Markus


1

1 हम पौलुस, जे अपना सभक उद्धारकर्ता परमेश्‍वरक आज्ञा सँ, आ मसीह यीशु जे अपना सभक आशाक आधार छथि तिनकर आज्ञा सँ, मसीह यीशुक एक मसीह-दूत छी, 2 से विश्‍वासक दृष्‍टि सँ अपन असली पुत्र तिमुथियुस केँ ई पत्र लिखि रहल छी— पिता परमेश्‍वर आ अपना सभक प्रभु, मसीह यीशु अहाँ पर कृपा आ दया करथि आ अहाँ केँ शान्‍ति देथि। 3 जहिना मकिदुनिया प्रदेश जाइत काल हम अहाँ सँ आग्रह कयने छलहुँ, तहिना एखनो हमर आग्रह अछि जे अहाँ इफिसुसे नगर मे रहि जाउ, जाहि सँ ओहिठाम जे किछु लोक गलत शिक्षा दऽ रहल अछि तकरा सभ केँ आदेश दिऐक जे ओ सभ एहन शिक्षा देनाइ बन्‍द करय, 4 आ काल्‍पनिक दन्‍तकथा सभ और असंख्‍य वंशावली सभक चक्‍कर मे पड़ल नहि रहय। ओहि सँ मात्र वाद-विवाद बढ़ैत अछि, ने कि परमेश्‍वरक काज, जे विश्‍वास पर आधारित अछि। 5 हमर एहि आदेशक लक्ष्‍य ई अछि जे ओ प्रेम बढ़य जे शुद्ध मोन, निर्दोष विवेक आ निष्‍कपट विश्‍वास सँ उत्‍पन्‍न होइत अछि। 6 किछु लोक एहि सभ केँ छोड़ि, बाट सँ भटकि निरर्थक विवादक बात बजैत रहैत अछि। 7 ओ सभ धर्म-नियम सिखाबऽ वला गुरु बनऽ चाहैत अछि, मुदा जे बात ओ सभ कहैत अछि और जाहि विषय पर जोर दैत अछि तकरा अपने नहि बुझैत अछि। 8 अपना सभ जनैत छी जे जँ धर्म-नियमक उचित उपयोग कयल जाय, तँ ओ उत्तम वस्‍तु अछि। 9 एहि पर ध्‍यान रहय जे धर्म-नियम धर्मी लोक सभक लेल नहि, बल्‍कि अपराधी और अधीन मे नहि रहऽ वला, परमेश्‍वरक डर नहि मानऽ वला और पापी, नास्‍तिक और धर्म-विरोधी, माय-बाबूक हत्‍या कयनिहार और खूनी, 10 परस्‍त्रीगमन कयनिहार और समलैंगिक सम्‍बन्‍ध रखनिहार लोक, मनुष्‍य केँ किनऽ-बेचऽ वला, झूठ बाजऽ वला और झूठ गवाही देबऽ वला, और ओहि सभ लोकक लेल अछि जे सभ आरो-आरो तेहन कोनो काज सभ करैत अछि जे सही सिद्धान्‍तक विपरीत अछि। 11 सही सिद्धान्‍त ओ अछि जे यीशु मसीहक शुभ समाचार सँ मिलैत अछि—ओ शुभ समाचार जे परमधन्‍य परमेश्‍वरक महिमा केँ प्रगट करैत अछि आ जकरा सुनयबाक काज हमरा सौंपल गेल अछि। 12 ई काज करबाक लेल अपना सभक प्रभु, मसीह यीशु, हमरा सामर्थ्‍य देलनि। हम हुनका धन्‍यवाद दैत छियनि, जे ओ हमरा विश्‍वासयोग्‍य बुझि अपन सेवा मे नियुक्‍त कयलनि, 13 जखन कि हम पहिने हुनकर निन्‍दा करैत छलहुँ, हुनकर लोक केँ सतबैत छलहुँ आ खुलि कऽ हुनकर अपमान करैत छलहुँ। मुदा हमरा पर हुनकर दया भेलनि, कारण, हमरा सँ ओ सभ काज अज्ञानता आ अविश्‍वासक दशा मे भेल छल। 