1 Thessalonians


1

1 पौलुस, सिलास आ तिमुथियुसक दिस सँ, पिता परमेश्‍वर और प्रभु यीशु मसीहक मण्‍डलीक नाम जे~थिसलुनिका नगर मे अछि, ई पत्र— अहाँ सभ पर कृपा कयल जाय आ अहाँ सभ केँ शान्‍ति भेटय। 2 हम सभ अपना प्रार्थना मे अहाँ सभ गोटे केँ स्‍मरण कऽ कऽ अहाँ सभक लेल परमेश्‍वर केँ सदिखन धन्‍यवाद दैत छियनि। 3 अहाँ सभक काज, जे विश्‍वास सँ प्रेरित होइत अछि, परिश्रम, जे प्रेम सँ प्रेरित होइत अछि, आ सहनशीलता, जे ओहि आशा सँ प्रेरित होइत अछि जे अहाँ सभ अपना सभक प्रभु यीशु मसीह पर रखने छी, तकरा सभ केँ हम सभ अपन पिता परमेश्‍वरक सम्‍मुख हरदम मोन रखैत छी। 4 यौ हमर भाइ लोकनि, अहाँ सभ सँ परमेश्‍वर प्रेम करैत छथि, आ हम सभ जनैत छी जे अहाँ सभ परमेश्‍वरक चुनल लोक छी। 5 कारण, हम सभ जखन अहाँ सभक बीच प्रभु यीशुक शुभ समाचार पहुँचौलहुँ तँ ओ मात्र शब्‍दक रूप मे नहि रहल, बल्‍कि अहाँ सभ लग सामर्थ्‍यक संग, परमेश्‍वरक पवित्र आत्‍माक संग आ पूर्ण निश्‍चयताक संग पहुँचल। अहाँ सभक बीच अहाँ सभक कल्‍याणक लेल हमरा सभक चालि-चलन केहन छल, से अहाँ सभ जनैत छी। 6 अहाँ सभ हमरा सभ केँ आ प्रभु यीशु केँ नमूना मानि कऽ घोर कष्‍टक सामना करितो पवित्र आत्‍मा सँ प्राप्‍त आनन्‍द सँ सुसमाचार स्‍वीकार कयलहुँ। 7 तकर परिणाम ई भेल जे अहाँ सभ मकिदुनिया प्रदेश आ अखाया प्रदेशक सभ विश्‍वासीक लेल नीक उदाहरण बनि गेलहुँ। 8 प्रभुक सुसमाचार अहाँ सभक ओहिठाम सँ मात्र मकिदुनिया आ अखाया मे नहि पसरल, बल्‍कि परमेश्‍वर पर अहाँ सभक जे विश्‍वास अछि, तकर चर्चा सभतरि पसरि गेल अछि। आब एहि सम्‍बन्‍ध मे हम सभ ककरो किछु कहिऐक तकर आवश्‍यकते नहि रहि गेल अछि, 9 कारण, लोक सभ स्‍वयं हमरा सभ केँ कहऽ लगैत अछि जे अहाँ सभक ओतऽ हमरा सभक केहन स्‍वागत भेल। ओ सभ सुनबैत अछि जे अहाँ सभ कोन प्रकारेँ मूर्ति सभ केँ छोड़ि कऽ परमेश्‍वरक दिस घूमि गेलहुँ, जाहि सँ अहाँ सभ सत्‍य आ जीवित परमेश्‍वरक सेवा करियनि आ स्‍वर्ग सँ हुनकर पुत्रक, अर्थात् यीशुक, अयबाक बाट तकियनि, जिनका परमेश्‍वर मुइल सभ मे सँ जिऔने छथिन। और यैह यीशु पापक विरोध मे प्रगट होमऽ वला परमेश्‍वरक क्रोध सँ अपना सभ केँ बचाबऽ वला छथि।

