Galatians


1

1 ई पत्र हम मसीह-दूत पौलुस लिखि रहल छी, जे ने तँ मनुष्‍य सभक दिस सँ आ ने कोनो मनुष्‍यक द्वारा मसीह-दूत नियुक्‍त भेल छी, बल्‍कि यीशु मसीह द्वारा आ पिता परमेश्‍वर द्वारा, जे यीशु मसीह केँ मृत्‍यु मे सँ जिऔलथिन। 2 हम आ हमरा संग जतेक भाय लोकनि छथि से सभ ई पत्र गलातिया प्रदेशक मण्‍डली सभ केँ लिखि रहल छी। 3 अपना सभक पिता परमेश्‍वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि और अहाँ सभ केँ शान्‍ति देथि। 4 मसीह अपना सभक पापक प्रायश्‍चित्तक लेल अपना केँ अर्पित कयलनि जाहि सँ एहि वर्तमान पापमय संसारक वश सँ अपना सभ केँ बचबथि। ई अपना सभक पिता परमेश्‍वरक इच्‍छाक अनुसार भेल, 5 जिनकर प्रशंसा युगानुयुग होइत रहनि। आमीन। 6 हमरा आश्‍चर्य होइत अछि जे, जे परमेश्‍वर मसीहक कृपा द्वारा अहाँ सभ केँ बजौलनि तिनका अहाँ सभ कोना एतेक जल्‍दी त्‍यागि कऽ कोनो दोसरे सुसमाचारक दिस घूमि रहल छी। 7 दोसर सुसमाचार तँ कोनो अछिए नहि, मुदा किछु लोक अछि जे अहाँ सभ केँ विचलित कऽ रहल अछि आ मसीहक सुसमाचार केँ बिगाड़ऽ चाहैत अछि। 8 परन्‍तु जँ हमहूँ सभ वा स्‍वर्गक कोनो दूतो ओहि सुसमाचार केँ छोड़ि जे हम सभ अहाँ सभ केँ सुनौलहुँ, कोनो आन सुसमाचार अहाँ सभ केँ सुनाबय तँ ओ परमेश्‍वर द्वारा सरापित होअय! 9 हम सभ जे बात पहिनो कहि चुकल छी सैह हम दोहरबैत छी—जे शुभ समाचार अहाँ सभ स्‍वीकार कयने छी, जँ ओहि सँ अलग कोनो सुसमाचार केओ अहाँ सभ केँ सुनाबय तँ ओ परमेश्‍वर द्वारा सरापित होअय! 10 की आब हम मनुष्‍य सभ सँ प्रशंसा पाबऽ चाहैत छी वा परमेश्‍वर सँ? की हम मनुष्‍य सभ केँ प्रसन्‍न करबाक प्रयास कऽ रहल छी? जँ हम एखनो धरि मनुष्‍य सभ केँ प्रसन्‍न करबाक प्रयत्‍न करैत रहितहुँ तँ हम मसीहक सेवक नहि होइतहुँ। 11 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ ई बुझि लिअ जे हम जे सुसमाचार अहाँ सभ केँ सुनौलहुँ से मनुष्‍य द्वारा रचित नहि अछि। 12 किएक तँ ओ ने हमरा कोनो मनुष्‍य सँ प्राप्‍त भेल आ ने केओ हमरा सिखौलक, बल्‍कि तकर ज्ञान यीशु मसीह अपने हमरा देलनि। 13 अहाँ सभ तँ सुनि चुकल छी जे पहिने जखन हम यहूदी धर्म मानैत छलहुँ तँ हमर व्‍यवहार केहन छल। हम परमेश्‍वरक मण्‍डली पर घोर अत्‍याचार करैत छलहुँ आ ओकरा नष्‍ट करबाक प्रयत्‍न करैत छलहुँ। 14 हम अपना तुरियाक बहुतो यहूदी सभक अपेक्षा यहूदी धर्मक पालन करबा मे आगू रही आ अपन पुरखा लोकनिक परम्‍परा सभक कट्टर समर्थक छलहुँ। 15 मुदा परमेश्‍वर मायक गर्भे सँ हमरा अपना लेल अलग रखने छलाह आ हमरा पर कृपा कऽ हमरा बजौलनि। 16 जखन ओ अपना इच्‍छाक अनुसार अपना पुत्र केँ हमरा चिन्‍हौलनि जाहि सँ हम गैर-यहूदी सभ मे हुनकर सुसमाचार सुनाबी, तखन हम एहि सम्‍बन्‍ध मे कोनो मनुष्‍यक संग विचार-विमर्श नहि कयलहुँ, 17 आ ने हम यरूशलेम मे हुनका सभ लग गेलहुँ जे सभ हमरा सँ पहिने सँ मसीह-दूत छलाह, बल्‍कि हम सोझे अरब देश चल गेलहुँ आ बाद मे फेर दमिश्‍क नगर घूमि अयलहुँ। 18 हम तीन वर्षक बाद पत्रुस सँ भेँट करबाक लेल यरूशलेम गेलहुँ आ हुनका संग पन्‍द्रह दिन रहलहुँ। 19 मुदा प्रभुक भाय याकूब केँ छोड़ि हमरा आरो मसीह-दूत मे सँ किनको सँ भेँट नहि भेल। 20 परमेश्‍वर हमर गवाह छथि जे हम जे अहाँ सभ केँ लिखि रहल छी से झूठ नहि अछि। 21 तकरबाद हम सीरिया आ किलिकिया प्रदेश गेलहुँ। 22 ओहि समय मे यहूदिया प्रदेशक मसीहक मण्‍डली सभ हमरा व्‍यक्‍तिगत रूप सँ नहि चिन्‍हैत छलाह। 23 ओ सभ एतबे सुनने छलाह जे, “जे व्‍यक्‍ति पहिने हमरा सभ पर अत्‍याचार करैत छल वैह आब ओहि विश्‍वासक प्रचार करैत अछि जकर ओ पहिने सर्वनाश करबाक प्रयत्‍न करैत छल।” 24 आ ओ सभ हमरा विषय मे परमेश्‍वरक प्रशंसा कयलनि।

