2 Peter11 हम, सिमोन पत्रुस, जे यीशु मसीहक सेवक आ मसीह-दूत छी, से अहाँ सभ केँ ई पत्र लिखि रहल छी, जे सभ अपना सभक परमेश्वर आ उद्धारकर्ता यीशु मसीहक धार्मिकता द्वारा वैह बहुमूल्य विश्वास प्राप्त कयने छी जे हमरो सभ केँ प्राप्त भेल। 2 परमेश्वर केँ आ यीशु अपना सभक प्रभु केँ चिन्हबाक द्वारा अहाँ सभ केँ प्रशस्त मात्रा मे कृपा आ शान्तिक अनुभव होअय। 3 परमेश्वर अपन ईश्वरीय सामर्थ्य सँ अपना सभ केँ ओ सभ बात देने छथि जे जीवन आ भक्तिक लेल आवश्यक अछि। ओ जे अपन महिमा आ सद्गुण द्वारा अपना सभ केँ बजौने छथि, तिनका चिन्हबाक द्वारा अपना सभ केँ ई सभ बात प्राप्त भेल। 4 एहि महिमा आ सद्गुण द्वारा ओ अपना सभ केँ बहुमूल्य आ उत्तम बात सभ देबाक वचन देने छथि, जाहि सँ ई बात सभ प्राप्त कऽ कऽ अहाँ सभ भ्रष्ट करऽ वला ओहि अधलाह इच्छा सभ सँ बाँचि सकी जे संसार मे अछि, आ ईश्वरीय स्वभाव मे सहभागी भऽ सकी। 5 एहि लेल पूरा-पूरा प्रयत्न करू जे अहाँ सभ अपना विश्वास मे सद्गुण केँ बढ़बैत चली, अपना सद्गुण मे ज्ञान केँ, 6 अपना ज्ञान मे संयम केँ, अपना संयम मे धैर्य केँ, अपना धैर्य मे भक्ति केँ, 7 अपना भक्ति मे भाय-बहिन वला स्नेह केँ, आ अपना भाय-बहिन वला स्नेह मे प्रेम केँ बढ़बैत चली। 8 किएक तँ जँ अहाँ सभ मे ई गुण सभ अछि, आ बढ़ल जा रहल अछि, तँ ई सभ अपना सभक प्रभु यीशु मसीह केँ आओर नीक जकाँ चिन्हऽ-जानऽ मे अहाँ सभ केँ निष्क्रिय आ निष्फल नहि होमऽ देत। 9 मुदा जाहि व्यक्ति मे ई गुण सभ नहि अछि, से कनेको दूर नहि देखि सकैत अछि। ओ आन्हर अछि, और ई बिसरि गेल अछि जे ओ पहिलुका पाप सभ सँ शुद्ध कयल गेल अछि। 10 तेँ, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ वास्तव मे परमेश्वर द्वारा बजाओल गेल छी आ चुनल गेल छी, तकरा सिद्ध करबाक लेल पूरा प्रयत्न करू। ई बात सभ जाबत धरि करैत रहब, ताबत धरि अहाँ सभ कहियो विश्वासक बाट सँ नहि भटकब, 11 बल्कि अपना सभक प्रभु आ उद्धारकर्ता यीशु मसीहक अनन्त कालीन राज्य मे प्रवेश करबाक लेल अहाँ सभक बड़का स्वागत होयत। 12 तेँ हम बेर-बेर अहाँ सभ केँ एहि बात सभक स्मरण करबैत रहब, ओना तँ अहाँ सभ एहि सभ केँ पहिने सँ जनैत छी, और अहाँ सभ केँ जे सत्य प्राप्त भेल अछि, ताहि मे स्थिर सेहो छी। 13 हम जाबत धरि एहि शरीर रूपी डेरा मे छी, ताबत धरि एहि बात सभक स्मरण दिआ कऽ अहाँ सभ केँ उत्साहित करैत रही, से हम अपन कर्तव्य बुझैत छी, 14 किएक तँ हम जनैत छी जे हमरा अपन एहि शरीर केँ जल्दिए छोड़ि देबाक अछि, जेना कि अपना सभक प्रभु यीशु मसीह हमरा कहने छथि। 