1 Thessalonians 2

1 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ जनिते छी जे अहाँ सभक ओतऽ हमरा सभक अयनाइ व्‍यर्थ नहि भेल। 2 अहाँ सभ केँ तँ बुझल अछि जे एहि सँ पहिने हमरा सभ केँ फिलिप्‍पी नगर मे दुर्व्‍यवहार और अपमान सहऽ पड़ल छल। तैयो अपना परमेश्‍वरक सहायता सँ हम सभ घोर विरोधक सामना करितो अहाँ सभ केँ परमेश्‍वरक शुभ समाचार सुनयबाक लेल साहस कयलहुँ। 3 सुसमाचार पर विश्‍वास करबाक जे आग्रह हम सभ करैत छी से ने तँ असत्‍य पर आधारित अछि, ने अपवित्र उद्देश्‍य सँ प्रेरित अछि आ ने ओहि मे कोनो छल-कपट अछि। 4 बल्‍कि, परमेश्‍वरे हमरा सभ केँ एहि जोगरक बुझलनि जे हमरा सभक हाथ मे सुसमाचार-प्रचारक काज सौंपल जाय आ एहि तरहेँ हम सभ प्रचार करितो छी। हम सभ ई काज मनुष्‍य केँ प्रसन्‍न करबाक लेल नहि करैत छी, बल्‍कि परमेश्‍वर केँ, जे हमरा सभक मोन केँ जँचैत छथि। 5 अहाँ सभ जनैत छी, आ परमेश्‍वरो गवाह छथि जे हम सभ कहियो चापलूसी वला बात नहि बजलहुँ, आ ने हमरा सभक व्‍यवहार मे कोनो प्रकारक लोभक बहाना छल। 6 हम सभ मनुष्‍य सँ प्रशंसा पयबाक प्रयत्‍न नहि कयलहुँ—ने अहाँ सभ सँ आ ने आन ककरो सँ। हम सभ मसीहक पठाओल दूत होयबाक कारणेँ अहाँ सभ पर भार बनि सकैत छलहुँ, मुदा से नहि कयलहुँ। 7 जहिना माय अपना दूधपीबा बच्‍चाक लालन-पालन करैत अछि तहिना हम सभ अहाँ सभक संग कोमल व्‍यवहार कयलहुँ। 8 अहाँ सभक लेल हमरा सभ केँ तेहन ममता आ प्रेम भऽ गेल छल जे अहाँ सभ केँ मात्र परमेश्‍वरक सुसमाचार सुनाबऽ मे नहि, बल्‍कि अपना केँ अर्पित करऽ मे सेहो हमरा सभ केँ बड़का आनन्‍द भेल—अहाँ सभ हमरा सभक ततेक प्रिय भऽ गेल छलहुँ। 9 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ केँ तँ हमरा सभक कठोर परिश्रम अवश्‍य मोन होयत, अहाँ सभक बीच कोना हम सभ राति-दिन खटैत रहैत छलहुँ जाहि सँ परमेश्‍वरक सुसमाचार सुनबैत ककरो पर भार नहि बनिऐक। 10 अहाँ सभ एहि बातक गवाह छी, आ परमेश्‍वरो छथि जे, अहाँ सभ जे विश्‍वासी छी तिनका सभक बीच हमरा सभक आचरण-व्‍यवहार कतेक पवित्र, उचित और निर्दोष छल। 