Galatians 2

1 चौदह वर्षक बाद हम फेर यरूशलेम गेलहुँ। बरनबास हमरा संग छलाह आ तीतुस केँ सेहो हम अपना संग लऽ गेलहुँ। 2 हम एहि लेल गेलहुँ जे परमेश्‍वर स्‍पष्‍ट रूप सँ देखा देने छलाह जे हमरा जयबाक अछि। हम मण्‍डलीक मुख्‍य व्‍यक्‍ति सभक सामने एकान्‍त मे ओ सुसमाचार प्रस्‍तुत कयलहुँ जकर प्रचार हम गैर-यहूदी लोकक बीच करैत छी, जाहि सँ एना नहि होअय जे हम जे परिश्रम कऽ रहल छलहुँ वा कऽ चुकल छलहुँ से व्‍यर्थ होअय। 3 मुदा तीतुस जे हमरा संग छलाह, यूनानी होइतो, तिनका केओ खतना करयबाक लेल विवश नहि कयलकनि। 4 खतनाक प्रश्‍नो किछु झुट्ठा भाय सभक कारणेँ मात्र उठाओल गेल जे सभ एहि लेल मण्‍डली मे चोरा कऽ घुसि आयल छल, जाहि सँ मसीह यीशु मे भेटल हमरा सभक स्‍वतन्‍त्रताक भेद लय आ हमरा सभ केँ फेर धर्म-नियमक गुलामी मे राखि दय। 5 हम सभ ओकरा सभक सामने एको क्षणक लेल नहि झुकलहुँ जाहि सँ अहाँ सभक बीच सुसमाचारक सत्‍य स्‍थिर बनल रहय। 6 मुदा जे सभ प्रतिष्‍ठित मानल जाइत छलाह—ओना तँ ओ सभ की छलाह ओहि सँ हमरा कोनो अन्‍तर नहि पड़ैत अछि, कारण परमेश्‍वर ककरो संग पक्षपात कयनिहार नहि छथि—से सभ हमरा सुसमाचार मे कोनो बात नहि जोड़लनि। 7 बरु ओ सभ मानि लेलनि जे हमरा ओही तरहेँ आन जाति सभक बीच सुसमाचारक प्रचारक काज सौंपल गेल अछि जाहि तरहेँ पत्रुस केँ यहूदी जातिक बीच मे, 8 किएक तँ जे परमेश्‍वर पत्रुस द्वारा यहूदी सभक बीच मसीह-दूतक काज करबा रहल छलाह, वैह हमरो द्वारा आन जाति सभक बीच मसीह-दूतक काज करबा रहल छलाह। 9 जखन ओ सभ बुझलनि जे ई काज हमरा देल गेल परमेश्‍वरक कृपादान अछि तँ याकूब, पत्रुस आ यूहन्‍ना, जे सभ मण्‍डलीक खाम्‍ह बुझल जाइत छथि, हमरा आ बरनबास सँ दहिना हाथ मिलबैत हमरा सभ केँ सहभागीक रूप मे स्‍वीकार कयलनि। ओ सभ एहि बात सँ सहमति छलाह जे हम सभ आन जाति सभक बीच काज करी आ ओ सभ यहूदी सभक बीच। 10 हुनका सभक आग्रह एतबे छल जे हुनका सभक बीच मे जे गरीब सभ छल, तकरा सभक सुधि ली। आ ठीक सैह काज करबाक लेल हम अपनो उत्‍सुक छलहुँ। 11 मुदा जखन पत्रुस अन्‍ताकिया नगर अयलाह तँ हम हुनका मुँह पर हुनकर विरोध कयलियनि, किएक तँ ओ गलत बात करैत छलाह। 12 कारण, याकूबक ओतऽ सँ किछु लोक सभ केँ आबऽ सँ पहिने ओ यहूदी प्रथा नहि मानऽ वला आन जातिक लोक सभक संग-संग भोजन करैत छलाह, मुदा ओकरा सभ केँ अयला पर ओ पाछाँ हटऽ लगलाह आ गैर-यहूदी लोक सभ सँ अलग रहऽ लगलाह, किएक तँ ओ ओहि यहूदी सभ सँ डेराइत छलाह जे सभ खतना प्रथाक कट्टर समर्थक छल। 13 मण्‍डलीक बाँकी यहूदी भाय सभ सेहो एहि कपट मे हुनका संग देलकनि, एतऽ तक जे बरनबासो ओहि लोक सभक कपटक कारणेँ बहकि गेलाह। 14 मुदा जखन हम देखलहुँ जे हुनका सभक व्‍यवहार सुसमाचारक सत्‍य सँ नहि मिलैत अछि तँ सभक सामने मे हम पत्रुस केँ कहलियनि, “जखन अहाँ यहूदी वंशक भऽ कऽ यहूदी प्रथा सभ केँ त्‍यागि कऽ आन जाति सभ जकाँ व्‍यवहार करैत आयल छी तँ आन जातिक विश्‍वासी सभ केँ यहूदी सभक प्रथाक अनुसार चलबाक लेल आब कोना विवश करैत छिऐक?” 15 हम सभ जन्‍म सँ यहूदी छी, नहि कि “आन जातिक पापी सभ”, जेना गैर-यहूदी सभ केँ कहल जाइत छैक। 