14 और देखू, अपना सभक परमेश्‍वर हमरा पर असीम कृपा कयलनि और संगे-संग हमरा ओहि विश्‍वास आ प्रेम सँ भरि देलनि जे मसीह यीशु द्वारा भेटैत अछि। 15 ई एक सत्‍य बात अछि, जकर विश्‍वास सभ केँ करबाक चाही—मसीह यीशु संसार मे पापी सभ केँ बचयबाक लेल अयलाह। और ओकरा सभ मे सँ सभ सँ बड़का पापी हम छी। 16 मुदा यैह कारण छल जे हमरा पर मसीह यीशुक दया भेलनि, जाहि सँ सभ सँ बड़का पापी पर ओ अपन असीम धैर्य प्रगट करथि, और एहि तरहेँ बाद मे आबऽ वला ओहि लोक सभक लेल हम एक उदाहरण बनिएनि जे सभ हुनका पर विश्‍वास कऽ कऽ अनन्‍त जीवन पौनिहार बनताह। 17 युग-युगक राजा, अविनाशी, अदृश्‍य और एकमात्र परमेश्‍वरक सम्‍मान और स्‍तुति युगानुयुग होइत रहनि। आमीन। 18 यौ हमर प्रिय बालक तिमुथियुस, बितल समय मे अहाँक बारे मे जे परमेश्‍वरक दिस सँ सम्‍बाद पाओल गेल छल, तकरे अनुरूप हम अहाँ केँ ई काज सौंपैत छी, जाहि सँ ओहि सम्‍बाद सँ प्रेरणा पाबि अहाँ सत्‍यताक लेल नीक लड़ाइ मे लागल रहू। 19 विश्‍वास मे अटल रहू आ अपन विवेक केँ शुद्ध राखू। एहि दूनू बात केँ किछु लोक बेकार बुझि अपन विश्‍वास केँ नष्‍ट कऽ लेने अछि। 20 ओहि मे हुमिनयुस आ सिकन्‍दर अछि। ओकरा सभ केँ हम शैतानक जिम्‍मा मे दऽ देने छी, जाहि सँ ओ सभ ई सिखय जे परमेश्‍वरक निन्‍दा नहि करबाक अछि।

1 Timothy 2

1 हम सभ सँ पहिने ई अनुरोध करैत छी जे, विनती, प्रार्थना, निवेदन आ धन्‍यवाद सभ मनुष्‍यक लेल परमेश्‍वर लग चढ़ाओल जाय, 2 राजा लोकनि और आरो सभ अधिकारीक लेल सेहो, जाहि सँ अपना सभ भक्‍ति और मर्यादाक संग चैन आ शान्‍ति सँ जीवन व्‍यतीत कऽ सकी। 3 एहन प्रार्थना कयनाइ अपना सभक उद्धारकर्ता परमेश्‍वरक दृष्‍टि मे उत्तम बात अछि, और एहि सँ हुनका खुशी होइत छनि, 4 कारण, हुनकर इच्‍छा ई छनि जे, सभ मनुष्‍य उद्धार पाबय आ सत्‍य केँ जानय। 5 किएक तँ परमेश्‍वर एकेटा छथि और परमेश्‍वर आ मनुष्‍यक बीच मध्‍यस्‍थ सेहो एकेटा, अर्थात् मसीह यीशु, जे स्‍वयं मनुष्‍य छथि, 6 और सभ मनुष्‍यक छुटकाराक मोल चुकयबाक लेल अपना केँ अर्पित कऽ देलनि। एहि तरहेँ मनुष्‍यक सम्‍बन्‍ध मे जे परमेश्‍वरक इच्‍छा छनि, ताहि केँ निश्‍चित कयल समय पर प्रमाणित कऽ देल गेल। 7 हम एही बात केँ प्रचार करबाक लेल, आ मसीह-दूत होयबाक लेल नियुक्‍त कयल गेलहुँ और गैर-यहूदी सभ केँ विश्‍वास आ सत्‍यक विषय मे सिखयबाक लेल पठाओल गेलहुँ। हम सत्‍य कहैत छी, झूठ नहि बजैत छी। 8 एहि लेल हम चाहैत छी जे सभ ठाम पुरुष सभ, क्रोध आ विवाद मे नहि पड़ि, अपन निर्दोष हाथ ऊपर उठा कऽ प्रार्थना करथि। 