Acts11 आदरणीय थियुफिलुस, हम अपन पहिल पुस्तक मे यीशुक सभ काज आ शिक्षा जे ओ शुरू सँ लऽ कऽ स्वर्ग मे उठा लेल गेलाह ताहि दिन धरि कयलनि तकर सम्पूर्ण विवरण लिखने छी। स्वर्ग मे उठाओल जाय सँ पहिने ओ अपन चुनल दूत सभ केँ परमेश्वरक पवित्र आत्मा द्वारा अपन आदेश सभ देलथिन। 3 हुनका सभक मध्य ओ मुइलाक बाद चालिस दिन धरि बेर-बेर प्रगट भऽ कऽ एहि बातक अकाट्य प्रमाण दैत रहलाह जे ओ जीबि उठल छथि। ओ ओहि समय मे हुनका सभ केँ परमेश्वरक राज्यक विषय मे शिक्षा दैत छलाह 4 आ एक दिन जखन हुनका सभक संग छलथिन तँ ओ ई आदेश देलथिन जे, “अहाँ सभ ताबत धरि यरूशलेम सँ बाहर नहि जाउ जाबत धरि ओ बात अहाँ सभ केँ प्राप्त नहि भऽ जायत जे बात अहाँ सभ केँ देबाक लेल हमर पिता वचन देने छथि। एहि बातक सम्बन्ध मे हम पहिनहि अहाँ सभ केँ कहने छी जे, 5 यूहन्ना तँ पानि सँ बपतिस्मा देलनि मुदा अहाँ सभ केँ किछु दिन मे पवित्र आत्मा सँ बपतिस्मा देल जायत।” 6 एक दिन यीशु जखन फेर अपन दूत सभक संग छलाह तखन ओ सभ हुनका सँ पुछलथिन, “प्रभु, की अहाँ एही समय मे इस्राएली सभ केँ अपन राज्य फिरता करबा देब?” 7 ओ उत्तर देलथिन, “कहिया कखन की होयत, से पिता अपना अधिकार सँ निश्चित कयने छथि, आ ताहि बात केँ जानी से अहाँ सभक काज नहि अछि। 8 मुदा जखन अहाँ सभ पर पवित्र आत्मा औताह तँ अहाँ सभ सामर्थ्य प्राप्त करब आ यरूशलेम मे, सम्पूर्ण यहूदिया और सामरिया प्रदेश मे, आ सम्पूर्ण पृथ्वी पर अहाँ सभ हमर गवाह होयब।” 9 एतेक कहलाक बाद हुनका सभक देखिते-देखिते ओ ऊपर उठा लेल गेलाह और एकटा मेघ आबि कऽ हुनका सभक नजरिक सोझाँ सँ हुनका झाँपि लेलकनि। 10 जखन मसीह-दूत सभ यीशु केँ ऊपर उठा लेल गेलाक बादो टकटकी लगा कऽ आकाश दिस तकिते रहलाह तखन एकाएक उज्जर वस्त्र पहिरने दूटा पुरुष हुनका सभ लग ठाढ़ भऽ गेलाह। 11 ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ कहलथिन, “हे गलीलक लोक सभ, अहाँ सभ आकाश दिस की तकैत छी? यैह यीशु जे अहाँ सभ लग सँ स्वर्ग मे उठा लेल गेलाह से ओही तरहेँ एक दिन फेर औताह जाहि तरहेँ अहाँ सभ हुनका स्वर्ग जाइत देखलहुँ।” 12 तखन मसीह-दूत सभ जैतून पहाड़ नामक परवत पर सँ यरूशलेम घुरि अयलाह। ओ पहाड़ यरूशलेम सँ करीब आधा कोस दूर अछि। 13 यरूशलेम पहुँचि कऽ ओ सभ उपरका कोठली मे गेलाह जाहि मे ओ सभ ठहरल छलाह। हुनका सभक नाम ई अछि—पत्रुस, यूहन्ना, याकूब और अन्द्रेयास, फिलिपुस और थोमा, बरतुल्मै और मत्ती, अल्फेयासक पुत्र याकूब और “देश-भक्त” सिमोन और याकूबक पुत्र यहूदा। 14 ओ सभ किछु स्त्रीगण, यीशुक माय मरियम और हुनकर भाय सभक संग मिलि कऽ एक चित्त भऽ नित्य प्रार्थना करैत छलाह। 15 ओहि समय मे एक दिन विश्वासी भाय सभक बीच, अर्थात् करीब एक सय बीस व्यक्तिक समुदाय मे, पत्रुस ठाढ़ भऽ कहऽ लगलाह, 16 “यौ भाइ लोकनि, ई निश्चित छल जे धर्मशास्त्रक ओ बात पूरा होअय जे पवित्र आत्मा दाऊदक माध्यम सँ यहूदाक विषय मे पहिनहि कहलनि। यहूदा हमरा सभ मे सँ एक, और एहि सेवा-काज मे सहभागी होइतो, जे सभ यीशु के पकड़ऽ चाहैत छल, तकरा सभ केँ यीशु केँ चिन्हौलकैक।” 18 (यहूदा पापक कमाइ सँ एक खेत मोल लेलक जतऽ ओ मुँहे भरे खसल। ओकर पेट फाटि गेलैक और अँतड़ी-भोतरी बाहर भऽ गेलैक। 19 एहि बात केँ सम्पूर्ण यरूशलेम मे रहऽ वला लोक सभ बुझि गेल, आ तेँ ओहि खेतक नाम ओ सभ अपना भाषा मे “हकलदामा”, अर्थात् “खूनक खेत”, राखि देलक।) 20 “हँ, धर्मशास्त्रक बात पूरा होयबाक छल, कारण भजन-संग्रहक पुस्तक मे लिखल अछि, ‘ओकर वास स्थान उजड़ि जाय 2 आ ओहि मे रहऽ वला केओ नहि होअय।’ और, ‘ओकर पद और अधिकार केओ दोसर लेअय।’ 21 “तेँ आब ई जरूरी अछि जे अपना सभ ककरो चुनी जे अपना सभक संग प्रभु यीशुक जीबि उठनाइक गवाही देत। ओकरा तकरा सभ मे सँ चुनल जाय जे सभ ओहि समय सँ अपना सभक संग अछि जाहि समय मे प्रभु यीशु अपना सभक बीच रहलाह, अर्थात् यूहन्नाक बपतिस्मा सँ लऽ कऽ प्रभु यीशुक स्वर्ग उठाओल जयबाक समय धरि।” 23 तँ ओ सभ दू आदमीक नामक सुझाव देलनि—एकटा यूसुफ, जे बरसब्बा कहबैत छलाह और जिनकर दोसर नाम यूस्तुस सेहो छलनि; आ दोसर मतिया। 24 तखन ओ सभ प्रार्थना कयलनि जे, “यौ प्रभु, सभक हृदय अहाँ जनैत छी। हमरा सभ केँ ई बुझा दिअ जे एहि दूनू मे सँ अहाँ मसीह-दूतक ओहि पद आ सेवा-काजक लेल किनका चुनलहुँ, जाहि पद केँ त्यागि कऽ यहूदा अपना स्थान पर चल गेल।” 26 तकरबाद ओ सभ पुरजी खसौलनि, आ पुरजी मतियाक नाम सँ बाहर भेल, और ओ एगारहो मसीह-दूतक संग सम्मिलित कयल गेलाह।
1 पेन्तेकुस्त पाबनिक दिन अयला पर सभ विश्वासी एके ठाम जमा छलाह। 2 एकाएक आकाश सँ बड़का अन्हड़-बिहारि जकाँ आवाज आयल और ओ घर जाहि मे ओ सभ बैसल छलाह से ओहि आवाज सँ गोंगिया उठल। 3 ओ सभ देखलनि जे जीहक आकार मे आगि सनक कोनो वस्तु आयल और अलग-अलग भऽ कऽ हुनका सभ मे प्रत्येक गोटे पर रूकि गेल। 4 सभ केओ पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ गेलाह और पवित्र आत्मा हुनका सभ केँ जे बजबाक क्षमता देलनि, ताहि अनुसार ओ सभ भिन्न-भिन्न भाषा मे बाजऽ लगलाह। 5 ओहि समय मे परमेश्वर केँ मानऽ वला बहुत देशक यहूदी सभ यरूशलेम मे रहैत छल। 6 ई आवाज जखन भेल तँ बहुत लोक ओतऽ जमा भऽ गेल आ गुम्म रहि गेल, कारण मसीह-दूत सभ जे बात बजैत छलाह से ओ सभ अपना-अपना भाषा मे सुनैत छल। 7 ओ सभ अकचका कऽ कहलक, “की ई सभ जे बाजि रहल छथि से सभ गलीले प्रदेशक नहि छथि? 8 तँ ई कोना भेल जे अपना सभ हिनकर सभक बात अपना-अपना मातृभाषा मे सुनि रहल छी? 9 अपना सभ जे पार्थी, मेदी और एलामी लोक छी, मेसोपोतामिया, यहूदिया, कप्पदुकिया, पुन्तुस, आसिया, 10 फ्रूगिया, पंफूलिया, मिस्र और कुरेनक लग मे पड़ऽ वला लिबियाइ क्षेत्रक निवासी छी, रोम सँ आयल यहूदी लोक आ दोसर समाजक लोक जे यहूदी धर्म केँ स्वीकार कयने अछि, 11 से छी, क्रेत द्वीपक वासी और अरबी लोक सभ छी—से हिनका सभक मुँह सँ परमेश्वरक महान् काजक चर्चा अपना-अपना भाषा मे कोना सुनि रहल छी?” 12 ओ सभ आश्चर्यित भऽ कऽ एक-दोसर सँ पुछऽ लागल, “एकर अर्थ की भऽ सकैत अछि?” 13 एहि पर किछु लोक ठट्ठा करैत कहऽ लागल, “ई सभ दारू पिबि कऽ मातल अछि।” 14 तखन पत्रुस एगारहो मसीह-दूतक संग ठाढ़ भेलाह और भीड़क लोक केँ जोर सँ कहऽ लगलथिन, “यहूदी भाइ लोकनि आ यरूशलेमक सभ निवासी, हम जे किछु कहैत छी तकरा ध्यानपूर्बक सुनू। 15 अहाँ सभ ई बुझि लिअ जे हम सभ मातल नहि छी, जेना कि अहाँ सभ सोचि रहल छी, कारण एखन तँ भोरक नौए बाजल अछि! 16 नहि, ई वैह बात अछि जकरा सम्बन्ध मे परमेश्वरक प्रवक्ता योएल कहने छथि, 17 ‘परमेश्वर ई कहैत छथि जे, अन्त समय मे सभ वर्गक मनुष्य केँ हम अपन आत्मा देबैक। तखन तोरा सभक बेटा-बेटी सभ हमरा सँ सम्बाद पाओत आ सुनाओत। 2 तोरा सभक युवक सभ हमरा द्वारा प्रगट कयल दृश्य देखत, 2 और तोरा सभक वृद्ध लोकनि सपना देखत। 18 हँ, हम अपन दास-दासी सभ केँ सेहो ओहि समय मे अपन आत्मा देबैक 2 और ओ सभ हमरा सँ सम्बाद पाओत आ सुनाओत। 19 हम ऊपर आकाश मे अद्भुत काज सभ करब 2 आ नीचाँ पृथ्वी पर आश्चर्यजनक चिन्ह सभ देखायब, 2 जेना कि खून, आगि और गाढ़ धुआँ। 20 परमेश्वरक महान् महिमापूर्ण दिन आबऽ सँ पहिने 2 सूर्य अन्हार भऽ जायत 2 आ चन्द्रमाक रंग खून सन लाल भऽ जायत। 21 मुदा जे केओ प्रभु सँ विनती करत तकर उद्धार होयतैक।’ 22 “इस्राएली भाइ लोकनि, हमर बात सुनू। परमेश्वर नासरत-निवासी यीशु द्वारा अहाँ सभक बीच मे बहुत आश्चर्यजनक काज आ चमत्कारपूर्ण चिन्ह देखौलनि, जे अहाँ सभ केँ बुझले अछि। ओ एहि काज आ चिन्ह सभक द्वारा एहि बात केँ प्रमाणित कयलनि जे हुनका ओ अपने पठौने छथि। 23 ओ परमेश्वरक निश्चित योजना आ पूर्वज्ञानक अनुसार अहाँ सभक जिम्मा मे देल गेलाह और अहाँ सभ हुनका अधर्मी सभक हाथेँ क्रूस पर चढ़बा कऽ मारि देलियनि। 24 मुदा परमेश्वर हुनका मृत्युक कष्ट सँ मुक्त कऽ कऽ फेर जीवित कऽ देलथिन, कारण ई असम्भव छल जे मृत्यु अपना वश मे हुनका रखितनि। 25 जेना दाऊद हुनका विषय मे कहलनि, ‘हम देखलहुँ जे प्रभु सदिखन हमरा सामने छथि, 2 ओ हमर दहिन छथि, तेँ हम डगमगायब नहि। 26 एहि कारणेँ हम खुशी मोन सँ अहाँक स्तुति गबैत छी, 2 हम अपन शरीरक लेल सेहो अहाँ पर भरोसा रखैत छी, 27 कारण, अहाँ हमरा मरले नहि छोड़ब 2 और ने अपन पवित्र सेवक केँ सड़ऽ देब। 28 अहाँ हमरा जीवनक बाट देखौने छी; 2 अहाँक संगति मे हम आनन्द सँ गद्गद् होयब।’ 29 “भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ केँ खुलि कऽ कहि सकैत छी जे अपना सभक कुल-पिता दाऊद मरलाह आ गाड़ल गेलाह और हुनकर कबर एखनो कायम अछि। 30 मुदा ओ परमेश्वरक प्रवक्ता छलाह और ओ जनैत छलाह जे परमेश्वर सपत खा कऽ हुनका वचन देने छथिन जे, हम तोरा वंश मे सँ एक आदमी केँ तोरा सिंहासन पर बैसयबह। 31 तेँ जखन ओ कहलनि जे हमरा मरले नहि छोड़ल जायत आ ने हमर शरीर सड़त तँ से ओ उद्धारकर्ता-मसीहक जीबि उठनाइक सम्बन्ध मे कहलनि, किएक तँ परमेश्वर हुनका पहिने सँ ओ बात देखौने छलथिन। 32 एही यीशु केँ परमेश्वर जिआ देलथिन तकर हम सभ केओ साक्षी छी। 33 हुनका परमेश्वरक दहिना कातक सर्वोच्च पद देल गेलनि, और जहिना पिता हुनका वचन देने छलथिन, तहिना ओ हुनका सँ पवित्र आत्मा प्राप्त कयलनि। और अहाँ सभ आइ जे बात देखि आ सुनि रहल छी, से एकर परिणाम अछि जे ओ हमरा सभ केँ वैह पवित्र आत्मा देने छथि। 34 दाऊद तँ स्वर्ग पर नहि उठाओल गेलाह, तैयो ओ बजलाह, ‘प्रभु-परमेश्वर हमर प्रभु केँ कहलथिन, 2 अहाँ हमर दहिना कात बैसू, 35 और हम अहाँक शत्रु सभ केँ अहाँक पयरक तर मे कऽ देब।’ 36 “तेँ समस्त इस्राएली लोक ई निश्चय जानि लेअय जे एही यीशु केँ जिनका अहाँ सभ क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देलियनि, परमेश्वर तिनके प्रभु और उद्धारकर्ता-मसीह ठहरा देलथिन।” 37 सुनऽ वला लोक सभक मोन मे ई बात गड़ि गेलैक, और ओ सभ पत्रुस और आन मसीह-दूत सभ सँ पुछलकनि, “यौ भाइ लोकनि, हम सभ आब की करू?” 38 पत्रुस उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ गोटे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू और यीशु मसीहक नाम सँ बपतिस्मा लिअ, जाहि सँ परमेश्वर अहाँ सभक पाप केँ क्षमा करथि आ अहाँ सभ केँ पवित्र आत्मा प्रदान करथि। 39 कारण, परमेश्वर जे वचन देलनि, से अहाँ सभक लेल और अहाँ सभक सन्तानक लेल अछि, और तकरो सभक लेल जे दूर-दूर रहैत अछि; हँ, तकरा सभ गोटेक लेल जकरा सभ केँ अपना सभक प्रभु-परमेश्वर अपना लग बजौथिन।” 40 पत्रुस आरो बहुत बात द्वारा ओकरा सभ केँ बुझौलथिन आ चेतावनी दैत आग्रह कयलथिन जे, “अहाँ सभ एहि भ्रष्ट पीढ़ी पर आबऽ वला दण्ड सँ बँचू!” 41 जे सभ हुनकर बात स्वीकार कयलक, से सभ बपतिस्मा लेलक। ओहि दिन करीब तीन हजार लोक विश्वासी सभक समूह मे सम्मिलित भऽ गेल। 42 ओ सभ मसीह-दूत सभक शिक्षा मे, सत्संग मे, “प्रभु-भोज” मे आ प्रार्थना मे तल्लीन रहऽ लागल। 43 मसीह-दूत सभक द्वारा बहुत चमत्कारपूर्ण काज आ चिन्ह सभ देखाओल जाइत छल जकरा देखि सभ लोक आश्चर्य आ भय सँ भरि जाइत छल। 44 सभ विश्वासी मिलि-जुलि कऽ रहैत छलाह, और सभ धन-सम्पत्ति केँ सझिआ बुझैत छलाह। 45 ओ सभ अपन घर-जमीन वा धन-सम्पत्ति बेचि कऽ जिनका जेहन आवश्यकता होइत छलनि, ताहि अनुसार अपना मे बाँटि लैत छलाह। 46 हरेक दिन ओ सभ मन्दिर मे जमा होइत छलाह, घर-घर मे “प्रभु-भोज” ग्रहण करैत छलाह, और खुशी आ विनम्र मोन सँ एक संग भोजन करैत छलाह। 47 ओ सभ परमेश्वरक स्तुति करैत रहलाह और सभ लोक हुनका सभ सँ प्रसन्न छलनि। प्रभु प्रति दिन आरो-आरो लोक सभ केँ जे सभ उद्धार पबैत छलाह तिनका सभ केँ विश्वासी सभक समूह मे सम्मिलित करैत जाइत छलाह।
1 एक दिन पत्रुस आ यूहन्ना दुपहरियाक तीन बजे प्रार्थनाक समय मे मन्दिर जा रहल छलाह। 2 ओही समय मे किछु लोक जन्म सँ लोथ एक आदमी केँ अनलक और मन्दिरक “सुन्दर” नामक द्वारि लग, जतऽ ओकरा सभ दिन बैसा देल जाइत छल ततऽ राखि देलकैक, जाहि सँ ओ मन्दिर मे जाय-आबऽ वला लोक सभ सँ भीख माँगि सकय। 3 ओ जखन पत्रुस आ यूहन्ना केँ भीतर जाइत देखलकनि तँ हुनका सभ सँ भीख मँगलक। 4 पत्रुस आ यूहन्ना एकटक लगा कऽ ओकरा देखलनि। पत्रुस कहलथिन, “हमरा सभ दिस ताकह!” 5 ओ लोथ आदमी हिनका सभ सँ किछु पयबाक आशा मे हिनका दिस तकलकनि। 6 पत्रुस कहलथिन, “हमरा संग मे सोना वा चानी नहि अछि, मुदा जे किछु अछि से तोरा दैत छिअह। नासरत-निवासी यीशु मसीहक नाम सँ चलह-फिरह!” 7 पत्रुस ओकर दहिना हाथ पकड़ि कऽ उठौलथिन, आ तखने ओकर पयर और घुट्ठी मे बल आबि गेलैक। 8 ओ फुर्ती सँ ठाढ़ भऽ गेल आ चलऽ-फिरऽ लागल। ओ दौड़ैत आ कुदि-कुदि कऽ चलैत और परमेश्वरक स्तुति करैत हुनका सभक संग मन्दिर मे प्रवेश कयलक। 9 लोक सभ ओकरा चलैत-फिरैत आ परमेश्वरक स्तुति करैत देखलक 10 आ जखन चिन्हलकैक जे, ई वैह अछि जे मन्दिरक “सुन्दर द्वारि” लग बैसि कऽ भीख मँगैत छल तँ आश्चर्यित भऽ अवाक रहि गेल जे, एकरा ई कोना भऽ गेलैक? 11 ओ नीक कयल आदमी पत्रुस और यूहन्ना केँ पकड़नहि छल तखने सभ लोक आश्चर्य सँ भरल हुनका सभ लग “सुलेमानक असोरा” नामक जगह पर दौड़ि कऽ आयल। 12 ई देखि पत्रुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “यौ इस्राएली भाइ लोकनि, एहि बात सँ अहाँ सभ आश्चर्यित किएक छी? अहाँ सभ हमरा सभ दिस एना किएक तकैत छी जेना हम सभ अपनहि शक्ति वा भक्ति सँ एकरा चलबाक सामर्थ्य देने होइऐक? 13 अब्राहम, इसहाक और याकूबक परमेश्वर, अपना सभक पुरखा सभक परमेश्वर अपन सेवक यीशु केँ महिमा प्रदान कयलथिन। अहाँ सभ हुनका पकड़ि कऽ मृत्युदण्डक लेल पिलातुसक हाथ मे सौंपि देलहुँ और ओ जखन हुनका छोड़बाक निश्चय कयलनि तँ अहाँ सभ पिलातुसक समक्ष हुनका अस्वीकार कयलहुँ। 14 अस्वीकार कयलहुँ तिनका जे पवित्र और धार्मिक छलाह, और अपना लेल छोड़बाक माँग कयलहुँ तकरा जे खूनी आदमी छल। 15 एहि तरहेँ अहाँ सभ जीवनक स्रोत केँ मारि देलहुँ मुदा परमेश्वर हुनका जिआ देलथिन। हम सभ एहि बातक गवाह छी। 16 यीशुएक शक्ति सँ आ हुनका नाम पर विश्वास कयला सँ ई आदमी, जकरा अहाँ सभ देखि रहल छी आ चिन्हितो छी, से स्वस्थ कयल गेल अछि। हँ, ओही नाम पर विश्वास कयलाक कारणेँ ई लोथ आदमी एखन अहाँ सभक समक्ष पूर्ण स्वस्थ अछि। 17 “प्रिय भाइ लोकनि, हम जनैत छी जे अहाँ सभ और अहाँ सभक धर्मगुरु लोकनि सेहो बिनु किछु जननहि-बुझनहि ई काज कयलहुँ। 18 मुदा एहि तरहेँ परमेश्वर अपन ओहि बात केँ पूरा कयलनि जे ओ अपन सभ प्रवक्ता लोकनिक माध्यम सँ कहने छलाह जे, हमर उद्धारकर्ता-मसीह केँ दुःख उठाबऽ पड़तनि। 19 तेँ आब अहाँ सभ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू और परमेश्वर लग आउ, जाहि सँ अहाँ सभक पाप मेटित होअय और प्रभु अहाँ सभ केँ आत्मिक उत्साहक समय प्रदान करथि, 20 और जाहि सँ अहाँ सभ लग परमेश्वर अपन मसीह केँ पठबथि जिनका ओ पहिनहि सँ नियुक्त कयने छथिन, अर्थात् यीशु केँ। 21 ई आवश्यक अछि जे ओ ताबत धरि स्वर्ग मे रहथि जाबत धरि सभ बातक सुधार करबाक ओ समय नहि आओत जाहि समयक सम्बन्ध मे परमेश्वर प्राचीन काल मे अपन चुनल प्रवक्ता लोकनि द्वारा वचन देने छथि। 22 मूसा कहने छलाह जे, ‘तोरा सभक प्रभु-परमेश्वर तोरा सभक लेल हमरा जकाँ एक प्रवक्ता तोरा सभक अपन लोक मे सँ नियुक्त करथुन। ओ तोरा सभ केँ जे किछु कहथुन से तोँ सभ मानिहह। 23 जे केओ हुनकर बात नहि मानत से अपना लोक मे सँ नष्ट कयल जायत।’ 24 एहि तरहेँ शमूएल सँ लऽ कऽ हुनका बाद मे एखन तक आबऽ वला परमेश्वरक सभ प्रवक्ता लोकनि एहि वर्तमान समयक भविष्यवाणी कयने छथि। 25 ओ सभ जाहि बातक भविष्यवाणी कयलनि, से अहाँ सभक बीच पूरा भेल, और परमेश्वर वचन दऽ कऽ अहाँ सभक पूर्वज सभक संग जे विशेष सम्बन्ध स्थापित कयलनि, ताहि मे अहूँ सभ सहभागी छी। ओ अब्राहम केँ कहलथिन, ‘तोरा वंश द्वारा पृथ्वीक सभ जाति आशिष पाओत।’ 26 परमेश्वर अपन सेवक यीशु केँ नियुक्त कऽ कऽ सभ सँ पहिने अहीं सभ लग पठौलनि जाहि सँ ओ अहाँ सभ केँ अधलाह मार्ग सँ घुमा कऽ आशिष देथि।”
1 पत्रुस और यूहन्ना जखन ई बात सभ बाजिए रहल छलाह तखन किछु पुरोहित, मन्दिरक सिपाहीक कप्तान और सदुकी पंथक लोक सभ हुनका सभ लग अयलाह। 2 ओ सभ एहि बात सँ खिसिआयल छलाह जे मसीह-दूत सभ लोक सभ केँ उपदेश दैत छलाह आ यीशुक मरनाइ और जीबि उठनाइ द्वारा एहि बातक प्रमाण दैत छलाह जे सभ लोक मृत्यु मे सँ निश्चित जिआओल जायत। 3 एहि पर ओ सभ हिनका सभ केँ पकड़ि कऽ जहल मे राखि देलनि जे प्रात भेने निर्णय करब, कारण तखन साँझ पड़ि गेल छल। 4 मुदा जे लोक सभ हुनका सभक प्रवचन सुनैत छल ताहि मे सँ बहुतो लोक प्रभु यीशु पर विश्वास कयलक आ एहि तरहेँ विश्वास करऽ वला मात्र पुरुषक संख्या पाँच हजार भऽ गेल। 5 प्रात भेने यहूदी अधिकारी, बूढ़-प्रतिष्ठित आ धर्मशिक्षक सभ यरूशलेम मे जमा भेलाह। 6 ओहिठाम महापुरोहित हन्ना छलाह, आ काइफा, यूहन्ना, सिकन्दर और महापुरोहितक परिवारक अन्य सदस्य सभ सेहो उपस्थित छलाह। 7 ओ सभ पत्रुस और यूहन्ना केँ जहल सँ मँगबा कऽ पूछ-ताछ करऽ लगलाह जे “तोँ सभ कोन शक्ति सँ आ किनका नाम सँ ई काज कयलह?” 8 एहि पर पत्रुस पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ बजलाह, “जनताक आदरणीय पंच और बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ, 9 एक लोथ आदमीक संग दयापूर्ण व्यवहार करबाक कारणेँ आइ जँ हमरा सभ सँ पूछ-ताछ कयल जा रहल अछि आ ई पुछल जाइत अछि जे ई आदमी कोना नीक भेल 10 तँ अपने लोकनि आ सम्पूर्ण इस्राएली जनता ई जानि लिअ जे ई आदमी, जे अहाँ सभक सामने ठाढ़ अछि से नासरत-निवासी यीशु मसीहक नाम सँ स्वस्थ भेल अछि—वैह यीशु जिनका अहाँ सभ क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देलियनि आ परमेश्वर जिनका फेर जिआ देलथिन। 11 ओ ‘वैह पाथर छथि जिनका अहाँ राजमिस्तिरी सभ बेकार बुझि फेकि देलहुँ, 2 मुदा ओ मकानक मुख्य पाथर बनि गेलाह।’ 12 कोनो दोसर व्यक्ति द्वारा उद्धार नहि अछि, कारण स्वर्गक नीचाँ मनुष्य केँ कोनो दोसर नाम नहि देल गेल अछि जाहि द्वारा अपना सभक उद्धार भऽ सकय।” 13 ओ सभ जखन पत्रुस आ यूहन्ना केँ निडर भऽ कऽ बजैत देखलनि आ ई बुझि जे ई सभ कम पढ़ल-लिखल साधारण लोक अछि, तँ हुनका सभ केँ बहुत आश्चर्य भेलनि आ ओ सभ बुझि गेलाह जे यीशुक संग रहलाक कारणेँ ई सभ एतेक अधिकारपूर्बक बाजि रहल अछि। 14 मुदा हुनका सभक संग ओहि स्वस्थ कयल गेल आदमी केँ ठाढ़ देखि ओ सभ हुनका सभक विरोध मे किछु कहि नहि सकलाह। 15 ओ सभ अपना मे विचार-विमर्श करबाक लेल हुनका सभ केँ महासभा सँ बाहर करबा देलथिन। तखन ओ सभ आपस मे बात करऽ लगलाह जे, 16 “अपना सभ एकरा सभक संग की करी? ई सभ तँ एक चमत्कारपूर्ण काज कयलक, जकरा बारे मे सम्पूर्ण यरूशलेम जनैत अछि आ अपनो सभ अस्वीकार नहि कऽ सकैत छी। 17 मुदा जाहि सँ ई बात जनता मे आरो नहि पसरि जाय, एकरा सभ केँ डेरा-धमका कऽ कहिऐक जे, तोँ सभ आब एहि नाम सँ ककरो संग कोनो चर्चा नहि करिहह।” 18 तकरबाद ओ सभ हुनका सभ केँ बजा कऽ आज्ञा देलथिन, “तोँ सभ यीशुक नाम लऽ कऽ चर्चा करब आ लोक केँ उपदेश देब बन्द करह!” 19 मुदा एहि पर पत्रुस आ यूहन्ना उत्तर देलथिन, “की परमेश्वरक दृष्टि मे ई उचित होयत जे हम सभ परमेश्वरक बात सँ बढ़ि कऽ अहाँ सभक बात मानी, एकर निर्णय अहीं सभ करू। 20 ई तँ हमरा सभ सँ नहि भऽ सकैत अछि जे, जे बात हम सभ देखने आ सुनने छी से दोसर केँ नहि कहिऐक।” 21 अन्त मे ओ सभ हुनका सभ केँ आरो डेरा-धमका कऽ छोड़ि देलथिन। हुनका सभ केँ दण्ड देबाक कोनो उपाय नहि भेटलनि, कारण सभ लोक ओहि चमत्कारक कारणेँ परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करैत छल 22 किएक तँ जे आदमी ओहि चमत्कार द्वारा स्वस्थ कयल गेल छल तकर अवस्था चालिस वर्ष सँ उपर छलैक। 23 ओतऽ सँ छुटलाक बाद पत्रुस आ यूहन्ना अपना संगी सभ लग आबि कऽ मुख्यपुरोहित आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनिक कहल बात कहि सुनौलथिन। 24 सभ बात सुनि ओ सभ एक संग मिलि ऊँच स्वर मे परमेश्वर सँ एहि तरहेँ प्रार्थना करऽ लगलाह, “हे परम प्रभु, अहीं आकाश, पृथ्वी और समुद्र आ ओहि सभ मे जे किछु अछि, तकर सभक सृष्टिकर्ता छी। 25 अहाँ अपना पवित्र आत्मा द्वारा अपन सेवक, हमरा सभक पूर्वज दाऊदक मुँह सँ ई कहने छी, ‘संसारक जाति-जातिक लोक सभ किएक हुल्लड़ि मचबैत अछि? राष्ट्र सभ किएक व्यर्थ षड्यन्त्र रचैत अछि? 26 प्रभु और हुनकर मसीहक विरोध मे 2 पृथ्वी परक राजा सभ ठाढ़ भऽ गेल 2 और शासक सभ एक ठाम जमा भऽ गेल।’ 27 सत्ये मे अहाँक पवित्र सेवक यीशु केँ, जिनका अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह नियुक्त कयलहुँ तिनका विरोध मे राजा हेरोद और पुन्तियुस पिलातुस गैर-यहूदी और इस्राएली लोकक संग एही शहर मे षड्यन्त्र रचबाक लेल जमा भेल। 28 मुदा ओ सभ मात्र वैह कयलक जे अहाँ पहिनहि सँ अपन सामर्थ्य आ इच्छा सँ निश्चित कयने छलहुँ। 29 हे प्रभु, आब ओकरा सभक धमकी केँ देखू आ अपन सेवक सभ केँ ई वरदान दिअ जे अहाँक शुभ समाचार निर्भय भऽ कऽ सुनबैत रही। 30 संगहि अपन हाथ बढ़ा कऽ पीड़ित लोक सभ केँ स्वस्थ करू आ अपन पवित्र सेवक यीशुक नाम सँ चमत्कारपूर्ण काज करबैत रहू।” 31 जखन ओ सभ प्रार्थना समाप्त कयलनि तखन ओ स्थान, जतऽ ओ सभ जमा भेल छलाह, से हिलि गेल और ओ सभ गोटे पवित्र आत्मा सँ भरि गेलाह आ निर्भयतापूर्बक परमेश्वरक वचन सुनाबऽ लगलाह। 32 विश्वासी सभक समूह एक मोन एक प्राण छल। आ केओ अपना सम्पत्ति केँ अपने नहि बुझैत छलाह, बल्कि सभक सझिआ मानैत छलाह। 33 मसीह-दूत सभ पूर्ण सामर्थ्यक संग प्रभु यीशुक जीबि उठनाइक सम्बन्ध मे अपन गवाही दैत छलाह। हुनका सभ गोटेक संग परमेश्वरक प्रशस्त आशिष छलनि। 34 किनको कोनो बातक कमी नहि छलनि, कारण जिनका घर वा जमीन छलनि से सभ ओकरा बेचि-बेचि कऽ 35 ओकर मूल्य मसीह-दूत सभक चरण मे राखि दैत छलाह। तखन ओ पाइ जिनका जतबा आवश्यकता रहैत छलनि ताहि अनुसार बाँटल जाइत छल। 36 जेना साइप्रस-निवासी लेवी-कुलक यूसुफ नामक एक आदमी छलाह जिनका मसीह-दूत सभ बरनबास, अर्थात् “उत्साहित कयनिहार,” नाम देने छलनि, 37 तिनका किछु जमीन छलनि, जकरा ओ बेचि कऽ ओकर मूल्य मसीह-दूत सभ केँ आनि कऽ देलथिन।
