहुत दामी सुगन्‍धित तेल लऽ यीशुक पयर पर ढारि देलनि और हुनकर पयर अपना केश सँ पोछि देलथिन। ओहि तेलक सुगन्‍ध सँ सौंसे घर गमकि उठल। 4 मुदा हुनकर एकटा शिष्‍य, यहूदा इस्‍करियोती, जे बाद मे हुनका संग विश्‍वासघात करऽ वला भेल, से बाजल, 5 “ई तेल किएक नहि बेचि देल गेल? एहि सँ एक वर्षक मजदूरीक बराबरि मूल्‍य भेटैत, आ गरीब सभ मे बाँटल गेल रहैत!” 6 ओ ई बात एहि लेल नहि कहलक जे ओकरा गरीब सभक लेल चिन्‍ता छलैक, बल्‍कि एहि लेल जे ओ चोर छल। ओकरा लग हुनका सभक पाइक बटुआ रहैत छलैक, और ओहि मे जे किछु राखल जाइत छल, ताहि मे सँ ओ चोरा लैत छल। 7 यीशु उत्तर देलथिन, “हिनका छोड़ि दिऔन! हम जे कबर मे राखल जायब तकर तैयारीक लेल हिनका ई तेल रखने रहबाक छलनि। 8 गरीब सभ तँ अहाँ सभक संग सभ दिन रहत, मुदा हम अहाँ सभक संग सभ दिन नहि रहब।” 9 जखन यहूदी सभक बड़का भीड़ केँ पता लगलैक जे यीशु एतऽ छथि, तँ ओ सभ देखबाक लेल आयल, मुदा खाली यीशुए केँ देखबाक लेल नहि, बल्‍कि लाजर केँ सेहो, जिनका मरलाक बाद यीशु जीवित कयने रहथिन। 10 तखन मुख्‍यपुरोहित सभ लाजर केँ सेहो खून कऽ देबाक योजना बनाबऽ लगलाह, 11 किएक तँ हुनके कारण बहुत यहूदी अपना धर्मगुरु सभ केँ छोड़ि कऽ यीशु पर विश्‍वास करैत छलनि। 12 दोसरे दिन बड़का भीड़ जे पाबनिक लेल आयल छल, से सुनलक जे यीशु यरूशलेम आबि रहल छथि। 13 ओ सभ खजूरक छज्‍जा लऽ कऽ हुनका सँ भेँट करबाक लेल शहर सँ बहरायल। ओ सभ हुनकर जयजयकार करैत छल, “जय जय! धन्‍य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि! धन्‍य छथि इस्राएलक राजा!” 14 यीशु एक गदहीक बच्‍चा पर बैसल छलाह, जेना धर्मशास्‍त्रक लेख अछि, 15 “हे सियोन नगर ! भयभीत नहि होअह! देखह! तोहर राजा गदहीक बच्‍चा पर बैसल आबि रहल छथुन!” 16 एहि समय मे हुनकर शिष्‍य सभ ई सभ बात नहि बुझलनि, मुदा यीशु जखन स्‍वर्गक महिमा मे उठा लेल गेलाह तखन हुनका सभ केँ मोन पड़लनि जे ई सभ बात यीशुएक बारे मे लिखल गेल छल और हुनका संग तहिना कयलो गेलनि। 17 जे लोक सभ ओहि समय मे यीशुक संग छल जखन ओ लाजर केँ कबर मे सँ बहरयबाक लेल कहि कऽ जीवित कऽ देने रहथिन, से सभ एहि बातक बारे मे सभ लोक केँ कहैत छल। 18 एहि कारणेँ एतेक लोक यीशु सँ भेटबाक लेल बहरायल छल। ओ सभ सुनने छल जे यीशु ई चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह देखौने छथि। 19 तेँ फरिसी सभ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “देखैत छी कि नहि! अहाँ सभ जे कऽ रहल छी ताहि सँ कनेको फायदा नहि! देखू! सौंसे संसार ओकरा पाछाँ दौड़ि रहल छैक!” 20 जे लोक पाबनि मे आराधना करबाक लेल आयल छल, ताहि मे किछु लोक यूनानी जातिक छल। 21 ओ सभ फिलिपुस लग आयल, जे गलील प्रदेशक बेतसैदा नगरक छलाह। ओ सभ हुनका सँ ई निवेदन कयलकनि, “मालिक, हम सभ यीशु केँ देखितहुँ।” 22 फिलिपुस जा कऽ अन्‍द्रेयास केँ कहि देलनि, और अन्‍द्रेयास फिलिपुसक संग जा कऽ यीशु केँ कहलनि। 23 यीशु बजलाह, “मनुष्‍य-पुत्रक महिमा प्रगट होयबाक घड़ी आबि गेल अछि। 24 हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, जाबत धरि गहुमक दाना जमीन मे खसि कऽ मरि नहि जाइत अछि, ताबत धरि ओ असगर रहैत अछि। मुदा जँ मरि जायत, तँ आओर बहुत दाना केँ उत्‍पादन करत। 25 जे अपना जीवन केँ प्रिय बुझैत अछि, से ओकरा गमबैत अछि, और जे एहि संसार मे अपना जीवन केँ तुच्‍छ बुझैत अछि, से ओकरा अनन्‍त जीवनक लेल सुरक्षित रखैत अछि। 26 जे हमर सेवा करत, से हमरा पाछाँ आबय। और हम जतऽ होयब, ततऽ हमर सेवक सेहो होयत। जे केओ हमर सेवा करत, तकरा हमर पिता आदर करथिन। 27 “आब हमर आत्‍मा अति व्‍याकुल भऽ गेल अछि। हम की कहू?—ई जे, ‘यौ पिता, एहि घड़ी सँ हमरा बचाउ!’? नहि! हम तँ एही लेल एहि घड़ी तक आयल छी! 28 यौ पिता, अपन नामक महिमा केँ प्रगट करू!” एहि पर स्‍वर्ग सँ ई आवाज सुनाइ देलक जे, “हम ओकरा प्रगट कयने छी और फेर प्रगट करब।” 29 लग मे ठाढ़ भेल भीड़ ई सुनलक और कहलक, “मेघ बाजल।” दोसर लोक कहलक, “हुनका सँ स्‍वर्गदूत बजलनि।” 30 यीशु बजलाह, “ई आवाज हमरा लेल नहि, अहीं सभक लेल भेल। 31 आब एहि संसारक न्‍यायक समय आबि गेल अछि, आब एहि संसारक शासक केँ पराजित कऽ देल जयतैक। 32 मुदा हम जखन पृथ्‍वीक उपर लटकाओल जायब तँ हम अपना लग सभ लोक केँ खीचि लेब।” 33 ओ ई कहि कऽ संकेत कऽ देलथिन जे हुनकर मृत्‍यु कोन तरहक होयतनि। 34 एहि पर भीड़क लोक बाजल, “हम सभ धर्म-नियम सँ सिखने छी जे उद्धारकर्ता-मसीह अनन्‍त काल तक रहताह। तँ अहाँ कोना कहैत छी जे मनुष्‍य-पुत्रक ऊपर लटकाओल जयनाइ आवश्‍यक अछि? की मनुष्‍य-पुत्र आ उद्धारकर्ता-मसीह दूनू एके नहि छथि?” 35 यीशु ओकरा सभ केँ कहलनि, “इजोत कनेके काल आओर अहाँ सभक बीच मे अछि। जा धरि इजोत अछि ता धरि चलिते रहू, नहि तँ अन्‍हार अहाँ सभ केँ लपकि लेत। जे अन्‍हार मे चलैत अछि, से नहि जनैत अछि जे ओ कतऽ जा रहल अछि। 36 जा धरि इजोत अहाँ सभक संग अछि, इजोत पर विश्‍वास राखू, जाहि सँ इजोतक सन्‍तान बनब।” यीशु ई सभ बात कहि कऽ चल गेलाह और ओकरा सभ सँ नुका रहलाह। 37 ओकरा सभक समक्ष मे एतेक चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह देखौलाक बादो, ओ सभ यीशु पर विश्‍वास नहि करैत छल। 38 ई एहि लेल भेल जे परमेश्‍वरक प्रवक्‍ता यशायाहक ई कथन पूरा होअय जे, “यौ प्रभु, हमरा सभ द्वारा सुनाओल गेल उपदेशक बात पर के विश्‍वास कयने अछि? और प्रभुक बल ककरा पर प्रगट भेल छैक?” 39 तेँ ओ सभ विश्‍वास नहि कऽ सकल, कारण, जेना यशायाह दोसर ठाम कहैत छथि, 40 “प्रभु ओकरा सभक आँखि आन्‍हर कऽ देने छथिन, और ओकरा सभक मोन कठोर कऽ देने छथिन, 2 जाहि सँ ओ सभ ने आँखि सँ देखय, 2 ने मोन सँ बुझय, 2 आ ने हमरा दिस घूमि कऽ आबय 2 कि हम ओकरा सभ केँ स्‍वस्‍थ कऽ दिऐक।” 41 यशायाह ई बात कहलनि किएक तँ ओ यीशुक महिमा देखलनि और हुनका बारे मे बजलाह। 42 ई बात होइतो यहूदी सभक अधिकारी सभ मे सँ सेहो बहुत गोटे हुनका पर विश्‍वास कयलनि, मुदा फरिसी सभक कारणेँ ओ सभ अपना विश्‍वास केँ खुलि कऽ स्‍वीकार नहि कयलनि, एहि डरेँ जे सभाघर सँ बारि देल जाएब, 43 कारण ओ सभ परमेश्‍वरक प्रशंसा सँ मनुष्‍यक प्रशंसा प्रिय बुझैत छलाह। 44 तखन यीशु जोर सँ कहलनि, “जे केओ हमरा पर विश्‍वास करैत अछि, से हमरे पर नहि, बल्‍कि हमरा जे पठौलनि, तिनको पर विश्‍वास करैत अछि। 45 और जे हमरा देखैत अछि, से तिनका देखैत छनि जे हमरा पठौलनि। 46 हम इजोत भऽ कऽ संसार मे आयल छी जाहि सँ जे केओ हमरा पर विश्‍वास करत से अन्‍हार मे नहि रहय। 47 “हमर वचन जँ केओ सुनैत अछि, लेकिन मानैत नहि अछि, तँ हम ओकर न्‍याय नहि करैत छी, कारण हम संसारक न्‍याय करबाक लेल नहि अयलहुँ, बल्‍कि ओकरा बचयबाक लेल। 48 जे हमरा अस्‍वीकार करैत अछि और हमर वचन ग्रहण नहि करैत अछि, तकर न्‍याय करऽ वला एक अछि—जे वचन हम कहने छी, वैह अन्‍तिम दिन मे ओकर न्‍याय करतैक। 49 कारण हम अपना दिस सँ नहि बजलहुँ, बल्‍कि जे पिता हमरा पठौलनि सैह हमरा आदेश देलनि जे हम की कही और कोना बाजी। 50 और हम जनैत छी जे हुनकर आदेश अनन्‍त जीवन अछि। तेँ हम जे किछु बजैत छी, से वैह अछि जे ओ हमरा बजबाक लेल कहने छथि।”