15 एहि लेल हम पूरा प्रयत्न करब जे अहाँ सभ हमरा चल गेलाक बादो सभ दिन एहि बात सभक याद कऽ सकी। 16 जखन हम सभ अहाँ सभ केँ सुनौलहुँ जे अपना सभक प्रभु यीशु मसीह कोना सामर्थ्य सँ फेर आबऽ वला छथि, तँ हम सभ चलाकी सँ गढ़ल कथा-पिहानी सभक सहारा नहि लेलहुँ, बल्कि हम सभ हुनकर महानता केँ अपना आँखि सँ देखने छलहुँ। 17 कारण, ओ परमेश्वर पिता सँ सम्मान आ महिमा पौलनि जखन परमेश्वरक दिस सँ ई आवाज सुनाइ देलकनि जे, “ई हमर प्रिय पुत्र छथि, हिनका सँ हम अति प्रसन्न छी।” 18 हम सभ जखन पवित्र पहाड़ पर हुनका संग छलहुँ, तँ हम सभ स्वयं स्वर्ग सँ आयल एहि आवाज केँ सुनलहुँ। 19 एहि घटना द्वारा अपना सभ लग जे परमेश्वरक प्रवक्ता सभक भविष्यवाणी सभ अछि, से सभ आरो विश्वसनीय प्रमाणित भेल अछि। हुनका सभक वचन एक प्रकाश जकाँ अछि जे अन्हार स्थान मे चमकि रहल अछि, और ई नीक होयत जे एहि वचन पर अहाँ सभ ताबत धरि ध्यान देने रहब जाबत धरि फरीछ नहि होयत आ अहाँ सभक हृदय मे भोरुकवा तारा नहि उगत। 20 मुदा सभ सँ पहिने अहाँ सभ ई जानि लिअ जे धर्मशास्त्रक कोनो भविष्यवाणी व्यक्तिगत विचारधाराक विषय नहि अछि, 21 किएक तँ धर्मशास्त्रक कोनो भविष्यवाणी मनुष्यक इच्छा सँ कहियो नहि भेल, बल्कि मनुष्य परमेश्वरक पवित्र आत्मा द्वारा संचालित भऽ कऽ परमेश्वरक दिस सँ बजैत छलाह।
1 मुदा परमेश्वरक ओहि प्रवक्ता सभक समय मे लोकक बीच एहनो व्यक्ति सभ छल जे झूठ बाजि कऽ अपना सभ केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहैत छल। तहिना अहूँ सभक बीच झुट्ठा शिक्षक सभ ठाढ़ होयत। ओ सभ गुप्त रूप सँ विनाश मे लऽ जाय वला गलत शिक्षा सभ देबऽ लागत, एतऽ तक जे ओ सभ ओहि स्वामी केँ सेहो अस्वीकार करतनि जे ओकरा सभक छुटकाराक लेल दाम चुका कऽ किनने छथिन, आ एहि तरहेँ ओ सभ जल्दिए अपन विनाशक कारण बनत। 2 बहुतो लोक ओकरा सभक निर्लज्ज वला चालि-चलन अपना लेत, आ ओकरा सभक कारणेँ सत्यक मार्गक बदनामी होयत। 3 ओ सभ लोभक कारणेँ अपन बनाओल बात सभ द्वारा अहाँ सभ सँ अनुचित लाभ उठाओत। दण्डक आज्ञा ओकरा सभ पर बहुत पहिनहि भऽ चुकल अछि; ओ एखनो लागू अछि, और आब ओकरा सभक विनाश नजदीक आबि गेल अछि। 4 मोन राखू जे, जे स्वर्गदूत सभ पाप कयलक तकरा सभ केँ परमेश्वर नहि छोड़लनि, बल्कि ओकरा सभ केँ नरकक अन्हार मे जंजीर सँ जकड़ि कऽ न्यायक दिनक प्रतीक्षा करबाक लेल राखि देलनि। 