1 हननियाह नामक एक आदमी सेहो, अपना स्त्री सफीरा सँ विचार-विमर्श कऽ अपन जमीन बेचलक 2 और स्त्रीक सहमति सँ अपना लेल किछु पाइ राखि कऽ बाँकी पाइ आनि मसीह-दूत सभक चरण मे राखि देलक। 3 मुदा पत्रुस कहलथिन, “यौ हननियाह! ई केहन बात भेल जे शैतान अहाँक मोन तेना कऽ वश मे कऽ लेलक जे अहाँ परमेश्वरक पवित्र आत्मा सँ झूठ बजलहुँ आ जमीनक मोल सँ किछु अपना लेल राखि लेलहुँ? 4 की बेचऽ सँ पहिने ओ जमीन अहाँक नहि छल? आ बेचलाक बादो की अपना इच्छाक अनुसार ओहि पाइक खर्च करबाक अधिकार अहाँ केँ नहि छल? एहन बात अहाँ केँ फुरायल कोना? अहाँ मनुष्य सँ नहि, परमेश्वर सँ झूठ बजलहुँ।” 5 ई बात सुनितहि, हननियाह खसि पड़ल आ मरि गेल। ई बात जे केओ सुनलक, तकरा सभ मे बड़का डर सन्हिया गेलैक। 6 तखन किछु नवयुवक उठि कऽ ओकर लास कपड़ा मे लपेटि लेलक आ बाहर लऽ जा कऽ गाड़ि देलकैक। 7 करीब तीन घण्टाक बाद ओकर स्त्री ओतऽ आयल। ओकरा एहि घटनाक सम्बन्ध मे कोनो जानकारी नहि छलैक। 8 पत्रुस ओकरा सँ पुछलथिन, “कहू! अहाँ सभ अपन जमीन एतेक मे बेचलहुँ?” ओ उत्तर देलकनि, “हँ, एतेक मे।” 9 तखन पत्रुस कहलथिन, “अहाँ दूनू गोटे किएक प्रभुक आत्मा केँ जाँच करबाक लेल एकमत भऽ गेलहुँ? देखू! अहाँक घरवला केँ जे सभ गाड़ि आयल, से सभ द्वारिए पर अछि और अहूँ केँ लऽ जायत।” 10 ओ तुरत हुनका आगाँ मे खसि पड़ल आ मरि गेल। तखन ओ नवयुवक सभ फेर भीतर आयल, आ ओकरा मुइल देखि उठा कऽ लऽ गेलैक और ओकरा घरवलाक कात मे गाड़ि देलकैक। 11 एहि सँ पूरा मसीही मण्डली केँ, और जे सभ एहि घटना सभक बारे मे सुनलक, तकरा सभ केँ बड़का डर भऽ गेलैक। 12 मसीह-दूत सभक द्वारा लोकक बीच बहुत चमत्कारपूर्ण काज कयल जाइत छल। सभ विश्वासी सुलेमानक असोरा पर जमा होइत छलाह। 13 लोक सभ हुनका सभक प्रशंसा तँ करैत छल मुदा ककरो ई साहस नहि होइत छलैक जे हुनका सभ मे सम्मिलित भऽ जाइ। 14 तैयो बहुतो स्त्री आ पुरुष प्रभु पर विश्वास कऽ कऽ विश्वासी सभक समूह मे सम्मिलित भेल जाइत छल। 15 मसीह-दूत सभक चमत्कारपूर्ण काज देखि लोक सभ रोगी सभ केँ सड़क पर पटिया वा खाट पर राखि दैत छल, जाहि सँ पत्रुस केँ अयला पर हुनकर छाँहो ककरो-ककरो पर पड़ि जाय। 16 यरूशलेमक लग-पासक नगर सभ सँ सेहो हाँजक-हाँज लोक सभ रोगी आ दुष्टात्मा लागल आदमी सभ केँ हुनका सभ लग अनैत छल और सभ केओ स्वस्थ कयल जाइत छल। 17 एहि पर महापुरोहित आ हुनकर संग देबऽ वला सदुकी पंथक लोक सभ केँ डाह होमऽ लगलनि। 18 ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ पकड़ि कऽ स्थानीय जहल मे राखि देलथिन। 19 मुदा ओही राति मे प्रभुक एकटा स्वर्गदूत जहलक द्वारि खोलि हुनका सभ केँ बाहर लऽ अनलथिन आ कहलथिन, 20 “जाह, मन्दिर मे जा कऽ एहि ‘नव जीवन’क विषय मे सभ बात लोक सभ केँ सुनाबह।” 21 ओ सभ भोर होइते मन्दिर मे जा कऽ स्वर्गदूतक कथनानुसार लोक सभक बीच उपदेश देबऽ लगलाह। एम्हर महापुरोहित आ हुनकर संगी सभ इस्राएलक सभ बूढ़-प्रतिष्ठित केँ बजा कऽ सम्पूर्ण धर्म-महासभाक लोक केँ जमा कयलनि आ जहल मे सँ मसीह-दूत सभ केँ अनबाक लेल ककरो पठौलनि। 22 मुदा सिपाही सभ जखन ओतऽ पहुँचल तँ मसीह-दूत सभ जहल मे नहि छलाह। ओ सभ घूमि कऽ आबि गेल आ ई खबरि महासभाक सदस्य सभ केँ देलकनि जे, 23 “हम सभ ओहि जहलक द्वारि मे सुरक्षित तरीका सँ ताला लागल देखलहुँ आ पहरेदार सभ सेहो चौकस भऽ द्वारि पर ठाढ़ छल मुदा ताला खोलि कऽ भीतर गेला पर देखलहुँ जे केओ नहि अछि।” 24 ई बात सुनला पर मन्दिरक सिपाहीक कप्तान आ मुख्यपुरोहित सभ सोच मे पड़ि गेलाह जे ई की भेल? 25 एतबे मे केओ आबि कऽ कहलकनि जे, “सुनैत छी, जकरा सभ केँ अपने लोकनि जहल मे बन्द कयने छलहुँ से सभ एखन मन्दिर मे ठाढ़ भऽ कऽ लोक सभ केँ शिक्षा दऽ रहल अछि।” 26 तखन मन्दिरक सिपाहीक कप्तान किछु सिपाही सभ केँ लऽ कऽ मन्दिर मे गेलाह आ हुनका सभ केँ लऽ अयलथिन, मुदा जबरदस्ती नहि, कारण हुनका सभ केँ डर छलनि जे लोक सभ कतौ पथरबाहि कऽ कऽ हमरा सभ केँ मारि नहि देअय। 27 ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ आनि कऽ महासभा मे ठाढ़ कऽ देलथिन। तकरबाद महापुरोहित हुनका सभ सँ पुछलथिन, 28 “की हम सभ तोरा सभ केँ ई आज्ञा नहि देने छलिऔक जे तोँ सभ एहि नाम सँ शिक्षा देनाइ बन्द करै, लेकिन तोँ सभ सम्पूर्ण यरूशलेम केँ अपन शिक्षा सँ भरि देलेँ और ओहि आदमीक खूनक दोषी हमरा सभ केँ बनाबऽ चाहैत छेँ।” 29 एहि पर पत्रुस और आन मसीह-दूत सभ उत्तर देलथिन, “हमरा सभ केँ मनुष्यक आज्ञा सँ बढ़ि कऽ परमेश्वरेक आज्ञा केँ मानबाक अछि। 30 जाहि यीशु केँ अहाँ सभ क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देलियनि, तिनका अपना सभक पूर्वजक परमेश्वर जिआ देलथिन। 31 हुनका परमेश्वर प्रभु आ उद्धारकर्ताक ऊँच पद दऽ कऽ अपन दहिना कात बैसौलथिन, जाहि सँ ओ इस्राएलक लोक केँ पश्चात्ताप आ हृदय-परिवर्तन करबाक वरदान देथि आ पापक क्षमा प्रदान करथि। 32 एहि बात सभक गवाह हम सभ छी और पवित्र आत्मा सेहो छथि, जे आत्मा परमेश्वर अपन आज्ञाक पालन कयनिहार सभ केँ देने छथिन।” 33 ई सुनि कऽ महासभाक सदस्य सभ तिलमिला उठलाह आ हुनका सभ केँ जान सँ मारि देबऽ चाहलनि। 34 मुदा फरिसी पंथक गमालिएल नामक एक आदमी जे धर्म-नियमक आचार्य छलाह आ सभक नजरि मे प्रतिष्ठित लोक छलाह से सभा मे ठाढ़ भऽ आज्ञा देलथिन जे, एकरा सभ केँ किछु कालक लेल बाहर कऽ दिऔक। 35 तकरबाद ओ महासभाक सदस्य सभ केँ कहऽ लगलाह, “इस्राएली भाइ लोकनि, एहि लोकक संग जे किछु अहाँ सभ करऽ वला छी से सोचि-विचारि कऽ करू। 36 कारण, किछु समय पहिने थियूदास नामक आदमी अपने प्रशंसा मे बहुत तरहक बात कहैत छल आ करीब चारि सय लोक ओकर बात सुनि कऽ ओकरा पाछाँ-पाछाँ चलऽ लागल मुदा ओकरा मारल गेलाक बाद ओकर चेला सभ जहाँ-तहाँ छिड़िया गेल और ओकर सभ बात समाप्त भऽ गेलैक। 37 तकरबाद जनगणनाक समय मे गलील वासी यहूदा बहुत लोक केँ चढ़ा-बढ़ा कऽ एक क्रान्ति शुरू कयलक, मुदा ओहो मारल गेल आ ओकरो पाछाँ चलऽ वला लोक सभ छिड़िया गेल। 38 तेँ एकरा सभक सम्बन्ध मे हमर कथन यैह अछि जे, एकरा सभ केँ किछु नहि कयल जाय, बल्कि छोड़ि देल जाय। जँ एकर सभक ई विचार आ काज मनुष्यक प्रेरणा सँ भऽ रहल अछि तँ अपने सँ समाप्त भऽ जायत। 39 मुदा जँ परमेश्वरक प्रेरणा सँ अछि तँ अहाँ सभ एकरा सभ केँ नहि रोकि सकब, बल्कि एना कयला पर अहीं सभ अपने परमेश्वर सँ लड़निहार बनि जायब।” 40 महासभाक सदस्य लोकनि गमालिएलक सल्लाह स्वीकार कऽ लेलनि। ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ भीतर बजबा कऽ बेंत सँ पिटबौलथिन आ ई आज्ञा दऽ कऽ छोड़ि देलथिन जे यीशुक नाम लऽ कऽ किछु नहि बाज। 41 मसीह-दूत सभ एहि बातक लेल आनन्द मनबैत महासभा सँ बहरयलाह जे परमेश्वर हमरा सभ केँ एहि जोगरक बुझलनि जे हम सभ यीशुक नामक कारणेँ अपमानित होइ। 42 ओ सभ प्रत्येक दिन मन्दिर मे आ लोक सभक घर-घर मे जा कऽ शिक्षा दैते रहलाह और एहि शुभ समाचारक प्रचार करिते रहलाह जे यीशु उद्धारकर्ता-मसीह छथि।
1 ओहि समय मे जखन शिष्यक संख्या बढ़ि रहल छल तँ यूनानी भाषी यहूदी सभ इब्रानी भाषी यहूदी सभ पर कुड़बुड़ाय लागल जे सभ दिन जखन भोजन वला वस्तु सभ बाँटल जाइत अछि तँ यूनानी विधवा सभ पर ठीक सँ ध्यान नहि देल जाइत अछि। 2 तखन सभ शिष्य केँ बारहो मसीह-दूत सभ बजा कऽ कहलथिन, “ई उचित नहि होयत जे हम सभ परमेश्वरक वचनक शिक्षा देनाइ छोड़ि कऽ खुअयबा-पिअयबा मे लागि जाइ। 3 तेँ यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ अपना मे सँ सात गोटे केँ चुनि कऽ दिअ जे पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण और सच्चरित्र आ नीक बुद्धिक होथि। हम सभ हुनका सभ केँ एहि काजक भार दऽ देबनि 4 आ अपने हम सभ प्रार्थना और परमेश्वरक वचनक शिक्षाक काज मे लागल रहब।” 5 एहि विचार सँ सभ केओ प्रसन्न भेल आ ओ सभ स्तिफनुस जे पवित्र आत्मा आ विश्वास सँ परिपूर्ण छलाह, और फिलिपुस, प्रुखुरुस, निकानोर, तीमोन, परमिनास और अन्ताकिया निवासी निकुलाउस जे यहूदी धर्म स्वीकार कयने छलाह तिनका सभ केँ चुनलकनि। 6 तकरबाद ओ सभ हुनका सातो गोटे केँ मसीह-दूत सभक सामने आनि देलकनि। ई सभ प्रार्थना कयलनि आ हुनका सभ पर हाथ राखि ओहि काजक लेल नियुक्त कयलनि। 7 एहि तरहेँ परमेश्वरक वचन पसरैत गेल। यरूशलेम मे शिष्यक संख्या बहुत बढ़ि गेल और बहुत यहूदी पुरोहित सभ सेहो वचन स्वीकार कऽ आज्ञाकारी बनि प्रभु पर विश्वास कयलनि। 8 स्तिफनुस परमेश्वरक कृपा आ सामर्थ्य सँ परिपूर्ण भऽ लोकक बीच बड़का-बड़का अद्भुत काज आ चमत्कारपूर्ण चिन्ह सभ देखबैत छलाह। 9 मुदा किछु यहूदी सभ हिनकर विरोध करऽ लागल। ओ सभ “मुक्त लोकक सभाघर” नामक समूहक सदस्य सभ, कुरेन और सिकन्दरिया नगर आ किलिकिया और आसिया प्रदेशक निवासी सभ छल। ओ सभ स्तिफनुस सँ वाद-विवाद करऽ लागल 10 मुदा पवित्र आत्मा हिनका बाजऽ काल मे ततेक नीक बुद्धि देलथिन जे ओ सभ हिनका सामने मे नहि टिकि सकल। 11 तखन ओ सभ किछु लोक केँ गुप्त रूप सँ चढ़ा-बढ़ा कऽ सिखौलक जे अहाँ सभ कहू जे हम सभ एकरा मूसा आ परमेश्वरक निन्दा करैत सुनलहुँ। 12 एहि तरहेँ ओ सभ जनता, बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि आ धर्मशिक्षक सभ केँ बहका देलक और ओ सभ मिलि कऽ स्तिफनुस केँ पकड़ि लेलकनि आ धर्म-महासभाक सामने अनलकनि। 13 ओ सभ झुट्ठा गवाह सभ पेश कऽ कऽ कहबौलक जे, “ई आदमी सदिखन अपना सभक पवित्र मन्दिर आ धर्म-नियमक विरोध मे बजैत अछि 14 कारण हम सभ एकरा एहि तरहेँ कहैत सुनलहुँ जे, ‘ई नासरतक यीशु एहि मन्दिर केँ ढाहि देताह और मूसा द्वारा देल गेल प्रथा सभ केँ बदलि देताह।’” 15 महासभा मे बैसल लोक सभ जखन स्तिफनुसक दिस तकलनि तँ देखलनि जे हुनकर मुँह स्वर्गदूतक मुँह जकाँ देखाइ दऽ रहल अछि।
1 तखन महापुरोहित स्तिफनुस सँ पुछलथिन, “की ई बात सभ सत्य अछि?” 2 एहि पर स्तिफनुस उत्तर देलथिन, “बाबू-भैया लोकनि, हमर बात सुनू! अपना सभक पूर्वज अब्राहम हारान नगर मे वास करऽ सँ पहिने जखन मेसोपोतामिया क्षेत्र मे रहैत छलाह तखन हुनका महिमामय परमेश्वर दर्शन देलथिन। 3 ओ कहलथिन, ‘तोँ अपन देश सँ निकलि जाह, अपन कुटुम्ब-परिवार केँ छोड़ि दैह और ओहि देश मे जाह जे हम तोरा देखयबह।’ 4 तेँ ओ कसदी जातिक लोकक देश छोड़ि कऽ हारान मे आबि कऽ बसलाह। हुनकर पिताक मृत्युक बाद परमेश्वर हुनका हारान नगर सँ एहि देश मे पठौलथिन जतऽ एखन अहाँ सभ रहि रहल छी। 5 एतऽ परमेश्वर उत्तराधिकारक रूप मे हुनका एतबो जमीन अपन कहाबऽ वला नहि देलथिन जतबा पर ओ पयर टेकि सकितथि, मुदा तैयो परमेश्वर हुनका ई वचन देलथिन जे, ‘हम ई देश तोरा आ तोरा बाद तोहर वंशक अधिकार मे कऽ देबह,’ जखन कि ओहि समय मे हुनका कोनो सन्तानो नहि छलनि। 6 परमेश्वर हुनका ई बात कहलथिन, ‘तोहर वंशक लोक सभ आन देश मे प्रवासी भऽ जयतह आ ओतऽ ओ सभ चारि सय वर्ष धरि गुलाम बनि कष्ट सहैत रहतह।’ 7 परमेश्वर फेर कहलथिन, ‘जाहि राष्ट्रक लोक ओकरा सभ केँ गुलाम बनाओत तकरा हम दण्ड देबैक। तकरबाद ओ सभ ओहि देश सँ निकलि आओत और एही देश मे आबि कऽ हमर आराधना करत।’ 8 तखन परमेश्वर अब्राहमक संग जे विशेष सम्बन्ध स्थापित कयने छलाह, तकर चिन्ह स्वरूप हुनका सँ खतनाक विधि शुरू करबौलनि। तेँ जखन हुनकर पुत्र इसहाकक जन्म भेलनि तँ तकर आठम दिन मे ओ हुनकर खतना करौलनि। बाद मे इसहाकक पुत्र याकूबक जन्म भेलनि और याकूब सँ अपना सभक बारह कुल-पिता जन्म लेलनि। 9 “यैह कुल-पिता लोकनि अपन भाय यूसुफ सँ डाह रखैत हुनका बेचि देलनि और ओ मिस्र देश मे लऽ जायल गेलाह। मुदा परमेश्वर हुनका संग छलथिन। 10 सभ कष्ट और विपत्ति मे ओ हुनका बचौलथिन, और हुनका नीक बुद्धि देलथिन जाहि सँ मिस्रक राजा फरओ हुनका सँ प्रसन्न भेलनि और हुनका मिस्र देशक प्रधानमन्त्री आ अपन सम्पूर्ण राजभवनक मुख्य अधिकारी बनौलथिन। 11 “जखन सम्पूर्ण मिस्र देश आ कनान देश मे भारी रौदी पड़ल तँ अपना सभक पूर्वज लोकनि केँ बड़का कष्ट सहऽ पड़लनि कारण हुनका सभ लग भोजनक लेल कोनो अन्न नहि छलनि। 12 ओहि समय मे याकूब सुनलनि जे मिस्र देश मे अन्न भेटि रहल अछि, तँ ओ अपना सभक कुल-पिता सभ केँ पहिल बेर मिस्र देश सँ अन्न किनबाक लेल पठौलथिन। 13 ओ सभ फेर जखन दोसर बेर अन्न किनबाक लेल ओतऽ गेलाह तँ यूसुफ हुनका सभ केँ अपन परिचय दऽ कऽ ई बात प्रगट कयलनि जे हम अहाँ सभक भाय यूसुफ छी। तखन फरओ केँ सेहो यूसुफक परिवारक बारे मे जानकारी भेलनि। 14 एकर बाद यूसुफ अपन पिता याकूब आ हुनकर सम्पूर्ण परिवार, अर्थात् पचहत्तरियो लोक केँ बजबा लेलथिन। 15 याकूब मिस्र देश गेलाह। ओ और अपना सभक कुल-पिता लोकनि ओतहि मुइलाह। 16 हुनका सभक लास ओतऽ सँ आनि कऽ एहि देशक शकेम नामक स्थान मे ओहि कबर मे राखल गेलनि जे अब्राहम हमोरक पुत्र सभ सँ पाइ दऽ कऽ किनने छलाह। 17 “जँ जँ ओहि वचन केँ पूर्ण होयबाक समय लगचिआइत गेल जे परमेश्वर अब्राहम केँ देने छलाह तँ तँ मिस्र मे अपना सभक पूर्वजक संख्या बढ़ैत गेल। 18 ओहि समय मे मिस्र मे एक नव राजा भेलाह जे यूसुफक सम्बन्ध मे नहि किछु जनैत छलाह। 19 ओ राजा अपना सभक जाति केँ धोखा दऽ कऽ अपना सभक पूर्वज लोकनि केँ अपन-अपन बच्चा सभ केँ फेकि देबाक लेल विवश कऽ देलथिन जाहि सँ ओ सभ मरि जाय। 20 “ओही समय मे मूसाक जन्म भेलनि। परमेश्वरक नजरि मे हुनकर विशेष स्थान छलनि। तीन मास धरि हुनकर पालन-पोषण अपन पिताक घर मे भेलनि। 21 मुदा आरो दिन नहि नुका सकबाक कारणेँ हुनका जखन बाहर धऽ देल गेलनि तँ फरओ-राजाक बेटी हुनका पौलक और अपन पुत्र मानि कऽ पोसलक। 22 एहि तरहेँ मूसा मिस्र देशक सम्पूर्ण शिक्षा प्राप्त कयलनि और ओ बात आ काज दूनू मे सामर्थी भेलाह। 23 “मूसा जखन चालिस वर्षक भेलाह तखन हुनका मोन भेलनि जे हम अपन जाति-भाय इस्राएली सभ सँ भेँट-घाँट करी। 24 एक दिन ओ देखलनि जे एक मिस्री लोक हुनकर जाति-भायक संग दुर्व्यवहार कऽ रहल अछि, तेँ ओ अपन भायक पक्ष लैत ओहि मिस्री लोकक खून कऽ कऽ तकर बदला लऽ लेलनि। 25 ओ सोचैत छलाह जे हमर जाति-भाय सभ ई बात बुझि जायत जे परमेश्वर हमरा द्वारा ओकरा सभ केँ मुक्त करौताह मुदा ओ सभ एहि बात केँ नहि बुझलक। 26 प्रात भेने जखन ओ फेर बहरयलाह तँ दू इस्राएली भाय केँ अपने मे लड़ाइ करैत देखलनि। ओ ओकरा सभ केँ मेल-मिलाप कऽ लेबाक लेल बुझौलथिन, ‘सुनू, अहाँ सभ भाय-भाय छी तखन एक-दोसर केँ किएक कष्ट दैत छी?’ 27 एहि बात पर ओ जे दोषी छल से मूसा केँ धकिया कऽ कहलकनि, ‘अहाँ केँ के हमरा सभक हाकिम और न्यायाधीश बनौलक? 28 की जहिना अहाँ काल्हि ओहि मिस्री लोकक खून कयलहुँ तहिना हमरो खून कऽ देबऽ चाहैत छी?’ 29 मूसा ई बात सुनि मिस्र देश सँ भागि कऽ मिद्यान देश मे परदेशी भऽ कऽ रहऽ लगलाह और ओतहि हुनकर दूटा बेटाक जन्म भेलनि। 30 “चालिस वर्षक बाद सीनय पहाड़ लग निर्जन क्षेत्र मे जरैत झाड़ीक धधरा मे एक स्वर्गदूत मूसा केँ देखाइ देलनि। 31 ई देखि हुनका बड्ड आश्चर्य लगलनि। एहि दृश्य केँ लग सँ देखबाक लेल जखन गेलाह तँ प्रभु हुनका कहलथिन, 32 ‘हम तोहर पूर्वजक परमेश्वर, अर्थात् अब्राहम, इसहाक और याकूबक परमेश्वर छी।’ मूसा थर-थर काँपऽ लगलाह और हुनका ओम्हर देखैत रहबाक साहस नहि भेलनि। 33 तखन प्रभु कहलथिन, ‘तोँ अपन चप्पल बाहर कऽ लैह, कारण जतऽ तोँ ठाढ़ छह से पवित्र स्थान अछि। 34 हम देखलहुँ जे मिस्र मे हमरा लोक केँ कोना सताओल जा रहल अछि, हम ओकरा सभक कुहरनाइ सुनलहुँ आ ओकरा सभ केँ मुक्त करयबाक लेल उतरि आयल छी। आब आबह! हम तोरा मिस्र देश मे पठा रहल छिअह।’ 35 “ई वैह मूसा छथि जिनका ओ सभ ई कहि कऽ अस्वीकार कयने छलनि जे, अहाँ केँ के हाकिम आ न्यायाधीश बनौलक? हुनका परमेश्वर ओहि स्वर्गदूत द्वारा जे हुनका झाड़ी मे देखाइ देने छलनि हाकिम और मुक्त करौनिहार बना कऽ पठौलथिन। 36 वैह आदमी मिस्र मे, लाल सागर मे आ चालिस वर्ष धरि निर्जन क्षेत्र मे चमत्कारपूर्ण काज आ चिन्ह सभ देखबैत अपन इस्राएली लोक केँ मिस्र सँ बाहर निकालि अनलनि। 37 ई वैह मूसा छथि जे ओकरा सभ केँ कहलथिन, ‘परमेश्वर तोरे सभ मे सँ हमरा सनक प्रवक्ता तोरा सभक लेल पठौथुन।’ 38 हँ, ई वैह छथि जे निर्जन क्षेत्र मे अपना सभक पूर्वजक समुदाय मे छलाह आ जिनका सँ सीनय पहाड़ पर स्वर्गदूत बात कयलनि। हुनके जीवनक वचन देल गेलनि जे ओ अपना सभ केँ प्रदान करथि। 39 “मुदा अपना सभक पूर्वज सभ हुनकर बात नहि मानलनि, बल्कि हुनका अस्वीकार कयलथिन आ फेर मिस्र देश घूमि जयबाक इच्छा करैत छलाह। 40 ओ सभ हारून केँ कहलथिन, ‘अहाँ हमरा सभक लेल एहन देवता बना दिअ जे हमरा सभक मार्गदर्शन करथि, कारण ई मूसा जे हमरा सभ केँ मिस्र देश सँ निकालि कऽ अनलनि तिनका नहि जानि की भऽ गेलनि!’ 41 ओही समय मे ओ सभ एक बच्छाक मुरुत बना कऽ ओकरा लग बलि-प्रदान कयलनि। ओ सभ अपन हाथक बनाओल मुरुतक लेल एक पैघ उत्सव मनौलनि। 42 एहि पर परमेश्वर हुनका सभ केँ त्यागि देलथिन और आकाशक सूर्य, चन्द्रमा आ तारा सभक पूजा करबाक लेल छोड़ि देलथिन। एही सम्बन्ध मे परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख मे लिखल अछि, ‘हे इस्राएली लोक सभ, 2 की तोँ सभ निर्जन क्षेत्र मे चालिस वर्ष धरि 2 पशु-बलि आ अन्य चढ़ौना सभ हमरे चढ़ौलह? 43 नहि, तोँ सभ मोलोक देवताक मण्डप केँ 2 और रिफान देवताक तारा सभ केँ 2 अर्थात् मुरुत सभ केँ 2 जकरा तोँ सभ पूजा करबाक लेल बनौने छलह 2 तकरा सभ केँ अपना संग लऽ कऽ घुमैत छलह। तेँ आब हम तोरा सभ केँ बेबिलोनो सँ दूर देश मे भगा देबह।’ 44 “निर्जन क्षेत्र मे अपना सभक पूर्वज सभ लग ‘साक्षीक मण्डप’ छलनि। ओ मण्डप ओही नमूनाक अनुसार बनाओल गेल छल जे परमेश्वर मूसा केँ देखौने छलथिन आ ठीक ओहिना बनयबाक आज्ञा देने छलथिन। 45 ओ मण्डप ओहि पुस्त सँ दोसर पुस्त मे आयल, और परमेश्वर जखन एहि देश मे सँ दोसर जाति सभ केँ भगा देलनि आ अपना सभक पूर्वज सभ एहि देश केँ जितलनि तँ ओ सभ यहोशूक संग ओहि मण्डप केँ सेहो एतऽ अनलनि। और ओ मण्डप राजा दाऊदक समय धरि एहि देश मे रहल। 46 राजा दाऊद सँ परमेश्वर विशेष प्रसन्न छलाह। ओ परमेश्वर सँ प्रार्थना कयलनि, ‘हे हमर पूर्वज याकूबक परमेश्वर, हम अहाँक निवासक लेल एक घरक निर्माण करी तकर आज्ञा हमरा दिअ।’ 47 मुदा परमेश्वरक ओहि घरक निर्माण करऽ वला हुनकर बेटा सुलेमान भेलाह। 48 “परन्तु परम परमेश्वर मनुष्य द्वारा बनाओल घर सभ मे नहि रहैत छथि, जेना हुनकर एक प्रवक्ताक लेख मे अछि, 49 ‘स्वर्ग हमर सिंहासन अछि, 2 और पृथ्वी हमर पयरक चौकी। प्रभु कहैत छथि, तोँ हमरा लेल केहन घर बनयबह? 2 हमर रहबाक स्थान कतऽ होयत? 50 की ई सभ हमरे बनाओल नहि अछि?’ 51 “हे जिद्दी आ अशुद्ध मोनक, कानक बहीर लोक सभ! अहाँ सभ एकदम अपन पूर्वज सभ जकाँ छी, सदिखन पवित्र आत्माक विरोध करैत रहैत छी! 52 परमेश्वरक एहन एकोटा प्रवक्ता भेलाह, जिनका अहाँ सभक पूर्वज सभ नहि सतौलकनि? परमेश्वरक धार्मिक सेवकक आगमनक सम्बन्ध मे भविष्यवाणी कयनिहार सभक ओ सभ खून तक कऽ देलकनि। और आब अहाँ सभ ओहि धार्मिक सेवक केँ पकड़बा कऽ हुनकर हत्या कयलहुँ। 53 अहाँ सभ ओ लोक छी जकरा स्वर्गदूतक माध्यम सँ परमेश्वरक धर्म-नियम देल गेल मुदा अहीं सभ ओकरा नहि मानने छी।” 54 ई बात सुनितहि ओ सभ तामसे-पित्ते हुनका पर दाँत पिसऽ लागल। 55 मुदा स्तिफनुस पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ स्वर्ग दिस ताकऽ लगलाह और ओ ओतऽ परमेश्वरक तेज प्रकाश चमकैत आ परमेश्वरक दहिना कात यीशु केँ ठाढ़ देखलनि। 56 ओ बाजि उठलाह, “हम स्वर्ग केँ खुजल आ परमेश्वरक दहिना कात मनुष्य-पुत्र यीशु केँ ठाढ़ देखि रहल छियनि।” 57 एहि बात पर ओ सभ अपन कान मुनि लेलक और जोर सँ हल्ला करैत हुनका दिस दौड़ल 58 आ हुनका पकड़ि कऽ घिसिअबिते शहर सँ बाहर लऽ गेल और हुनका खून कऽ देबाक लेल पाथर मारऽ लगलनि। गवाह सभ अपन वस्त्र साउल नामक युवक लग रखने छल। 59 जखन ओ सभ स्तिफनुस केँ पाथर मारि रहल छलनि तखन ओ प्रार्थना कऽ रहल छलाह, “हे प्रभु यीशु, हमर आत्मा केँ ग्रहण करू।” 60 ओ ठेहुन रोपि फेर जोर सँ कहलनि, “हे प्रभु, एहि पापक हिसाब एकरा सभ सँ नहि लिऔक।” एतबा कहलाक बाद हुनकर प्राण छुटि गेलन्हि।