11 अहाँ सभ जनैत छी जे जेहने व्‍यवहार एकटा बाबू अपन धिआ-पुताक संग करैत अछि तेहन व्‍यवहार हम सभ अहाँ सभ मे सँ प्रत्‍येक गोटेक संग कयलहुँ— 12 बात सिखबैत आ उत्‍साह बढ़बैत आग्रह करैत रहलहुँ जे, जे परमेश्‍वर अहाँ सभ केँ अपना राज्‍य आ महिमा मे सहभागी होयबाक लेल बजबैत छथि तिनका जेहन जीवन नीक लगनि, ओहने जीवन बिताउ। 13 हम सभ लगातार एहू लेल परमेश्‍वर केँ धन्‍यवाद दैत छियनि जे, अहाँ सभ जखन हमरा सभ सँ परमेश्‍वरक वचन सुनलहुँ तँ ओकरा मनुष्‍यक सोचल बात बुझि कऽ नहि, बल्‍कि परमेश्‍वरक कहल बात मानि कऽ स्‍वीकार कयलहुँ, आ से ओ वास्‍तव मे अछिओ। और आब अहाँ सभ जे विश्‍वास करैत छी तिनका सभक जीवन मे ओ वचन काज कऽ रहल अछि। 14 हँ, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ यहूदिया प्रदेश मे रहऽ वला परमेश्‍वरक मण्‍डली सभ जकाँ भऽ गेलहुँ, अर्थात्, ओतऽ रहऽ वला मसीह यीशुक लोक सभ जकाँ। कारण, अहाँ सभ अपना समाजक लोक सँ तेहने दुर्व्‍यवहार सहलहुँ जेहन ओहो सभ यहूदी सभ सँ सहलनि। 15 यहूदी सभ तँ प्रभु यीशु केँ आ परमेश्‍वरक प्रवक्‍ता सभ केँ मारि देलकनि और आब हमरो सभ केँ भगौने अछि। ओ सभ परमेश्‍वर केँ अप्रसन्‍न करैत अछि। ओ सभ पूरा मानव जातिक विरोधी अछि, 16 कारण, जाहि सुसमाचार द्वारा गैर-यहूदी सभ केँ उद्धार होइतैक, तकरा हमरा सभ केँ गैर-यहूदी सभ मे सुनाबऽ सँ रोकबाक प्रयत्‍न करैत रहैत अछि। एहि तरहेँ ओ सभ अपन पापक घैल भरैत जा रहल अछि। एहि कारणेँ परमेश्‍वर आब अपन क्रोध प्रगट कऽ कऽ ओकरा सभ केँ दण्‍ड देथिन। 17 यौ भाइ लोकनि! हम सभ जखन अहाँ सभ सँ किछु समयक लेल दूर कयल गेलहुँ—हृदय मे सँ नहि, बल्‍कि नजरिक सोझाँ सँ—तँ अहाँ सभ केँ फेर देखबाक बड्ड उत्‍सुकता भेल। 18 तेँ अहाँ सभ सँ भेँट करबाक कोशिश कयलहुँ। हँ, हम पौलुस, बेर-बेर अयबाक प्रयत्‍न कयलहुँ, मुदा शैतान हमरा सभ केँ रोकि देलक। 19 यौ भाइ लोकनि, हमरा सभक आशा और आनन्‍द की अछि? की अहाँ सभ नहि छी? और अपना सभक प्रभु यीशु जहिया फेर औताह, तँ हुनका समक्ष हमरा सभक ओ विजय-मुकुट की होयत जाहि पर हम सभ गर्व करब? की अहाँ सभ नहि होयब? 20 अहीं सभ तँ हमरा सभक गौरव आ आनन्‍द छी।