5 ओ प्राचीन कालक संसार केँ नहि छोड़ि, ओहि मेहक अधर्मी लोक केँ जल-प्रलय द्वारा नष्ट कऽ देलथिन, मुदा धार्मिकताक प्रचार करऽ वला नूह आ हुनका संग सात आरो व्यक्तिक रक्षा कयलथिन। 6 ओ सदोम आ गमोरा नगर सभ केँ भस्म कऽ विनाशक दण्ड देलथिन, जाहि सँ ई घटना भविष्यक अधर्मी सभक लेल एक चेतावनी होअय। 7 मुदा ओ लूत केँ बचौलथिन, जे धर्मी लोक छलाह आ ओहि अधर्मी लोक सभक कुकर्मी व्यवहारक कारणेँ दुखी छलाह। 8 कारण, ओ धर्मी पुरुष ओहि लोक सभक बीच मे रहि कऽ दिन प्रति दिन ओकरा सभक जे अधर्मक काज केँ देखैत आ सुनैत छलाह ताहि सँ हुनकर धर्मनिष्ठ आत्मा केँ घोर कष्ट होइत छलनि। 9 एहि तरहेँ अपना सभ देखैत छी जे प्रभु धर्मी लोक केँ संकट मे सँ बचौनाइ आ अधर्मी सभ केँ दण्ड देबाक लेल न्यायक दिन तक रखनाइ जनैत छथि, 10 विशेष रूप सँ तकरा सभ केँ, जे सभ अपना पापी स्वभावक अशुद्ध इच्छा सभक वश मे भऽ तकर सभक पूर्ति करैत अछि आ किनको अधीन मे नहि रहैत अछि। ई झुट्ठा शिक्षक सभ उदण्ड आ घमण्डी अछि, और स्वर्गिक प्राणी सभक निन्दा करऽ सँ सेहो नहि डेराइत अछि, 11 जखन कि स्वर्गदूत सभ, शक्ति आ सामर्थ्य मे श्रेष्ठ होइतो, प्रभुक सम्मुख ओकरा सभक निन्दा कऽ कऽ ओकरा सभ पर दोष नहि लगबैत छथि। 12 एहन लोक अविवेकी जानबर जकाँ अछि जे नीक-अधलाह किछु नहि बुझैत अछि आ जे पकड़ल और मारल जयबाक लेल उत्पन्न होइत अछि। ई लोक जाहि बात सभ केँ बुझितो नहि अछि, तकर निन्दा करैत अछि। जानबर सभ जकाँ, एकरो सभ केँ नष्ट कयल जयतैक। 13 ई सभ जे दोसर केँ हानि पहुँचौने अछि, तकरा बदला मे एकरा सभ केँ सेहो हानि होयतैक। एकरा सभक लेल मनोरंजनक अर्थ अछि, दिन-दुपहरक समय मे भोग-विलास कयनाइ। ई सभ कलंकित आ दुषित लोक अछि आ अहाँ सभक संग बैसि कऽ खाइत-पिबैत काल सेहो एकरा सभक मोन अपना भोग-विलासक बात सभ मे मग्न रहैत छैक। 14 ई सभ बिनु कुकर्मक इच्छा राखि, स्त्रीगण केँ देखिए नहि सकैत अछि। ई सभ पाप करऽ सँ चुकैत नहि अछि। ई सभ चंचल बुद्धि वला लोक सभ केँ अपना जाल मे फँसा लैत अछि। एकरा सभक मोन केँ लोभ करबाक आदत भऽ गेल छैक। एकरा सभ पर परमेश्वरक सराप अछि! 15 ई सभ सोझका बाट छोड़ि कऽ भटकि गेल अछि, किएक तँ ई सभ बेओरक पुत्र बिलामक बाट पर चलऽ लागल अछि, जे अधर्मक मजदूरीक लोभ कयने छल। 16 मुदा ओकरा अपन अपराधक लेल एकटा गदहा सँ डाँट-फटकार सुनऽ पड़लैक—एकटा पशु, जे बात नहि करैत अछि, से मनुष्य जकाँ बाजऽ लागल आ एहि तरहेँ ओहि भविष्यवक्ताक पागलपन केँ रोकि देलक। 