1 साउल स्तिफनुसक हत्या सँ सहमत छल। ओही दिन सँ यरूशलेमक विश्वासी मण्डली पर भयंकर अत्याचार शुरू भऽ गेल और मसीह-दूत सभ केँ छोड़ि आरो सभ विश्वासी यहूदिया आ सामरिया प्रदेश मे छिड़िया गेल। 2 परमेश्वरक भक्त सभ स्तिफनुसक लास लऽ जा कऽ कबर मे गाड़ि देलनि और हुनका लेल बहुत शोक मनौलनि। 3 एम्हर साउल विश्वासी मण्डली केँ नष्ट करबाक कोशिश कऽ रहल छल। ओ घर-घर मे हुलि कऽ स्त्रीगण और पुरुष सभ केँ पकड़ि जहल मे बन्द करबा दैत छल। 4 जे विश्वासी सभ छिड़िया गेल से सभ घूमि-घूमि कऽ प्रभुक वचनक प्रचार करैत छल। 5 फिलिपुस सामरिया प्रदेशक एक शहर मे आबि कऽ उद्धारकर्ता-मसीहक प्रचार करऽ लगलाह। 6 फिलिपुसक प्रचारक बात सुनि आ हुनका द्वारा कयल चमत्कार सभ देखि भीड़क सभ लोक एक चित्त भऽ कऽ हुनका कथन पर पूरा ध्यान देबऽ लागल। 7 बहुत लोक मे सँ दुष्टात्मा सभ चिचिया-चिचिया कऽ निकलि गेल और बहुत लकवा मारल आ नाङड़ आदमी सभ स्वस्थ भऽ गेल। 8 एहि सभ सँ ओहि शहरक लोक बहुत आनन्दित भेल। 9 ओहि शहर मे सिमोन नामक एक जादूगर बहुत दिन सँ अपन जादू देखा कऽ सामरियाक लोक सभ केँ आश्चर्यित कयने छल। ओ अपना केँ बड्ड पैघ लोक कहैत छल, 10 और ऊँच-नीच सभ तरहक लोक ओकर बात मानैत छल। ओ सभ कहैत छल जे “ई आदमी ईश्वरक ओहि शक्तिक अवतार छथि जे ‘महाशक्ति’ कहबैत छथि।” 11 लोक सभ एहि लेल ओकर बात मानैत छल जे ओ बहुत दिन सँ एकरा सभ केँ अपन जादू द्वारा प्रभावित कयने छल। 12 मुदा ओ सभ जखन फिलिपुसक प्रचार सुनि यीशु मसीह आ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार पर विश्वास कयलक तँ, पुरुष और स्त्रीगण, सभ केओ बपतिस्मा लेबऽ लागल। 13 सिमोन सेहो विश्वास कयलक आ बपतिस्मा लेलक। ओ फिलिपुसक संगे-संग सभतरि घुमैत छल आ हुनकर अद्भुत चिन्ह और चमत्कारपूर्ण काज सभ देखि चकित रहि जाइत छल। 14 यरूशलेम मे जखन मसीह-दूत सभ ई सुनलनि जे सामरिया प्रदेशक लोक सभ परमेश्वरक वचन स्वीकार कऽ लेने अछि तँ ओ सभ पत्रुस आ यूहन्ना केँ ओतऽ पठौलनि। 15 ओ दूनू गोटे ओतऽ पहुँचि कऽ ओकरा सभक लेल प्रार्थना कयलनि जाहि सँ ओ सभ पवित्र आत्मा केँ प्राप्त करय, 16 कारण एखन तक ओकरा सभ मे सँ ककरो पर पवित्र आत्मा नहि आयल छलथिन—ओ सभ मात्र प्रभु यीशु पर विश्वास कऽ कऽ हुनका नाम सँ बपतिस्मा लेने छल। 17 तखन ओ दूनू गोटे ओकरा सभ पर हाथ रखलनि और ओ सभ पवित्र आत्मा केँ प्राप्त कयलक। 18 सिमोन जखन देखलक जे ककरो शरीर पर मसीह-दूत सभ अपन हाथ रखैत छथि तँ ओकरा पवित्र आत्मा भेटैत छथिन तखन ओ अपन पाइ लऽ कऽ हुनका सभ लग गेल 19 आ कहलकनि, “हमरो ई गुण दिअ जाहि सँ हम ककरो शरीर पर हाथ रखिऐक तँ ओकरा पवित्र आत्मा भेटैक।” 20 एहि पर पत्रुस उत्तर देलथिन, “सत्यानाश होउ तोहर और तोरा पाइ केँ जे तोँ परमेश्वरक दान केँ पाइ सँ मोल लेबऽ चाहैत छेँ! 21 एहि काज मे तोहर कोनो हिस्सा वा अधिकार नहि छौक कारण परमेश्वरक दृष्टि मे तोहर मोन भ्रष्ट छौक। 22 आब तोँ अपना एहि दुष्ट विचारक लेल पश्चात्ताप कर और प्रभु सँ क्षमा माँग। भऽ सकैत अछि जे ओ तोहर एहन विचार केँ क्षमा कऽ देथुन। 23 हम देखैत छी जे तोँ ईर्ष्याक विष सँ भरल आ पाप मे जकड़ल छेँ।” 24 एहि पर सिमोन कहलकनि, “अहीं सभ हमरा लेल प्रार्थना करू जाहि सँ अहाँ जेना कहलहुँ तेना हमरा संग नहि होअय।” 25 पत्रुस और यूहन्ना प्रभु यीशुक विषय मे साक्षी दऽ कऽ आ परमेश्वरक वचनक प्रचार कऽ कऽ यरूशलेमक लेल फेर विदा भेलाह और रस्ता मे सामरिया प्रदेशक बहुतो गाम मे शुभ समाचार सुनबैत गेलाह। 26 एम्हर परमेश्वरक एक स्वर्गदूत फिलिपुस केँ कहलथिन, “तोँ एतऽ सँ दक्षिण मुँहें विदा भऽ कऽ यरूशलेम सँ गाजा नगर जाय वला रस्ता पर जाह जे बंजरभूमि दऽ कऽ गेल अछि।” 27 ई सुनि फिलिपुस विदा भऽ गेलाह। रस्ता मे हुनका इथियोपिया देशक एक हाकिम भेटलथिन जे इथियोपियाक रानी कन्दकीक मुख्य खजांची छलाह। ओ आराधना करबाक लेल यरूशलेम गेल छलाह, 28 आ ओतऽ सँ घुमैत काल अपना रथ मे बैसल धर्मशास्त्र मे परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाह द्वारा लिखल भाग केँ पढ़ि रहल छलाह। 29 तखन पवित्र आत्मा फिलिपुस केँ कहलथिन, “आगाँ बढ़ि कऽ ओहि रथक संगे-संग चलह।” 30 फिलिपुस दौड़ि कऽ रथ लग गेलाह और ओहि हाकिम केँ यशायाहक पुस्तक मे सँ पढ़ैत सुनलनि। तखन फिलिपुस पुछलथिन, “अहाँ जे पढ़ि रहल छी से बुझितो छी?” 31 ओ उत्तर देलथिन, “हम कोना बुझब जाबत केओ हमरा बुझाओत नहि?” ई कहि कऽ ओ हुनका सँ रथ पर बैसबाक आग्रह कयलथिन। 32 धर्मशास्त्रक जे भाग ओ पढ़ि रहल छलाह से ई छल, “वध करबाक लेल भेँड़ा जकाँ हुनका लऽ गेलनि 2 और भेँड़ी जहिना ऊन छोपयबा काल मे शान्त रहैत अछि 2 तहिना ओ शान्त रहलाह। 33 ओ बेइज्जति कयल गेलाह 2 और हुनका उचित न्याय नहि भेटलनि। हुनकर सन्तानक वर्णन कोना भऽ सकत 2 कारण हुनकर एहि पृथ्वी परक जीवन केँ समाप्त कऽ देल गेलनि।” 34 हाकिम फिलिपुस सँ पुछलथिन, “हमरा कहल जाओ—लेखक ई बात किनका विषय मे कहि रहल छथि, अपना विषय मे वा किनको दोसराक विषय मे?” 35 एहि पर फिलिपुस धर्मशास्त्रक ओही पाठ सँ शुरू कऽ कऽ हुनका यीशुक सम्बन्ध मे शुभ समाचार सुनौलथिन। 36 जाइत-जाइत आगाँ रस्ता मे हुनका सभ केँ पानि भेटला पर हाकिम फिलिपुस केँ कहलथिन, “देखल जाओ, एतऽ पानि अछि। आब हम किएक नहि बपतिस्मा लऽ ली?” 37 [फिलिपुस उत्तर देलथिन, “जँ अहाँ सम्पूर्ण मोन सँ विश्वास करैत छी तँ लऽ सकैत छी।” ओ कहलथिन, “हम विश्वास करैत छी जे यीशु मसीह परमेश्वरक पुत्र छथि।”] 38 ई कहि हाकिम रथ केँ रोकबा देलथिन और दूनू गोटे उतरि कऽ पानि मे गेलाह और फिलिपुस हुनका बपतिस्मा देलथिन। 39 जखन ओ सभ पानि मे सँ उपर भेलाह तखन एकाएक प्रभुक आत्मा फिलिपुस केँ दोसर ठाम लऽ गेलथिन आ हाकिम फेर हुनका नहि देखलथिन मुदा आनन्दपूर्बक ओ अपन रस्ता पर बढ़ैत गेलाह। 40 एम्हर फिलिपुस अपना केँ अश्दोद नगर मे पौलनि। ओतऽ सँ आगाँ बढ़ि कऽ सभ नगर मे ओ शुभ समाचारक प्रचार करैत-करैत कैसरिया पहुँचलाह।
1 साउल एखनो तक प्रभु यीशुक शिष्य सभ केँ धमकी दैत छल आ हुनका सभक हत्या करबाक फिराक मे रहैत छल। ओ महापुरोहित लग जा कऽ 2 दमिश्कक सभाघर सभक लेल आज्ञा-पत्र मँगलक जाहि सँ जँ ओकरा दमिश्क मे एहि पंथ केँ मानऽ वला लोक सभ भेटैक तँ ओ ओकरा सभ केँ, चाहे स्त्रीगण होअय वा पुरुष, बन्दी बना कऽ यरूशलेम आनि सकय। 3 जखन ओ दमिश्क नगर लग पहुँचल तँ एकाएक आकाश सँ बहुत तेज प्रकाश ओकरा चारू कात पड़ल। 4 ओ जमीन पर खसि पड़ल आ ओकरा एक स्वर सुनाइ देलक, “हौ साउल, हौ साउल, तोँ हमरा किएक सतबैत छह?” 5 ओ पुछलकनि, “यौ प्रभु, अहाँ के छी?” ओ उत्तर देलथिन, “हम यीशु छी जिनका तोँ सता रहल छह। 6 आब तोँ उठि कऽ शहर मे जाह, ओतऽ तोरा कहल जयतह जे तोरा की करबाक छह।” 7 साउलक संग जे लोक सभ जा रहल छल से सभ अवाक रहि गेल, कारण ओ सभ आवाज सुनलक मुदा ककरो देखलक नहि। 8 साउल जमीन पर सँ उठलाह मुदा ओ जखन आँखि तकलनि तँ हुनका किछु देखाइ नहि दैत छलनि। तेँ ओ सभ हुनका हाथ पकड़ि कऽ दमिश्क शहर मे लऽ गेलनि। 9 ओ तीन दिन धरि आन्हर रहलाह आ किछु नहि खयलनि-पिलनि। 10 दमिश्क मे हननियाह नामक एक शिष्य छलाह, जिनका प्रभु यीशु दर्शन दऽ कऽ कहलथिन, “हौ हननियाह!” ओ उत्तर देलथिन, “कहल जाओ प्रभु।” 11 प्रभु आज्ञा देलथिन, “उठह, ‘सोझका गली’ नामक रस्ता मे जा कऽ यहूदाक घर मे तरसुस निवासी साउलक खोज करह, ओ प्रार्थना कऽ रहल अछि। 12 और ओकरा मोन मे एकटा दृश्य देखाइ पड़ल छैक जे हमरा घर मे हननियाह नामक एक आदमी अयलाह आ हमरा पर हाथ रखलनि जे हम देखि सकी।” 13 हननियाह उत्तर देलथिन, “यौ प्रभु, हम एहि आदमीक बारे मे बहुत किछु सुनने छी जे कोना ओ यरूशलेम मे अहाँक चुनल लोक सभ केँ सतबैत छल 14 आ एहूठाम अहाँक शिष्य सभ केँ पकड़बाक लेल मुख्यपुरोहित सभक आदेश-पत्र लऽ कऽ आयल अछि।” 15 प्रभु उत्तर देलथिन, “तोँ जाह, ओकरा हम चुनने छी जाहि सँ ओ गैर-यहूदी, ओकर सभक राजा सभ मे आ इस्राएली लोकक बीच मे हमर नामक प्रचार करय। 16 आब हम ओकरा देखयबैक जे हमर नामक कारणेँ ओकरा कतेक कष्ट सहऽ पड़तैक।” 17 तखन हननियाह गेलाह आ ओहि घर मे प्रवेश कऽ साउल पर हाथ राखि कऽ कहलथिन, “यौ साउल भाइ, प्रभु जे अहाँ केँ रस्ता मे अयबा काल दर्शन देलनि, अर्थात् यीशु, सैह हमरा अहाँ लग पठौलनि जाहि सँ अहाँ फेर देखी आ पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ जाइ।” 18 तखने साउलक आँखि सँ पपड़ी जकाँ किछु खसल आ ओ देखऽ लगलाह। ओ उठलाह और बपतिस्मा लेलनि। 19 तकरबाद ओ किछु भोजन कयलनि आ हुनका बल भेटलनि। साउल दमिश्क मे शिष्य सभक संग किछु दिन रहलाह। 20 ओ तुरत ओतुक्का सभाघर सभ मे जा कऽ प्रचार करऽ लगलाह जे यीशु परमेश्वरक पुत्र छथि। 21 एहि पर सभ लोक जे हुनकर प्रचार सुनलक से अकचका कऽ बाजऽ लागल जे, “ई की भेल? की ई वैह आदमी नहि अछि जे यरूशलेम मे एहि नाम पर विश्वास करऽ वला सभ केँ सतबैत छल? और की ओ एहूठाम एहि लेल नहि आयल अछि जे यीशु केँ मानऽ वला सभ केँ पकड़ि कऽ मुख्यपुरोहित सभ लग लऽ जाय?” 22 मुदा साउल प्रचारक काज मे आओर सामर्थ्यवान होइत गेलाह। यीशुए उद्धारकर्ता-मसीह छथि तकर प्रमाण दऽ-दऽ कऽ ओ दमिश्क मे रहऽ वला यहूदी सभक मुँह बन्द कऽ दैत छलाह। 23 एहि तरहेँ बहुत दिन बिति गेल। आब यहूदी सभ षड्यन्त्र रचऽ लागल जे साउल केँ जान सँ मारि दी। 24 मुदा साउल केँ एहि बातक खबरि भऽ गेलनि। यहूदी सभ दिन-राति शहरक द्वारि लग पहरा दऽ कऽ हुनका मारबाक ताक मे रहैत छल। 25 मुदा एम्हर हुनकर चेला सभ एक राति एकटा ढाकी मे हुनका बैसा कऽ शहरक देवाल पर बाटे ओहि पार उतारि देलकनि। ओ ओहिठाम सँ यरूशलेम चल गेलाह। 26 यरूशलेम पहुँचि कऽ साउल विश्वासी सभ मे सम्मिलित होयबाक प्रयत्न कयलनि मुदा ओ सभ हिनका सँ डेराइत छलाह कारण हुनका सभ केँ एहि बातक विश्वास नहि होइत छलनि जे वास्तव मे ओ यीशु मसीहक शिष्य बनि गेल छथि। 27 तखन बरनबास हुनका मसीह-दूत सभ लग लऽ गेलनि। ओ हुनका सभ केँ कहलथिन जे कोना साउल रस्ता मे प्रभु केँ देखलनि आ प्रभु कोना हिनका सँ गप्प कयलथिन और ई कतेक साहसक संग दमिश्क मे प्रभु यीशुक प्रचार कयलनि। 28 एकरबाद साउल हुनका सभक संग रहऽ लगलाह। ओ यरूशलेम मे घूमि-फिरि कऽ निडर भऽ कऽ प्रभु यीशुक प्रचार कयलनि। 29 ओ यूनानी भाषी यहूदी सभ सँ वाद-विवाद करैत छलाह मुदा ओ सभ हिनका जान सँ मारि देबाक कोशिश करऽ लागल। 30 विश्वासी भाय सभ केँ जखन एहि बातक खबरि भेलनि तँ ओ सभ हुनका कैसरिया लऽ जा कऽ तरसुस नगरक लेल विदा कऽ देलथिन। 31 तकरबाद समस्त यहूदिया, गलील आ सामरिया प्रदेश मे विश्वासी मण्डली केँ अत्याचार सँ आराम भेटल। प्रभुक आदर करैत आ आज्ञा मानैत मण्डली मजगूत होइत गेल और परमेश्वरक पवित्र आत्मा सँ प्रोत्साहित भऽ विश्वासी सभक संख्या बढ़ैत गेल। 32 पत्रुस बहुत ठाम घुमैत-फिरैत लुद्दा नामक गाम मे विश्वासी सभ सँ भेँट करबाक लेल अयलाह। 33 एहिठाम एनियास नामक एक आदमी भेटलनि जे लकवा बिमारीक कारणेँ आठ वर्ष सँ ओछायन धऽ लेने छल। 34 पत्रुस ओकरा कहलथिन, “हौ एनियास, यीशु मसीह तोरा स्वस्थ करैत छथुन। तोँ उठह आ अपन ओछायन ठीक करह।” ओ तुरत ठाढ़ भऽ गेल। 35 लुद्दा आ शारोनक सभ निवासी ओकरा देखलक, आ प्रभु यीशु पर विश्वास कयलक। 36 याफा नगर मे एक विश्वासी स्त्री छलीह जिनकर नाम तबीता छलनि, जकरा यूनानी भाषा मे “दोरकस”, ⌞अर्थात् “हिरणी”⌟ कहल जाइत अछि। ओ बराबरि अनेक तरहक काज द्वारा दोसराक, आ खास कऽ गरीब सभक, सहायता करैत छलीह। 37 जाहि समय मे पत्रुस लुद्दा मे छलाह ताहि समय मे ओ बिमार भेलीह आ मरि गेलीह। हुनकर लास केँ स्नान करा कऽ उपरका तल्ला पर कोठली मे राखि देल गेलनि। 38 लुद्दा याफा सँ बेसी दूर नहि छल, आ तेँ विश्वासी सभ ई जानि जे पत्रुस लुद्दा मे छथि, दू आदमी केँ ई कहबाक लेल पत्रुस लग पठौलनि जे, “अहाँ एतऽ आबऽ मे देरी नहि करू!” 39 पत्रुस हुनका सभक संग विदा भेलाह। पहुँचलाक बाद लोक सभ हुनका उपरका तल्ला पर लऽ गेलनि। विधवा सभ पत्रुस केँ चारू कात सँ घेरि कऽ जे कुर्ता और अन्य वस्त्र सभ दोरकस मरऽ सँ पहिने बनौने छलीह, से सभ कानि-कानि कऽ देखाबऽ लगलथिन। 40 तखन पत्रुस सभ लोक केँ घर सँ बाहर कऽ देलनि, आ अपने ठेहुनिया दऽ कऽ प्रार्थना करऽ लगलाह। तकरबाद ओ लास दिस घूमि कऽ कहलथिन, “तबीता, उठि जाउ!” तबीता आँखि तकलनि आ सामने मे पत्रुस केँ देखि उठि कऽ बैसलीह। 41 पत्रुस हुनका हाथ धऽ कऽ ठाढ़ कयलनि। तखन ओ विधवा सभ और अन्य विश्वासी सभ केँ बजा कऽ दोरकस केँ हुनका सभक जिम्मा मे जीवित सौंपि देलथिन। 42 ई बात सम्पूर्ण याफा मे पसरि गेल आ बहुत लोक प्रभु पर विश्वास कयलक। 43 पत्रुस याफा मे चमड़ाक कारोबार करऽ वला सिमोनक ओतऽ बहुत दिन धरि रहलाह।
1 कैसरिया नगर मे कुरनेलियुस नामक एक आदमी छलाह जे रोमी सेना मे ओहि पल्टनक कप्तान छलाह जे “इटली पल्टन” कहबैत छल। 2 ओ अपन पूरा परिवार भक्तिपूर्बक परमेश्वरक भय मानऽ वला छलाह। ओ गरीब सभ केँ दान दैत छलाह और परमेश्वर सँ नियमित रूप सँ प्रार्थना करैत छलाह। 3 एक दिन बेरिआ मे, करीब तीन बजे परमेश्वरक एक स्वर्गदूत हुनका दर्शन देलथिन। ओ स्वर्गदूत केँ अपना लग अबैत स्पष्ट देखलथिन। स्वर्गदूत हुनका नाम लऽ कऽ कहलथिन, “यौ कुरनेलियुस!” 4 कुरनेलियुस डेराइते हुनका दिस एकटक लगा कऽ तकैत कहलथिन, “की बात, प्रभु?” स्वर्गदूत उत्तर देलथिन, “अहाँक प्रार्थना और गरीब सभ केँ देल गेल दान सभ चढ़ौनाक रूप मे परमेश्वर लग पहुँचल अछि, और ओ अहाँ पर ध्यान देलनि अछि। 5 आब अहाँ एना करू—किछु गोटे केँ याफा नगर मे सँ सिमोन, जकर दोसर नाम पत्रुस छैक, तकरा बजाबऽ लेल पठा दिऔक। 6 ओ ओहिठाम दोसर सिमोन नामक आदमी, जे चमड़ाक कारोबार करैत अछि, आ जकर घर समुद्रक कात मे छैक, तकरा ओतऽ रहि रहल अछि।” 7 स्वर्गदूत केँ चल गेलाक बाद, कुरनेलियुस दूटा नोकर और अपन निजि सहायक सभ मे सँ एक भक्त सैनिक केँ बजबौलनि। 8 ओ ओकरा सभ केँ सभ बात कहि देलथिन आ याफा नगर पठौलथिन। 9 प्रात भेने दुपहर कऽ ओ सभ याफा नगर लग पहुँचल, आ एम्हर पत्रुस प्रार्थना करबाक लेल छत पर गेलाह। 10 हुनका भूख लगलनि और किछु खयबाक इच्छा भेलनि, मुदा भानस भइए रहल छल। ओही समय मे हुनका सामने एक दृश्य प्रगट भेलनि। 11 ओ स्वर्ग केँ खुजल और ओतऽ सँ बड़का चद्दरि जकाँ कोनो चीज, जकर चारू खूँट बान्हल छलैक, से नीचाँ पृथ्वी दिस उतारल जाइत देखलनि। 12 ओहि चद्दरि मे सभ प्रकारक चौपाया जानबर, जमीन मे ससरऽ वला जीव-जन्तु और आकाशक चिड़ै सभ छल। 13 तखन पत्रुस केँ एक आवाज सुनाइ पड़लनि जे, “पत्रुस, उठह, आ एहि मे सँ मारि कऽ खाह!” 14 पत्रुस उत्तर देलथिन, “नहि, नहि प्रभु! हम कोनो अपवित्र वा अशुद्ध वस्तु कहियो नहि खयलहुँ।” 15 एहि पर फेर आवाज आयल जे, “जाहि वस्तु केँ परमेश्वर शुद्ध ठहरौने छथिन, तकरा तोँ अशुद्ध नहि कहक।” 16 ई बात तीन बेर भऽ गेल, तखन एकाएक ओ चद्दरि फेर स्वर्ग दिस घीचि लेल गेल। 17 पत्रुस सोचिए रहल छलाह जे एहन दृश्यक अर्थ की भऽ सकैत अछि, ठीक ओही समय मे कुरनेलियुसक पठाओल आदमी सभ पुछैत-पुछैत सिमोनक घर लग पहुँचल, और बाहर वला द्वारि लग ठाढ़ भऽ 18 सोर पारि कऽ पुछलक, “की सिमोन पत्रुस नामक कोनो व्यक्ति एतऽ ठहरल छथि?” 19 पत्रुस एखनो ओहि दृश्यक सम्बन्ध मे विचार कऽ रहल छलाह कि परमेश्वरक आत्मा हुनका कहलथिन, “सिमोन! तोरा तीन आदमी ताकि रहल छह। 20 तेँ आब नीचाँ जाह आ कोनो तरहक दुबिधा मे नहि पड़ि कऽ ओकरा सभक संग जाह, कारण हमहीं ओकरा सभ केँ तोरा लग पठौने छिऐक।” 21 पत्रुस नीचाँ जा कऽ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जिनका अहाँ सभ ताकि रहल छी, से हम छी। अहाँ सभ कोन काज सँ अयलहुँ?” 22 ओ सभ उत्तर देलकनि, “हम सभ कप्तान कुरनेलियुसक ओतऽ सँ अयलहुँ। ओ धार्मिक आ परमेश्वरक भय मानऽ वला लोक छथि। हुनका समस्त यहूदी जाति मे मान्यता छनि। एक पवित्र स्वर्गदूत हुनका आज्ञा देलथिन जे अपने केँ ओ अपना ओहिठाम बजबा कऽ अपनेक उपदेश सुनथि।” 23 तखन पत्रुस ओकरा सभ केँ घरक भीतर आनि कऽ सेवा-सत्कार करऽ लगलथिन। तकर प्राते भेने पत्रुस ओकरा सभक संग विदा भेलाह, और याफा सँ किछु विश्वासी भाय सेहो संग गेलनि। 24 एक दिनक बाद ओ सभ कैसरिया मे पहुँचि गेलाह। कुरनेलियुस हिनका सभक बाट तकैत छलथिन और अपन सम्बन्धी लोक आ इष्ट-मित्र सभ केँ बजा लेने छलाह। 25 जखन पत्रुस घर मे प्रवेश करहे वला छलाह तखन कुरनेलियुस आबि कऽ हुनकर पयर पर खसि कऽ प्रणाम कयलनि। 26 मुदा पत्रुस हुनका उठबैत कहलथिन, “उठू, उठू, हमहूँ मनुष्ये छी!” 27 हुनका सँ गप्प-सप्प करैत पत्रुस भीतर गेलाह, और बहुत लोक जमा भेल देखि 28 ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ केँ बुझले अछि जे हमरा यहूदी लोकनिक धर्म-नियम गैर-यहूदी सँ सम्पर्क राखब वा ओकरा ओहिठाम जायब मना करैत अछि। मुदा परमेश्वर हमरा स्पष्ट कऽ देलनि जे ककरो अशुद्ध वा अछोप नहि बुझबाक चाही। 29 तेँ हमरा जखन बजाओल गेल तँ बिनु कोनो आपत्ति मानैत हम चल अबैत रहलहुँ। आब अहाँ सभ कहू जे हमरा कोन काज सँ बजौलहुँ।” 30 कुरनेलियुस उत्तर देलथिन, “चारि दिन पहिने हम एही समय मे, अर्थात् तीन बजे मे, अपना घर मे प्रार्थना कऽ रहल छलहुँ। एकाएक बहुत चमकैत वस्त्र पहिरने एक आदमी हमरा सामने मे ठाढ़ भऽ गेलाह 31 आ कहलनि, ‘कुरनेलियुस! परमेश्वर अहाँक प्रार्थना सुनने छथि और अहाँक दानक काज सँ प्रसन्न छथि। 32 अहाँ एना करू, सिमोन केँ, जकर दोसर नाम पत्रुस छैक, याफा सँ बजबा लिअ। ओ चमड़ाक कारोबार करऽ वला सिमोन, जकर घर समुद्रक कात मे छैक, तकरा ओतऽ ठहरल अछि।’ 33 तेँ हम अपने केँ तुरत बजबौलहुँ, और ई अपनेक कृपा भेल जे अपने हमरा ओहिठाम अयलहुँ। आब हम सभ गोटे एतऽ परमेश्वरक समक्ष उपस्थित छी, और परमेश्वर जे किछु कहबाक आज्ञा अपने केँ देने होथि, से सभ बात सुनबाक लेल हम सभ तैयार छी।” 34 एहि पर पत्रुस कहऽ लगलाह, “हम आब बुझि गेलहुँ जे सत्ये मे परमेश्वर ककरो संग पक्षपात नहि करैत छथि, 35 और जे केओ हुनकर भय मानैत छनि आ उचित काज करैत अछि चाहे ओ कोनो जातिक होअय, तकरा परमेश्वर स्वीकार करैत छथिन। 36 अहाँ सभ जनैत होयब जे परमेश्वर इस्राएली लोकक बीच एक शुभ समाचार सुनबौलथिन। ओ शुभ समाचार ई अछि जे यीशु मसीह, जे सभक प्रभु छथि, तिनका द्वारा परमेश्वरक संग मेल-मिलाप भऽ सकैत अछि। 37 अहाँ सभ इहो जनैत होयब जे यूहन्ना द्वारा पश्चात्ताप आ बपतिस्माक प्रचार भेलाक बाद, गलील प्रदेश सँ लऽ कऽ सम्पूर्ण यहूदिया प्रदेश मे की की भेल— 38 कोना नासरत-निवासी यीशु केँ परमेश्वर अपना पवित्र आत्मा आ सामर्थ्य सँ परिपूर्ण कयलथिन, आ कोना ओ सभतरि घूमि-घूमि कऽ भलाइक काज करैत छलाह और शैतान सँ पीड़ित लोक सभ केँ स्वस्थ कऽ दैत छलाह। ई काज सभ ओ एहि लेल कऽ सकलाह जे परमेश्वर हुनका संग छलथिन। 39 और जतेक काज ओ यहूदिया प्रदेश आ यरूशलेम शहर मे कयलनि, तकर सभक साक्षी हम सभ छी। लोक सभ हुनका क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देलकनि, 40 मुदा परमेश्वर हुनका तेसर दिन फेर जिआ देलथिन, और प्रत्यक्ष देखौलथिन, 41 सभ केँ नहि, बल्कि ओही लोक सभ केँ जकरा ओ पहिनहि सँ गवाहक लेल चुनि लेने छलाह। ओ गवाह हम सभ छी आ हुनकर मृत्यु मे सँ जीबि उठलाक बाद हम सभ हुनका संग खयलहुँ-पिलहुँ। 42 ओ हमरा सभ केँ आज्ञा देलनि जे हम सभ लोक सभक बीच ई शुभ समाचारक प्रचार करी आ गवाही दिऐक जे हुनके परमेश्वर सभ लोकक न्याय करबाक लेल नियुक्त कयने छथि, ओ सभ चाहे मुइल होअय वा जीवित। 43 हुनके विषय मे परमेश्वरक सभ प्रवक्ता लोकनि गवाही देने छथि जे, जे केओ हुनका पर विश्वास करत तकरा हुनका द्वारा पापक क्षमा भेटतैक।” 44 पत्रुस जखन बाजिए रहल छलाह तखने जे सभ हुनकर ई प्रवचन सुनि रहल छल, तकरा सभ पर पवित्र आत्मा अयलाह। 45 ओ सभ अनजान भाषा मे बाजऽ लागल और परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करऽ लागल। यहूदी विश्वासी सभ जे पत्रुसक संग आयल छलाह, से सभ ई देखि चकित रहि गेलाह जे परमेश्वर गैर-यहूदी सभ केँ सेहो अपन पवित्र आत्मा प्रदान कयलनि। 47 तखन पत्रुस कहलथिन, “की एकरा सभक बारे मे, जे अपने सभ जकाँ पवित्र आत्मा केँ प्राप्त कयने अछि, केओ कहि सकत जे एकरा सभ केँ बपतिस्मा नहि देल जाइक?” 48 ई कहि ओ ओकरा सभ केँ प्रभु यीशु मसीहक नाम सँ बपतिस्मा लेबाक आदेश देलथिन। तखन ओ सभ पत्रुस सँ निवेदन कयलकनि जे, अपने हमरा सभक संग किछु दिन रहल जाओ।