John 13

1 फसह-भोज सँ पहिनेक समय छल, और यीशु जनैत छलाह जे आब एहि संसार केँ छोड़ि कऽ पिता लग जयबाक घड़ी आबि गेल अछि। अपन चुनल लोक जे संसार मे छलनि, और जिनका सभ केँ ओ प्रेम करैत आयल छलथिन, तिनका सभ केँ ओ अन्‍तिम सीमा तक प्रेम कयलनि। 2 यीशु और हुनकर शिष्‍य सभ भोजन कऽ रहल छलाह। शैतान पहिनहि सिमोनक बेटा यहूदा इस्‍करियोतीक मोन मे यीशु केँ पकड़बयबाक विचार धऽ देने छलैक। 3 यीशु ई जनैत छलाह जे पिता हमरा हाथ मे सभ किछु दऽ देने छथि और ई, जे हम परमेश्‍वर सँ आयल छी आ परमेश्‍वर लग जा रहल छी। 4 तेँ ओ भोजन सँ उठलाह, और अपन उपरका कपड़ा उतारि कऽ अपना डाँड़ मे गमछा लपेटि लेलनि। 5 तखन एक कठौत मे पानि ढारि कऽ ओ शिष्‍य सभक पयर धोबऽ और डाँड़ मे बान्‍हल गमछा लऽ कऽ पोछऽ लगलथिन। 6 जखन ओ सिमोन पत्रुस लग अयलाह, तँ पत्रुस हुनका कहलथिन, “प्रभु! की हमर पयर अहाँ धोब?” 7 यीशु बजलाह, “हम की कऽ रहल छी, से अहाँ एखन नहि जनैत छी, मुदा बाद मे अहाँ बुझि जायब।” 8 पत्रुस हुनका कहलथिन, “नहि! अहाँ हमर पयर कहियो नहि धोबऽ पायब!” यीशु बजलाह, “जँ अहाँ हमरा नहि धोबऽ देब तँ हमरा संग अहाँ केँ कोनो सम्‍बन्‍ध नहि रहल।” 9 तँ सिमोन पत्रुस हुनका कहलथिन, “तखन प्रभु, हमर पयरेटा नहि, हमर हाथ और माथ सेहो!” 10 यीशु उत्तर देलथिन, “जे नहा लेने अछि, तकरा पयर केँ छोड़ि कऽ आओर किछु धोबाक आवश्‍यकता नहि छैक, ओकर सम्‍पूर्ण देह शुद्ध रहैत छैक। और अहाँ सभ शुद्ध छी, मुदा सभ केओ नहि।” 11 यीशु तँ जनैत छलाह जे हुनका पकड़बाबऽ वला के होयत, और तेँ ओ कहलथिन, अहाँ सभ गोटे शुद्ध नहि छी। 12 जखन यीशु हुनका सभक पयर धो लेलनि, और अपन कपड़ा पहिरि कऽ बैसि गेलाह, तखन ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभक संग की कयलहुँ, से की अहाँ सभ बुझैत छी? 13 अहाँ सभ हमरा ‘गुरुजी’ और ‘प्रभुजी’ कहैत छी, और ठीके कहैत छी, कारण ओ हम छी। 14 तँ जँ हम अहाँ सभक प्रभु और गुरु भऽ कऽ अहाँ सभक पयर धोने छी, तँ अहूँ सभ केँ एक-दोसराक पयर धोबाक चाही। 15 हम अहाँ सभ केँ एक नमूना देखा देलहुँ जाहि सँ जहिना हम अहाँ सभक संग कयलहुँ तहिना अहूँ सभ करू। 16 हम अहाँ सभ केँ विश्‍वास दिअबैत छी जे, दास अपना मालिक सँ पैघ नहि होइत अछि, और ने पठाओल गेल दूत अपना पठाबऽ वला सँ। 17 ई सभ बात जानि कऽ, जँ एकरा अनुसार चलब तँ धन्‍य होयब। 18 “हम अहाँ सभ गोटेक बारे मे नहि बाजि रहल छी। जिनका सभ केँ हम चुनलियनि तिनका सभ केँ चिन्‍हैत छिऐन। मुदा धर्मशास्‍त्रक ई लेख पूरा होयबाक अछि जे, ‘जे हमर रोटी खाइत अछि से हमरा विरोध मे लात उठौने अछि।’ 19 ई घटना घटऽ सँ पहिनहि हम अहाँ सभ केँ ई बात कहि रहल छी, जाहि सँ जखन ई घटत तखन अहाँ सभ केँ पूरा विश्‍वास होयत जे हम वैह छी जे छी। 20 हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, जे केओ ओकरा स्‍वीकार करैत अछि जकरा हम पठबैत छी, से हमरा स्‍वीकार करैत अछि, और जे हमरा स्‍वीकार करैत अछि से तिनका स्‍वीकार करैत छनि जे हमरा पठौलनि।” 21 ई बात कहि कऽ यीशु अपना आत्‍मा मे बहुत व्‍याकुल होमऽ लगलाह, और ओ खुलि कऽ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्‍य कहैत छी जे अहाँ सभ मे सँ एक गोटे हमरा पकड़बा देब।” 22 शिष्‍य सभ एकदम नहि बुझि कऽ जे ओ ककरा बारे मे बाजि रहल छथि, एक-दोसराक दिस ताकऽ लगलाह। 23 हुनका सभ मे सँ एकटा, जाहि शिष्‍य सँ यीशु प्रेम करैत छलाह, से हुनका छाती सँ ओंगठि कऽ पड़ल छलनि। 24 सिमोन पत्रुस ओहि शिष्‍य केँ संकेत कऽ कऽ कहलथिन, “हुनका सँ पुछिऔन जे ककरा बारे मे कहि रहल छथि।” 25 ओ यीशु पर ओंगठि कऽ पुछलथिन, “प्रभु, ओ के अछि?” 26 यीशु उत्तर देलथिन, “ओ वैह अछि जकरा हम रोटीक टुकड़ा बट्टा मे बोड़ि कऽ देबैक।” तखन ओ रोटीक टुकड़ा बोड़ि कऽ सिमोन इस्‍करियोतीक बेटा यहूदा केँ देलथिन। 27 यहूदा केँ रोटीक टुकड़ा लितहि, शैतान ओकरा मे पैसि गेलैक। तखन यीशु ओकरा कहलथिन, “जे काज तोँ करऽ पर छह, से जल्‍दी करह!” 28 मुदा भोजन पर बैसल व्‍यक्‍ति सभ मे सँ केओ नहि बुझलनि जे यीशु किएक ओकरा ई बात कहलथिन। 29 किछु गोटे सोचलनि जे यहूदा लग पाइक बटुआ रहला सँ हुनकर कहबाक तात्‍पर्य छलनि जे, जे किछु पाबनिक लेल हमरा सभ केँ आवश्‍यक अछि से किनह, वा ई जे गरीब सभ मे किछु बाँटि दहक। 30 यहूदा रोटीक टुकड़ा लेलाक बाद तुरत बाहर चल गेल, ओ रातुक समय छल। 31 जखन यहूदा बाहर चल गेल, तखन यीशु बजलाह, “आब मनुष्‍य-पुत्रक महिमा प्रगट होयतैक, और ओकरा मे परमेश्‍वरक महिमा प्रगट होयतनि। 32 जँ ओकरा मे परमेश्‍वरक महिमा प्रगट होयतनि, तँ परमेश्‍वर सेहो अपना मे ओकर महिमा प्रगट करताह, और बहुत जल्‍दी करताह। 33 “यौ हमर बौआ सभ! कनेके काल आओर हम अहाँ सभक संग छी। अहाँ सभ हमरा ताकब, और जेना हम यहूदी सभ केँ कहलियनि, तेना अहूँ सभ केँ कहैत छी जे, जतऽ हम जा रहल छी ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकैत छी। 34 एक नव आज्ञा हम अहाँ सभ केँ दैत छी—एक-दोसर सँ प्रेम करू। जेना हम अहाँ सभ सँ प्रेम कयने छी तेना अहूँ सभ एक-दोसर सँ प्रेम करू। 35 एहि सँ सभ लोक जानत जे अहाँ सभ हमर शिष्‍य छी, अर्थात्‌ अहाँ सभ जँ एक-दोसर सँ प्रेम करब, ताहि सँ।” 36 सिमोन पत्रुस हुनका सँ पुछलथिन, “प्रभु, अहाँ कतऽ जा रहल छी?” यीशु बजलाह, “हम जतऽ जा रहल छी, ततऽ अहाँ एखन हमरा पाछाँ-पाछाँ नहि आबि सकब, लेकिन बाद मे अहाँ हमरा पाछाँ आयब।” 37 पत्रुस कहलथिन, “प्रभु, हम अहाँक पाछाँ-पाछाँ एखन किएक नहि आबि सकैत छी? हम अहाँक लेल अपन प्राणो देब!” 38 यीशु बजलाह, “की अहाँ वास्‍तव मे हमरा लेल अपन प्राण देब? हम अहाँ केँ सत्‍य कहैत छी जे, मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिनहि, अहाँ तीन बेर हमरा अस्‍वीकार कऽ कऽ लोक केँ कहबैक जे, हम ओकरा चिन्‍हबो नहि करैत छिऐक।”