1 Thessalonians 3

1 तेँ अन्‍त मे जखन हमरा सभ केँ आरो नहि रहल गेल तँ ई नीक बुझायल जे हम सभ अपने एथेन्‍स नगर मे रही, 2 और अहाँ सभ लग तिमुथियुस केँ पठाबी। ओ हमरा सभक भाय और मसीहक शुभ समाचार सुनाबऽ मे परमेश्‍वरक संग-संग काज कयनिहार छथि। हुनका एहि लेल पठौलहुँ जे ओ अहाँ सभ केँ विश्‍वास मे मजगूत करथि और अहाँ सभक हिम्‍मत बढ़बथि, 3 जाहि सँ अहाँ सभ मे सँ केओ एहि अत्‍याचार सभक कारणेँ जे अहाँ सभ सहि रहल छी डगमगाय नहि लागी। अहाँ सभ तँ जनिते छी जे एहन कष्‍ट अपना सभक जीवन मे अयबेटा करत। 4 हम सभ अहाँ सभक ओतऽ जखन छलहुँ तँ अहाँ सभ केँ कहबो कयलहुँ जे अपना सभ केँ अत्‍याचारक सामना अवश्‍य करऽ पड़त, आ जेना अहाँ सभ जनिते छी, से बात भेबो कयल। 5 तेँ जखन हमरा आरो नहि रहल गेल तँ हम अहाँ सभक विश्‍वासक हाल-समाचार बुझबाक लेल तिमुथियुस केँ अहाँ सभ लग पठौलहुँ। हमरा डर छल जे कतौ एना तँ नहि भेल जे धोखा देबऽ वला शैतान अहाँ सभ केँ लोभ देखौने होअय आ हमरा सभक मेहनत बेकार भऽ गेल होअय। 6 मुदा तिमुथियुस एखने अहाँ सभक ओहिठाम सँ आबि गेलाह और अहाँ सभक विश्‍वास आ प्रेमक नीक समाचार सुनौलनि। ओ कहलनि जे अहाँ सभ हमरा सभ केँ सदिखन प्रेम सँ याद करैत छी आ हमरा सभ केँ फेर देखबाक लेल ओतेक उत्‍सुक छी जतेक हम सभ अहाँ सभ केँ देखबाक लेल। 7 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभक विश्‍वासक समाचार जानि हमरा सभ केँ अपन सभ कष्‍ट-विपत्ति मे अहाँ सभक विषय मे प्रोत्‍साहन भेटल। 8 अहाँ सभ प्रभु मे स्‍थिर छी, से सुनि आब हमरा सभ मे जान आबि गेल! 9 अहाँ सभक कारणेँ जे अपना सभक परमेश्‍वरक सम्‍मुख हमरा सभक बड़का आनन्‍द अछि, तकरा लेल हम सभ परमेश्‍वर केँ कोन शब्‍द सँ धन्‍यवाद दियनि? 10 हम सभ दिन-राति पूरा मोन सँ हुनका सँ ई प्रार्थना करैत रहैत छी जे हम सभ अहाँ सभ केँ फेर देखि सकी और अहाँ सभक विश्‍वास मे जे कमी रहि गेल अछि, तकरा पूरा कऽ सकी। 11 आब अपना सभक पिता परमेश्‍वर स्‍वयं और अपना सभक प्रभु यीशु हमरा सभक लेल अहाँ सभ लग अयबाक रस्‍ता खोलथि। 12 प्रभु एना करथि जे, जाहि तरहेँ हम सभ अहाँ सभ सँ प्रेम करैत छी, ताहि तरहेँ अहाँ सभक प्रेम एक-दोसराक लेल और सभ लोकक लेल बढ़ैत आ उमड़ैत रहय। 13 ओ अहाँ सभक मोन स्‍थिर करथि जाहि सँ अपना सभक प्रभु यीशु जहिया अपन सभ पवित्र लोकक संग औताह तहिया अहाँ सभ अपना सभक पिता परमेश्‍वरक सम्‍मुख पवित्र आ निर्दोष पाओल जाइ।