1 मसीह-दूत सभ और यहूदिया प्रदेशक आरो विश्वासी भाय सभ जखन सुनलनि जे गैर-यहूदी सभ सेहो परमेश्वरक वचन स्वीकार कयने अछि, 2 तँ पत्रुस केँ यरूशलेम अयला पर यहूदी विश्वासी सभ हुनका पर दोष लगाबऽ लगलथिन। 3 ओ सभ कहलथिन, “अहाँ गैर-यहूदी सभक घर मे प्रवेश कयलहुँ आ ओकरा सभक संग भोजनो कयलहुँ!” 4 तखन पत्रुस, कोना की भेल छल, से सभ बात हुनका सभ केँ शुरू सँ सुनाबऽ लगलाह। 5 ओ कहलथिन, “याफा नगर मे प्रार्थना करैत काल हम ध्यान-मग्न भऽ गेलहुँ और हमरा सामने एक दृश्य प्रगट भेल। हम एक बड़का चद्दरि सनक कोनो चीज चारू खूँट सँ बान्हल स्वर्ग सँ उतारल जाइत देखलहुँ। ओ वस्तु हमरा लग आबि कऽ रूकल। 6 हम जखन गौर सँ देखऽ लगलहुँ तँ ओहि मे हमरा घरैया-पशु, जंगली जानबर, जमीन मे ससरऽ वला जीव-जन्तु, और आकाशक चिड़ै सभ देखाइ पड़ल। 7 तखन हमरा ई आवाज सुनाइ देलक, ‘पत्रुस, उठह! एहि मे सँ मारि कऽ खाह!’ 8 मुदा हम उत्तर देलियनि जे, ‘नहि नहि, प्रभु! हम कोनो अपवित्र वा अशुद्ध वस्तु कहियो नहि खयने छी।’ 9 तखन दोसर बेर फेर स्वर्ग सँ आवाज सुनाइ देलक जे, ‘जाहि वस्तु केँ परमेश्वर शुद्ध ठहरौने छथिन, तकरा तोँ अशुद्ध नहि कहक।’ 10 एहिना तीन बेर भेल, आ तकरबाद ओ सभ वस्तु फेर स्वर्ग दिस उठा लेल गेल। 11 “ताही क्षण मे तीन आदमी जे हमरा बजयबाक लेल कैसरिया सँ पठाओल गेल छल, से सभ ओहि घर लग पहुँचल जतऽ हम रहैत छलहुँ। 12 पवित्र आत्मा हमरा आदेश देलनि जे, कोनो खराब बात नहि सोचि कऽ ओकरा सभक संग जाह। ई छओटा विश्वासी भाय सेहो हमरा संग गेलाह और हम सभ ओहि आदमीक घर मे गेलहुँ जे हमरा बजबौने छलाह। 13 ओ हमरा सभ केँ कहलनि जे कोना हुनका अपना घर मे स्वर्गदूत दर्शन देलथिन आ कहलथिन जे, ‘ककरो याफा नगर पठा कऽ सिमोन जकर दोसर नाम पत्रुस छैक, तकरा बजबा लिअ। 14 ओ आबि कऽ अहाँ केँ उपदेश देत जाहि द्वारा अहाँ सपरिवार उद्धार प्राप्त करब।’ 15 “हम जखन उपदेश देनाइ शुरुए कयने छलहुँ तखने पवित्र आत्मा हुनका सभ पर उतरि अयलाह, ठीक ओहिना जेना अपना सभ पर शुरू मे अयलाह। 16 तुरत प्रभुक कहल ओ बात हमरा मोन पड़ल जे, ‘यूहन्ना लोक केँ पानि सँ बपतिस्मा देलनि मुदा अहाँ सभ केँ पवित्र आत्मा सँ बपतिस्मा देल जायत।’ 17 जँ परमेश्वर हुनका सभ केँ वैह दान देलनि जे दान अपना सभ जखन प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कयलहुँ तखन अपना सभ केँ देलनि, तँ हम परमेश्वरक काज केँ रोकऽ वला के छी!” 18 ई सुनि ओ सभ सन्तुष्ट भऽ गेलाह आ परमेश्वरक स्तुति करैत बजलाह, “तखन तँ परमेश्वर दोसरो जाति सभ केँ सेहो अपना पापक लेल पश्चात्ताप आ हृदय-परिवर्तन करबाक वरदान देलथिन जाहि सँ ओहो सभ जीवन प्राप्त करय!” 19 स्तिफनुस केँ मारल गेलाक बाद मसीही विश्वासी सभ पर जखन अत्याचार बढ़ऽ लागल तँ ओ सभ जहाँ-तहाँ छिड़िया गेलाह आ फीनिकी प्रदेश, साइप्रस द्वीप और अन्ताकिया नगर तक पहुँचलाह। मुदा विशेष काल ओ सभ मात्र यहूदी सभक बीच शुभ समाचारक प्रचार करैत छलाह। 20 परन्तु हुनका सभ मे सँ किछु लोक, जे साइप्रस आ कुरेनक निवासी छलाह, से सभ अन्ताकिया नगर जा कऽ यूनानी सभ सँ सेहो सम्पर्क कऽ ओकरा सभ केँ प्रभु यीशुक सम्बन्ध मे शुभ समाचार सुनाबऽ लगलथिन। 21 प्रभुक शक्ति हुनका सभक संग छलनि, आ बहुतो लोक प्रभु पर विश्वास कऽ कऽ हुनकर रस्ता पर आबि गेलनि। 22 अन्ताकिया मे भेल सभ बातक खबरि जखन यरूशलेमक विश्वासी मण्डली लग पहुँचल तँ ओ सभ बरनबास केँ अन्ताकिया पठौलनि। 23 ओ विश्वास और पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण एक नीक लोक छलाह। ओहिठाम पहुँचला पर जखन ओहिठामक लोकक बीच परमेश्वरक कृपाक परिणाम देखलनि तँ बरनबास अति आनन्दित भेलाह, आ सभ केँ प्रोत्साहित कयलनि जे अहाँ सभ पूरा तन-मन-धन सँ प्रभुक लेल ठोस विश्वासक संग स्थिर रहू। एहि तरहेँ ओहिठामक बहुतो लोक प्रभु यीशु पर विश्वास कयलक। 25 तखन बरनबास साउल केँ तकबाक लेल तरसुस नगर गेलाह। 26 हुनका सँ भेँट भेला पर, ओ हुनका ओतऽ सँ अन्ताकिया लऽ अनलथिन। ओ दूनू गोटे वर्ष दिन ओतऽ मण्डलीक संगति मे रहलाह आ बहुत लोक केँ प्रभुक विषय मे शिक्षा देलथिन। ओतहि, अर्थात् अन्ताकिए मे, सभ सँ पहिने प्रभु यीशु मसीहक शिष्य सभ केँ “मसीही” कहबाक प्रथा शुरू भेल। 27 ओहि समय मे यरूशलेम सँ परमेश्वरक किछु प्रवक्ता सभ अन्ताकिया अयलाह। 28 ओहि मे सँ एक, अगबुस नामक प्रवक्ता उठि कऽ परमेश्वरक आत्माक प्रेरणा सँ भविष्यवाणी कयलनि जे सम्पूर्ण राज्य मे भयंकर रौदी पड़त। (ई बात सम्राट क्लौदियुसक शासन काल मे पूरा भेल।) 29 तेँ प्रभुक शिष्य सभ निर्णय कयलनि जे हम सभ अपन-अपन सामर्थ्यक अनुसार यहूदिया प्रदेशक भाय सभक लेल किछु मदति करी। 30 ओ सभ एहिना करबो कयलनि, आ बरनबास और साउलक हाथेँ अपन दान मण्डलीक देख-रेख कयनिहार सभ लग पठा देलथिन।
1 एही समय मे राजा हेरोद मण्डलीक किछु विश्वासी सभ पर अत्याचार करबाक लेल हुनका सभ केँ बन्दी बना लेलनि। 2 ओ यूहन्नाक भाय याकूब केँ तरुआरि सँ मरबा देलनि। 3 जखन ओ देखलनि जे एहि घटना सँ यहूदी सभ प्रसन्न भेल अछि तँ ओ पत्रुस केँ सेहो पकड़बा लेलनि। ई “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि”क समय मे भेल। 4 पत्रुस केँ बन्दी बना कऽ जहल मे रखबा देलनि, आ चारि-चारि सैनिकक चारिटा दलक पहरा मे राखि देलनि। हेरोद सोचलनि जे पत्रुस केँ फसह-पाबनिक बाद जनताक सामने न्यायक लेल उपस्थित करायब। 5 तँ पत्रुस जहल मे छलाह, मुदा एम्हर विश्वासी सभ पूरा मोन सँ पत्रुसक लेल परमेश्वर सँ प्रार्थना कऽ रहल छलाह। 6 जाहि दिन राजा हेरोद पत्रुस केँ जनताक समक्ष अनबाक विचार कयने छलाह, ओहि सँ पहिलुके राति मे पत्रुस दू सैनिकक बीच, दूनू कात जिंजीर सँ बान्हल, सुतल छलाह। द्वारि लग सेहो सैनिक सभ पहरा दऽ रहल छल। 7 एकाएक प्रभुक एक स्वर्गदूत पत्रुस लग जहल मे ठाढ़ भेलाह। सम्पूर्ण कोठली प्रकाशमय भऽ गेल। स्वर्गदूत पत्रुस केँ हिला कऽ जगौलनि आ कहलथिन, “जल्दी उठह!” तुरत हिनकर दूनू हाथ सँ जिंजीर खुजि कऽ खसि पड़ल। 8 स्वर्गदूत कहलथिन, “कपड़ा सम्हारि लैह, आ चप्पल पहिरि लैह।” पत्रुस ओहिना कयलनि। तखन स्वर्गदूत कहलथिन, “चद्दरि ओढ़ि लैह आ हमरा पाछाँ आबह।” 9 ओ हुनका पाछाँ-पाछाँ जहल सँ बाहर अयलाह, मुदा हुनका निश्चित भान नहि भऽ रहल छलनि जे स्वर्गदूत जे कऽ रहल छथि से सही घटना अछि—हुनका होइत छलनि जे हम कोनो तरहक सपना देखि रहल छी। 10 ओ सभ पहिल और दोसर पहरेदार केँ टपि कऽ लोहाक मुख्य फाटक लग पहुँचलाह। हुनका सभ केँ पहुँचतहि ओ फाटक अपने सँ खुजि गेल, और ओ सभ निकलि कऽ शहर मे प्रवेश कऽ गेलाह। ओ सभ जखन गलीक अन्त तक गेलाह तँ स्वर्गदूत एकाएक पत्रुस केँ छोड़ि कऽ चल गेलाह। 11 तखन हिनका होश भेलनि आ बजलाह, “आब तँ निश्चय जानि गेलहुँ जे ठीके प्रभु अपन स्वर्गदूत पठा कऽ हेरोदक हाथ सँ और जे बात यहूदी सभ चाहैत छल, ताहि सभ सँ हमरा बचौलनि।” 12 ई बात बुझि ओ यूहन्ना, जिनकर दोसर नाम मरकुस छलनि, तिनकर माय मरियमक ओतऽ गेलाह, जतऽ बहुत लोक जमा भऽ कऽ प्रार्थना कऽ रहल छलाह। 13 पत्रुस बाहर सँ केबाड़ खटखटौलनि। एक नोकरनी, जकर नाम रोदा छलैक, से केबाड़ खोलबाक लेल आयल। 14 पत्रुसक आवाज चिन्हि कऽ ओ ततेक खुश भेल जे बिनु केबाड़ खोलनहि ओ ई कहैत भीतर दौड़ि कऽ गेल जे, “पत्रुस बाहर छथि!” 15 ओ सभ ओकरा कहलथिन, “तोँ बताहि छह!” मुदा ओ जखन बहुत जोर दऽ कऽ कहैत रहल जे वैह छथि तखन ओ सभ बजलाह, “हुनकर रक्षा करऽ वला स्वर्गदूत होयतनि।” 16 एम्हर पत्रुस केबाड़ खटखटबिते रहलाह। ओ सभ जखन खोलि कऽ हुनका देखलथिन तँ चकित रहि गेलाह। 17 पत्रुस हुनका सभ केँ शान्त होयबाक लेल हाथ सँ संकेत कयलनि आ कहऽ लगलथिन जे प्रभु कोना जहल सँ मुक्त कऽ देलनि। तखन कहलथिन, “ई सभ बात याकूब और दोसरो भाय सभ केँ कहि देबनि।” ई कहि ओ ओतऽ सँ दोसर ठाम चल गेलाह। 18 प्रात भेने जहल मे पहरेदारक बीच बड़का खलबली मचि गेल जे पत्रुस की भऽ गेल? 19 राजा हेरोद हुनका खोजबाक हुकुम देलथिन, मुदा ओ नहि भेटलथिन। तेँ हेरोद सैनिक सभ सँ पूछ-ताछ कऽ कऽ ओकरा सभ केँ मृत्युदण्डक आज्ञा देलथिन। तखन हेरोद यहूदिया प्रदेश छोड़ि कैसरिया नगर जा कऽ रहऽ लगलाह। 20 हेरोद सूर और सीदोनक लोक सभ पर खिसिआयल छलाह। तेँ ओ सभ मिलि कऽ हेरोद सँ भेँट करबाक लेल पहुँचल। राजभवनक मुख्यकर्मचारी ब्लास्तुस केँ अपना पक्ष मे कऽ कऽ हुनका माध्यम सँ राजा लग मेल करबाक प्रस्ताव रखलक, कारण ओकरा सभक भोजनक वस्तु हेरोदक देश सँ अबैत छलैक। 21 निश्चित कयल दिन अयला पर राजा हेरोद राजसी वस्त्र पहिरने ओकरा सभक सामने सिंहासन पर बैसलाह और भाषण देलनि। 22 भाषण सुनि लोक सभ जोर-जोर सँ प्रशंसा करऽ लागल जे, “ई तँ मनुष्य नहि, देवते बाजि रहल छथि!” 23 एहि पर परमेश्वरक स्वर्गदूत हेरोद केँ ओही क्षण कष्ट सँ पीड़ित कऽ देलथिन, कारण जे स्तुति-प्रशंसा परमेश्वर केँ देबाक चाही से ओ नहि देलथिन। और हुनका देह मे पिलुआ फड़ि गेलनि और ओ मरि गेलाह। 24 मुदा परमेश्वरक वचन पसरैत गेल और लोक सभ मे ओकर प्रभाव बढ़ैत गेल। 25 एम्हर बरनबास और साउल दान पहुँचाबऽ वला काज पूरा कऽ कऽ यरूशलेम सँ घूमि अयलाह आ अपना संग यूहन्ना जिनकर दोसर नाम मरकुस छलनि, तिनको लेने अयलाह।
1 अन्ताकियाक मण्डली मे ई सभ परमेश्वरक प्रवक्ता आ शिक्षक छलाह—बरनबास, सिमियोन, जे करिया कहबैत छलाह, कुरेन निवासी लूकियुस, मनेन, जे शासक हेरोदक संग पोसल गेल छलाह, और साउल। 2 एक दिन जखन ओ सभ उपासक संग प्रभुक आराधना कऽ रहल छलाह, तखन पवित्र आत्मा कहलथिन, “हमर ओहि काजक लेल बरनबास और साउल केँ अलग कऽ दिअ जाहि काजक लेल हम हुनका सभ केँ चुनने छी।” 3 तँ ओ सभ उपास आ प्रार्थना कऽ कऽ हुनका सभ पर हाथ राखि विदा कयलथिन। 4 ई दूनू गोटे पवित्र आत्माक आदेशक अनुसार सिलूकिया चल गेलाह आ ओतऽ सँ पानि जहाज सँ साइप्रस द्वीप गेलाह। 5 ओ सभ सलामिस शहर पहुँचि कऽ यहूदी सभक सभाघर सभ मे परमेश्वरक वचनक प्रचार कयलनि। हुनका सभक संग सहयोग करबाक लेल यूहन्ना-मरकुस सेहो छलनि। 6 तखन ओ सभ पूरा द्वीपक यात्रा करैत द्वीपक दोसर कात पाफुस नगर पहुँचलाह। ओतऽ हुनका सभ केँ बारयीशु नामक एक यहूदी भेटलनि, जे जादूगर छल आ झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहैत छल। 7 ओ प्रदेशक राज्यपाल सिरगियुस-पौलुसक संगी छल। राज्यपाल सिरगियुस एक विचारशील लोक छलाह। ओ बरनबास आ साउल केँ अपना ओहिठाम बजबौलनि जाहि सँ ओ हुनका सभ सँ परमेश्वरक वचन सुनि सकथि। 8 मुदा ओ जादूगर, जकर नाम यूनानी भाषा मे एलिमास छलैक, से हिनका सभक विरोध कऽ कऽ राज्यपाल केँ विश्वास करऽ सँ रोकबाक कोशिश कयलक। 9 तखन साउल, जे पौलुस सेहो कहबैत छलाह, पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ जादूगर एलिमास दिस एकटक लगा कऽ तकैत कहलथिन, 10 “हे शैतानक पुत्र! हे सभ सत्कर्मक दुश्मन! तोँ सभ तरहक छल-प्रपंच आ बइमानी सँ भरल छेँ! की तोँ प्रभुक सोझ बाट केँ टेढ़ बनौनाइ कहियो नहि छोड़बेँ? 11 देख! आब प्रभुक हाथ तोरा विरोध मे उठलौ अछि। तोँ एखन आन्हर भऽ जयबेँ आ किछु काल तक सूर्यक प्रकाश नहि देखबेँ।” तखने ओकरा आगाँ मे धुनि जकाँ बुझायल और ओकर आँखि अन्हरा गेलैक। ओ एम्हर-ओम्हर हथोड़ऽ लागल जाहि सँ केओ भेटय जे हाथ पकड़ि कऽ लऽ जाय। 12 राज्यपाल ई घटना देखि विश्वास कयलनि। ओ प्रभुक शिक्षा सँ चकित छलाह। 13 तखन पौलुस और हुनकर संगी सभ पाफुस सँ पानि जहाज सँ पंफूलिया प्रदेशक पर्गा नगर गेलाह। ओतऽ सँ यूहन्ना-मरकुस हुनका सभ केँ छोड़ि कऽ यरूशलेम घूमि गेलाह। 14 ई सभ पर्गा सँ आगाँ पिसिदिया अंचलक अन्ताकिया नगर पहुँचलाह, और विश्राम-दिन मे यहूदी सभक सभाघर मे जा कऽ बैसलाह। 15 धर्म-नियम आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक पुस्तक सँ पाठ पढ़ल गेलाक बाद, सभाघरक अधिकारी लोकनि हिनका सभ लग एहि बातक कहा पठौलथिन जे, “यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ जँ लोक सभक प्रोत्साहनक लेल किछु कहऽ चाहैत छी, तँ कहू।” 16 एहि पर पौलुस उठलाह, आ लोक सभ केँ हाथ सँ शान्त रहबाक संकेत करैत कहऽ लगलाह, “इस्राएली भाइ लोकनि और परमेश्वर मे श्रद्धा रखनिहार सभ गोटे, हमर बात सुनू! 17 इस्राएली जातिक परमेश्वर अपना सभक पूर्वज सभ केँ चुनलनि आ मिस्र देश मे प्रवास करैत काल हुनका सभक वंशक वृद्धि कयलनि। तखन ओ अपन महान् शक्ति द्वारा हुनका सभ केँ ओहि देश सँ निकालि लेलनि। 18 चालिस वर्ष धरि ओ निर्जन क्षेत्र मे हुनका सभक व्यवहार सहन कयलनि। 19 तखन ओ कनान देशक सात जाति केँ विनाश करबा कऽ ओ देश हुनका सभक अधिकार मे दऽ देलथिन। 20 ई सभ काज पूरा होमऽ मे करीब 450 वर्ष बिति गेल। “तहिया सँ लऽ कऽ शमूएल प्रवक्ताक समय धरि परमेश्वर हुनका सभ केँ प्रशासक सभ देलथिन। 21 तखन इस्राएली लोक जखन परमेश्वर सँ एकटा राजा मँगलनि तँ ओ हुनका सभक लेल बिन्यामीन कुलक कीशक पुत्र शाउल केँ नियुक्त कयलनि, जे चालिस वर्ष धरि हुनका सभक राजा रहलाह। 22 तखन शाउल केँ हटा कऽ परमेश्वर दाऊद केँ हुनका सभक राजा बना देलथिन। दाऊदक सम्बन्ध मे ओ ई बात कहलनि, ‘यिशयक बेटा दाऊद हमर मोन पसन्दक लोक अछि। जे किछु हम चाहैत छी जे ओ करय, से सभ काज ओ करत।’ 23 एही आदमीक वंश मे सँ परमेश्वर अपन देल वचनक अनुसार इस्राएलक लेल एक उद्धारकर्ता, अर्थात् यीशु केँ, उत्पन्न कयलनि। 24 यीशुक अयबाक तैयारी मे यूहन्ना इस्राएलक सभ लोकक बीच एहि बातक प्रचार कयलनि जे, अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करू आ बपतिस्मा लिअ। 25 जखन यूहन्ना अपन काज समाप्त करऽ वला छलाह तखन ओ कहलनि, ‘तोँ सभ हमरा जे बुझि रहल छह, से हम नहि छी! मुदा ओ हमरा पाछाँ आबि रहल छथि और हम तँ हुनकर चप्पलो फोलऽ जोगरक नहि छी।’ 26 “यौ भाइ लोकनि, अब्राहमक वंशज आ परमेश्वर पर श्रद्धा रखनिहार आरो जातिक लोक सभ, सुनू! अपना सभ गोटेक लेल ई उद्धारक शुभ समाचार पठाओल गेल अछि! 27 यरूशलेमक निवासी और ओकरा सभक धर्मगुरु सभ यीशु केँ नहि चिन्हलकनि, आ ने परमेश्वरक प्रवक्ता सभक बात बुझलक जे प्रत्येक विश्राम-दिन सभाघर मे पढ़ल जाइत अछि, ओना तँ हुनका मृत्युदण्ड दऽ कऽ ओ सभ बिनु बुझने ओहि प्रवक्ता सभक भविष्यवाणी सभ पूरा कयलक। 28 ओकरा सभ केँ हुनका मृत्युदण्ड देबाक लेल कोनो आधार नहि भेटलैक, मुदा तैयो पिलातुस सँ माँग कयलक जे हुनका मारिए देल जानि। 29 हुनका विषय मे पहिने सँ लिखल सभ बात ओकरा सभ द्वारा पूरा भेलाक बाद ओ सभ हुनका क्रूस पर सँ उतारि कऽ कबर मे राखि देलकनि। 30 मुदा परमेश्वर हुनका मृत्यु सँ जिआ देलथिन। 31 और ओ बहुत दिन धरि ओहि लोक सभ केँ दर्शन दैत रहलाह जे लोक हुनका संग गलील सँ यरूशलेम आयल छलनि। यैह लोक सभ आब जनताक सामने हुनकर गवाह अछि। 32 “हम सभ ई खुशीक खबरि अहाँ सभ केँ सुनयबाक लेल आयल छी जे, जाहि बातक वचन परमेश्वर अपना सभक पूर्वज सभ केँ देने रहथि 33 से ओ यीशु केँ जिआ कऽ हुनका सभक सन्तानक लेल, अर्थात् अपना सभक लेल, पूरा कयलनि। जेना धर्मशास्त्रक ‘भजन-संग्रह’क दोसर भजन मे सेहो लिखल अछि, ‘अहाँ हमर पुत्र छी, 2 आइ हम अहाँ केँ उत्पन्न कयलहुँ।’ 34 और ई बात जे, परमेश्वर हुनका मृत्यु मे सँ जिआ देलथिन जाहि सँ ओ फेर कहियो नहि मरथि, ताहि बातक वचन ओ एहि शब्द मे देने रहथि, ‘पवित्र और अटल आशिषक वचन 2 जे दाऊद केँ देल गेल, 2 से हम तोरा सभ मे पूरा करबह।’ 35 तहिना दोसर ठाम लिखल अछि, ‘अहाँ अपन पवित्र सेवक केँ नहि सड़ऽ देब।’ 36 “दाऊद तँ अपन पीढ़ी मे परमेश्वरक उद्देश्य पूरा कयलनि आ मरलाह । ओ अपन पुरखा सभ लग कबर मे राखल गेलाह आ हुनकर शरीर सड़ि गेलनि। 37 मुदा जिनका परमेश्वर मृत्यु मे सँ जिआ देलथिन, से सड़लाह नहि। 38 तेँ प्रिय भाइ लोकनि, अहाँ सभ ई बात बुझि लिअ जे यीशुए द्वारा अहाँ सभ पापक क्षमा प्राप्त कऽ सकैत छी। 39 जे केओ हुनका पर विश्वास करैत अछि, से सभ धार्मिक ठहराओल जाइत अछि, और पाप सँ मुक्त भऽ जाइत अछि। ई बात मूसाक धर्म-नियम द्वारा नहि भऽ सकल छल। 40 एहि लेल सावधान होउ! एना नहि होअय जे परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक ई बात अहाँ सभक संग भऽ जाय— 41 ‘हे निन्दा कयनिहार लोक सभ! 2 देखह, चकित होअह आ नष्ट भऽ जाह! कारण हम तोहर समय मे एहन काज कऽ रहल छी 2 जे जँ केओ ओहि सम्बन्ध मे तोरा कहबो करतह 2 तँ तोँ ओकर विश्वास नहि करबह।’” 42 जखन पौलुस और बरनबास सभाघर सँ बाहर भऽ रहल छलाह तँ लोक सभ हुनका सभ सँ विनती कयलक जे अगिलो विश्राम-दिन मे एहि बात सभक सम्बन्ध मे आरो सुनबथि। 43 सभा समाप्त भेला पर बहुतो यहूदी आ यहूदी धर्म मानऽ वला आन जातिक भक्त सभ पौलुस आ बरनबासक संग भऽ गेल। पौलुस आ बरनबास ओकरा सभ सँ बात-चीत कयलनि आ परमेश्वरक कृपा पर भरोसा रखने रहबाक लेल सिखौलथिन। 44 अगिला विश्राम-दिन प्रभुक वचन सुनबाक लेल करीब सौंसे नगरक लोक जुटि गेल। 45 भीड़ केँ देखि कऽ यहूदी सभ डाह सँ भरि गेल आ पौलुस केँ अपमानित करैत ओ जे बजैत छलाह तकर विरोध करऽ लागल। 46 तखन पौलुस और बरनबास निर्भय भऽ कऽ ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “परमेश्वरक वचन हमरा सभ केँ पहिने अहाँ सभ केँ सुनाबऽ पड़ल। मुदा अहाँ सभ ओकर अस्वीकार कऽ रहल छी आ अपना केँ अनन्त जीवनक लेल योग्य नहि बुझैत छी। तेँ हम सभ आब दोसर जाति सभ केँ परमेश्वरक वचन सुनाबऽ जाइत छी। 47 कारण एहि तरहेँ प्रभु हमरा सभ केँ ई कहि कऽ आज्ञा देने छथि, ‘हम तोरा आन जाति सभक लेल प्रकाश नियुक्त कयने छिअह, 2 जे तोँ पृथ्वीक अन्तिम सीमा तक हमर उद्धार पहुँचाबह।’” 48 ई बात सुनि गैर-यहूदी जातिक लोक सभ बड्ड खुश भेल आ प्रभुक वचनक प्रशंसा करऽ लागल। और जे सभ अनन्त जीवनक लेल ठहराओल गेल छल, से सभ प्रभु पर विश्वास कयलक। 49 एहि तरहेँ प्रभुक वचन सम्पूर्ण क्षेत्र मे पसरि गेल। 50 मुदा यहूदी सभ परमेश्वर केँ मानऽ वला गैर-यहूदी जातिक स्त्रीगण सभ केँ जे सभ धनिक वर्गक छलि आ ओहि शहरक प्रतिष्ठित पुरुष सभ केँ चढ़ा-बढ़ा कऽ पौलुस आ बरनबासक विरोध मे उपद्रव करबाक लेल भड़का देलक और हुनका सभ केँ ओहि क्षेत्र सँ भगा देलकनि। 51 एहि पर पौलुस आ बरनबास ओकरा सभक विरोध मे चेन्ह स्वरूप पयरक गर्दा ओतहि झाड़ि लेलनि आ इकुनियुम नगर चल गेलाह। 52 एम्हर अन्ताकियाक शिष्य सभ बहुत आनन्दित आ पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण छलाह।
1 करीब वैह बात इकुनियुम मे सेहो भेल—पौलुस आ बरनबास यहूदी सभक सभाघर मे गेलाह, और एहन उपदेश देलनि जे बहुतो यहूदी और आन जातिक लोक सभ विश्वास कऽ लेलक। 2 मुदा जे यहूदी सभ विश्वास नहि करऽ चाहलक, से सभ आन जातिक लोक केँ बहकाबऽ लागल आ ओकरा सभक मोन मे विश्वासी भाय सभक प्रति दुश्मनी उत्पन्न कऽ देलकैक। 3 पौलुस आ बरनबास ओतऽ बहुत दिन धरि रहलाह आ निडर भऽ प्रभु यीशुक लेल प्रचार करैत रहलाह। प्रभु हुनका सभक माध्यम सँ आश्चर्यपूर्ण चिन्ह आ चमत्कारक काज सभ कऽ कऽ अपन कृपाक विषय मे हुनका सभक प्रचार केँ सत्य ठहरौलनि। 4 शहरक लोक मे आब फूट पड़ि गेल—किछु लोक यहूदी सभक संग भऽ गेल, आ किछु लोक मसीह-दूत सभक संग। 5 जखन आन जातिक लोक आ यहूदी सभ अपन अधिकारी सभक संग मिलि कऽ हिनका सभ केँ अपमानित करबाक आ पथरबाहि कऽ मारि देबाक लेल नियारलक, 6 तँ ई बात हिनको सभ केँ बुझऽ मे आबि गेलनि, आ तुरत लुकाउनिया क्षेत्रक लुस्त्रा और दरबे नगर मे भागि गेलाह। 7 ओ सभ ओहि नगर सभ मे आ लग-पासक देहात मे शुभ समाचारक प्रचार करैत रहलाह। 8 लुस्त्रा नगर मे एक लोथ आदमी बैसल छल। ओ जन्मे सँ लोथ छल आ कहियो चलल नहि छल। 9 ई आदमी पौलुसक प्रवचन सुनि रहल छल। पौलुस ओकरा टकटकी लगा कऽ देखलथिन आ ई देखि जे ओकरा ई विश्वास छैक जे हम स्वस्थ भऽ सकैत छी, 10 ओ जोर सँ ओहि आदमी केँ कहलथिन, “अपन पयर पर सोझ भऽ कऽ ठाढ़ होउ!” एहि पर ओ छरपि कऽ ठाढ़ भेल आ चलऽ-फिरऽ लागल। 11 भीड़क लोक सभ जखन देखलक जे पौलुस की कयलनि, तँ ओ सभ लुकाउनियाक भाषा मे जोर-जोर सँ बाजि कऽ कहऽ लागल, “देवता सभ मनुष्य बनि कऽ हमरा सभक बीच अयलाह अछि!” 12 बरनबास केँ ओ सभ “ज्यूस-देवता” सँ सम्बोधन करऽ लगलनि, आ पौलुस केँ “हिरमेस-देवता,” कारण पौलुस मुख्य बाजऽ वला छलाह। 13 ज्यूस-देवताक पुजारी, जकर मन्दिर शहर सँ बाहर छल, से बड़का भीड़क संग हुनका सभ लग पशु-बलि चढ़यबाक लेल बड़द आ फूलक माला सभ लऽ कऽ शहरक प्रवेश-द्वारि लग आयल। 14 मुदा बरनबास आ पौलुस ई सुनि कऽ विरोध स्वरूप अपन वस्त्र फाड़लनि आ ओहि भीड़ मे दौड़ि कऽ गेलाह आ ओकरा सभ केँ जोर सँ कहऽ लगलाह, 15 “अहाँ सभ ई की कऽ रहल छी?! हमहूँ सभ अहीं सभ जकाँ मनुष्ये छी! हम सभ अहाँ सभ केँ ई शुभ समाचार सुनयबाक लेल आयल छी जे अहाँ सभ निरर्थक मुरुतक पूजा-पाठ कयनाइ छोड़ि कऽ जीवित परमेश्वर जे आकाश, पृथ्वी, समुद्र और ओहि मे जे किछु अछि, तकर सभक रचना कयने छथि, तिनका पर विश्वास करू। 16 प्राचीन समय मे ओ सभ जाति केँ अपना-अपना रस्ता पर चलऽ देलनि, 17 तैयो ओ अपना भलाइक काज द्वारा मनुष्य जाति केँ अपना बारे मे साक्षी दैत रहलाह—ओ अहाँ सभ केँ आकाश सँ वर्षा आ ठीक समय पर उपजा दैत छथि। अहाँ सभ केँ भोजनक वस्तु सँ तृप्त करैत छथि और अहाँ सभक मोन केँ हर्षित करैत छथि।” 18 ई सभ बात कहलाक बादो ओ सभ ओकरा सभ केँ बहुत मुश्किल सँ मना सकलाह जे हमरा सभ लग बलि नहि चढ़ाउ। 19 तखन अन्ताकिया और इकुनियुम सँ यहूदी सभ आयल और जनता केँ अपना पक्ष मे कऽ कऽ पौलुस पर पथरबाहि कयलक, आ हुनका मरल बुझि कऽ शहर सँ बाहर घिसिआ कऽ धऽ अयलनि। 20 मुदा शिष्य सभ जखन हुनका चारू कात जमा भेलनि तँ हुनका होश अयलनि और ओ उठि कऽ शहर मे गेलाह। प्रात भेने ओ बरनबासक संग दरबे नगर चल गेलाह। 21 ओहू नगर मे ओ सभ शुभ समाचारक प्रचार कयलनि, और बहुत शिष्य सभ बना कऽ लुस्त्रा, इकुनियुम आ अन्ताकिया नगर घूमि अयलाह। 22 एहि नगर सभ मे ओ सभ शिष्य सभक हिम्मत बढ़बैत ओकरा सभ केँ विश्वास मे स्थिर रहबाक लेल प्रोत्साहित करैत छलाह, और कहैत छलाह जे “परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश करबाक लेल अपना सभ केँ बहुत कष्ट सहऽ पड़त।” 23 ओ सभ शिष्य सभक लेल प्रत्येक मण्डली मे देख-रेख कयनिहार सभ केँ नियुक्त कयलथिन और उपास आ प्रार्थना कऽ कऽ प्रभु यीशु, जिनका पर ओ सभ विश्वास रखने छलाह, तिनका हाथ मे सौंपि देलथिन। 24 ओतऽ सँ पौलुस आ बरनबास पिसिदिया अंचल दऽ कऽ पंफूलिया प्रदेश मे अयलाह। 25 ओहि अंचलक पर्गा नगर मे शुभ समाचार सुना कऽ अतालिया नगर अयलाह। 26 ओतऽ सँ ओ सभ पानि जहाज सँ ⌞सीरिया प्रदेशक⌟ अन्ताकिया नगर मे घूमि अयलाह, जतऽ विश्वासी भाय सभ हुनका सभ केँ परमेश्वरक जिम्मा मे ओहि काजक लेल सौंपि देने छलनि, जाहि काज केँ ओ सभ आब पूरा कऽ लेने छलाह। 27 ओ सभ ओहिठाम पहुँचि कऽ मण्डली केँ जमा कऽ कऽ सुनौलनि जे परमेश्वर हुनका सभक द्वारा केहन-केहन काज कयलनि, आ कोना परमेश्वर गैर-यहूदी लोकक लेल विश्वासक द्वारि खोलि देलनि। 28 ओ सभ अन्ताकिया मे शिष्य सभक संग बहुत दिन धरि रहलाह।