John 14

1 “अहाँ सभ अपना मोन मे घबड़ाउ नहि। परमेश्‍वर पर विश्‍वास करैत रहू और हमरो पर विश्‍वास करैत रहू। 2 हमरा पिताक घर मे बहुते रहऽ वला जगह अछि, और हम अहाँ सभक लेल जगह तैयार करऽ जा रहल छी। ई बात जँ नहि रहैत तँ हम अहाँ सभ केँ कहि दितहुँ। 3 और जँ हम अहाँ सभक लेल जगह तैयार करऽ जा रहल छी, तँ हम फेर आयब, और अहाँ सभ केँ हम अपना लग लऽ जायब, जाहि सँ हम जतऽ छी, ततऽ अहूँ सभ रही। जाहिठाम हम जा रहल छी, 4 ताहि ठामक रस्‍ता अहाँ सभ जनैत छी!” 5 थोमा हुनका कहलथिन, “प्रभु, अहाँ कतऽ जा रहल छी, सेहो हम सभ नहि जनैत छी। तँ रस्‍ता कोना जानब?” 6 यीशु बजलाह, “रस्‍ता हमहीं छी, हँ, और सत्‍य और जीवन सेहो छी। हमरा बिनु केओ पिता लग नहि अबैत अछि। 7 जँ अहाँ सभ वास्‍तव मे जनितहुँ जे हम के छी, तँ हमरा पितो केँ जनितहुँ। आब हुनका जनिते छी और देखने छी।” 8 फिलिपुस हुनका कहलथिन, “प्रभु, हमरा सभ केँ पिता केँ देखाउ, तखन हम सभ सन्‍तुष्‍ट भऽ जायब।” 9 यीशु उत्तर देलथिन, “फिलिपुस! अहाँ सभक संग हम एतेक दिन सँ छी, आ की एखनो तक अहाँ नहि जनैत छी जे हम के छी? जे हमरा देखने अछि से पिता केँ देखने अछि। तँ अहाँ कोना कहैत छी जे, हमरा सभ केँ पिता केँ देखाउ? 10 की अहाँ केँ विश्‍वास नहि होइत अछि जे हम पिता मे छी और पिता हमरा मे छथि? जे बात हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, से हम अपना दिस सँ नहि कहैत छी, बल्‍कि पिता, जे हमरा मे वास करैत छथि, सैह अपन काज कऽ रहल छथि। 11 हमर विश्‍वास करू जे हम पिता मे छी और पिता हमरा मे छथि। आ नहि, तँ हमर काजेक कारण विश्‍वास करू। 12 हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे, हमरा पर विश्‍वास कयनिहार सेहो वैह काज सभ करत जे हम करैत छी, और एहू सँ पैघ काज करत, कारण हम पिता लग जा रहल छी। 13 और अहाँ सभ हमरा नाम सँ जे किछु माँगब, से हम पूरा करब, जाहि सँ पुत्र द्वारा परमेश्‍वरक महिमा प्रगट होयत। 14 जँ हमरा नाम सँ अहाँ सभ हमरा सँ किछुओ माँगब तँ तकरा हम पूरा करब। 15 “जँ हमरा सँ प्रेम करैत छी तँ हमर आज्ञाक पालन करब। 16 हम पिता सँ विनती करबनि, और ओ अहाँ सभक संग अनन्‍त काल तक रहबाक लेल एक आओर सहायक देताह, 17 अर्थात् सत्‍यक आत्‍मा। हुनका संसार ग्रहण नहि कऽ सकैत छनि, किएक तँ ओ हुनका ने देखैत छनि आ ने चिन्‍हैत छनि। मुदा अहाँ सभ हुनका चिन्‍हैत छिऐन, कारण ओ अहाँ सभ लग रहैत छथि और अहाँ मे वास करताह। 18 हम अहाँ सभ केँ अनाथ नहि छोड़ब, हम अहाँ सभ लग आयब। 19 कनेक काल आओर अछि, तकरबाद फेर संसार हमरा नहि देखत, मुदा अहाँ सभ हमरा देखब। हमरा मे वास्‍तविक जीवन रहबाक कारणेँ अहूँ सभ जीब। 20 ओहि दिन अहाँ सभ जानि जायब जे हम पिता मे छी और अहाँ सभ हमरा मे छी, और हम अहाँ सभ मे छी। 21 जे हमर आज्ञा स्‍वीकार करैत अछि और मानैत अछि, सैह हमरा सँ प्रेम करैत अछि। और जे हमरा सँ प्रेम करैत अछि, तकरा सँ हमर पिता प्रेम करथिन, और हमहूँ ओकरा सँ प्रेम करब तथा ओकरा हम अपना केँ देखायब।” 22 तखन यहूदा (यहूदा इस्‍करियोती नहि, दोसर) हुनका कहलथिन, “प्रभु, ई की भेल जे अहाँ अपना केँ हमरे सभ केँ देखायब आ संसार केँ नहि?” 23 यीशु बजलाह, “जँ केओ हमरा सँ प्रेम करैत अछि तँ ओ हमर वचनक अनुसार चलत। हमर पिता ओकरा सँ प्रेम करथिन और हम सभ ओकरा लग आबि कऽ ओकरा मे अपन निवास-स्‍थान राखब। 24 जे हमरा सँ प्रेम नहि करैत अछि, से हमर वचनक अनुसार नहि चलत। और ई बात जे अहाँ सभ एखन सुनि रहल छी, से हमर नहि अछि; पिता जे हमरा पठौलनि, तिनकर छनि। 25 “ई सभ बात हम अहाँ सभ लग रहितहि कहि देने छी। 26 मुदा ओ सहायक, अर्थात् पवित्र आत्‍मा, जिनका पिता हमरा नाम सँ पठौताह, से अहाँ सभ केँ सभ बात सिखा देताह, और हम जे किछु अहाँ सभ केँ कहने छी, से सभ बात अहाँ सभ केँ मोन पाड़ि देताह। 27 “शान्‍ति हम अहाँ सभ केँ दऽ जाइत छी। अपन शान्‍ति हम अहाँ सभ केँ दैत छी। जेना संसार दैत अछि, तेना हम नहि दैत छी। अहाँ सभ अपना मोन मे नहि घबड़ाउ, आ ने भयभीत होउ। 28 “अहाँ सभ हमरा कहैत सुनलहुँ जे, हम जा रहल छी आ फेर अहाँ सभ लग आबि रहल छी। जँ अहाँ सभ हमरा सँ प्रेम करितहुँ तँ आनन्‍द मनबितहुँ जे हम पिता लग जा रहल छी, कारण पिता हमरा सँ पैघ छथि। 29 ई होमऽ सँ पहिनहि हम एखने ई बात कहि दैत छी, जाहि सँ ई भेला पर अहाँ सभ विश्‍वास राखब। 30 हम आब अहाँ सभ सँ बेसी बात नहि करब, किएक तँ एहि संसारक शासक आबि रहल अछि। हमरा पर ओकरा कोनो अधिकार नहि छैक। 31 मुदा संसार केँ ई जनबाक छैक जे हम पिता सँ प्रेम करैत छी और सभ किछु हुनकर आज्ञाक अनुसार करैत छी। आब उठू, अपना सभ एतऽ सँ चली।”

John 15

1 “वास्‍तविक अंगूर-लत्ती हमहीं छी, और हमर पिता किसान छथि। 2 प्रत्‍येक ठाढ़ि जे हमरा मे अछि और फड़ैत नहि अछि, तकरा ओ काटि दैत छथिन, और प्रत्‍येक ठाढ़ि जे फड़ैत अछि तकरा ओ छँटैत छथिन, जाहि सँ ओ शुद्ध भऽ कऽ आओर फड़त। 3 अहाँ सभ तँ हमर ओहि वचन द्वारा, जे हम अहाँ सभ केँ कहने छी, शुद्ध छीहे। 4 हमरा मे रहैत रहू, जेना हम अहाँ सभ मे। जहिना ठाढ़ि अपने सँ नहि फड़ि सकैत अछि, बल्‍कि तखने जखन लत्ती मे रहैत अछि, तहिना अहूँ सभ तखने फड़ि सकैत छी जँ हमरा मे रहैत रहब। 5 “हम अंगूर-लत्ती छी। अहाँ सभ ठाढ़ि छी। जे हमरा मे रहैत अछि और हम ओकरा मे, सैह बहुत फड़ैत अछि, कारण हमरा बिनु अहाँ सभ किछु नहि कऽ सकैत छी। 6 जँ केओ हमरा मे नहि रहैत अछि, तँ ओ काटल ठाढ़ि जकाँ होइत अछि जे फेकल जाइत अछि और सुखि जाइत अछि। एहन ठाढ़ि जमा कयल जाइत अछि, तखन आगि मे फेकल और जराओल जाइत अछि। 7 जँ हमरा मे रहब और हमर वचन अहाँ मे रहत तँ, जे किछु चाहैत छी से माँगू, और अहाँक लेल भऽ जायत। 8 हमर पिताक महिमा एहि मे प्रगट होयत जे अहाँ सभ हमर शिष्‍य भऽ कऽ बहुत फड़ैत रहब। अहाँ सभ बहुत फड़ब आ एहि तरहेँ हमर शिष्‍य ठहरब। 9 “जहिना पिता हमरा सँ प्रेम कयने छथि, तहिना अहाँ सभ सँ हम प्रेम कयने छी। आब हमरा प्रेम मे रहू। 10 अहाँ सभ जँ हमर आदेश केँ मानब तँ हमरा प्रेम मे रहब, जेना हम पिताक आदेश केँ मानने छी और हुनकर प्रेम मे रहैत छी। 11 ई बात हम एहि लेल कहैत छी जे हमर आनन्‍द अहाँ सभ मे रहय और अहाँ सभक आनन्‍द पूर्ण होअय। 12 हमर आदेश ई अछि जे, जेना हम अहाँ सभ सँ प्रेम कयने छी, तेना अहाँ सभ एक-दोसर सँ प्रेम करू। 13 एहि सँ बड़का प्रेम कोनो नहि अछि जे, केओ अपन मित्रक लेल अपन प्राण देअय। 14 जँ अहाँ सभ हमर आदेश केँ पालन करैत छी तँ अहाँ सभ हमर मित्रे छी। 15 आब हम अहाँ सभ केँ ‘दास’ नहि कहब, कारण दास नहि जनैत अछि जे ओकर मालिक की करैत छथि। मुदा अहाँ सभ केँ हम ‘मित्र’ कहने छी, किएक तँ जे किछु हम अपना पिता सँ सुनने छी, से सभ अहाँ सभ केँ कहि देने छी। 16 अहाँ सभ हमरा नहि चुनलहुँ। हमहीं अहाँ सभ केँ चुनलहुँ, और नियुक्‍त कयलहुँ जे अहाँ सभ जा कऽ फड़ैत रही, तथा अहाँ सभक फल स्‍थायी रहय, जाहि सँ जे किछु अहाँ सभ हमरा नाम सँ पिता सँ माँगब, से ओ पूरा करताह। 17 हम अहाँ सभ केँ ई आदेश दैत छी, जे एक-दोसर सँ प्रेम करू। 18 “जँ संसार अहाँ सभ सँ घृणा करैत अछि तँ मोन राखू जे अहाँ सभ सँ पहिनहि हमरा सँ घृणा कयने अछि। 19 अहाँ सभ जँ संसारक रहितहुँ तँ ओ अहाँ सभ सँ अपन लोक जकाँ प्रेम करैत। मुदा अहाँ सभ संसारक नहि छी। हम अहाँ सभ केँ संसार मे सँ चुनि लेने छी, और तेँ संसार अहाँ सभ सँ घृणा करैत अछि। 20 जे बात हम अहाँ सभ केँ कहलहुँ, तकरा मोन राखू, जे ‘दास अपना मालिक सँ पैघ नहि होइत अछि।’ जँ ओ सभ हमरा सतौने अछि तँ अहूँ सभ केँ सताओत। जँ हमर बात मानने अछि तँ अहूँ सभक मानत। 21 ओ सभ अहाँ सभक संग एहन व्‍यवहार हमरा नामक कारणेँ करत, किएक तँ ओ सभ तिनका नहि चिन्‍हैत छनि जे हमरा पठौलनि। 22 जँ हम ओकरा सभ लग नहि आयल रहितहुँ आ ने बात कयने रहितिऐक तँ ओ सभ पापक दोषी नहि होइत। मुदा आब अपना पाप सँ बचबाक लेल ओकरा सभ केँ कोनो बहाना नहि छैक। 23 जे हमरा सँ घृणा करैत अछि, से हमरा पितो सँ घृणा करैत अछि। 24 जँ ओकरा सभक बीच हम ओ काज नहि कयने रहितहुँ जे आओर केओ नहि कयलक, तँ ओ सभ पापक दोषी नहि होइत, मुदा आब ओ सभ हमरा और हमरा पिता दूनू केँ देखनो अछि आ घृणो कयने अछि। 25 मुदा ई एहि लेल भेल जे ओकरा सभक धर्म-नियम मे लिखल ई कथन पूरा होअय जे, ‘ओ सभ हमरा सँ बिनु कारणेँ घृणा कयलक।’ 26 “जखन सहायक औताह, जिनका हम पिताक ओहिठाम सँ अहाँ सभ लग पठा देब, अर्थात् सत्‍यक आत्‍मा, जे पिता मे सँ निकलैत छथि, तखन ओ हमरा बारे मे गवाही देताह, 27 और अहूँ सभ हमरा बारे मे गवाही देब, किएक तँ अहाँ सभ शुरुए सँ हमरा संग छी।