1 Thessalonians 4

1 यौ भाइ लोकनि, आब अहाँ सभ केँ किछु आरो बातक विषय मे लिखबाक अछि। अहाँ सभ केँ हम सभ ई शिक्षा देने छी जे कोन तरहेँ जीवन बितयबाक अछि जाहि सँ परमेश्‍वर केँ प्रसन्‍नता भेटनि, और ताहि अनुसारेँ अहाँ सभ जीवन बितबैत सेहो छी। आब प्रभु यीशुक नाम सँ हमरा सभक ई निवेदन अछि, ई आग्रह अछि, जे अहाँ सभ एहन जीवन मे आरो-आरो आगाँ बढ़ैत जाउ। 2 अहाँ सभ केँ तँ मोन होयत जे प्रभु यीशुक दिस सँ हम सभ कोन-कोन आदेश अहाँ सभ केँ देलहुँ। 3 परमेश्‍वरक इच्‍छा ई छनि जे अहाँ सभ पवित्र बनी। ओ चाहैत छथि जे अहाँ सभ दोसराक संग सभ तरहक अनैतिक शारीरिक सम्‍बन्‍ध सँ दूर रही, 4 अहाँ सभ मे सँ प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति अपना शरीर केँ पवित्रता और मर्यादाक संग नियन्‍त्रण मे राखी, 5 आ नहि कि प्रभुक शिक्षा सँ अपरिचित जातिक लोक सभ, जे सभ परमेश्‍वर केँ नहि चिन्‍हैत अछि, तकरा सभ जकाँ अपना शरीर केँ वासनाक पूर्ति करबाक साधन बुझी। 6 हुनकर इच्‍छा ई छनि जे, केओ एहन गलत काज कऽ कऽ मर्यादाक उल्‍लंघन कऽ अपन विश्‍वासी भाय केँ धोखा नहि दैक। कारण, प्रभु एहन सभ बातक लेल दण्‍ड देताह। एहि सम्‍बन्‍ध मे हम सभ पहिनहुँ अहाँ सभ केँ गम्‍भीर चेतावनी दऽ देने छी। 7 परमेश्‍वर तँ अपना सभ केँ अशुद्ध जीवन बितयबाक लेल नहि बजौलनि, बल्‍कि पवित्र जीवन। 8 एहि लेल, जे केओ एहि आदेश केँ अस्‍वीकार करैत अछि, से मनुष्‍य केँ नहि, बल्‍कि परमेश्‍वर केँ, जे अहाँ सभ केँ अपन पवित्र आत्‍मा प्रदान करैत छथि, तिनका अस्‍वीकार करैत अछि। 9 विश्‍वासी भाय सभ मे जे एक-दोसराक लेल प्रेम होयबाक चाही, ताहि विषय मे हमरा सभ केँ किछु लिखबाक कोनो आवश्‍यकता नहि अछि, कारण, अहाँ सभ अपने एक-दोसराक लेल प्रेम-भाव रखनाइ परमेश्‍वर सँ सिखने छी, 10 और अहाँ सभ मकिदुनिया प्रदेशक सभ भाय सँ तहिना प्रेम करितो छी। तैयो, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ सँ हमरा सभक ई आग्रह अछि जे, आरो बढ़ि कऽ प्रेम करी। 11 जहिना अहाँ सभ केँ सिखौने छी, तहिना शान्‍तिपूर्ण जीवन बितयबाक लक्ष्‍य राखू, सभ केओ अपना-अपना काज मे लागल रहू और अपना हाथ सँ परिश्रम करू। 12 एहि तरहेँ कयला सँ अविश्‍वासी सभ सेहो अहाँ सभक आदर करत और अहाँ सभ केँ अपना आवश्‍यकताक पूर्तिक लेल अनका पर निर्भर नहि रहऽ पड़त। 13 यौ भाइ लोकनि, हम सभ नहि चाहैत छी जे अहाँ सभ ताहि भाय सभक दशा सँ अनजान रही जे सभ मरि गेल छथि । एना नहि होअय जे अहाँ सभ बाँकी लोक सभ जकाँ दुखी होइ, जकरा सभ केँ कोनो आशा नहि छैक। 14 हमरा सभ केँ विश्‍वास अछि जे यीशु मरलाह आ जीबि उठलाह। तहिना इहो विश्‍वास अछि जे, जे केओ यीशु पर विश्‍वास करैत मरि गेल छथि, तिनको सभ केँ जहिया यीशु फेर औताह तहिया परमेश्‍वर हुनका संग अनथिन। 15 हमरा सभ केँ प्रभु सँ जे शिक्षा भेटल अछि ताहि अनुसार अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, अपना सभ जे सभ प्रभुक अयबाक समय तक जीवित रहब से सभ तिनका सभ सँ पहिने प्रभु लग ऊपर किन्‍नहुँ नहि उठाओल जायब जे सभ मरि गेल छथि। 16 कारण, जखन प्रभु आदेश देताह आ प्रधान स्‍वर्गदूतक स्‍वर सुनाइ पड़त और परमेश्‍वरक धुतहूक आवाज सुनाइ देत, तखन प्रभु स्‍वयं स्‍वर्ग सँ उतरताह, और जे सभ मसीह पर विश्‍वास करैत मरि गेल छथि से सभ पहिने जीबि उठताह। 17 तखन अपना सभ, जे सभ तहिओ जीवित रहब, सेहो हुनके सभक संग मेघ मे उठाओल जा कऽ आकाश मे प्रभु सँ भेटब। एहि तरहेँ अनन्‍त काल धरि अपना सभ प्रभुक संग रहब। 18 तेँ एहि बात सभ द्वारा एक-दोसराक उत्‍साह बढ़बैत रहू।