1 तखन किछु लोक यहूदिया प्रदेश सँ अन्ताकिया मे आबि कऽ विश्वासी भाय सभ केँ एहि तरहेँ सिखाबऽ लागल जे, “जाबत धरि अहाँ सभ मूसाक प्रथाक अनुसार अपना शरीर मे खतनाक चेन्ह नहि कऽ लेब, ताबत धरि अहाँ सभक उद्धार नहि भऽ सकत।” 2 एहि विषय पर ओकरा सभक संग पौलुस आ बरनबास केँ बहुत झगड़ा आ वाद-विवाद भऽ गेलनि। अन्त मे ई निश्चय कयल गेल जे पौलुस, बरनबास आ ओहिठामक आरो किछु विश्वासी भाय सभ यरूशलेम जाथि आ एहि प्रश्नक विषय मे ओतऽ मसीह-दूत सभ और मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनिक संग बात करथि। 3 अन्ताकियाक मण्डली हुनका सभ केँ विदा कयलकनि। ओ सभ फीनिकी आ सामरिया प्रदेश दऽ कऽ गेलाह आ ओहिठामक विश्वासी भाय सभ केँ ई खबरि सुनौलनि जे कोना गैर-यहूदी लोक सभ सेहो विश्वास कयलनि, जकरा सुनि कऽ सभ विश्वासी भाय अति आनन्दित भेलाह। 4 पौलुस आ बरनबास जखन यरूशलेम पहुँचलाह तँ ओहिठामक मण्डली, मसीह-दूत आ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार सभ हुनका सभक स्वागत कयलथिन। तखन पौलुस आ बरनबास हुनका सभ केँ सुनाबऽ लगलाह जे परमेश्वर हुनका सभक माध्यम सँ केहन-केहन काज सभ कयलनि। 5 एहि पर फरिसी दलक किछु लोक, जे विश्वासी भऽ गेल छल, से सभ उठि कऽ कहऽ लागल, “अन्यजातिक विश्वासी सभ केँ खतना करौनाइ जरूरी अछि, और ओकरा सभ केँ आज्ञा देल जाय जे ओ सभ मूसाक धर्म-नियमक पालन करय।” 6 एहि बातक सम्बन्ध मे विचार-विमर्श करबाक लेल, मसीह-दूत आ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनि एक ठाम जमा भेलाह। 7 बहुत काल धरि घमर्थन भेलाक बाद, पत्रुस उठि कऽ कहलनि, “यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ केँ बुझल अछि जे बहुत दिन पहिने परमेश्वर अहाँ सभ मे सँ हमरा एहि लेल चुनलनि जे गैर-यहूदी लोक सभ हमरा मुँह सँ शुभ समाचार सुनय आ विश्वास करय। 8 मोनक बात बुझऽ वला परमेश्वर अपना सभ जकाँ ओकरो सभ केँ अपन पवित्र आत्मा प्रदान कऽ कऽ एहि बातक प्रमाण देलनि जे ओकरा सभ केँ ओ स्वीकार कयलनि। 9 अपना सभ और ओकरा सभ मे ओ कोनो भेद नहि रखलनि—ओ ओकरा सभक मोन विश्वासेक द्वारा शुद्ध कयलनि। 10 तेँ अहाँ सभ आब किएक विश्वासी सभक कान्ह पर एहन जुआ लादि कऽ परमेश्वर केँ जँचैत छियनि, जकरा ने अपना सभ आ ने अपना सभक पूर्वज लोकनि खीचि सकलाह? 11 नहि! अपना सभक विश्वास अछि जे अपना सभक उद्धार प्रभु यीशुक कृपेक कारणेँ भेल अछि—जेना ओकरा सभक तेना अपनो सभक।” 12 ई बात सुनि कऽ सभाक सभ लोक चुप भऽ गेलाह, और पौलुस आ बरनबासक बात सुनऽ लगलाह जे परमेश्वर हुनका सभक द्वारा केहन-केहन आश्चर्यपूर्ण चिन्ह आ चमत्कार सभ गैर-यहूदी लोक सभक बीच कयलनि। 13 हुनका सभक बात जखन समाप्त भेलनि तखन याकूब बजलाह, “यौ भाइ लोकनि, हमर बात सुनू! 14 परमेश्वर कोना शुरू मे दोसरो जाति सभ पर दया कऽ कऽ ओकरा सभ केँ अपन लोक बना लेलनि, तकरा सम्बन्ध मे सिमोन एखने कहलनि, 15 आ हिनकर ई बात परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक बात सँ सेहो मिलैत अछि, जेना लिखल अछि, 16 ‘एकरा बाद हम घूमि कऽ आयब, 2 आ दाऊदक खसल घर केँ फेर उठायब। ओकर ढहलाहा भाग केँ फेर बनायब, 2 ओकर पुनः निर्माण करब, 17 जाहि सँ बाँकी सभ लोक सेहो हमरा ताकय, 2 अर्थात् दोसर जातिक ओ लोक सभ, 2 जकरा सभ केँ हम एहि लेल बजौलहुँ जे ओ सभ हमर बनय। 18 ई बात कहऽ वला हम ओ परमेश्वर छी 2 जे प्राचीन काल सँ एहि बात केँ स्पष्ट करैत आयल छी।’ 19 “एहि लेल दोसर जातिक लोक सभ जे अपना बाट केँ छोड़ि कऽ परमेश्वर लग आबि रहल अछि, तकरा सभक लेल अपना सभ कठिनाइ नहि उत्पन्न करी, से हमर विचार अछि। 20 तेँ ओकरा सभ केँ लिखि पठा देल जाय जे ओ सभ एहि बात सभ सँ बाँचल रहथु—मूर्ति पर चढ़यबाक कारणेँ अशुद्ध भेल वस्तु सभ सँ, अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध सँ, कण्ठ दबा कऽ मारल ⌞अर्थात्, बिनु खून बहा कऽ मारल⌟ पशुक माँसु सँ आ खूनक खान-पान सँ। 21 कारण, प्राचीन काल सँ तँ मूसाक धर्म-नियमक प्रचार नगर-नगर मे कयल जाइत अछि, आ हुनकर लेख प्रत्येक विश्राम-दिन सभाघर सभ मे पढ़ल जाइत अछि।” 22 तखन मसीह-दूत सभ आ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनि पूरा मण्डलीक संग मिलि कऽ निर्णय कयलनि जे अपना सभ मे सँ किछु गोटे केँ चुनि कऽ पौलुस आ बरनबासक संग अन्ताकिया पठाबी। तँ यहूदा, जिनकर दोसर नाम बरसब्बा छलनि, आ सिलास केँ ओ सभ चुनलनि। हुनका सभ केँ विश्वासी भाय सभ विशेष मानैत छलनि। 23 हुनके सभक हाथेँ ओ सभ ई चिट्ठी पठौलनि— प्रिय अन्ताकिया, सीरिया आ किलिकियाक निवासी गैर-यहूदी विश्वासी भाय सभ, अहाँ सभ केँ मसीह-दूत आ यरूशलेमक मण्डलीक देख-रेख कयनिहार अहाँ सभक भाय लोकनिक दिस सँ नमस्कार। 24 हमरा सभ केँ सुनबा मे आयल अछि जे हमरा सभ मे सँ किछु गोटे अहाँ सभक ओहिठाम जा कऽ अपना बात द्वारा दुःख देने अछि। हम सभ ओकरा सभ केँ एहि तरहक कोनो आदेश नहि देने छलिऐक। 25 तेँ हम सभ एक ठाम जमा भऽ कऽ सभक सहमति सँ दू आदमी केँ अहाँ सभ लग पठयबाक निर्णय कयलहुँ। 26 हमरा सभक प्रिय मित्र पौलुस आ बरनबास, जिनकर जान अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक नामक कारणेँ जाय लागल छलनि, 27 तिनका सभक संग हम सभ एहि दूनू भाय यहूदा आ सिलास केँ अहाँ सभ लग पठा रहल छी। ओ सभ अपन मुँहो सँ यैह बात कहि देताह जे एहि पत्र मे लिखल अछि। 28 पवित्र आत्मा केँ आ हमरा सभ केँ ई उचित बुझायल जे निम्नलिखित आवश्यक बात सभ केँ छोड़ि कऽ आरो कोनो बातक बोझ अहाँ सभ पर नहि लादी— 29 मूर्ति पर चढ़ाओल खयबाक वस्तु सँ, खूनक खान-पान सँ, कण्ठ दबा कऽ मारल ⌞अर्थात् बिनु खून बहा कऽ मारल⌟ पशुक माँसु सँ, आ अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध सँ बँचू। एहि बात सभ सँ दूर रहला सँ अहाँ सभक भलाइ होयत। शेष शुभ। 30 हुनका सभ केँ मण्डलीक लोक विदा कयलकनि, आ ओ सभ अन्ताकिया गेलाह। ओतऽ पहुँचि कऽ ओ सभ मण्डलीक लोक केँ बजा कऽ चिट्ठी देलथिन। 31 ओ सभ चिट्ठी पढ़ि प्रोत्साहनक एहन बात सँ अति आनन्दित भेलाह। 32 यहूदा आ सिलास, जे स्वयं परमेश्वरक प्रवक्ता छलाह, विभिन्न तरहक बात सँ विश्वासी भाय सभ केँ विश्वास मे मजगूत आ प्रोत्साहित कयलथिन। 33 यहूदा आ सिलास किछु दिन धरि अन्ताकिया मे रहलाह। तकरबाद विश्वासी भाय सभ हुनका सभ केँ आशीर्वाद दऽ कऽ, तिनका सभ लग विदा कऽ देलथिन जे सभ हुनका सभ केँ पठौने छलथिन। 34 [मुदा सिलास ओहीठाम रहबाक निर्णय कयलनि।] 35 पौलुस आ बरनबास अन्ताकिया मे रहि गेलाह, जतऽ ओ सभ, आ दोसरो बहुत गोटे, प्रभुक वचनक शिक्षा दैत रहलाह आ शुभ समाचार सुनबैत रहलाह। 36 किछु समय बितला पर पौलुस बरनबास केँ कहलथिन, “चलू! जाहि-जाहि नगर मे अपना सभ प्रभुक वचनक प्रचार कयने छी, ताहि-ताहि ठाम जा कऽ देखी जे ओतुक्का विश्वासी भाय सभ केहन छथि।” 37 बरनबास यूहन्ना केँ, जिनकर दोसर नाम मरकुस छलनि, सेहो संग लऽ जाय चाहैत छलाह, 38 मुदा पौलुस केँ ई बात उपयुक्त नहि बुझि पड़लनि जे, जे आदमी हुनका सभ केँ पंफूलिया प्रदेश मे छोड़ि देने छलनि आ जे हुनका सभक काज मे संग नहि देबऽ चाहलक, तकरा अपना संग मे लऽ जाइ। 39 एहि पर हुनका दूनू गोटे मे बहुत बड़का मतभेद भऽ गेलनि, और अन्त मे ओ सभ एक-दोसर सँ अलग भऽ गेलाह। बरनबास मरकुस केँ अपना संग लऽ पानि जहाज सँ साइप्रस द्वीप चल गेलाह। 40 पौलुस सिलास केँ चुनलनि। अन्ताकियाक भाय सभ हुनका सभ केँ प्रभुक कृपा पर सौंपि विदा कयलथिन। 41 ओ सभ सीरिया आ किलिकिया प्रदेश मे घूमि-घूमि कऽ ओहिठामक मण्डली सभ केँ विश्वास मे मजगूत करैत आगाँ बढ़ैत गेलाह।
1 ओ सभ दरबे आ लुस्त्रा नगर पहुँचलाह। ओतऽ तिमुथियुस नामक एक शिष्य छलाह, जिनकर माय प्रभु यीशु पर विश्वास कयनिहारि यहूदी जातिक छलीह, मुदा हुनकर पिता यूनानी छलनि। 2 लुस्त्रा आ इकुनियुम नगर मे रहऽ वला विश्वासी भाय सभ हुनका नीक लोक कहैत छल। 3 पौलुस हुनका अपना संग लऽ जाय चाहलनि, तेँ ओहिठामक यहूदी सभक कारणेँ ओ हुनकर खतना करबौलनि, कारण सभ केओ जनैत छल जे हुनकर पिता यहूदी नहि, बल्कि यूनानी अछि। 4 तखन पौलुस, सिलास आ तिमुथियुस शहर-शहर मे घूमि-घूमि कऽ विश्वासी सभ केँ ओ नियम आ निर्णय सभ सुना देलथिन आ पालन करबाक लेल सिखौलथिन, जे निर्णय मसीह-दूत सभ आ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनि यरूशलेम मे कयने छलाह। 5 एहि तरहेँ मण्डली सभक लोक सभ अपना विश्वास मे मजगूत होइत गेल, आ संख्या मे दिनानुदिन बढ़ैत गेल। 6 पौलुस आ हुनकर संगी सभ फ्रूगिया आ गलातिया प्रदेश दऽ कऽ गेलाह, कारण पवित्र आत्मा हुनका सभ केँ प्रभुक वचन सुनयबाक लेल आसिया प्रदेश मे जयबाक आज्ञा नहि देलथिन। 7 जखन ओ सभ मीसिया क्षेत्र आ बितूनिया प्रदेशक सीमा पर पहुँचलाह, तँ बितूनिया प्रदेश मे जयबाक कोशिश कयलनि, मुदा यीशुक आत्मा हुनका सभ केँ ओतऽ नहि जाय देलथिन। 8 तेँ ओ सभ मीसिया दऽ कऽ त्रोआस नगर गेलाह। 9 ओही राति पौलुस प्रभुक दिस सँ एक सपना देखलनि, जाहि मे मकिदुनिया निवासी एक आदमी ठाढ़ भेल एहि तरहेँ निवेदन करैत छलनि जे, “एहि पार मकिदुनिया प्रदेश मे आउ आ हमरा सभक मदति करू!” 10 पौलुस केँ एहि तरहक सपना देखलाक बाद, हम सभ तुरत्ते मकिदुनियाक लेल विदा होयबाक तैयारी करऽ लगलहुँ, ई बुझि जे परमेश्वरे ओकरा सभक बीच शुभ समाचार सुनयबाक लेल हमरा सभ केँ आदेश देलनि अछि। 11 त्रोआस नगर सँ पानि जहाज सँ हम सभ सोझे समुत्राके द्वीप तक गेलहुँ, आ दोसर दिन नियापुलस नगर तक। 12 ओतऽ सँ मकिदुनिया प्रदेशक फिलिप्पी नगर गेलहुँ, जे जिलाक प्रमुख शहर अछि आ रोमी सरकार द्वारा निर्माण कयल गेल अछि। ओतऽ हम सभ बहुत दिन धरि रहलहुँ। 13 हम सभ विश्राम-दिन मे शहरक बाहर नदीक कछेर दिस गेलहुँ ई सोचि कऽ जे, ओतऽ कोनो ठाम होयत जतऽ लोक प्रार्थना करबाक लेल जमा होइत अछि। ओहिठाम पहुँचि कऽ हम सभ बैसि गेलहुँ, आ ओतऽ जमा भेल स्त्रीगण सभ सँ बात-चीत करऽ लगलहुँ। 14 ओहि मे थूआतीरा नगरक एक लुदिया नामक स्त्री रहथि जे किमती रंगीन कपड़ाक व्यापार करैत छलीह। ओ परमेश्वर केँ माननिहारि छलीह आ हमरा सभक बात सुनि रहल छलीह। प्रभु हुनका मोनक द्वारि खोललनि जाहि सँ ओ पौलुसक बात पर ध्यान दऽ कऽ विश्वास करथि। 15 ओ पूरा परिवारक संग बपतिस्मा लेलनि आ हमरा सभ सँ आग्रह कयलनि जे, “अपने लोकनि जँ बुझैत छी जे हम वास्तव मे प्रभु पर विश्वास कयलहुँ तँ हमरा ओतऽ चलि कऽ रहल जाओ।” एना कहि ओ हमरा सभ केँ बाध्य कऽ देलनि जे हम सभ हुनका ओतऽ जाइ। 16 एक दिन हम सभ जखन प्रार्थना करऽ वला स्थान पर जा रहल छलहुँ तँ रस्ता मे एक गुलाम बच्ची हमरा सभ केँ भेटल, जकरा मे भविष्यक बात कहऽ वला दुष्टात्मा छलैक। ओ लोक सभ केँ भाग्यक बात सभ कहि कऽ अपना मालिक सभक लेल बहुत पाइ कमाइत छल। 17 ओ पौलुस आ हमरा सभक पाछाँ-पाछाँ आबि कऽ चिचियाय लागल, “ई सभ परम परमेश्वरक सेवक छथि और अहाँ सभ केँ उद्धारक बाटक विषय मे सुना रहल छथि।” 18 ओ बहुत दिन धरि एहिना करैत रहल। अन्त मे पौलुस एक दिन तंग भऽ कऽ ओकरा दिस तकैत ओहि दुष्टात्मा केँ कहलथिन, “हम तोरा यीशु मसीहक नाम सँ आज्ञा दैत छिऔ जे तोँ एकरा मे सँ निकल!” तखने ओ दुष्टात्मा ओहि बच्ची मे सँ निकलि गेल। 19 जखन बच्चीक मालिक सभ देखलक जे ओकर सभक कमाइक बाट समाप्त भऽ गेल, तखन ओ सभ पौलुस आ सिलास केँ पकड़ि कऽ शहरक चौक तक अधिकारी सभक सामने घिसिअबैत अनलकनि। 20 ओ सभ हुनका सभ केँ रोमी न्यायाधीश सभक समक्ष ठाढ़ कऽ कऽ कहलक, “ई सभ यहूदी अछि। ई सभ हमरा सभक शहर मे उपद्रव मचा रहल अछि, 21 आ एहन-एहन प्रथाक प्रचार कऽ रहल अछि जकरा स्वीकार कयनाइ वा पालन कयनाइ अपना सभक लेल जे रोमी छी, कानूनक दृष्टिकोण सँ मना अछि।” 22 एहि पर ओकरा सभक संग भीड़क लोक सभ सेहो पौलुस आ सिलासक विरोध करऽ लागल। तखन न्यायाधीश सिपाही सभ केँ ई आदेश देलनि जे हुनका सभ केँ कपड़ा उतारि कऽ लाठी मारल जाय। 23 हुनका सभ केँ बहुत पिटलाक बाद जहल मे राखि देलकनि। जहलक हाकिम केँ आज्ञा देल गेलैक जे, एकरा सभ केँ जहल मे नीक सँ बन्द करू। 24 ई आदेश पाबि जहलक हाकिम हुनका सभ केँ भीतरका कोठली मे लऽ गेलनि आ हड़ी मे ठोकि देलकनि। 25 करीब दुपहर राति कऽ पौलुस आ सिलास प्रार्थना कऽ रहल छलाह आ परमेश्वरक स्तुति मे गीत गाबि रहल छलाह। हुनका सभक प्रार्थना आ गीत दोसरो कैदी सभ सुनि रहल छलनि। 26 एकाएक बड़का भूकम्प भेल आ जहलक न्योओ तक हिलि गेल। तुरत्ते सभ केबाड़ खुजि गेल आ सभ कैदी बन्हन-मुक्त भऽ गेल। 27 जहलक हाकिमक निन्द टुटलैक, आ ओ जखन देखलक जे जहलक केबाड़ सभ खुजल अछि तँ सोचलक जे कैदी सभ भागि गेल। तेँ ओ अपन तरुआरि खीचि कऽ आत्महत्या करऽ लागल, 28 मुदा तखने पौलुस जोर सँ सोर पारि कऽ कहलथिन, “रूकू रूकू! अपना केँ किछु नहि करू। हम सभ केओ छीहे!” 29 ई सुनिते हाकिम इजोत मँगबा कऽ दौड़ैत भीतर अयलाह आ थर-थर कँपैत पौलुस आ सिलासक पयर पर खसलाह। 30 ओ हुनका सभ केँ बाहर आनि कऽ कहलथिन, “यौ सरकार! अपने लोकनि हमरा ई कहू जे उद्धार पयबाक लेल हम की करू।” 31 ओ सभ उत्तर देलथिन, “प्रभु यीशु पर विश्वास करू तँ अहाँक उद्धार होयत, और अहाँक पूरा परिवार उद्धार प्राप्त करत।” 32 ओ सभ हुनका आ हुनकर पूरा परिवार केँ प्रभुक शुभ समाचारक बात सुना देलथिन। 33 तखन तुरत्ते रातिए मे, जहलक हाकिम हुनका सभ केँ लऽ जा कऽ घाव धो देलथिन। तकरबाद ओ अपन पूरा परिवारक संग बपतिस्मा लेलनि। 34 तखन जहलक हाकिम पौलुस आ सिलास केँ अपना डेरा मे आनि कऽ भोजन करौलनि। ओ अपन पूरा परिवारक संग परमेश्वर पर विश्वास करबाक कारणेँ बहुत आनन्दित छलाह। 35 भोर भेला पर न्यायाधीश सभ अपना सिपाही सभ केँ ई आदेश दऽ कऽ जहलक हाकिम लग पठौलनि जे, “ओहि दूनू गोटे केँ छोड़ि दिऔक।” 36 जहलक हाकिम पौलुस केँ कहलथिन, “न्यायाधीशजी आदेश पठौलनि अछि जे अपने लोकनि केँ छोड़ि देल जाय। तेँ अपने लोकनि आब जा सकैत छी। बेस, नीक सँ गेल जाओ।” 37 मुदा पौलुस सिपाही सभ केँ कहलथिन, “हम सभ, जे रोमी नागरिक छी, तकरा सभ केँ ओ सभ बिनु दोषी पौनहि जनताक सामने मे पिटबौलनि आ जहल मे बन्द करबौलनि, और आब की, हमरा सभ केँ चुपेचाप निकालऽ चाहैत छथि? नहि! ओ सभ अपने आबि कऽ हमरा सभ केँ बाहर लऽ चलथु।” 38 सिपाही सभ हुनकर कहल बात न्यायाधीश सभ केँ सुनौलक। ओ सभ जखन सुनलनि जे पौलुस आ सिलास रोमी नागरिक छथि, तँ बहुत डेरा गेलाह। 39 ओ सभ पौलुस आ सिलास लग आबि हुनका सभ केँ मनाबऽ लगलथिन, आ जहल सँ बाहर आनि शहर छोड़ि कऽ चल जयबाक विनती कयलथिन। 40 पौलुस आ सिलास जहल सँ बाहर भऽ लुदियाक घर गेलाह। ओतऽ विश्वासी भाय सभ सँ भेँट कऽ कऽ हुनका सभ केँ विश्वास मे प्रोत्साहित कयलनि। तकरबाद ओ सभ ओतऽ सँ विदा भऽ गेलाह।
1 ओ सभ अम्फिपुलस और अपुलोनिया नगर सभ दऽ कऽ थिसलुनिका शहर पहुँचलाह, जतऽ यहूदी सभक एक सभाघर छल। 2 पौलुस जहिना सभ ठाम करैत छलाह तहिना एहूठामक सभाघर मे गेलाह। तीन सप्ताह धरि विश्राम-दिन मे ओ ओकरा सभ सँ धर्मशास्त्र पर तर्क-वितर्क कयलनि, 3 और ओकरा सभ केँ धर्मशास्त्रक बात बुझबैत ओहि मे सँ एहि बातक प्रमाण दैत रहलाह जे उद्धारकर्ता-मसीह केँ दुःख भोगनाइ आ मरि कऽ जीबि उठनाइ आवश्यक छलनि। ओ कहैत छलाह, “ई यीशु जिनका बारे मे हम अहाँ सभ केँ सुना रहल छी, सैह उद्धारकर्ता-मसीह छथि।” 4 ई बात यहूदी सभ मे सँ किछु गोटे स्वीकार कयलक, और पौलुस आ सिलासक संग भऽ गेल। तहिना परमेश्वर पर श्रद्धा रखनिहार बहुत यूनानी सभ आ प्रतिष्ठित स्त्रीगण सभ सेहो विश्वास कयलक। 5 मुदा एहि पर यहूदी सभ ईर्ष्या सँ भरि गेल, आ किछु आवारा-गुण्डा सभ केँ चढ़ा-बढ़ा कऽ बड़का भीड़ जुटा लेलक आ शहर मे हूलि मचाबऽ लागल। तखन ओ सभ पौलुस आ सिलास केँ तकबाक लेल यासोनक घर गेल। ओ सभ हुनका सभ केँ पकड़ि कऽ जन-सभाक सामने आनऽ चाहैत छल। 6 मुदा यासोनक घर मे ओ सभ जखन नहि भेटलथिन, तँ ओ सभ यासोन आ किछु आरो विश्वासी भाय सभ केँ घिसिअबैत आनि कऽ शहरक पंच सभक सामने ठाढ़ कऽ देलक आ जोर-जोर सँ हल्ला करैत हुनका सभ पर दोष लगाबऽ लागल जे, “ई सभ जे सौंसे संसार केँ उनट-पुनट कऽ रहल अछि से सभ आब एतौ आबि गेल अछि 7 आ यासोन एकरा सभ केँ अपना घर मे पाहुन बना कऽ रखने अछि। ई सभ सम्राट-कैसरक कानून सभक विरोध कऽ रहल अछि आ कहैत अछि जे एक दोसर आदमी, यीशु, हमरा सभक राजा छथि।” 8 ई सुनि जनता आ शहरक हाकिम सभ बहुत घबड़ा गेलाह। 9 तेँ हाकिम सभ यासोन आ दोसरो लोक सभ सँ जमानत लेलनि, तखन हुनका सभ केँ जाय देलथिन। 10 ओही दिन अन्हार होइत देरी विश्वासी भाय सभ पौलुस आ सिलास केँ बिरीया नगर पठा देलथिन। ओतऽ पहुँचि कऽ ओ सभ यहूदी सभक सभाघर मे गेलाह। 11 बिरीया निवासी यहूदी सभ थिसलुनिका निवासी यहूदी सभक अपेक्षा नम्र भावनाक छल, कारण ओ सभ बहुत उत्सुकता सँ प्रभुक शुभ समाचारक बात सुनलक आ प्रत्येक दिन धर्मशास्त्रक अध्ययन नीक जकाँ एहि लेल करैत छल जे, देखी, पौलुसक कहल बात एहि सँ मिलैत अछि वा नहि। 12 फलस्वरूप बहुत यहूदी लोक सभ विश्वास कयलक। तहिना बहुतो प्रतिष्ठित यूनानी स्त्रीगण आ पुरुष सभ सेहो विश्वास कयलक। 13 जखन थिसलुनिकाक यहूदी सभ केँ पता चललैक जे पौलुस आब बिरीया मे परमेश्वरक वचनक प्रचार कऽ रहल अछि, तँ ओ सभ ओतौ जा कऽ हूलि मचबाबऽ आ जनता केँ भड़काबऽ लागल। 14 एहि पर विश्वासी भाय सभ तुरत पौलुसक लेल समुद्रक कात जयबाक व्यवस्था कऽ कऽ विदा कऽ देलथिन, मुदा सिलास आ तिमुथियुस बिरीये मे रहि गेलाह। 15 पौलुसक संग जे सभ गेलाह से सभ हुनका एथेन्स शहर तक पहुँचौलथिन। ओतऽ पौलुस हुनका सभ केँ कहलथिन जे, सिलास और तिमुथियुस केँ जल्दी चल अयबाक लेल कहि दिऔन। तखन ओ सभ ओतऽ सँ घूमि गेलाह। 16 पौलुस एथेन्स शहर मे सिलास आ तिमुथियुसक अयबाक प्रतीक्षा कऽ रहल छलाह। शहर मे देवी-देवता सभक मूर्ति सभतरि देखि हुनका बहुत दुःख भेलनि। 17 तेँ ओ सभाघर मे यहूदी सभ आ परमेश्वर केँ माननिहार यूनानी सभ सँ एहि सम्बन्ध मे बात-चीत करैत छलाह, और प्रत्येक दिन चौक-बजार मे आबऽ-जाय वला लोक सभ सँ सेहो बात-चीत करैत छलाह। 18 किछु ईपिकूरी आ स्तोइकी विचारधाराक विद्वान सभ हुनका सँ विवाद करऽ लागल आ बाजल, “ई टर्र-टर्र करऽ वला कहऽ की चाहैत अछि?” दोसर सभ कहैत छल, “ई कोनो आन देशक देवताक प्रचार करऽ वला बुझाइत अछि।” ई बात एहि लेल कहलक जे पौलुस यीशुक आ मृत्यु मे सँ जीबि उठनाइक विषय मे प्रचार करैत छलाह। 19 एक दिन ओ सभ पौलुस केँ अपना संग अरियोपिगुस-सभा मे लऽ गेलनि। ओतऽ ओ सभ हुनका सँ पुछलकनि, “की हम सभ ई जानि सकैत छी जे अहाँ ई कोन नव शिक्षा दऽ रहल छी? 20 अहाँ जे किछु कहि रहल छी से हमरा सभ केँ एकदम नव बुझि पड़ैत अछि, तेँ हम सभ जानऽ चाहैत छी जे एकर अर्थ की अछि।” 21 (एथेन्स नगरक वासी और ओतऽ रहऽ वला परदेशी सभक काजे एतबे छल जे नवका-नवका बात सुनी आ सुनाबी।) 22 एहि पर पौलुस अरियोपिगुस-सभा मे ठाढ़ भऽ कऽ कहऽ लगलाह, “एथेन्सक निवासी लोकनि, हम देखैत छी जे अहाँ सभ हर प्रकार सँ बड्ड धर्म-प्रेमी लोक छी। 23 हम घूमि-फिरि कऽ जखन अहाँ सभक ओहि स्थान सभ केँ देखैत छलहुँ जतऽ अहाँ सभ पूजा करैत छी तँ हमरा एक एहन पीड़ी भेटल जाहि पर लिखल अछि ‘अज्ञात ईश्वरक लेल’। तँ जिनका अहाँ सभ बिनु जननहि पूजैत छी, हम तिनके बारे मे अहाँ सभ केँ सुना रहल छी। 24 “परमेश्वर, जे एहि संसार आ एहि मेहक प्रत्येक वस्तुक सृष्टि कयलनि, से स्वर्ग और पृथ्वीक मालिक भऽ, मनुष्य द्वारा बनाओल मन्दिर मे वास नहि करैत छथि। 25 आ हुनका कोनो वस्तुक कमी नहि छनि, जकरा मनुष्य हुनकर सेवा करैत पूरा करनि, किएक तँ वैह छथि जे सभ केँ जीवन, साँस, आ आओर सभ किछु दैत छथिन। 26 ओ एके मनुष्य सँ सभ जातिक लोक केँ उत्पन्न कयलनि, जाहि सँ ओ सभ सौंसे पृथ्वी पर रहय। ओ ओकरा सभक रहबाक समय आ स्थान पहिनहि सँ निश्चित कयलनि। 27 ई सभ बात ओ एहि लेल कयलनि जे लोक सभ हुनका ताकय आ शायद हथोड़ि-हथोड़ि कऽ प्राप्त करय, ओना तँ ओ अपना सभ मे सँ ककरो सँ दूर नहि छथि। कारण, जेना केओ कहने अछि, 28 ‘हम सभ हुनके मे छी, हुनके मे जीबैत छी आ हुनके मे चल-फिर करैत छी।’ और जेना अहाँ सभक अपन किछु कवि लोकनि कहने छथि, ‘हम सभ हुनकर सन्तान छी।’ 29 “तेँ अपना सभ जँ परमेश्वरक सन्तान छी तँ अपना सभ केँ एना नहि सोचबाक चाही जे ईश्वर कोनो तरहेँ सोना, चानी, वा पाथरक मूर्ति जकाँ छथि, जे मनुष्यक लूरि आ कल्पना सँ गढ़ल गेल अछि। 30 एहि अज्ञानताक दण्ड केँ परमेश्वर बितला युग सभ मे क्षमा कयलनि, मुदा एखन हुनकर आज्ञा छनि जे सभ ठामक सभ मनुष्य अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करय। 31 ओ तँ एक दिन निश्चित कयने छथि जहिया ओ अपन चुनल व्यक्ति द्वारा उचित न्यायानुसार संसारक न्याय करताह। एहि व्यक्ति केँ मृत्यु सँ जिआ कऽ सभ आदमी केँ एहि बातक प्रमाण देने छथि।” 32 मृत्यु सँ जीबि उठनाइक बात सुनि कऽ किछु लोक ओहि बातक हँसी उड़ाबऽ लागल, मुदा दोसर लोक सभ कहलकनि, “हम सभ एहि विषय मे अहाँ सँ फेर कहियो सुनऽ चाहैत छी।” 33 तकरबाद पौलुस ओहि सभा मे सँ चल जाइत रहलाह। 34 तैयो किछु लोक हुनका संग-संग आयल आ विश्वास कयलक। ओहि मे अरियोपिगुस-सभाक दियुनुसियुस नामक एक सदस्य, दमरिस नामक एक स्त्री आ किछु आओर लोक सभ छल।