17 ई झुट्ठा शिक्षक सभ ओहन इनार अछि, जाहि मे पानि नहि छैक, ओहन मेघ अछि, जकरा हवा उड़िआ कऽ लऽ जाइत अछि। एकरा सभक लेल अन्हार-गुज स्थान निश्चित कयल गेल अछि। 18 कारण, ई सभ घमण्डक बेकार बात सभ कहैत, लोकक शारीरिक लालसा सभ केँ जगा कऽ काम-वासनाक बात सभ द्वारा ओहन लोक सभ केँ फुसला कऽ फँसा लैत अछि जे सभ हाले मे कुकर्मक बाट पर चलऽ वला सभक संगति सँ बाँचि आयल अछि। 19 ई सभ ओकरा सभ केँ स्वतन्त्र करबाक वचन दैत अछि, जखन कि ई सभ स्वयं भ्रष्टताक गुलाम अछि, किएक तँ जँ केओ कोनो बातक वश मे अछि तँ ओ तकर गुलाम भऽ गेल अछि। 20 जँ ई सभ अपना सभक प्रभु आ उद्धारकर्ता यीशु मसीह केँ चिन्हि कऽ संसारक अशुद्धता सँ बाँचि कऽ निकलि गेलाक बाद फेर ओहि मे फँसि कऽ ओकरे वश मे भऽ गेल, तँ एकरा सभक ई दशा पहिलुको दशा सँ अधलाह अछि। 21 जे पवित्र शिक्षा एकरा सभ केँ देल गेल छल, तकरा बुझि लेलाक बाद ओहि सँ मुँह मोड़ि लेब, ताहि सँ नीक एकरा सभक लेल ई रहैत जे एकरा सभ केँ धार्मिकताक बाटक ज्ञाने नहि प्राप्त भेल रहितैक। 22 एहन लोकक विषय मे ई कहावत सत्य ठहरैत अछि जे, “कुकुर अपन बोकरल चटबाक लेल घूमि अबैत अछि” आ “नहाओल-सोन्हाओल सुगरनी घूमि कऽ फेर थाल मे ओँघराय लगैत अछि।”
1 प्रिय मित्र सभ, हम अहाँ सभ केँ आब ई दोसर पत्र लिखि रहल छी। हम दूनू पत्र मे किछु बात सभक स्मरण दिअबैत अहाँ सभक मोन केँ जागरूक करऽ चाहलहुँ, जाहि सँ अहाँ सभ एहि बात सभक बारे मे ठीक प्रकार सँ सोची। 2 हम चाहैत छी जे, जे बात सभ प्राचीन समय मे परमेश्वरक पवित्र प्रवक्ता सभ द्वारा कहल गेल, और जे आज्ञा अपना सभक प्रभु आ उद्धारकर्ता अहाँ सभक मसीह-दूत लोकनि द्वारा अहाँ सभ केँ सुनबौलनि, ताहि सभ बातक अहाँ सभ स्मरण करी। 3 सभ सँ पहिने अहाँ सभ ई जानि लिअ जे अन्तिम दिन सभ मे हँसी उड़ाबऽ वला धर्मनिन्दक सभ आओत। ओ सभ अपन अधलाह इच्छा सभक अनुसार विचार-व्यवहार करत 4 आ हँसी उड़बैत कहत जे, “की ओ वचन नहि देने रहथि जे हम फेर आयब? तँ कहाँ अयलाह? हमरा सभक पूर्वज सभ तँ चल गेलाह, तैयो सृष्टिक आरम्भ सँ एखन धरि सभ किछु ओहिना चलैत आबि रहल अछि।” 5 मुदा ओ सभ जानि-बुझि कऽ ई बिसरि जाइत अछि जे प्राचीन समय मे आकाश आ पृथ्वी छल, और पृथ्वी परमेश्वरक आदेशे द्वारा जल मे सँ आ जलक माध्यम सँ बनाओल गेल। 6 और ओही जल द्वारा ओहि समयक संसार बाद मे जल-प्रलय सँ नष्ट सेहो भऽ गेल। 