John 16

1 “ई सभ बात हम अहाँ सभ केँ एहि लेल कहि दैत छी जे अहाँ सभ विश्‍वास केँ नहि छोड़ी। 2 ओ सभ अहाँ सभ केँ सभाघर सँ बारि देत। हँ, ओ समय आबि रहल अछि जे, जे अहाँ सभ केँ जान सँ मारि देत से बुझत जे ओ परमेश्‍वरक धर्म-कर्म कऽ रहल अछि। 3 ई काज ओ सभ एहि लेल करत जे ओ सभ ने हमरा आ ने हमरा पिता केँ कहियो चिन्‍हने अछि। 4 मुदा ई सभ बात हम अहाँ सभ केँ कहि दैत छी जाहि सँ जखन ओ समय आओत तखन अहाँ सभ मोन राखब जे हम एहि विषय मे कहि देने छी। “ई बात सभ हम शुरू सँ नहि कहलहुँ, कारण हम अहाँ सभक संग छलहुँ। 5 मुदा आब हम तिनका लग जा रहल छी जे हमरा पठौलनि, तैयो अहाँ सभ मे सँ केओ नहि हमरा सँ पुछैत छी जे, अहाँ कतऽ जा रहल छी, 6 बल्‍कि हमर एहि कथनक कारणेँ अहाँ सभक मोन शोक सँ भरि गेल अछि। 7 मुदा हम सत्‍ये कहैत छी जे ई अहाँ सभक हितक लेल अछि जे हम जा रहल छी, किएक तँ जँ हम नहि जायब तँ सहायक नहि औताह, लेकिन जँ हम जायब तँ हम हुनका अहाँ सभ लग पठा देबनि। 8 ओ जखन औताह तँ पाप, धार्मिकता आ न्‍यायक विषय मे संसारक दोष सिद्ध करथिन। 9 ओकर दोष पापक विषय मे एहि लेल सिद्ध होयतैक, जे ओ सभ हमरा पर विश्‍वास नहि करैत अछि; 10 धार्मिकताक विषय मे एहि लेल जे हम पिता लग जा रहल छी आ अहाँ सभ हमरा फेर नहि देखब; 11 और न्‍यायक विषय मे एहि लेल जे, ओ जे एहि संसारक शासक अछि से दोषी ठहरि गेल अछि। 12 “हमरा अहाँ सभ केँ आओर बहुत किछु कहबाक अछि, मुदा एखन अहाँ सभ ओकरा नहि सहि सकैत छी। 13 सत्‍यक आत्‍मा जखन औताह तखन ओ अहाँ सभ केँ पूर्ण सत्‍य बुझौताह, कारण ओ अपना तरफ सँ नहि बजताह, बल्‍कि जे ओ सुनताह सैह बजताह, और भविष्‍य मे होमऽ वला बात अहाँ सभ केँ कहि देताह। 14 ओ हमर महिमा प्रगट करताह कारण जतेक बात ओ अहाँ सभ केँ कहताह, से हमरा सँ लऽ लेने रहताह। 15 जे किछु पिताक छनि, से सभ हमर अछि। एहि कारणेँ हम कहलहुँ जे, आत्‍मा जे किछु अहाँ सभ केँ कहताह से हमरा सँ लऽ लेने रहताह। 16 “आब कनेक काल मे अहाँ सभ हमरा नहि देखब, तखन फेर कनेक कालक बाद हमरा देखब।” 17 एहि पर हुनकर किछु शिष्‍य एक-दोसर सँ कहऽ लगलाह, “हुनकर एहि कथनक की अर्थ भेल जे ‘कनेक काल मे अहाँ सभ हमरा नहि देखब’, और, ‘तखन तकरा कनेक कालक बाद हमरा फेर देखब’, और एकर जे, ‘कारण, हम पिता लग जा रहल छी’?” 18 ओ सभ कहऽ लगलाह, “हुनकर एहि ‘कनेक काल’क की कहबाक मतलब छनि? हम सभ नहि बुझि पबैत छी जे ओ की कहि रहल छथि।” 19 यीशु जनैत छलाह जे ओ सभ हुनका सँ पुछऽ चाहैत छथि, तेँ ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ एक-दोसर सँ पुछि रहल छी जे हमर की कहबाक अर्थ छल जखन हम कहलहुँ जे, कनेक काल मे अहाँ सभ हमरा नहि देखब, और, तखन तकरा कनेक कालक बाद हमरा फेर देखब? 20 हम अहाँ सभ केँ सत्‍ये कहैत छी जे अहाँ सभ कन्‍ना-रोहटि आ विलाप करब जखन कि संसार आनन्‍द मनाओत। अहाँ सभ शोक मनायब, मुदा अहाँ सभक शोक आनन्‍द मे बदलि जायत। 21 जखन स्‍त्री बच्‍चा केँ जन्‍म दैत अछि तँ ओकरा दर्द होइत छैक, कारण ओकर समय आबि गेल रहैत छैक, मुदा जखन ओ बच्‍चा केँ जन्‍म दऽ दैत अछि तँ ओ एहि खुशी मे जे एक नव बच्‍चा संसार मे जन्‍म लेलक, अपना पीड़ा केँ बिसरि जाइत अछि। 22 तहिना, अहाँ सभ एखन शोक मनबैत छी, मुदा हम अहाँ सभ केँ फेर देखब आ तखन अहाँ सभक मोन आनन्‍द सँ भरि जायत, और अहाँ सभक आनन्‍द केओ नहि अहाँ सभ सँ छिनत। 23 ओहि समय मे अहाँ सभ हमरा सँ कोनो प्रश्‍न नहि पुछब। “हम अहाँ सभ केँ विश्‍वास दिअबैत छी जे, जँ अहाँ सभ पिता सँ किछु माँगब तँ ओ अहाँ सभ केँ हमरा नाम सँ देताह। 24 एखन तक अहाँ सभ हमरा नाम सँ नहि किछु मँगने छी। माँगू और अहाँ सभ प्राप्‍त करब, आ ताहि सँ अहाँ सभक आनन्‍द पूर्ण भऽ जायत। 25 “ई सभ बात हम अहाँ सभ केँ झाँपल भाषा मे कहि देने छी। मुदा समय आबि रहल अछि जखन हम झाँपल भाषा मे नहि बाजब, बल्‍कि पिताक विषय मे अहाँ सभ केँ स्‍पष्‍ट कहब। 26 ओहि समय मे अहाँ सभ हमरा नाम सँ माँगब। हम ई नहि कहैत छी जे हम अहाँ सभक लेल पिता सँ माँगब। 27 नहि, पिता अपने अहाँ सभ सँ प्रेम करैत छथि, कारण अहाँ सभ हमरा सँ प्रेम कयने छी आ विश्‍वास कयने छी जे हम पिता लग सँ अयलहुँ। 28 हम पिता लग सँ संसार मे अयलहुँ, आब फेर संसार केँ छोड़ि कऽ पिता लग जा रहल छी।” 29 तखन हुनकर शिष्‍य सभ कहलथिन, “हँ, आब अहाँ स्‍पष्‍ट बाजि रहल छी, और झाँपल भाषा मे नहि। 30 आब हम सभ जानि गेलहुँ जे अहाँ केँ सभ किछु बुझल अछि और अहाँ केँ इहो आवश्‍यकता नहि अछि जे केओ अहाँ लग अपन प्रश्‍न राखय। एहि कारणेँ हम सभ विश्‍वास करैत छी जे अहाँ परमेश्‍वर लग सँ आयल छी।” 31 यीशु बजलाह, “की आब विश्‍वास करैत छी? 32 देखू! ओ समय आबि रहल अछि, हँ, आबिओ गेल, जखन अहाँ सभ छिड़िया जायब। अहाँ सभ अपन-अपन घर भागि कऽ हमरा असगरे छोड़ि देब। तैयो हम असगर नहि छी, कारण पिता हमरा संग छथि। 33 “हम अहाँ सभ केँ ई सभ बात कहि देने छी जाहि सँ हमरा मे अहाँ सभ केँ शान्‍ति भेटय। संसार मे अहाँ सभ पर संकट आओत, मुदा साहस राखू्‌! हम संसार पर विजयी भऽ गेल छी।”