9 तहिना स्‍त्रीगण सभ सेहो अपन ओढ़न-पहिरन वला बात मे मर्यादा आ शालीनताक ध्‍यान राखथि। अपन श्रृंगार केशक सजावट, सोना वा मोतीक गहना और दामी-दामी वस्‍त्र सँ नहि, 10 बल्‍कि भलाइक काज सभ द्वारा करथि। ई बात ओहि स्‍त्रीगण सभ केँ शोभा दैत छनि जे सभ अपना केँ परमेश्‍वरक भक्‍तिनि कहैत छथि। 11 स्‍त्रीगण सभ मण्‍डलीक सभा मे शान्‍त रहि कऽ अधीनताक संग सिखथि। 12 हम एहि बातक अनुमति नहि दैत छी जे स्‍त्रीगण सभ उपदेश देथि अथवा पुरुष पर हुकुम चलबथि; हुनका सभ केँ चुप रहबाक चाहियनि। 13 कारण, पहिने आदमक सृष्‍टि भेलनि, आ बाद मे हव्‍वाक। 14 दोसर बात, आदम नहि ठकयलाह, बल्‍कि हव्‍वा ठका कऽ पाप मे पड़ि गेलीह। 15 मुदा तैयो जँ स्‍त्रीगण सभ शालीनताक संग विश्‍वास, प्रेम आ पवित्रता मे स्‍थिर रहतीह, तँ अपन मातृत्‍वक कर्तव्‍य पूरा करैत उद्धार पौतीह।

1 Timothy 3

1 ई बात एकदम सत्‍य अछि जे जँ केओ मण्‍डली मे जिम्‍मेवार बनबाक इच्‍छा करैत छथि तँ ओ एक उत्तम काज करऽ चाहैत छथि। 2 तेँ ई आवश्‍यक अछि जे जिम्‍मेवार लोक निष्‍कलंक होथि, हुनका एकेटा स्‍त्री होनि, ओ संयमी, विचारवान, भद्र, अतिथि-सत्‍कार कयनिहार और शिक्षा देबऽ मे निपुण होथि । 3 ओ शराबी नहि होथि, आ मारा-मारी करऽ वला नहि, बल्‍कि नम्र होथि। ओ झगड़ा कयनिहार वा धनक लोभी नहि होथि। 4 ओ अपन घर-व्‍यवहार केँ नीक सँ चलबैत अपन बाल-बच्‍चा केँ कहल मे रखैत होथि, और बच्‍चा सभ हुनका आदर दैत होनि। 5 कारण, जँ केओ अपने घर-व्‍यवहार केँ ठीक सँ चलाबऽ नहि जनैत अछि, तँ ओ परमेश्‍वरक मण्‍डलीक देख-रेख कोना कऽ सकत? 6 मण्‍डलीक जिम्‍मेवार व्‍यक्‍ति नव विश्‍वासी नहि होथि, नहि तँ कतौ एना नहि होअय जे ओ घमण्‍ड सँ फुलि कऽ ओहिना दण्‍ड पयबाक भागी बनि जाथि जेना शैतान बनल। 7 इहो आवश्‍यक अछि जे ओ बाहरी लोक, अर्थात् अविश्‍वासी सभक मध्‍य सम्‍मानित होथि। कतौ एना नहि भऽ जाय जे ओ अपयशक पात्र बनि शैतानक जाल मे पड़थि। 8 तहिना मण्‍डली-सेवक सभ सेहो नीक चरित्रक होथि; ओ सभ दुमुहा, शराबी, वा अनुचित लाभ कमयबाक इच्‍छुक नहि होथि। 9 परमेश्‍वर द्वारा प्रगट कयल सत्‍य जाहि पर अपना सभक विश्‍वास आधारित अछि, तकरा ओ सभ शुद्ध आ निर्दोष मोन सँ मानैत होथि। 10 पहिने हुनका सभक जाँच कयल जानि आ हुनका सभक विरोध मे जँ कोनो बात नहि पाओल जाय, तखन मण्‍डली-सेवकक रूप मे काज करथि। 11 एहि तरहेँ हुनका सभक स्‍त्री लोकनि सेहो सभ्‍य आचरणवाली होथि, दोसराक निन्‍दा-शिकायत करऽ वाली नहि, बल्‍कि संयमी और सभ बात मे विश्‍वासयोग्‍य होथि। 