1 Thessalonians 5

1 यौ भाइ लोकनि, कोन बात कहिया कखन होयत, ताहि सम्‍बन्‍ध मे किछु लिखबाक कोनो आवश्‍यकता नहि अछि, 2 कारण, अहाँ सभ अपने नीक सँ जनैत छी जे, “प्रभुक दिन” ताहि तरहेँ अचानक आओत जाहि तरहेँ राति मे चोर अबैत अछि। 3 लोक सभ कहैत रहत जे, “सभ शान्‍त आ सुरक्षित अछि,” तखन जहिना गर्भवती स्‍त्री पर अचानक बच्‍चा केँ जन्‍म देबाक कष्‍ट अबैत छैक, तहिना ओकरा सभ पर विनाश आओत, और ओकरा सभ केँ बचबाक कोनो उपाय नहि रहतैक। 4 मुदा, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ अन्‍हार मे नहि रहि रहल छी जे ओ दिन चोर जकाँ अहाँ सभ पर अचानक आबि जाय। 5 अहाँ सभ केओ तँ इजोतक सन्‍तान छी, दिनक सन्‍तान छी। अपना सभ रातिक वा अन्‍हारक नहि छी। 6 एहि लेल अपना सभ आन लोक सभ जकाँ सुतल नहि रही, बल्‍कि सतर्क रही आ अपना केँ वश मे राखी। 7 कारण, जे सभ सुतैत अछि से रातिए मे सुतैत अछि आ जे सभ पिबि कऽ माति जाइत अछि सेहो रातिए मे मतैत अछि। 8 मुदा अपना सभ जे छी, से दिनक छी आ तेँ विश्‍वास आ प्रेम केँ कवच जकाँ, और मुक्‍तिक आशा केँ टोप जकाँ पहिरि कऽ सतर्क रही। 9 कारण, परमेश्‍वर अपना सभ केँ दण्‍ड पयबाक लेल नहि, बल्‍कि अपना सभक प्रभु यीशु मसीह द्वारा उद्धार पयबाक लेल चुनने छथि। 10 प्रभु यीशु अपना सभक लेल एहि लेल मरलाह जे अपना सभ ⌞हुनकर फेर अयबाक समय मे⌟ चाहे जीवित होइ वा मरि गेल होइ, हुनका संग जीबी। 11 तेँ अहाँ सभ एक-दोसर केँ प्रोत्‍साहित करू और विश्‍वास मे मजगूत बनाउ, जेना अहाँ सभ करितो छी। 12 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ सँ हमरा सभक आग्रह अछि जे, अहाँ सभक बीच जे सभ परिश्रम करैत छथि, आत्‍मिक देख-रेख करैत छथि और प्रभुक दिस सँ अहाँ सभ केँ शिक्षा आ चेतावनी दैत छथि, तिनका सभक आदर करिऔन। 13 हुनका सभक काजक कारणेँ प्रेमपूर्बक हुनका सभक सम्‍मान करिऔन। एक-दोसरक संग मेल-मिलाप सँ रहू। 14 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ सँ हमरा सभक इहो आग्रह अछि जे, आलसी भाय सभ केँ चेतावनी दिअ। जे केओ हिम्‍मत हारि लेने छथि, तिनका सभक हिम्‍मत बढ़ाउ। जे केओ कमजोर छथि तिनका सभक सहायता करू। सभक संग सहनशीलताक व्‍यवहार करैत धैर्य राखू। 15 एहि बातक ध्‍यान राखू जे, केओ अधलाह व्‍यवहारक बदला अधलाह व्‍यवहार नहि करी, बल्‍कि सदिखन एक-दोसराक लेल आ सभ लोकक लेल भलाइ करैत रहबाक प्रयास करू। 16 सदिखन आनन्‍दित रहू, 17 लगातार प्रार्थना करैत रहू। 18 प्रत्‍येक परिस्‍थिति मे परमेश्‍वर केँ धन्‍यवाद दिऔन, कारण, अहाँ सभ जे मसीह यीशु मे छी तिनका सभ सँ परमेश्‍वर यैह बात चाहैत छथि। 19 परमेश्‍वरक पवित्र आत्‍माक आगि केँ नहि मिझाउ। 20 परमेश्‍वरक दिस सँ पाओल-सुनाओल सम्‍बाद सभ केँ तुच्‍छ नहि बुझू। 21 सभ बात केँ ठीक सँ जाँचू-बुझू और जे ठीक अछि ताहि मे दृढ़ रहू। 22 सभ तरहक अधलाह बात सँ दूर रहू। 23 शान्‍ति देबऽ वला परमेश्‍वर स्‍वयं अहाँ सभ केँ पूर्ण रूप सँ पवित्र करथि। ओ अहाँ सभक आत्‍मा, प्राण आ शरीर केँ अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक अयबाक समय धरि निर्दोष आ सुरक्षित राखथि। 24 ई काज ओ अवश्‍य करताह, कारण ओ जे अहाँ सभ केँ बजबैत छथि से विश्‍वासयोग्‍य छथि। 25 यौ भाइ लोकनि, हमरा सभक लेल प्रार्थना करैत रहू। 26 ओहिठामक सभ भाय लोकनि केँ हमरा सभक दिस सँ पवित्र प्रेमक संग नमस्‍कार कहिऔन। 27 अहाँ सभ केँ प्रभुक समक्ष ई आज्ञा दैत छी जे, सभ भाय केँ ई पत्र पढ़ि कऽ सुनाओल जाय। 28 अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक कृपा अहाँ सभ पर बनल रहय।



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