John 17

1 यीशु ई सभ बात कहि स्‍वर्ग दिस ताकि कऽ कहलनि, “हे पिता! समय आबि गेल अछि। अपन पुत्रक महिमा प्रगट करू जाहि सँ पुत्र अहाँक महिमा प्रगट करय। 2 किएक तँ अहाँ ओकरा सम्‍पूर्ण मानव-जातिक उपर अधिकार देने छी जे, जकरा अहाँ ओकरा देने छी, तकरा सभ केँ ओ अनन्‍त जीवन देअय। 3 अनन्‍त जीवन ई अछि—अहाँ एकमात्र सत्‍य परमेश्‍वर केँ, और यीशु मसीह केँ चिन्‍हनाइ, जकरा अहाँ पठौलहुँ। 4 “जे काज अहाँ हमरा करबाक लेल देने छलहुँ, से पूरा कऽ कऽ पृथ्‍वी पर अहाँक महिमा प्रगट कयलहुँ। 5 आब, हे पिता, अपना ओहिठाम हमरा ओहि महिमा सँ परिपूर्ण करू, जे महिमा संसारक सृष्‍टि सँ पहिनहि अहाँ लग हमर छल। 6 “हम ओहि मनुष्‍य सभ केँ, जिनका अहाँ संसार मे सँ हमरा देलहुँ, तिनका सभ केँ हम अहाँ केँ चिन्‍हा देने छिऐन। ई सभ अहींक छलाह, अहाँ हिनका सभ केँ हमरा देलहुँ, और ई सभ अहाँक वचन मानने छथि। 7 आब ई सभ जानि गेल छथि जे, जे किछु अहाँ हमरा देने छी से वास्‍तव मे अहीं सँ भेटल अछि। 8 कारण, जे अहाँ हमरा सिखौलहुँ, से हम हिनका सभ केँ सिखौने छी, और ई सभ ओहि शिक्षा केँ स्‍वीकार कयने छथि, और पूर्ण रूप सँ जानि गेल छथि जे हम अहाँ लग सँ आयल छी। आब हिनका सभ केँ विश्‍वास भऽ गेलनि जे अहाँ हमरा पठौने छी। 9 “हम हिनका सभक लेल प्रार्थना कऽ रहल छी। संसारक लेल प्रार्थना नहि कऽ रहल छी, बल्‍कि तिनका सभक लेल जिनका अहाँ हमरा देने छी, किएक तँ ई सभ अहाँक छथि। 10 हमर जे किछु अछि, से अहाँक अछि, और अहाँक जे किछु अछि, से हमर अछि। और हिनका सभ मे हमर महिमा प्रगट भेल अछि। 11 आब हम संसार मे नहि रहब, मुदा ई सभ संसार मे रहताह, और हम अहाँ लग आबि रहल छी। हे पवित्र पिता, अपन नामक शक्‍ति द्वारा, जे नाम अहाँ हमरा देलहुँ, ताहि द्वारा हिनका सभ केँ सुरक्षित राखू जाहि सँ ई सभ एक रहथि, जेना अपना सभ एक छी। 12 जा धरि हम हिनका सभक संग छलहुँ ता धरि हम हिनका सभ केँ सुरक्षित रखलहुँ और ओहि नाम द्वारा, जे अहाँ हमरा देलहुँ, हम हिनका सभक रक्षा कयलहुँ। और ‘विनाशक पुत्र’ केँ छोड़ि हिनका सभ मे सँ केओ नाश नहि भेलाह, जाहि सँ धर्मशास्‍त्रक लेख पूरा होअय। 13 “आब हम अहाँ लग आबि रहल छी, मुदा ई बात हम संसार मे रहिते कहैत छिऐन, जाहि सँ हमर आनन्‍द हिनका सभक मोन मे पूर्ण होनि। 14 हम हिनका सभ केँ अहाँक वचन देने छिऐन, और संसार हिनका सभ सँ घृणा करैत छनि, कारण ई सभ संसारक सन्‍तान नहि छथि, जेना हमहूँ नहि छी। 15 हम ई प्रार्थना नहि करैत छी जे अहाँ हिनका सभ केँ संसार मे सँ उठा लिअ, बल्‍कि ई जे हिनका सभ केँ दुष्‍ट सँ बचा कऽ राखू। 16 ई सभ संसारक सन्‍तान नहि छथि, जेना हमहूँ नहि छी। 17 हिनका सभ केँ सत्‍य द्वारा अपना लेल पवित्र कऽ लिअ; सत्‍य अहाँक वचन अछि। 18 जहिना अहाँ हमरा संसार मे पठा देलहुँ, तहिना हम हिनका सभ केँ संसार मे पठा देने छी। 19 हिनका सभक लेल हम अपना केँ समर्पित करैत छी जाहि सँ इहो सभ सत्‍य द्वारा समर्पित भऽ जाथि। 20 “हम मात्र हिनके सभक लेल प्रार्थना नहि करैत छी, बल्‍कि हुनको सभक लेल जे हिनका सभक गवाही द्वारा हमरा पर विश्‍वास करताह। 21 हमर प्रार्थना ई अछि जे ओ सभ एक होथि। हे पिता, जहिना अहाँ हमरा मे छी और हम अहाँ मे छी तहिना ओहो सभ अपना सभ मे रहथि, जाहि सँ संसार विश्‍वास करत जे अहीं हमरा पठौने छी। 22 जे महिमा अहाँ हमरा देलहुँ से हम हुनका सभ केँ दऽ देने छिऐन, जाहि सँ ओ सभ एक होथि, जेना अपना सभ एक छी— 23 हँ, हम हुनका सभ मे और अहाँ हमरा मे, जाहि सँ ओ सभ पूर्ण एकता मे सिद्ध भऽ जाथि। तखन संसार जानि जायत जे अहाँ हमरा पठौलहुँ और हुनका सभ सँ ओतेक प्रेम रखने छियनि जतेक हमरा सँ रखने छी। 24 “हे पिता, हम चाहैत छी जे, जिनका सभ केँ अहाँ हमरा देने छी, से सभ हमरा संग ओतऽ रहथि जतऽ हम रहब और हम चाहैत छी जे ओ सभ हमर ओहि महिमा केँ देखथि जे अहाँ हमरा एहि लेल देने छी जे अहाँ संसारक सृष्‍टि सँ पहिनहि हमरा सँ प्रेम कयलहुँ। 25 “हे धर्ममय न्‍यायी पिता! संसार अहाँ केँ नहि चिन्‍हैत अछि मुदा हम अहाँ केँ चिन्‍हैत छी, और ई सभ आब जनैत छथि जे अहाँ हमरा पठौने छी। 26 हम हिनका सभ केँ अहाँ केँ चिन्‍हा देने छिऐन तथा अहाँ केँ चिन्‍हबैत रहबनि जाहि सँ ओ प्रेम जे अहाँ हमरा सँ करैत छी से हिनका सभ मे रहतनि और हम हिनका सभ मे रहबनि।”