16 तैयो हम सभ जनैत छी जे कोनो मनुष्‍य यहूदी सभक धर्म-नियमक कर्म-काण्‍ड द्वारा नहि, बल्‍कि मसीह यीशु पर विश्‍वास कयला सँ परमेश्‍वरक नजरि मे धार्मिक ठहरैत अछि। एहि कारणेँ हमहूँ सभ मसीह यीशु पर विश्‍वास कयने छी जाहि सँ हम सभ धर्म-नियमक कर्म-काण्‍ड द्वारा नहि, बल्‍कि मसीह यीशु पर विश्‍वास कयला सँ धार्मिक ठहराओल जाइ, किएक तँ धर्म-नियमक कर्म-काण्‍ड द्वारा कोनो मनुष्‍य धार्मिक नहि ठहराओल जायत। 17 जँ हम सभ, जे मसीह द्वारा धार्मिक ठहराओल जयबाक आशा कऽ रहल छी, से धर्म-नियम द्वारा पापी प्रमाणित होइत छी तँ की एकर अर्थ ई अछि जे मसीह पाप केँ बढ़बैत छथि? किन्‍नहुँ नहि! 18 धर्म-नियम द्वारा धार्मिक ठहरबाक जाहि आशा केँ हम एक बेर नष्‍ट कऽ चुकल छी, जँ ओकरा फेर ठाढ़ करी तँ हम अपना केँ फेर पापी प्रमाणित करब, 19 किएक तँ धर्म-नियमक द्वारा हम धर्म-नियमक लेखेँ मरि गेलहुँ जाहि सँ हम परमेश्‍वरक लेल जीबि सकी। 20 हम मसीहक संग क्रूस पर मरि गेल छी। आब हम जीवित नहि रहलहुँ, बल्‍कि मसीह हमरा मे जीबैत छथि। जे जीवन हम आब एहि शरीर मे जीबैत छी से विश्‍वास सँ जीबैत छी। ई विश्‍वास परमेश्‍वरक पुत्र पर टिकल अछि, जे हमरा सँ प्रेम कयलनि आ हमरा लेल अपना केँ अर्पित कऽ देलनि। 21 हम परमेश्‍वरक कृपा केँ नहि त्‍यागब। जँ धर्म-नियम द्वारा मनुष्‍य धार्मिक ठहरि सकैत अछि, तँ मसीह बेकारे मरलाह!

Galatians 3

1 यौ गलाती सभ, अहाँ सभ किएक नहि बुझैत छी! अहाँ सभ पर के जादू कऽ देलक? अहाँ सभक सामने तँ स्‍पष्‍ट रूप सँ ई चित्रित कयल गेल छल जे यीशु मसीह केँ कोना क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलनि। 2 हम अहाँ सभ सँ एतबे जानऽ चाहैत छी जे, की अहाँ सभ केँ धर्म-नियमक पालन करबाक कारणेँ पवित्र आत्‍मा देल गेलाह वा शुभ समाचार सुनि कऽ विश्‍वास करबाक कारणेँ? 3 की अहाँ सभ एतेक निर्बुद्धि छी जे, जाहि जीवन केँ परमेश्‍वरक आत्‍मा द्वारा आरम्‍भ कयलहुँ ताहि मे आब अपने कोशिश सँ अन्‍त तक पहुँचऽ चाहैत छी? 4 की अहाँ सभ केँ एतेक बातक अनुभव भेनाइ व्‍यर्थे भेल? की ई सम्‍भव अछि जे वास्‍तव मे व्‍यर्थ भेल? 5 जे परमेश्‍वर अहाँ सभ केँ अपन आत्‍मा दैत छथि आ अहाँ सभक बीच सामर्थ्‍यक काज करैत छथि, की ओ एहि लेल करैत छथि जे अहाँ सभ धर्म-नियमक अनुरूप कर्म करैत छी अथवा एहि लेल जे अहाँ सभ ओहि सुनल शुभ समाचार पर विश्‍वास करैत छी? 6 अब्राहमक सम्‍बन्‍ध मे सेहो यैह बात लिखल अछि, “ओ परमेश्‍वरक बातक विश्‍वास कयलनि आ ई विश्‍वास हुनका लेल धार्मिकता मानल गेलनि।” 7 अहाँ सभ ई जानि लिअ जे अब्राहमक असल सन्‍तान वैह सभ अछि जे विश्‍वास करैत अछि। 8 धर्मशास्‍त्र पहिनहि सँ एहि बातक संकेत कयलक जे परमेश्‍वर विश्‍वासक आधार पर गैर-यहूदी सभ केँ सेहो धार्मिक ठहरौताह, कारण, अब्राहम केँ पहिनहि सँ एहि शब्‍द मे शुभ समाचार सुना देल गेल जे, “तोरा माध्‍यम सँ सभ जातिक लोक आशिष पाओत।” 9 एहि लेल, अब्राहम विश्‍वास कऽ कऽ जे आशिष पौलनि, ताहि आशिष मे ओ सभ लोक सेहो सहभागी बनैत अछि जे सभ हुनका जकाँ विश्‍वास करैत अछि। 10 दोसर दिस जतेक लोक धार्मिक ठहरबाक लेल धर्म-नियमक कर्म-काण्‍ड पर भरोसा रखैत अछि से सभ सरापक अधीन अछि, किएक तँ धर्मशास्‍त्रक लेख अछि जे, “जे केओ धर्म-नियमक पुस्‍तक मे लिखल सभ बातक पालन करऽ मे स्‍थिर नहि अछि से सरापित अछि।” 