12 मण्‍डली-सेवक सभ एकेटा स्‍त्रीक पति होथि, और अपन बाल-बच्‍चा आ घर-व्‍यवहार केँ नीक सँ चलबैत होथि। 13 मण्‍डली-सेवक बनि जे सेवक सभ अपन सेवाक काज ढंग सँ पूरा करैत छथि, से सभ सम्‍मान पौताह आ मसीह यीशु परक जे हुनका सभक विश्‍वास छनि, ताहि विषय मे निर्भयतापूर्बक बजबाक साहस सेहो बढ़तनि। 14 हमरा आशा अछि जे हम जल्‍दी अहाँ लग आयब, मुदा ई पत्र एहि लेल लिखैत छी जे, 15 जँ हमरा अयबा मे विलम्‍ब भऽ जाय, तँ अहाँ एहि बात केँ जानि ली जे परमेश्‍वरक परिवार मे लोकक चालि-चलन केहन रहबाक चाही। परमेश्‍वरक परिवार जे अछि, से जीवित परमेश्‍वरक मण्‍डलिए अछि। वैह सत्‍यक खाम्‍ह आ न्‍यो अछि। 16 एहि बात मे सन्‍देह नहि जे, परमेश्‍वर द्वारा प्रगट कयल सत्‍यक रहस्‍य महान् अछि— ओ मनुष्‍यक रूप मे प्रगट भेलाह, पवित्र आत्‍मा द्वारा सत्‍य प्रमाणित भेलाह, स्‍वर्गदूत सभ केँ देखाइ देलथिन, जाति-जाति सभ मे हुनकर प्रचार भेलनि, संसार मे हुनका पर विश्‍वास कयल गेल, ओ महिमाक संग स्‍वर्ग मे उठाओल गेलाह।

1 Timothy 4

1 परमेश्‍वरक आत्‍मा स्‍पष्‍ट कहैत छथि जे अन्‍तिम समय मे एहनो लोक सभ होयत जे सभ बहकाबऽ वला आत्‍मा सभ केँ आ दुष्‍टात्‍मा सभक शिक्षा सभ केँ मानि कऽ विश्‍वास त्‍यागि देत। 2 एहन शिक्षा ओहन झूठ बाजऽ वला कपटी लोक द्वारा आओत जकरा सभक विवेक धिपल लोहा सँ दगायल जकाँ सुन्‍न भऽ गेल छैक। 3 ओ सभ विवाह और कोनो-कोनो खयबाक वस्‍तु सभ सँ परहेज करबाक शिक्षा दैत अछि, जखन कि परमेश्‍वर एहि वस्‍तु सभक रचना एहि लेल कयलनि जे, सत्‍य केँ जानऽ वला आ विश्‍वास करऽ वला सभ द्वारा ई वस्‍तु सभ धन्‍यवादक संग ग्रहण कयल जाय। 4 परमेश्‍वरक सृष्‍टि कयल प्रत्‍येक वस्‍तु नीक अछि। कोनो वस्‍तु अस्‍वीकार कयल जाय जोगरक नहि होइत अछि, जँ ओकरा धन्‍यवादक संग स्‍वीकार कयल जाइत छैक तँ, 5 कारण, ओ परमेश्‍वरक कहल बात द्वारा आ प्रार्थना सँ पवित्र ठहराओल जाइत अछि। 6 ई सभ बात विश्‍वासी भाय सभ केँ अहाँ बुझाउ। एहि तरहेँ अहाँ मसीह यीशुक असली सेवक बनल रहब—एहन सेवक जिनकर भरण-पोषण विश्‍वासक सिद्धान्‍त सभ सँ आ ओहि नीक शिक्षा सभ सँ भेल होनि, जकर अहाँ पालन करैत आबि रहल छी। 7 परमेश्‍वर केँ अपमानित करऽ वला निरर्थक काल्‍पनिक कथा-पिहानी सभ सँ दूर रहू। तकर बदला मे परमेश्‍वर केँ पसन्‍द पड़ऽ वला भक्‍तिक जीवनक साधना मे लीन रहू। 