John 18

1 ई सभ बात कहलाक बाद यीशु अपना शिष्‍य सभक संग विदा भेलाह और किद्रोन नामक बरसाती नदी केँ पार कयलनि। ओहि पार एक गाछी छल, जाहि मे ओ अपना शिष्‍य सभक संग गेलाह। 2 हुनका पकड़बाबऽ वला, यहूदा, ई जगह जनैत छल, किएक तँ यीशु बहुत बेर अपना शिष्‍य सभक संग ओहिठाम जाइत छलाह। 3 तेँ सेनाक एक दल केँ, और मुख्‍यपुरोहित आ फरिसी सभक दिस सँ उपलब्‍ध कराओल गेल सिपाही सभ केँ लऽ कऽ, यहूदा ओहि गाछी मे आयल। संग मे ओ सभ लालटेम, मशाल, और हाथ-हथियार रखने छल। 4 यीशु ई जनैत जे हुनका संग की सभ घटत, आगाँ बढ़ि कऽ ओकरा सभ सँ पुछलथिन, “अहाँ सभ ककरा ताकि रहल छी?” 5 ओ सभ उत्तर देलकनि, “नासरत-निवासी यीशु केँ।” यीशु कहलथिन, “ओ हमहीं छी।” (हुनका पकड़बाबऽ वला, यहूदा, ओतऽ ओकरा सभक संग ठाढ़ छल।) 6 जखने यीशु कहलथिन जे, ओ हमहीं छी, ओ सभ पाछाँ हटि कऽ जमीन पर खसि पड़ल। 7 तँ यीशु फेर पुछलथिन, “ककरा ताकि रहल छी?” और ओ सभ कहलकनि, “नासरत-निवासी यीशु केँ।” 8 यीशु बजलाह, “हम अहाँ सभ केँ कहिए देने छी जे, ओ हमहीं छी। हमरा जँ ताकि रहल छी तँ हिनका सभ केँ जाय दिऔन।” 9 (ई एहि लेल भेल जे हुनकर ई कहल वचन पूरा होअय जे, अहाँ जिनका सभ केँ हमरा देलहुँ, तिनका सभ मे सँ हम एकोटा केँ नाश नहि होमऽ देलहुँ। ) 10 तखन सिमोन पत्रुस, जिनका लग तरुआरि छलनि, से तरुआरि निकालि कऽ महापुरोहितक नोकर पर चला कऽ ओकर दहिना कान उड़ा देलनि। ओहि नोकरक नाम मलखुस छल। 11 यीशु पत्रुस केँ कहलथिन, “अहाँ अपन तरुआरि म्‍यान मे राखि लिअ! की हम ओहि बाटी केँ नहि पिबू जे पिता हमरा देने छथि?” 12 तखन सेनाक दल और ओकर कप्‍तान आ यहूदी सभक सिपाही सभ यीशु केँ पकड़लकनि और हुनका बान्‍हि लेलकनि। 13 पहिने हुनका हन्‍ना लग लऽ गेलनि, जे ओहि वर्षक महापुरोहित काइफाक ससुर छलाह। 14 काइफा वैह छथि जे यहूदी सभ केँ सल्‍लाह देने छलाह, जे जनताक लेल एक व्‍यक्‍तिक मरनाइ नीक होइत। 15 सिमोन पत्रुस आ एक आरो शिष्‍य यीशुक पाछाँ-पाछाँ गेलाह। ई शिष्‍य महापुरोहित सँ परिचित होयबाक कारणेँ यीशुक संग सोझे आङन मे चल गेलाह। 16 मुदा पत्रुस द्वारिक बाहरे ठाढ़ रहलाह। तखन ओ शिष्‍य जे महापुरोहित सँ परिचित छलाह, से फेर आबि द्वारिक चौकीदारी करऽ वाली टहलनी सँ बात कऽ कऽ पत्रुस केँ भीतर लऽ अयलाह। 17 ओ टहलनी पत्रुस केँ पुछलकनि, “कहीं अहूँ एहि आदमीक शिष्‍य तँ नहि छी?” ओ कहलथिन, “हम नहि छी।” 18 जाड़क मास छल, और नोकर आ सिपाही सभ कोइलाक घूर लगा चारू कात ठाढ़ भऽ कऽ आगि तपैत छल। पत्रुसो ओकरा सभक संग आगि तपैत ठाढ़ छलाह। 19 एहि बीच महापुरोहित यीशु सँ हुनकर शिष्‍य सभक बारे मे और सिद्धान्‍तक विषय मे पूछ-ताछ कयलथिन। 20 यीशु हुनका उत्तर देलथिन, “हम तँ खुलल रूपेँ सभ सँ बात कयने छी। हम सदिखन सभाघर सभ मे और मन्‍दिर मे जाहिठाम सभ यहूदी जुटि जाइत अछि शिक्षा दैत रहलहुँ। हम गुप्‍त रूप सँ किछु नहि कहलहुँ। 21 हमरा किएक पुछैत छी? जे हमर बात सुनने अछि, तकरा सभ सँ पुछि लिऔक जे हम की शिक्षा देलहुँ। ओ सभ जनैत अछि जे हम की कहलहुँ।” 22 हुनकर ई कहला पर, लग मे ठाढ़ एक सिपाही हुनका एक चमेटा मारलकनि और कहलकनि, “महापुरोहित केँ तोँ एहि प्रकारेँ उत्तर दैत छहुन?” 23 यीशु बजलाह, “जँ हम अनुचित बाजल छी, तँ तकर प्रमाण दिअ। मुदा जँ हम ठीक कहने छी तँ हमरा किएक मारैत छी?” 24 तखन हन्‍ना यीशु केँ बान्‍हले महापुरोहित काइफा लग पठा देलथिन। 25 एम्‍हर सिमोन पत्रुस आगि तपैत ठाढ़ छलाह। तँ लोक सभ हुनका पुछलकनि, “की अहूँ ओकरे चेला सभ मे सँ नहि छी?” ओ अस्‍वीकार करैत बजलाह, “हम नहि छी।” 26 महापुरोहितक एकटा नोकर, जे ओहि आदमीक सम्‍बन्‍धी छल जकरा पत्रुस कान छपटि देने छलाह, से हुनका सँ पुछलकनि, “की हम अहाँ केँ ओकरा संग गाछी मे नहि देखने छलहुँ?” 27 पत्रुस फेर अस्‍वीकार कयलनि, और तुरत मुर्गा बाजि उठल। 28 तखन यीशु केँ काइफाक ओहिठाम सँ रोमी राज्‍यपालक भवन मे लऽ गेलनि। आब भोर भऽ गेल छल, और एहि डरेँ जे छुआ जायब आ फसह-भोज नहि खा सकब, यहूदी सभ अपने राजभवन मे नहि पैसल। 29 तेँ पिलातुस ओकरा सभ लग बाहर अयलाह और पुछलथिन, “एहि व्‍यक्‍ति पर की दोष लगबैत छी?” 30 ओ सभ उत्तर देलक, “ओ जँ अपराधी नहि रहैत तँ हम सभ ओकरा अहाँ केँ नहि सौंपितहुँ!” 31 पिलातुस कहलथिन, “अहीं सभ ओकरा लऽ जा कऽ अपन धर्म-नियमक अनुसार ओकर न्‍याय करिऔक।” यहूदी सभ उत्तर देलक, “ककरो मृत्‍युदण्‍ड देनाइ हमरा सभक अधिकार मे नहि अछि।” 32 ई एहि लेल भेल जे यीशुक कहल बात पूरा होअय जाहि द्वारा ओ संकेत देने रहथि जे हुनकर मृत्‍यु कोन तरहेँ होयतनि। 33 तखन पिलातुस राजभवन मे फेर गेलाह और यीशु केँ अपना सामने मे बजा कऽ पुछलथिन, “की अहाँ यहूदी सभक राजा छी?” 34 यीशु उत्तर देलथिन, “की ई बात अहाँ अपना दिस सँ पुछि रहल छी, वा दोसर लोक हमरा बारे मे कहने अछि?” 35 पिलातुस बजलाह, “की हम यहूदी छी? अहींक लोक और अहींक मुख्‍यपुरोहित सभ अहाँ केँ हमरा हाथ मे सौंपि देने अछि। अहाँ की कयने छी?” 36 यीशु कहलथिन, “हमर राज्‍य एहि संसारक नहि अछि। जँ हमर राज्‍य एहि संसारक रहैत तँ हमर सेवक सभ लड़ैत जाहि सँ हम यहूदी सभक हाथ नहि पड़ितहुँ। मुदा नहि! हमर राज्‍य एहि संसारक नहि अछि!” 37 तखन पिलातुस बजलाह, “तखन राजा तँ छी?” यीशु उत्तर देलथिन, “से अहीं कहि रहल छी। हम एहि लेल जन्‍म लेलहुँ और संसार मे अयलहुँ जे हम सत्‍यक गवाही दी, और जे सभ सत्‍यक पक्ष मे छथि से सभ हमर बात सुनैत छथि।” 38 पिलातुस बजलाह, “सत्‍य अछि की?” आ फेर यहूदी सभ लग बाहर अयलाह और ओकरा सभ केँ कहलथिन, “ओकरा मे हम दोष लगयबाक कोनो आधार नहि पबैत छी। 39 लेकिन अहाँ सभक एक प्रथा अछि जे फसह-पाबनिक अवसर पर हम अहाँ सभक लेल एक कैदी केँ छोड़ैत छी। तँ की अहाँ सभ चाहैत छी जे हम अहाँ सभक लेल ‘यहूदी सभक राजा’ केँ छोड़ि दी?” 40 एहि पर ओ सभ जोर-जोर सँ हल्‍ला कऽ कऽ कहऽ लागल, “नहि! एकरा नहि! बरब्‍बा केँ!” बरब्‍बा एक क्रान्‍तिकारी अपराधी छल।