11 मुदा ई स्‍पष्‍ट अछि जे धर्म-नियमक पालन कयला सँ परमेश्‍वरक नजरि मे केओ धार्मिक नहि ठहरैत अछि, किएक तँ धर्मशास्‍त्र मे लिखल अछि जे, “जे विश्‍वास द्वारा धार्मिक ठहराओल गेल अछि, से जीवन प्राप्‍त करत। “ 12 धर्म-नियम विश्‍वास पर आधारित नहि अछि। बल्‍कि ठीक तकरा विपरीत, धर्मशास्‍त्र मे लिखल अछि जे, “जे व्‍यक्‍ति धर्म-नियमक सभ माँग पूरा करैत अछि से ओहि द्वारा जीवन पाओत।” 13 मसीह मूल्‍य चुका कऽ अपना सभ केँ धर्म-नियमक सराप सँ छोड़ौलनि आ स्‍वयं अपना सभक लेल सरापित बनलाह, किएक तँ धर्मशास्‍त्र मे लिखल अछि जे, “जे केओ काठ पर लटकाओल जाइत अछि से सरापित अछि।” 14 मसीह अपना सभ केँ एहि लेल सराप सँ छोड़ौलनि जे अब्राहम केँ जाहि आशिषक सम्‍बन्‍ध मे वचन देल गेल छलनि से आशिष मसीह यीशु द्वारा आन जाति सभ तक पहुँचय आ अपना सभ विश्‍वास द्वारा ओ आत्‍मा प्राप्‍त करी जिनका सम्‍बन्‍ध मे वचन देल गेल छल। 15 यौ भाइ लोकनि, हम आब अहाँ सभ केँ दैनिक जीवन सँ साधारण उदाहरण दऽ रहल छी। मनुष्‍यो सभ मे कोनो समझौता जखन एक बेर पक्‍का भऽ जाइत अछि तँ ओकरा केओ रद्द नहि कऽ सकैत अछि आ ने ओहि मे किछु जोड़िए सकैत अछि। 16 परमेश्‍वर जे वचन सभ अब्राहम केँ देलनि से हुनका आ हुनका वंशज केँ देलनि। धर्मशास्‍त्र नहि कहैत अछि जे, “तोरा वंशज सभ केँ” जेना कि बहुतो वंशज सभ होअय, बल्‍कि “तोरा वंशज केँ,” अर्थात् एके वंशज केँ, आ ओ वंशज मसीह छथि। 17 हमर कहबाक तात्‍पर्य ई अछि जे, परमेश्‍वर वचन दऽ कऽ जाहि विशेष सम्‍बन्‍ध केँ अब्राहमक संग पहिने पक्‍का कऽ देने छलाह तकरा ओ धर्म-नियम, जे चारि सय तीस वर्षक बाद देल गेल, रद्द नहि कऽ सकैत अछि आ ने ओहि वचन केँ व्‍यर्थ बना सकैत अछि। 18 किएक तँ जँ आशिषक प्राप्‍ति धर्म-नियमक पालन कयनाइ पर निर्भर अछि तँ ओ वचन पर आधारित नहि रहि गेल। मुदा परमेश्‍वर दानक रूप मे अब्राहम केँ ई आशिष पयबाक अधिकार वचने द्वारा देलनि। 19 तखन फेर धर्म-नियमक की आवश्‍यकता छल? ओ बाद मे देल गेल जाहि सँ मनुष्‍य केँ अपन अपराध सभ चिन्‍हाओल जा सकैक, और ओ तहिये धरि लागू रहल जहिया धरि ओ वंशज नहि अयलाह जिनका सम्‍बन्‍ध मे अब्राहम केँ वचन देल गेल छलनि। ओ स्‍वर्गदूत सभक माध्‍यम सँ, एक मध्‍यस्‍थक, ⌞अर्थात्‌ मूसाक,⌟ द्वारा लोकक बीच लागू कयल गेल। 20 मध्‍यस्‍थ तँ कम सँ कम दू पक्षक बीच होइत अछि, मुदा परमेश्‍वर एकेटा छथि। ⌞ओ स्‍वयं वचन देलनि और ओ स्‍वयं तकरा पूरा सेहो करताह।⌟ 21 तखन की धर्म-नियम परमेश्‍वरक देल वचन सभक विरुद्ध अछि? किन्‍नहुँ नहि! जँ एहन धर्म-नियम देल गेल रहैत जे जीवन प्रदान कऽ सकैत छल तँ धर्म-नियमक पालन कयनाइ धार्मिक ठहरबाक माध्‍यम अवश्‍य बनल रहैत। 22 मुदा धर्मशास्‍त्र तँ सभ लोक केँ पापक कैदी ठहरा देने अछि जाहि सँ ओ वचन, जकर पूर्ति यीशु मसीह पर कयल विश्‍वास पर आधारित अछि, से विश्‍वास कयनिहार सभक लेल पूरा भऽ जाय। 23 एहि विश्‍वासक मार्ग केँ आबऽ सँ पहिने अपना सभ धर्म-नियमक नियन्‍त्रण मे छलहुँ। विश्‍वासक मार्ग केँ प्रगट होयबाक समय धरि धर्म-नियमक बन्‍दी रहलहुँ। 24 एहि तरहेँ अपना सभ केँ मसीह तक पहुँचयबाक लेल धर्म-नियम “संरक्षक” बनाओल गेल छल जाहि सँ मसीहक अयला पर अपना सभ विश्‍वास द्वारा धार्मिक ठहराओल जा सकी। 25 जखन विश्‍वासक मार्ग आबि गेल अछि तँ आब अपना सभ ओहि संरक्षकक अधीन नहि रहलहुँ। 