8 शारीरिक साधना सँ किछु लाभ तँ अछि, मुदा भक्‍ति सँ असीमित लाभ अछि, किएक तँ ओ जीवनक आश्‍वासन दैत अछि इहलोक मे सेहो और परलोक मे सेहो। 9 ई एक सत्‍य बात अछि, जकर विश्‍वास सभ केँ करबाक चाही। 10 एहि कारणेँ अपना सभ परिश्रम करैत छी आ संघर्ष मे लागल रहैत छी; किएक तँ अपना सभ अपन आशा जीवित परमेश्‍वर पर रखने छी, जे सम्‍पूर्ण मनुष्‍य जातिक, आ विशेष रूप सँ विश्‍वासी सभक उद्धारकर्ता छथि। 11 अहाँ अपना उपदेश मे एही बात सभक शिक्षा और आदेश दैत रहू। 12 युवा अवस्‍थाक कारणेँ केओ अहाँ केँ तुच्‍छ नहि बुझओ, बरु बात-चीत, चालि-चलन, प्रेम, विश्‍वास आ पवित्रता मे विश्‍वासी सभक लेल अहाँ नमूना बनू। 13 जाबत धरि हम नहि आयब, ताबत धरि मण्‍डली केँ धर्मशास्‍त्र पढ़ि कऽ सुनाबऽ मे, विश्‍वासी सभ केँ उत्‍साहित करऽ मे, और शिक्षा देबऽ मे लीन रहू। 14 अहाँ अपन ओहि वरदानक उपयोग करू, जे अहाँ केँ ओहि समय मे भविष्‍यवाणी द्वारा देल गेल जखन मण्‍डलीक देख-रेख कयनिहारक समुदाय अहाँ पर हाथ रखलनि। 15 एहि बात सभक ध्‍यान राखू आ पूर्ण रूप सँ एहि मे लागि जाउ, जाहि सँ सभ लोक अहाँक आत्‍मिक उन्‍नति देखि सकय। 16 अहाँ एहि बात सभ मे दृढ़ बनल रहू। अहाँ जे करैत छी आ जे सिखबैत छी, दूनू पर विशेष ध्‍यान दिअ। एहि तरहेँ कयला सँ अहाँ अपनो लेल और अहाँक शिक्षा केँ सुननिहारो सभक लेल उद्धारक कारण होयब।

1 Timothy 5

1 वृद्ध पुरुष सभ केँ डाँटि-डपटि कऽ नहि, बल्‍कि हुनका सभ केँ अपन पिता तुल्‍य मानि आग्रहपूर्बक समझाउ-बुझाउ। युवक सभ केँ भाय, 2 वृद्ध स्‍त्रीगण सभ केँ माय, आ युवती सभ केँ बहिन मानि हुनका सभक संग एकदम पवित्र भावना सँ व्‍यवहार राखू। 3 ओहन विधवा सभक सम्‍मान और सहायता करू जे सभ वास्‍तव मे निःसहाय छथि। 4 जँ कोनो विधवा केँ बेटा-बेटी वा नाति-पोता सभ अछि, तँ ओहि बेटा-बेटी नाति-पोता सभ केँ सभ सँ पहिने ई सिखबाक चाही जे माय-बाबू, दाइ-बाबा सभ जे हमरा सभक पालन-पोषण कयलनि, तकरा बदला मे हुनका सभक प्रति जे हमर कर्तव्‍य अछि, से हुनका सभक देख-रेख कऽ कऽ हमरा पूरा करबाक अछि। एहन बात सँ परमेश्‍वर प्रसन्‍न होइत छथि। 5 जे विधवा वास्‍तव मे निःसहाय छथि, जिनका केओ देखऽ वला नहि छनि, से परमेश्‍वर पर भरोसा राखि राति-दिन हुनका सँ विनती करैत प्रार्थना मे लागल रहैत छथि। 6 मुदा जे विधवा भोग-विलास मे लिप्‍त भऽ गेल अछि, से जीवित होइतो मरल अछि। 7 अहाँ एहि बात सभक सम्‍बन्‍ध मे मण्‍डलीक लोक सभ केँ ई आज्ञा सभ दिऔक, जाहि सँ एहि क्षेत्र मे ओ सभ निन्‍दा सँ बाँचल रहि सकय। 