1 तकरबाद पौलुस एथेन्स नगर केँ छोड़ि कऽ कोरिन्थ नगर गेलाह। 2 ओतऽ हुनका अक्विला नामक एक यहूदी भेटलनि, जिनकर जन्म पुन्तुस मे भेल छलनि। ओ हाले-साल मे अपन स्त्री प्रिस्किलाक संग इटली सँ एतऽ आयल छलाह, कारण क्लौदियुस सम्राट यहूदी सभ केँ रोम शहर सँ निकलि जयबाक आदेश दऽ देने छलाह। पौलुस भेँट-घाँट करबाक लेल हुनका सभक ओहिठाम गेलाह, 3 आ हुनका सभक संग रहऽ लगलाह, कारण हिनकर व्यवसाय हुनके सभ जकाँ तम्बू बनौनाइ छलनि। ओ सभ संग-संग काज करऽ लगलाह। 4 प्रत्येक विश्राम-दिन कऽ पौलुस सभाघर मे जा कऽ यहूदी आ यूनानी सभ सँ तर्क-वितर्क कऽ कऽ एहि कोशिश मे रहैत छलाह जे ओ सभ प्रभु यीशु केँ स्वीकार करय। 5 सिलास आ तिमुथियुस मकिदुनिया सँ जखन आबि गेलाह, तँ पौलुस अपन पूरा समय शुभ समाचार सुनयबा मे लगा देलनि। ओ यहूदी सभ केँ बुझबैत रहलाह जे यीशुए उद्धारकर्ता-मसीह छथि। 6 मुदा ओ सभ जखन हुनकर विरोध और अपमान करऽ लागल, तखन ओ ओकरा सभक सामने चेतावनी स्वरूप अपन कपड़ा मे सँ गर्दा झाड़ि लेलनि, आ कहलनि, “अहाँ सभ जँ नाश होयब तँ तकर दोषी अहीं सभ छी। हम निर्दोष छी। आब सँ हम दोसरे जातिक बीच शुभ समाचार सुनाबऽ जा रहल छी।” 7 तखन पौलुस सभाघर सँ निकलि कऽ तीतुस यूस्तुस नामक एक व्यक्तिक ओहिठाम गेलाह, जिनकर घर सभाघरक काते मे छलनि। ओ यहूदी नहि छलाह मुदा परमेश्वरक माननिहार छलाह। 8 सभाघरक अध्यक्ष क्रिस्पुस अपन सम्पूर्ण घर-परिवारक संग प्रभु मे विश्वास कयलनि। और बहुतो कोरिन्थ निवासी सभ पौलुस सँ शुभ समाचार सुनि विश्वास कयलक आ बपतिस्मा लेलक। 9 एक राति प्रभु पौलुस केँ सपना मे दर्शन दऽ कऽ कहलथिन, “नहि डेराउ! अहाँ प्रचार करैत रहू, रूकू नहि। 10 कारण, हम अहाँक संग छी। केओ अहाँ पर आक्रमण कऽ कऽ अहाँक हानि नहि कऽ पाओत। किएक तँ एहि शहर मे बहुते गोटे हमर लोक अछि।” 11 तेँ पौलुस लोक सभ केँ परमेश्वरक वचन सिखबैत ओतऽ डेढ़ वर्ष धरि रहलाह। 12 जखन गल्लियो अखाया प्रदेशक राज्यपाल छलाह तँ यहूदी सभ एक मत भऽ पौलुसक विरोध कयलक आ हुनका पकड़ि कऽ कचहरी मे लऽ गेलनि। 13 हुनका पर ओ सभ ई आरोप लगौलक जे, “ई आदमी लोक केँ बहका कऽ परमेश्वरक आराधना एहि तरहेँ करबाक लेल सिखबैत अछि जे कानूनक विरोध मे अछि!” 14 एहि पर पौलुस बाजहि चाहलनि कि गल्लियो यहूदी सभ केँ कहलथिन, “यौ यहूदी सभ! ई जँ कोनो अन्याय वा अपराधक मामिला रहैत तँ अहाँ सभक कथन सुननाइ उचित होइत। 15 मुदा ई खाली अहाँ सभक अपन धर्म-नियमक सम्बन्धित शब्द आ नामक विवाद अछि। तेँ अहीं सभ जानू! हम एहन बातक न्याय नहि करब।” 16 और ओ ओकरा सभ केँ कचहरी सँ भगा देलथिन। 17 तखन ओ सभ सभाघरक अध्यक्ष सोस्थिनेस केँ पकड़ि कऽ कचहरीक ठीक सामने मे पिटलक, मुदा एहि पर गल्लियो कनेको ध्यान नहि देलनि। 18 कोरिन्थ नगर मे बहुत दिन रहलाक बाद पौलुस विश्वासी भाय सभ सँ विदा लऽ कऽ पानि जहाज सँ सीरिया प्रदेशक लेल प्रस्थान कयलनि। हुनका संग प्रिस्किला आ अक्विला सेहो छलनि। चलऽ सँ पहिने पौलुस कोनो कबुलाक कारणेँ किंख्रिया शहर मे केश कटबौलनि। 19 ओ सभ इफिसुस नगर मे पहुँचलाह, जतऽ पौलुस प्रिस्किला आ अक्विला केँ छोड़ि देलथिन। ओ अपने ओहिठामक सभाघर मे जा कऽ यहूदी सभ सँ शास्त्रार्थ करऽ लगलाह। 20 ओ सभ हुनका सँ इफिसुस मे आरो दिन रहबाक आग्रह कयलकनि, मुदा ओ अस्वीकार करैत ओकरा सभ केँ कहलथिन, 21 “जँ परमेश्वरक इच्छा होयतनि तँ हम फेर आयब।” एतबा कहि ओ इफिसुस सँ पानि जहाज सँ विदा भऽ गेलाह। 22 ओ जखन कैसरिया नगर मे पहुँचलाह तँ ओतऽ सँ यरूशलेम जा कऽ मण्डली सँ भेँट कयलनि, आ तकरबाद ⌞सीरिया प्रदेशक⌟ अन्ताकिया नगर चल गेलाह। 23 अन्ताकिया मे किछु दिन रूकि कऽ पौलुस ओतऽ सँ फेर बहरयलाह आ क्रमशः गलातिया आ फ्रूगिया प्रदेश मे घूमि-घूमि कऽ शिष्य सभ केँ विश्वास मे मजगूत करैत रहलाह। 24 एम्हर इफिसुस मे, अपुल्लोस नामक एक यहूदी जिनकर जन्म सिकन्दरिया नगर मे भेल छलनि, पहुँचलाह। ओ नीक वक्ता आ धर्मशास्त्रक पंडित छलाह। 25 ओ प्रभुक देखाओल बाटक नीक शिक्षा पौने छलाह, आ यीशुक विषय मे बहुत आत्मिक उत्साह सँ लोक सभक बीच ठीक-ठीक सुनबैत आ सिखबैत छलाह। मुदा तैयो हुनकर ज्ञान यूहन्नाक बपतिस्मा तक सीमित छलनि। 26 ओ सभाघर मे सेहो निर्भयतापूर्बक बाजऽ लगलाह। प्रिस्किला आ अक्विला जखन हुनकर बात सुनलनि तँ हुनका अपना ओहिठाम लऽ गेलनि आ आओर बढ़ियाँ सँ परमेश्वरक बाटक सम्बन्ध मे बुझौलथिन। 27 तखन अपुल्लोस केँ जखन अखाया जयबाक इच्छा भेलनि तँ विश्वासी भाय सभ हुनका प्रोत्साहित कयलनि, आ हिनकर स्वागत करबाक लेल ओहिठामक शिष्य सभक नामे एक चिट्ठी लिखि देलथिन। अखाया पहुँचि कऽ ओ ओहि लोक सभ केँ बहुत मदति कयलनि जे परमेश्वरक कृपा सँ विश्वास मे आबि गेल छल, 28 कारण ओ धर्मशास्त्र सँ एहि बात केँ प्रमाणित कऽ कऽ जे यीशुए उद्धारकर्ता-मसीह छथि, सभक सामने मे यहूदी सभक मुँह एकदम बन्द कऽ दैत छलाह।
1 जखन अपुल्लोस कोरिन्थ नगर मे छलाह, तखन पौलुस समुद्र सँ दूर वला इलाका सभ दऽ कऽ इफिसुस नगर अयलाह, जतऽ हुनका किछु शिष्य सभ भेटलनि। 2 ओ ओकरा सभ केँ पुछलथिन, “अहाँ सभ जखन विश्वास कयलहुँ तँ की पवित्र आत्मा अहाँ सभ केँ प्राप्त भेलाह?” ओ सभ उत्तर देलकनि, “नहि। हम सभ तँ से सुननहु नहि छी जे पवित्र आत्मा होइत छथि।” 3 पौलुस पुछलथिन, “तँ कोन बात विश्वास कऽ कऽ बपतिस्मा लेलहुँ?” ओ सभ जबाब देलकनि, “जे बात यूहन्ना सिखबैत छलाह।” 4 एहि पर पौलुस ओकरा सभ केँ बुझौलथिन, “यूहन्नाक बपतिस्मा ई देखयबाक लेल छल जे, पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयलहुँ, मुदा यूहन्ना लोक सभ केँ इहो सिखबैत छलाह जे, जे हमरा बाद मे आबि रहल छथि, अर्थात् यीशु, तिनका पर विश्वास करू।” 5 ओ सभ ई बात सुनि यीशुक नाम मे बपतिस्मा लेलक। 6 पौलुस ओकरा सभ पर हाथ रखलनि तँ पवित्र आत्मा ओकरा सभ मे अयलाह। ओ सभ अनजान भाषा मे बाजऽ लागल आ प्रभु सँ पाओल सम्बाद सभ सुनाबऽ लागल। 7 ओ सभ करीब बारह गोटे छल। 8 तीन मास धरि पौलुस ओतुक्का सभाघर मे जा कऽ निर्भयतापूर्बक लोक सभ सँ बात-चीत आ तर्क-वितर्क कऽ कऽ ओकरा सभ केँ परमेश्वरक राज्यक विषय मे बुझबैत रहलाह। 9 मुदा जखन ओकरा सभ मे सँ किछु लोक जिद्दिया कऽ शुभ समाचार नहि मानलक आ सौंसे सभाक सामने मे प्रभुक बाटक निन्दा करऽ लागल, तँ पौलुस ओकरा सभ केँ छोड़ि देलनि आ शिष्य सभ केँ अपना संग लऽ कऽ चल अयलाह। आब ओ सभ तुरन्नुस नामक व्यक्तिक भवन मे जा कऽ प्रति दिन तर्क-वितर्क करऽ लगलाह। 10 ई क्रम दू वर्ष धरि चलल। फलस्वरूप आसिया प्रदेश मे रहऽ वला सभ लोक, यहूदी आ यूनानी दूनू, प्रभुक वचन सुनऽ पौलक। 11 परमेश्वर पौलुसक माध्यम सँ बहुत अद्भुत चमत्कार करैत छलाह। 12 लोक सभ रुमाल आ अंगपोछा हुनका देह मे छुआ कऽ अस्वस्थ लोक सभ लग लऽ जाइत छल, तँ ओ सभ अपना बिमारी सँ मुक्त भऽ जाइत छल आ दुष्टात्मा सभ ओकरा सभ मे सँ निकलि जाइत छलैक। 13 एहि पर एम्हर-ओम्हर घुम-फिर करऽ वला किछु यहूदी ओझा-गुनी दुष्टात्मा सँ ग्रसित लोक सभ पर यीशुक नामक प्रयोग करबाक कोशिश कयलक। ओ सभ दुष्टात्मा सभ केँ एना कहैत छलैक, “यीशुक नाम सँ, जिनकर प्रचार पौलुस करैत छथि, हम तोरा आज्ञा दैत छिऔ—तोँ एकरा मे सँ निकल!” 14 एहि ओझा-गुनी सभ मे यहूदी सभक एक मुख्यपुरोहित, जिनकर नाम स्कीवा छलनि, तिनकर सातटा बेटा सेहो छल। 15 एक बेर दुष्टात्मा ओकरा सभ केँ उत्तर देलकैक, “यीशु केँ हम जनैत छियनि, आ पौलुस केँ चिन्हैत छियनि, लेकिन तोँ सभ के छेँ?” 16 तखन ओ दुष्टात्मा लागल आदमी ओकरा सभ पर झपटि कऽ सभ केँ पछाड़ि देलकैक, आ ततेक मारलकैक-पिटलकैक, जे ओ सभ नंगटे आ घायल भऽ कऽ ओहि घर सँ भागि गेल। 17 एहि घटनाक बारे मे जखन इफिसुसक निवासी, यहूदी आ यूनानी सभ सुनलक, तँ ओकरा सभ केँ बड़का डर सन्हिया गेलैक, आ प्रभु यीशुक प्रति आदर बहुत बढ़ि गेलैक। 18 विश्वासिओ सभ मे सँ बहुत गोटे आबि कऽ अपन गलत काज सभ खुलि कऽ मानि लेलक, 19 आ बहुत जादू-टोना करऽ वला सभ अपन पोथी सभ जमा कऽ कऽ सभक सामने मे जरा देलक। जखन ओहि सभ पोथीक मूल्यांकन कयल गेल तँ ओ पचास हजार चानीक सिक्काक छल। 20 एहि तरहेँ प्रभुक वचन आरो पसरैत गेल, और शक्ति आ प्रभाव मे बढ़ैत गेल। 21 एहि घटना सभक बाद पौलुस अपना मोन मे मकिदुनिया और अखाया प्रदेश दऽ कऽ यरूशलेम जयबाक निर्णय कऽ लेलनि। ओ कहलनि, “ओतऽ पहुँचलाक बाद हमरा रोम सेहो गेनाइ आवश्यक अछि।” 22 तखन ओ अपन दूटा सहकर्मी तिमुथियुस आ इरास्तुस केँ आगाँ मकिदुनिया पठा कऽ अपने किछु दिन आओर आसिया प्रदेश मे रहलाह। 23 एही समय मे प्रभुक “बाट” केँ लऽ कऽ इफिसुस शहर मे बड़का खलबली मचि गेल। 24 देमेत्रियुस नामक एक सोनार, जे अरतिमिस देवीक मन्दिरक चानीक मुरुत बनबैत छल आ कारीगर सभ केँ सेहो बहुते काज दिअबैत छल, 25 से एक दिन अपन कारीगर सभ आ एहि व्यवसाय सँ सम्बन्धित आरो कारीगर सभ केँ सेहो जमा कऽ कऽ कहलकैक, “यौ भाइ लोकनि! अहाँ सभ केँ बुझले अछि जे अपना सभक सभ धन-सम्पत्ति एही व्यवसाय सँ अछि। 26 और इहो देखि आ सुनि रहल छी जे ई पौलुस कोना इफिसुसो मे आ करीब-करीब सौंसे आसिया प्रदेश मे बहुतो लोक केँ समझा-बुझा कऽ बहका देने छैक जे, हाथक बनाओल देवता तँ देवता अछिए नहि। 27 एहि सँ एतबे बातक खतरा नहि, जे अपना सभक व्यवसायक प्रतिष्ठा जाइत रहत, बल्कि एकरो जे महान् देवी अरतिमिसक मन्दिर तुच्छ बुझल जयतनि, और ई देवी जिनकर पूजा आसिया प्रदेश मे आ सौंसे संसार मे सेहो कयल जाइत छनि, तिनकर ईश्वरीय गौरव समाप्त भऽ जयतनि।” 28 ई सुनि ओकरा सभक क्रोध भड़कि उठल और ओ सभ जोर-जोर सँ नारा लगाबऽ लागल जे, “इफिसी सभक अरतिमिस देवी महान् छथि!” 29 आब सौंसे शहर मे हुल्लड़ि मचि गेल। लोक सभ गयुस और अरिस्तर्खुस, जे मकिदुनिया प्रदेशक छलाह आ पौलुसक संग यात्रा कऽ रहल छलाह, तिनका सभ केँ पकड़ि लेलकनि आ सभ केओ एक जुट भऽ कऽ खेलक मैदान दिस दौड़ि पड़ल। 30 पौलुस भीड़क समक्ष जा कऽ लोक सभ केँ किछु कहऽ चाहैत छलाह, मुदा आरो शिष्य सभ हुनका ओतऽ नहि जाय देलथिन। 31 आसियाक किछु उच्चाधिकारी सभ, जे पौलुसक मित्र छलनि, सेहो हुनका खबरि पठा कऽ आग्रह कयलथिन जे ओ मैदान मे जयबाक कोशिश नहि करथि। 32 एम्हर मैदान मे लोक सभक बीच ततेक गड़बड़ी छल जे ओ सभ हल्ला कऽ कऽ केओ किछु कहैत छल, तँ केओ किछु। विशेष लोक इहो नहि जनैत छल जे एतऽ आयल छी किएक। 33 तखन यहूदी सभ सिकन्दर केँ ठेलि-ठालि कऽ प्रवक्ताक रूप मे सभाक आगाँ ठाढ़ कऽ देलकनि, और भीड़ मे सँ किछु लोक हुनका निर्देश देबऽ लगलनि। ओ भीड़ केँ चुप रहबाक लेल हाथ सँ संकेत कऽ कऽ लोक केँ बुझाबऽ लगलाह, 34 मुदा लोक सभ जखन बुझलक जे ई यहूदी अछि तँ करीब दू घण्टा धरि एक स्वर मे नारा लगबैत रहल जे, “इफिसी सभक अरतिमिस देवी महान् छथि!” 35 अन्त मे शहरक प्रधानजी भीड़ केँ शान्त कयलनि आ कहलथिन, “यौ इफिसुस-निवासी सभ! की संसारक प्रत्येक मनुष्य ई नहि जनैत अछि जे इफिसुस शहर महान् देवी अरतिमिसक मन्दिर आ आकाश सँ खसल हुनकर मुरुतक रक्षक अछि? 36 ई बात जखन निर्विवाद अछि तँ अहाँ सभ केँ शान्त रहबाक चाही आ बिनु सोचने-विचारने किछु नहि करबाक चाही। 37 कारण, अहाँ सभ तँ एहन व्यक्ति सभ केँ पकड़ि कऽ अनने छी जे ने तँ मन्दिर केँ लुटने अछि आ ने अपना सभक देवीक अपमान कयने अछि। 38 तेँ जँ देमेत्रियुस आ हुनकर संगी कारीगर सभ केँ ककरो सँ सिकायत छनि तँ कचहरी खुजल अछि आ न्यायाधीश लोकनि सेहो छथि। ओ सभ अपन अभियोग कचहरी मे पेश करथु। 39 और जँ अहाँ सभ कोनो दोसर प्रश्न उठाबऽ चाहैत होइ तँ तकर निर्णय नियमित नागरिक-सभा मे कयल जायत। 40 एखन हमरा डर अछि जे अजुका घटनाक कारणेँ कतौ अपना सभ पर दंगाक आरोप ने लगाओल जाय, कारण ई हुल्लड़ि बिनु कारणेँ छल, आ एकरा बारे मे अपना सभ कोनो उत्तर नहि दऽ सकब।” 41 एतबा कहि ओ सभा केँ समाप्त कऽ देलनि।
1 ई खलबली वला बात शान्त भेलाक बाद, पौलुस शिष्य सभ केँ बजा कऽ हुनका सभ सँ प्रोत्साहनक किछु शब्द कहि विदा लेलनि आ मकिदुनियाक लेल प्रस्थान कयलनि। 2 मकिदुनिया प्रदेश दऽ कऽ जाइत काल ओ ओतुक्का विश्वासी सभ केँ बहुत बात द्वारा उत्साह बढ़ौलनि, और अन्त मे यूनान देश मे पहुँचलाह। 3 यूनान मे तीन मास धरि रहलाक बाद, ओ सीरियाक लेल पानि जहाज सँ विदा होमऽ पर छलाह, तखने पता चललनि जे यहूदी सभ हमरा विरोध मे षड्यन्त्र रचि रहल अछि। तेँ ओ फेर मकिदुनिया दऽ कऽ फिरि जयबाक निश्चय कयलनि। 4 हुनका संग ईहो सभ छलाह—पिरुसक बेटा सोपात्रस, जे बिरीयाक निवासी छलाह, थिसलुनिकाक निवासी अरिस्तर्खुस आ सिकुन्दुस, दरबे नगरक निवासी गयुस, तिमुथियुस, और आसिया प्रदेशक तुखिकुस आ त्रोफिमुस। 5 हुनकर ई संगी सभ हमरा सभ सँ आगाँ बढ़लाह आ त्रोआस नगर जा कऽ हमरा सभक प्रतीक्षा करऽ लगलाह। 6 एम्हर हम सभ “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि”क बाद फिलिप्पी नगर सँ विदा भेलहुँ, आ पानि जहाजक पाँच दिनक यात्राक बाद हुनका सभ लग त्रोआस मे पहुँचलहुँ। ओतऽ हम सभ सात दिन रहलहुँ। 7 सप्ताहक पहिल दिन हम सभ विश्वासी सभक संग प्रभु-भोज करबाक लेल एक ठाम जमा भेलहुँ। पौलुस लोक सभ सँ बात-चीत करऽ लगलाह, आ दुपहर राति तक बजैत रहलाह, कारण हुनका प्रात भेने विदा होयबाक छलनि। 8 ऊपर वला कोठली जाहि मे हम सभ जमा भेल छलहुँ ताहि मे बहुते दीप सभ जरि रहल छल। 9 खिड़की मे युतखुस नामक एक युवक बैसल छल। पौलुसक बात सुनैत-सुनैत ओ औँघाय लागल आ अन्त मे भारी निन्द आबि गेला सँ ओ ओहि तीनमहला पर सँ खसि पड़ल। लोक सभ ओकरा मरल उठौलक। 10 पौलुस नीचाँ गेलाह, आ झुकि कऽ ओकरा भरि पाँज कऽ धऽ लेलथिन। तखन बजलाह, “नहि घबड़ाउ! ई जीविते अछि।” 11 तखन पौलुस फेर जा कऽ प्रभु-भोज कयलनि और भोजन कऽ कऽ लोक सभ सँ भोर तक बात-चीत करैत रहलाह आ विदा भऽ गेलाह। 12 लोक सभ बहुत खुश भऽ कऽ ओहि युवक केँ जीविते घर लऽ गेल। 13 हम सभ आब जहाज पर चढ़ि कऽ आगाँ असुस नगरक लेल विदा भेलहुँ। पौलुस हमरा सभक लेल एना सोचने छलाह जे हम सभ आगाँ पानि जहाज सँ जाइ आ असुस मे हुनका जहाज पर चढ़ा लियनि, कारण ओ असुस तक पैदले आबऽ चाहैत छलाह। 14 असुस मे ओ हमरा सभ सँ भेँट कयलनि, आ हम सभ हुनका जहाज पर लऽ, मितुलेन नगर तक अयलहुँ। 15 दोसरे दिन ओतऽ सँ विदा भऽ खियुस द्वीपक सामने पहुँचलहुँ, आ तकर प्रात भेने सामोस द्वीप तक अयलहुँ। फेर दोसरे दिन मिलेतुस नगर मे अयलहुँ। 16 पौलुस निर्णय कयने छलाह जे हम सभ इफिसुस नगर केँ छोड़ैत निकलि जायब जाहि सँ आसिया प्रदेश मे देरी नहि होअय। ओ एहि लेल जल्दी मे छलाह जे, जँ सम्भव होअय तँ पेन्तेकुस्त दिन तक यरूशलेम पहुँचि जाइ। 17 मिलेतुस सँ पौलुस इफिसुसक मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनि केँ खबरि पठा कऽ बजबौलनि। 18 ओ सभ जखन आबि गेलाह तँ पौलुस हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ जनिते छी जे जाहि दिन हम आसिया प्रदेश मे अयलहुँ ताहि दिन सँ अहाँ सभक संग रहि कऽ हम अपन समय कोना व्यतीत कयने रही। 19 बहुत नम्रतापूर्बक आ नोर बहा-बहा कऽ ओहि संकटक घड़ी मे, जे यहूदी सभक षड्यन्त्रक कारणेँ हमरा पर आयल छल, हम प्रभुक सेवा करैत रहलहुँ। 20 जे कोनो बात अहाँ सभक हितक लेल छल, से सभ बात अहाँ सभ केँ खुलि कऽ कहलहुँ और सभा सभ मे आ घरो-घर जा-जा कऽ अहाँ सभ केँ उपदेश दैत रहलहुँ। 21 हम यहूदी आ यूनानी दूनू केँ दृढ़तापूर्बक चेतावनी दैत रहलहुँ जे ओ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ परमेश्वरक दिस फिरय आ अपना सभक प्रभु यीशु पर विश्वास करय। 22 “और आब हम पवित्र आत्माक आज्ञाक अनुसार यरूशलेम जा रहल छी। ओतऽ हमरा संग की होयत, से नहि जनैत छी। 23 एतबे जनैत छी जे प्रत्येक शहर मे पवित्र आत्मा हमरा चेतावनी दऽ रहल छथि जे जहल आ कष्ट तोहर प्रतीक्षा मे छह। 24 मुदा हमरा लेल हमर प्राणक कोनो महत्व नहि अछि। हमरा एकेटा एही बात सँ मतलब अछि जे हम ओहि दौड़ केँ अन्त धरि दौड़ी आ ओहि काज केँ पूरा करी जे प्रभु यीशु हमरा देने छथि। ओ काज अछि परमेश्वरक कृपा सम्बन्धी शुभ समाचारक गवाही देनाइ। 25 “हम आब जनैत छी जे अहाँ सभ, जिनका बीच मे हम परमेश्वरक राज्यक प्रचार करैत घुमलहुँ-फिरलहुँ, हमर मुँह फेर कहियो नहि देखब। 26 तेँ हम आइ अहाँ सभक सामने ई बात गम्भीरतापूर्बक कहैत छी जे जँ अहाँ सभ मे सँ केओ नाश होयब तँ तकर उत्तरदायी हम नहि होयब। 27 कारण, हम अहाँ सभ केँ परमेश्वरक पूरा योजना सुनाबऽ मे किछु बाँकी नहि रखलहुँ। 28 “अहाँ सभ जे सभ मण्डलीक जिम्मेवार लोक छी, अपन आत्मिक जीवनक ध्यान राखू आ तकरो सभक जकरा सभ केँ पवित्र आत्मा अहाँ सभक जिम्मा मे राखि देने छथि। परमेश्वरक एहि भेँड़ाक मण्डली, जकरा ओ अपन पुत्रक खून सँ किनलनि, तकर अहाँ सभ चरबाह छी। 29 हम जनैत छी जे हमरा चल गेलाक बाद अति खतरनाक जंगली जानबर सभ अहाँ सभक बीच मे आओत आ भेँड़ा सभ केँ नहि छोड़त। 30 अहाँ सभक अपनो बीच सँ एहन लोक ठाढ़ होयत जे विश्वासी सभ केँ अपना दिस खीचि अपन चेला बनयबाक लेल सत्य केँ टेढ़-मेढ़ कऽ देत। 31 तेँ सतर्क रहू! आ मोन राखू जे कोना हम तीन वर्ष धरि दिन-राति नोर बहा-बहा कऽ अहाँ सभ मे सँ एक-एक गोटे केँ बुझबैत रहलहुँ। 32 “और आब हम अहाँ सभ केँ परमेश्वरक जिम्मा मे छोड़ि रहल छी आ हुनकर कृपापूर्ण वचनक सुरक्षा मे सौंपि दैत छी, जे वचन अहाँ सभ केँ मजगूत बना सकैत अछि आ परमेश्वरक सभ पवित्र कयल लोकक संग अहाँ सभक उत्तराधिकार अहाँ सभ केँ दऽ सकैत अछि। 33 हम ककरो सोना-चानी वा वस्त्रक लोभ कहियो नहि कयलहुँ। 34 अहाँ सभ स्वयं जनैत छी जे हम अपन एहि हाथ सभ सँ परिश्रम कऽ कऽ अपन आ अपन संगी सभक आवश्यकता पूरा कयलहुँ। 35 हम अपन सभ काज मे अहाँ सभ केँ देखा देलहुँ जे कोना एहि तरहक परिश्रम कऽ कऽ अपना सभ केँ निर्बल सभक सहयोग करबाक अछि, आ प्रभु यीशुक कहल बात केँ मोन रखबाक अछि जे ओ अपने बाजल छलाह, ‘लेबऽ सँ देबऽ मे आशिष अछि।’” 36 एतबा कहि पौलुस सभक संग ठेहुनिया दऽ कऽ प्रार्थना कयलनि। 37 तखन ओ सभ कानि-कानि कऽ आ पंजिया-पंजिया कऽ हुनका चुम्मा लेबऽ लगलनि। 38 हुनका सभ केँ सभ सँ बेसी दुःख हुनकर एहि बात सँ भेलनि जे, अहाँ सभ हमर मुँह फेर कहियो नहि देखब। तकरबाद ओ सभ हुनका अरियाति कऽ जहाज तक पहुँचा देलनि।
1 हुनका सभ सँ विदा लऽ कऽ हम सभ जहाज मे चढ़लहुँ आ सोझे-सोझ जा कऽ कोस द्वीप पर पहुँचलहुँ। प्रात भेने रूदुस द्वीप तक अयलहुँ आ ओतऽ सँ पतारा नगर। 2 पतारा मे हमरा सभ केँ फीनिकी प्रदेश जाय वला एक जहाज भेटल, जाहि पर चढ़ि हम सभ फेर विदा भऽ गेलहुँ। 3 जाइत-जाइत हमरा सभ केँ साइप्रस द्वीप देखाइ देलक। ओकर दक्षिण भाग सँ होइत हम सभ आगाँ सीरिया प्रदेश दिस बढ़लहुँ। हम सभ सीरिया प्रदेशक सूर नगर मे उतरलहुँ, कारण ओतऽ जहाज केँ अपन माल उतारबाक छलैक। 4 सूर मे हम सभ प्रभुक शिष्य सभ केँ ताकि कऽ हुनका सभक संग सात दिन धरि रहलहुँ। पवित्र आत्माक प्रेरणा सँ बुझि ओ सभ पौलुस केँ बेर-बेर कहलथिन जे, “अहाँ यरूशलेम नहि जाउ!” 5 मुदा ओतऽ रहबाक समय जखन पूरा भऽ गेल तँ हम सभ विदा लऽ कऽ अपना रस्ता पर आगाँ बढ़लहुँ। सभ शिष्य अपन स्त्री-बच्चा सभक संग हमरा सभ केँ नगरक बाहर तक अरियातऽ अयलाह। ओतऽ समुद्रक कछेर पर हम सभ ठेहुनिया दऽ कऽ प्रार्थना कयलहुँ, 6 आ एक-दोसर सँ विदा लेलहुँ। तखन हम सभ जहाज मे चढ़लहुँ और ओ सभ घर घूमि गेलाह। 7 सूर सँ आगाँ बढ़ि हम सभ तुलमाइस नगर तक पहुँचलहुँ, जतऽ उतरि कऽ विश्वासी भाय सभ सँ भेँट कयलहुँ आ हुनका सभक संग एक दिन रहलहुँ। 8 प्रात भेने हम सभ विदा भऽ गेलहुँ आ कैसरिया नगर मे पहुँचि सुसमाचार-प्रचारक फिलिपुसक ओहिठाम जा कऽ रहलहुँ। ओ “सात सेवक” मे सँ एक छलाह । 9 हुनका चारिटा कुमारि कन्या छलनि, जे परमेश्वरक प्रवक्तिनि छलीह। 10 हमरा सभ केँ ओतऽ रहैत किछु दिन बितलाक बाद अगबुस नामक परमेश्वरक प्रवक्ता यहूदिया सँ कैसरिया अयलाह। 11 ओ हमरा सभ सँ भेँट कयलनि, आ पौलुसक डाँड़ बान्हऽ वला गमछा लऽ कऽ अपन हाथ-पयर बान्हि लेलनि आ कहलनि, “पवित्र आत्मा कहैत छथि जे, जिनकर ई गमछा छनि, से एही तरहेँ यरूशलेम मे यहूदी सभक द्वारा बान्हल जयताह आ गैर-यहूदीक हाथ मे सौंपल जयताह।” 12 ई बात जखन सुनलहुँ तँ हम सभ और ओहिठामक लोक सभ पौलुस सँ बेर-बेर विनती कयलहुँ जे ओ यरूशलेम नहि जाथि। 13 मुदा पौलुस उत्तर देलनि, “अहाँ सभ ई की कऽ रहल छी? एना कानि-कानि कऽ हमरा मोन केँ किएक दुखी कऽ रहल छी? हम तँ प्रभु यीशुक कारणेँ यरूशलेम मे बन्हयबेक लेल नहि, बल्कि मरबोक लेल तैयार छी।” 14 हम सभ हुनका जखन नहि मना सकलियनि तँ ई कहि कऽ बात छोड़ि देलहुँ जे, “प्रभुक इच्छा पूरा होनि।” 15 तकरबाद हम सभ अपन सामान तैयार कऽ यरूशलेमक लेल विदा भऽ गेलहुँ। 16 कैसरियाक किछु विश्वासी सभ सेहो हमरा सभक संग अयलाह, और हमरा सभ केँ साइप्रस निवासी मनासोन नामक एक पुरान शिष्यक घर मे लऽ गेलाह, जतऽ हमरा सभ केँ रहबाक छल। 17 यरूशलेम मे जखन पहुँचलहुँ तँ विश्वासी भाय सभ बहुत आनन्दक संग हमरा सभक स्वागत कयलनि। 18 प्रात भेने पौलुस हमरा सभक संग याकूबक ओहिठाम गेलाह। मण्डलीक सभ देख-रेख कयनिहार लोकनि ओतऽ जमा छलाह। 19 पौलुस हुनका सभ केँ नमस्कार कऽ कऽ, ओ सभ काजक विषय मे एक-एकटा कऽ सुना देलथिन जे परमेश्वर हुनकर सेवा-काजक द्वारा गैर-यहूदी सभक बीच कयने छलाह। 20 पौलुसक बात सुनि ओ सभ परमेश्वरक स्तुति कयलनि। तखन पौलुस केँ कहलथिन, “यौ पौलुस भाइ, अहाँ तँ देखिते छी जे यहूदी सभ मे सँ हजारो-हजार लोक प्रभु यीशु पर विश्वास कऽ लेने अछि, आ सभ मूसाक धर्म-नियमक कट्टर समर्थक अछि। 21 अहाँक बारे मे ओकरा सभ केँ कहल गेल छैक जे अहाँ गैर-यहूदी लोकक बीच मे रहनिहार यहूदी सभ केँ सिखबैत छी जे मूसाक धर्म-नियम केँ छोड़ू, अपना बच्चा सभ केँ खतना नहि कराउ और पूर्वजक अन्य प्रथा सभ केँ नहि मानू। 22 आब की कयल जाय? ओ सभ अवश्य सुनत जे अहाँ आबि गेल छी। 23 तेँ अहाँ एकटा काज करू। एतऽ हमरा सभक संग चारि गोटे छथि जे कबुला कयने छथि। 24 हुनका सभ केँ लऽ जाउ और अहूँ हुनका सभक संग रीतिक अनुसार अपना केँ शुद्ध करू। हुनका सभ केँ एहि सभक खर्च दियौन, तखन ओ सभ अपन केशो कटबा सकताह। एहि तरहेँ सभ केँ पता लगतैक जे जतेक बात अहाँक बारे मे सुनने छल, से सभ फूसि अछि, और अहाँ अपने, धर्म-नियमक पालन करैत छी। 25 रहल गैर-यहूदी सभक विषय मे जे प्रभु पर विश्वास कऽ लेने छथि, तँ हुनका सभ केँ हम सभ अपन निर्णय लिखि पठा देने छियनि जे ओ सभ एहि बात सभ सँ बाँचल रहथु—मूर्ति पर चढ़ाओल खयबाक वस्तु सँ, खूनक खान-पान सँ, कण्ठ दबा कऽ मारल ⌞अर्थात् बिनु खून बहौने मारल⌟ पशुक माँसु सँ आ अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध सँ।” 26 प्रात भेने पौलुस ओहि चारि गोटे केँ अपना संग लऽ जा कऽ हुनका सभक संग अपना केँ शुद्ध कयलनि। तखन शुद्धीकरणक सात दिन कहिया पुरि जायत, और हुनका सभ मे सँ प्रत्येकक लेल बलि-प्रदान कयल जायत, तकर जानकारी पुरोहित केँ देबाक लेल मन्दिर मे गेलाह। 27 शुद्धीकरणक सात दिन जखन पूरा होमऽ पर छल तँ आसिया प्रदेशक किछु यहूदी सभ पौलुस केँ मन्दिर मे देखलकनि। ओ सभ समस्त भीड़ केँ भड़का कऽ हुनका पकड़ि लेलकनि 28 आ हल्ला करऽ लागल, “इस्राएली बाबू-भैया सभ, मदति करू! ई वैह अछि जे सभतरि अपना सभक यहूदी जाति, मूसाक धर्म-नियम आ एहि मन्दिरक विरोध मे सभ केँ सिखबैत अछि। एतबे नहि। आब ओ यूनानिओ सभ केँ मन्दिर मे लाबि एहि पवित्र स्थान केँ अपवित्र कऽ देलक अछि!” 29 ई बात ओ सभ एहि लेल कहलक जे शहर मे पौलुसक संग इफिसुस-निवासी त्रोफिमुस केँ देखने छलैक, आ तेँ बुझलक जे पौलुस ओकरा मन्दिरो मे लऽ गेल होयतैक। 30 ई सुनि सौंसे शहरक लोकक खून खौलऽ लगलैक। सभ दिस सँ लोक सभ दौड़ैत आयल, आ पौलुस केँ पकड़ि कऽ मन्दिर सँ घिसिअबैत बाहर अनलकनि। मन्दिरक द्वारि तुरत बन्द कऽ देल गेल। 31 ओ सभ पौलुस केँ जान सँ मारि देबाक कोशिश मे छल, मुदा तखने रोमी सैन्यदलक सेनापति लग ई खबरि पहुँचल जे सौंसे यरूशलेम मे उपद्रव मचि गेल अछि। 32 ओ तुरत किछु सेनानायक आ सैनिक सभ केँ लऽ कऽ भीड़क दिस दौड़ि पड़लाह। लोक सभ जखन सेनापति आ हुनकर सैनिक सभ केँ देखलकनि तँ पौलुस केँ पिटनाइ छोड़ि देलक। 33 सेनापति पौलुस लग आबि कऽ हुनका बन्दी बना लेलनि, आ हुनका दू जिंजीर लऽ कऽ बन्हबाक आदेश देलनि। तखन लोक सभ केँ पुछलथिन, “ई के अछि आ की कयने अछि?” 34 भीड़क लोक सभ उत्तर मे केओ किछु बाजि कऽ तँ केओ किछु बाजि कऽ हल्ला करऽ लागल। हल्लाक कारणेँ सेनापति कोनो बातक पता नहि लगा सकलाह, तेँ आज्ञा देलनि जे पौलुस केँ गढ़ मे लऽ गेल जाय। 35 पौलुस जखन गढ़क सीढ़ी लग पहुँचलाह तँ भीड़ ततेक हिंसक भऽ गेल छल जे सैनिक सभ केँ पौलुस केँ उठा कऽ लऽ जाय पड़लैक। 36 भीड़ पाछाँ-पाछाँ अबैत हल्ला करैत रहल जे, “ओकरा खतम करू!” 37 सैनिक सभ जखन पौलुस केँ गढ़क भीतर लऽ जाय लागल तँ पौलुस सेनापति केँ कहलथिन, “अपने जँ आज्ञा दी तँ हम अपने सँ किछु बात करी।” ओ उत्तर देलनि, “तखन तोँ यूनानी भाषा जनैत छह? 38 की तोँ ओ मिस्र-निवासी नहि छह जे हाल मे विद्रोह करबा कऽ चारि हजार उग्रवादी केँ निर्जन प्रदेश मे लऽ गेल छल?” 39 पौलुस उत्तर देलथिन, “हम यहूदी छी, किलिकिया प्रदेशक प्रसिद्ध महानगर तरसुसक नागरिक। अपने सँ निवेदन अछि जे एहि लोक सभ केँ हम किछु कही तकरा लेल हमरा हुकुम देल जाओ।” 40 सेनापतिक आज्ञा पाबि, पौलुस सीढ़ी पर ठाढ़ भऽ कऽ भीड़क लोक केँ शान्त रहबाक लेल हाथ सँ संकेत कयलनि। लोक सभ जखन शान्त भऽ गेल तँ ओ ओकरा सभ केँ इब्रानी भाषा मे कहऽ लगलथिन,