26 अहाँ सभ केओ मसीह यीशु पर विश्‍वास करबाक कारणेँ परमेश्‍वरक सन्‍तान छी। 27 किएक तँ अहाँ सभ, जकरा सभ केँ मसीहक बपतिस्‍मा भेटल अछि से सभ मसीह केँ धारण कयने छी। 28 आब ने केओ यहूदी अछि आ ने यूनानी, ने गुलाम अछि ने स्‍वतन्‍त्र, ने पुरुष अछि ने स्‍त्रीगण, किएक तँ अहाँ सभ मसीह यीशु मे एक छी। 29 और जँ अहाँ सभ मसीहक छी तँ अब्राहमक असल वंशज छी। एहि तरहेँ ओहि आशिषक उत्तराधिकारी सेहो छी जाहि सम्‍बन्‍ध मे परमेश्‍वर अब्राहम केँ वचन देने छलाह।

Galatians 4

1 हमर कहबाक तात्‍पर्य ई अछि जे जाबत धरि उत्तराधिकारी नाबालिग अछि ताबत धरि ओ समस्‍त सम्‍पत्तिक मालिक होइतो ओकरा मे आ गुलाम मे कोनो अन्‍तर नहि रहैत अछि। 2 ओ पिता द्वारा निर्धारित समय धरि संरक्षक सभक आ घर-व्‍यवहारक प्रबन्‍ध कयनिहार सभक अधीन रहैत अछि। 3 एही तरहेँ अपनो सभ जाबत धरि नाबालिग छलहुँ ताबत धरि संसारक प्रारम्‍भिक सिद्धान्‍त सभक गुलाम बनल छलहुँ। 4 मुदा निर्धारित समय आबि गेला पर परमेश्‍वर अपना पुत्र केँ पठौलनि। हुनकर जन्‍म एक स्‍त्री सँ आ धर्म-नियमक अधीन भेलनि, 5 जाहि सँ ओ मूल्‍य चुका कऽ धर्म-नियमक अधीन रहऽ वला लोक सभ केँ छुटकारा दिअबथि, आ जाहि सँ छुटकारा पाबि कऽ अपना सभ परमेश्‍वरक पुत्रक पूरा हक पाबि सकी। 6 आब अहाँ सभ पुत्र छी आ तेँ परमेश्‍वर अपना सभक हृदय मे अपन पुत्रक आत्‍मा केँ पठौने छथि। वैह आत्‍मा ई कहैत पुकार करैत छथि जे, “हे बाबूजी! हे पिता!” 7 एहि लेल आब अहाँ सभ गुलाम नहि, बल्‍कि पुत्र छी आ जखन पुत्र छी तँ परमेश्‍वर द्वारा उत्तराधिकारी सेहो बनाओल गेल छी। 8 पहिने, जखन अहाँ सभ परमेश्‍वर केँ नहि चिन्‍हैत छलहुँ, तखन अहाँ सभ एहन देवता सभक गुलाम छलहुँ जे वास्‍तव मे देवता अछिए नहि। 9 मुदा आब तँ अहाँ सभ परमेश्‍वर केँ चिन्‍हि लेने छी वा एना कही जे परमेश्‍वर अहाँ सभ केँ चिन्‍हि लेने छथि, तखन फेर अहाँ सभ ओहि निर्बल आ तुच्‍छ सिद्धान्‍त सभक दिस कोना फिरि रहल छी? की अहाँ सभ फेर ओकर गुलाम होमऽ चाहैत छी? 10 अहाँ सभ आब विशेष दिन, महिना, ऋतु आ वर्षक पाबनिक नियम मानऽ लागल छी! 11 हमरा डर भऽ रहल अछि जे कतौ अहाँ सभक लेल कयल गेल हमर परिश्रम व्‍यर्थ ने भेल होअय। 12 यौ भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ सँ हाथ जोड़ि कऽ विनती करैत छी जे एहि बात सभक विषय मे जहिना हम छी तहिना अहूँ सभ बनू, किएक तँ जहिना अहाँ सभ पहिने धर्म-नियमक अधीनता सँ स्‍वतन्‍त्र छलहुँ तहिना हमहूँ स्‍वतन्‍त्र भऽ गेल छी। अहाँ सभ हमरा संग कोनो अन्‍याय नहि कयने छलहुँ। 13 अहाँ सभ जनैत छी जे अहाँ सभक बीच पहिल बेर शुभ समाचार सुनयबाक अवसर हमरा अस्‍वस्‍थ होयबाक कारणेँ भेटल छल। 14 ओना तँ हमर शरीरक दुर्बलता अहाँ सभक लेल कष्‍टक कारण छल, तैयो अहाँ सभ हमरा हेय दृष्‍टि सँ नहि देखलहुँ आ ने हमरा प्रति घृणा प्रगट कयलहुँ, बल्‍कि अहाँ सभ हमर एहन स्‍वागत कयलहुँ जेना हम परमेश्‍वरक एक स्‍वर्गदूत वा स्‍वयं मसीह यीशु होइ। 15 आब अहाँ सभक आनन्‍दक ओ भावना कतऽ चल गेल? एहि बातक गवाही हम अपने दऽ सकैत छी जे जँ सम्‍भव होइत तँ अहाँ सभ अपन आँखि तक निकालि कऽ हमरा दऽ देने रहितहुँ। 16 की अहाँ सभ केँ सत्‍य कहबाक कारणेँ हम अहाँ सभक दुश्‍मन बनि गेल छी? 