8 जे केओ अपन सम्‍बन्‍धी सभक आ विशेष कऽ अपने परिवारक सदस्‍य सभक देख-रेख नहि करैत अछि, से विश्‍वास त्‍यागि देने अछि और अविश्‍वासिओ सँ भ्रष्‍ट अछि। 9 जखन ओहि विधवा सभक नाम लिखऽ लागब, जिनका सभ केँ मण्‍डली द्वारा मदति भेटबाक चाही, तँ मात्र ओही विधवा सभक नाम लिखब जे सभ साठि वर्ष सँ कम वयसक नहि होथि, पतिव्रता रहल होथि, 10 और भलाइक काज कयनिहारिक रूप मे चिन्‍हल-जानल जाइत होथि, अर्थात् अपन बाल-बच्‍चा सभक नीक सँ पालन-पोषण कयने होथि, अतिथि सभक सत्‍कार कयने होथि, प्रभुक लोक सभक पयर धोने होथि, दीन-दुखी सभक सहायता कयने होथि आ सभ प्रकारक भलाइक काज मे अपना केँ समर्पित कयने होथि। 11 मुदा जबान विधवा सभक नाम विधवा-सूची मे सम्‍मिलित नहि कयल जाय। किएक तँ यीशु मसीहक लेल जे ओकरा सभक समर्पण अछि ताहि सँ तेज जखन ओकरा सभक शारीरिक काम-वासना होमऽ लगैत छैक तँ विवाह करऽ चाहैत अछि 12 और एहि तरहेँ ओ सभ अपन पहिने कयल प्रतिज्ञा केँ तोड़ि दोषी बनि जाइत अछि। 13 एतबे नहि, समय बरबाद कयनाइ आ अङने-अङने घुमनाइ ओकरा सभक आदत भऽ जाइत छैक। एहि तरहेँ ओ सभ मात्र आलसिए नहि, बल्‍कि ओहन-ओहन बात बाजि जे नहि बजबाक चाही, महा बजक्‍करि, आ दोसराक काज मे टाँग अड़ौनिहारि बनि जाइत अछि। 14 तेँ हम चाहैत छी जे जबान विधवा सभ विवाह करय, सन्‍तान उत्‍पन्‍न करय आ अपन घर-व्‍यवहार चलाबय, जाहि सँ विरोधी केँ मण्‍डलीक निन्‍दा करबाक अवसर नहि भेटैक, 15 कारण, एखनो तँ किछु विधवा भटकि कऽ शैतानक बाट पर चलि गेल अछि। 16 जँ कोनो विश्‍वासी स्‍त्रीगणक परिवार मे विधवा सभ छथि, तँ ओ हुनका सभक सहायता करथि। ओहन विधवाक भार मण्‍डली पर नहि राखल जाय, जाहि सँ मण्‍डली ताहि विधवा सभक सहायता कऽ सकय जिनका केओ नहि छनि। 17 मण्‍डली केँ ठीक प्रकार सँ देख-रेख कयनिहार अगुआ लोकनि केँ दोबर आदर-सम्‍मानक योग्‍य बुझल जानि, विशेष रूप सँ तिनका सभ केँ जे सभ वचनक प्रचारक काज आ शिक्षा देबऽ वला काज मे परिश्रम करैत छथि। 18 किएक तँ धर्मशास्‍त्र कहैत अछि जे, “दाउन करैत बरदक मुँह मे जाबी नहि लगाउ,” आ “मजदूर केँ मजदूरी पयबाक अधिकार छैक।” 19 देख-रेख कयनिहार पर जँ कोनो दोष लगाओल जाइत अछि, तँ बिनु दू-तीन गवाहक पुष्‍टि सँ तकरा स्‍वीकार नहि करू। 20 जे सभ पाप करैत रहैत अछि, तकरा सभ केँ सभक सामने मे डाँटू, जाहि सँ दोसरो लोक सभ केँ पाप करऽ सँ डर लगतैक। 21 हम परमेश्‍वर, मसीह यीशु आ हुनकर चुनल स्‍वर्गदूत सभक सामने अहाँ केँ स्‍पष्‍ट आदेश दैत छी जे, बिना कोनो भेद-भाव राखि एहि नियम सभक पालन करू। पक्षपातक भाव सँ किछु नहि करू। 