1 “बाबू-भैया लोकनि, हम अपना बारे मे जे कहऽ चाहैत छी से सुनू।” 2 लोक सभ जखन अपना इब्रानी भाषा मे हुनका बजैत सुनलक तँ आरो शान्त भऽ गेल। पौलुस आगाँ कहऽ लगलथिन, 3 “हम यहूदी छी। किलिकिया प्रदेशक तरसुस नगर मे हमर जन्म भेल, मुदा हमर पालन-पोषण एहि यरूशलेम शहर मे भेल। एतऽ आचार्य गमालिएलक चरण मे हमर शिक्षा-दीक्षा भेल। अपना सभक पूर्वजक धर्म-नियम सभ निष्ठापूर्बक पालन करबाक लेल हमरा विस्तारपूर्बक सिखाओल गेल, और हम परमेश्वरक लेल एहन उत्साह सँ समर्पित छलहुँ जेना अहाँ सभ आइ छी। 4 एहि ‘बाट’ पर विश्वास कयनिहार सभ केँ सता कऽ हम मारिओ दैत छलहुँ—पुरुष आ स्त्रीगण दूनू केँ बान्हि-बान्हि कऽ जहल मे रखबा दैत छलहुँ। 5 एहि बातक गवाह महापुरोहित अपने आ धर्मसभाक सदस्य सभ छथि। ओ सभ दमिश्कक यहूदी भाय सभक नामे हमरा पत्रो देलनि जाहि सँ हम दमिश्क जा कऽ विश्वासी सभ केँ बन्दी बना कऽ यरूशलेम आनि दण्ड दिआ सकी। 6 “ओतऽ जाइत-जाइत करीब दुपहरक समय मे जखन हम दमिश्क केँ लगचिआ लेने छलहुँ तँ एकाएक आकाश सँ एकटा बहुत तेज इजोत हमरा चारू कात पड़ल। 7 हम जमीन पर खसि पड़लहुँ, आ एकटा आवाज हमरा ई कहैत सुनाइ देलक, ‘हौ साउल, हौ साउल, तोँ हमरा किएक सतबैत छह?’ हम पुछलियनि, 8 ‘यौ प्रभु, अहाँ के छी?’ ओ उत्तर देलनि, ‘हम नासरतक यीशु छी, जिनका तोँ सता रहल छह।’ 9 हमर संगी सभ इजोत देखलनि, मुदा जे हमरा सँ बात कऽ रहल छलाह, तिनकर आवाजक अर्थ नहि बुझलनि। 10 “हम पुछलियनि, ‘आब हम की करू, प्रभु?’ प्रभु उत्तर देलनि, ‘तोँ उठि कऽ दमिश्क जाह। ओतऽ तोरा कहल जयतह जे तोरा करबाक लेल परमेश्वर की निश्चित कयने छथुन।’ 11 ओहि बड़का इजोतक कारणेँ हमर आँखि अन्हरा गेल छल, आ तेँ हमर संगी सभ हाथ पकड़ि कऽ हमरा दमिश्क मे लऽ गेलाह। 12 “हननियाह नामक एक आदमी हमरा सँ भेँट करबाक लेल अयलाह। ओ धर्म-नियम केँ भक्तिपूर्बक पालन करऽ वला छलाह, आ दमिश्कक सभ यहूदीक बीच प्रतिष्ठित मानल जाइत छलाह। 13 ओ हमरा लग मे ठाढ़ भऽ कऽ कहलनि, ‘भाइ साउल, आब अहाँ फेर सँ देखऽ लागू!’ ओही क्षण हमरा फेर सुझऽ लागल आ हम हुनका देखलियनि। 14 “तखन ओ हमरा कहलनि, ‘अपना सभक पूर्वजक परमेश्वर अहाँ केँ पहिनहि सँ एहि लेल चुनने छथि जे अहाँ हुनकर इच्छा केँ जानी, हुनकर धार्मिक सेवक केँ देखी आ हुनकर अपन मुँहक बात सुनी। 15 सभ मनुष्यक सामने अहाँ ओहि बातक गवाह होयब जे देखने आ सुनने छी। 16 आब आओर विलम्ब किएक? उठू, और प्रभु यीशु सँ विनती कऽ कऽ बपतिस्मा लिअ आ अपन पाप धो लिअ।’ 17 “हम यरूशलेम घुरि अयलहुँ। एक दिन मन्दिर मे प्रार्थना करैत काल हम प्रभुक दर्शन पौलहुँ। 18 हम देखलहुँ जे प्रभु हमरा कहि रहल छथि जे, ‘जल्दी करह! यरूशलेम केँ तुरत छोड़ह, कारण लोक सभ हमरा बारे मे तोहर गवाही स्वीकार नहि करतह।’ 19 हम हुनका उत्तर देलियनि, ‘मुदा प्रभुजी, ओ सभ जनैत अछि जे हम सभाघर सभ मे जा-जा कऽ अहाँक विश्वासी सभ केँ पकड़ि कऽ पिटैत छलहुँ आ जहल मे रखैत छलहुँ। 20 और अहाँक गवाह स्तिफनुसक जखन हत्या भऽ रहल छल तँ हम अपने ओतऽ ठाढ़ छलहुँ आ हुनकर हत्या सँ सहमत छलहुँ। हत्यारा सभक वस्त्रक रखबारिओ कयलहुँ।’ 21 तखन प्रभु हमरा कहलनि, ‘तोँ जाह। हम तोरा दूर-दूर तक गैर-यहूदी सभक बीच पठयबह।’” 22 एतऽ तक लोक सभ पौलुसक बात सुनैत रहल, मुदा आब ई बात सुनिते जे “हम तोरा गैर-यहूदी सभक बीच पठयबह,” ओ सभ जोर-जोर सँ हल्ला करऽ लागल, “एकरा खतम कऽ दिअ! पृथ्वी पर सँ एकर नामो-निशान मेटा दिअ! ई जीवित रहऽ जोगरक नहि अछि!” 23 हल्ला करैत ओ सभ अपन कपड़ा हवा मे फेकि रहल छल और आकाश दिस गर्दा उड़ा रहल छल। 24 तँ सेनापति आदेश देलनि जे, एकरा गढ़ मे लऽ जाह, आ चाबुक सँ पिटि कऽ एकरा सँ पूछ-ताछ करहक जाहि सँ हम बुझि सकब जे लोक सभ एकरा विरोध मे एना किएक हल्ला कऽ रहल छैक। 25 ओ सभ पौलुस केँ जखन पिटबाक लेल बान्हि लेने छल तँ पौलुस कप्तान, जे लग मे ठाढ़ छलाह, तिनका सँ पुछलथिन, “की कानूनक अनुसार ई बात ठीक अछि जे कोनो रोमी नागरिक केँ पिटब, आ ताहू मे, तकरा जे कोनो अपराधक दोषी नहि ठहराओल गेल होअय?” 26 कप्तान ई सुनि सेनापति लग जा कऽ कहलथिन, “अपने ई की कऽ रहल छी? ई आदमी तँ रोमी नागरिक अछि!” 27 सेनापति पौलुस लग अयलाह आ पुछलथिन, “कहह! की तोँ रोमी नागरिक छह?” ओ उत्तर देलथिन, “हँ।” 28 तखन सेनापति कहलथिन, “हमरा तँ अपन नागरिकता प्राप्त करऽ मे बहुत पाइ खर्च करऽ पड़ल।” पौलुस उत्तर देलथिन, “मुदा हम तँ जन्मे सँ नागरिक छी।” 29 तखन ओ सभ जे हुनका सँ पूछ-ताछ करितनि, से सभ तुरत पौलुस केँ छोड़ि कऽ ओतऽ सँ हटि गेल। सेनापति ई बुझि अपनो भयभीत छलाह, जे हम एक रोमी नागरिक केँ जिंजीर सँ बन्हबौने छी। 30 प्रात भेने एहि बातक ठीक सँ पता लगयबाक लेल जे यहूदी सभ पौलुस पर किएक अभियोग लगा रहल अछि, सेनापति हुनकर बन्हन खोलि देलनि और आदेश देलनि जे मुख्यपुरोहित सभ आ सम्पूर्ण धर्म-महासभा जमा होअय। धर्म-महासभा जमा भेला पर हुनका सभक सामने पौलुस केँ ठाढ़ कऽ देलनि।
1 पौलुस धर्म-महासभाक दिस एकटक लगा कऽ देखलनि आ बजलाह, “भाइ लोकनि, हम जाहि तरहेँ आजुक दिन धरि अपन जीवन व्यतीत कयने छी, ताहि सम्बन्ध मे हम अपना केँ परमेश्वरक नजरि मे निर्दोष बुझैत छी।” 2 एहि पर महापुरोहित हननियाह पौलुसक लग मे ठाढ़ लोक सभ केँ आदेश देलथिन जे, मारू ओकरा मुँह पर थप्पड़। 3 तखन पौलुस हुनका कहलथिन, “यौ चुनक-पोतल देवाल, परमेश्वर अहीं केँ मारताह! अहाँ धर्म-नियमक अनुसार हमर न्याय करबाक लेल एतऽ बैसल छी, और अहाँ अपने धर्म-नियमक विरोध मे हमरा मारबाक लेल आज्ञा दैत छिऐक!” 4 पौलुसक लग ठाढ़ लोक सभ हुनका कहलकनि, “की अहाँ परमेश्वरक ठहराओल महापुरोहित केँ अपमानित करैत छियनि?” 5 पौलुस उत्तर देलथिन, “भाइ लोकनि, हमरा नहि बुझल छल जे ई महापुरोहित छथि। धर्मशास्त्रक लेख अछि, ‘तोँ अपन समाजक शासक केँ अपशब्द नहि कहबह।’” 6 पौलुस जनैत छलाह जे उपस्थित लोक सभ मे सदुकी आ फरिसी दूनू पंथक लोक अछि, आ तेँ ओ सभा मे बाजऽ लगलाह, “भाइ लोकनि, हम फरिसी छी, आ फरिसीक पुत्र छी। हमर न्याय एखन एहि लेल कयल जा रहल अछि जे हमर विश्वासपूर्ण आशा अछि जे मुइल सभ फेर जिआओल जायत।” 7 हुनकर ई बात सुनिते, फरिसी आ सदुकी सभ अपने मे झगड़ा करऽ लगलाह, आ सभा मे फूट पड़ि गेल। 8 कारण, सदुकी सभक कथन अछि जे मुइल सभ नहि जिआओल जायत, और ने स्वर्गदूत अछि आ ने कोनो तरहक आत्मा होइत अछि, मुदा फरिसी सभ एहि तीनू बात केँ मानैत अछि। 9 तँ एहि तरहेँ बड़का हल्ला मचि गेल। फरिसी पंथक किछु धर्मशिक्षक सभ उठि बहुत जोर दऽ कऽ कहऽ लगलाह, “हम सभ एहि व्यक्ति मे कोनो खराबी नहि देखैत छी। आ मानि लिअ जे एकरा सँ कोनो स्वर्गदूत वा आत्मा बात कयने होथि, तखन?” 10 ई झगड़ा ततेक ने बढ़ि गेल जे सेनापति केँ डर होमऽ लगलनि जे, कतौ ई सभ पौलुस केँ टुकड़ा-टुकड़ा नहि कऽ दैक। तेँ ओ सैनिक सभ केँ आज्ञा देलथिन जे सभा मे जा कऽ ओकरा जबरदस्ती छोड़ाबह आ गढ़ मे लऽ आनह। 11 ओही राति प्रभु पौलुसक लग मे ठाढ़ भऽ कऽ कहलथिन, “साहस राखह! जहिना तोँ यरूशलेम मे हमरा विषय मे गवाही देलह, तहिना रोम मे सेहो तोरा गवाही देबाक छह।” 12 भोर भेला पर यहूदी सभ षड्यन्त्र रचलक आ सपत खयलक जे, जा धरि पौलुस केँ जान सँ नहि मारि देब, ता धरि किछु नहि खायब-पीब। 13 ई षड्यन्त्र रचनिहार सभ चालिस सँ बेसी गोटे छल। 14 ओ सभ मुख्यपुरोहित सभ आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि लग जा कऽ कहलकनि, “हम सभ भारी सपत खयलहुँ जे, जा धरि पौलुस केँ मारि नहि देब, ता धरि किछु नहि खायब-पीब। 15 तेँ अहाँ सभ धर्म-महासभाक संग मिलि कऽ सेनापति सँ निवेदन करू जे ओ पौलुस केँ एम्हर लऽ अबथि, एहि बहाना सँ जे हम सभ ओकर आरो ठीक सँ जाँच करऽ चाहैत छी। और हम सभ जे छी, से ओकरा एतऽ पहुँचऽ सँ पहिनहि ओकरा मारि देबाक लेल तैयार रहब।” 16 मुदा पौलुसक भागिन एहि षड्यन्त्रक बारे मे सुनि लेलक। ओ तुरत्ते गढ़ मे जा कऽ पौलुस केँ ई बात कहि देलकनि। 17 तखन पौलुस एक कप्तान केँ बजा कऽ कहलथिन, “एकरा सेनापति लग लऽ जाउ, ई हुनका किछु कहऽ चाहैत अछि।” 18 तँ कप्तान ओकरा सेनापति लग लऽ जा कऽ कहलथिन, “बन्दी पौलुस हमरा बजा कऽ कहलक जे हम एहि लड़का केँ अपनेक लग लऽ जाइ, कारण एकरा अपने सँ किछु कहबाक छैक।” 19 सेनापति ओहि लड़का केँ हाथ पकड़ि कऽ एकान्त मे लऽ गेलाह आ पुछलथिन, “तोँ हमरा कोन बात कहऽ चाहैत छह?” 20 ओ उत्तर देलकनि, “यहूदी सभ नियारने अछि जे पौलुस केँ काल्हिखन धर्म-महासभाक सामने अनबाक लेल अपने सँ निवेदन करी, एहि बहाना सँ जे, हम सभ ओकर आरो ठीक सँ जाँच करऽ चाहैत छी। 21 मुदा ओकर सभक निवेदन अपने स्वीकार नहि करब, कारण, ओकरा सभ मे सँ चालिस सँ बेसी लोक हुनकर घात करबाक ताक मे अछि। ओ सभ ई सपत खयने अछि जे, जा धरि पौलुस केँ जान सँ नहि मारि देब, ता धरि किछु नहि खायब-पीब। एखनो ओ सभ तैयार अछि, खाली अपनेक आज्ञाक प्रतीक्षा कऽ रहल अछि।” 22 सेनापति युवक केँ ई कहि कऽ विदा कऽ देलथिन जे, “ककरो नहि बुझऽ दहक जे तोँ हमरा एहि बातक खबरि देलह।” 23 तखन सेनापति दूटा कप्तान केँ बजा कऽ आज्ञा देलथिन, “अहाँ सभ दू सय पैदल-सैनिक, सत्तरि घोड़सवार आ दू सय भालाधारी सैनिक केँ आइ नौ बजे राति तक कैसरिया विदा होयबाक लेल तैयार करू, 24 और पौलुसक लेल सेहो घोड़ाक व्यवस्था करू, जाहि सँ ओ सभ ओकरा सुरक्षित राज्यपाल फेलिक्स लग पहुँचाबय।” 25 ओ राज्यपालक लेल ई पत्र लिखलनि— 26 परम श्रेष्ठ राज्यपाल फेलिक्स केँ क्लौदियुस लुसियासक दिस सँ सादर प्रणाम। 27 एहि आदमी केँ यहूदी सभ पकड़ने छल, और एकर खून करऽ पर लागल छल, मुदा तखने हम सैनिक सभक संग ओतऽ पहुँचि एकरा छोड़ौलहुँ, कारण हमरा पता लागल छल जे ई रोमी नागरिक अछि। 28 हम जानऽ चाहैत छलहुँ जे ओ सभ एकरा विरोध मे की आरोप लगा रहल अछि, तेँ ओकरा सभक धर्म-महासभाक सामने एकरा उपस्थित करौलिऐक। 29 ओतऽ हमरा बुझऽ मे आयल जे ओकरा सभक अपन धर्म सँ सम्बन्धित जे विवादक बात सभ अछि ताहि विषय मे एकरा पर आरोप लगाओल जा रहल अछि, नहि कि कोनो एहन बातक विषय मे जाहि लेल एकरा मृत्युदण्ड देल जाय वा जहलो मे राखल जाय। 30 आब हमरा पता लागल जे एकर हत्याक लेल षड्यन्त्र रचल गेल अछि। तेँ एकरा अपनेक ओहिठाम तुरत पठयबाक निर्णय कयलहुँ। और एकरा पर जे सभ आरोप लगा रहल अछि, तकरा सभ केँ हम सेहो आदेश देने छिऐक जे ओ सभ अपन आरोप अपनेक समक्ष प्रस्तुत करय। 31 सैनिक सभ सेनापतिक आदेशक अनुसार पौलुस केँ राता-राती लऽ गेलनि और अन्तिपत्रिस नगर तक पहुँचा देलकनि। 32 प्रात भेने ओ सभ घोड़सवार सैनिक सभ केँ पौलुस केँ आगाँ लऽ जयबाक लेल छोड़ि देलक आ ओ सभ स्वयं गढ़ पर घुरि गेल। 33 कैसरिया मे पहुँचला पर घोड़सवार सैनिक सभ राज्यपाल केँ पत्र देलकनि आ पौलुस केँ हुनका जिम्मा मे लगा देलकनि। 34 पत्र पढ़लाक बाद राज्यपाल पौलुस सँ पुछलथिन, “अहाँ कोन प्रदेशक छी?” पौलुसक ई उत्तर सुनि जे, हम किलिकिया प्रदेशक छी, 35 राज्यपाल कहलथिन, “अहाँ पर आरोप लगौनिहार सभ जखन एतऽ आबि जायत, तखन हम अहाँक मोकदमा सुनब।” तखन ओ आदेश देलनि जे पौलुस केँ हेरोद-दरबार मे पहरा मे राखल जाय।
1 पाँच दिनक बाद महापुरोहित हननियाह किछु धार्मिक अगुआ सभ और तरतुल्लुस नामक एक वकीलक संग कैसरिया अयलाह, आ राज्यपाल फेलिक्सक समक्ष पौलुसक विरोध मे अपन आरोप प्रस्तुत कयलनि। 2 पौलुस केँ बजाओल गेलनि, आ तरतुल्लुस एहि प्रकारेँ हुनका पर आरोप लगबैत राज्यपाल केँ कहऽ लगलनि, “परम श्रेष्ठ राज्यपाल जी, हमरा लोकनिक बीच जे ई निरन्तर शान्ति रहैत अछि से अपनेक कृपाक कारणेँ अछि। अपनेक बुद्धिमत्तापूर्ण शासनक फलस्वरूप एहि देश मे बहुतो समाजिक सुधार भऽ गेल अछि। 3 ई सभ बात हमरा लोकनि सभ तरहेँ आ सभतरि हार्दिक धन्यवादक संग स्वीकार करैत छी। 4 हम अपनेक बेसी समय नहि लेबऽ चाहैत छी, तेँ निवेदन अछि जे हमरा लोकनिक दू-चारि शब्द केँ सुनबाक कृपा कयल जाओ। 5 बात एहि तरहेँ अछि। ई आदमी उपद्रवी अछि। सौंसे संसारक यहूदी सभ मे आन्दोलन मचबैत घुमैत अछि। ई नासरी-कुपंथक नेता अछि, और एतबे नहि, 6 ई मन्दिरो केँ अपवित्र करबाक कोशिश कयलक, मुदा तखने हमरा लोकनि आबि एकरा पकड़ि लेलिऐक। [हम सभ अपन धर्म-नियमक अनुसार एकर फैसला कऽ देने रहितिऐक, 7 मुदा सेनापति लुसियास आबि कऽ हमरा सभक हाथ सँ एकरा जबरदस्ती छिनि लेलनि 8 और अभियोगी पक्ष केँ अपनेक सम्मुख उपस्थित होयबाक आज्ञा दऽ देलनि।] अपने स्वयं एकरा सँ पूछ-ताछ कऽ कऽ पता लगा सकब जे जाहि बातक आरोप हमरा लोकनि एकरा पर लगा रहल छी, से सभ सत्य अछि।” 9 यहूदी सभ सेहो हुनकर “हँ” मे “हँ” मिला कऽ आरोप लगाबऽ मे संग देलथिन आ कहैत रहलाह, “हँ, यैह बात सभ अछि।” 10 राज्यपाल आब पौलुस केँ बजबाक लेल संकेत कयलनि, तँ ओ एहि प्रकारेँ उत्तर देलथिन, “ई बुझि जे अपने बहुत वर्ष सँ एहि यहूदी जातिक न्यायाधीश छी, हमरा अपनेक सामने अपन वयान देबऽ मे बड्ड प्रसन्नता भऽ रहल अछि। 11 हमरा यरूशलेम मे आराधना करबाक लेल गेला बारह दिन सँ बेसी नहि भेल अछि, तकर पता अपने सेहो लगा सकैत छी। 12 ई सभ जे छथि, से हमरा ने तँ मन्दिर मे ककरो सँ वाद-विवाद करैत आ ने सभाघर मे वा शहर मे कतौ भीड़ केँ भड़कबैत पौलनि। 13 जाहि बातक आरोप ई सभ आब हमरा पर लगा रहल छथि, से बात अपनेक सामने प्रमाणित नहि कऽ सकैत छथि। 14 हँ, हम स्वीकार करैत छी जे हम एहि ‘बाट’ केँ मानैत छी, जकरा ई लोकनि ‘कुपंथ’ कहैत छथि, और एही बाटक अनुसार हम अपन पूर्वजक परमेश्वरक आराधना करैत छी। जे बात मूसाक धर्म-नियम मे आ परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक लेख मे लिखल अछि, ताहि सभ पर हम एखनो विश्वास करैत छी। 15 हमर पूर्ण विश्वास अछि, जेना कि हिनको सभक छनि, जे परमेश्वर धर्मी और अधर्मी दूनू केँ मृत्युक बाद जिऔथिन। 16 एहि कारणेँ हम सदिखन अपन जीवन ताहि तरहेँ व्यतीत करबाक प्रयत्न करैत छी, जाहि सँ हम परमेश्वरक आ मनुष्यक दृष्टि मे निर्दोष रही। 17 “बहुत वर्षक बाद हम अपन जातिक गरीब लोक सभक लेल दान पहुँचाबऽ और परमेश्वर केँ चढ़ौना चढ़यबाक लेल यरूशलेम घूमि अयलहुँ। 18 एही काजक समय मे ई सभ हमरा मन्दिर मे देखलनि। हम शुद्धीकरणक विधि सभ पूरा कऽ लेने छलहुँ, और हमरा संग ने कोनो भीड़ छल आ ने कोनो बातक हुल्लड़ि मचि रहल छल। 19 मुदा तखन आसिया प्रदेशक किछु यहूदी सभ अयलाह आ... उचित तँ ई रहैत जे, जँ हुनका सभ केँ हमरा विरोध मे किछु छलनि तँ ओ सभ स्वयं अपनेक समक्ष एतऽ उपस्थित भऽ कऽ अपन आरोप हमरा पर लगबितथि। 20 आब तँ, ई सभ जे छथि, से सभ एखन कहथु जे हम जखन धर्म-महासभाक सामने मे ठाढ़ छलहुँ तखन ई सभ हमरा कोन अपराधक दोषी पौलनि। 21 एकेटा ई बात भऽ सकत जे हम हिनका सभक सामने मे ठाढ़ भऽ कऽ जोर सँ कहलहुँ जे, ‘अहाँ सभक समक्ष हमर न्याय आइ एही कारणेँ कयल जा रहल अछि जे, हमर पूर्ण विश्वास अछि जे परमेश्वर मुइल सभ केँ जिऔथिन।’” 22 तखन फेलिक्स, जे एहि “बाट”क बारे मे नीक जकाँ जनैत छलाह, ई कहि मोकदमाक सुनवाइ बन्द कयलनि जे, “सेनापति लुसियास जखन आबि जयताह, तखन अहाँ सभक मोकदमाक निर्णय करब।” 23 ओ कप्तान केँ आदेश देलथिन जे पौलुस केँ किछु स्वतन्त्रताक संग पहरा मे राखल जाय आ हुनकर साथी-संगी सभ केँ हुनकर आवश्यकताक पूर्ति करऽ सँ रोकल नहि जाय। 24 किछु दिनक बाद फेलिक्स अपन घरवाली द्रुसिल्ला, जे यहूदी जातिक छलीह, तिनका लऽ कऽ अयलाह आ पौलुस केँ बजबौलनि। पौलुस हुनका सँ प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करबाक सम्बन्ध मे बात करऽ लगलाह आ फेलिक्स सुनैत रहलाह। 25 मुदा जखन ओ धार्मिकता, अपना केँ वश मे रखनाइ, और परमेश्वरक आबऽ वला न्यायक दिनक विषय मे बाजऽ लगलाह, तखन फेलिक्स भयभीत भऽ उठलाह आ कहलथिन, “आब रहऽ दैह! एखन तोँ जा सकैत छह। फेर फुरसति भेटला पर हम तोरा बजयबह।” 26 संगहि-संग ओ पौलुस सँ घूस प्राप्त करबाक आशा रखैत छलाह, आ तेँ हुनका बेर-बेर बजबा कऽ हुनका संग बात-चीत करैत छलाह। 27 दू वर्ष बितलाक बाद फेलिक्सक जगह पर पुरखियुस फेस्तुस राज्यपालक पद पर अयलाह, आ फेलिक्स यहूदी सभ केँ खुश करबाक उद्देश्य सँ पौलुस केँ जहल मे बन्दे छोड़ि गेलाह।