17 जे सभ अहाँ सभ केँ धर्म-नियमक अधीन कराबऽ चाहैत अछि से सभ अहाँ सभ पर विशेष ध्‍यान दैत अछि मुदा नीक उद्देश्‍य सँ नहि। ओ सभ अहाँ सभ केँ हमरा सभ सँ दूर करऽ चाहैत अछि जाहि सँ अहाँ सभ ओकरा सभ पर विशेष ध्‍यान दिऐक। 18 ककरो पर विशेष ध्‍यान देनाइ बढ़ियाँ बात अछि जँ उद्देश्‍य नीक अछि तँ, आ से तखने नहि कयल जयबाक चाही जखन हम अहाँ सभक संग छी, बल्‍कि सदिखन। 19 यौ हमर बौआ सभ, जाबत धरि मसीहक स्‍वरूप अहाँ सभ मे नहि बनि जायत, ताबत धरि हम अहाँ सभक लेल फेर प्रसव-पीड़ा सहि रहल छी। 20 हमरा कतेक मोन होइत अछि जे हम एखन अहाँ सभक बीच रहितहुँ, तखन एहि तरहेँ बात नहि करऽ पड़ैत। अहाँ सभक व्‍यवहार हमरा एकदम बुझऽ मे नहि अबैत अछि। 21 अहाँ सभ जे धर्म-नियमक अधीन रहऽ चाहैत छी से हमरा ई कहू—की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे धर्म-नियम की कहैत अछि? 22 ओहि मे लिखल अछि जे अब्राहम केँ दूटा पुत्र छलनि, एकटा ⌞हागार नामक⌟ दासी सँ आ दोसर अपन स्‍त्री सँ जे दासी नहि, बल्‍कि स्‍वतन्‍त्र छलीह। 23 दासी सँ जन्‍मल हुनकर पुत्र प्राकृतिक सीमाक अन्‍तर्गत जन्‍मल, मुदा स्‍वतन्‍त्र स्‍त्री सँ जे पुत्र भेलनि से परमेश्‍वरक देल वचनक कारणेँ जन्‍म लेलक। 24 ई बात सभ दृष्‍टान्‍तक रूप मे बुझल जा सकैत अछि—ई दूटा स्‍त्रीगण दूटा विशेष सम्‍बन्‍ध पर संकेत करैत अछि जे परमेश्‍वर अपना लोकक संग स्‍थापित कयलनि। एक स्‍त्री, हागार, सीनय पहाड़ पर स्‍थापित कयल विशेष सम्‍बन्‍ध पर संकेत करैत अछि जे धर्म-नियम पर केन्‍द्रित अछि। एहि सम्‍बन्‍धक अधीन रहऽ वला सभ लोक गुलाम होइत अछि जहिना हागारक बच्‍चा छल। 25 हागार जे अरब देशक सीनय पहाड़ पर संकेत करैत अछि तकर तुलना एहि पृथ्‍वी परक वर्तमान यरूशलेम सँ कयल जा सकैत अछि, किएक तँ यरूशलेम अपन सन्‍ततिक संग, ⌞अर्थात्‌ यहूदी सभक संग,⌟ धर्म-नियमक गुलाम अछि। 26 मुदा स्‍वर्गक यरूशलेम स्‍वतन्‍त्र स्‍त्री जकाँ स्‍वतन्‍त्र अछि आ वैह अपना सभक माय अछि। 27 किएक तँ धर्मशास्‍त्रक लेख अछि जे, “हे बाँझ स्‍त्री, जे कहियो नहि जन्‍म देलह, 2 आब आनन्‍द मनाबह। तोँ, जे प्रसव-पीड़ा कहियो नहि भोगलह, 2 जोर-जोर सँ गीत गाबह, किएक तँ जे स्‍त्री त्‍यागि देल गेल छल तकरा 2 अधिक सन्‍तान अछि ओकरा सँ जकरा पुरुष छलैक।” 28 यौ भाइ लोकनि, इसहाक जकाँ अहाँ सभ परमेश्‍वरक देल वचनक अनुसार जन्‍मल सन्‍तान छी। 29 मुदा जहिना ओहि समय मे प्राकृतिक परिस्‍थिति मे जन्‍मल बेटा परमेश्‍वरक आत्‍माक सामर्थ्‍य द्वारा जन्‍मल बेटा केँ सतबैत छल, तहिना आइओ भऽ रहल अछि। 30 परन्‍तु धर्मशास्‍त्र की कहैत अछि? ई कहैत अछि जे, “दासी आ ओकरा बेटा केँ घर सँ बाहर निकालि दिअ, किएक तँ दासीक बेटा स्‍वतन्‍त्र स्‍त्रीक बेटाक संग उत्तराधिकारक हिस्‍सेदार नहि होयत।” 31 एहि लेल यौ भाइ लोकनि, अपना सभ दासीक सन्‍तान नहि छी ⌞जे धर्म-नियमक गुलाम होइ⌟, बल्‍कि स्‍वतन्‍त्र स्‍त्रीक सन्‍तान ⌞भऽ कऽ स्‍वतन्‍त्र⌟ छी।

Galatians 5