22 बिनु ठीक सँ विचार कयने ककरो पर तुरत हाथ राखि मण्‍डलीक सेवा-काज मे नियुक्‍त नहि करू। एना नहि होअय जे अनकर पापक भागी बनी। अपना केँ पवित्र राखू। 23 आब अहाँ मात्र पानि नहि पिबू, बल्‍कि पाचन-शक्‍तिक लेल आ बारम्‍बार अस्‍वस्‍थ रहबाक कारणेँ कनेक-कनेक मदिराक सेवन सेहो करू। 24 किछु लोकक पाप प्रत्‍यक्ष होइत अछि और ओ सभ न्‍यायिक जाँच सँ पहिनहि दोषी प्रमाणित भऽ जाइत अछि। मुदा किछु लोकक पाप बादे मे प्रगट होइत अछि। 25 तहिना नीक काज सभ सेहो प्रत्‍यक्ष देखल जाइत अछि, आ जँ ओ नहिओ प्रगट भेल तैयो बहुत समय धरि गुप्‍त नहि रहि सकत।

1 Timothy 6

1 दासत्‍वक जुआ तर मे जे लोक सभ अछि से सभ अपन मालिक केँ पूर्ण आदरक योग्‍य बुझय, जाहि सँ परमेश्‍वरक नाम आ अपना सभक शिक्षाक निन्‍दा नहि होअय। 2 जाहि दासक मालिक प्रभु यीशु पर विश्‍वास कयनिहार छथि, से एहि कारणेँ अपन मालिकक कम आदर नहि करनि जे, ई मालिक तँ विश्‍वासक दृष्‍टिएँ हमर भाये अछि, बल्‍कि ओहि मालिक केँ आओर बढ़ियाँ सँ सेवा करनि, कारण, जाहि आदमी केँ ओकर सेवा सँ लाभ भऽ रहल अछि, से विश्‍वासी आ ओकर प्रिय भाय छथि। अहाँ विश्‍वासी सभ केँ एहि बात सभक शिक्षा दैत रहिऔक, आ ओकरा सभ सँ आग्रह करैत रहू जे एहि आज्ञा सभक पालन करओ। 3 एहि सिद्धान्‍त सभ सँ हटि कऽ जँ केओ कोनो आन शिक्षा दैत अछि आ अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक सत्‍य सिद्धान्‍त सभ केँ नहि मानैत अछि और ओहि शिक्षा सँ सहमत नहि अछि जे असली भक्‍ति उत्‍पन्‍न करैत अछि, 4 तँ ओ अहंकारी आ अज्ञानी अछि। ओकरा झगड़ा करबाक आ शब्‍द सभक विषय मे निरर्थक वाद-विवाद करबाक रोग लागल छैक। एहि प्रकारक वाद-विवाद सँ ईर्ष्‍या, दुश्‍मनी, निन्‍दा आ दोसर लोक सभ पर अधलाह सन्‍देह होमऽ लगैत अछि, 5 और ओहन लोक सभक बीच हरदम झगड़ा होमऽ लगैत छैक, जकर सभक बुद्धि भ्रष्‍ट भऽ गेल छैक, जे सभ सत्‍य सँ वंचित भऽ गेल अछि आ जे सभ भक्‍ति कयनाइ केँ लाभ कमयबाक साधन मानैत अछि। 6 भक्‍ति सँ अवश्‍य पैघ लाभ होइत अछि, मुदा तकरे, जे अपन स्‍थिति सँ सन्‍तुष्‍ट रहैत अछि। 7 किएक तँ अपना सभ एहि संसार मे ने किछु लऽ कऽ आयल छी आ ने एतऽ सँ किछु लऽ कऽ जायब। 8 तेँ जँ अपना सभ केँ भोजन आ वस्‍त्र अछि तँ ताही सँ सन्‍तुष्‍ट रही। 9 मुदा जे केओ धन जमा करऽ चाहैत अछि, से प्रलोभन मे पड़ि जाइत अछि और एहन मूर्खतापूर्ण आ हानिकारक लालसाक जाल मे फँसि जाइत अछि जे लोक सभ केँ पतन आ विनाशक खधिया मे खसा दैत छैक। 