7 हुनके आदेश द्वारा वर्तमान आकाश आ पृथ्वी आगि सँ भस्म होयबाक लेल सुरक्षित राखल गेल अछि। एकरा ओहि दिनक लेल राखल जा रहल अछि जहिया अधर्मी लोक सभक न्याय होयतैक आ ओ सभ नष्ट कऽ देल जायत। 8 मुदा यौ प्रिय मित्र सभ, एकटा एहि बात केँ नहि बिसरू जे, प्रभुक दृष्टि मे एक दिन हजार वर्षक बराबरि अछि, आ हजार वर्ष एक दिनक बराबरि। 9 प्रभु अपन देल वचन पूरा करबा मे देरी नहि करैत छथि, जेना कि किछु लोक बुझैत अछि, बल्कि ओ अहाँ सभक प्रति धैर्य रखने छथि। ओ ई नहि चाहैत छथि जे केओ नाश होअय, बल्कि ई चाहैत छथि जे सभ केओ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करय। 10 मुदा “प्रभुक दिन” चोर जकाँ अचानक आओत। तखन आकाश भयंकर आवाजक संग बिला जायत। सूर्य, चन्द्रमा और तारा सभ प्रचण्ड ताप सँ पिघलि जायत, आ पृथ्वी और ओहि परक सभ वस्तु भस्म भऽ जायत। 11 जँ सभ वस्तु एहि प्रकार सँ नष्ट होमऽ वला अछि, तँ अहाँ सभ केँ केहन लोक होयबाक चाही? अहाँ सभ केँ ई चाही जे “परमेश्वरक दिनक” प्रतीक्षा करैत और ओकरा जल्दी लयबाक प्रयास करैत पवित्र आ भक्तिपूर्ण जीवन व्यतीत करी। ओहि दिन आकाश जरि कऽ नष्ट भऽ जायत आ सूर्य, चन्द्रमा और तारा सभ प्रचण्ड ताप सँ पिघलि जायत। 13 मुदा हुनकर देल वचनक अनुसार अपना सभ एक नव आकाश आ नव पृथ्वीक बाट ताकि रहल छी जाहि मे धार्मिकता वास करत। 14 एहि लेल, यौ प्रिय मित्र सभ, जखन अहाँ सभ एहि बात सभक प्रतीक्षा कऽ रहल छी, तँ एहन कोशिश करू जे ओहि दिन अहाँ सभ प्रभुक दृष्टि मे निर्दोष आ निष्कलंक ठहरी आ हुनका संग मेल-मिलाप सँ रही। 15 मोन राखू जे प्रभुक धैर्य लोक केँ उद्धार पयबाक मौका दैत अछि, जेना कि अपना सभक प्रिय भाय पौलुस सेहो अपन ओहि ज्ञान सँ अहाँ सभ केँ लिखने छथि जे ज्ञान हुनका प्रभु सँ देल गेलनि। 16 ओ अपन सभ पत्र मे एके प्रकार सँ एहि बात सभक सम्बन्ध मे लिखैत छथि। हुनकर पत्र सभ मे किछु बात सभ एहन अछि जे कठिनाइ सँ बुझऽ मे अबैत अछि। अज्ञानी आ चंचल बुद्धि वला लोक सभ धर्मशास्त्रक आन बात सभ जकाँ एहू बात सभ केँ गलत अर्थ लगबैत अछि आ एहि तरहेँ अपन विनाशक कारण बनैत अछि। 17 यौ प्रिय मित्र सभ, अहाँ सभ एहि बात सभ केँ पहिनहि सँ जनैत छी। एहि लेल सावधान रहू। कहीं अधर्मी मनुष्य सभक बहकावा मे आबि कऽ अहाँ सभ अपन सुरक्षित स्थान सँ डगमगा कऽ खसि ने पड़ी। 18 बल्कि अहाँ सभ अपना सभक प्रभु आ उद्धारकर्ता यीशु मसीहक कृपा आ ज्ञान मे बढ़ैत जाउ। हुनकर गुणगान एखनो आ अनन्त काल धरि होइत रहनि! आमीन।
|