1 स्‍वतन्‍त्रे बनल रहबाक लेल मसीह अपना सभ केँ स्‍वतन्‍त्र कयने छथि, तेँ दृढ़ रहू आ गुलामीक जुआ मे अपना केँ फेर नहि जोतऽ दिअ। 2 देखू, हम पौलुस, अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जँ अहाँ सभ खतना करा कऽ धर्म-नियमक अधीन भऽ जायब तँ मसीह सँ अहाँ सभ केँ कोनो लाभ नहि होयत। 3 हम खतना-नियमक अधीन होमऽ वला प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति केँ फेर कहैत छी जे ओकरा सम्‍पूर्ण धर्म-नियमक पालन करऽ पड़तैक। 4 अहाँ सभ मे सँ जतेक लोक धर्म-नियमक पालन कयला सँ परमेश्‍वरक नजरि मे धार्मिक ठहरऽ चाहैत छी से सभ मसीह सँ अलग भऽ गेल छी, परमेश्‍वरक कृपा सँ वंचित भऽ गेल छी। 5 मुदा हम सभ तँ विश्‍वास द्वारा परमेश्‍वरक सम्‍मुख धार्मिक ठहरबाक आशा रखैत छी; परमेश्‍वरक आत्‍माक सहायता सँ हम सभ उत्‍सुकतापूर्बक एहि बातक प्रतीक्षा करैत छी। 6 कारण, मसीह यीशुक संग जे सम्‍बन्‍ध अछि ताहि विषय मे ककरो खतना भेल छैक वा नहि भेल छैक, तकर कोनो महत्‍व नहि होइत अछि। महत्‍व अछि मात्र विश्‍वासक जे प्रेम द्वारा क्रियाशील होइत अछि। 7 अहाँ सभ तँ बहुत नीक सँ दौड़ प्रतियोगिता मे दौड़ि रहल छलहुँ। के बाधा दऽ कऽ अहाँ सभ केँ सत्‍यक मार्ग पर आगाँ बढ़ऽ सँ रोकि देलक? 8 एहन सीख तिनका दिस सँ नहि अछि जे अहाँ सभ केँ बजौने छथि। 9 मोन राखू, “कनेको खमीर सम्‍पूर्ण सानल आँटा केँ फुलबैत अछि।” 10 हमरा अहाँ सभक सम्‍बन्‍ध मे प्रभु पर पूरा भरोसा अछि जे अहाँ सभ कोनो आन विचारधारा केँ नहि अपनायब। जे व्‍यक्‍ति अहाँ सभ केँ विचलित कऽ रहल अछि, ओ चाहे केओ होअय, परमेश्‍वरक दण्‍ड भोगत। 11 यौ भाइ लोकनि, जँ हम एखनो तक खतनाक प्रचार करैत रहितहुँ, जेना किछु लोक हमरा बारे मे कहैत अछि, तँ हमरा पर एखन तक यहूदी सभ द्वारा अत्‍याचार किएक कयल जाइत? जँ हम से करैत रहितहुँ तँ क्रूस परक भेल मसीहक मृत्‍युक प्रचार सँ जे ठेस लगैत छैक से समाप्‍त भऽ गेल रहैत। 12 कतेक बढ़ियाँ होइत जे, जे लोक अहाँ सभक बीच उपद्रव उत्‍पन्‍न कऽ रहल अछि से सभ खतनेटा नहि करबैत, बल्‍कि अपना केँ वधिया सेहो करबा लीत! 13 यौ भाइ लोकनि, स्‍वतन्‍त्र होयबाक लेल अहाँ सभ बजाओल गेल छी। एहि स्‍वतन्‍त्रता केँ अपन पापी स्‍वभावक इच्‍छा पूरा करबाक साधन नहि बनाउ, बल्‍कि प्रेम सँ एक दोसराक सेवा करू। 14 किएक तँ सम्‍पूर्ण धर्म-नियमक निचोड़ एहि आज्ञा मे भेटैत अछि जे “अहाँ अपना पड़ोसी सँ अपने जकाँ प्रेम करू।” 15 मुदा जँ अहाँ सभ एक-दोसर केँ चीरि-फाड़ि कऽ घोँटि लेबाक लेल तत्‍पर रहैत छी तँ सावधान भऽ जाउ। कतौ एना नहि होअय जे अहाँ सभ एक-दोसराक द्वारा नष्‍ट कयल जाइ। 16 तेँ हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे अहाँ सभ परमेश्‍वरक आत्‍माक प्रेरणाक अनुसार चलू, तखन अहाँ सभ पापी स्‍वभावक इच्‍छा सभक पूर्ति करऽ वला नहि होयब। 17 किएक तँ पापी स्‍वभावक लालसा परमेश्‍वरक आत्‍माक लालसाक विरुद्ध अछि आ परमेश्‍वरक आत्‍माक लालसा पापी स्‍वभावक विरुद्ध। ई दूनू एक दोसराक विरोधी अछि। एही कारणेँ अहाँ सभ जे करऽ चाहैत छी से नहि कऽ पबैत छी। 18 मुदा जँ अहाँ सभक संचालन परमेश्‍वरक आत्‍मा द्वारा होइत अछि तँ अहाँ सभ धर्म-नियमक अधीन नहि छी। 19 आब देखू, पापी स्‍वभावक काज सभ स्‍पष्‍ट अछि, जेना गलत शारीरिक सम्‍बन्‍ध, अशुद्ध विचार-व्‍यवहार, निर्लज्‍जता, 20 मुरुतक पूजा, जादू-टोना, दुश्‍मनी, लड़ाइ-झगड़ा, ईर्ष्‍या, क्रोध, स्‍वार्थ, मनमोटाब, दलबन्‍दी, 21 द्वेष, मतवालापन आ भोग-विलास आ एहि प्रकारक आन बात सभ। हम अहाँ सभ केँ एहि विषय सभ मे चेतावनी दैत छी, जेना कि पहिनो दऽ चुकल छी जे, एहन काज करऽ वला लोक सभ परमेश्‍वरक राज्‍यक उत्तराधिकारी नहि होयत। 22 मुदा परमेश्‍वरक आत्‍माक फल ई अछि—प्रेम, आनन्‍द, शान्‍ति, सहनशीलता, दयालुता, भलाइ, विश्‍वस्‍तता, 23 नम्रता आ आत्‍मसंयम। एहि गुण सभक विरुद्ध कोनो नियम नहि अछि। 24 जे लोक मसीह यीशुक छथि से सभ अपना पापी स्‍वभाव केँ ओकर अधलाह इच्‍छा आ लालसा सभक संग क्रूस पर चढ़ा लेने छथि। 25 जखन अपना सभ परमेश्‍वरक आत्‍मा सँ जीवन प्राप्‍त कयने छी तँ परमेश्‍वरक आत्‍माक निर्देशनक अनुसार चली। 26 अपना सभ घमण्‍डी नहि बनी, एक-दोसर केँ क्रोधित नहि करी आ ने एक-दोसर सँ ईर्ष्‍या करी।