10 कारण, धनक लोभ सभ प्रकारक अधलाह बातक जड़ि अछि। एही लोभ मे पड़ि कऽ कतेको लोक सत्‍यक बाट सँ भटकि कऽ अपन विश्‍वास त्‍यागि देने अछि आ अपन मोन केँ विभिन्‍न दुःख-कष्‍ट सँ बेधि लेने अछि। 11 मुदा यौ परमेश्‍वरक भक्‍त, अहाँ एहि सभ बात सँ दूर भागू आ धार्मिकता, भक्‍ति, विश्‍वास, प्रेम, धैर्य आ नम्रताक साधना मे लागू। 12 विश्‍वासक नीक लड़ाइ मे लागल रहू, और ओहि अनन्‍त जीवन केँ पकड़ने रहू जे जीवन प्राप्‍त करबाक लेल अहाँ बजाओल गेलहुँ आ जकरा विषय मे अहाँ बहुतो लोकक समक्ष नीक गवाही देलहुँ। 13 परमेश्‍वर केँ, जे सभक जीवनदाता छथि, और मसीह यीशु केँ, जे राज्‍यपाल पिलातुसक समक्ष सत्‍यक नीक गवाही देलनि, साक्षी राखि कऽ हम अहाँ केँ आज्ञा दैत छी जे, 14 जा धरि अपना सभक प्रभु यीशु मसीह फेर नहि आबि जयताह, ता धरि निष्‍कलंक और निर्दोष रहि कऽ अहाँ केँ जे जिम्‍मेवारी देल गेल अछि तकरा पूरा करू। 15 प्रभु यीशु मसीह केँ वैह उचित समय पर प्रगट करथिन जे परमधन्‍य परमेश्‍वर और एकमात्र शासक छथि। ओ राजा सभक राजा आ प्रभु सभक प्रभु छथि। 16 ओ अमरताक एकमात्र स्रोत छथि और ओहन इजोत मे वास करैत छथि जकरा लग मे केओ जा नहि सकैत अछि। हुनका कोनो मनुष्‍य ने कहियो देखने छनि आ ने देखि सकैत छनि। ओही परम परमेश्‍वरक सम्‍मान और सामर्थ्‍य अनन्‍त काल धरि रहनि। आमीन। 17 एहि वर्तमान संसारक चीज-वस्‍तुक दृष्‍टिकोण सँ जे सभ धनिक अछि, तकरा सभ केँ आज्ञा दिऔक जे ओ सभ अहंकारी नहि बनय। ओ सभ धन-सम्‍पत्ति पर नहि, जे जल्‍दी सँ समाप्‍त होइत अछि, बल्‍कि परमेश्‍वर पर भरोसा राखय, जे अपना सभ केँ आनन्‍दित रहबाक लेल सभ वस्‍तु पर्याप्‍त मात्रा मे दैत छथि। 18 ओ सभ नीक काज करैत रहय, भलाइक काज सभ करऽ मे धनिक बनय, कंजूस नहि रहय, और दोसराक सहायता करबाक लेल सदिखन तत्‍पर रहय। 19 एहि तरहेँ ओ सभ अपना लेल एहन पूजी लगाओत जे भविष्‍यक एक उत्तम आधार रहतैक, जकरा द्वारा ओ सभ ओ जीवन प्राप्‍त करत जे वास्‍तविक जीवन अछि। 20 यौ तिमुथियुस, अहाँक जिम्‍मा मे जे देल गेल अछि तकर रक्षा करू। परमेश्‍वर केँ अपमानित करऽ वला निरर्थक बकवाद, और सत्‍यक विरोधी “ज्ञान”क शिक्षा, जे ज्ञान तँ कहबैत अछि मुदा अछि नहि, ताहि सँ दूर रहू। 21 किएक तँ कतेको लोक एहि “ज्ञान” केँ स्‍वीकार कऽ विश्‍वासक मार्ग सँ भटकि गेल अछि। अहाँ सभ पर परमेश्‍वरक कृपा बनल रहओ।



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