John 19

1 तखन पिलातुस यीशु केँ लऽ जा कऽ हुनका कोड़ा लगबौलनि। 2 सैनिक सभ काँटक मुकुट बना कऽ यीशुक माथ पर रखलकनि, और हुनका बैगनी रंगक राजसी वस्‍त्र पहिरा कऽ 3 ई कहैत हुनका लग अबैत रहल जे, “यहूदी सभक राजा, प्रणाम!” और हुनका चमेटा मारैत छलनि। 4 पिलातुस फेर बाहर आबि कऽ यहूदी सभ केँ कहलथिन, “देखू! हम एकरा अहाँ सभ लग बाहर आनि रहल छिऐक जाहि सँ अहाँ सभ जानि लेब जे हम एकरा मे दोष लगयबाक कोनो आधार नहि पबैत छी!” 5 तखन यीशु ओ बैगनी वस्‍त्र और काँटक मुकुट पहिरने बाहर अयलाह। पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “देखू, यैह मनुष्‍य अछि!” 6 मुदा हुनका देखितहि मुख्‍यपुरोहित सभ और हुनकर सभक सिपाही सभ जोर-जोर सँ हल्‍ला कयलक, “क्रूस पर चढ़ाउ! क्रूस पर चढ़ाउ!” पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहीं सभ एकरा लऽ जाउ और क्रूस पर चढ़ाउ! कारण हम एकरा मे दोष लगयबाक कोनो आधार नहि पबैत छी।” 7 यहूदी सभ हुनका उत्तर देलकनि, “हमरा सभक एक नियम अछि, और ओहि अनुसार ओकरा मृत्‍युदण्‍ड भेटबाक चाही, कारण ओ अपना केँ परमेश्‍वरक पुत्र कहने अछि।” 8 पिलातुस जखन ई शब्‍द सुनलनि तखन आओर डेरा गेलाह। 9 ओ राजभवन मे फेर जा कऽ यीशु सँ पुछलथिन, “अहाँ कोन ठाम सँ आयल छी?” मुदा यीशु कोनो उत्तर नहि देलथिन। 10 तँ पिलातुस कहलथिन, “की अहाँ हमरा सँ नहि बाजब? की अहाँ नहि जनैत छी जे अहाँ केँ छोड़ि देबाक और क्रूस पर चढ़यबाक सेहो हमर अधिकार अछि?” 11 यीशु बजलाह, “अहाँ केँ हमरा पर कोनो अधिकार नहि रहैत जँ अहाँ केँ ऊपर सँ नहि देल गेल रहैत। एहि कारणेँ, जे अहाँक हाथ मे हमरा सौंपि देलक, से आओर दोषी अछि।” 12 ई सुनला पर, पिलातुस हुनका छोड़ि देबाक कोशिश कयलनि, मुदा यहूदी सभ हल्‍ला करैत छल जे, “जँ ओकरा छोड़ब तँ अहाँ सम्राट-कैसरक मित्र नहि भेलहुँ! जे केओ अपना केँ राजा कहैत अछि से कैसरक विरोधी अछि!” 13 पिलातुस ई बात सुनि कऽ, यीशु केँ बाहर अनबौलथिन और ओहि स्‍थान पर, जे “पाथरक चबुतरा” आ इब्रानी भाषा मे “गबथा” कहबैत अछि, न्‍याय-आसन पर बैसि गेलाह। 14 ई फसह-पाबनिक तैयारीक दिन छल, और दुपहरियाक समय भऽ रहल छल। पिलातुस यहूदी सभ केँ कहलथिन, “लिअ! देखू, अहाँ सभक राजा!” 15 मुदा ओ सभ जोर-जोर सँ हल्‍ला कयलक, “ओकरा लऽ जाउ! लऽ जाउ! ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “की हम अहाँ सभक राजा केँ क्रूस पर चढ़ाउ?” मुख्‍यपुरोहित सभ उत्तर देलथिन, “कैसर केँ छोड़ि हमरा सभक आओर केओ राजा नहि अछि!” 16 तेँ अन्‍त मे पिलातुस हुनका क्रूस पर चढ़यबाक लेल सैनिक सभक जिम्‍मा लगा देलथिन। 17 तँ ओ सभ यीशु केँ लऽ गेलनि। क्रूस केँ अपने सँ ढो कऽ यीशु बाहर ओहि जगह पर गेलाह जे “खप्‍पड़ वला स्‍थान” (और इब्रानी भाषा मे “गुलगुता”) कहबैत अछि। 18 ओहिठाम ओ सभ हुनका हाथ-पयर मे काँटी ठोकि कऽ क्रूस पर टाँगि देलकनि आ हुनका संगे दूटा आरो केँ सेहो, एकटा केँ एहि कातक क्रूस पर आ दोसर केँ ओहि कातक क्रूस पर, आ बीचला पर यीशु केँ। 19 पिलातुस एक दोष-पत्र क्रूस पर लगबा देलनि, जाहि पर लिखल छलैक, “नासरत-निवासी यीशु, यहूदी सभक राजा”। 20 एहि सूचना केँ बहुत यहूदी पढ़लक, किएक तँ जाहि स्‍थान पर यीशु क्रूस पर चढ़ाओल गेलाह से शहरक नजदीक छल, और सूचना इब्रानी, लतीनी, और यूनानी भाषा मे लिखल छल। 21 तखन यहूदी सभक मुख्‍यपुरोहित सभ पिलातुस केँ कहलथिन, “ ‘यहूदी सभक राजा’ नहि लिखू! ई लिखू जे, ‘एकर कथन छल जे हम यहूदी सभक राजा छी’।” 22 पिलातुस उत्तर देलथिन, “हम जे लिखि देलहुँ से लिखि देलहुँ।” 23 सैनिक सभ यीशु केँ क्रूस पर चढ़ौलाक बाद हुनकर कपड़ा लऽ चारि भाग मे बाँटि लेलक, प्रत्‍येक सैनिकक लेल एक भाग। हुनकर कुर्तो लेलक, लेकिन कुर्ता बिना सिअनक ऊपर सँ नीचाँ तक बुनल छल। 24 तेँ ओ सभ एक-दोसर केँ कहलक, “एहि केँ नहि फाड़ी। पुरजा खसा कऽ देखी जे ई ककर होयतैक।” ई एहि लेल भेल जे धर्मशास्‍त्रक लेख पूरा होअय जे, “ओ सभ हमर कपड़ा अपना मे बाँटि लेलक 2 और हमर वस्‍त्रक लेल पुरजा खसौलक।” और एहिना सैनिक सभ करबो कयलक। 25 यीशुक क्रूस लग हुनकर माय, मौसी, क्‍लोपासक स्‍त्री मरियम, और मरियम मग्‍दलीनी ठाढ़ छलीह। 26 यीशु जखन अपना माय केँ और ओहि शिष्‍य केँ, जिनका सँ ओ प्रेम करैत छलाह, लग मे ठाढ़ देखलथिन तखन अपना माय केँ कहलथिन, “ई अहाँक पुत्र अछि,” 27 और शिष्‍य केँ कहलथिन, “ई अहाँक माय छथि।” ओही समय सँ ओ शिष्‍य हुनका अपना घर लऽ गेलाह। 28 बाद मे यीशु ई जानि जे आब सभ किछु पूर्ण भऽ गेल, धर्मशास्‍त्रक लेख पूरा करैत कहलनि, “हमरा पियास लागल अछि।” 29 ओहिठाम तिताह दारू सँ भरल एक बर्तन राखल छल, तेँ ओ सभ रूइ जकाँ एकटा एहन चीज जे पानि सोखैत अछि से ओहि मे डुबा कऽ जूफाक ठाढ़ि मे अटका कऽ हुनका मुँह लग देलकनि। 30 यीशु ओ लऽ लेलनि आ कहलनि, “पूरा भेल,” और मूड़ी झुका कऽ प्राण त्‍यागि देलनि। 31 ई फसह-पाबनिक तैयारीक दिन छल, आ दोसरे दिन महा विश्राम-दिन होमऽ वला छल, और तेँ, जाहि सँ विश्राम-दिन मे लास क्रूस पर टाँगल नहि रहय, यहूदी सभ पिलातुस सँ विनती कयलनि जे अपराधी सभ केँ टाँग तोड़ि कऽ मारि देल जाय, आ लास क्रूस पर सँ उतारि लेल जाय। 32 तेँ सैनिक सभ आबि कऽ यीशुक संग क्रूस पर चढ़ाओल पहिल आदमीक टाँग तोड़ि देलकैक, तखन दोसरो केँ। 33 मुदा जखन यीशु लग आबि कऽ देखलक जे ओ मरिए गेल छथि, तँ हुनकर टाँग नहि तोड़लकनि। 34 मुदा एक सैनिक हुनका पाँजर मे भाला भोंकलकनि, और तुरत खून आ पानि बहऽ लागल। 35 जे ई घटना देखलनि, से एकर गवाही देने छथि, और हुनकर गवाही पकिया अछि। ओ जनैत छथि जे ओ सत्‍य बाजि रहल छथि, और ओ गवाही दैत छथि जाहि सँ अहूँ सभ विश्‍वास करब। 36 कारण ई सभ बात एहि लेल भेल जाहि सँ धर्मशास्‍त्रक लेख पूरा होअय जे, “हुनकर एकोटा हड्डी नहि तोड़ल जयतनि,” 37 और जेना धर्मशास्‍त्रक दोसर कथन अछि, “ओ सभ तिनका दिस तकतनि, जिनका भोंकने अछि।” 38 एहि सभक बाद, अरिमतिया नगरक यूसुफ पिलातुस सँ यीशुक लास मँगलनि। यूसुफ यीशुक एक शिष्‍य छलाह, मुदा गुप्‍त रूप सँ, कारण ओ यहूदी सभ सँ डेराइत छलाह। ओ पिलातुस सँ आज्ञा माँगि, आबि कऽ यीशुक लास उतारि कऽ लऽ गेलाह। 39 संग मे निकोदेमुस सेहो, जे शुरू मे रातुक समय यीशु लग आयल छलाह, लगभग पैंतीस सेर गन्‍धरस और मुसब्‍बरक मिश्रण लऽ कऽ अयलाह। 40 ओ सभ यीशुक लास लऽ जा कऽ, यहूदी सभक गाड़बाक प्रथाक अनुसार, ओहि सुगन्‍धित द्रव्‍य सहित मलमलक पट्टी सँ लपेटलनि। 41 जाहिठाम यीशु केँ क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलनि, ताहिठाम लग मे एक बगीचा छल। ओहि मे एक नव कबर बनाओल छल जाहि मे कहियो कोनो लास नहि राखल गेल छल। 42 तँ यहूदी सभक तैयारीक दिन होयबाक कारणेँ, और कबर लग मे रहबाक कारणेँ, ओ सभ यीशु केँ ओहि मे राखि देलथिन।

John 20

1 सप्‍ताहक पहिल दिन भोरे अन्‍हरोखे मरियम मग्‍दलीनी कबर पर गेलीह और देखलनि जे कबरक मुँह पर सँ पाथर हटाओल गेल अछि। 2 ई देखि ओ दौड़ैत-दौड़ैत सिमोन पत्रुस और ओहि दोसर शिष्‍य लग जिनका सँ यीशु प्रेम करैत छलाह, गेलीह और कहलनि, “ओ सभ कबर मे सँ प्रभु केँ उठा कऽ लऽ गेल छनि, और हम सभ नहि जनैत छी जे हुनका कतऽ रखने छनि!” 3 एहि पर पत्रुस और दोसर शिष्‍य कबर दिस विदा भेलाह। 4 दूनू संग-संग दौड़लाह, मुदा दोसर शिष्‍य पत्रुस सँ आगाँ बढ़ि कऽ कबर पर पहिने पहुँचलाह। 5 ओ निहुड़ि कऽ भीतर तकलनि और ओतऽ पड़ल मलमल वला पट्टी सभ देखलनि, मुदा भीतर नहि गेलाह। 6 तखन सिमोन पत्रुस हुनका पाछाँ-पाछाँ पहुँचलाह, और कबर मे पैसलाह। 7 ओ पट्टी सभ केँ ओतऽ पड़ल देखलनि, और ओहि गमछा केँ सेहो, जाहि सँ यीशुक मूड़ी लपेटल छल। गमछा पट्टी सभक संग नहि, बल्‍कि हटले एक जगह चौपेतल राखल छल। 8 तखन ओ दोसर शिष्‍य जे कबर पर पहिने पहुँचल छलाह, सेहो भीतर गेलाह। ओ देखलनि और विश्‍वास कयलनि। 9 (एखनो तक ओ सभ तँ नहि बुझैत छलाह जे धर्मशास्‍त्रक कथनानुसार हुनकर मृत्‍यु मे सँ जीबि उठनाइ आवश्‍यक छल।) 10 तखन ओ शिष्‍य सभ अपन-अपन घर चल गेलाह। 11 मुदा मरियम कबरक बाहर कनिते ठाढ़ रहलीह। कनैत-कनैत ओ निहुड़ि कऽ कबर मे तकलनि। 12 ओ उज्‍जर वस्‍त्र पहिरने दू स्‍वर्गदूत केँ ओहिठाम बैसल देखलनि जाहिठाम यीशुक लास राखल गेल छल, एक सीरहान लग और दोसर पौथान लग। 13 ओ सभ हुनका सँ पुछलथिन, “बहिन, अहाँ किएक कनैत छी?” ओ उत्तर देलथिन, “ओ सभ हमरा प्रभु केँ उठा कऽ लऽ गेल अछि, और हम नहि जनैत छी जे हुनका कतऽ रखने छनि।” 14 ई कहि, ओ घुमलीह और लग मे ठाढ़ यीशु केँ देखलनि, मुदा ओ नहि चिन्‍हलनि जे ई यीशु छथि। 15 यीशु हुनका कहलथिन, “बहिन, अहाँ कनैत किएक छी? किनका खोजि रहल छिऐन?” ओ हुनका माली बुझि कऽ कहलथिन, “यौ मालीजी, अहीं जँ हुनका उठा कऽ लऽ गेल छिऐन तँ हमरा कहू जे कतऽ रखने छिऐन। हम जा कऽ हुनका लऽ अनबनि।” 16 यीशु बजलाह, “मरियम!” ओ हुनका दिस घुरि कऽ इब्रानी भाषा मे कहलथिन, “रब्‍बुनी!” (जकर अर्थ अछि “गुरुजी!”) 17 यीशु कहलथिन, “हमरा नहि पकड़ू! कारण हम एखन पिता लग ऊपर नहि गेल छी। आब हमर भाय सभक ओहिठाम जा कऽ कहि दिऔन जे, हम अपना पिता और अहाँ सभक पिता, अपना परमेश्‍वर और अहाँ सभक परमेश्‍वर लग ऊपर जा रहल छी।” 18 मरियम मग्‍दलीनी जा कऽ शिष्‍य सभ केँ कहलनि, “हम प्रभु केँ देखने छी!” और ओ हुनका सभ केँ हुनकर कहल बात सुनौलथिन। 19 ओहि दिनक साँझ, अर्थात् सप्‍ताहक पहिल दिन, जखन शिष्‍य सभ यहूदी सभक डरेँ घरक केबाड़ सभ बन्‍द कऽ कऽ एक संग बैसल छलाह, तखन यीशु आबि कऽ हुनका सभक बीच ठाढ़ भऽ गेलाह और कहलथिन, “अहाँ सभ केँ शान्‍ति भेटय।” 20 ई कहि ओ हुनका सभ केँ अपन हाथ और पाँजर देखौलथिन। प्रभु केँ देखि शिष्‍य सभक आनन्‍दक कोनो सीमा नहि रहलनि। 21 ओ हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “अहाँ सभ केँ शान्‍ति भेटय। जेना हमरा पिता पठौने छथि, तहिना हमहूँ अहाँ सभ केँ पठबैत छी।” 22 ई कहि ओ हुनका सभ पर फुकलथिन और कहलथिन, “पवित्र आत्‍मा केँ लिअ। 23 जँ ककरो पाप माफ कऽ देबैक, तँ ओकर पाप माफ भेलैक। जँ ककरो पाप माफ नहि कऽ देबैक तँ ओकर पाप माफ नहि भेलैक।” 24 मुदा बारह शिष्‍य मे सँ एक, थोमा, जे “जौंआ” कहबैत छथि, से आरो शिष्‍य सभक संग ओहि समय मे नहि छलाह जखन यीशु आयल छलाह। 25 जखन ओ सभ हुनका कहऽ लगलनि, “हम सभ प्रभु केँ देखने छी,” तँ ओ कहलथिन, “जा धरि हम हुनका हाथ मे काँटीक चेन्‍ह देखि ओहि छेद मे अपन आङुर नहि पैसायब आ हुनकर पाँजर मे अपन हाथ नहि धऽ लेब, ता धरि हम किन्‍नहुँ नहि विश्‍वास करब।” 26 आठ दिनक बाद शिष्‍य सभ फेर घर मे छलाह, और थोमा सेहो संग छलाह। केबाड़ सभ बन्‍द रहितो, यीशु अयलाह और हुनका सभक मध्‍य ठाढ़ भऽ बजलाह, “अहाँ सभ केँ शान्‍ति भेटय।” 27 तखन थोमा केँ कहलथिन, “एहिठाम अपन आङुर धऽ लिअ, और हमर हाथ देखि लिअ। अपन हाथ लाउ और हमरा पाँजर मे धऽ लिअ। अविश्‍वासी नहि, विश्‍वासी बनू।” 28 थोमा उत्तर देलथिन, “हे हमर प्रभु, हे हमर परमेश्‍वर!” 29 यीशु हुनका कहलथिन, “अहाँ हमरा देखबाक कारणेँ विश्‍वास करैत छी, धन्‍य छथि ओ सभ जे बिनु देखनहि विश्‍वास करैत छथि।” 30 यीशु आरो बहुत चमत्‍कारपूर्ण चिन्‍ह अपना शिष्‍य सभक समक्ष देखौलनि जे एहि पुस्‍तक मे नहि लिखल अछि। 31 मुदा जे सभ लिखल अछि से एहि लेल जे अहाँ सभ विश्‍वास करी जे यीशु उद्धारकर्ता-मसीह और परमेश्‍वरक पुत्र छथि, और जे विश्‍वास कयला सँ अहाँ सभ केँ हुनका द्वारा जीवन प्राप्‍त होअय।