1 फेस्तुस अपना प्रदेश मे अयलाक तीन दिनक बाद कैसरिया सँ यरूशलेम गेलाह। 2 ओतऽ यहूदी सभक मुख्यपुरोहित और अगुआ लोकनि हुनका समक्ष पौलुसक विरोध मे अपन अभियोग प्रस्तुत कयलनि, 3 और हुनका सँ विनती कयलनि जे ओ पौलुस केँ मोकदमाक लेल फेर यरूशलेम पठयबाक कृपा करथि। तकर कारण ई छल जे ओ सभ रस्ते मे पौलुसक हत्या करबाक योजना बना रहल छलाह। 4 मुदा फेस्तुस उत्तर देलथिन, “पौलुस कैसरिया मे बन्दी अछि, आ हम अपने जल्दिए ओतऽ जा रहल छी। 5 तेँ अहाँ सभ मे सँ जे प्रमुख व्यक्ति सभ होथि, से सभ हमरा संग चलथु और जँ ओ कोनो अनुचित काज कयने अछि तँ ओतहि ओकरा पर अभियोग लगबथु।” 6 फेस्तुस हुनका सभक बीच आठ-दस दिन बिता कऽ फेर कैसरिया घूमि अयलाह। प्राते भेने ओ न्यायासन पर बैसि कऽ आज्ञा देलनि जे पौलुस केँ उपस्थित कयल जाय। 7 पौलुस केँ अयला पर यरूशलेम सँ आयल यहूदी सभ हुनका चारू कात ठाढ़ भऽ कऽ हुनका पर भारी-भारी आरोप लगाबऽ लगलनि, जकरा प्रमाणित नहि कऽ सकलाह। 8 तखन पौलुस अपना पक्षक बात सुनौलनि, “हम ने तँ यहूदी सभक धर्म-नियमक विरोध मे, ने मन्दिरक विरोध मे आ ने सम्राट-कैसरक विरोध मे कोनो अपराध कयने छी।” 9 फेस्तुस यहूदी सभ केँ खुश करबाक लेल पौलुस सँ पुछलथिन, “की तोँ यरूशलेम जयबाक लेल तैयार होयबह जे ओतहि हमरा सामने मे एहि बात सभक सम्बन्ध मे तोहर न्याय होयतह?” 10 मुदा पौलुस उत्तर देलथिन, “हम एखन सम्राट-कैसरक न्यायासनक सामने ठाढ़ छी। एतहि हमर न्याय होयबाक चाही। जेना कि अपने नीक जकाँ जनैत छी, हम यहूदी सभ केँ कोनो हानि नहि पहुँचौने छी। 11 हम जँ मृत्युदण्डक योग्य कोनो अपराध कयने होइ तँ मरबाक लेल हम एकदम तैयार छी। मुदा जँ हिनका सभक द्वारा लगाओल अभियोग मे किछु सत्ये नहि अछि तँ हमरा हिनका सभक हाथ सौंपबाक अधिकार किनको नहि छनि। हम सम्राट लग अपील करैत छी!” 12 तखन फेस्तुस अपन सल्लाहकार सभ सँ विचार-विमर्श कऽ कऽ उत्तर देलथिन, “तोँ सम्राट लग अपील कयलह, तोँ सम्राटे लग जयबह!” 13 किछु दिनक बाद राजा अग्रिप्पा और बरनिकी फेस्तुस केँ नव पदक शुभकामना देबाक लेल कैसरिया अयलाह 14 आ हुनका ओतऽ बहुते दिन रहलाह। एहि सँ फेस्तुस केँ पौलुसक मोकदमाक विषय मे राजा केँ बुझयबाक मौका भेटलनि। ओ कहलथिन, “एतऽ एक आदमी अछि जकरा फेलिक्स बन्दिए छोड़ि गेल छथि। 15 हम जखन यरूशलेम गेलहुँ तँ यहूदी सभक मुख्यपुरोहित और बूढ़-प्रतिष्ठित सभ हमरा लग आबि एकरा पर लगाओल आरोप सभ सुनौलनि आ माँग कयलनि जे ओकरा दण्ड देल जाय। 16 मुदा हम हुनका सभ केँ उत्तर देलियनि जे, हम सभ जे रोमी छी, तकरा सभक ई प्रथा नहि अछि जे बन्दी केँ ओहिना ककरो हाथ सौंपि दिऐक। कोनो व्यक्ति पर जँ आरोप लगाओल गेल अछि, तँ पहिने ओकरा आरोप लगाबऽ वला सभक समक्ष अपन पक्षक वयान देबाक अवसर देल जाइत छैक, तकरा बादे फैसला कयल जाइत अछि, ओना नहि। 17 ओ सभ हमरा संग एतऽ अयलाह तँ हम विलम्ब नहि कऽ कऽ प्राते भेने न्यायासन पर बैसि कऽ एहि आदमी केँ उपस्थित करयबाक आज्ञा देलहुँ। 18 मुदा ओकर विरोधी सभ जखन आरोप लगयबाक लेल ठाढ़ भेलाह, तँ ओ सभ एहन कोनो अपराधक आरोप ओकरा पर नहि लगौलनि जेना हम सोचने छलहुँ। 19 एतबे बात छल जे ओकरा सँ हुनका सभ केँ अपन धर्मक कोनो बात सभ मे मतभेद छलनि, और यीशु नामक एक मुइल आदमी, जकरा पौलुस जीविते कहैत छलैक, तकरा विषय मे विवाद छलनि। 20 हमरा फुरयबे नहि करैत छल जे एहन बात सभक छानबीन कोना कयल जाय। तेँ हम ओकरा सँ पुछलिऐक जे, की तोँ यरूशलेम जयबाक लेल तैयार होयबह जाहि सँ ओतहि एहि बात सभक सम्बन्ध मे तोहर न्याय होयतह? 21 मुदा ओ अपील कयलक जे ओ सम्राटक न्याय आ निर्णयक लेल संरक्षण मे राखल जाय, तँ हम आदेश देलहुँ जे जाबत तक हम ओकरा सम्राट लग नहि पठा दैत छी ताबत तक ओ पहरा मे राखल जाय।” 22 एहि पर अग्रिप्पा फेस्तुस केँ कहलथिन, “हम अपने एहि आदमीक बात सुनितहुँ।” फेस्तुस उत्तर देलथिन, “अहाँ काल्हिए ओकर बात सुनि लेबैक।” 23 तँ प्रात भेने अग्रिप्पा आ बरनिकी बड़का धूम-धामक संग सेनापति सभ आ शहरक गणमान्य व्यक्ति सभक संग सभा भवन मे प्रवेश कयलनि। फेस्तुसक आज्ञा पर पौलुस केँ बजाओल गेलनि। 24 तखन फेस्तुस बजलाह, “राजा अग्रिप्पा आ समस्त उपस्थित आदरणीय लोक सभ, ई आदमी, जकरा एतऽ देखैत छी, तकरा सम्बन्ध मे यरूशलेम मे और एतौ सम्पूर्ण यहूदी जातिक लोक सभ जोर-जोर सँ हल्ला कऽ कऽ हमरा सँ ई माँग कयने अछि जे ई आदमी जीवित रहबाक योग्य नहि अछि। 25 मुदा हम एहि निश्चय पर पहुँचल छी जे ई आदमी मृत्युदण्डक योग्य कोनो काज नहि कयने अछि। लेकिन ई अपने जखन सम्राट लग अपील कयलक तँ हम एकरा रोम पठयबाक निर्णय कयलहुँ। 26 मुदा हमरा लग एकरा विषय मे महाराजाधिराज केँ लिखबाक लेल कोनो निश्चित बात नहि अछि। एहि कारणेँ हम अपने सभक सम्मुख, आ खास कऽ, यौ राजा अग्रिप्पा, अपनेक सम्मुख, एहि आदमी केँ उपस्थित करौने छी, जाहि सँ एकर जाँच कयलाक बाद हमरा किछु लिखबाक लेल भेटय। 27 कारण, कोनो बन्दी केँ बिनु ओकर अभियोग-पत्र तैयार कयने सम्राट लग पठायब हमरा तर्कसंगत नहि बुझाइत अछि।”
1 तखन अग्रिप्पा पौलुस केँ कहलथिन, “अहाँ केँ अपना पक्षक वयान देबाक अनुमति अछि।” एहि पर पौलुस हाथ उठा कऽ अपन वयान सुनौनाइ शुरू कयलनि— 2 “राजा अग्रिप्पा, ई हमरा लेल सौभाग्यक बात अछि जे हमरा आइ अपनेक समक्ष ओहि आरोप सभक सम्बन्ध मे उत्तर देबाक अवसर भेटल जे यहूदी सभ हमरा पर लगा रहल छथि, 3 विशेष कऽ एहि लेल जे अपने यहूदी सभक सभ प्रथा आ विवाद सँ नीक जकाँ परिचित छी। तेँ अपने सँ प्रार्थना अछि जे हमर बात धैर्यपूर्बक सुनबाक कृपा कयल जाओ। 4 “हम शुरुए सँ अपना जातिक बीच अपनो देश मे आ यरूशलेमो मे अपन जीवन बचपने सँ कोना बितौलहुँ, से यहूदी सभ जनैत छथि। 5 ओ सभ हमर पुरान परिचित लोक छथि आ तेँ जँ चाहितथि तँ हमरा बारे मे गवाहिओ दऽ सकितथि जे हम अपन यहूदी धर्मक सभ सँ कट्टर पंथ, अर्थात् फरिसी पंथक अनुसरण कयने छलहुँ। 6 और एखन हमर एहि लेल न्याय कयल जा रहल अछि जे हम पूर्ण विश्वासक संग ओहि वचन पर अपन आशा रखने छी जे वचन परमेश्वर हमरा सभक पूर्वज सभ केँ देने छथि। 7 आ ठीक यैह वचन पूरा होयबाक आशा रखैत हमरा यहूदी लोकनिक बारहो कुलक लोक सभ बहुत भक्तिक संग दिन-राति परमेश्वरक सेवा करैत छथि। हँ सरकार, एही वचन पर हमर आशाक कारणेँ यहूदी सभक द्वारा हमरा पर दोष लगाओल जा रहल अछि! 8 अपने सभ केँ ई बात अविश्वसनीय किएक लगैत अछि जे परमेश्वर मुइल सभ केँ जिअबैत छथिन? 9 “हमहूँ सोचैत छलहुँ जे, जतेक हम नासरत-निवासी यीशुक नामक विरोध मे कऽ सकैत छी, ततेक हमरा करबाक अछि। 10 आ हम यरूशलेम मे एना करबो कयलहुँ। मुख्यपुरोहित सभ सँ अधिकार लऽ कऽ हम परमेश्वरक कतेको लोक सभ केँ जहल मे राखि देलहुँ, आ जखन ओकरा सभ केँ मृत्युदण्ड देल गेलैक तँ हमहूँ ओहि मे सहमति दैत छलहुँ। 11 हम कतेको बेर सभाघर सभ मे जा-जा कऽ ओकरा सभ केँ दण्ड दिआ कऽ ओकरा सभ सँ अपना प्रभु केँ अस्वीकार करयबाक कोशिश कयलहुँ। हमरा ततेक क्रोध छल जे सनकल जकाँ भऽ गेल छलहुँ आ हम ओकरा सभ केँ सतयबाक लेल आनो-आन देशक शहर सभ मे गेलहुँ। 12 “एक बेर हम एही काजक लेल मुख्यपुरोहित सभक पूर्ण अधिकार और आज्ञाक संग दमिश्क जा रहल छलहुँ। 13 करीब दुपहरक समय मे, सरकार, रस्ता मे हम आकाश सँ एहन इजोत देखलहुँ जे सूर्योक इजोत सँ तेज छल, जे हमरा आ हमर सहयात्री सभक चारू कात चमकि रहल छल। 14 हम सभ गोटे जमीन पर खसि पड़लहुँ। तखन हमरा अपन इब्रानी भाषा मे एक आवाज सुनाइ देलक जे हमरा कहैत छल, ‘हौ साउल, हौ साउल, हमरा किएक सतबैत छह? तोँ हमर विरोध कऽ कऽ अपने केँ कष्ट पहुँचबैत छह।’ 15 तखन हम पुछलियनि, ‘प्रभु, अहाँ के छी?’ प्रभु हमरा उत्तर देलनि, ‘हम यीशु छी, जिनका तोँ सता रहल छह। 16 आब उठह! पयर पर ठाढ़ होअह, कारण हम तोरा एहि लेल दर्शन देने छिअह जे हम तोरा अपन सेवक आ गवाह नियुक्त करी। तोँ हमरा विषय मे जे देखने छह आ बाद मे जे किछु हम तोरा देखयबह, ताहि सभक सम्बन्ध मे तोरा गवाही देबाक छह। 17 हम तोहर अपन लोकक हाथ सँ और गैर-यहूदी लोक सभक हाथ सँ सेहो तोरा बचयबह। हम तोरा ओकरा सभ लग एहि लेल पठा रहल छिअह जे 18 तोँ ओकरा सभक आँखि खोलह और ओकरा सभ केँ अन्हार सँ इजोत मे, अर्थात् शैतानक राज्य सँ परमेश्वर लग, घुमाबह, जाहि सँ हमरा पर विश्वास कयला सँ ओ सभ पापक क्षमा प्राप्त करय आ परमेश्वरक पवित्र कयल लोकक संग उत्तराधिकारी बनय।’ 19 “तेँ, हे महाराज अग्रिप्पा, हम एहि स्वर्गीय दर्शन सँ भेटल आज्ञाक उल्लंघन नहि कयलहुँ। 20 पहिने दमिश्क मे, तखन यरूशलेम मे आ सौंसे यहूदिया प्रदेश मे, आ गैर-यहूदी सभ मे सेहो हम प्रचार कयलहुँ जे, अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ परमेश्वर लग घूमि आउ, और अपन काज द्वारा अपन हृदय-परिवर्तन केँ प्रमाणित करू। 21 एही कारणेँ यहूदी सभ हमरा मन्दिर मे पकड़लक आ जान सँ मारि देबाक कोशिश कयलक। 22 मुदा परमेश्वर अजुका दिन धरि हमर सहायता कयने छथि, आ तेँ हम आइ एतऽ ठाढ़ भऽ कऽ छोट-पैघ सभक सामने गवाही दऽ रहल छी। जाहि बात सभक भविष्यवाणी मूसा आ परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनि कयलनि, ताहि सँ बेसी हम किछु नहि कहैत छी— 23 अर्थात् ई जे, उद्धारकर्ता-मसीह केँ दुःख उठयबाक छलनि, और सभ सँ पहिल मृत्यु सँ जीबि उठनिहार भऽ कऽ अपनो लोक केँ आ दोसरो जाति सभ केँ सेहो इजोतक शुभ समाचार सुनयबाक छलनि।” 24 पौलुस जखन ई बात सभ कहिए रहल छलाह तँ फेस्तुस बाधा करैत बड्ड जोर सँ कहलथिन, “हौ पौलुस! तोँ बताह भऽ गेलह! तोहर पैघ शिक्षा तोरा बताह कऽ देने छह!” 25 पौलुस उत्तर देलथिन, “परम श्रेष्ठ फेस्तुस, हम बताह नहि छी। हम जे कहैत छी से एकदम सत्य आ विवेकपूर्ण बात अछि। 26 राजा साहेब एहि बात सभक विषय मे जनैत छथि, आ हुनका सँ हम खुलि कऽ बात कऽ सकैत छी। हमरा पूर्ण विश्वास अछि जे एहि सभ बात मे एहन कोनो बात नहि अछि जकरा बारे मे ओ नहि जनैत होथि, कारण ई सभ घटना कोनो कोना मे नहि भेल अछि। 27 राजा अग्रिप्पा, की अपने परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक बात पर विश्वास करैत छी? हम जनैत छी जे अपने केँ विश्वास अछि।” 28 एहि पर अग्रिप्पा पौलुस केँ कहलथिन, “की अहाँ एतबे काल मे हमरा मसीही बनाबऽ चाहैत छी?!” 29 पौलुस उत्तर देलथिन, “ ‘एतबे’ काल वा ‘बहुत’ काल लागय, परमेश्वर करथु जे अपनेटा मात्र नहि, बल्कि आइ जतबा लोक हमर बात सुनि रहल छथि से सभ केओ हमरा जकाँ बनथि—मात्र एहिना जिंजीर सँ बान्हल नहि!” 30 तखन राजा अग्रिप्पा उठि गेलाह, आ तहिना राज्यपाल, बरनिकी आ हुनका सभक संग बैसल सभ लोक सेहो ठाढ़ भऽ गेलाह। 31 सभा सँ बहरा कऽ ओ सभ एक-दोसर सँ बात करऽ लगलाह, आ बजलाह, “ई आदमी मृत्युदण्ड वा जहल मे राखल जयबाक योग्य कोनो काज नहि कऽ रहल अछि।” 32 और अग्रिप्पा फेस्तुस केँ कहलथिन, “ई जँ सम्राट लग अपील नहि कयने रहैत तँ मुक्त कयल जा सकैत।”
1 जखन ई निश्चय भऽ गेल जे हम सभ पानि जहाज सँ इटली देश जायब तँ पौलुस और दोसरो बन्दी सभ केँ सम्राटक सैन्यदलक कप्तान यूलियुसक जिम्मा मे लगा देल गेलनि। 2 हम सभ अद्रमुतियुम नगरक एक जहाज जे आसिया प्रदेशक समुद्रक कछेर पर पड़ऽ वला शहर सभ होइत जाय वला छल, ताहि पर चढ़ि कऽ विदा भेलहुँ। हमरा सभक संग मकिदुनिया प्रदेशक थिसलुनिका नगरक निवासी अरिस्तर्खुस सेहो छलाह। 3 दोसर दिन सीदोन नगर मे पहुँचलहुँ। ओतऽ यूलियुस पौलुस पर दया कऽ कऽ हुनका संगी-साथी सभक ओहिठाम जा कऽ अपन आवश्यकताक वस्तु स्वीकार करबाक अनुमति देलथिन। 4 ओतऽ सँ ओही जहाज सँ फेर विदा भेलहुँ, और हवा विपरीत दिस सँ रहबाक कारणेँ हम सभ साइप्रस द्वीपक अऽढ़ मे चललहुँ। 5 तखन किलिकिया और पंफूलिया प्रदेशक सामनेक समुद्री भाग दऽ कऽ आगाँ बढ़ि लुकिया प्रदेशक मूरा नामक स्थान पर पहुँचलहुँ। 6 ओतऽ कप्तान केँ सिकन्दरिया नगरक एक जहाज भेटलनि जे इटली देश जा रहल छल। ओ हमरा सभ केँ ओहि पर चढ़ा देलनि। 7 कतेक दिन धरि धिरे-धिरे आगाँ बढ़ैत अन्त मे बहुत कठिनाइ सँ हम सभ कनिदुस नगर लग पहुँचलहुँ। हवा हमरा सभ केँ ओहि दिस आरो आगाँ बढ़ऽ नहि दऽ रहल छल आ तेँ हम सभ सलमोन नगर लग क्रेत द्वीपक अऽढ़ मे चल गेलहुँ। 8 द्वीपक काते-काते बहुत कठिनाइ सँ आगाँ बढ़ैत हम सभ “असल शरण” नामक स्थान पर पहुँचलहुँ, जे लसिया नगर लग अछि। 9 एहि तरहेँ बहुत समय बिति गेल छल। प्रायश्चित्त-दिवसक उपास सेहो बिति गेल छल, और जल-यात्रा करब आब खतरनाक छल। तेँ पौलुस लोक सभ केँ ई चेतावनी देलथिन जे, 10 “यौ मित्र लोकनि! हम देखैत छी जे एहि यात्रा मे एखन आगाँ बढ़ला सँ बहुत भारी खतरा होयत। मात्र जहाज आ माल-सामानक नहि, बल्कि अपना सभ केँ अपन प्राणोक हानि उठाबऽ पड़त।” 11 मुदा सेनाक कप्तान पौलुसक सल्लाह नहि मानि कऽ जहाजक कप्तान आ मालिकक बात मानलनि। 12 एहि स्थान पर जाड़ मास बितयबाक लेल जहाज ठाढ़ करबाक उपयुक्त जगह नहि छल, आ तेँ अधिकांश लोक एहि आशा मे आगाँ बढ़ऽ चाहैत छल जे कोहुना कऽ फीनिक्स नगर तक पहुँचि जाइ और ओतहि जाड़ मास बिताबी। फीनिक्स क्रेत द्वीपक एक बन्दरगाह अछि जकर मुँह दक्षिण-पश्चिम आ उत्तर-पश्चिमक दिस अछि। 13 जखन दक्षिण सँ हवा सिहकऽ लागल तँ ई सोचि जे हमरा सभक उद्देश्य पूरा भऽ गेल, नाविक सभ लंगर खोललक आ क्रेत द्वीपक काते-काते बढ़ऽ लागल। 14 मुदा कनेके कालक बाद द्वीपक दिस सँ भयंकर अन्हड़-बिहारि उठल जे “उत्तरबरिया-पुबरिया” कहबैत अछि। 15 जहाज अन्हड़-बिहारि मे तेना ने फँसि गेल जे नाविक सभ जेम्हर सँ अन्हड़-बिहारि आबि रहल छल जहाज केँ तेम्हर मोड़ऽ सँ असमर्थ भऽ गेल। तेँ हम सभ अपना केँ हवाक रुखि पर छोड़ि देलहुँ जे जतऽ लऽ जाय। 16 कौदा नामक छोट द्वीपक अऽढ़ मे पहुँचला पर हम सभ बहुत कठिनाइ सँ जहाजक पाछाँ बान्हल छोट नाव केँ अपना वश मे कऽ सकलहुँ। 17 ओकरा जहाज पर लऽ लेलाक बाद नाविक सभ जहाज केँ मजगूत बनयबाक उद्देश्य सँ जहाज केँ नीचाँ-ऊपर रस्सी लपेटि कऽ बन्हलक। तकरबाद, एहि डरेँ जे जहाज कहीं सुरतिस नामक बालु वला क्षेत्र मे ने धँसि जाय, ओ सभ पाल उतारि कऽ जहाज केँ ओहिना हवा मे दहाय देलक। 18 अन्हड़-बिहारि हमरा सभ केँ ततेक झकझोड़ि रहल छल जे प्रात भेने ओ सभ जहाज परक माल-सामान समुद्र मे फेकऽ लागल। 19 तेसर दिन ओ सभ अपने हाथ सँ जहाजक रस्सी-पाल इत्यादि फेकि देलक। 20 बहुतो दिन तक जखन सूर्य आ तारा सभ देखाइ नहि देलक और अन्हड़-बिहारि चलिते रहल तँ हमरा सभ केँ बचबाक कोनो आशा नहि रहि गेल। 21 जहाज परक लोक सभ बहुतो दिन सँ भोजन नहि कऽ रहल छल। तखन सभक बीच ठाढ़ भऽ कऽ पौलुस कहलथिन, “मित्र लोकनि! उचित तँ ई छल जे अहाँ सभ हमर सल्लाह मानि कऽ क्रेत द्वीप सँ विदाए नहि भेल रहितहुँ। तखन ने ई विपत्ति अबैत आ ने ई हानि उठाबऽ पड़ैत। 22 मुदा एखनो हम अहाँ सभ सँ आग्रह करैत छी जे, साहस राखू, कारण ककरो प्राणक हानि नहि उठाबऽ पड़त, मात्र जहाज नष्ट भऽ जायत। 23 आइए राति मे, परमेश्वर, जिनकर हम छियनि आ जिनकर सेवा करैत छी, तिनकर स्वर्गदूत हमरा लग ठाढ़ भऽ कऽ कहलनि जे, 24 ‘हौ पौलुस, डेराह नहि! तोँ सम्राटक समक्ष अवश्य ठाढ़ होयबह। और परमेश्वर तोरा पर दया कऽ कऽ, तकरा सभ केँ सुरक्षित रखथुन जे सभ तोरा संग यात्रा कऽ रहल छह।’ 25 तेँ अहाँ सभ साहस राखू! कारण, हमरा परमेश्वर पर पूरा विश्वास अछि जे जेना हमरा कहल गेल अछि तेना हयबो करत। 26 मुदा अपना सभक जहाज कोनो द्वीप पर भसिया जायत।” 27 चौदहम राति मे जखन आद्रिया सागर मे एम्हर-ओम्हर भटकि रहल छलहुँ तँ करीब दुपहर राति कऽ नाविक सभ केँ बुझयलैक जे कोनो कछेरक लग मे आबि गेल छी। 28 ओ सभ जखन थाह लेलक तँ ओतऽ अस्सी हाथ गहिंराइ छलैक। कनेक कालक बाद फेर थाह लेलक तँ साठि हाथ भेटलैक। 29 एहि डरेँ जे कहीं पाथर सभ मे ने टकरा जाइ ओ सभ जहाजक पछिलका भाग सँ चारिटा लंगर समुद्र मे खसा देलक आ भोर होयबाक प्रतीक्षा करऽ लागल। 30 नाविक सभ केँ जहाज पर सँ भागि जयबाक विचार छलैक, तेँ जहाजक अगिला भाग सँ लंगर खसयबाक बहाना सँ ओ सभ छोटका नाव समुद्र मे उतारने छल। 31 मुदा पौलुस सेनाक कप्तान और सैनिक सभ केँ कहलथिन, “ई सभ जँ जहाज पर नहि रहत तँ अहूँ सभ नहि बाँचब।” 32 तेँ सैनिक सभ रस्सी सभ काटि कऽ ओहि छोटका नाव केँ समुद्र मे दहा देलक। 33 जखन भोर होमऽ-होमऽ पर छल तँ पौलुस सभ केँ भोजन करबाक लेल आग्रह कयलथिन। ओ कहलथिन, “आइ चौदह दिन भऽ गेल जे अहाँ सभ चिन्ताक कारणेँ भूखले छी, किछु नहि खयलहुँ हँ। 34 आब हम अहाँ सभ सँ विनती करैत छी, किछु खा लिअ! नहि तँ बाँचब कोना? अहाँ सभ मे सँ ककरो कोनो तरहक हानि नहि होयत।” 35 एतबा कहि ओ रोटी लेलनि आ सभक सामने मे परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ रोटी तोड़ि खाय लगलाह। 36 एहि सँ सभ केँ साहस भेटलैक आ ओहो सभ भोजन करऽ लागल। 37 जहाज पर सभ मिला कऽ हम सभ 276 गोटे छलहुँ। 38 भरि इच्छा भोजन कयलाक बाद ओ सभ जहाज परक भार हल्लुक करबाक लेल गहुम केँ समुद्र मे फेकि देलक। 39 भोर भेला पर ओ सभ ओहि लगक जगह केँ नहि चिन्हि सकल, मुदा ओकरा सभक दृष्टि कछेर परक एक लम्बा-चौड़ा बालु वला भाग पर पड़लैक, और ओ सभ निर्णय कयलक जे जँ सम्भव होअय तँ जहाज केँ ओही भाग मे लगाओल जाय। 40 ओ सभ लंगरक रस्सी सभ काटि कऽ लंगर सभ केँ समुद्र मे छोड़ि देलक, आ संगहि पतवारक बन्हन ढील कऽ देलक। तखन जहाजक अगिला भागक पाल हवाक सम्मुख चढ़ा कऽ कछेर दिस आगाँ बढ़ल। 41 मुदा जहाज पानि मेहक बलुआह भाग मे टकरा कऽ फँसि गेल। जहाजक अगिला भाग तेना धँसि गेल जे टस्स सँ मस्स नहि होइत छल, आ पछिलका भाग बड़का लहरि सभ सँ टकरा-टकरा कऽ टुकड़ा-टुकड़ा भऽ रहल छल। 42 सैनिक सभक विचार छलैक जे कैदी सभ केँ जान सँ मारि दी जाहि सँ केओ हेलि कऽ भागि नहि सकय। 43 मुदा सेनाक कप्तान केँ पौलुसक जान बचयबाक इच्छा छलनि, तेँ ओ ओकरा सभ केँ एना करऽ सँ रोकि देलथिन। ओ आज्ञा देलनि जे जकरा सभ केँ हेलऽ अबैत होइक से सभ पहिने पानि मे कुदय और हेलि कऽ कछेर पर चल जाय, 44 आ बाँकी लोक काठक पटरा वा जहाजक कोनो टुटल टुकड़ाक सहारा लऽ कऽ पाछाँ सँ जाय। एना कऽ कऽ सभ केओ ओहि भूमि पर सकुशल पहुँचि गेलहुँ।
1 हम सभ जखन कछेर पर पहुँचलहुँ तँ पता लागल जे एहि द्वीपक नाम माल्टा अछि। 2 ओहिठामक निवासी सभ हमरा सभक संग बहुत उदार भाव सँ व्यवहार कयलक। वर्षा भऽ रहल छल आ जाड़ लागि रहल छल, तँ ओ सभ आगिक घूर बना कऽ हमरा सभक स्वागत कयलक। 3 पौलुस जारनि-काठी बिछि कऽ घूर पर जखन रखलनि तँ ओहि मे सँ आगिक ताव लगला सँ एकटा साँप निकलि कऽ पौलुसक हाथ मे लटकि गेलनि। 4 हुनका हाथ मे साँप लटकल देखि, द्वीपक निवासी सभ एक-दोसर केँ कहऽ लागल, “ई आदमी पक्का हत्यारा अछि! समुद्र सँ तँ बचि कऽ आबि गेल, मुदा न्याय-देवी ओकरा जीबऽ नहि देथिन।” 5 एम्हर पौलुस साँप केँ आगि मे झाड़ि देलनि, आ हुनका किछु नहि भेलनि। 6 ओकरा सभ केँ होइत छलैक जे, एकर शरीर आब फुलि जयतैक वा ई एकाएक खसि कऽ मरि जायत, मुदा बहुतो काल प्रतीक्षा कयलाक बाद जखन देखलक जे एकरा किछुओ नहि भऽ रहल छैक, तँ ओ सभ अपन विचार बदलि कऽ कहऽ लागल, “ई तँ देवता छथि!” 7 ओहिठाम सँ लगे, द्वीपक मुखियाजी पुबलियुसक घर और जमीन छलनि। ओ हमरा सभक स्वागत कयलनि और अपना हवेली मे प्रेम भाव सँ तीन दिन धरि अतिथि-सत्कार कयलनि। 8 हुनकर पिताजी ओहि समय मे बोखार आ सुलबाहि सँ पीड़ित छलनि। पौलुस हुनका कोठली मे जा कऽ हुनका लेल प्रार्थना कयलनि, आ हुनका पर हाथ राखि कऽ स्वस्थ कऽ देलथिन। 9 ई बात बुझि द्वीपक आरो रोगी सभ आबऽ लागल आ ओहो सभ स्वस्थ भऽ गेल। 10 ओ सभ विभिन्न प्रकार सँ हमरा सभक आदर-सत्कार कयलक, और जखन फेर चलबाक समय भऽ गेल तँ ओ सभ हमरा सभक रस्ताक लेल आवश्यक वस्तु सभ आनि जहाज पर राखि देलक। 11 माल्टा द्वीप मे तीन मास रहलाक बाद हम सभ एक जहाज पर चढ़लहुँ जे माल्टा मे जाड़ मास बितौने छल। ओ जहाज सिकन्दरिया नगरक छल और ओहि पर “जौंआदेवता”क आकृति बनाओल गेल छलैक। 12 हम सभ ओहि जहाज सँ विदा भेलहुँ आ सुरकूसा नगर मे रूकि कऽ ओतऽ तीन दिन रहलहुँ। 13 ओतऽ सँ फेर काते-कात आगाँ बढ़ैत रेगियुम बन्दरगाह मे पहुँचलहुँ। एक दिनक बाद जखन दछिनाही-पवन बहऽ लागल तँ ओतऽ सँ फेर विदा भेलहुँ आ दोसर दिन पुतियुली नगर मे अयलहुँ। 14 ओतऽ हमरा सभ केँ किछु विश्वासी भाय सभ भेँट भेलाह। हुनका सभक आग्रह पर हम सभ सात दिन हुनका सभक ओहिठाम ठहरलहुँ। एहि तरहेँ हम सभ रोम महानगर पहुँचलहुँ। 15 रोमक विश्वासी भाय सभ जखन हमरा सभक बारे मे ई सुनलनि जे हम सभ आबि रहल छी तँ हमरा सभ सँ भेँट करबाक लेल ओ सभ रोम सँ “अपियुस चौक” आ “तीन सराय” तक अयलाह। पौलुस हुनका सभ केँ जखन देखलनि तँ परमेश्वरक धन्यवाद कयलनि आ प्रोत्साहित भेलाह। 16 हम सभ जखन रोम शहर मे पहुँचलहुँ तँ पौलुस केँ एक सैनिकक पहरा मे अपन अलग डेरा मे रहबाक अनुमति भेटलनि। 17 तीन दिनक बाद पौलुस रोमक प्रमुख यहूदी सभ केँ बजौलनि। ओ सभ जखन आबि गेलाह तँ पौलुस हुनका सभ केँ कहलथिन, “बाबू-भैया लोकनि, हम अपना सभक यहूदी जातिक विरोध मे वा पूर्वज सभक प्रथाक विरोध मे किछु नहि कयने छी, मुदा तैयो यरूशलेमक यहूदी सभ हमरा बन्दी बना कऽ रोमी सभक हाथ मे सौंपि देलनि। 18 रोमी शासनक अधिकारी सभ हमरा सँ पूछ-ताछ कऽ कऽ हमरा मुक्त करऽ चाहलनि, कारण मृत्युदण्डक योग्य हम कोनो काज नहि कयने छलहुँ। 19 मुदा यहूदी सभ जखन रोमी अधिकारी सभक निर्णयक विरोध कयलनि तँ हमरा सम्राट-कैसर लग अपील करऽ पड़ल। ई बात नहि छल जे हमरा अपन जातिक लोक सभ पर कोनो अभियोग लगयबाक छल। 20 एही कारणेँ हम अपने लोकनि केँ बजा कऽ बात-चीत करऽ चाहैत छलहुँ। जिनका पर यहूदी लोक अपन सभ आशा रखने छथि, तिनके कारण हम एहि जिंजीर सँ बान्हल छी।” 21 ओ सभ उत्तर देलथिन, “हमरा सभ केँ यहूदिया प्रदेश सँ अहाँक सम्बन्ध मे ने कोनो पत्र भेटल अछि, आ ने ओतऽ सँ आयल भाय सभ मे सँ केओ औपचारिक वा अनौपचारिक रूप सँ अहाँक विरोध मे किछु कहने अछि। 22 अहाँक विचार आ विश्वासक सम्बन्ध मे हम सभ अहीं सँ सुनऽ चाहैत छी, कारण, एहि पंथक विषय मे एतेक जनैत छी जे सभ ठाम लोक एकर विरोध कऽ रहल अछि।” 23 तँ ओ सभ पौलुसक बात सुनबाक लेल एक दिन निश्चित कयलनि, आ ओहि दिन पहिल दिन सँ बेसी संख्या मे ओ सभ हुनका ओहिठाम अयलाह। भोर सँ लऽ कऽ साँझ तक ओ हुनका सभ केँ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनौलथिन, और मूसाक धर्म-नियम सँ आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख सँ यीशुक बारे मे हुनका सभ केँ बुझयबाक प्रयत्न कयलनि। 24 किछु लोक हुनकर बात मानि कऽ विश्वास कयलनि, मुदा किछु लोक अविश्वासिए रहि गेलाह। 25 ओ सभ आपस मे वाद-विवाद करऽ लगलाह, और पौलुसक एहि अन्तिम बातक बाद विदा होमऽ लगलाह जे, “पवित्र आत्मा अपन प्रवक्ता यशायाह द्वारा बाजि अहाँ सभक पूर्वज लोकनि केँ ई बात एकदम ठीक कहलनि जे, 26 ‘एहि जाति लग जा कऽ कहक जे, तोँ सभ सुनैत रहबह, मुदा बुझबह नहि। 2 तोँ सभ तकैत रहबह, मुदा सुझतह नहि। 27 कारण, एहि लोक सभक मोन मे ठेला पड़ि गेल छैक, 2 एकरा सभक कान बहीर भऽ गेल छैक। 2 ई सभ आँखि मुनि लेने अछि, जाहि सँ कतौ एना नहि होअय जे 2 आँखि सँ देखय, 2 कान सँ सुनय, 2 मोन सँ बुझय, आ घूमि कऽ हमरा लग आबय 2 और हम ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ दिऐक।’ 28 तेँ अहाँ सभ ई बात बुझि लिअ जे परमेश्वरक उद्धारक ई शुभ समाचार गैर-यहूदी सभ लग पठाओल गेल अछि, और ओ सभ स्वीकार करत!” 29 [पौलुसक एतेक कहलाक बाद यहूदी सभ आपस मे बहुत पैघ वाद-विवाद करैत चल गेलाह।] 30 पौलुस ओहिठाम अपन किरायाक घर मे पूरा दू वर्ष धरि रहलाह। जे लोक सभ भेँट करबाक लेल हुनका ओहिठाम अबैत छलाह, तिनका सभक ओ स्वागत करैत छलथिन, 31 और बिनु कोनो रुकाबट केँ ओ निडर भऽ कऽ परमेश्वरक राज्यक विषय मे प्रचार करैत रहलाह और प्रभु यीशु मसीहक सम्बन्ध मे शिक्षा दैत रहलाह।
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