Galatians 6

1 यौ भाइ लोकनि, जँ केओ कोनो गलत काज मे पड़ि जाय तँ अहाँ सभ जे परमेश्‍वरक आत्‍माक निर्देशन अनुसार चलैत छी से ओकरा नम्रतापूर्बक ठीक रस्‍ता पर घूमि अयबाक लेल सहायता करू। मुदा अहाँ सावधान रहू जे कतौ अहूँ प्रलोभन मे ने पड़ि जाइ। 2 एक दोसराक भार उठाउ। एहि तरहेँ अहाँ सभ मसीहक नियम पूरा करब। 3 किएक तँ जँ केओ किछु नहि रहितो अपना केँ किछु बुझैत अछि तँ ओ अपना केँ धोखा दैत अछि। 4 प्रत्‍येक मनुष्‍य अपने काजक जाँच करय। तखन बिनु अपना केँ दोसर सँ तुलना कयने ओ अपन कयल काज सँ गर्व कऽ सकत। 5 किएक तँ प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति केँ अपन बोझ स्‍वयं उठाबऽ पड़ैत छैक। 6 जे परमेश्‍वरक वचनक शिक्षा पाबि रहल अछि से अपन सभ प्रकारक नीक वस्‍तु सभ मे सँ अपना शिक्षक केँ सेहो देअय। 7 धोखा नहि खाउ! परमेश्‍वर ठट्ठा मे नहि उड़ाओल जाइत छथि। मनुष्‍य जे बाउग करत सैह कटनी करत। 8 किएक तँ जे अपन पापी स्‍वभावक इच्‍छानुसार बाउग करैत अछि, से पापी स्‍वभावक द्वारा विनाशक कटनी करत। मुदा जे परमेश्‍वरक आत्‍माक इच्‍छानुसार बाउग करैत अछि, से परमेश्‍वरक आत्‍मा द्वारा अनन्‍त जीवनक कटनी करत। 9 अपना सभ भलाइक काज करऽ सँ थाकी नहि, किएक तँ जँ अपना सभ हिम्‍मत नहि हारब तँ उचित समय पर कटनी काटब। 10 एहि लेल जतऽ धरि अवसर भेटय, सभक लेल भलाइ करी, विशेष रूप सँ तिनका सभक लेल जे सभ विश्‍वासक कारणेँ अपना सभक भाय-बहिन छथि। 11 देखू, कतेक बड़का-बड़का अक्षर मे हम एखन अपने हाथ सँ अहाँ सभ केँ लिखि रहल छी। 12 जे सभ बाहरी बात मे लोक केँ प्रभावित करऽ चाहैत अछि सैह सभ अहाँ सभ केँ खतना करयबाक लेल बाध्‍य करैत अछि। ओ सभ ई मात्र एहि लेल करैत अछि जे मसीहक क्रूसक कारणेँ ओकरा सभ केँ अत्‍याचार नहि सहऽ पड़ैक। 13 किएक तँ जकरा सभक खतना भेल अछि से सभ स्‍वयं तँ धर्म-नियमक पालन नहि करैत अछि। ओ सभ अहाँ सभक खतना कराबऽ चाहैत अछि जाहि सँ अहाँ सभक शरीर मे एहि धर्म-विधि केँ स्‍वीकार करा कऽ गर्व कऽ सकय। 14 मुदा ई किन्‍नहुँ नहि होअय जे हम अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक क्रूस केँ छोड़ि कऽ कोनो आन बात पर गर्व करी। मसीहक क्रूस परक मृत्‍यु द्वारा संसार हमरा लेखेँ मरि गेल अछि आ संसारक लेखेँ हम मरि गेल छी। 15 किएक तँ ककरो खतना भेल होइक वा खतना नहि भेल होइक तकर कोनो महत्‍व नहि अछि। महत्‍व एहि बातक अछि जे, केओ पूर्ण रूप सँ नव सृष्‍टि बनि जाय। 16 जतेक लोक एहि नियम पर चलैत छथि तिनका सभ पर, अर्थात् परमेश्‍वरक असली प्रजा पर, शान्‍ति और दया होइत रहय। 17 ई पत्र समाप्‍त करैत हम अहाँ सभ सँ विनती करैत छी जे आब हमरा केओ आओर कष्‍ट नहि दिअ। किएक तँ हमरा शरीर परक घाव सभक चेन्‍ह द्वारा यीशुक छाप हमरा मे स्‍पष्‍ट अछि। 18 यौ भाइ लोकनि, अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक कृपा अहाँ सभक आत्‍मा मे बनल रहय। आमीन।



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