John 21

1 एकरा बाद, तिबिरियास झीलक कात यीशु फेर शिष्‍य सभ केँ देखाइ देलनि जे एहि तरहेँ भेल— 2 सिमोन पत्रुस, थोमा, जे “जौंआ” कहबैत छथि, गलीलक काना गामक नथनेल, जबदीक दू पुत्र, आ दूटा आओर शिष्‍य एक संग छलाह। 3 सिमोन पत्रुस हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम माछ मारऽ जाइत छी।” ओ सभ उत्तर देलथिन, “हमहूँ सभ चलैत छी।” ओ सभ बाहर जा कऽ नाव मे चढ़लाह, मुदा ओहि राति किछु नहि पकड़ि सकलाह। 4 भोर होइतहि यीशु कछेर पर ठाढ़ छलाह, मुदा शिष्‍य सभ नहि चिन्‍हलनि जे ई यीशु छथि। 5 ओ हुनका सभ केँ सोर पारैत पुछलथिन, “यौ बाउ सभ! की अहाँ सभ किछु नहि पकड़ने छी?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “नहि।” 6 ओ कहलथिन, “नावक दहिना कात जाल फेकू तँ बहुत भेटत।” ओ सभ जाल फेकलनि तँ ततेक माछ फँसलनि जे ओ सभ जाल नाव मे नहि खीचि सकैत छलाह। 7 तखन ओ शिष्‍य जिनका सँ यीशु प्रेम करैत छलाह, पत्रुस केँ कहलथिन, “ई तँ प्रभु छथि!” ई शब्‍द सुनितहि जे, ई प्रभु छथि, सिमोन पत्रुस अपन कपड़ा पहिरि लेलनि (ओ ई कपड़ा खोलि कऽ रखने छलाह), और झील मे कुदि पड़लाह। 8 मुदा बाँकी शिष्‍य सभ माछ सँ भरल जाल खिचैत, नाव मे अयलाह, किएक तँ कछेर सँ बेसी दूर नहि, लगभग 200 हाथ पर छलाह। 9 ओ सभ जखन कछेर पर अयलाह तखन देखलनि जे कोइलाक आगि पर माछ राखल अछि, और रोटी सेहो अछि। 10 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “जे माछ अहाँ सभ एखने पकड़लहुँ, ओहि मे सँ किछु लाउ।” 11 सिमोन पत्रुस नाव पर चढ़ि कऽ जाल कछेर पर खिचलनि। जाल बड़का-बड़का माछ सँ भरल छल, सभ मिला कऽ एक सय तिरपन, मुदा एतेक होइतो जाल नहि फाटल। 12 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “आउ, जलखइ कऽ लिअ।” शिष्‍य सभ मे सँ किनको हुनका सँ ई पुछबाक साहस नहि भेलनि जे, अहाँ के छी? ओ सभ तँ जनैत छलाह जे ई प्रभु छथि। 13 तखन यीशु अयलाह, आ रोटी लऽ कऽ हुनका सभ केँ देलथिन, और तहिना माछो। 14 ई आब तेसर बेर अछि जे यीशु मृत्‍यु मे सँ जिआओल गेलाक बाद शिष्‍य सभ केँ देखाइ देलथिन। 15 हुनका सभ केँ जलखइ कयलाक बाद यीशु सिमोन पत्रुस केँ कहलथिन, “सिमोन, यूहन्‍नाक पुत्र, की अहाँ हिनका सभ सँ बढ़ि कऽ हमरा सँ प्रेम करैत छी?” ओ उत्तर देलथिन, “हँ, प्रभु, अहाँ जनैत छी जे हम अहाँ सँ प्रेम करैत छी।” यीशु कहलथिन, “तँ हमर नव भेँड़ा केँ चराउ।” 16 फेर दोसर बेर यीशु पुछलथिन, “सिमोन, यूहन्‍नाक पुत्र, की अहाँ वास्‍तव मे हमरा सँ प्रेम करैत छी?” ओ उत्तर देलथिन, “हँ, प्रभु, अहाँ तँ जनैत छी जे हम अहाँ सँ प्रेम करैत छी।” यीशु बजलाह, “हमर भेँड़ाक देख-रेख करू।” 17 फेर तेसर बेर यीशु पुछलथिन, “सिमोन, यूहन्‍नाक पुत्र, की अहाँ हमरा सँ प्रेम करैत छी?” पत्रुस दुखी भेलाह जे यीशु तेसर बेर पुछलनि जे, “की अहाँ हमरा सँ प्रेम करैत छी?” ओ उत्तर देलथिन, “प्रभु, अहाँ तँ सभ किछु जनैत छी। अहाँ जनैत छी जे हम अहाँ सँ प्रेम करैत छी।” यीशु हुनका कहलथिन, “हमर भेँड़ा केँ चराउ। 18 हम अहाँ केँ सत्‍ये कहैत छी जे जखन अहाँ जबान छलहुँ, तखन अहाँ अपन डाँड़ अपने कसि लैत छलहुँ, आ जतऽ मोन होइत छल ततऽ जाइत छलहुँ। मुदा जखन अहाँ बूढ़ भऽ जायब, तखन हाथ पसारब और केओ दोसर अहाँक डाँड़ बान्‍हि कऽ अहाँ केँ ततऽ लऽ जायत जतऽ अहाँ नहि जाय चाहब।” 19 (ओ ई बात एकर संकेत देबाक लेल कहलथिन जे पत्रुस कोन तरहक मृत्‍यु द्वारा परमेश्‍वरक महिमा प्रगट करताह।) तखन ओ हुनका कहलथिन, “हमरा पाछाँ चलू।” 20 पत्रुस घूमि कऽ देखलनि जे ओहो शिष्‍य पाछाँ-पाछाँ अबैत छथि जिनका सँ यीशु प्रेम करैत छलाह, और जे भोजन करैत समय हुनका छाती लग ओंगठि कऽ हुनका सँ पुछने छलनि जे, प्रभु, ओ के अछि जे अहाँ केँ पकड़बाओत? 21 पत्रुस ओहि शिष्‍य केँ देखि कऽ यीशु सँ पुछलथिन, “प्रभु, हिनकर की होयतनि?” 22 यीशु उत्तर देलथिन, “जँ हम चाही जे जा धरि हम फेर नहि आयब ता धरि ओ जीबैत रहथि, तँ एहि सँ अहाँ केँ की? अहाँ हमरा पाछाँ चलू!” 23 एहि कारणेँ भाय सभ मे ई कथन पसरि गेल जे ओ शिष्‍य नहि मरताह। मुदा यीशु ई नहि कहने छलाह जे ओ नहि मरताह; ओ मात्र ई कहने छलाह जे, जँ हम चाही जे जा धरि हम फेर नहि आयब, ता धरि ओ जीबैत रहथि तँ एहि सँ अहाँ केँ की? 24 और ओ शिष्‍य वैह छथि जे एहि सभ बातक गवाही दऽ रहल छथि और लिखने छथि। हम सभ जनैत छी जे हुनकर गवाही सत्‍य अछि। 25 आओर बहुत काज अछि जे यीशु कयलनि। जँ ओकरा एक-एकटा कऽ लिखल जाइत तँ हम सोचैत छी जे, जे किताब सभ लिखल जाइत से सौंसे संसार मे नहि अँटैत।



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